*सीमेंट कंपनी द्वारा किए जा रहे जल दोहन के खिलाफ दस वर्षों से उठाया जा रहा आवाज, अबतक नही हुई कोई कार्रवाई, महागठबंधन के नेताओ ने मामले को लेकर
औरंगाबाद : शहर के बियाडा में पिछले दस वषों से स्थापित श्री सीमेंट कंपनी के खिलाफ लगातार जल दोहन को लेकर देश की विभिन्न राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन एवं आम आवाम ने आवाज उठाई है।इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ में हमले तेज हुए।लेकिन मानसून आते आते मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है और फिर गर्मी होते ही उसकी पुनः पुनरावृति होने लगती है। लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात वाली ही नजर आती है।
श्री सीमेंट के खिलाफ आंदोलन करने वाले यह जरूर कहते है कि वे प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं है।वे चाहते हैं कि प्रोजेक्ट रहे क्योंकि इससे हमारे जिले के हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध हुई है। लेकिन कंपनी कई मानकों पर खरा नहीं उतर रही है।
हालांकि कंपनी के जलदोहन के विरुद्ध विधान परिषद में भी विधान पार्षद दिलीप कुमार सिंह ने सवाल उठाया है और कई लोगों के द्वारा इसको लेकर पीएलआई भी दायर की गई है। मामला अदालत में चल भी रहा है।
लोजपा(रा) के प्रदेश सह संगठन मंत्री कुमार सौरभ सिंह की माने तो उन्होंने बताया कि कंपनी ने इस बात को स्वीकार भी किया है कि उसके द्वारा कितना पानी लिया जा रहा है।लेकिन जितनी पानी की खपत प्लांट के द्वारा की जा रही है वह खतरनाक स्थिति में है। उन्होंने कहा कि कंपनी के अधिकारियों को अब अदालत में आकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
रविवार को यह मुद्दा एक बार फिर गरमा गया जब रफीगंज के पूर्व विधायक सह जदयू के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने महागठबंधन के सात दलों के साथ मिलकर संयुक्त प्रेसवार्ता कर कंपनी पर हमला बोला है और पेयजल संकट पर महागठबंधन के नेताओं ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का शंखनाद किया है और कड़े शब्दों में हिदायत भी दी है कि सीमेंट कंपनी तय मानदंडों के अनुसार पानी ले अन्यथा महागठबंधन सड़कों पर उतरने को बाध्य होगा।
महागठबंधन की साझा प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ सुरेश पासवान एवं पूर्व विधायक सह जदयू जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने जल संकट की समस्या का कारण कंपनी के द्वारा किए जा रहे जल दोहन को बताया है और सुझाव देते हुए कहा कि श्री सीमेंट प्लांट को शहर से दूर जिला में ही जहां खाली जमीन उपलब्ध है तथा आमजनों की बसावट नहीं है ऐसे स्थान पर अवस्थित कराया जाए।
नेताद्वय ने कहा कि शहर में भीषण पेयजल संकट उत्पन्न हो गई है। शहर के अलावा आसपास के गांवों में भी पेयजल की विकट स्थिति उत्पन्न हो गई हैं। भीषण गर्मी में जलस्तर भूमिगत हो जाने की वजह से पीने के पानी को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। कई स्थानों पर चापाकल से लेकर मोटर पंप तक जवाब दे चुके है, जिसका नतीजा है कि जिले के घरों तक लोग अपने निजी पैसे से टैंकर के माध्यम से पीने के पानी जैसे तैसे उपलब्ध कर रहे है।
भीषण गर्मी की वजह से हालात यह है कि शहर तो शहर अनेकों गांवों में लोग पीने के पानी के लिए भटक रहे हैं।
बताया गया कि कंपनी का सरकार के साथ जो एग्रीमेंट था, वह सोन नदी से पाइप लाइन के माध्यम से पानी लेने को लेकर था। लेकिन आज तक सीमेंट प्लांट के अधिकारियों ने सोन नदी से पाइप लाईन नहीं लगवाया।
