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क्या भारत और कनाडा के रिश्ते सुधरेंगे? कनाडाई पीएम ने संबंध सुधारने के दिए संकेत

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पिछले कुछ सालों में भारत और कनाडा के बीच तनाव देखा जा रहा है। कनाडा में खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए थे। नौ साल तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप भारत पर मढ़े थे। जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों खराब होते चले गए। हालांकि कनाडा अब भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता है। हाल ही में कनाडा की लिबरल पार्टी के नेतृत्व का चुनाव जीत लेने के बाद पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी अब कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। मार्क कार्नी जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे। अब भारत और कनाडा दोनों ही राजनयिक तनाव को कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एक कनाडाई अधिकारी ने कहा कि नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, मार्च में पदभार ग्रहण करने के बाद, भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं। अधिकारी ने आगे कहा, कनाडा महीनों से भारत के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, बशर्ते कि कनाडा के कानूनों का सम्मान किया जाए, और यह दृष्टिकोण ट्रूडो के सत्ता से हटने के बाद भी पहले जैसा है।

ब्लूमवर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कनाडा के खुफिया प्रमुख डेनियल रोजर्स ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में एनएसए अजीत डोभाल द्वारा आयोजित एक खुफिया सम्मेलन में भाग लिया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी के बीच जून में अल्बर्टा में होने वाले जी 7 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात हो सकती है। भारत जी-7 का पर्यवेक्षक है।

सितंबर 2023 में, तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि उनके पास भारतीय सरकार के एजेंटों और निज्जर की हत्या के बीच संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोप हैं। निज्जर को 18 जून को सरे शहर में गोली मार दी गई थी। भारत ने इन आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताया था। ट्रूडो के पद छोड़ने के बाद बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं।

पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर को बैन कर सकता है यूएस, अमेरिकी कांग्रेस में बिल पेश

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पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर की टेंशन बहुत बढ़ने जा रही है। जनरल असीम मुनीर को लेकर अमेरिका में एक बड़ा कदम उठाया गया है। अमेरिकी सांसद जो विल्‍सन और जिमी पेनेटा ने सोमवार को 'पाकिस्‍तान डेमोक्रेसी ऐक्‍ट' पेश किया है। इस बिल में इमरान खान समेत राजनीतिक व‍िरोधियों का उत्‍पीड़न करने के लिए पाकिस्‍तानी आर्मी चीफ पर ग्‍लोबल मैगनिटस्‍की ऐक्‍ट के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका के दक्षिण कैरोलिना से रिपब्लिकन सांसद जो विल्सन और कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक सांसद जिमी पनेटा ने सोमवार को संसद में 'पाकिस्तान डेमोक्रेसी एक्ट' नामक विधेयक पेश किया। इस द्विदलीय विधेयक में आरोप लगाया गया है कि जनरल आसिम मुनीर जानबूझकर राजनीतिक विरोधियों के दमन और उन्हें कैद करने में शामिल हैं। इस विधेयक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। जिसके बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख अमेरिका में दाखिल नहीं हो सकेंगे और साथ ही उनकी अमेरिका में स्थित संपत्ति को भी जब्त कर लिया जाएगा। इस विधेयक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ ही कई अन्य लोगों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

अगर यह बिल पारित हो जाता है तो अगले 180 दिनों के भीतर जनरल मुनीर पर प्रतिबंध लग सकता है। इससे उनके अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगेगा और उनके अमेरिकी वीजा पर भी रोक लगाई जा सकती है। ग्लोबल मैग्निट्स्की ऐक्ट को 2012 में ओबामा प्रशासन के दौरान रूस के खिलाफ बनाया गया था, और अब इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के आर्मी चीफ के खिलाफ किया जा सकता है।

