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दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर: अगले 6 दिनों तक बेहद खराब श्रेणी में रहेगी हवा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. अगले 6 दिनों तक दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में रहने की संभावना जताई गई है. शनिवार सुबह 5 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता इंडेक्स 347 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में है. दिल्ली सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए तमाम इंतजाम कर रही है. शुक्रवार को आनंद विहार इलाके में ड्रोन से पानी का छिड़काव करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया, जो असफल रहा. हवा में सुधार लाने के लिए दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप)-4 लागू किया गया है.

दिल्ली में सांस लेना अभी भी घातक बना हुआ है. धूल के कण हवा में घुले हुए हैं. हवा इतनी खराब हो चुकी है कि लोग सांस संबंधित बीमारियों का शिकार होने लगे हैं. शनिवार की सुबह फिर से वहीं हाल रहा जो अब तक बना हुआ है. खराब हवा के मामले में दिल्ली के शादीपुर, मुंडका, जहांगीरपुरी और बवाना में एक्यूआई 400 से पार पहुंच गया है. वहीं, आनंद विहार, अलीपुर, अशोक विहार, द्वारका, नेहरु नगर, पंजाबी बाग, रोहिणी के हालात भी गंभीर बने हुए हैं. यहां की हवा भी बेहद खराब श्रेणी में है.

सुबह-शाम कोहरा, दिन में आसमान रहेगा साफ

मौसम विभाग के मुताबिक, शनिवार को दिल्ली में आसमान साफ रहेगा. तापमान में हल्की गिरावट रहेगी. सुबह के समय प्रमुख सतही हवा परिवर्तनशील दिशा से आने की संभावना है, जिसकी गति 4 किमी प्रति घंटे से कम होगी. वहीं, हल्का से मध्यम कोहरा रहने की संभावना है. दोपहर के समय हवा की गति धीरे-धीरे बढ़कर उत्तर-पश्चिम दिशा से 6-8 किमी प्रति घंटे हो जाएगी. इसके बाद शाम और रात के समय यह उत्तर-पश्चिम दिशा से 4 किमी प्रति घंटे से कम हो जाएगी. रात में उथला कोहरा रहने की संभावना है.

दिल्ली के इन इलाकों में बेहद खराब श्रेणी में रहा AQI

दिल्ली के कई इलाकों में शनिवार की सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से पार दर्ज किया गया. इनमें मुंडका में AQI 409, शादीपुर में 409, बवाना में 403, जहांगीरपुरी में 401, पंजाबी बाग में 391, नेहरू नगर में 386, रोहिणी में 377, आनंद विहार में 373, वजीरपुर में 373, DTU में 373, अशोक विहार में 371, द्वारका सेक्टर 8 में 367, आरकेपुरम में 362,ओखला फेस-2 में 355, अलीपुर में 351, मंदिर मार्ग में 344, विवेक विहार में 342, पड़पड़गंज में 340, आईजीआई एयरपोर्ट में 336, सोनिया विहार में 335 और दिलशाद गार्डन का एक्यूआई 314 दर्ज किया गया.

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव: एकनाथ शिंदे आज ले सकते हैं बड़ा फैसला, क्या बढ़ जाएगी बीजेपी की टेंशन

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर सस्पेंस लगातार गहराता जा रहा है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अपने पैतृक गांव दारे जाने के कारण शुक्रवार को प्रस्तावित महायुति की बड़ी और महत्वपूर्ण बैठक स्थगित कर हो गई है. वहीं इसपर शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आगामी फैसले को लेकर एक बड़ा संकेत दे दिया. उन्होंने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री को किसी बड़े निर्णय पर विचार करना होता है, तो वह अपने पैतृक गांव जाते हैं. कल शाम तक वह एक बड़ा फैसला लेंगे.

इस देरी के चलते विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी नई सरकार का गठन नहीं हो सका है. शिवसेना सूत्रों ने बताया कि अब यह बैठक रविवार को मुंबई में आयोजित होने की संभावना है. वहीं भाजपा के नेताओं ने कहा कि वे विधायक दल की बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के आने का इंतजार कर रहे हैं.

