जाति का जहर ही देश की गुलामी का कारण था: सीएम योगी

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जाति का जहर ही देश की गुलामी का कारण था। कुछ लोग आज भी जाति के नाम पर समाज को बांटना चाहते हैं। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जाति के जहर को समाज में घोलने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना पड़ेगा। इस जहर से किसी का हित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में जो भी व्यक्ति कार्य कर रहा है, उसे राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

इससे ही आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार हो सकेगी। सीएम योगी ने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थान डिग्री बांटने का अड्डा न बनें, बल्कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का माध्यम बनकर उभरें।

सीएम योगी ने यह बातें रविवार को जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बांसगांव के पूर्व ब्लॉक प्रमुख बाबू चतुर्भुज सिंह की प्रतिमा के अनावरण के उपरांत आयोजित समारोह में कहीं।

विपरीत परिस्थितियों से जूझने की थी बाबू चतुर्भुज सिंह की प्रवृत्ति

उन्होंने कहा कि बाबू चतुर्भुज सिंह की विपरीत परिस्थितियों से जूझने की प्रवृत्ति थी। वह वरिष्ठ समाजसेवी थे।

सुख-दुख में प्रत्येक व्यक्ति के साथ खड़े रहते थे। वह सम और विषम परिस्थितियों में कार्य करते हुए जनहित से जुड़े हुए मुद्दे को प्रखरता के साथ आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहते थे। सीएम योगी ने कहा कि जिस कालखंड में सरकार का प्रोत्साहन कम था, उस समय बांसगांव क्षेत्र में डिग्री कॉलेज की स्थापना एक सपना था।

शिक्षण संस्थानों को दिखानी पड़ेगा मंजिल तक पहुंचने की राह

सीएम योगी ने कहा कि उस समय जस्टिस केडी शाही के मार्गदर्शन में यहां पर बाबू चतुर्भुज सिंह ने इस कॉलेज की स्थापना के दायित्व को अपने कंधों पर लिया। देखते ही देखते यहां पर महाविद्यालय बना।

उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों से निकले छात्र-छात्राओं में अपने भविष्य को लेकर भ्रम की स्थिति न हो। उनके सामने पहले से निर्धारित लक्ष्य हो। इसकी जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों और अध्यापकों की है। उन्होंने कहा कि हर राह मंजिल तक जरूर पहुंचती है। मंजिल तक पहुंचने की राह दिखाने का माध्यम हमारे शिक्षण संस्थानों को बनना पड़ेगा। इसके लिए छात्र-छात्राओं को भी कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।

दुर्बलता का कारण बनेगा शॉर्टकट का रास्ता

सीएम योगी ने छात्र-छात्राओं को नसीहत देते हुए कहा कि कभी भी जीवन में लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए शॉर्टकट का रास्ता मत अपनाना। शॉर्टकट का रास्ता दुर्बलता का कारण बनेगा। यह जीवन में स्थायित्व नहीं दे पाएगा।

उन्होंने कहा कि विकास ही लोगों के जीवन में परिवर्तन ला सकता है। विकास जब भी आता है तो तात्कालिक परेशानी तो होती है। उदाहरणस्वरूप जब सड़क का निर्माण होता है तो अतिक्रमण हटाया जाता है। इससे कुछ समय के लिए कुछ लोगों को परेशानी होती है, लेकिन लंबे समय तक उसका लाभ समाज के प्रत्येक तबके को प्राप्त होता है।

सीएम ने छात्राओं को किया सम्मानित

कार्यक्रम में सीएम योगी ने जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया। साथ ही परीक्षा में सर्वोच्च अंक लाकर स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं को सम्मानित भी किया। इस दौरान पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, विधायक श्रीराम चौहान, राजेश त्रिपाठी, भाजपा के जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह, भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह, पूर्व विधायक राघवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

विकसित भारत संकल्प यात्रा में देश के विकास की सामूहिक संकल्प लिया

गोरखपुर।पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज खजनी ब्लाॅक के ग्राम पंचायत पल्हीपार बाबू और विश्वनाथपुर में विकसित भारत संकल्प यात्रा का आयोजन संपन्न कराया गया। मुख्य अतिथि बीजेपी उनवल मंडल अध्यक्ष रामप्रकाश चौधरी ने सरकारी जनहित की योजनाओं की जानकारी दी।

