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भारत ने फिल्म 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग पर रोक के लिए ब्रिटेन से की मांग


नई दिल्ली:- यूनाइटेड किंगडम (यूके) में अभिनेत्री कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग के दौरान खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों ने जमकर हंगामा किया। कट्टरपंथियों ने फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने की कोशिश की। अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। मंत्रालय ने यूके से ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

यूके के सामने अपनी जिंता जाहिर कर चुके

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कई रिपोर्ट देखी हैं कि किस तरह कई हॉलों में फिल्म 'इमरजेंसी' को रोका जा रहा है। हम लगातार यूके सरकार के समक्ष भारत विरोधी तत्वों द्वारा हिंसक विरोध और धमकी से जुड़ी चिंता जाहिर कर चुके हैं। 

मंत्रालय ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चुनिंदा रूप से लागू नहीं किया जा सकता है। फिल्म को बाधित करने में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

उचित कार्रवाई करेगा यूके

विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि यूके की सरकार जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि लंदन में हमारा उच्चायोग हमारे समुदाय के लोगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए नियमित रूप से संपर्क में है। उम्मीद करते हैं कि यूके इस मामले में सख्त और उचित कार्रवाई करेगा।

अमेरिका सामने उठाया जाएगा पन्नू का मामला

सोशल मीडिया पर अमेरिकी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का एक वीडियो वायरल हो रहा है। मीडिया में वह डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में दिख रहा है। जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या भारत ने अमेरिका के साथ इस मुद्दे को उठाया है।

रणदीप जायसवाल ने कहा कि जब भी कोई भारत विरोधी गतिविधि होती है तो हम ऐसे मामलों को अमेरिका के साथ उठाते हैं। इसलिए हम अमेरिकी सरकार के साथ ऐसे मुद्दे उठाते रहेंगे, जिनका हमारी सुरक्षा पर असर पड़ता है, जिनका भारत विरोधी एजेंडा है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस आज: बेटियों से हैं आज और कल,जानिए बालिका दिवस का महत्व और इतिहास


आज का दिन देशभर की बेटियों के लिए खास है. वहीं, राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस विशेष अवसर पर जानेंगे बालिका दिवस से जुड़ी हुई कुछ खास बातें.

राष्ट्रीय बालिका दिवस न सिर्फ बच्चियों के लिए बल्कि पेरेंट्स के लिए खास है. इस विशेष मौके पर किसी ने ठीक ही कहा है कि बेटियां ही सृष्टि का आधार हैं. इनमें ही श्रेष्ठतम विश्व के स्वप्न को साकार करने का सामर्थ्य है. किसी ने सही ही कहा है कि यदि बेटा अंश है, तो बेटी वंश है. वहीं, मशहूर शायर बशीर बद्र लिखते हैं कि वो शाख है न फूल, अगर तितलियां न हों... वो घर भी कोई घर है जहां बच्चियां न हों...बालिकाओं का हमारे समाज में अहम योगदान है. यूनिसेफ के शोध से पता चलता है कि कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद बालिकाएं बेहतर भविष्य के लिए आशान्वित और दृढ़ संकल्पित हैं.

सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त बनाने का लें संकल्प

दुनिया भर में हर दिन, बालिकाएं एक ऐसे विजन की दिशा में काम कर रही हैं जिसमें वे सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त हों, लेकिन वे इसे अकेले हासिल नहीं कर सकतीं. समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिये हर साल 24 जनवरी के दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस यानी National Girl Child Day मनाया जाता है. इसे संक्षिप्त रूप में NGCD भी कहते हैं. यह दिवस बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और उनके मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है. जब लड़कियां नेतृत्व करती हैं, तो इसका प्रभाव तत्काल और व्यापक होता है, परिवार, समुदाय और अर्थव्यवस्थाएं सभी मजबूत होती हैं, हमारा भविष्य उज्जवल होता है।

क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

इस दिन को मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और लैंगिक भेदभाव को खत्म करना है. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना भी है. इसका उद्देश्य बालिकाओं को महत्व देने वाला एक सकारात्मक वातावरण के निर्माण में पूरे राष्ट्र को शामिल करना है. इसके साथ ही यह दिवस देश भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए समाज में सुरक्षित माहौल बनाने की ज़रूरत की याद दिलाता है.

भविष्य का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार

ऐसा समाज जहां बालिकाएं आगे बढ़ सकें और यह सुनिश्चित करते हुए कि वे अपने भविष्य का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हैं. लड़कियां रूढ़िवादिता और बहिष्कार द्वारा उत्पन्न सीमाओं और अवरोधों को तोड़ रही हैं, जिनमें दिव्यांग बच्चों और हाशिए के समुदायों में रहने वाले बच्चों के लिए निर्धारित सीमाएं और अवरोध भी शामिल हैं. उद्यमी, नवोन्मेषक और वैश्विक आंदोलनों के सर्जक के रूप में, लड़कियां एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर रही हैं जो उनके और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रासंगिक है. अब समय आ गया है कि लड़कियों और बालिकाओं की बात सुनी जाए, ऐसे सिद्ध समाधानों में निवेश किया जाए जो भविष्य की ओर प्रगति को गति देंगे, जिसमें हर लड़की अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकेगी.

