इथियोपिया से बेगूसराय लौटा अमित...कहा- नमक-रोटी खाऊंगा, विदेश नहीं जाऊंगा
इथियोपिया में दो महीने से बंधक बने श्यामदेव पाठक के बेटे अमित कुमार पाठक अपने गांव बेगूसराय के बलिया थाना क्षेत्र स्थित पहाड़पुर आ गया है। उनके आने से परिजनों में खुशी का माहौल है। अमित ने विदेश में काम करने के लिए जाने वाले भारतीयों के साथ हो रहे शोषण की कहानी बताया है। अमित ने कहा कि अब कभी भी विदेश नहीं जाऊंगा, जो भी काम मिलेगा यहीं करुंगा। घर में नमक रोटी खाऊंगा, लेकिन विदेश नहीं जाऊंगा।
अमित के घर पहुंचने पर उनके भाई, भतीजे, पत्नी सभी काफी खुश हैं। अमित भी पहली बार अपने बेटे को गोद में लेकर खुशी से रो उठे। अमित ने बताया कि वह मुंबई में नौकरी करता था। लॉकडाउन के बाद घर आया तो काफी परेशान था। घर पर रहने के दौरान उसने पहले साथ काम करने वाले समस्तीपुर के विनोद साह से संपर्क किया, तो उसने अपने पहचान के यूपी के निवासी विनोद कुमार त्रिपाठी से बात कराया। उससे इथियोपिया में काम देने की बात हुई। एक लाख रुपए कमीशन देने के बाद 900 डॉलर प्रति महीने मजदूरी, खाना और रहने की सुविधा की बात तय हो गई। 13 दिसंबर 2022 को अमित घर से चला और 15 दिसंबर को इथोपिया पहुंच गया। वहां अदीस अबाबा स्थित लोहे के छड़ और चदरा आदि बनाने वाले येसु ग्लेन कंपनी में काम करना शुरू कर दिया, लेकिन 6-7 महीने के बाद दुर्व्यवहार होने लगा, सात-आठ महीने पर दो महीने का पेमेंट होता था। घर परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता था।
हम लोग पेमेंट के लिए दबाव बनाने लगे तो कंपनी प्रताड़ित करने लगा, खाने में भी गड़बड़ी होने लगा। काम करने गए तो काम नहीं करने दिया। एक साथ रह रहे हम 20 लोगों का वीजा और पासपोर्ट लेकर रख लिया। हमने जब मांगा तो विनोद कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार और एंबेसी हमलोगों का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है, सब कुछ मैनेज कर लिए हैं। एंबेसी गए, बहुत प्रयास किया, लेकिन छूट नहीं पा रहे थे। अमित ने बताया कि भारत से वहां काम करने के लिए जाने वाले लोगों को काफी जलालत झेलनी पड़ती है। 75 से 80 भारतीय वहां काम करते हैं। 800-900 डॉलर प्रत्येक महीने मजदूरी देने की बात कहकर बुलाया जाता है। 8 घंटे के बदले 12 घंटे काम लिया जाता है। हम लोगों को जब बंधक बनाया गया था तो कंपनी ने खाना देना छोड़ दिया। वहां साथ काम करने वाले स्थानीय लोग चुपके से खाना देते थे। पैसा भी नहीं लेते थे, कभी-कभी हम लोग बहुत दबाव बनाते तो वो लोग कुछ पैसा ले लेते थे।
अमित ने कहा कि अब कभी भी विदेश नहीं जाऊंगा, जो भी काम मिलेगा यहीं करुंगा। घर में नमक रोटी खाऊंगा, लेकिन विदेश नहीं जाऊंगा। भाई ने सभी जगह आवेदन दिया, दैनिक भास्कर ने खबर चलाया, उसके बाद एंबेसी के दबाव पर हम वापस आ सके हैं। 900 डॉलर सैलरी थी, 6 महीने का पेमेंट बचा हुआ है। वीजा कैंसिल करने के लिए हमलोगों का पैसा लगा, घर से 55 हजार रुपए मंगा कर आए हैं। अमित का कहना है कि विनोद कुमार त्रिपाठी फैक्ट्री में GM है। वह भारत से लोगों को ले जाता है, 3 साल का एग्रीमेंट कराया जाता है। वहीं 6-7 महीने के बाद ही तंग करना शुरू कर दिया जाता है। पैसा और खाना देने में मनमानी करते हैं। ऐसे में मजदूर या तो जलालत झेलकर काम करते हैं या भाग आते हैं।
अमित के भाई मुकेश कुमार पाठक ने बताया कि भाई को इथोपिया में बंधक बना लिया गया था। पेमेंट भी नहीं दिया, विरोध किया तो बंधक बना लिया। मैने DM, सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक को आवेदन दिया। उसके बाद सरकार के प्रयास से मेरा भाई वापस आ सका है। अमित की पत्नी ललिता देवी ने कहा कि अब मैं अपने पति को कभी विदेश नहीं जाने दूंगी, वहां अच्छा पैसा मिलता था, लेकिन ऐसा पैसा नहीं चाहिए।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Jul 16 2024, 17:40