प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, क्यों हो रही इसे पूरी तरह से रद्द करने की मांग ?

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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991, भारत सरकार द्वारा पारित एक ऐतिहासिक कानून है, जिसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों के मामलों में सांप्रदायिक सौहार्द और स्थिरता बनाए रखना था। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी धार्मिक स्थल की धार्मिक स्थिति, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को था, वैसी ही बनी रहे। इस एक्ट के तहत, धार्मिक स्थलों के स्वरूप, स्थिति, या स्वरूप में बदलाव करने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि धार्मिक स्थलों को लेकर किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो। 

एक्ट का उद्देश्य

इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य यह था कि किसी भी धार्मिक स्थल को बदलने या उसमें किसी प्रकार के विवाद को जन्म देने की संभावना को समाप्त किया जाए। इसका लागू होने के बाद, जो भी धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस रूप में था, वही उसकी स्थिति मानी जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर किसी मस्जिद, मंदिर या चर्च का रूप तब कुछ था, तो उसे बदलने का प्रयास अब कानूनी रूप से अवैध होगा। 

यह कानून विशेष रूप से उन विवादों को रोकने के लिए लाया गया था जो ऐतिहासिक रूप से धार्मिक स्थलों के आसपास उत्पन्न होते रहे थे, जैसे कि बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद। इसका उद्देश्य समाज में धार्मिक तनाव को कम करना और सभी धर्मों के अनुयायियों के बीच भाईचारे और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देना था। 

क्यों हो रही है रद्द करने की मांग?

हालांकि इस कानून के निर्माण का उद्देश्य समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखना था, लेकिन वर्तमान में कई समूहों और राजनेताओं द्वारा इसे पूरी तरह से रद्द करने की मांग की जा रही है। इन मांगों के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

1. धार्मिक स्थलों का ऐतिहासिक विवाद: कई लोग यह मानते हैं कि इस एक्ट के कारण कुछ धार्मिक स्थलों से जुड़े ऐतिहासिक विवादों का समाधान नहीं हो पा रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ स्थानों पर यह सवाल उठता है कि क्या वहां पहले कोई मंदिर था या मस्जिद, और इस एक्ट के कारण इन विवादों को कानूनी रूप से निपटाने में समस्या आ रही है।

2. धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रश्न: कुछ धार्मिक और राजनीतिक समूहों का यह मानना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है। उनका कहना है कि अगर किसी धार्मिक स्थल के ऐतिहासिक संदर्भ में बदलाव हुआ हो, तो उसके बारे में कानूनी रूप से विवाद न सुलझाना किसी धर्म या संस्कृति के अनुयायियों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

3. राजनीतिक और सामाजिक दबाव: कुछ समूहों का तर्क है कि इस एक्ट का प्रयोग राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ समूहों का कहना है कि यह कानून उन धार्मिक स्थानों के इतिहास को दबाने में मदद करता है, जो उनके अनुसार अस्वीकार्य हैं। यह विचारधारात्मक और राजनीतिक संघर्षों के कारण विवाद का कारण बन सकता है।

4. भविष्य के विवादों को हल करने में दिक्कतें: इस एक्ट के कारण, भविष्य में किसी भी धार्मिक स्थल से जुड़े विवादों का समाधान करने में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि यह कानून किसी भी परिवर्तन की अनुमति नहीं देता है। इसे लेकर कुछ लोग यह महसूस करते हैं कि यह विवादों को सुलझाने के बजाय और बढ़ा सकता है।

क्या हो सकता है आगे?

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर चल रही बहस और विरोध के बावजूद, यह कानून अभी तक कायम है। हालांकि, इस पर चर्चा और आलोचना लगातार जारी है। अगर इसे पूरी तरह से रद्द किया जाता है, तो इससे भविष्य में धार्मिक स्थलों के विवादों के समाधान के तरीकों में बदलाव हो सकता है, और शायद इसे लेकर नई कानूनी पहल की आवश्यकता महसूस हो सकती है। यह कहना मुश्किल है कि इस एक्ट को पूरी तरह से रद्द किया जाएगा या नहीं, लेकिन इसे लेकर भविष्य में और अधिक राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विमर्श की संभावना बनी रहेगी।

How India’s Favourite Kunafa World won the Kunafa Chocolate Bar Trend

 

The chocolate kunafa bar has been a sweet sensation in recent months. Originally gaining viral fame in the UAE, this sweet twist on the traditional kunafa has made its way to India, quickly becoming a major hit. With its perfect blend of textures and flavors, the chocolate kunafa bar has become a favorite dessert among food enthusiasts and sweet lovers alike. Even though many places now offer their own version of the chocolate kunafa bar, Kunafa World has set itself apart by delivering the best one, and the best part, they deliver all around India, ensuring that everyone can have a bite of this delicious treat.Founders of Kunafa World, Jameela Ruhi and Zamzeer Ahamed, started their journey with a simple idea sparked over a homemade dessert. When Jameela served her husband a delicious kunafa, Zamzeer saw the potential for it to become a crowd-pleaser. They launched their business online in Mangalore, and it quickly gained popularity. Their big break came on Shark Tank India, where their kunafa-focused concept wowed the judges. Today, Kunafa World is India’s first kunafa-centric quick-service restaurant (QSR), offering over 30 varieties, including the introduction of viral chocolate kunafa bar in India, and has expanded to five states across India.