जानें कब हुई थी शुरुआत?

राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है. भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने साल 2008 में इसकी शुरुआत की थी। इस दिन स्कूलों में पोस्टर, लेखन, ड्राइंग, और दीवार पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं वहीं बालिकाओं के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े टॉक शो और पौधरोपण जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

ये सकारात्मक प्रभाव भी डालता है

क्या आप जानते हैं कि लड़कियों में निवेश करना न केवल उनके लिए सही काम है, बल्कि यह उनके परिवारों, समुदायों और पूरे समाज पर सकारात्मक प्रभाव भी डालता है? किशोर लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के युवाओं की प्राथमिकताओं के आधार पर, भागीदारी में निहित पांच प्रमुख समाधान हैं, जो लड़कियों के जीवन को बदल सकते हैं और उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.

केंद्र सरकार की पहल और योजनाएं

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरु की हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी पहल लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और शिक्षा एवं विवाह के लिए बचत को प्रोत्साहित करके बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के प्रयासों को दर्शाती हैं।

बेटियों से जुड़ी खास पहल

•  वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘सुकन्या समृद्धि योजना' माता-पिता को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने की सुविधा देती है, जिससे वित्तीय सुरक्षा और समान अवसर सुनिश्चित होते हैं. इसके अलावा, किशोरियों के लिए योजना (SAG) और मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना महिलाओं की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करती है.

• वर्ष 2014 में शुरू की गई एक अभिनव परियोजना ‘उड़ान' है. इस योजना का उद्देश्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं के कम नामांकन पर ध्यान देना और स्कूली शिक्षा एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के बीच की खाई को कम करना है.

•  बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का उद्देश्य बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करना है और इसमें शामिल लोगों को दंडित करना है.

•  यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012, बाल शोषण से संबंधित है. इसके कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए 2020 में इसके नियमों को अद्यतन किया गया.

•  किशोर न्याय अधिनियम 2015, जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

•  मिशन वात्सल्य बाल विकास और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें चाइल्ड हेल्पलाइन और लापता बच्चों की सहायता के लिए ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाएं शामिल हैं.

•  ट्रैक चाइल्ड पोर्टल 2012 से कार्यरत है. यह पोर्टल पुलिस स्टेशनों में रिपोर्ट किए जा रहे ‘लापता' बच्चों का मिलान उन ‘मिले हुए' बच्चों से करने की सुविधा प्रदान करता है जो बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) में रह रहे हैं.

•  पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों की मदद करती है. 

इसके अतिरिक्त, निमहांस और ई-संपर्क कार्यक्रम के साथ सहयोग मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है. इन सब प्रयासों से एक सुरक्षित वातावरण बनता है, जो भारत में बालिकाओं के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देता है.

 एनएसआईजीएसई योजना

वहीं मई 2008 में शुरू की गई माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई) का उद्देश्य बालिकाओं, विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों से आने वाली बालिकाओं के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाना है. ‘उड़ान' और माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना जैसी शैक्षिक पहल शिक्षा तक पहुंच में सुधार और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. इसके अलावा, बालिकाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा के लिए कानूनी उपायों में कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं.

MP में बेटियाें को बनाया जा रहा सशक्त, समृद्ध और खुशहाल

बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन मध्य प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता है. बेटियों के सशक्तिकरण के लिये प्रदेश में अनेक योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है, और बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया है. बालिका सशक्तिकरण का "मध्य प्रदेश मॉडल" देश में सबसे अनूठा है, जिससे प्रेरित होकर अन्य राज्यों ने भी मध्य प्रदेश की योजनाओं का अनुसरण कर अपने राज्यों में लागू किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ाते हुए 26 हजार 560 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.

•  मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्य मध्य प्रदेश है.

•  बेटियों की शिक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन जारी है. 

इस योजना में 48 लाख से अधिक लाड़ली लक्ष्मियां लाभान्वित हो रही हैं. लाड़ली लक्ष्मी योजना से मध्य प्रदेश में लिंगानुपात में भी काफी सुधार हुआ है.

•  बालिकाओं में आत्म-विश्वास और कौशल वृद्धि के लिये सशक्त वाहिनी कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया. अब तक 125 से अधिक बालिकाओं का पुलिस या शासकीय विभागों में चयन हो चुका है.

•  मध्य प्रदेश में 97 हजार से अधिक संचालित आंगनवाड़ियों में 81 लाख बच्चे और गर्भवती/धात्री माताएं एवं किशोरी बालिकाएं लाभान्वित हो रही हैं.

•  राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं के साथ सहभागिता करने वाली बालिकाओं व महिला खिलाड़ियों को नगद राशि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं.

•  प्रदेश के हर जिले में वन-स्टॉप सेंटर संचालित हैं.

•  सेनिटेशन एवं हाईजीन योजना अंतर्गत 19 लाख से अधिक बालिकाओं के बैंक खाते में 57 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि का अंतरण किया गया है.