इस व‍िधेयक में यह भी मांग की गई है कि उन लोगों की तलाश की जाए जो दमन में शामिल हैं और ऐसे लोगों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। इस विधेयक से राष्‍ट्रपति ट्रंप को यह शक्ति होगी कि वह पाकिस्‍तान में सैन्‍य शासन खत्‍म होने, लोकतंत्र की बहाली और सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई के बाद इन प्रतिबंधों को हटा सकते हैं। सांसद जो विल्‍सन लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि इमरान खान को र‍िहा किया जाए जिन्‍हें अगस्‍त 2023 में अरेस्‍ट किया गया था। उन्‍होंने आरोप लगाया है कि इमरान खान को जेल भेजना उनके साथ अन्‍याय है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पहुंची दिल्ली पुलिस की टीम, स्टोर रूम और आसपास की जगह सील

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दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर मिला भारी कैश मामला लगातार विवादों में हैं। उन पर पुलिस का शिकंजा भी कसता जा रहा है। अब दिल्ली पुलिस उनके आवास पर पहुंची है। उनके स्टोर रूम और आसपास की जगह सील की जा रही है। जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में 14 मार्च की रात करीब 11 बजे आग लगी थी। इसके बाद भारी संख्या में करेंसी के जलने की बात सामने आई। यशवंत वर्मा का कहना है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोररूम में कभी नकदी नहीं रखी। इस मामले की जांच के लिए बुधवार को दिल्ली पुलिस की एक टीम वर्मा के आवास पर पहुंची। तुगलक रोड थाने के एक इंस्पेक्टर भी पहुंचे।

नई दिल्ली डीसीपी देवेश महला और उनकी टीम ने कैश-एट-होम विवाद की जांच के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक निवास का दौरा किया। यह दौरा सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पैनल के निर्देश पर किया गया। दिल्ली पुलिस को उस स्टोर रूम को सील करने के लिए कहा गया है, जहां आग लगी थी। वे स्टोर रूम के अंदर मौजूद चीजों का विस्तृत वीडियो भी बनाएंगे।

सूत्रों के अनुसार, पैनल जल्द ही अग्निशमन विभाग के अधिकारियों से पूछताछ करेगा और उनके कॉल रिकॉर्ड की जांच करेगा। पैनल ने मंगलवार को न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक निवास का दौरा किया ताकि पूरी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि पैनल न्यायमूर्ति वर्मा से औपचारिक स्पष्टीकरण मांगेगा, अग्निशमन विभाग के अधिकारियों से पूछताछ करेगा। उनके आवासीय और आधिकारिक कर्मचारियों से सवाल करेगा और उनके कॉल रिकॉर्ड का फोरेंसिक विश्लेषण करेगा। वे दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी शामिल कर सकते हैं।

इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने 3 जजों की एक कमेटी गठित की है। सोमवार को जांच आयोग की टीम यशवंत वर्मा के घर पहुंची थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस को आदेश दिया गया था कि वो स्टोर रूम को सील करे। इस पर डीसीपी नई दिल्ली देवेश महेला, एक एसीपी और तमाम पुलिसकर्मी दोपहर 2:00 बजे जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर पहुंचे और जहां पर नोट जले थे, उस पूरे स्टोर रूम को सील किया गया। उनके साथ कोर्ट का सपोर्टिंग स्टाफ भी रहा, जो जांच आयोग की इस पूरे मामले में मदद कर रहा है।

बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना द्वारा गठित जांच कमेटी मंगलवार को जांच के लिए हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली स्थित तुगलक क्रिसेंट रोड के सरकारी आवास पर पहुंची थी। इस जांचटीम में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थीं।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी घर से कथित तौर पर आधी जली हुई नकदी मिलने के मामले में लगी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा ने आग्रह किया कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि यह व्यापक जनहित से संबंधित है। इस पर सीजेआई ने कहा कि याचिका पर सुनवाई होगी। वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने सराहनीय काम किया है, लेकिन एफआईआर की जरूरत है। इस पर सीजेआई ने कहा, 'सार्वजनिक बयान न दें।'

कुणाल कामरा ने शेयर किया नया वीडियो, जानिए किसे बुलाया 'साड़ी वाली दीदी'