संचालन कर रहे हरिशंकर तिवारी और अन्य भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम के उद्देश्यों की जानकारी दी।

इस दौरान दिवस अधिकारी खजनी ब्लॉक के एडीओ आईएसबी कमलेश गुप्ता के निर्देशन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में कृषि विभाग के एटीएम रणधीर राय ने पीएम किसान सम्मान निधि सहित कृषि विभाग के द्वारा किसानों के हित में संचालित योजनाओं की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। टीएसी प्रवीण और अर्जुन सिंह ने सतत कृषि और लाभदायक कृषि के उपाय बताते हुए मोटे अनाज के उत्पादन बढ़ाने के बारे में जानकारी दी गई।

प्रभारी कृषि रक्षा इकाई खजनी के द्वारा बखारी (भंडारण) और कृषि रक्षा हेतु दवाओं तथा उनके लिए मिलने वाले सरकारी अनुदान की जानकारियां दीं।

पंचायत सचिव विजयलक्ष्मी और विश्वनाथपुर गांव के ग्रामप्रधान राम अशीष बेलदार ने गांवों के आवास, शौचालय,वृद्धा पेंशन आदि योजनाओं के लाभार्थियों से संबंधित जानकारी दी।

कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के सीएचओ द्वारा कैंप लगा कर जरूरतमंद लोगों को प्रतिरोधक दवाओं वितरण किया गया।

इफ्को के द्वारा महेश मौर्य के निर्देशन में ड्रोन से नैनों डीएपी और नैनों यूरिया का छिड़काव का प्रदर्शन किया गया।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों राम अवध, लक्ष्मण प्रसाद,शिव बरन,सहदेव, अभिमन्यु,पूर्णवाशी,राम उग्रह को तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों रजवंता,सुधा,फूला देवी,मनभावती आदि को प्रमाण पत्र वितरण किया गया।

गांव के निवासी पुष्पा चौरसिया, सुप्रिया प्रियदर्शनी,राम लक्ष्मण, विद्यावती को आयुष्मान हेल्थ कार्ड दिया गया।

इस दौरान उपस्थित सभी ग्रामवासियों,ग्रामप्रधानों,पंचायत सहायक,पंचायत मित्र,आशाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों और अधिकारियों ने विकसित भारत संकल्प अभियान के तहत देश के विकास में अपने योगदान के लिए सामूहिक शपथ ली।

डिवाइस से हासिल नहीं की जा सकती संस्कारयुक्त शिक्षा: सतीश महाना

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि आज एडवांस टेक्नोलॉजी और डिजिटलाइजेशन के दौर में एबीसीडी से लेकर हायर एजुकेशन तक की पढ़ाई बच्चे लैपटॉप या स्मार्टफोन जैसे डिवाइस से कर ले रहे हैं। पर, डिवाइस की पढ़ाई से संस्का युक्त शिक्षा नहीं हासिल की जा सकती है।

डिवाइस से सहचर्य, समर्पण, शीलता, विनम्रता और साहस जैसे गुणों का विकास नहीं हो सकता। अगर इन गुणों के साथ संस्कारयुक्त शिक्षा को आगे बढ़ाना है तो महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद जैसी संस्थाओं का संरक्षण अति आवश्यक है।

श्री महाना रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि यह विचारणीय प्रश्न है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी इस बात पर चर्चा करने की आवश्यकता पड़ती है कि शिक्षा का स्वरूप क्या हो। पूर्व में शिक्षा के दो ही ध्येय होते थे, लड़के के लिए नौकरी और लड़की के लिए अच्छी शादी।

एक लंबे समय तक रोटी, कपड़ा और मकान ही जीवन के तीन निशान बताए गए। वास्तव में यह तीन निशान आवश्यकता हैं, जीवन की पहचान नहीं हैं। जीवन की पहचान संस्कार, व्यक्तित्व, सेवा, मेधा और समर्पण से होती है। उन्होंने कहा कि सेवा और संस्कारयुक्त शिक्षा ही भारत की पहचान रही है और यही दुनिया को दिशा देती रही है।

अच्छी बात सुनने से ही बनते हैं अच्छे विचार

सफलता हासिल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना ने विद्यार्थियों को दिमाग को नियंत्रित करने के टिप्स दिए।