दिल्ली में शाह से हुई थी चर्चा

एकनाथ शिंदे ने गुरुवार रात दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर नई सरकार गठन को लेकर चर्चा की थी. शिंदे ने इसे सकारात्मक बताया और शुक्रवार को मुंबई में चर्चा के अगले दौर की उम्मीद जताई थी. हालांकि, भाजपा सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को महायुति की कोई बैठक निर्धारित नहीं थी. भाजपा, शिवसेना, और एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेताओं ने दिल्ली में शाह और जे.पी. नड्डा से मुलाकात कर सत्ता के बंटवारे पर चर्चा की थी.

शिंदे के उपमुख्यमंत्री बनने पर संशय

शिवसेना के अंदर शिंदे के नए सरकार में भूमिका को लेकर मतभेद उभर रहे हैं. कुछ नेता शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करने की सलाह दे रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि ढाई साल मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद यह भूमिका उनके लिए उपयुक्त नहीं होगी. शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि अगर शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद नहीं लेते, तो यह पद उनकी पार्टी के किसी और नेता को मिलेगा.

शिवसेना के सीनियर नेताओं की राय

शिवसेना के सीनियर नेता शंभुराज देसाई ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि शिंदे नई सरकार में प्रमुख भूमिका निभाएं. वहीं, सामंत ने कहा कि शिंदे नाराज नहीं हैं, और स्वास्थ्य कारणों से दारे गए हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बैठक न होने पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा संभव है.

अगले हफ्ते हो सकत है शपथग्रहण

महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57, और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने 41 सीटें जीतीं. नई सरकार का शपथ ग्रहण अगले सप्ताह होने की संभावना है. हालांकि, सत्ता बंटवारे और शिंदे की भूमिका को लेकर चल रही खींचतान के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है. महायुति की रविवार को प्रस्तावित बैठक में इस दिशा में बड़ा फैसला लिया जा सकता है.

कान में ईयरफोन लगा होने पर भी सुन सकेंगे सबकी बातें, ये ऐप करेगा मदद: जानें कैसे करें इस्तेमाल और क्या हैं सावधानियां

कई बार ऐसा होता है कि आप ऑफिस में या सड़क पर चलते टाइम बाहर की वॉयस सुन नहीं पाते हैं. आजकल ईयरफोन या ईयरबड्स में कंपनियां कुछ ऐसी सेटिंग देते हैं जिनमें बाहर की वॉयस को बिलकुल बंद किया जा सकता है. लेकिन कई बार बाहर की आवाज सुनना जरूरी हो जाता है, ऐसे में आप अपने फोन में एक सेटिंग कर सकते हैं जिसके बाद आप गाने भी सुन सकेंगे और आपके आस-पास जो बात चल रही है वो भी सुन सकेंगे.

फोन में ये ऐप करें इंस्टॉल

इसके लिए सबसे पहले अपने स्मार्टफोन में Sound Amplifier इंस्टॉल करें. ये आपको गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर दोनों पर मिल जाएगा. इसके बाद ऐप ओपन करें, अगर आपके पास वायर्ड ईयरफोन है तो वो कनेक्ट करें, नहीं तो अपने वायरलेस ईयरबड्स कनेक्ट करें.

ब्लूटूथ ईयरबड्स दूर से किसी की आवाज सुनने के भी काम आएंगे. इसका मतलब ये है कि आप एक कमरे में अपना फोन छोड़ देंगे तो दूसरे कमरे में बैठकर उस रूम की आवाजें सुन सकेंगे. डिवाइस कनेक्ट करने के बाद ईयरफोन सेटिंग में जाएं और अपने हिसाब से नॉइस रिडक्शन सब सेट कर सकते हैं.

जिन लोगों को थोड़ा कम सुनता है वो हेडफोन माइक ऑप्शन सलेक्ट कर सकते हैं. किसी दूसरे कमरे की आवाज सुनने के लिए अपने फोन का फोन माइक फीचर ऑन करक छोड़ दें. अब आपके ईयरबड्स में पूरी आवाज साफ-साफ सुनाई देगी.

ज्यादा वॉल्यूम पर ईयरबड्स

अगर आप ईयरबड्स को लंबे समय तक हाई वॉल्यूम पर सुन रहे हैं तो ये आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. इससे आपके सुनने की शक्ति पर भी असर पड़ता है और ईयरबड्स की साउंड क्वालिटी भी कम हो सकती है. ऐसे में ईयबड्स की वॉल्यूम मीडियम लेवल पर रखें और ज्यादा देर तक ईयरबड्स यूज ना करें.