सोन नदी से पाइप लाइन के माध्यम से पानी लेने के बजाए प्लांट में डिप बोरिंग जमीन से करवा कर पानी ले रही है उसके कारण पेयजल का संकट हो रहा है। ऐसी स्थिति में हम सरकार से मांग करते है कि तत्काल प्रभाव से सोन नदी से पानी लाने की व्यवस्था करे।
साझा प्रेसवार्ता में यह भी मामला उठाया गया कि प्लांट से निकलने वाले प्रदुषित डस्ट की वजह से आम लोगों के जन जीवन एवं स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। शहर के अगल-बगल गांव में बीमारी बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं प्लांट के समीप सड़क किनारे लंबी कतार में खड़ी भारी वाहनों की वजह से लग रही जाम से लोगों को परेशानियां तो होती ही है, साथ ही एम्बुलेंस में जा रहें मरीज तड़पते रह जाते है।
जिले के प्रमुख रेल स्टेशनों में एक अनुग्रह नारायण रेलवे स्टेशन जाने वाले लोगों के पसीने छूट जाते है। आलम यह है कि ट्रकों की लंबी जाम से छुटकारा नही मिल पाता है।रोजाना जाम की समस्याओं से लोगों को घंटों जुझना पड़ता है। समस्या हर दिन विकराल बनती जा रही है, क्योंकि वाहनों को प्लांट के समीप सड़क पर ही आड़े-तिरछे खड़े कर चालक रोजाना घंटो तक गायब हो जाते है।
इस प्रेसवार्ता के दौरान राजद जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अरविंद सिंह, सीपीएम जिला सचिव महेंद्र यादव, सीपीआई जिला सचिव उपेंद्र शर्मा, भाकपा माले जिला अध्यक्ष मुनारिक राम, राजद प्रदेश महासचिव कौलेश्वर प्रसाद यादव ,जदयु प्रवक्ता सह काराकाट सांसद प्रतिनिधि राजीव रंजन सिंह उर्फ राजा बाबू समेत महागठबंधन के कई नेता उपस्थित रहे।
वही कंपनी के अधिकारियों की माने तो उन्होंने बताया कि सीमेंट फैक्ट्री के एग्रीमेंट में कही भी ऐसा नहीं है कि उसे पानी कही से लाना है।लोग बे वजह इस मुद्दे को उठाते है।दो दो बार एनजीटी की टीम के द्वारा जांच भी किया गया है और कंपनी को मानकों पर खरा पाया है। अधिकारियों ने बताया कि कंपनी परिसर में मात्र 6 बोरिंग है जो जल नीति के मानकों के अनुसार है।इस बोरिंग से कितने पानी की खपत होती है उसकी जानकारी न तो सिर्फ संबंधित विभाग को है बल्कि सरकार को भी है।
उन्होंने बताया कि कंपनी परिसर में पानी का रिसायकिल भी किया जाता है।
बताया गया कि कंपनी द्वारा लगाए गए बोरिंग से परिसर में लगाए गए पौधों में पानी पटाए जाते है। आग लगने पर दमकल की गाड़ी से आग बुझाए जाते हैं। प्रतिदिन आने वाले हजारों ट्रक चालकों के लिए और प्लांट में काम करने वाले लोगों के लिए जल आपूर्ति की जाती है।साथ ही साथ परिसर में कर्मियों एवं अधिकारियों के लिए बनाए गए आवासीय परिसर में जल की व्यवस्था की जाती है।
नेताओं के द्वारा प्रदूषण पर उठाए गए सवाल पर अधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए एनजीटी के मानकों का पूरा ख्याल रखा गया है। यदि प्लांट पर्यावरण को प्रदूषित करती तो यहां परिसर में हजारों परिवार कैसे रह रहे हैं।यदि वातावरण प्रदूषित होता तो सबसे पहले यहां के अधिकारी एवं कर्मी के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता।
अधिकारियों ने बताया कि पानी की बरबादी जिले में चल रहे सैकड़ों आरओ प्लांट के द्वारा तथा विभिन्न मोटर कंपनियों द्वारा बनाए गए सर्विस सेंटर द्वारा किया जा रहा है।जो प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी की खपत करते है और वह व्यर्थ में बह जाता है।परंतु इस पर कोई आवाज नहीं उठाता।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
May 17 2023, 17:57