उन्होंने कहा कि हमारी सुनने की क्षमता समाप्त होती जा रही है। हम जो सुनते हैं, वही सोचते हैं। अगर हम अच्छी बात सुनेंगे तो हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे। जैसा सुनेंगे वैसा सोचेंगे, जैसा सोचेंगे वैसा काम करेंगे, जैसा काम करेंगे वैसा हमारा स्वभाव बनेगा और जैसा हमारा स्वभाव होगा वैसा ही चरित्र बनेगा। इसलिए दिमाग को नियंत्रित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे उद्देश्य स्पष्ट और उसके लिए कार्य अनुशासनपूर्ण होने चाहिए।

कहा कि ऊंचाइयों पर पहुंचना तो आसान होता है पर उसे पर बने रहने के लिए ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है। श्री महाना ने वर्तमान में जीने, समय प्रबंधन, सेवा, दूसरे के सम्मान के साथ विद्यार्थियों को मन, कर्म व वचन में एकरूपता लाने की नसीहत भी दी।

शीलता और साहस से यूपी की कानून व्यवस्था को मजबूत किया सीएम योगी ने

अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली और उनके संरक्षण में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यों की मुक्तकंठ से सराहना की।

उन्होंने कहा कि सीएम योगी ने अपनी शीलता और साहस से उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था को मजबूत किया है। योगी जी की प्रसिद्ध विश्व भर में है।

गरीबी दूर करने की चेतना का एकमात्र माध्यम है शिक्षा : हरिवंश

गोरखपुर। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने कहा कि शिक्षा, गरीबी दूर करने की चेतना लाने का एकमात्र माध्यम है।

किसी बड़े घराने में पैदा होना भाग्य पर निर्भर है लेकिन शिक्षा से एक व्यक्ति बड़े घरानों से भी आगे अपना यश लिख सकता है। शिक्षा ने भाग्य आधारित समृद्धि के पुराने रास्ते की अवधारणा को बदल दिया है। शिक्षा के इसी महत्व के कारण 91 वर्ष पूर्व ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी ने शिक्षा को समग्र विकास के माध्यम के रूप में चुना और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।

हरिवंश नारायण रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षा से यश गाथा लिखने के संदर्भ में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का उद्धरण देते हुए कहा कि शिक्षा के बूते ही उन्होंने दुनिया की प्रतिष्ठित कम्पनी बना डाली। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने शिक्षण संस्थानों के कारण ही आज लीडर बना हुआ है।

दुनिया को बदलने वाले अनुसंधान शिक्षण संस्थाओं से ही निकलते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के योगदान की चर्चा करते हुए हरिवंश नारायण ने कहा कि इस शिक्षा परिषद में बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक विकास के साथ चरित्र निर्माण का जो काम होता है वह शायद ही दुनिया में कहीं और होता होगा।

शिक्षा के क्षेत्र में नकल रोकने को सीएम योगी के नेतृत्व में हुआ बड़ा प्रयास

राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में नकल रोकने का बड़ा प्रयास हुआ है। यूपी में एक दौर ऐसा भी आया था जब परीक्षार्थी से अधिक नकल करने वाले दिखते थे। यह प्रतिभाओं के साथ अन्याय था।

नकल विहीन परीक्षा से प्रतिभाओं को मौका मिला है और इससे यूपी के विद्यार्थी दुनिया में रहनुमाई करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिभा पूरी तरह प्रकृति प्रदत्त नहीं होती है बल्कि इसके लिए परिश्रम व संकल्प जरूरी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने बच्चे के विद्यालय के शिक्षक को लिखे गए एक पत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नल से पास होने की बजाय फेल होना बेहतर है।

उन्होंने कहा कि सीएम योगी की पहल पर उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और बच्चों की उपस्थिति भी विद्यालयों में बढ़ी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षण संस्थानों के इंडस्ट्री से जुड़ने और नवाचार, अनुसंधान पर ध्यान देने के आह्वान की तारीफ करते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि इससे कई चुनौतियों का समाधान निकलेगा।

जनजागरण सेवा व शिक्षा का केंद्र है गोरक्षपीठ

गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली पर आने को गौरव बताते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि नाथ पंथ की सर्वोच्च पीठ होने के साथ गोरक्षपीठ जनजागरण, शिक्षा और सेवा का भी केंद्र है।