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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर पैरोडी सॉन्ग बनाने पर कॉमेडियन कुणाल कामरा विवादों में घिरे हुए हैं। मुंबई की खार पुलिस ने बुधवार को दूसरा समन जारी किया है। पुलिस ने मंगलवार को भी कामरा को समन जारी किया था। कॉमेडियन कुणाल कामरा को अब जान से मारने की धमकी मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक, कामरा को कम से कम 500 धमकी भरे कॉल आए हैं। जिसमें लोगों ने उन्हें जान से मारने और टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी दी है। हालांकि, कामरा के मिजाज बदलते नहीं दिख रहे हैं। वे लगातार अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पैरोडी सॉन्ग वीडियोज शेयर कर रहे हैं।

अब कुणाल कामरा ने एक और वीडियो शेयर किया है। बुधवार को कॉमेडियन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक नया वीडियो शेयर किया। उनके एक्स हैंडल और इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए इस वीडियो में वो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधते दिखे हैं।अपने ताजा वीडियो क्लिप में कुणाल कामरा एक और पैरोडी सॉन्ग सुनाते दिख रहे हैं। इस वीडियो में वो महंगाई को लेकर सरकार पर तंज कस रहे हैं और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी जिक्र कर रहे हैं। वीडियो में कॉमेडियन टैक्स को लेकर भी कमेंट कर रहे हैं।

अब निर्मला सीतारमण को लपेटा

इस नए वीडियो में कुणाल ने मुंबई के द हैबीटैट में अपनी परफॉर्मेंस दिखाई है। उन्होंने पुराने बॉलीवुड गाने “हवा हवाई” को मजाकिया अंदाज में गाया। गाने के बोल कुछ इस तरह हैं: “इन सड़कों को बर्बाद करने आई है सरकार, ब्रिज गिराने ये है आई, इसे कहते हैं तानाशाही। इसके बाद वो देश के टैक्स सिस्टम और उसके बोझ तले दब रहे मिडिल क्लास की बात करते हुए कहते हैं कि कॉर्पोरेट से ज्यादा टैक्स तो कॉर्पोरेट इंप्लॉई भरेगा। वो गाते हैं- देश में इतनी महंगाई सरकार के साथ है आई, लोगों की लूटने कमाई साड़ी वाली दीदी आई, सैलरी चुराने ये है आई कहते हैं...कहते हैं इसको 'निर्मला ताई'।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

कुणाल कामरा को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब उन्होंने अपने एक हालिया वीडियो में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के राजनीतिक करियर को लेकर कटाक्ष किया था। कामरा ने अपने वीडियो में एक हिंदी गाने की धुन पर एक पैरोडी सुनाई थी, जिसको सुनकर शिवसैनिक नाराज हो गए थे और उन्होंने उस जगह भी तोड़फोड़ की थी, जहां कुणाल कामरा ने ये वीडियो शूट किया था। शिवसेना के लोगों ने कुणाल कामरा को माफी मांगने या नतीजे भुगतने की धमकी भी दी।

माफी मांगने से कर चुके हैं इनकार

इस मामले पर विवाद बढ़ता देख कुणाल कामरा ने सोशल मीडिया पर अपने एक्स अकाउंट पर एक लंबा चौड़ा बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया था। कुणाल कामरा ने कहा था, मैं माफी नहीं मागूंगा। मैं भीड़ से नहीं डरता। एंटरटेनमेंट वेन्यू महज एक प्लेटफॉर्म है, जो हर किस्म के शो का मंच है। हैबिटेट या कोई भी जगह मेरी कॉमेडी के लिए जिम्मेदार नहीं है। मैं जो भी कहता या करता हूं, उस पर उसका कोई अधिकार नहीं है। न ही किसी और पार्टी का कोई अधिकार है। एक कॉमेडियन के कहे शब्दों के लिए किसी जगह को नुकसान पहुंचाना, वैसी ही नासमझी है जैसे अगर आपको चिकन नहीं परोसा जाता तो आप टमाटर के ट्रक को पलट दें।

अमेरिका में चुनाव के नियमों में बदलाव, जानें ट्रंप ने भारत का उदाहरण क्यों दिया?