इन बातों का रखें ध्यान

ईयरफोन या ईयरबड्स लगाते टाइम कुछ बातों का ध्यान रखें, 85 डेसिबल से ज्यादा वॉल्यूम ना करें ये आपके कानों के लिए नुकसानदायक मानी जाती है. एक बार में 60 मिनट से ज्यादा देर तक ईयरबड्स को यूज ना करें.

केरल में बड़ा खुलासा: BMW कारों के मालिक और अच्छे मकानों में रहने वाले लोग उठा रहे सामाजिक सुरक्षा पेंशन का फायदा

केरल में एक चौंका देने वाला खुलासा हुआ है. वित्त विभाग ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन लाभार्थियों के संबंध में एक समीक्षा की , जिसमें पता चला है कि राज्य में बीएमडब्ल्यू कारों के मालिक और अच्छे मकानों में रहने वाले लोग पेंशन का लाभ उठा रहे हैं. ऐसे में इसे लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार पूरे राज्य में ऐसा ऑडिट किया जाएगा, जिसका लक्ष्य सभी गैर पात्र व्यक्तियों को लाभार्थी सूची से हटाना है.

केरल में राजपत्रित अधिकारियों और कॉलेज के प्रोफेसरों समेत लगभग 1,500 सरकारी कर्मचारियों के फर्जी तरीके से सामाजिक सुरक्षा पेंशन हासिल करने से संबंधित खबरें आने के बाद व्यापक आक्रोश फैला हुआ है, जिसके बीच यह नया खुलासा हुआ है. आर्थिक रूप से मजबूत पृष्ठभूमि के लोगों के सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने का यह मामला मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल नगर पालिका से सामने आया है.

एसी में रहने वाले लोग उठा रहे फायदा

अधिकारियों के अनुसार, इस ऑडिट में बीएमडब्ल्यू कारों के मालिकों समेत अपात्र व्यक्तियों के पेंशन का लाभ लेने जैसे चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. एक अधिकारी ने कहा, ‘कुछ पेंशनभोगी कथित तौर पर एयर कंडीशनर जैसी सुविधाओं वाले घरों में रहते हैं. ऐसे भी उदाहरण मिले, जिनमें सरकारी नौकरी कर चुके पेंशनभोगियों के पति या पत्नी कल्याण पेंशन ले रहे थे.

ऑडिट में हुआ खुलासा

राज्य के वित्त मंत्री के.एन. बाल गोपाल ने कोट्टक्कल मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए शुक्रवार को उन अधिकारियों की सतर्कता जांच के आदेश दिए, जिन्होंने कथित तौर पर गरीबों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में ऐसे समृद्ध व्यक्तियों को शामिल किया था. वित्त मंत्री ने मिली जानकारी के मुताबिक प्रमाण पत्र जारी करने वाले राजस्व अधिकारियों और पेंशन को मंजूरी देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सतर्कता से जांच की जाएगी. कोट्टक्कल नगर पालिका के 7वें वार्ड में सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो इस मामले की जांच करेगी. इस जांच से पहले ब्यूरो ने मलप्पुरम वित्त लेखा परीक्षा विभाग ने पेंशन लाभार्थियों की जांच की थी.

महंगाई कंट्रोल करने के लिए सरकार का शानदार प्लान: 25 लाख टन गेहूं बेचने की तैयारी

भारत सरकार ने महंगाई कंट्रोल करने के लिए शानदार प्लान तैयार कर लिया है. अब आम जनता को महंगी थाली को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा. सरकार ने खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर लगाम लगाने घोषणा की है. इसके लिए वह मार्च 2025 तक 25 लाख टन एफसीआई गेहूं बेचने जा रही है. अगर महंगाई कम नहीं होती है तो आम जनता की थाली अभी की तुलना में एक्सपेंसिव हो जाएगी.

क्या है पूरी प्लानिंग?

गेहूं की बिक्री सरकार की खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) पहल के तहत की जाएगी. इसका प्रबंधन सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा, आपूर्ति और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ओएमएसएस के तहत गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य उचित एवं औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) अनाज के लिए 2,325 रुपए प्रति क्विंटल और यूआरएस (थोड़ी कम गुणवत्ता वाले) अनाज के लिए 2,300 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.

