पूरी दुनिया में फैले और बिखरे पड़े हैं मानव के डीएनए, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता कि इन डीएनए का कोई गलत इस्तेमाल न कर ले, पढ़िए, पूरी रिपोर्ट
क्या हो अगर आपके डीएनए से आपकी पूरी डिटेल कोई निकाल कर ब्लैक मार्केट में बेंच दे? ये संभव भी है। क्योंकि हम इंसान पूरी धरती पर अपने डीएनए छोड़ते जा रहे हैं। हमारे गिरते बाल, त्वचा से निकलती परतें और थूक आदि। इन सब में केमिकल कोड लिखे होते हैं, जो हमारे शरीर को चलाने में मदद करते हैं।
वैज्ञानिकों को इसी बात की चिंता है कि दुनियाभर में फैले डीएनए का कोई गलत इस्तेमाल न कर लें। एक नई स्टडी के मुताबिक टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है कि इंसानों के डीएनए को हवा, पानी या जमीन कहीं से भी उठाया जा सकता है। लोगों की पर्सनल डिटेल्स का गलत हाथों में जा सकते हैं।
इस तरह की बड़ी चोरी के लिए पूरी दुनिया और इंसानियत तैयार नहीं है। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के जूलॉजिस्ट डेविड डफी कहते हैं कि हम तकनीक को ज्यादा एडवांस कर रहे हैं। यह समाज के फायदे के लिए ही होती हैं। लेकिन अगर ये गलत हाथों में पड़ जाएं तो इनका नुकसान सबको उठान पड़ सकता है।
डेविड डफी ने कहा कि हम दुनियाभर में फैले डीएनए को लेकर बढ़ रही चिंता को समय से काफी पहले सबके सामने लाना चाहते हैं। ताकि इसे लेकर नीतियां और नियम बनाए जा सकें। धरती की सतह पर पेड़-पौधों, जानवरों और इंसानों के डीएनए विभिन्न माध्यमों से फैले हुए हैं। जिसे वैज्ञानिक 'e' DNA यानी एनवायरमेंटल डीएनए कहते हैं।
तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि अगर एक eDNA का छोटा सा टुकड़ा भी हाथ लग जाए तो उसकी सिक्वेंसिंग करके पूरे इकोलॉजी के जीवों का इतिहास निकाला जा सकता है। साथ ही यह भी पता किया जा सकता है कि उस जगह पर किस तरह के जीव मौजूद हैं।
यह भी पता चल सकता है कि यह डीएनए जिस जीव का है उसके आसपास की आबादी में किस तरह की बीमारी फैली है। आबादी का बीमारी के साथ किस तरह का रिश्ता है। कितनी बार बीमार हुए हैं लोग या जीव। किस तरह की संक्रामक बीमारियां टिकी हुई हैं।
इसका बड़ा उदाहरण है पौराणिक समुद्री शैतान लॉच नेस का डीएनए खोजने की कोशिश की थी। हालांकि उसे खोजने के चक्कर में कई और बड़े खोज हो गए। लोग जेनेटिक सीक्रेट्स जान गए. डीएनए सिक्वेसिंग के पुरानी पद्धत्तियां बेहद जटिल थी। लेकिन अब eDNA की सिक्वेंसिंग को शॉटगन सिक्वेंसिंग कहते हैं।
इस काम में डेविड डफी और उनकी टीम मास्टर है। इन लोगों ने आयरलैंड से पानी और रेत का सैंपल लिया। सैंपल को फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के व्हीटनी लेबोरेटरी फॉर मरीन बायोसाइंसेस एंड सी टर्टल हॉस्पिटल लेकर गए। जहां से सैंपल लिए गए वहां पर इंसान नहीं रहते। ये बेहद सुदूर इलाके से लाया गया सैंपल था।
लेकिन जब डेविड और उनकी टीम ने स्टडी की तो सैंपल में इंसानी डीएनए के टुकड़े पाए गए। फिर उन्होंने अपने जीन्स की जांच की, कहीं ये टुकड़े उनके शरीर से तो नहीं गिरे थे। लेकिन ये उनके भी नहीं थे। सी टर्टल हॉस्पिटल में हवाओं से लिए गए सैंपल में भी eDNA मिला।
डेविड कहते हैं कि सैंपल जहां से भी जुटाए गए। उनकी गुणवत्ता ठीक वैसी ही थी जैसे हम किसी इंसान से उसका डीएनए लेते हैं। सोचिए कि अगर इस तरह से कोई डीएनए सैंपल जुटाकर उसका दुरुपयोग करे तो कितना नुकसान होगा। समाज को भी और पूरी धरती को भी। यह स्टडी हाल ही में नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में छपी है।
May 17 2023, 19:28