एसएसबी 44 वाहिनी ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सीमा चौकी नगरदेही में "राजकीय मध्य विद्यालय भंगाहा" के छात्र/छात्राओं का कराया बॉर्डर भ्रमण

     

नरकटियागंज : 44 वाहिनी सशस्त्र सीमा बल ने आज 4 मई को ’एकता’ के तहत आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सीमा चौकी नगरदेही में "राजकीय मध्य विद्यालय भंगाहा" के छात्र/छात्राओं सहित अध्यापकों का भारत–नेपाल सीमा पर भ्रमण करते हुए बल के कार्यों की विस्तृत जानकारी दिया गया। 

साथ ही बच्चों के भ्रमण कार्यक्रम के दौरान नशे से दूर रहने हेतु, सीमा स्तंभ, SSB/CAPFs में भर्ती होने हेतु जानकारी देते हुए, भारत नेपाल के बीच आपसी मित्रवत संबंध को बताया गया। जिससे छात्र/छात्राओं सहित अध्यापकों ने गर्व महसूस करते हुए SSB की तारीफ करते हुए आभार जताया। 

वहीं कई छात्र/छात्राओं का कहना है कि हम बल में शामिल हो कर अपने देश का नाम ऊंचा करेंगे। 

स्कूल के प्रिंसिपल मुस्ताक आलम ने बताया कि कार्यक्रम से देश प्रेम के साथ बच्चों का मनोबल बढ़ता है। 

इस मौके पर स्कूल के लगभग 50 बच्चों सहित अध्यापक गण एवं 44वाहिनी के 12 बल कार्मिक उपस्थित रहे।

नौतन पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर चंद्रावत नदी के किनारे से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद किया

बेतिया पुलिस अधीक्षक अमरकेश डी ने बताया कि नौतन पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि कुछ शराब तस्करों द्वारा उत्तर प्रदेश से विदेशी शराब एक बड़ी खेप लाकर चंद्रावत नदी के किनारे पुआल कि पूंज में छिपाकर रखा गया है

नौतन पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर चंद्रावत नदी के किनारे से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद किया है ।उक्त जानकारी देते बेतिया पुलिस अधीक्षक अमरकेश डी ने बताया कि नौतन पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि कुछ शराब तस्करों द्वारा उत्तर प्रदेश से विदेशी शराब एक बड़ी खेप लाकर चंद्रावत नदी के किनारे पुआल कि पूंज में छिपाकर रखा गया है ,जिसे मोतिहारी ले जाया जाएगा ।सूचना के आलोक में नौतन थाना अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने अपने नेतृत्व में एक टीम गठित कर त्वरित कार्रवाई करते हुए छापामारी कर भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद किया। पुलिस में चंद्रावत नदी के किनारे पुआल के पुंज में छुपाकर रखे गए विदेशी शराब 8:00 पीएम 180 ईमेल का 3552 टेट्रा पैक एवं रॉयल स्टैग 750ml का 48 बोतल बरामद किया है ।छापामारी टीम में दरोगा बबलू यादव,सतेंद्र सिंह एवं प्रशिक्षु दरोगा कुमारी अंकित आदि शामिल थे।

जन सुराज पश्चिम चंपारण जिला कार्यालय में मनाया गया 'जन सुराज संकल्प दिवस'

जन सुराज अभियान के तहत 2 मई को पश्चिम चंपारण के बेतिया स्थित जिला कार्यालय में संकल्प दिवस मनाया गया। जिला पदाधिकारियों ने बैठक में जन सुराज के संगठन विस्तार व आगामी भूमिकाओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए। एमएलसी अफाक अहमद ने कार्यालय में मौजूद लोगों को संकल्प दिवस की बधाई दी और साथ मिलकर जन सुराज के विचारों को आम जनता तक पहुंचाने का संकल्प लिया। जन सुराज अभियान से निरंतर हर वर्ग के लोग जुड़ रहे हैं। जन सुराज पश्चिम चंपारण के सभापति तुलसी चौधरी और अध्यक्ष बिकई महतो मौजूद थे।