इस पीठ के युगद्रष्टा ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने शैक्षिक क्रांति और राष्ट्रीयता की अदम्य भावना से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तो ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने उनके विजन को आगे बढ़ाया और सामाजिक कुरीतियों से लड़कर सामाजिक समरसता को भी मजबूत किया। वर्तमान महंत योगी आदित्यनाथ इन सभी कार्यों को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। गोरक्षपीठ के मार्गदर्शन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्कार देने वाली और नए इंसान को बढ़ाने वाली शिक्षा व्यवस्था को आगे बढ़ा रही है।

उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने एम्स गोरखपुर से किया पल्स पोलियो अभियान का शुभारंभ

गोरखपुर।इजरायल में वर्ष 1989 के बाद वर्ष 2022 में पोलियो के केस पाए गए । मोजाम्बिक में इसी साल पोलियो के मामले रिपोर्ट हुए हैं। ऐसी स्थिति में देश के अन्य बारह राज्यों के साथ साथ प्रदेश के 50 जिलों में भी रविवार से पल्स पोलियो अभियान की शुरूआत की गयी ।

गोरखपुर जिले से इस अभियान का शुभारंभ प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बृजेश पाठक ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के मॉडल टीकाकरण केंद्र से किया । उन्होंने पांच माह की बच्ची शैरिल को ड्रॉप पिला कर अभियान की शुरूआत की। पहले दिन पूरे प्रदेश में बूथ दिवस मनाया गया । गोरखपुर जिले में 2148 बूथ के जरिये शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को पल्स पोलियो से बचाव की दवा पिलाई गयी। सोमवार से स्वास्थ्य विभाग की टीम 15 दिसम्बर तक घर घर जाकर दवा पिलाएंगी । उप मुख्यमंत्री ने सूर्यांश, मिसिका और ऋषी को भी अपने हाथों से पोलियो का ड्रॉप पिलाया ।

उप मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि लोग आगे आकर बच्चों को पोलियो से बचाव की दवा पिलाएं । उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी पोलियो के केस निकले हैं । इसे देखते हुए प्रदेश में भी अभियान शुरू किया गया है। गोरखपुर जिले के अभियान के बारे में भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने जनपद स्तरीय अभियान के बारे में बताया कि 1494 टीम सोमवार से 15 दिसम्बर तक घर घर जाकर दवा पिलाएंगी। कुल 8.80 लाख घरों तक पहुंच कर दवा पिलाई जाएगी। जो बच्चे छूट जाएंगे उन्हें 17 दिसम्बर को बी टीम दवा पिलाएगी । इस बार 6.47 लाख बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य है। ।

गोरखपुर जनपद के अभियान के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, सहायक शोध अधिकारी अजीत सिंह और सहयोगी संस्थाएं अभियान के सफल संचालन के लिए समन्वित प्रयास कर रहे हैं ।

उन्होंने बताया कि पल्स पोलियो का ड्रॉप बच्चों को जन्म के समय भी पिलाया जाता है। इसके बाद छह, दस और चौदह सप्ताह पर बच्चों को यह ड्रॉप पिलायी जाती है। इसकी बूस्टर डोज सोलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है । यह सभी डोज नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सरकारी अस्पतालों और टीकाकरण सत्रों पर भी दिये जाते हैं । इनके अलावा भी अभियान के दौरान बच्चों द्वारा दवा का सेवन अनिवार्य है। डॉ दूबे ने बताया कि पल्स पोलियो का वायरस जब तक किसी भी देश में बचा हुआ है, सभी देशों को बचाव के उपाय करने होंगी ।

इस मौके पर एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉ सुरेखा किशोर, उप निदेशक अरूण कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रमाशंकर रत्न, चिकित्सा अधीक्षक मनोज कुमार, सौरभ, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश यादव, जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ राजेंद्र ठाकुर, नोडल अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, एआरओ अजीत सिंह, वरिष्ठ सहायक नवीन गुप्ता, आदिल, नर्सिंग ऑफिसर बीनू, कुसुम, सिनोमी, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी, जेएसआई, सीफार संस्थाओं के प्रतिनिधिगण प्रमुख तौर पर उपस्थित रहे ।

संक्रामक वायरल रोग है पोलियो

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा ने बताया कि पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो पांच साल से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है। यह मल, मौखिक मार्ग, दूषित पानी, आहार आदि के माध्यम से फैलता है। यह आंत में पनपता है और वहां से तंत्रिका तंत्र में पहुंच कर पक्षाघात उत्पन्न करता है ।