गांव की बेटी योजना

मध्य प्रदेश सरकार की ‘गांव की बेटी योजना' गांव की उन लड़कियों को आर्थिक मदद देती है, जिन्होंने 12वीं में 60% से ज़्यादा अंक हासिल किए हैं. इस योजना के तहत हर साल 5000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है. इसका मकसद, ग्रामीण इलाकों की प्रतिभाशाली छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है.

महाविद्यालय के प्राचार्य इस योजना में हितग्राही के नाम को स्वीकृति देते हैं. मंजूरी के बाद विद्यार्थियों के बैंक खाते में राशि जमा होती है. यह प्रोत्साहन योजना है और इसके साथ छात्रा अन्य योजनाओं का लाभ भी ले सकती है.

 प्रतिभा किरण योजना

प्रतिभा किरण योजना में शहर की निवासी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राएं जो कक्षा 12वीं में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई हों और शासकीय या अशासकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय में स्नातक कक्षा में अध्ययनरत हों, उन्हें 500 रुपये मासिक के हिसाब से दस माह के लिए 5000 रुपये प्रतिवर्ष दिए जाते हैं. इस योजना में भी ऑनलाइन आवेदन स्कॉलरशिप पोर्टल पर करना होता है.

चाइल्ड लाइन 1098 व महिला हेल्पलाइन 181 

यदि किसी को मदद की जरूरत हो तो तुरंत चाइल्ड लाइन 1098 या महिला हेल्पलाइन 181 पर डायल कर सकते हैं. डायल 100 पर भी सम्पर्क कर मदद ली जा सकती है. बेटियां ही बदलाव की बयार लाती हैं. बेटियां सशक्त होती हैं तो समाज सशक्त होता है. मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना इस दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हो रही हैं.

इन योजनाओं से बालिकाओं को न केवल वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनने का अवसर भी मिल रहा है. बालिकाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए तत्काल उचित कदम उठाना बेहद ज़रूरी है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस आज: बेटियों से हैं आज और कल,जानिए बालिका दिवस का महत्व और इतिहास


आज का दिन देशभर की बेटियों के लिए खास है. वहीं, राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस विशेष अवसर पर जानेंगे बालिका दिवस से जुड़ी हुई कुछ खास बातें.

राष्ट्रीय बालिका दिवस न सिर्फ बच्चियों के लिए बल्कि पेरेंट्स के लिए खास है. इस विशेष मौके पर किसी ने ठीक ही कहा है कि बेटियां ही सृष्टि का आधार हैं. इनमें ही श्रेष्ठतम विश्व के स्वप्न को साकार करने का सामर्थ्य है. किसी ने सही ही कहा है कि यदि बेटा अंश है, तो बेटी वंश है. वहीं, मशहूर शायर बशीर बद्र लिखते हैं कि वो शाख है न फूल, अगर तितलियां न हों... वो घर भी कोई घर है जहां बच्चियां न हों...बालिकाओं का हमारे समाज में अहम योगदान है. यूनिसेफ के शोध से पता चलता है कि कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद बालिकाएं बेहतर भविष्य के लिए आशान्वित और दृढ़ संकल्पित हैं.

सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त बनाने का लें संकल्प

दुनिया भर में हर दिन, बालिकाएं एक ऐसे विजन की दिशा में काम कर रही हैं जिसमें वे सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त हों, लेकिन वे इसे अकेले हासिल नहीं कर सकतीं. समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिये हर साल 24 जनवरी के दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस यानी National Girl Child Day मनाया जाता है. इसे संक्षिप्त रूप में NGCD भी कहते हैं. यह दिवस बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और उनके मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है. जब लड़कियां नेतृत्व करती हैं, तो इसका प्रभाव तत्काल और व्यापक होता है, परिवार, समुदाय और अर्थव्यवस्थाएं सभी मजबूत होती हैं, हमारा भविष्य उज्जवल होता है।

क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

इस दिन को मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और लैंगिक भेदभाव को खत्म करना है. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना भी है. इसका उद्देश्य बालिकाओं को महत्व देने वाला एक सकारात्मक वातावरण के निर्माण में पूरे राष्ट्र को शामिल करना है. इसके साथ ही यह दिवस देश भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए समाज में सुरक्षित माहौल बनाने की ज़रूरत की याद दिलाता है.

भविष्य का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार

ऐसा समाज जहां बालिकाएं आगे बढ़ सकें और यह सुनिश्चित करते हुए कि वे अपने भविष्य का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हैं. लड़कियां रूढ़िवादिता और बहिष्कार द्वारा उत्पन्न सीमाओं और अवरोधों को तोड़ रही हैं, जिनमें दिव्यांग बच्चों और हाशिए के समुदायों में रहने वाले बच्चों के लिए निर्धारित सीमाएं और अवरोध भी शामिल हैं. उद्यमी, नवोन्मेषक और वैश्विक आंदोलनों के सर्जक के रूप में, लड़कियां एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर रही हैं जो उनके और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रासंगिक है. अब समय आ गया है कि लड़कियों और बालिकाओं की बात सुनी जाए, ऐसे सिद्ध समाधानों में निवेश किया जाए जो भविष्य की ओर प्रगति को गति देंगे, जिसमें हर लड़की अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकेगी.