11 मई से पश्चिम चंपारण के 18 प्रखंडों के सभी गांवों में अभियान चला कर जन सुराज के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा

जन सुराज कार्यालय में अफाक अहमद ने बताया कि आगामी 11 मई से पश्चिम चंपारण के 18 प्रखंडों के सभी गांवों में अभियान चला कर जन सुराज के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही जन सुराज संकल्प दिवस के दिन 100 से भी अधिक जिले के गणमान्य लोग जन सुराज में शामिल हुए। जन सुराज में शामिल होने वाले प्रमुख लोगों में आमीलाल रविदास पूर्व बसपा जिला अध्यक्ष, पन्नालाल पटेल, हरिलाल राम, शेषनाथ राम, रामनारायण पासवान और इसके साथ सेंकड़ों बसपा के लोग जन सुराज में हुए शामिल।

आज के इस संकल्प दिवस में जन सुराज अभियान को मजबूती प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक में तय किया गया कि सभी सदस्य कम से कम 7 दिन पदयात्रा में शामिल होंगे और सभी सदस्य अपने घरों पर जन सुराज का झंडा फहराएंगे। इसके साथ ही जन सुराज अभियान में और लोगों को जोड़ने और अभियान की सोच को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।

मई दिवस के अवसर पर मारवाड़ी महिला समिति द्वारा बेतिया में मजदूरों को दिया गया अंगवस्त्र

बेतिया : अखिल भारतीय माड़वारी महिला समिति , पश्चिम चम्पारण द्वारा बेतिया में राज ड्योढी स्थित तांगा कल्याण चालक संघ के विश्रामालय में मजदूरों को अंगवस्त्र दिया गया। 

इस समारोह में महिला समिति की प्रांतीय उपाध्यक्ष रानी झुनझूनवाला, जिलाध्यक्ष इंदिरा पोद्दार, कंचन काजोरिया, रूपा सिंघानिया, ममता उदयपुरिया, प्रियातोला आदि महिला नेत्री शामिल थी।

इस अवसर पर बोलते हुए बिहार प्रांतीय मारवाड़ी महिला समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती रानी झुनझुनवाला ने बताया की मजदूर वर्ग कठिन परिश्रम करके आज समाज को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। हमें इनके श्रम शक्ति पर नाज है इन्हीं के श्रम शक्ति के बदौलत देश का विकास भी संभव है। आज उनके ऐतिहासिक उत्सव मई दिवस में हम सब पधार कर सही मायने में अपने आप गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

आगे भी हमारी कोशिश होगी कि हम इनके बीच आते रहें।

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस

समाज के अंतिम पायदान के हर व्यक्ति को सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराना आधुनिक समाज, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व बिरादरी की जिम्मेवारी।           

  आज दिनांक 1 मई 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ महबूब रहमान ने संयुक्त रूप से दुनिया भर में विगत वर्षों में काम के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर उन्होंने आधुनिक सभ्य समाज, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व बिरादरी से समाज के अंतिम पायदान के हर व्यक्ति को सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराने की वकालत करते हुए कहा कि

दुनिया में सबसे ज़्यादा बंधुआ मजदूर एशिया एवं अफ्रीका है।. विश्व में करोड़ों लोग "आधुनिक गुलामी" में जीवन जी रहे थे. यानी औसतन एक हज़ार में से छह को अपने काम का मेहनताना नहीं मिल रहा था।

 साल 2020 के सर्वे के मुताबिक महामारी की वजह से मजदूरों के कर्ज़ में फंसने का जोख़िम तीन गुना बढ़ गया है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार साल 2016 में दुनिया भर में 4 करोड़ से ज़्यादा लोग बंधुआ मज़दूरी का शिकार थे।

 दुनिया में बाल मज़दूरों की तादाद बढ़कर 16 करोड़ हो गई है. रिपोर्ट ये भी आगाह करती है कि कोविड-19 महामारी के असर से इस संख्या में साल 2022 के अंत तक 90 लाख तक का इजाफा हुआ।