पोलियो के प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकड़न और अंगों में दर्द शामिल है। इसके कारण होने वाले दो सौ संक्रमणों में से एक संक्रमण से दिव्यांगता का खतरा रहता है। वैश्विक स्तर पर इसके कारण होने वाले पक्षाघात से पांच से दस फीसदी मामलों में मौत भी हो जाती है ।

दवा सुरक्षित है

एम्स गोरखपुर के टीकाकरण बूथ पर पर अपनी नातिन वैष्णवी (3.5 वर्ष) और डिम्पल (4.5) को पोलियो ड्रॉप पिलवाने आईं गीता देवी ने बताया कि उन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरस्वती देवी ने बूथ के बारे में सूचना दी थी। वह पहले भी इन बच्चियों को पल्स पोलियो की दवा पिलवा चुकी हैं। यह सुरक्षित और असरदार है। सभी लोगों को अपने बच्चों को पल्स पोलियो से बचाव की दवा अवश्य पिलानी चाहिए। उप मुख्यमंत्री के हाथों दवा का सबसे पहले सेवन करने वाली बच्ची शैरिल की मां कुसुम ने बताया कि बच्ची को अन्य टीके भी समय से लगवाती हैं ।

सभी लोगों को पांच साल में सात बार बच्चों का नियमित टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। एम्स स्थित बूथ से अर्पिता, सौम्या, पिहू, प्रिंस और कार्तिक को विभिन्न अधिकारियों ने पोलियो ड्रॉप पिलाया । इस बूथ का अभियान के दौरान नौ बजे से चार बजे तक किया जाएगा।

शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण : सीएम योगी

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि शिक्षा प्राप्त करना केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं है। पुस्तकीय ज्ञान से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त की जा सकती है। पर, जीवन में विजेता बनने के लिए शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण है। ज्ञान, शिक्षण संस्थानों में संवाद के वातावरण और अनुभव से अर्जित होता है।

सीएम योगी रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण व मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ का कोई विकल्प नहीं होता है।

उद्देश्य के अनुरूप प्रतिबद्ध होकर समय सीमा में कार्य करते हुए आगे बढ़ने पर लक्ष्य प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना, वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखण्ड-विजेता कौन हुआ,अतुलित यश क्रेता कौन हुआ, नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ, जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया* का उद्धरण देकर विद्यार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखते हुए परिश्रम करेंगे तो सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1932 में जब युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तब उनका संकल्प था कि देश को गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद कैसे नागरिक मिलने चाहिए। उसी संकल्प पर चलते हुए आज यह परिषद चार दर्जन संस्थाओं के माध्यम से निरंतर शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही है।

सीएम योगी ने कहा कि जीवन में कृतज्ञता का भाव सदैव बने रहना चाहिए। कृतज्ञता का भाव सकरात्मकता से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। इसको और स्पष्ट करने के लिए उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के अपने गुरु के प्रति प्रकट किए गए भाव के क्रियात्मक पक्ष का स्मरण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी के गुरु को अंग्रेज सरकार ने आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण शिक्षक की नौकरी से निकाल दिया। तब गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने लिए महंत दिग्विजयनाथ जी ने एक स्कूल खोला और गुरु को प्रधानाचार्य बना दिया। यही स्कूल महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधारशिला बना।

संस्थापक सप्ताह के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण व उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की उत्कृष्ट संस्थाओं, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर जगदम्बा लाल द्वारा लिखित पुस्तक 'पूर्वोत्तर के प्रहरी:नागालैंड' का विमोचन भी किया गया।

संस्थापक सप्ताह के समापन समारोह में स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो यूपी सिंह ने किया। इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, कुशीनगर के सांसद विजय दूबे, विधायक श्रीराम चौहान, राजेश त्रिपाठी, विपिन सिंह, एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह आदि की प्रमुख सहभागिता रही।

जनता दर्शन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योगी ने सुनीं 300 लोगों की समस्याएं

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता दर्शन में लोगों की समस्याएं सुनते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जनता की समस्याओं पर पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता से ध्यान देकर उनका त्वरित, गुणवत्तापूर्ण और संतुष्टिपरक निस्तारण कराएं ताकि किसी को भी परेशान न होना पड़े।