#ustrumpelectionnewrulesexecutiveorder

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस में वापसी की है, तब ही से वह देश में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप देश की चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव करने जा रहे हैं। ट्रंप ने मंगलवार, 25 मार्च को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिका में होने वाले चुनावों में व्यापक बदलाव की मांग की गई।उन्होंने वहां के फेडरल चुनावों (केंद्रीय) में वोटिंग के रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है। यानी जैसे भारत में हम आधार कार्ड या वोटर कार्ड जैसे आधिकारिक आईडी प्रूव देते हैं वैसे ही अमेरिका में अब कोई वहां का नागरिक है, उसका डॉक्यूमेंट दिखाना होगा, तभी जाकर वो खुद को वोट डालने के लिए रजिस्टर कर सकता है।

ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने वाले मतपत्रों को ही गिनती में शामिल किया जाएगा। अपने ताजा आदेश में ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका अब तक बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है।

राज्यों से संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अपील

नए कार्यकारी आदेश जारी होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने राज्यों से मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। सहयोग न करने की स्थिति में संघीय वित्तीय मदद वापस लेने की चेतावनी भी दी गई है। यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी संघीय आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनके लिए संघीय वित्त पोषण रोका जा सकता है।

भारत का दिया उदाहरण

भारत और कुछ अन्य देशों का हवाला देते हुए, आदेश में कहा गया कि अमेरिका, "स्वशासन वाले अग्रणी देश" होने के बावजूद, आधुनिक, विकसित और विकासशील देशों द्वारा उपाय में लाए जाने वाले बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा को लागू करने में विफल रहा है। इसमें कहा गया है, उदाहरण के लिए, भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका नागरिकता के लिए यह काफी हद तक स्व-सत्यापन (सेल्फ अटेस्ट करने) पर निर्भर है।

चुनावों में धांधली के आरोप

ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि चुनाव में धांधली हो रही है। 2020 के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उन्होंने डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। चुनाव में मिली हार के बाद से ही ट्रंप मतदान से जुड़े कई कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं और बार-बार धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं।

राहुल गांधी का गंभीर आरोप, बोले-संसद में बोलने नहीं दिया जाता, ओम बिरला ने मुझे कराया चुप

#rahulgandhimakesabigallegationonloksabha_speaker

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें लोकसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा, एक कन्वेंशन है कि नेता प्रतिपक्ष को बोलने दिया जाता है। मैं जब भी खड़ा होता हूं तो मुझे बोलने नहीं दिया जाता। मैं नहीं जानता कि सदन किस प्रकार चल रहा है।

संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष पर अपनी आवाज दबाए जाने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोकसभा में उन्हें बोलने नहीं दिया जाता है। यह एक नया तरीका है जहां केवल सरकार की बात सुनी जाती है। प्रधानमंत्री ने कुंभ मेले का जिक्र किया, मैं उस पर बोलना चाहता था। बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दे उठाना चाहता था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं मिली।

राहुल गांधी ने कहा, जब भी मैं खड़ा होता हूं, मुझे बोलने नहीं दिया जाता। पता नहीं यह सदन कैसे चल रहा है। राहुल गांधी ने सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई है।

राहुल गांधी ने बिल्कुल सही कहा- शत्रुघ्न सिन्हा

राहुल गांधी के बयान पर टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, राहुल गांधी ने बिल्कुल सही कहा है। राहुल गांधी हमारे नेता प्रतिपक्ष हैं, वे हम सभी के नेता हैं। ऐसा पहले भी हुआ है कि उन्हें बोलने नहीं दिया गया और आज भी ऐसा ही हुआ है। यह बहुत निंदनीय बात है। मैं अध्यक्ष की बहुत इज्जत करता हूं मगर मुझे नहीं पता कि उन पर क्या दबाव है? विपक्ष में एक से बढ़कर एक दमदार नेता हैं।