31 मार्च, 2025 तक ई-नीलामी के माध्यम से निजी पक्षकारों को गेहूं बेचा जाएगा, जिसमें आटा मिलें, गेहूं उत्पाद बनाने वाले, प्रसंस्करणकर्ता और अंतिम उपयोगकर्ता शामिल हैं. हालांकि, सरकार ने थोक उपयोगकर्ताओं को एफसीआई गेहूं की बिक्री शुरू करने की तारीख के बारे में जानकारी नहीं दी. पिछले साल, एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को 10 लाख टन से अधिक गेहूं बेचा था.

भारत ब्रांड के बैनर तले सरकार कर रही काम

सरकार ने देश में महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत भारत ब्रांड के लिए दूसरा चरण शुरू किया है. इसके तहत आटे के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से 3.69 लाख टन गेहूं और 2.91 लाख टन चावल आवंटित किया है. प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत ब्रांड के तहत सामान तब तक मिलता रहेगा, जब तक आवंटित किया गया भंडार समाप्त नहीं हो जाता. अगर और अधिक राशन की जरूरत पड़ी तो सरकार के पास पर्याप्त भंडार है. सरकार दोबारा राशन आवंटित कर देगी.

पहले चरण में चावल की कम बिक्री पर मंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद कारोबार करना नहीं है. बल्कि सरकार का उद्देश्य ग्राहकों को राहत देना और बाजार में कीमतों को नियंत्रित करना है. अगर बाजार में मांग देखी गई तो सरकार छोटे आकार के पैकट लाने पर विचार करेगी.

लगातार 8वीं बार कम हुआ देश का विदेशी मुद्रा भंडार

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 नवंबर से 29 नवंबर के बीच 1.31 अरब डॉलर घटकर 656.58 अरब डॉलर पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पहले, 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 17.76 अरब डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट के साथ 657.89 अरब डॉलर रहा था.

सितंबर के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था. उसके बाद से इसमें पिछले कई हफ्ते से गिरावट आ रही है.

क्यों घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार?

रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.04 अरब डॉलर घटकर 566.79 अरब डॉलर रही.

डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है. समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.83 अरब डॉलर बढ़कर 67.57 अरब डॉलर हो गया. विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 7.9 करोड़ डॉलर घटकर 17.98 अरब डॉलर रहा.

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत का आरक्षित भंडार 1.5 करोड़ डॉलर घटकर 4.23 अरब डॉलर रहा.

राजकोषीय घाटा 46.5 प्रतिशत हुआ

केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों में पूरे साल के लक्ष्य के 46.5 प्रतिशत तक पहुंच गया. सरकारी आंकड़ों में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई. लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 7,50,824 करोड़ रुपये था. सरकार के व्यय और राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में घाटा बजट अनुमान का 45 प्रतिशत था.

पाकिस्तान का विदेशी भंडार 2.2 बिलियन बढ़ा

स्टैट बैंक ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार उसका विदेशी 2.2 बिलियन डॉलर बढ़ गया है. इस समय पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 13.1 बिलियन पर पहुंच गया है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई के बाद इतनी तेजी देखी गई है.

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में बीजेपी के पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान के साथ कार्यकर्ताओं ने की मारपीट

उज्जैन जिले के महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों का लोकार्पण और भूमि पूजन करने के लिए शुक्रवार को जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल महिदपुर पहुंचे थे. यहां कार्यक्रम में बीजेपी के तीन बार के पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान के साथ बीजेपी के ही कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ बदसलूकी की, बल्कि मारपीट भी की. बीजेपी के पूर्व विधायक की धुनाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के नारायणा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लोकार्पण के बाद प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, सांसद अनिल फिरोजिया, बीजेपी जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला महिदपुर की ओर जा रहे थे, तभी बोरिंग दूध प्लांट के बाहर बीजेपी नेता प्रताप सिंह आर्य ने प्रभारी मंत्री और सांसद का एक स्वागत समारोह आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान को निमंत्रण नहीं दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी वह मंच पर पहुंचे और यहां स्वागत समारोह में भागीदारी करने लगे.