जिन्हें इलाज में सरकार से आर्थिक सहायता की आवश्यकता है तो उनके इस्टीमेट की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण कराकर शासन को उपलब्ध कराया जाए। इस दौरान इलाज में आर्थिक सहायता की गुहार लेकर पहुंची एक महिला को सीएम योगी ने आत्मीय संबल देते हुए कहा, डॉक्टर से इस्टीमेट मंगवा लीजिए, इलाज का पैसा सरकार देगी।

गोरखपुर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दर्शन में करीब 300 लोगों से मुलाकात की। एक-एक करके उनकी समस्याएं सुनीं और निस्तारण के लिए आश्वस्त करते हुए उनके प्रार्थना पत्र संबंधित अधिकारियों को हस्तगत किए।

सभी लोगों को आश्वस्त किया कि उनके रहते किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हर समस्या का समाधान कराया जाएगा।

इस दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि हर पीड़ित के साथ संवेदनशील रवैया अपनाया जाए और उसकी समस्या का समाधान कर उसे संतुष्ट किया जाए। इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं कोई जमीन कब्जा या दबंगई कर रहा हो तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। हर पीड़ित की समस्या का निस्तारण निष्पक्ष रूप से उसकी संतुष्टि के अनुरूप किया जाना सुनिश्चित होना चाहिए।

रूद्रपुर में पुराने भूमि विवाद में मारपीट, केस दर्ज जांच में जुटी पुलिस

गोरखपुर- थाने के निकट स्थित रूद्रपुर ग्रामसभा में बीती रात पुराने भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में मारपीट हो गई। घटना में गंभीर रूप से घायलों का बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। केस दर्ज कर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है।स्थानीय प्रशासनिक लापरवाही से बीती रात दो पक्षों में पुराने भूमि विवाद के मामले की सुलगती चिंगारी ने एक बार फिर आग पकड़ ली और मारपीट की घटना में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

विवाद की शुरुआत गांव के एक परिवार में चल रहे मांगलिक कार्यक्रम के दौरान हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बीती रात गांव के एक परिवार में हल्दी का कार्यक्रम था जहां दोनों पक्षों के लोग आमंत्रित थे। इसी दौरान एक पक्ष के युवक के द्वारा अपशब्द और भला-बुरा कहा जाने लगा तो दूसरे पक्ष के युवक ने इसकी सूचना अपने घर में मौजूद लोगों को दी गई। घर पहुंचते ही दोनों पक्षों के बीच विवाद और मारपीट हो गई। जिसमें राकेश,ओमप्रकाश, राजेश तिवारी घायल हो गए।

गंभीर रूप से घायलों का गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। पुलिस ने राकेश तिवारी की पत्नी पूजा की तहरीर पर मुकदमा अपराध संख्या 464/2023 की धारा 323,504, 307 के तहत आरोपितों अखिलेश तिवारी,रवि तिवारी,रजत तिवारी और आशीष शुक्ला उर्फ प्रिंस शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज कर लिया और आशीष उर्फ प्रिंस शुक्ला को हिरासत में लेकर कार्रवाई में जुट गई है।

10 दिसम्बर को बूथ पर पिलाई जाएगी पल्स पोलियो की दवा, 11 दिसम्बर से घर घर जाएंगी टीम

गोरखपुर- मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने कहा है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस साल भी पोलियो के मामले सामने आए हैं। ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए अभिभावकों को आगे आकर अपने बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलवानी होगी। इसके लिए प्रस्तावित अभियान के पहले दिन 10 दिसम्बर को जिले में बूथ पर दवा पिलाई जाएगी। इसके बाद 11 दिसम्बर से पंद्रह दिसम्बर तक स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर दवा पिलाएंगी। छूटे हुए बच्चों को दवा पिलाने के लिए 17 दिसम्बर को बी टीम चलेगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि वर्ष 1994 तक वैश्विक पल्स पोलियो के 60 फीसदी मामले भारत में थे। इसे देखते हुए 02 अक्टूबर 1994 को पल्स पोलियो प्रतिरक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया था। समुदाय की सहभागिता और जनजागरूकता से यह अभियान सफल रहा और भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिमी बंगाल के हावड़ा में पाया गया। देश को 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो मुक्त का प्रमाणन भी दे दिया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत दुनिया के कुछ और देशों में पोलियो का वायरस सक्रिय तौर पर मौजूद है। यही वजह है कि अभी भी शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को इस वायरस से प्रतिरक्षित करने के लिए पल्स पोलियो की दवा पिलवाना अनिवार्य है। इस साल पाकिस्तान में पल्स पोलियो के छह मामले सामने आए हैं जो भारत के लिए भी चिंताजनक हैं ।