स्पीकर ओम बिरला ने दी नसीहत

इससे पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बुधवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा कि वह सदन के नियमों और परंपराओं के अनुरूप आचरण करें। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे सदन के उच्च मानकों और गरिमा को बनाए रखने के लिए ऐसा आचरण करें। अध्यक्ष ने कहा, मेरे संज्ञान में कई ऐसे मामले आए हैं, जहां सदस्यों का आचरण मानकों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, इस सदन में पिता और पुत्री, माता और पुत्री, पति और पत्नी सदस्य रहे हैं। इस संदर्भ में मैं विपक्ष के नेता से अपेक्षा करता हूं कि वे नियम 349 के अनुसार आचरण करें, जो सदन में सदस्यों द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों से संबंधित है।

क्या बांग्लादेश में फिर होने वाला है तख्तापलट? जानें क्यों उठ रहे ऐसे सवाल

#willtherebeanothercoupinbangladesh

बांग्लादेश में तख्तापलट की अफवाहों का बोलबाला है।पड़ोसी देश में सेना की बैठकों की रिपोर्ट ने इन अटकलों को और पुख्ता कर दिया है। आशंका जताई जा रही है कि आर्मी मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार का तख्तापलट कर शासन की बागडोर अपने हाथ में ले सकती है। चर्चा इस बात की भी है कि सेना प्रमुख वकार उज जमान ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक भी की है।ऐसा भी दावा किया गया था कि सेना ने ढाका समेत कई शहरों में सैनिकों को तैनात किया है और उन्होंने सड़कों पर बंकर बनाकर पोजिशन ले ली है।

देश के मौजूदा हालातों के चलते सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमन सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का एक बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 5 लें.जनरल रैंक के अधिकारी, 8 मेजर जनरल और कई इंडीपेंडेंट ब्रिगेड के कमांडिग अफसर शामिल थे। इस बैठक में अंदहरूनी सुरक्षा हालातों की समीक्षा की। रिपोर्ट के मुताबित बांग्लादेश में आने वाले दिनों में बड़े आतंकी हमलों की आशंका जताई जा रहा है।इसे लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।

हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने देश में तख्तापलट की खबरों को अफवाह बताया। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने के लिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है और झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं।

मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा, लोगों को गुमराह करने के लिए एक के बाद एक झूठी जानकारी फैलाई जा रही है ताकि देश में अस्थिरता पैदा की जा सके। अफवाहें फैलाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। एक तस्वीर को दूसरी तस्वीर से जोड़ा जा रहा है, एक घटना का फोटोकॉर्ड बनाया जा रहा है और दूसरे देशों की घटनाओं को इस देश की घटनाओं के रूप में पेश कर सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई जा रही है।

सेना का तख्तापलट की आशंकाओं से इनकार

वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश सेना ने मंगलवार को उस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। सेना ने इस खबर को झूठा और मनगढ़ंत बताया और इसे पत्रकारिता की गंभीर चूक बताया।

सेना ने कहा कि तख्तापलट की संभावना को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। बयान में आगे कहा गया कि यह पहली बार नहीं है जब संबंधित मीडिया संगठन ने बांग्लादेश सेना के खिलाफ झूठी खबरें फैलाई हैं। इससे पहले भी इसी मीडिया समूह ने गलत जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे बांग्लादेश सेना ने 11 मार्च को जारी एक बयान में खारिज किया था।

भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना

बांग्लादेश सेना ने भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए सनसनीखेज खबरें फैलाना गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता का उदाहरण है। सेना ने कहा कि ऐसी भ्रामक रिपोर्टों से दोनों देशों के लोगों के बीच अविश्वास और तनाव पैदा हो सकता है। बयान में साफ किया गया कि यह एक सामान्य बैठक थी, जिसे अनावश्यक रूप से गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया।