Kunafa, a Middle Eastern dish known for its crispy phyllo layers and rich fillings, has always had its admirers. But adding a chocolatey twist was a game changer. The chocolate bar from Kunafa World features an outer layer of smooth, rich chocolate that perfectly complements the inner crispy kunafa, which is paired with a creamy and buttery pistachio paste. This delightful combination of flavors and textures creates an indulgent experience that is simply irresistible. It is a must-try dessert for kunafa enthusiasts as well as anyone who loves a good dessert with a twist.

The trend originated in the UAE, where social media influencers began posting mouth-watering videos of the chocolate kunafa bar. These videos quickly went viral, and followers rushed to get their hands on this new treat. India was quick to hop on the trend, with many establishments trying to recreate the bars. Kunafa World was also onboard with the trend, they brought in their signature quality and dedication to the table. Known for their passion for creating kunafa variations, Kunafa World created the chocolate kunafa bar which gained major popularity.

Customers who have tried the chocolate kunafa bar from Kunafa World have been raving about it, leaving positive reviews and sharing their delightful experiences. The dessert has not only met but exceeded expectations, becoming a major hit and a signature item for Kunafa World. And with their delivery service available across India, chocolate kunafa lovers from all over the country can now experience the magic of Kunafa World’s creation right at their doorstep. The buzz around this treat shows no sign of slowing down, as more and more people discover its irresistible charm.

अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।

अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव  अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
inGrade: Empowering Learners with Innovative Tech Education

 

inGrade is changing how we learn in today’s digital world. By offering affordable, hands-on tech education, this platform is helping people from all walks of life build the skills needed to thrive in modern industries. With a team of dedicated leaders — Jaya K. Soni, Hritik Gupta, and Astha Chopra — inGrade aims to make quality education accessible to everyone, no matter their background.At the heart of inGrade’s mission is its Founder and CEO, Jaya K. Soni. With a deep passion for education and a vision for equality, Jaya has been instrumental in shaping inGrade’s journey. Her career began in operations, where she gained valuable experience managing teams and streamlining processes. However, it was her realization of the transformative power of education that inspired her to focus on creating a platform like inGrade.

Jaya’s background in science, having studied zoology and botany, gives her a unique perspective on education. Despite her non-technical academic roots, she developed a keen interest in the tech industry, believing that analytical thinking and problem-solving are universal skills applicable in any field.

“I believe education should be a door-opener for everyone,” says Jaya. “It’s not about where you start; it’s about where you can go with the right tools.”

Under her leadership, inGrade provides industry-relevant courses designed to help individuals and businesses alike. The platform offers training in fields such as coding, data science, and digital marketing, helping learners build real-world skills that can advance their careers.

Hritik Gupta, the Founder and Managing Director, is a driving force behind inGrade’s operational success and growth. With a strategic mindset and a passion for innovation, Hritik has helped expand inGrade’s reach both locally and internationally.

His role focuses on building partnerships with leading companies and educational institutions, ensuring that inGrade stays ahead of the curve in providing top-notch education. Thanks to Hritik’s vision, inGrade has established strong connections with industry leaders, which helps students gain real-world experience and access to job opportunities.

Hritik’s leadership extends beyond the operational side of the business. His vision for inGrade includes a focus on helping startups and professionals grow. Under his guidance, inGrade has successfully supported numerous startups, helping them gain the skills needed to build and scale their businesses.

“Our goal is not just to educate,” Hritik says. “We want to create a global community where learners can grow, innovate, and contribute to their industries in meaningful ways.”

As Co-Founder, Astha Chopra is the backbone of inGrade’s curriculum development. With more than a decade of experience in the education sector, Astha is committed to designing courses that are both comprehensive and practical. Her focus is on ensuring that learners leave inGrade with skills they can immediately apply in their careers.

Astha’s approach to education is hands-on. She understands that students learn best when they can directly relate their lessons to real-world situations. Whether it’s creating project-based assignments or providing mentorship, Astha ensures that every course at inGrade prepares students for the challenges of the workforce.

“Education isn’t just about learning facts,” Astha explains. “It’s about gaining experience, building confidence, and developing the ability to think critically and solve problems in real time.”

Her expertise in educational design has made inGrade’s programs engaging and effective. From technology to business, the courses are tailored to meet industry demands, helping learners build the practical knowledge needed for success.

A Holistic Learning Experience

inGrade offers more than just traditional courses. The platform is built on the idea that education should be a holistic experience, combining technical skills with mentorship, career guidance, and personal growth. inGrade’s comprehensive support system helps students from the start of their journey through to job placement.

Learners benefit from one-on-one mentorship, where industry experts provide guidance on everything from project work to career development. In addition, inGrade’s dedicated placement team works closely with students to help them secure jobs that match their skills and ambitions.

inGrade also places a strong emphasis on soft skills. Students receive training in communication, teamwork, leadership, and problem-solving — all critical for success in today’s workplaces. This well-rounded approach ensures that graduates are not just prepared for their chosen fields but are also ready to become leaders in their industries.