जानें कब हुई थी शुरुआत?

राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है. भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने साल 2008 में इसकी शुरुआत की थी। इस दिन स्कूलों में पोस्टर, लेखन, ड्राइंग, और दीवार पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं वहीं बालिकाओं के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े टॉक शो और पौधरोपण जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

ये सकारात्मक प्रभाव भी डालता है

क्या आप जानते हैं कि लड़कियों में निवेश करना न केवल उनके लिए सही काम है, बल्कि यह उनके परिवारों, समुदायों और पूरे समाज पर सकारात्मक प्रभाव भी डालता है? किशोर लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के युवाओं की प्राथमिकताओं के आधार पर, भागीदारी में निहित पांच प्रमुख समाधान हैं, जो लड़कियों के जीवन को बदल सकते हैं और उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.

केंद्र सरकार की पहल और योजनाएं

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरु की हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी पहल लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और शिक्षा एवं विवाह के लिए बचत को प्रोत्साहित करके बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के प्रयासों को दर्शाती हैं।

बेटियों से जुड़ी खास पहल

•  वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘सुकन्या समृद्धि योजना' माता-पिता को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने की सुविधा देती है, जिससे वित्तीय सुरक्षा और समान अवसर सुनिश्चित होते हैं. इसके अलावा, किशोरियों के लिए योजना (SAG) और मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना महिलाओं की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करती है.

• वर्ष 2014 में शुरू की गई एक अभिनव परियोजना ‘उड़ान' है. इस योजना का उद्देश्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं के कम नामांकन पर ध्यान देना और स्कूली शिक्षा एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के बीच की खाई को कम करना है.

•  बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का उद्देश्य बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करना है और इसमें शामिल लोगों को दंडित करना है.

•  यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012, बाल शोषण से संबंधित है. इसके कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए 2020 में इसके नियमों को अद्यतन किया गया.

•  किशोर न्याय अधिनियम 2015, जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

•  मिशन वात्सल्य बाल विकास और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें चाइल्ड हेल्पलाइन और लापता बच्चों की सहायता के लिए ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाएं शामिल हैं.

•  ट्रैक चाइल्ड पोर्टल 2012 से कार्यरत है. यह पोर्टल पुलिस स्टेशनों में रिपोर्ट किए जा रहे ‘लापता' बच्चों का मिलान उन ‘मिले हुए' बच्चों से करने की सुविधा प्रदान करता है जो बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) में रह रहे हैं.

•  पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों की मदद करती है. 

इसके अतिरिक्त, निमहांस और ई-संपर्क कार्यक्रम के साथ सहयोग मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है. इन सब प्रयासों से एक सुरक्षित वातावरण बनता है, जो भारत में बालिकाओं के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देता है.

 एनएसआईजीएसई योजना

वहीं मई 2008 में शुरू की गई माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई) का उद्देश्य बालिकाओं, विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों से आने वाली बालिकाओं के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाना है. ‘उड़ान' और माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना जैसी शैक्षिक पहल शिक्षा तक पहुंच में सुधार और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. इसके अलावा, बालिकाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा के लिए कानूनी उपायों में कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं.

MP में बेटियाें को बनाया जा रहा सशक्त, समृद्ध और खुशहाल

बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन मध्य प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता है. बेटियों के सशक्तिकरण के लिये प्रदेश में अनेक योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है, और बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया है. बालिका सशक्तिकरण का "मध्य प्रदेश मॉडल" देश में सबसे अनूठा है, जिससे प्रेरित होकर अन्य राज्यों ने भी मध्य प्रदेश की योजनाओं का अनुसरण कर अपने राज्यों में लागू किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ाते हुए 26 हजार 560 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.

•  मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्य मध्य प्रदेश है.

•  बेटियों की शिक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन जारी है. 

इस योजना में 48 लाख से अधिक लाड़ली लक्ष्मियां लाभान्वित हो रही हैं. लाड़ली लक्ष्मी योजना से मध्य प्रदेश में लिंगानुपात में भी काफी सुधार हुआ है.

•  बालिकाओं में आत्म-विश्वास और कौशल वृद्धि के लिये सशक्त वाहिनी कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया. अब तक 125 से अधिक बालिकाओं का पुलिस या शासकीय विभागों में चयन हो चुका है.

•  मध्य प्रदेश में 97 हजार से अधिक संचालित आंगनवाड़ियों में 81 लाख बच्चे और गर्भवती/धात्री माताएं एवं किशोरी बालिकाएं लाभान्वित हो रही हैं.

•  राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं के साथ सहभागिता करने वाली बालिकाओं व महिला खिलाड़ियों को नगद राशि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं.

•  प्रदेश के हर जिले में वन-स्टॉप सेंटर संचालित हैं.

•  सेनिटेशन एवं हाईजीन योजना अंतर्गत 19 लाख से अधिक बालिकाओं के बैंक खाते में 57 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि का अंतरण किया गया है.