अमेरिका में किसने की रॉ को बैन करने की मांग? भारतीय एजेंसी पर लगाए कई गंभीर आरोप

#americauscirf2025annualreportbanon_raw

भारत और अमेरिका के बीच काफी अच्छा संबंध है। खासकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंधों एक नया आयाम स्थापित किया है। हालांकि, एक बार फिर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को लेकर जहर उगला गया है। धार्मिक आजादी पर काम करने वाली यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट जारी की। हमेशा की तरह एक बार फिर भारत पर कीचड़ उछाला गया है।

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव बढ़ता जा रहा है। साथ ही अमेरिकी आयोग ने भारत की जासूसी एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। इसके लिए उसने सिख अलगाववादियों की कथित हत्या में भारतीय एजेंसी की संलिप्तता के बेबुनियाद आरोपों को आधार बनाया है।

भारत की तुलना वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार

रिपोर्ट में भारत की तुलना वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार से कर दी। संस्था ने सुझाव दिया कि भारत और वियतनाम दोनों को खास चिंता वाला देश घोषित किया जाए। दोनों देश चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 में धार्मिक आधार पर भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। यूएससीआईआरएफ का कहना है कि नागरिक समाज समूहों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

अमेरिका खुद सख्त प्रवास नीति को लेकर घिरा

अमेरिकी आयोग की ये टिप्पणी भारत की आंतरिक राजनीति और सुरक्षा संबंधी मामलों में दखल देने की कोशिश मानी जा सकती है, जो भारतीय सरकार के लिए विवादास्पद हो सकता है। अमेरिका के इस कदम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि खुद अमेरिका का इतिहास भी प्रवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के उल्लंघन से भरा पड़ा है। अमेरिका को खुद दुनियाभर में अपने सख्त प्रवास नीति के तहत प्रवासियों को क्रूर तरीके से निपटने के लिए जाने जाते हुए कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता रहा है।

क्या ट्रंप लगाएंगे प्रतिबंध?

रॉ पर उठ रही उंगली के बीच सवाल ये है कि क्या ट्रंप सरकार इस भारतीय एजेंसी को बैन करेगी। विश्लेषकों का कहना है कि वॉशिंगटन ने लंबे समय से नई दिल्ली को एशिया और अन्य जगहों पर चीन के बढ़ते प्रभाव के प्रतिकार के रूप में देखा है। रॉयट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि अमेरिकी सरकार भारत की जासूसी संस्था रॉ के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगी, क्योंकि पैनल की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं है।

क्या है रॉ?

रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) भारत की प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी है, जो भारतीय सुरक्षा और खुफिया जानकारी जुटाने का कार्य करती है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय हितों की रक्षा के लिए विदेशों में खुफिया जानकारी प्राप्त करना है। रॉ आतंकवाद, बाहरी खतरों, और भारत की सुरक्षा से संबंधित अन्य मुद्दों पर निगरानी रखती है। यह विशेष रूप से पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने में सक्रिय रहती है। रॉ भारतीय विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में अहम भूमिका निभाती है।

रेप मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा असंवेदनशील, जानें क्या था हाईकोर्ट का जजमेंट

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नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 17 मार्च को दिए विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था, जिस पर फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियों पर रोक लगाई। कोर्ट ने कहा कि टिप्पणी पूरी तरह असंवेदनशीलता और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में की गई विवादास्पद टिप्पणियों पर शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, यूपी सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि छाती पकड़ना, पायजामा का नाड़ा खींचना दुष्कर्म के प्रयास का अपराध नहीं है।

इस मामले की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ सुनवाई कर रही थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि निर्णय लेखक की ओर से संवेदनशीलता की कमी दर्शाती है। यह निर्णय तत्काल नहीं लिया गया था और इसे सुरक्षित रखने के 4 महीने बाद सुनाया गया। इस प्रकार इसमें विवेक का प्रयोग किया गया। हम आमतौर पर इस चरण में स्थगन देने में हिचकिचाते हैं, लेकिन चूंकि पैरा 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। हम उक्त पैरा में की गई टिप्पणियों पर रोक लगाते हैं।