Transforming Lives and Communities

Through the combined efforts of Jaya, Hritik, and Astha, inGrade has made a significant impact on individuals and communities alike. The platform has helped countless students break into new industries, change careers, and even start their own businesses.

By focusing on accessibility, affordability, and practical learning, inGrade continues to build a global community of learners who are empowered to succeed. Its leaders share a common goal: to transform lives through education.

Whether you’re looking to upskill, switch careers, or build your own business, inGrade provides the tools, support, and inspiration to help you reach your goals.

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बिहार में हुए अलग-अलग घटनाओं में 37 बच्चों और 7 महिलाओं समेत 46 लोग डूबे, जितिया का व्रत बना मौत कारण

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एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटों में ‘जितिया’ या ‘जीवितपुत्रिका’ के त्यौहार पर बिहार भर में डूबने की अलग-अलग घटनाओं में 37 बच्चों समेत 46 लोगों की मौत हो गई।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों पर शोक व्यक्त किया, जिनमें सात महिलाएं भी शामिल हैं, और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, सीवान, रोहतास, सारण, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और अरवल जिलों से डूबने की घटनाएं सामने आईं। आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, “अब तक 43 शव निकाले जा चुके हैं। पीड़ितों के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। इनमें से आठ को पहले ही राशि वितरित की जा चुकी है।”

डीएमडी ने खोज और बचाव अभियान के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की कई टीमों को लगाया है। माताएं अपने बच्चों की खुशहाली और समृद्धि के लिए जितिया का त्योहार मनाती हैं। यह घटना तब हुई जब बच्चे अपनी माताओं के साथ विभिन्न जलाशयों में स्नान करने गए थे। औरंगाबाद जिले में आठ बच्चे डूब गए - चार बरुना थाना क्षेत्र के इटाहट गांव में और चार मदनपुर थाना क्षेत्र के कुशहा गांव में।

कैमूर से मिली खबरों के अनुसार, भभुआ और मोहनिया थाना क्षेत्रों में सात नाबालिग उस समय डूब गए जब वे क्रमशः दुर्गावती नदी और एक तालाब में स्नान कर रहे थे।

बुधवार की शाम ग्रामीण पटना के बिहटा थाना क्षेत्र के अमनाबाद गांव से डूबने की चार घटनाएं सामने आईं और सारण जिले के दाउदपुर, मांझी, तरैया और मढ़ौरा थाना क्षेत्रों में दो लड़कों समेत पांच लोग डूब गए।

औरंगाबाद के जिला मजिस्ट्रेट श्रीकांत शास्त्री ने कहा, "यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित अपने परिवार के सदस्यों के साथ जलाशयों में पवित्र स्नान के लिए गए थे।"

Few Places to Visit before you die 1. Brihadeeswara Temple. Tamil Nadu, India
Few Places to Visit before you die 1. Brihadeeswara Temple. Tamil Nadu, India
Why did the BJP lose more seats in Uttar Pradesh ?

A case of discrepancy in the voter list came to light during the review of BJP's defeat in UP.

Names of a large number of BJP supporting voters were deleted.

The review team received feedback during the review.

A big gap was found between the final list of voters and the voter list with the presiding officer.

The officials are accused of deliberate discrepancy.

During the review, workers and officials accused BLO of discrepancies at many places.

Now they have a work map to work on weaklings.

Raju Bista,Member of Parliament, visit verious place in Darjeeling
SB News Bureau: In the wake of persistent heavy rains causing widespread devastation across our Darjeeling and Kalimpong hills region, yesterday, visited various places like Tindharey, Bagmara, Pagla Jhora, Mahanadi, Shivakhola, Sepoydhura, Norbung and Sukna to assess damages and coordinate urgent relief efforts.

Bagmara, known as the 'Model Village's for its resilient spirit and community unity, has been severely impacted by recent landslides. Bagmara faces significant challenges in the aftermath of the natural disaster, underscoring the urgent need for comprehensive support and recovery efforts.

Our region faces ongoing infrastructure and connectivity challenges along NH-55, particularly in areas like Tindharey, Pagla Jhora and Mahanadi.

The recent allocation of Rs 22 crores by the Central Government for the restoration of NH-55 is a crucial step forward. Out of this, Rs 4 crores has been earmarked specifically for the restoration of connectivity in Pagla Jhora. The swift action taken by the Central Govt to ensure early connectivity in our region is demonstrative of the high priority central government has accorded our region. Furthermore, I have engaged with West Bengal PWD NH Division to expedite the approval of a proposed alternative route worth Rs 71 lakhs, aimed at restoring connectivity promptly in Pagla Jhora.

In Mahanadi 63 Line under Kurseong sub-division, where significant landslides have disrupted lives, expert consultants will be deployed to assess the landslides and initiate permanent solutions.
As a gesture of solidarity, I will be providing financial assistance to affected families, including Rs 1 Lakh to a family whose house was completely damaged, and Rs 50,000 each to those with partially damaged houses in Mahanadi 63 Line.

He committed to supporting every individual and family in need during this challenging times, and  will continue to work tirelessly with all stakeholders to ensure that our constituents receive the necessary support and that our region emerges stronger from this adversely.