डॉ दूबे ने बताया कि प्रदेश के 50 जिलों में यह अभियान चल रहा है जिसमें गोरखपुर भी शामिल है। पल्स पोलियो की दवा नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान भी पिलाई जाती है । जिन बच्चों ने नियमित टीकाकरण के दौरान इसका सेवन किया है, उन्हें भी दवा पिलायी जानी है। अभियान के दौरान ईंट भट्ठा श्रमिकों, मलिन बस्तियों और घूमंतू प्रजाति के लोगों को दवा पिलाने पर विशेष जोर रहेगा। अभियान के दौरान उपलब्ध कराई जाने वाली दवा कोल्ड चेन में रखी जाती है जो पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार है । नजदीकी बूथ के बारे में जानकारी के लिए लोगों को आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से सम्पर्क करना चाहिए । इस बार के अभियान में भी अभियान में सहयोगी संस्था डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी, जेएसआई, डब्ल्यूजेसीएफ और सीफार का सहयोग मिल रहा है।

अभियान पर एक नजर

लक्षित बच्चों की संख्या-6.47 लाख

बूथ-2148

घर घर जाने वाली टीम की संख्या-1494

6.47 लाख बच्चों को पिलाई गयी थी दवा

सहायक शोध अधिकारी अजीत सिंह ने बताया कि जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा के दिशा निर्देशन में मई 2023 में चले अभियान के दौरान 6.47 लाख बच्चों को दवा पिलाई गई थी। टीम ने करीब 8.80 लाख घरों का दौरा कर दवा का सेवन कराया था। इस बार भी स्वास्थ्यकर्मियों की टीम को अभियान की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है।

युवा शक्ति के साथ हुआ “कल-आज और कल” राज्य स्तरीय संवाद, यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन

गोरखपुर- महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश, द्वारा यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में विगत वर्षों में प्रदेश की बाल देखरेख संस्थाओं से पाश्चातवर्ती देखरेख में गये 18 वर्ष से अधिक आयु के केयरलीवर्स (किशोर-किशोरियों) के साथ उनके पुर्नावासन को सुनिश्चित करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किये जाने के मकसद से से पहले राज्यस्तरीय संवाद का आयोजन लखनऊ में किया गया। उत्तर प्रदेश की पाश्चातवर्ती देखरेख (ऑफटर केयर) संस्थाओं सहित, बाल देखरेख संस्थाओं से निकलकर समाज की मुख्यधारा में शामिल किये गये केयरलीवर्स के संरक्षण एवं पुर्नवास तथा युवा शक्ति के भविष्य को उज्जवल बनाने हेतु कल, आज और कल पर समर्पित यह संवाद युवाओं के अनुभवों और चुनौतियों पर आधारित थी।

केयरलीवर्स द्वारा संवाद के दौरान यह निर्णय लिया गया कि विभाग के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में केयरलीवर्स को आवश्यक समर्थन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से युवा शक्ति को एकजुट किया जायेगा, जिसके अंतर्गत प्रदेश की बाल देखरेख संस्थाओं से निकलने वाले समस्त किशोर-किशारियों को शामिल किया जायेगा। इस संवाद के माध्यम से सभी किशोर-किशोरियों द्वारा अपने भविष्य के निर्माण हेतु एक साथ बैठक कर चर्चा की गई। इसी क्रम में दूसरी कार्यशाला दिनांक 23 दिसंबर 2023 को आयोजित की जायेगी जहाँ यह केयरलीवर्स अपनी देखभाल सेवाओं के प्रबंधन हेतु आवश्यक सुझाव रखेंगें। साथ ही पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) में आने से पूर्व, दौरान और पश्चात की जाने वाली कार्यवाही पर विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया के निर्माण हेुत अपने विचार प्रस्तुत करेंगें।