गांव की बेटी योजना

मध्य प्रदेश सरकार की ‘गांव की बेटी योजना' गांव की उन लड़कियों को आर्थिक मदद देती है, जिन्होंने 12वीं में 60% से ज़्यादा अंक हासिल किए हैं. इस योजना के तहत हर साल 5000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है. इसका मकसद, ग्रामीण इलाकों की प्रतिभाशाली छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है.

महाविद्यालय के प्राचार्य इस योजना में हितग्राही के नाम को स्वीकृति देते हैं. मंजूरी के बाद विद्यार्थियों के बैंक खाते में राशि जमा होती है. यह प्रोत्साहन योजना है और इसके साथ छात्रा अन्य योजनाओं का लाभ भी ले सकती है.

 प्रतिभा किरण योजना

प्रतिभा किरण योजना में शहर की निवासी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राएं जो कक्षा 12वीं में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई हों और शासकीय या अशासकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय में स्नातक कक्षा में अध्ययनरत हों, उन्हें 500 रुपये मासिक के हिसाब से दस माह के लिए 5000 रुपये प्रतिवर्ष दिए जाते हैं. इस योजना में भी ऑनलाइन आवेदन स्कॉलरशिप पोर्टल पर करना होता है.

चाइल्ड लाइन 1098 व महिला हेल्पलाइन 181 

यदि किसी को मदद की जरूरत हो तो तुरंत चाइल्ड लाइन 1098 या महिला हेल्पलाइन 181 पर डायल कर सकते हैं. डायल 100 पर भी सम्पर्क कर मदद ली जा सकती है. बेटियां ही बदलाव की बयार लाती हैं. बेटियां सशक्त होती हैं तो समाज सशक्त होता है. मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना इस दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हो रही हैं.

इन योजनाओं से बालिकाओं को न केवल वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनने का अवसर भी मिल रहा है. बालिकाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए तत्काल उचित कदम उठाना बेहद ज़रूरी है।

सर्दियों में भारत की ये जगहें बन जाती हैं मिनी स्विट्जरलैंड

सर्दियों में भारत की कई खूबसूरत जगहों को उनकी बर्फीली वादियों और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के कारण "मिनी स्विट्जरलैंड" कहा जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख स्थान हैं:

1. खज्जियार, हिमाचल प्रदेश

खज्जियार को "भारत का मिनी स्विट्जरलैंड" कहा जाता है।

यह स्थान हरी-भरी घास के मैदानों, देवदार के जंगलों और बर्फ से ढके पहाड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

यहां की झील और शांत वातावरण सर्दियों में बेहद आकर्षक लगते हैं।

2. औली, उत्तराखंड

औली स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है और इसे "भारत का स्विट्जरलैंड" भी कहा जाता है।

यहां के हिमालयी दृश्य, बर्फीली ढलानें और सर्दियों की ठंडक पर्यटकों को लुभाती है।

नंदा देवी और अन्य हिमालयी चोटियों का अद्भुत नजारा यहां से देखा जा सकता है।

3. गुलमर्ग, जम्मू और कश्मीर

गुलमर्ग अपनी बर्फीली ढलानों और गोंडोला राइड के लिए जाना जाता है।

इसे "सर्दियों का स्वर्ग" और "भारत का स्विट्जरलैंड" कहा जाता है।

यह स्थान सर्दियों में स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग के शौकीनों के लिए आदर्श है।

4. मनाली, हिमाचल प्रदेश

मनाली की बर्फ से ढकी चोटियां और रोहतांग पास इसे सर्दियों में मिनी स्विट्जरलैंड का अनुभव कराते हैं।

सर्दियों में यहां स्नोफॉल का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।

5. पेलिंग, सिक्किम

पेलिंग, सिक्किम का एक छोटा सा गांव है जो सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है।

यहां से कंचनजंगा पर्वत का शानदार दृश्य दिखाई देता है।

यह जगह अपनी शांति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती है।

6. तवांग, अरुणाचल प्रदेश

तवांग अपनी बर्फीली वादियों और तवांग मठ के लिए प्रसिद्ध है।

सर्दियों में यह स्थान बर्फ की चादर ओढ़ लेता है, जो इसे मिनी स्विट्जरलैंड जैसा अनुभव कराता है।

7. मुन्नार, केरल

हालांकि मुन्नार दक्षिण भारत में है, लेकिन सर्दियों में इसकी हरियाली और ठंडी हवाएं इसे एक अद्वितीय अनुभव देती हैं।

चाय के बागान और धुंध से ढके पहाड़ इसे मिनी स्विट्जरलैंड जैसा महसूस कराते हैं।

इन स्थानों पर सर्दियों में घूमने का अनुभव आपको भारत में ही स्विट्जरलैंड जैसा एहसास देगा।

डिप्रेशन के ये लक्षण न करें नजरअंदाज, समय पर लें मदद

डिप्रेशन (अवसाद) एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं और कई बार लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। यहां डिप्रेशन के प्रमुख लक्षण और इसके तन-मन पर प्रभावों की जानकारी दी गई है।

डिप्रेशन के 8 प्रमुख लक्षण

1. लगातार उदासी महसूस होना

व्यक्ति को हर समय दुखी और खालीपन का अनुभव होता है।

2. नींद में गड़बड़ी

नींद न आना (अनिद्रा) या अत्यधिक सोने की आदत डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।