गया के डीएम ने प्राचीन जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति का Web-Portal किये उद्घाटन, मिलेगी तमाम जानकारी

गया। गया में प्राचीन जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति, बोधगया के लिए नवनिर्मित www.bodhgayajagannath.in नामक एक Web-Portal का उद्घाटन जिलाधिकारी सह अध्यक्ष प्राचीन जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति, बोधगया डॉ० त्यागराजन एसएम के कर कमलों द्वारा किया गया।

समारोह में समिति के उपाध्यक्ष उषा डालमिया, राय मदन किशोर, सचिव के अतिरिक्त सदस्यगण अरविन्द कुमार सिंह, ब्रजेन्द्र चौबे, शिव कैलास डालमिया, लालमणि सिंह के अतिरिक्त मन्दिर समिति से जुड़े अन्य श्रद्धालु एवं स्थानीय जनता उपस्थित रहे। उक्त समिति, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद, पटना द्वारा निबन्धित एक सार्वजनिक धार्मिक न्यास है। पर्षद द्वारा निरूपित योजना को मूर्त रूप प्रदान किए जाने के उद्देश्य से 11 (ग्यारह) सदस्यीय एक स्थायी न्यास समिति का गठन करते हुए इसे बिहार गजट, 27वीं जुलाई 2022 को पूर्व में ही अधिसूचित किया जा चुका है।

न्यास समिति का सूचारू प्रबन्धन, सम्पत्तियों का रख-रखाव एवं विभिन्न विकास कार्यों का सम्यक रूपायण, आय-व्यय का लेखा संधारण, मठ परिसर की स्वच्छता एवं पवित्रता तथा श्रद्धालुओं के सुविधार्य व्यवस्था किया जाना इत्यादि का दायित्व समिति को भार-न्यस्त है। उपरोक्त दायित्वों का पारदर्शिता के साथ अनुपालन तथा श्रद्धालुओं के ज्ञानार्थ एक Website की आवश्यकता विगत समय से महसूस किया जा रहा था। इस आलोक में समिति के सदस्यों के व्यक्तिगत देखरेख में यह Website का निर्माण का प्रयास किया गया है। Rathyatra-2024 को ध्यान में रखते हुए बहुत ही अल्प समय में इसका निर्माण किया गया है, स्थायी सदस्यों के द्वारा सर्वसहमति से मन्दिर समिति का एक Logo भी साथ-साथ तैयार कर इस अवसर पर उसका भी विमोचन किया गया।

प्राचिन जगन्नाथ मन्दिर से संबंधित इतिहास का सचित्र विवरण, स्थायी सदस्यों का फोटोयुक्त विवरण, Photo एवं Video गैलरी, Upcomminge events, News, Places of Interest, How to Reach. Telephone Directory, गया तथा बोधगया के आस-पास अन्य दर्शनीय स्थानों की सूची के अतिरिक्त पूजा सम्बंधी जानकारी हेतु Contact Us link भी उपलब्ध है। श्रद्धालुओं द्वारा दानस्वरूप आर्थिक सहयोग (Donation) प्रदान करने के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था भी किया जा रहा है। वर्तमान में Bank Account के माध्यम से Online Transfer के अतिरिक्त QR Code तथा UPI ID के द्वारा भी प्राप्त किए जाने की व्यवस्था की गई है। नवनिर्मित यह Website एक Dynamic एवं Responsive Web-Portel होने के कारण इसे Desktop एवं Mobile Handset दोनो पर सरलतापुर्वक देखा जा सकता है।

    

समिति से संबंधित किसी प्रकार का सुझाव प्राप्त करने हेतु Feedback option भी अलग से उपलब्ध कराया गया है। वेबसाइट के लोकार्पण के पूर्व जिला पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारीगण दीप प्रज्वलंकर वेबसाइट का विधिवत लोकार्पण किया है। जिलाधिकारी ने कहा कि वेबसाइट के लोकार्पण होने से वैसे श्रद्धालु जो बाहर रहते हैं उन्हें भी इस मंदिर के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। भविष्य में ऑनलाइन दर्शन करने की भी व्यवस्था करवाने पर विचार किया जा रहा है। अब जमाना टेक्नोलॉजी के आधार पर बढ़ता जा रहा है उसी अनुरूप धीरे-धीरे मंदिर की और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाया जाएगा। इसके पश्चात आज एवं कल दो दिन जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाले जगन्नाथ यात्रा पर हजारों की संख्या में लोग यहां से एकत्रित होकर पूजा यात्रा निकलता है इस दृष्टिकोण से अनुमंडल पदाधिकारी सदर एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बोधगया अपनी पूरी निगरानी में यात्रा को संपन्न करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर की ओर से एवं जिला प्रशासन की ओर से भीड़ नियंत्रण तथा अन्य व्यवस्थाओं के लिए पूरी तैयारी कर लिया गया है। इस अवसर पर अनुमण्डल पदाधिकारी सदर, पुलिस उपाधीक्षक बोधगया, nic गया के पूर्व पदाधिकारी तरुण सिन्हा सहित जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति बोधगया के तमाम सदस्य भी उपस्थित थे।

रिपोर्ट: मनीष कुमार।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, क्यों हो रही इसे पूरी तरह से रद्द करने की मांग ?