सरकार के अपने आँकड़े बताते हैं कि देश के कुल श्रमिकों में से 93 फीसदी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. यानी उनके लिए न्यूनतम वेतन जैसी सामाजिक सुरक्षा के हक पाना और मुश्किल है।

 "देश में करोड़ों शहरी असंगठित मज़दूर और ग्रामीण खेत मज़दूर है जो किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते. आज तक हम खेत मज़दूरों के लिए एक केंद्रीय क़ानून नहीं बना पाए हैं. इसलिए मज़दूर दिवस न केवल अधिक प्रासंगिक हो गया है बल्कि हमारी पीढ़ी की ज़िम्मेदारी बन गया।

दुनिया भर की समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के संगठन ने साल 1889 के पेरिस सम्मेलन में मज़दूरों के हक़ों की आवाज़ बुलंद करने के लिए 1 मई का दिन चुना था।ये पश्चिम में औद्योगीकरण का दौर था और मज़दूरों से सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम करने की उम्मीद की जाती थी.

 अक्टूबर 1884 में अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज़्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने तय किया कि मज़दूर 1 मई, 1886 के बाद रोज़ाना 8 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करेंगे. जब वो दिन आया तो अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों श्रमिक हड़ताल पर चले गए।इन विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में शिकागो था. यहां दो दिन तक हड़ताल शांतिप्रिय तरीके से चली.

 लेकिन तीन मई की शाम को मैकॉर्मिक हार्वेस्टिंग मशीन कंपनी के बाहर भड़की हिंसा में दो मज़दूर पुलिस फायरिंग में मारे गए थे।अगले दिन फिर दोनों पक्षों के बीच झड़पें हुईं जिनमें 7 पुलिसवालों समेत 12 लोगों को जान गँवानी पड़ी. इसी वजह से 1 मई का दिन चुना था. शुरुआत में दुनिया भर के मज़दूरों से सिर्फ रोज़ाना 8 घंटे काम की मांग को लेकर एकजुट होने के लिए कहा गया था.

इसके बाद 1889 से लेकर 1890 तक अलग अलग देशों में मज़दूरों ने प्रदर्शन किए. ब्रिटेन के हाइड पार्क में 1890 की पहली मई को तीन लाख मज़दूरों 8 घंटे काम की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे. जैसे-जैसे वक्त बीता ये दिन श्रमिकों के बाकी अधिकारों की तरफ ध्यान दिलाने का भी एक मौका बन गया।

अंग्रेजों के अत्याचार एवं नील के खेती के अभिशाप से चंपारण के किसानों मजदूरों एवं आम जनमानस के 106 वर्ष पूरे ।

नील खेती के अभिशाप से मुक्ति को ले महात्मा गांधी कस्तूरबा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों ने किया आंदोलनों का संचालन।

 नील के अभिशाप एवं मुक्ति के विषय पर आम जनता को विभिन्न ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई गई।

 सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में गांधीवादी चिंतकों एवं विचारकों के साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, कला मंच की जिला संयोजक शाहीन परवीन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं नील की खेती से चंपारण की किसानों के मुक्ति के 106 वर्ष पर प्रकाश डाला।

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डा. एजाज अहमद ने कहा कि पहली मई 1918 को लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल ने कानूनी तौर पर नील की खेती को प्रतिबंधित कर दिया। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा पूरे चंपारण एवं राज्य के विभिन्न हिस्सों में एक वर्ष तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं नील की अभिशाप एवं मुक्ति के विषय पर जन जागरण द्वारा आम जनता को विभिन्न ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के डॉ अमित कुमार लोहिया, डॉ शाहनवाज अली ने कहा कि नील के अभिशाप से मुक्ति के लगभग 30 वर्ष बाद ही भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया।