हाईकोर्ट ने दिआ था विवादित फैसला

इससे पहले हाईकोर्ट ने दो आरोपियों पवन व आकाश के मामले में यह विवादित फैसला दिया था। शुरुआत में, दोनों पर दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। लेकिन, हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था, उनका कृत्य दुष्कर्म या दुष्कर्म का प्रयास माने जाने के योग्य नहीं था।किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या 'अटेम्प्ट टु रेप' का मामला नहीं बनता।

सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ये फैसला सुनाते हुए 2 आरोपियों पर लगी धाराएं बदल दीं। वहीं 3 आरोपियों के खिलाफ दायर क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली थी।

क्या है पूरा मामला?

यूपी के कासगंज की एक महिला ने 12 जनवरी, 2022 को कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप था लगाया कि 10 नवंबर, 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कासगंज के पटियाली में देवरानी के घर गई थीं। उसी दिन शाम को अपने घर लौट रही थीं। रास्ते में गांव के रहने वाले पवन, आकाश और अशोक मिल गए।

पवन ने बेटी को अपनी बाइक पर बैठाकर घर छोड़ने की बात कही। मां ने उस पर भरोसा करते हुए बाइक पर बैठा दिया, लेकिन रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ लिया। आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए उसके पायजामे की डोरी तोड़ दी।

लड़की की चीख-पुकार सुनकर ट्रैक्टर से गुजर रहे सतीश और भूरे मौके पर पहुंचे। इस पर आरोपियों ने देसी तमंचा दिखाकर दोनों को धमकाया और फरार हो गए।

हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपियों पर ‘अटेम्प्ट टु रेप’ का चार्ज हटाया जाए। उन पर यौन उत्पीड़न की अन्य धाराओं के तहत केस चलाने का आदेश दिया था। जब पीड़ित बच्ची की मां आरोपी पवन के घर शिकायत करने पहुंची, तो पवन के पिता अशोक ने उसके साथ गालीगलौज की और जान से मारने की धमकी दी। महिला अगले दिन थाने में एफआईआर दर्ज कराने गई। जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो उसने अदालत का रुख किया।

एस जयशंकर ने यूएन महासचिव के विशेष दूत से की मुलाकात, म्यांमार को लेकर हुई चर्चा l

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दक्षिण-पूर्वी एशिया का एक छोटा सा देश म्यांमार जो आंतरिक कलह से जूझ रहा है। भारत का ये पड़ोसी देश लोकतंत्र की बहाली को लेकर जद्दोजहद कर रहा है। 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक तरीके़ से चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट किया था। जिसके बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत की अपने पड़ोसी देश म्यांमार की स्थिती पर हमेशा से नजरें लगी हुईं हैं। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप ने मंगलवार को म्यांमार में तेजी से बदलते हालात पर चर्चा की। पिछले साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बिशप को म्यांमार के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया था। बिशप इन दिनों भारत की यात्रा पर आई हैं।

जयशंकर ने एक्स पर कहा कि मंगलवार शाम दिल्ली में म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत जूली बिशप से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिरता, शरणार्थियों की स्थिति, म्यांमार से अंजाम दिए जा रहे अंतरराष्ट्रीय अपराध तथा देश को आर्थिक सहायता प्रदान करने के बारे में चर्चा हुई। राजनीतिक हालात पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। सीमा पर बढ़ती हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी में सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।

इस साल फरवरी में, भारत और म्यांमार ने फार्मास्यूटिकल्स, दालों और बीन्स, पेट्रोलियम उत्पादों और हाल ही में शुरू किए गए रुपया-क्यात व्यापार निपटान तंत्र के अधिक उपयोग के क्षेत्रों में संभावनाओं पर चर्चा की ताकि आपसी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

दोनों देशों के बीच चर्चा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री महामहिम यू मिन मिन ने भाग लिया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया। बैठक के दौरान भारत और म्यांमार के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया और सड़कों के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के महत्व को भी स्वीकार किया और इस मुद्दे पर कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।