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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991, भारत सरकार द्वारा पारित एक ऐतिहासिक कानून है, जिसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों के मामलों में सांप्रदायिक सौहार्द और स्थिरता बनाए रखना था। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी धार्मिक स्थल की धार्मिक स्थिति, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को था, वैसी ही बनी रहे। इस एक्ट के तहत, धार्मिक स्थलों के स्वरूप, स्थिति, या स्वरूप में बदलाव करने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि धार्मिक स्थलों को लेकर किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो। 

एक्ट का उद्देश्य

इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य यह था कि किसी भी धार्मिक स्थल को बदलने या उसमें किसी प्रकार के विवाद को जन्म देने की संभावना को समाप्त किया जाए। इसका लागू होने के बाद, जो भी धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस रूप में था, वही उसकी स्थिति मानी जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर किसी मस्जिद, मंदिर या चर्च का रूप तब कुछ था, तो उसे बदलने का प्रयास अब कानूनी रूप से अवैध होगा। 

यह कानून विशेष रूप से उन विवादों को रोकने के लिए लाया गया था जो ऐतिहासिक रूप से धार्मिक स्थलों के आसपास उत्पन्न होते रहे थे, जैसे कि बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद। इसका उद्देश्य समाज में धार्मिक तनाव को कम करना और सभी धर्मों के अनुयायियों के बीच भाईचारे और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देना था। 

क्यों हो रही है रद्द करने की मांग?

हालांकि इस कानून के निर्माण का उद्देश्य समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखना था, लेकिन वर्तमान में कई समूहों और राजनेताओं द्वारा इसे पूरी तरह से रद्द करने की मांग की जा रही है। इन मांगों के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

1. धार्मिक स्थलों का ऐतिहासिक विवाद: कई लोग यह मानते हैं कि इस एक्ट के कारण कुछ धार्मिक स्थलों से जुड़े ऐतिहासिक विवादों का समाधान नहीं हो पा रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ स्थानों पर यह सवाल उठता है कि क्या वहां पहले कोई मंदिर था या मस्जिद, और इस एक्ट के कारण इन विवादों को कानूनी रूप से निपटाने में समस्या आ रही है।

2. धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रश्न: कुछ धार्मिक और राजनीतिक समूहों का यह मानना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है। उनका कहना है कि अगर किसी धार्मिक स्थल के ऐतिहासिक संदर्भ में बदलाव हुआ हो, तो उसके बारे में कानूनी रूप से विवाद न सुलझाना किसी धर्म या संस्कृति के अनुयायियों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

3. राजनीतिक और सामाजिक दबाव: कुछ समूहों का तर्क है कि इस एक्ट का प्रयोग राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ समूहों का कहना है कि यह कानून उन धार्मिक स्थानों के इतिहास को दबाने में मदद करता है, जो उनके अनुसार अस्वीकार्य हैं। यह विचारधारात्मक और राजनीतिक संघर्षों के कारण विवाद का कारण बन सकता है।

4. भविष्य के विवादों को हल करने में दिक्कतें: इस एक्ट के कारण, भविष्य में किसी भी धार्मिक स्थल से जुड़े विवादों का समाधान करने में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि यह कानून किसी भी परिवर्तन की अनुमति नहीं देता है। इसे लेकर कुछ लोग यह महसूस करते हैं कि यह विवादों को सुलझाने के बजाय और बढ़ा सकता है।

क्या हो सकता है आगे?

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर चल रही बहस और विरोध के बावजूद, यह कानून अभी तक कायम है। हालांकि, इस पर चर्चा और आलोचना लगातार जारी है। अगर इसे पूरी तरह से रद्द किया जाता है, तो इससे भविष्य में धार्मिक स्थलों के विवादों के समाधान के तरीकों में बदलाव हो सकता है, और शायद इसे लेकर नई कानूनी पहल की आवश्यकता महसूस हो सकती है। यह कहना मुश्किल है कि इस एक्ट को पूरी तरह से रद्द किया जाएगा या नहीं, लेकिन इसे लेकर भविष्य में और अधिक राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विमर्श की संभावना बनी रहेगी।

How India’s Favourite Kunafa World won the Kunafa Chocolate Bar Trend

 

The chocolate kunafa bar has been a sweet sensation in recent months. Originally gaining viral fame in the UAE, this sweet twist on the traditional kunafa has made its way to India, quickly becoming a major hit. With its perfect blend of textures and flavors, the chocolate kunafa bar has become a favorite dessert among food enthusiasts and sweet lovers alike. Even though many places now offer their own version of the chocolate kunafa bar, Kunafa World has set itself apart by delivering the best one, and the best part, they deliver all around India, ensuring that everyone can have a bite of this delicious treat.Founders of Kunafa World, Jameela Ruhi and Zamzeer Ahamed, started their journey with a simple idea sparked over a homemade dessert. When Jameela served her husband a delicious kunafa, Zamzeer saw the potential for it to become a crowd-pleaser. They launched their business online in Mangalore, and it quickly gained popularity. Their big break came on Shark Tank India, where their kunafa-focused concept wowed the judges. Today, Kunafa World is India’s first kunafa-centric quick-service restaurant (QSR), offering over 30 varieties, including the introduction of viral chocolate kunafa bar in India, and has expanded to five states across India.