संवाद के दौरान उपनिदेशक महिला कल्याण पुनीत कुमार मिश्रा ने कहा कि आने वाले वर्ष में हम बाल देखरेख संस्थाओं से समाज की मुख्यधारा की ओर अग्रसर होने वाले इन युवाओं को हर संभव समर्थन प्रदान करने के लिये योजना तैयार कर रहे हैं। इन युवाओं को जीवन कौशल में निपुण बनाने के साथ-साथ उनका कौशल विकास और उन्हें रोजगार से जोडना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत पश्चातवर्ती देखरेख में पूर्व से शामिल किशोर-किशोरियों के पुर्नवास तथा कल्याण हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। जिनमें किशोर-किशोरियों के आवश्यकताओं व बुनियादी जरूरतों को पूरा करने हेतु प्रति किशोर प्रति माह 4,000/- रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रावधान शामिल हैं।

यूनिसेफ के बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार ने कहा कि हर वर्ष बाल देखरेख संस्थाओं से सैंकड़ों बच्चे 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरांत गृहों को छोड़कर या तो समाज की मुख्यधारा में शामिल होते है या विभाग द्वारा संचालित पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) संस्थाओं में आवासित कराये जाते हैं तथा अधिकतम 23 वर्ष की आयु के उपरांत पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) गृह को छोडकर समाज में प्रवेश करते हैं। कतिपय इन युवाओं को जीवन में संघर्ष और समाज की मुख्यधारा में समायोजित होने हेतु विभिन्न चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता हैं। इन युवा शक्तियों का समर्थन और सशक्तिकरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम में उपस्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डी0आर साहु ने कहा कि उपस्थित किशोर-किशोरियों के कल में जरूर जोखिम रहें होंगें पर सभी को अपने आज पर काम करते हुये अपने भविष्य को संवारने हेतु अग्रसर होना होगा। केयरलीवर्स को यदि किसी प्रकार के मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो विश्वविद्यालय पूरी तरह से आपके साथ है।

किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 (संशोधित 2021), की धारा 2(5), धारा 46 और नियमावली के नियम 25 के प्रावधान संस्थागत देखरेख में रहने वाले बच्चों को पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टरकेयर) की सुविधा प्रदान करते है, उक्त धारायें व नियम यह अनिवार्य बनाते हैं कि ‘‘किसी बच्चे के 18 वर्ष पूरा करने और ऐसी स्थिति में बाल देखरेख संस्था छोड़ने पर उसे निर्धारित तरीके से समाज की मुख्यधारा में पुनः एकीकरण की सुविधा प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है‘‘।

पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टरकेयर) उन सभी युवाओं/किशोर-किशोरियों हेतु है, जो अपने बचपन के दौरान किसी भी प्रकार की वैकल्पिक देखभाल अर्थात बाल देखरेख गृह में पले-बढ़े हैं और 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर उन्हें वह गृह छोड़ना पड़ता हो। देखरेख गृह छोड़, स्वतंत्र जीवन जीने की ओर बढ़ना युवाओं हेतु विभिन्न चुनौतियों के साथ-साथ अवसर प्रदान करने वाला बदलाव है क्योंकि वे अनदेखी परिस्थितियों और भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरते हैं। यह बदलाव की स्थिति एक संवेदनशील अवधि है क्योंकि यदि इस समय युवाओं को आवश्यक समर्थन नही मिला तो उनके लिए उपलब्ध अवसर उनसे छूट सकते हैं। विभाग द्वारा वर्तमान में लखनऊ में किशोरों हेतु 1 और लखनऊ, वाराणसी, मेरठ और सहारनपुर में किशोरियों हेतु 4 पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है।

पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टरकेयर) के अंतर्गत 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवाओं को बाल देखरेख संस्था छोड़ने पर उनकी शिक्षा जारी रखने हेतु समर्थन के साथ-साथ, रोजगार योग्य कौशल और प्लेसमेंट, उधोग शिक्षुता, व्यवसाय शुरू करने हेतु ऋण सहायता व समाज की मुख्यधारा में उनके पुनः एकीकरण तथा उन्हें रहने का स्थान प्रदान करने के प्रावधान है।

सवांद के दौरान पश्चातवर्ती देखरेख में शामिल लगभग 50 युवा शक्तियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में बाल संरक्षण अधिकारी यूनिसेफ दिनेश कुमार सहित विभाग की ओर से लखनऊ मंडल के उपनिदेशक प्रवीण कुमार त्रिपाठी, राज्य सलाहाकर प्रीतेश कुमार तिवारी व नीरज मिश्रा, जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह और मंडलीय तकनीकी रिसोर्स पर्सन अनिल कुमार उपस्थित रहे।