3. ऊर्जा की कमी

व्यक्ति हमेशा थका हुआ महसूस करता है और सामान्य कामों में भी रुचि नहीं लेता।

4 भूख में बदलाव

भूख कम या ज्यादा लगना, जिससे वजन बढ़ना या घट जाना।

5 आत्मविश्वास की कमी

व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं रहता और उसे हर काम में असफलता का डर सताता है।

6 एकाग्रता में कठिनाई

ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।

7 नकारात्मक विचार आना

आत्महत्या के विचार या खुद को नुकसान पहुंचाने की इच्छा हो सकती है।

8. शारीरिक लक्षण

सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और पाचन समस्याएं डिप्रेशन के शारीरिक संकेत हो सकते हैं।

डिप्रेशन का तन-मन पर प्रभाव

1 मस्तिष्क पर असर

डिप्रेशन मस्तिष्क में

 न्यूरोट्रांसमिटर्स (जैसे सेरोटोनिन और डोपामिन) के असंतुलन का कारण बनता है, जिससे मानसिक स्थिति खराब हो सकती है।

2.दिल और रक्तचाप पर प्रभाव

लंबे समय तक डिप्रेशन रहने से दिल की बीमारियों और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ सकता है।

3.इम्यून सिस्टम कमजोर होना

डिप्रेशन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति जल्दी बीमार पड़ सकता है।

4.पाचन तंत्र पर असर

तनाव और चिंता के कारण अपच, एसिडिटी और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

डिप्रेशन से बचने और ठीक होने के उपाय

1 किसी विशेषज्ञ (मनोचिकित्सक) से सलाह लें।

2. नियमित व्यायाम करें और संतुलित आहार लें।

3. मेडिटेशन और योग को दिनचर्या में शामिल करें।

4.परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।

5.नकारात्मक सोच से बचने के लिए सकारात्मक गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखें।

यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को डिप्रेशन के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत सहायता लें। सही समय पर उपचार से इस स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है।

डिप्रेशन ने दिमाग पर किया कब्जा! अपनाएं ये 5 उपाय, मेंटल हेल्थ होगी मजबूत


डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक समस्या है, जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और दैनिक जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। यह समस्या धीरे-धीरे दिमाग पर कब्जा कर लेती है और व्यक्ति को निराशा, उदासी और नकारात्मकता में घेर लेती है। लेकिन सही उपाय अपनाकर मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं डिप्रेशन से निपटने के 5 असरदार उपाय।

1. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन करें

माइंडफुलनेस और मेडिटेशन मानसिक शांति का सबसे प्रभावी तरीका है। यह आपके दिमाग को वर्तमान क्षण में रखने में मदद करता है और नकारात्मक विचारों को कम करता है। दिन में केवल 10-15 मिनट मेडिटेशन करने से तनाव और चिंता को नियंत्रित किया जा सकता है।

2. शारीरिक गतिविधि को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं

व्यायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज, योग, या वॉक करने से शरीर में "हैप्पी हार्मोन" एंडोर्फिन का स्तर बढ़ता है, जो मूड को बेहतर बनाता है।

3. सकारात्मक सोच को अपनाएं

डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए अपने विचारों को सकारात्मक दिशा में मोड़ना बहुत जरूरी है। नकारात्मक विचारों को पहचानें और उन्हें चुनौती दें। खुद को प्रेरित करने के लिए किताबें पढ़ें, प्रेरक वीडियो देखें, या ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपको खुश रखते हैं।

4. सोशल सपोर्ट का सहारा लें

अकेलापन डिप्रेशन को और बढ़ा सकता है। अपने दोस्तों और परिवार से जुड़ें और उनसे अपनी भावनाएं साझा करें। जरूरत पड़ने पर किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से भी संपर्क करें। बात करने से न केवल मन हल्का होता है, बल्कि समाधान भी मिल सकता है।

5. संतुलित आहार का सेवन करें

सही आहार मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है। अपने भोजन में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन D, और जिंक जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें। हरी सब्जियां, फल, नट्स, और मछली जैसे खाद्य पदार्थ मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

डिप्रेशन से लड़ना मुश्किल जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। इन 5 उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप न केवल डिप्रेशन से बाहर निकल सकते हैं, बल्कि अपनी मानसिक शक्ति को भी मजबूत बना सकते हैं। अगर समस्या गंभीर हो, तो बिना झिझक किसी विशेषज्ञ की मदद लें। याद रखें, आपकी मानसिक शांति ही आपकी असली ताकत है।

रिश्तों में दुख का कारण दूसरों से उम्मीदें,खुशी की जिम्मेदारी खुद लें, जानें 8 अहम सुझाव

रिश्ते हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं, लेकिन कई बार यही रिश्ते दुख का कारण बन जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है दूसरों से अत्यधिक उम्मीदें रखना। जब हमारी उम्मीदें पूरी नहीं होतीं, तो हम निराश हो जाते हैं।

साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि खुश रहने की जिम्मेदारी हमें खुद लेनी चाहिए। यहां 8 सुझाव दिए गए हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।