नील की खेती के अभिशाप से मुक्ति के प्रेरित होकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च एवं भारत छोड़ो जैसे विभिन्न आंदोलनों का संचालन किया। इस दौरान स्कूली बच्चों के बीच सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव कुपोषण, संप्रदायिकता, महामारी, गरीबी, अशिक्षा, गंदगी जैसे दानव से समाज को मुक्त करने का संकल्प लिया गया। साथ ही पॉलिथीन एवं प्लास्टिक का पूर्ण बहिष्कार किया गया।

तेज रफ्तार बस ने बाइक मे मारी टक्कर, महिला समेत दो की मौके पर मौत

बगहा : अनुमंडल में रफ़्तार के कहर ने बाइक सवार दो लोगों की जान ले लिया। घटना बगहा हरनाटांड़ मुख्य मार्ग पर तिनफेडिया के समीप की है जहां सड़क हादसे में बाइक सवार दो लोगो की दर्दनाक मौत हो गई है।

बताया जा रहा है कि दोनों इलाज के लिए बेतिया की ओर से हहरनाटांड़ जा रहे थे। हालांकि दोनों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। मृत युवक के पॉकेट से एक दवा इलाज़ की पर्ची मिली है। जिस पर तरकुला आलम योगापट्टी लिखा हुआ है। मरने वालों में एक महिला और एक पुरुष शामिल है। जिस बाइक से दोनों जा रहे थे उसका रजिस्ट्रेशन नंबर बीआर 22 ए के 8972 है।

दरअसल बाइक और बस के आमने सामने की टक्कर में बाइक सवार और चालक की मौक़े पर ही मौत हो गई है। लव कुश नामक बस की चपेट में आने से बाइक सवार दोनों की मौत हुई है।

इस मामले में लौकरियां थानाध्यक्ष अभय कुमार ने बताया कि सूचना मिलने के साथ ही शवों को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल बगहा भेजा जा रहा है। पॉकेट से मिली पर्ची के आधार पर संबंधित थाना को इसकी सूचना दे दी गई है। बाइक पर 2 लोग सवार थे जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल हैं। पुलिस द्वारा मामले की तहकीकात औऱ आगे की कार्रवाई की जा रही है।

थारू आदिवासियों की अनोखी परंपरा, प्राकृतिक आपदा व महामारी से बचाव के लिए बैसाख महीने में 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं ग्रामीण

बगहा : अनुमंडल के उत्तरप्रदेश व नेपाल सीमा पर स्थित नौरंगिया दरदरी के थारू आदिवासी बहुल इलाकों के ग्रामीण बैसाख महीने की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं। यह परंपरा प्राकृतिक आपदा व महामारी से निजात दिलाने को लेकर सदियों से चली आ रही है।

बता दें,पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत बगहा के नौरंगिया गांव में एक अनोखी प्रथा का पालन किया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस गांव के लोग हर साल बैसाख की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं,जैसे भगवान राम 14 साल की वनवास में गए थे,उसी तरह थारू आदिवासी समुदाय के लोग भी इसी परंपरा का वर्षों से निर्वाह कर रहें हैं। 

बतातें चलें कि उत्तरप्रदेश व नेपाल सीमा पर स्थित नौरंगिया दरदरी गांव के थारू समुदाय बहुल लोग एक दिन के लिए अपना पूरा गांव छोड़कर 12 घंटे के लिए जंगल में चले जाते हैं। स्थानीय लोग न केवल खुद बल्कि अपने पालतू जानवरों को भी अपने साथ ले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें देवी के प्रकोप से छुटकारा मिलता है। 

कहा जाता है कि गांव कई साल पहले प्राकृतिक आपदाओं और महामारियों से पीड़ित था। यही नहीं यहां हैजा और चेचक का भी प्रकोप था। गांव में कई बार आग भी लग जाया करती थी तब से समुदाय के लोग इससे मुक्ति को लेकर पूजा आराधना करने के लिए वनवास पर चले जाते हैं।