Kunafa, a Middle Eastern dish known for its crispy phyllo layers and rich fillings, has always had its admirers. But adding a chocolatey twist was a game changer. The chocolate bar from Kunafa World features an outer layer of smooth, rich chocolate that perfectly complements the inner crispy kunafa, which is paired with a creamy and buttery pistachio paste. This delightful combination of flavors and textures creates an indulgent experience that is simply irresistible. It is a must-try dessert for kunafa enthusiasts as well as anyone who loves a good dessert with a twist.

The trend originated in the UAE, where social media influencers began posting mouth-watering videos of the chocolate kunafa bar. These videos quickly went viral, and followers rushed to get their hands on this new treat. India was quick to hop on the trend, with many establishments trying to recreate the bars. Kunafa World was also onboard with the trend, they brought in their signature quality and dedication to the table. Known for their passion for creating kunafa variations, Kunafa World created the chocolate kunafa bar which gained major popularity.

Customers who have tried the chocolate kunafa bar from Kunafa World have been raving about it, leaving positive reviews and sharing their delightful experiences. The dessert has not only met but exceeded expectations, becoming a major hit and a signature item for Kunafa World. And with their delivery service available across India, chocolate kunafa lovers from all over the country can now experience the magic of Kunafa World’s creation right at their doorstep. The buzz around this treat shows no sign of slowing down, as more and more people discover its irresistible charm.

अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।

अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव  अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
inGrade: Empowering Learners with Innovative Tech Education

 

inGrade is changing how we learn in today’s digital world. By offering affordable, hands-on tech education, this platform is helping people from all walks of life build the skills needed to thrive in modern industries. With a team of dedicated leaders — Jaya K. Soni, Hritik Gupta, and Astha Chopra — inGrade aims to make quality education accessible to everyone, no matter their background.At the heart of inGrade’s mission is its Founder and CEO, Jaya K. Soni. With a deep passion for education and a vision for equality, Jaya has been instrumental in shaping inGrade’s journey. Her career began in operations, where she gained valuable experience managing teams and streamlining processes. However, it was her realization of the transformative power of education that inspired her to focus on creating a platform like inGrade.

Jaya’s background in science, having studied zoology and botany, gives her a unique perspective on education. Despite her non-technical academic roots, she developed a keen interest in the tech industry, believing that analytical thinking and problem-solving are universal skills applicable in any field.

“I believe education should be a door-opener for everyone,” says Jaya. “It’s not about where you start; it’s about where you can go with the right tools.”

Under her leadership, inGrade provides industry-relevant courses designed to help individuals and businesses alike. The platform offers training in fields such as coding, data science, and digital marketing, helping learners build real-world skills that can advance their careers.

Hritik Gupta, the Founder and Managing Director, is a driving force behind inGrade’s operational success and growth. With a strategic mindset and a passion for innovation, Hritik has helped expand inGrade’s reach both locally and internationally.

His role focuses on building partnerships with leading companies and educational institutions, ensuring that inGrade stays ahead of the curve in providing top-notch education. Thanks to Hritik’s vision, inGrade has established strong connections with industry leaders, which helps students gain real-world experience and access to job opportunities.

Hritik’s leadership extends beyond the operational side of the business. His vision for inGrade includes a focus on helping startups and professionals grow. Under his guidance, inGrade has successfully supported numerous startups, helping them gain the skills needed to build and scale their businesses.

“Our goal is not just to educate,” Hritik says. “We want to create a global community where learners can grow, innovate, and contribute to their industries in meaningful ways.”

As Co-Founder, Astha Chopra is the backbone of inGrade’s curriculum development. With more than a decade of experience in the education sector, Astha is committed to designing courses that are both comprehensive and practical. Her focus is on ensuring that learners leave inGrade with skills they can immediately apply in their careers.

Astha’s approach to education is hands-on. She understands that students learn best when they can directly relate their lessons to real-world situations. Whether it’s creating project-based assignments or providing mentorship, Astha ensures that every course at inGrade prepares students for the challenges of the workforce.

“Education isn’t just about learning facts,” Astha explains. “It’s about gaining experience, building confidence, and developing the ability to think critically and solve problems in real time.”

Her expertise in educational design has made inGrade’s programs engaging and effective. From technology to business, the courses are tailored to meet industry demands, helping learners build the practical knowledge needed for success.

A Holistic Learning Experience

inGrade offers more than just traditional courses. The platform is built on the idea that education should be a holistic experience, combining technical skills with mentorship, career guidance, and personal growth. inGrade’s comprehensive support system helps students from the start of their journey through to job placement.

Learners benefit from one-on-one mentorship, where industry experts provide guidance on everything from project work to career development. In addition, inGrade’s dedicated placement team works closely with students to help them secure jobs that match their skills and ambitions.

inGrade also places a strong emphasis on soft skills. Students receive training in communication, teamwork, leadership, and problem-solving — all critical for success in today’s workplaces. This well-rounded approach ensures that graduates are not just prepared for their chosen fields but are also ready to become leaders in their industries.