जब प्रभारी मंत्री खुद मंच से उतर गए

स्वागत समारोह के बाद बहादुर सिंह चौहान जैसे ही मंच से नीचे उतरे तो कार्यकर्ताओं ने उनकी जमकर धुनाई कर दी. घटना के बाद बहादुर सिंह चौहान और प्रताप सिंह आर्य के समर्थक आमने-सामने भी हुए, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर सभी कार्यकर्ताओं को अलग-अलग किया. घटना के दौरान यह देखने को मिला कि प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल को खुद यह विवाद शांत करने के लिए मंच से नीचे उतरना पड़ा. साथ ही सांसद अनिल फिरोजिया ने भी माइक लेकर कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की हिदायत दी. बताया जा रहा है कि पूरे मामले में महिदपुर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है

एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं प्रताप सिंह आर्य और बहादुर सिंह चौहान

याद रहे कि पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान और जिला पंचायत सदस्य प्रताप सिंह आर्य एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं. वर्तमान में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों ही एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़े थे. आज भी इस विवाद का मुख्य कारण बहादुर सिंह चौहान का प्रताप सिंह आर्य के मंच पर चढ़ना ही था. बताया जाता है कि बहादुर सिंह चौहान के मंच पर चढ़ने के साथ ही कुछ लोग उनका विरोध करने लगे थे. इन्हीं लोगों ने बहादुर सिंह चौहान के मंच से नीचे उतरते ही उन पर हमला कर दिया. बहादुर सिंह चौहान के साथ आए लोग उन्हें बचा पाते, इसके पहले ही कुछ लोगों ने उनके साथ धक्का-मुक्की कर मारपीट की.

उपमुख्यमंत्री नहीं बनेंगे एकनाथ शिंदे, पार्टी के किसी और नेता को देंगे मौका- शिवसेना नेता संजय शिरसाट

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों आए हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नामों पर अभी तक कोई मुहर नहीं लग पाई है. ऐसे में शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने उपमुख्यमंत्री को लेकर मीडिया से बातचीत में कहा है कि पार्टी के प्रमुख एकनाथ शिंदे अगर इस पद पर अपनी सहमति नहीं बनाते हैं तो हम कोई और दूसरा रास्ता निकालेंगे. ऐसी स्थिति में इस पद को पार्टी के किसी और सदस्य को सौंपा जा सकता है.

मीडिया से बातचीत में शिरसाट ने एकनाथ शिंदे के भविष्य को लेकर सवाल पूछे जाने पर कहा कि वो निश्चित रूप से केंद्रीय मंत्री के तौर पर केंद्र में नहीं जाएंगे. महाराष्ट्र चुनावों में महायुति गठबंधन का प्रदर्शन शानदार रहा. इससे पहले पिछले दिनों कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने के बीजेपी के नेतृत्व के फैसले का बिना किसी विरोध के समर्थन करेंगे. उनकी तरफ से इस फैसले पर किसी तरह की बाधा नहीं दी जाएगी.

महायुति का रहा शानदार प्रदर्शन

इस बार के विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को कुल 288 सीट में से 232 सीट पर जीत मिली. वहीं बीजेपी का प्रदर्शन भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार रहा है. शिंदे के बीजेपी के समर्थन देने वाले बयान आने बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें उपमुख्यमंत्री की कमान सौंपी जाएगी. इसी पर शिरसाट ने साफ किया है कि शिंदे उपमुख्यमंत्री के पद को स्वीकार नहीं करेंगे.

किस सीट पर चुनाव जीते थे शिरसाट

महाराष्ट्र की औरंगाबाद विधानसभा पश्चिम सीट पर फिर से जीतने वाले शिरसाट ने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करते हैं, तो हमारी पार्टी के किसी और नेता को इसका मौका दिया जाएगा. इसी विषय पर देसाई, जो कि 2022 से 2024 तक शिंदे के गढ़ ठाणे के संरक्षक मंत्री थे. शिंदे के विशाल प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए देसाई ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र में शिंदे को अगली सरकार का हिस्सा होना चाहिए.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में अनोखा पुल, जहां लकड़ी की सीढ़ी से चढ़ते और उतरते हैं लोग।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर एक ऐसा अनोखा पुल है जहां पर लोग लकड़ी की सीढ़ी के सहारे चढ़ते और उतरते हैं. शादियाबाद के सराय सदकरमें बेसो नदी पर पिछले दस साल से पुल हवा में लटक रहा है.शादियाबाद के सराय सदकरगांव में बेसो नदी बहती है और इसी नदी पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी के विधायक सुब्बा राम ने करोड़ों रुपए की लागत से एक पुल निर्माण की आधारशिला रखकर शिलान्यास करने का काम किया गया.

हालांकि पुल बनने का काम तो शुरू हुआ, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया. ऐसे में ये पुल आज भी हवा में झूल रहा है. ग्रामीणों के साथ साथ यह अनोखा पुल भी पिछले सात सालों से सम्पर्क मार्ग बनने की राह देख रहा है, लेकिन इसके बनने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है.