बगहा अनुमंडलीय अस्पताल के डॉ. चंचल बाला के सेवानिवृत्ति होने पर चिकित्सक और कर्मियों ने दी विदाई

बगहा : कमल नाथ तिवारी बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में कई वर्षों तक अपनी सेवा देती रही। स्त्री विशेषज्ञ डॉ चंचल बाला रविवार को सेवानिवृत्त होने पर डॉक्टर और कर्मियों ने मिलकर विदाई दी। डॉक्टर चंचल बाला के सेवानिवृत्त होने पर सहयोगी डॉक्टरों और कर्मियों ने नम आंखों से विदाई दी। 

डॉ. चंचल बाला ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने अनुभव को सहयोगी डाक्टर और कर्मियों से शेयर किया। साथ ही सभी कर्मियों को अपने कार्यकाल के द्वारा सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया। इस मौके पर अस्पताल के उपाधीक्षक डा के बी एन सिंह, डा एसपी अग्रवाल, डा मोहम्मद तारिक नदीम, डा संदीप कुमार, के साथ अस्पताल के एएनएम, जीएनएम कर्मी आदि मौजूद थे। 

सभी ने डाक्टर चंचल बाला के कार्यकाल की तारीख की और सेवानिवृत्त होने पर सभी ने उन्हें उपहार और माला पहनाकर उन्हें विदाई दी।

मझौलिया अमवा मझार पंचायत में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का किया शुभारंभ...

सभा को संबोधित करते हुए ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि प्रत्येक भारतवासी को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ मिले।

मझौलिया प्रखंड क्षेत्र के अमवा मझार पंचायत में जिला पार्षद कविता भारतीय पति दीपू कुशवाहा के निवास स्थान परिसर में

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर भाजपा सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल , पूर्व जिला अध्यक्ष दीपेंद्र सर्राफ , यूथ बिग्रेड के जिला अध्यक्ष रूपेश कुमार सिंह तथा भाजपा मंडल अध्यक्ष दीपू कुशवाहा ने संयुक्त रूप से किया।

इस दौरान स्वास्थ्य कार्ड बनवाने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी ।सभा को संबोधित करते हुए भाजपा सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि प्रत्येक भारतवासी को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ मिले। इस योजना के तहत हर गरीबों को आयुष्मान कार्ड मिलेगा।

जिसमें इमरजेंसी , ऑपरेशन , इलाज , दवा रहने और खाना की सुविधा आदि पूरी तरह आयुष्मान कार्ड से सुविधा मिलेगा। प्राइवेट या सरकारी अस्पतालों में कैशलेस इलाज होगा। पांच लाख रुपए प्रतिवर्ष मुफ्त इलाज के लिए दिया जाएगा ।उन्होंने उपस्थित लोगों से आयुष्मान कार्ड बनवाने की सलाह दी।

भाजपा मंडल अध्यक्ष दीपू कुशवाहा ने अपने संबोधन में बताया कि 10 करोड़ से अधिक चयनित परिवारों तथा 50 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को स्वास्थ्य कार्ड का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि जन सेवा संस्थान के प्रवीण भारद्वाज की टीम द्वारा अमवा मझार में आयुष्मान कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जो पूरी तरह निशुल्क है।

कार्यक्रम के दौरान आगंतुक अतिथियों को स्वागत कर फूल माला पहनाकर तथा अंग वस्त्र प्रदान कर किया गया।

इस अवसर पर प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष सत्य प्रकाश , पैक्स अध्यक्ष प्रभात मेहता , प्रताप मेहता , प्रेम शाह , संजय सिंह , कमल मुखिया , राम दर्शन सिंह , जितेंद्र कुमार , लक्ष्मी ठाकुर, हिरदया पटेल , प्रिंस कुमार , अरुण पटेल , मुनीलाल प्रसाद , शंभू भारती , शांति देवी , माला देवी , सोना देवी , ज्ञानती देवी , सीता देवी ,अकली देवी , मुन्नी देवी , अनीता देवी , सुजीत कुमार आदि उपस्थित थे