Transforming Lives and Communities

Through the combined efforts of Jaya, Hritik, and Astha, inGrade has made a significant impact on individuals and communities alike. The platform has helped countless students break into new industries, change careers, and even start their own businesses.

By focusing on accessibility, affordability, and practical learning, inGrade continues to build a global community of learners who are empowered to succeed. Its leaders share a common goal: to transform lives through education.

Whether you’re looking to upskill, switch careers, or build your own business, inGrade provides the tools, support, and inspiration to help you reach your goals.

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बिहार में हुए अलग-अलग घटनाओं में 37 बच्चों और 7 महिलाओं समेत 46 लोग डूबे, जितिया का व्रत बना मौत कारण

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एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटों में ‘जितिया’ या ‘जीवितपुत्रिका’ के त्यौहार पर बिहार भर में डूबने की अलग-अलग घटनाओं में 37 बच्चों समेत 46 लोगों की मौत हो गई।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों पर शोक व्यक्त किया, जिनमें सात महिलाएं भी शामिल हैं, और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, सीवान, रोहतास, सारण, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और अरवल जिलों से डूबने की घटनाएं सामने आईं। आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, “अब तक 43 शव निकाले जा चुके हैं। पीड़ितों के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। इनमें से आठ को पहले ही राशि वितरित की जा चुकी है।”

डीएमडी ने खोज और बचाव अभियान के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की कई टीमों को लगाया है। माताएं अपने बच्चों की खुशहाली और समृद्धि के लिए जितिया का त्योहार मनाती हैं। यह घटना तब हुई जब बच्चे अपनी माताओं के साथ विभिन्न जलाशयों में स्नान करने गए थे। औरंगाबाद जिले में आठ बच्चे डूब गए - चार बरुना थाना क्षेत्र के इटाहट गांव में और चार मदनपुर थाना क्षेत्र के कुशहा गांव में।

कैमूर से मिली खबरों के अनुसार, भभुआ और मोहनिया थाना क्षेत्रों में सात नाबालिग उस समय डूब गए जब वे क्रमशः दुर्गावती नदी और एक तालाब में स्नान कर रहे थे।

बुधवार की शाम ग्रामीण पटना के बिहटा थाना क्षेत्र के अमनाबाद गांव से डूबने की चार घटनाएं सामने आईं और सारण जिले के दाउदपुर, मांझी, तरैया और मढ़ौरा थाना क्षेत्रों में दो लड़कों समेत पांच लोग डूब गए।

औरंगाबाद के जिला मजिस्ट्रेट श्रीकांत शास्त्री ने कहा, "यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित अपने परिवार के सदस्यों के साथ जलाशयों में पवित्र स्नान के लिए गए थे।"

Few Places to Visit before you die 1. Brihadeeswara Temple. Tamil Nadu, India
Few Places to Visit before you die 1. Brihadeeswara Temple. Tamil Nadu, India
Why did the BJP lose more seats in Uttar Pradesh ?

A case of discrepancy in the voter list came to light during the review of BJP's defeat in UP.

Names of a large number of BJP supporting voters were deleted.

The review team received feedback during the review.

A big gap was found between the final list of voters and the voter list with the presiding officer.

The officials are accused of deliberate discrepancy.

During the review, workers and officials accused BLO of discrepancies at many places.

Now they have a work map to work on weaklings.

Raju Bista,Member of Parliament, visit verious place in Darjeeling
SB News Bureau: In the wake of persistent heavy rains causing widespread devastation across our Darjeeling and Kalimpong hills region, yesterday, visited various places like Tindharey, Bagmara, Pagla Jhora, Mahanadi, Shivakhola, Sepoydhura, Norbung and Sukna to assess damages and coordinate urgent relief efforts.

Bagmara, known as the 'Model Village's for its resilient spirit and community unity, has been severely impacted by recent landslides. Bagmara faces significant challenges in the aftermath of the natural disaster, underscoring the urgent need for comprehensive support and recovery efforts.

Our region faces ongoing infrastructure and connectivity challenges along NH-55, particularly in areas like Tindharey, Pagla Jhora and Mahanadi.

The recent allocation of Rs 22 crores by the Central Government for the restoration of NH-55 is a crucial step forward. Out of this, Rs 4 crores has been earmarked specifically for the restoration of connectivity in Pagla Jhora. The swift action taken by the Central Govt to ensure early connectivity in our region is demonstrative of the high priority central government has accorded our region. Furthermore, I have engaged with West Bengal PWD NH Division to expedite the approval of a proposed alternative route worth Rs 71 lakhs, aimed at restoring connectivity promptly in Pagla Jhora.

In Mahanadi 63 Line under Kurseong sub-division, where significant landslides have disrupted lives, expert consultants will be deployed to assess the landslides and initiate permanent solutions.
As a gesture of solidarity, I will be providing financial assistance to affected families, including Rs 1 Lakh to a family whose house was completely damaged, and Rs 50,000 each to those with partially damaged houses in Mahanadi 63 Line.

He committed to supporting every individual and family in need during this challenging times, and  will continue to work tirelessly with all stakeholders to ensure that our constituents receive the necessary support and that our region emerges stronger from this adversely.