बेसो नदी पर किया था पुल का शिलान्यास

सपा सरकार के कार्यकाल में लोगों की आवागमन की समस्या को देखते हुए तत्कालीन विधायक सुब्बाराम ने बेसो नदी पर इस पुल का शिलान्यास किया था. पुल का निर्माण जोर-शोर से शुरू हुआ लगभग लगभग पुल तैयार भी हो गया, लेकिन 2017 में सरकार बदलते ही पुल का काम बंद हो गया. ऐसे में तब से लेकर आजतक पुल हवा में झूल रहा है. जानकारी के मुताबिक नदी में पानी कम होता है तो लोग उसमें घुसकर लोग इधर-उधर आते जाते हैं. वहीं नदी में पानी जब ज्यादा होता है, तो लोग लकङी की सीढ़ी के सहारे पुल पर चढ़ते और दूसरी तरफ सीढ़ी के सहारे उतरते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक पुल के दोनों तरफ सम्पर्क मार्ग बनाने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है. सराय सदकर गांव के रहने वालों ने बताया कि पुल बनाने के लिए उनके जमीनों का उपयोग भी किया गया और उन्हें मुआवजा नहीं दिया. इस वजह से ग्रामीणों ने उस वक्त पुल के निर्माण को रोक दिया, लेकिन विभाग के लोगों ने अभी तक इसमें कोई एक्शन नहीं लिया है.

बीच में रुक गया पुल का निर्माण

इसके अलावा मरदह के कोर गांव और मऊ के गजेंद्रपुर गांव को जोड़ने के लिए भैसही नदी पर करोड़ों रुपये की लागत से पुल का निर्माण भी 12 साल पहले शुरू किया गया. ग़ाज़ीपुर की तरफ का अप्रोच तक कई फीट नीचे कंकड़ डालकर छोड़ दिया गया, जबकि मऊ की तरफ का अप्रोच न बनने के कारण कई फीट गहरा गड्ढा है. पुल बनने से जनपद के कोर, नखतपुर, बिजौरा, मुस्तफाबाद, नेवादा, भोजपुर, मिर्जापुर आदि गांवों के लोगों को समय और श्रम दोनों में बचत होगी.

महाराष्ट्र के गोंदिया में भीषण बस दुर्घटना: 9 लोगों की मौत, कई घायल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की मुआवजे की घोषणा

महाराष्ट्र के गोंदिया में भीषण बस दुर्घटना हुई है. इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो चुकी है. घायलों में कुछ की हालत बेहद गंभीर है. मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तरफ से हादसे के पीड़ितों को 10 लाख रुपये की तत्काल सहायता देने का ऐलान किया गया है. घटना के पीछे की वजह बाइक को बचाने के चक्कर में बस का अनियंत्रित होना बताया गया है.

दरअसल, गोंदिया-कोहमारा स्टेट हाई-वे पर खजरी गांव के करीब बाइक को बचाने के चक्कर में शिवशाही बस अनियंत्रित हो गई और पलट गई. बस के पलटने से कुछ लोग उसके नीचे दब गए, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. शुक्रवार की दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे के बीच हुए इस हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई.

कैसे हुआ हादसा?

हादसे में पलटने वाली बस महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम (MSRTC) की थी. ये बस भंडारा से साकोली लखानी होते हुए गोंदिया की ओर जा रही थी. इस बस का नंबर MH 09 EM 1273 बताया गया है. बस के सामने टर्निंग सड़क थी और अचानक सामने से बाइक आ गई. बाइक चालक को बचाने के चक्कर में बस ड्राइवर ने कट मारा, जिससे बस अनियंत्रित हो गई और पलट गई.

बस में 5 से अधिक यात्री सवार थे

हादसे के वक्त बस में 35 से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें से 9 की मौत हो गई है. मौत का आंकड़ा बढ़ भी सकता है. चश्मदीदों के मुताबिक, बस ड्राइवर हादसे के बाद घटनास्थल से फरार हो गया. राहगीरों के सूचना पर एंबुलेंस और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होंने घायलों को इलाज के लिए गोंदिया के जिला शासकीय अस्पताल (केटीएस) में भर्ती कराया. हादसे का शिकार हो चुकी बस को उठाने के लिए क्रेन की मदद ली गई और उसे वहां से हटाया गया. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है.