अमर शहीद क्रांतिकारियों के व्यक्तित्व-कृतित्व से लें सीख : शिवप्रताप
गोरखपुर। ब्रिटिश हुकूमत से देश को आजाद करने वाले क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्होंने अपनी आयु के सिर्फ 30 ही बसंत देख पाए। ब्रिटिश हुकूमत ने काकोरी कांड के बाद उन्हें फांसी की सजा दे दी और 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर की जेल में अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हुए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलते हुए भारत माता की गोद में सदा सदा के लिए समाहित हो गए।
उक्त बातें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कही। श्री शुक्ल गुरुकृपा संस्थान एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी सम्मान संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पंडित राम प्रसाद बिस्मिल बलिदानी मेला एवं खेल महोत्सव के 15 वें दिन पुष्पांजलि स्वरांजलि व श्रद्धांजलि कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल 19 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रता के आंदोलन में कूद गए थे। हालांकि अमर शहीद क्रांतिकारियों की कोई आयु नहीं होती है वह एक निश्चित काम के लिए पवित्र भारत भूमि पर आते हैं। 12-12 वर्ष की उम्र में भी तरुण क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अपनी आहुति दी है। खुदीराम बोस का नाम इसमें अग्रणी लिया जाता है। अमर शहीद क्रांतिकारियों की मृत्यु नहीं होती, वह अमरता को प्राप्त कर जाते हैं।
देश की युवा पीढ़ी शहीदों के विचार क्रांति से जुड़े, उनके इतिहास को पढ़ें और देश व सामाजहित की बात सोचते हुए उनके कृतित्व व व्यक्तित्व से प्रेरणा लें। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में गोरखपुर जनर्लिस्ट्स प्रेस क्लब के अध्यक्ष मारकंडेय मणि त्रिपाठी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत संघ संचालक डॉ महेंद्र अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष गोविवि दिनेश चंद्र त्रिपाठी, स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ आयकर अधिवक्ता श्याम बिहारी अग्रवाल मंच पर मौजूद रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएलसी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि देश को आजाद करने वाले सेनानी जिस भी स्थल पर शहीद हुए वह स्थल तीर्थ स्थल के रूप में कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसे स्थल पर जब युवा आते हैं तो उनके अंदर भी देश के प्रति कुछ करने का जज्बा होता है और उन्हें प्रेरणा भी मिलती है। देश की युवा पीढ़ी क्रांतिकारियों के बलिदान त्याग को आत्मसात करते हुए देश को आगे बढ़ने का कार्य करेगी।
मंचासीन अतिथियों व आगंतुकों का स्वागत व उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्थान के संस्थापक मेले के आयोजक, संयोजक बृजेश राम त्रिपाठी ने गोरखपुर जेल और घंटाघर सहित राजघाट पुल का नामकरण पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नाम से रखने का प्रस्ताव विधान परिषद सदस्य डा धर्मेंद्र सिंह से किया। जिसे कार्यक्रम अध्यक्ष ने पूरा करने का आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन हरे कृष्ण पांडे ने किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम के दौरान सेंट्रल एकेडमी, एस एस एकेडमी के बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। बच्चों के कार्यक्रम देख देशभक्त दर्शक मंत्र मुग्ध ही नहीं हुए बल्कि भाव विभोर भी हो गए। इस अवसर पर अमर शहीद बलिदानियों के चित्र की प्रदर्शनी भी लगी हुई थी जो आकर्षण का केंद्र रही।
प्रमुख व्यवसाई को महामहिम ने किया सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान 95 वर्षीय शहर के प्रमुख व्यवसाई, वरिष्ठ समाजसेवी बालकृष्ण सराफ को महामहिम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने उनके स्थान पर जाकर उन्हें मोमेंटो, सम्मान पत्र, माल्यार्पण, शाल भेंट कर सम्मानित किया। इसके अलावा संस्थान की कर्मयोगियों को भी श्री शुक्ल ने सम्मानित किया।
शहीद स्थली पर हुए कार्यक्रम
इससे पूर्व संस्थान व आयोजन समिति के तत्वावधान में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की शहीदस्थली एवं कोठरी में भी पुष्पांजलि, दीपांजलि, आरती की गई। इस दौरान संस्थान के कर्मयोगियों के साथ जेल प्रशासन भी मौजूद रहा।
इस अवसर पर वरिष्ठ जेल अधिक्षक डी के पांडेय, जेलर अरुण कुमार कुशवाहा, डॉ यशवंत सिंह राठौड़, उमेश राय, अश्वनी पांडेय, अभिषेक त्रिपाठी, कुंदन उपाध्याय, विनय कुमार शर्मा, श्रद्धानंद त्रिपाठी, डॉक्टर एसपी यादव, डॉक्टर संदीप राय, महेश चंद दुबे, प्रदीप त्रिपाठी, सुनील मिश्रा, अजय मिश्रा, प्रमोद शुक्ला, मनोज यादव, श्रृंजय मिश्रा, शंकर शरण दुबे, विष्णु प्रताप सिंह, पूर्व विधायक ललन त्रिपाठी, राकेश श्रीवास्तव, सुभाष दुबे, राजेश त्रिपाठी, कनक हरि अग्रवाल, अष्टभुजा शुक्ला, रीता श्रीवास्तव, राहुल विशाल मिश्रा, सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहें।
Dec 20 2023, 18:37