1. अपनी उम्मीदों को पहचानें

कई बार हमें पता ही नहीं होता कि हम दूसरों से क्या उम्मीद कर रहे हैं। खुद से सवाल करें कि आपकी उम्मीदें कितनी यथार्थवादी हैं।

2. दूसरों पर निर्भरता कम करें

आपकी खुशी आपके अपने हाथ में है। इसे दूसरों के व्यवहार या उनकी स्वीकृति पर निर्भर न करें।

3. खुद से प्यार करना सीखें

जब आप खुद को प्यार और सम्मान देंगे, तो दूसरों से मान्यता पाने की जरूरत कम हो जाएगी।

4. संवाद करें, लेकिन अपेक्षा न करें

रिश्तों में खुलकर संवाद करें। अपनी भावनाओं और जरूरतों को साझा करें, लेकिन यह उम्मीद न करें कि हर बार सामने वाला आपकी सोच के मुताबिक ही प्रतिक्रिया देगा।

5. क्षमा करना सीखें

दूसरों की गलतियों को माफ करना न केवल रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि आपको मानसिक शांति भी देता है।

6. अपने लिए समय निकालें

खुद को समय देना जरूरी है। अपनी पसंदीदा गतिविधियों में हिस्सा लें और अपने शौक को आगे बढ़ाएं।

7. आत्मनिर्भर बनें

भावनात्मक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें। इससे आपकी खुद की पहचान मजबूत होगी और आप दूसरों पर कम निर्भर रहेंगे।

8. प्रोफेशनल मदद लेने से न हिचकिचाएं

अगर आपको लगता है कि आप अकेले इस स्थिति से नहीं निपट सकते, तो साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर की मदद लें।

निष्कर्ष

खुश रहने की जिम्मेदारी खुद लेना आपको सशक्त और आत्मनिर्भर बनाता है। रिश्ते तभी बेहतर बनते हैं, जब आप खुद को खुश और संतुष्ट महसूस करते हैं। दूसरों से उम्मीदें कम करें और अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें।

आपकी खुशी आपके अपने हाथ में है। इसे संजोएं।

कोहरे के कारण लेट हुई हमसफर एक्सप्रेस में बीमार बच्ची की मौत


कोहरे की घनी चादर ने एक बार फिर रेल यातायात को प्रभावित किया और इस बार इसका नतीजा बेहद दर्दनाक रहा। एक चलती ट्रेन में एक मासूम बच्ची की जान चली गई, जो अपने परिजनों के साथ इलाज के लिए दिल्ली जा रही थी।

दरअसल बरौनी से नई दिल्ली जाने वाली 02563 हमसफर एक्सप्रेस में सफर कर रही बच्ची के परिजन उसे इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जा रहे थे। ट्रेन दिल्ली सुबह 05:10 बजे पहुंचना था, लेकिन 09:47 बजे वह ऐशबाग रेलवे स्टेशन ही पहुंच पाई थी। इस दौरान एक यात्री ने हेल्पलाइन नंबर और सोशल मीडिया 'एक्स' पर शिकायत की। जिसके बाद ऐशबाग स्टेशन पर रेलवे के डाक्टरों, जीआरपी और आरपीएफ ने बच्ची को जांच की, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। मौत के बाद उसके मां-बाप सड़क मार्ग से वापस देवरिया चले गए।

देवरिया निवासी सद्दाम की एक साल का बेटी थी। उसको निमोनिया हुआ था। स्थानीय इलाज से राहत नहीं मिली तो उसको एम्स ले जाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने बरौनी से नई दिल्ली तक चलने वाली 02563 स्पेशल ट्रेन में टिकट लिया था। यह ट्रेन करीब 11 घंटे की देरी से देवरिया पहुंची थी। कोच बी-1 में 40 नंबर सीट पर बैठे थे। लखनऊ पहुंचते-पहुंचते मासूम की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। बगल में बैठे सहयात्री हर्ष भारद्वाज ने हेल्पलाइन नंबर और एक्स पर मदद मांगी, जिसके बाद ट्रेन जब ऐशबाग पहुंची तो वहां पर डॉक्टरों ने अटेंड किया, लेकिन तब तक मासूम की मौत हो चुकी थी।

आरपीएफ इंस्पेक्टर एके सिंह ने बताया कि ऐशबाग से मासूम को लेकर उसके मां-बाप सड़क मार्ग से देवरिया के लिए रवाना हो गए। एनईआर लखनऊ मंडल के प्रवक्ता का कहना है सूचना मिलते ही चिकित्सा सेवा को अलर्ट किया गया। अगले स्टॉपेज ऐशबाग में एंबुलेंस और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा के साथ टीम तैनात थी। ट्रेन पहुंची तो डॉक्टर ने तुरंत अटेंड किया। दुखद सूचना मिली कि बच्चे की रास्ते में मौत हो गई थी।

कनाडा में राजनीतिक भूकंप: प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा


नयी दिल्ली : कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनके 10 साल पुरानी सत्ता का अंत हो गया। ट्रूडो ने भारतीय समयानुसार रात करीब 10 बजे इस्तीफे का एलान किया। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे से पहले एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।

