बेतिया अस्सी के दशक के दलित शोषितों के मसीहा समाजसेवी अंबिका प्रसाद सिंह के निधन से गमगीन हुआ माहौल
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पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने कभी चंपारण का गांधी के खिताब से नवाजा था.
बगहा ।“तुम चले तो, साथ देने को बहारें चल पड़ी, हम चले तो राह के गुल भी कंटीले हो गये” के तर्ज़ पर पश्चिम चम्पारण के नामचीन शख्सियत अम्बिका सिंह शनिवार को दिन के ग्यारह बजकर चालीस मिनट पर अचानक करिश्मायी अंदाज़ में अपनी आँखे सदा के लिए मूंद लिए। जानकारी के मुताबिक सुबह अपने घर ओझवलिया से किसी विशेष कार्य हेतु गोरखपुर के लिए ट्रेन पकड़ने निकले अम्बिका बाबू पर बगहा रेलवे स्टेशन पर दिन के करीब सवा ग्यारह बजे अचानक काल ने अपना पाशा फेंक दिया। जानकारों के अनुसार आज बड़े हीं प्रसन्न चित्त इस समाजसेवी ने अपने करीबी जनों क्रमशः गजेंद्र सिंह,अधिवक्ता प्रकाश यादव सरीखे लोगों से बगहा कचहरी जाकर विधिवत मुलाक़ात करते रेलवे स्टेशन ट्रेन पकड़ने के लिए प्लेटफार्म नंबर एक पहुंचे हीं थे की,अचानक गिर पड़े। कोई कुछ समझ पाता, अचेत अवस्था में अस्सी दशक के शोषित दलितों के इस मसीहा को एक गुमनाम शख्सियत की भांति राजकीय रेलवे पुलिस ने इनके एक सहयोगी के हवाले से अनुमंडलीय अस्पताल बगहा आनन फानन में पहुँचवाया। परन्तु आपातकालीन उपचार जबतक प्रारम्भ होता उन्होंने सदा के लिए आँखे मूंद ली। अचानक हुई मौत से आम तबके में खलबली सी मची और देर रात्रि तक इनके चहेते लोगों का इनके निवास पर आने जाने और संवेदना व्यक्त करने का ताँता लगा रहा। बतादें,अन्याय के खिलाफ सदैव से जेहादी गिने जाने वाले पश्चिम चम्पारण के इस समाजसेवी ने पांच संतानों में बहरहाल दो पुत्र और दो पुत्रीयों का भरा पूरा परिवार छोड़ा है। इनके संतानों में सबसे ज्येष्ठ इनकी एक पुत्री अर्चना राव डेढ़ साल पूर्व काल कलवित हो चली हैं। इनके ज्येष्ठ पुत्र अमरेश सिंह अमिट लेख के संपादक और प्रकाशक हैं। जबकि एक पुत्र अमितेश सिंह किसानी के कार्य में अभिरूचि रखते तो तीसरी संतान वंदना सिंह भीतहां प्रखंड के खैरवां राजकीय उतक्रमित हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रधान शिक्षक हैं और सबसे छोटी पुत्री अपर्णा सिंह फरीदाबाद में सेटल्ड हैं।
बतातें चलें कि अस्सी के दशक में दबे कुचलों के होंठों पर मुस्कान बिखेने वाले अंबिका सिंह को बिहार के छोटे साहब भूतपूर्व बिहार के सीएम सत्येंद्र नारायण सिंह के सानिध्य में राजनीति में कदम रखा था । इनके राजनीति की धार को देखकर कभी पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने इन्हें चंपारण के गांधी के खिताब से भी नवाजा था। आखिर अंबिका सिंह गरीबों के होठों पर मुस्कान बिखेने के संघर्षपूर्ण जीवन को अलविदा कह आंखे मूंद ली लोगो को रोता बिलखता छोड़ गए ।
May 16 2023, 12:46