गया के डीएम ने प्राचीन जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति का Web-Portal किये उद्घाटन, मिलेगी तमाम जानकारी

गया। गया में प्राचीन जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति, बोधगया के लिए नवनिर्मित www.bodhgayajagannath.in नामक एक Web-Portal का उद्घाटन जिलाधिकारी सह अध्यक्ष प्राचीन जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति, बोधगया डॉ० त्यागराजन एसएम के कर कमलों द्वारा किया गया।

समारोह में समिति के उपाध्यक्ष उषा डालमिया, राय मदन किशोर, सचिव के अतिरिक्त सदस्यगण अरविन्द कुमार सिंह, ब्रजेन्द्र चौबे, शिव कैलास डालमिया, लालमणि सिंह के अतिरिक्त मन्दिर समिति से जुड़े अन्य श्रद्धालु एवं स्थानीय जनता उपस्थित रहे। उक्त समिति, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद, पटना द्वारा निबन्धित एक सार्वजनिक धार्मिक न्यास है। पर्षद द्वारा निरूपित योजना को मूर्त रूप प्रदान किए जाने के उद्देश्य से 11 (ग्यारह) सदस्यीय एक स्थायी न्यास समिति का गठन करते हुए इसे बिहार गजट, 27वीं जुलाई 2022 को पूर्व में ही अधिसूचित किया जा चुका है।

न्यास समिति का सूचारू प्रबन्धन, सम्पत्तियों का रख-रखाव एवं विभिन्न विकास कार्यों का सम्यक रूपायण, आय-व्यय का लेखा संधारण, मठ परिसर की स्वच्छता एवं पवित्रता तथा श्रद्धालुओं के सुविधार्य व्यवस्था किया जाना इत्यादि का दायित्व समिति को भार-न्यस्त है। उपरोक्त दायित्वों का पारदर्शिता के साथ अनुपालन तथा श्रद्धालुओं के ज्ञानार्थ एक Website की आवश्यकता विगत समय से महसूस किया जा रहा था। इस आलोक में समिति के सदस्यों के व्यक्तिगत देखरेख में यह Website का निर्माण का प्रयास किया गया है। Rathyatra-2024 को ध्यान में रखते हुए बहुत ही अल्प समय में इसका निर्माण किया गया है, स्थायी सदस्यों के द्वारा सर्वसहमति से मन्दिर समिति का एक Logo भी साथ-साथ तैयार कर इस अवसर पर उसका भी विमोचन किया गया।

प्राचिन जगन्नाथ मन्दिर से संबंधित इतिहास का सचित्र विवरण, स्थायी सदस्यों का फोटोयुक्त विवरण, Photo एवं Video गैलरी, Upcomminge events, News, Places of Interest, How to Reach. Telephone Directory, गया तथा बोधगया के आस-पास अन्य दर्शनीय स्थानों की सूची के अतिरिक्त पूजा सम्बंधी जानकारी हेतु Contact Us link भी उपलब्ध है। श्रद्धालुओं द्वारा दानस्वरूप आर्थिक सहयोग (Donation) प्रदान करने के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था भी किया जा रहा है। वर्तमान में Bank Account के माध्यम से Online Transfer के अतिरिक्त QR Code तथा UPI ID के द्वारा भी प्राप्त किए जाने की व्यवस्था की गई है। नवनिर्मित यह Website एक Dynamic एवं Responsive Web-Portel होने के कारण इसे Desktop एवं Mobile Handset दोनो पर सरलतापुर्वक देखा जा सकता है।

    

समिति से संबंधित किसी प्रकार का सुझाव प्राप्त करने हेतु Feedback option भी अलग से उपलब्ध कराया गया है। वेबसाइट के लोकार्पण के पूर्व जिला पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारीगण दीप प्रज्वलंकर वेबसाइट का विधिवत लोकार्पण किया है। जिलाधिकारी ने कहा कि वेबसाइट के लोकार्पण होने से वैसे श्रद्धालु जो बाहर रहते हैं उन्हें भी इस मंदिर के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। भविष्य में ऑनलाइन दर्शन करने की भी व्यवस्था करवाने पर विचार किया जा रहा है। अब जमाना टेक्नोलॉजी के आधार पर बढ़ता जा रहा है उसी अनुरूप धीरे-धीरे मंदिर की और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाया जाएगा। इसके पश्चात आज एवं कल दो दिन जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाले जगन्नाथ यात्रा पर हजारों की संख्या में लोग यहां से एकत्रित होकर पूजा यात्रा निकलता है इस दृष्टिकोण से अनुमंडल पदाधिकारी सदर एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बोधगया अपनी पूरी निगरानी में यात्रा को संपन्न करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर की ओर से एवं जिला प्रशासन की ओर से भीड़ नियंत्रण तथा अन्य व्यवस्थाओं के लिए पूरी तैयारी कर लिया गया है। इस अवसर पर अनुमण्डल पदाधिकारी सदर, पुलिस उपाधीक्षक बोधगया, nic गया के पूर्व पदाधिकारी तरुण सिन्हा सहित जगन्नाथ मन्दिर न्यास समिति बोधगया के तमाम सदस्य भी उपस्थित थे।

रिपोर्ट: मनीष कुमार।