ट्रूडो के अलावा वित्त मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में कनाडा की राजनीति में अस्थिरता बढ़ने के संकेत हैं। 

कनाडाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा, सत्ताधारी लिबरल पार्टी में अगले नेता का चुनाव होने तक ट्रूडो कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे।

अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि देश की संसद का सत्र 27 जनवरी से प्रस्तावित था। अब इस्तीफे के कारण संसद की कार्यवाही 24 मार्च तक स्थगित रहेगी।

नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि 24 मार्च तक लिबरल पार्टी अपने नए नेता का चुनाव कर लेगी। सियासी उथल-पुथल के बीच यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कनाडा में आम चुनाव कब कराए जाएंगे।

गौरतलब है कि जस्टिन ट्रूडो 2015 में कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार गिरने के बाद प्रधानमंत्री बने थे। बीते करीब 10 साल से प्रधानमंत्री पद पर काबिज ट्रूडो शुरुआती दिनों में काफी लोकप्रिय रहे, लेकिन बीते कुछ समय से वे आलोचकों के निशाने पर हैं।

कालकाजी मंदिर: जानें इस प्राचीन मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य और इतिहास


नयी दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में वैसे तो बहुत से प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन उनमें से एक मंदिर है कालकाजी मंदिर। जिसके बारे में शायद आप में से सभी ने सुना होगा और दर्शन भी जरूर किए होंगे। इस मंदिर में रोजाना भक्तों दर्शन के लिए लंबी कतार देखने को मिलती है।

नवरात्रि के दिनों में तो यहां दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है। यह दिल्ली के कालकाजी एरिया में ही स्थित है। 

मान्यता है कि इस मंदिर में देवी कालका मां से जो भी भक्त सच्चे दिल से जो भी मांगते हैं। उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। वहीं इस मंदिर से जुड़े और भी कई रोचक किस्से और हजारों साल पुराना इतिहास भी है।

आज हम आपको इस आर्टिकल में कालकाजी मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य और इससे जुड़े इतिहास के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जिसके बारे में शायद आप में से बहुत से लोग नहीं जानते होंगे।

किस देवी का स्वरूप है

मान्यता है कि यहां कई बार माता के स्वरूप में परिवर्तन देखने को मिला है। यह एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। कहा जाता है इस जगह पर माता आदिशक्ति 'महाकाली' के रूप में प्रकट हुई थी। जिसके बाद उन्होंने असुरों का संहार किया था। इसके बाद से ही यह एक सिद्ध पीठ के रूप में पूजा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बाबा बालकनाथ ने की थी। जबकि जीर्णोद्धार मुगल साम्राज्य के सरदार अकबर शाह ने कराया था। 

आज इस मंदिर में कालका मां के रूप में देवी शक्ति दुर्गा के स्वरूप को पूजा जाता है। आज यह देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक है।

कालकाजी मंदिर का इतिहास

इस प्राचीन मंदिर का इतिहास 3000 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। यानि इस मंदिर का इतिहास महाभारत के समय से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है, महाभारत युद्द के दौरान कौरव और पांडवों ने इसी मंदिर में जाकर देवी काली के दर्शन किए थे। ऐसे में यह मंदिर भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस मंदिर का कई बार निर्माण और तोड़-फोड़ हो चुकी है। ऐसा कहा जा है कि सबसे पहले इसका हिस्सा 1764 ईस्वी के पास बनाया गया था। वर्तमान में जो मंदिर की संरचना है उसका निर्माण 18वीं और 19वीं शताब्दी का बताया जाता है।

कालकाजी मंदिर से जुड़े रोचक किस्से

मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में जो यहां मेला लगता है। इस दौरान होने वाली अष्टमी और नवमी के दौरान माता यहां घूमती हैं।

कहा जाता है अष्टमी वाले दिन सुबह की आरती के बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाते है।

और उस दिन शाम को और अगले पूरे दिन आरती नहीं होती है और फिर दशमी वाले दिन मंदिर आरती की जाती है।

आमतौर पर ग्रहण के काल में मंदिर सूतक काल से ही बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन कालकाजी उन मंदिरों में से है, जो कि सूर्यग्रहण के दौरान भी खुला रहता है।इस दौरान भक्तों को भी अंदर जाकर पूजा-पाठ करने की अनुमति होती है।

कैसे पहुंचे कालकाजी मंदिर

इस मंदिर में पहुंचने का सबसे अच्छा साधन मेट्रो है। यह मंदिर दिल्ली मेट्रो की वायलेट लाइन पर पड़ता है। मेट्रो स्टेशन का नाम भी कालकाजी है। यहीं आप उतरकर आसानी से मंदिर वाक करते हुए जा सकते हैं। इसके अलावा आप सड़क मार्ग से अपनी पर्सनल कार, बस, टैक्सी, बाइक और स्कूटी से भी पहुंच सकते हैं। मंदिर तक आप ई-रिक्शा के जरिए भी जा सकती हैं। मंदिर से दर्शन करने के बाद आप नेहरू प्लेस, ओखला बर्ड सेंचुरी, लॉट्स टेंपल और इंडिया गेट जैसी आसपास जगहों को घूम सकती हैं।