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ब्रिटिश शाही परिवार की बेंगलुरु यात्रा: स्वास्थ्य और शांति की खोज में!

ब्रिटेन के राजा चार्ल्स बेंगलुरु में एक सीक्रेट ट्रिप पर हैं. जहां वे व्हाइटफील्ड के पास एक विशाल एकीकृत चिकित्सा सुविधा सेंटर में ठहरे हैं. यह उनके राज्ययाभिषेक के बाद शहर की पहली यात्रा है, जो 6 मई को यूनाइटेड किंगडम के राजा के रूप में हुई थी. उनके साथ रानी कैमिला भी हैं. यह हेल्थ सेंटर अपने पुनर्जीवनीकरण उपचार के लिए प्रसिद्ध है. यहां योग, ध्यान और विशेष उपचार के जरिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जाता है.

अधिकारी बताते हैं कि तीन दिन की इस यात्रा के दौरान, शाही दंपति ने केंद्र के चारों ओर लंबी सैर का आनंद लिया है और पास के जैविक फार्म का भी दौरा किया है. इससे उन्हें न सिर्फ शांति मिल रही है, बल्कि प्रकृति के करीब आने का भी अनुभव हो रहा है.

क्यों आएं राजा?

सूत्रों के मुताबिक, राजा और रानी मध्य सप्ताह में वापस लौटने की योजना बना रहे हैं. इस स्वास्थ्य केंद्र से उनकी पुरानी यादें भी जुड़ी हैं, क्योंकि 2019 में अपने 71वें जन्मदिन के अवसर पर राजा चार्ल्स यहां आए थे और इसी केंद्र में इसे मनाया था. 30 एकड़ में फैले इस केंद्र में पहले भी राजा को स्वास्थ्य लाभ के लिए कई उपचार दिए गए हैं, और यह स्थान अपने शांत वातावरण और हरियाली के लिए जाना जाता है. ब्रिटिश शाही परिवार के इस दौरे के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

लोगों का किया धन्यवाद

रॉयल फैमिली के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स एक्स पर भी इस यात्रा का कोई जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि, इसे शाही परिवार के एक निजी दौरे के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए सार्वजनिक स्तर पर इसका प्रचार नहीं किया गया है. राजा चार्ल्स और रानी कैमिला ने ऑस्ट्रेलिया और सामोआ का दौरा भी किया था. वहां उन्होंने लोगों से मिले गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए अपना आभार व्यक्त किया था. इस यात्रा के अंत में राजा चार्ल्स ने अपने संदेश में कहा था, हम दोनों राष्ट्रों का इतने शानदार स्वागत और यादगार पलों के लिए धन्यवाद करते हैं. ये यादें हमारे दिलों में वर्षों तक रहेंगी.

भारतीय रेलवे में यात्री सुविधाओं की कमी: सप्तक्रांति एक्सप्रेस में बिजली खराब होने से यात्रियों को रातभर परेशानी!

भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को लगातार बेहतर सुविधाएं देने के लिए काम कर रहा है. हालांकि बीते दिन एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने यात्रा के दौरान दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. 29 अक्टूबर की रात मुजफ्फरपुर से आनंद विहार जाने वाली 12557 सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस की बी-फोर बोगी की बिजली खराब हो गई, जिसे पूरी रात ठीक नहीं किया गया. बिजली खराब होने की वजह से कोच में सवार सभी यात्रियों को रातभर परेशानी का सामना करना पड़ा

कोच के यात्रियों ने जब इसकी शिकायत रेलवे बोर्ड, रेल मंत्री और संबंधित क्षेत्र के डीआरएम के एक्स हैंडल पर की तो मुजफ्फरपुर जंक्शन पर रेल महकमे में हलचल मच गई. सोनपुर मंडल के डीआरएम विवेक भूषण सूद ने यात्रियों की शिकायत के बाद मामले की जांच के निर्देश दिए हैं. ट्रेन की बी-फोर बोगी आनंद विहार टर्मिनल पर है, जहां इसकी जांच की गई.

किस स्टेशन से लाइट हुई खराब?

विवेक भूषण सूद ने बताया कि ट्रेन के कोच की आखिरी जांच 30 अक्टूबर को ट्रेन के मुजफ्फरपुर पहुंचने पर की जाएगी. साथ ही कहा कि मामले में दोषियों के खिलाफ मुख्यालय कार्रवाई भी करेगा. यात्रियों से मिली जानकारी के मुताबिक बगहा स्टेशन के बाद से ट्रेन के आगे बढ़ने के बाद से ही बी-फोर कोच की बत्ती नहीं जल रही थी.

यात्रियों से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने लाइट नहीं आने की शिकायत कोच अटेंडेंट से की थी, जिसके बाद उसने इस बात की जानकारी इलेक्ट्रिकल विभाग को दी. यात्रियों ने बताया कि लखनऊ पहुंचने पर मैकेनिक आया लेकिन गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई. वहीं कोच अटेंडेंट भी कोच से निकल गया, फिर पूरी यात्रा के दौरान बी-फोर बोगी में नहीं आया और न ही कोच की लाइट सही हुई. यात्रियों ने बताया कि उन्हें इस दौरान कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरा: दिवाली पर अरबों की सौगात और विकास परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिन के गुजरात दौरे पर जा रहे हैं. वह दिवाली पर गुजरात की जनता को अरबों की सौगात देंगे. पीएम शाम 5.30 बजे एकता नगर में 280 करोड़ से अधिक की लागत वाली तमाम विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. इन प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाना, पहुंच में सुधार करना और क्षेत्र में स्थिरता पहलों का समर्थन करना है.

इसके बाद पीएम मोदी शाम 6 बजे 99वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारियों को संबोधित करेंगे. इस साल के कार्यक्रम का विषय “आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लिए रोडमैप” है. 99वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स आरंभ 6.0 में भारत की 16 सिविल सेवाओं और भूटान की 3 सिविल सेवाओं के 653 अधिकारी प्रशिक्षु शामिल हैं.

पीएम मोदी राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में होंगे शामिल

पीएम मोदी 31 अक्टूबर दिवाली के दिन राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में शामिल होंगे. वहां सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि देंगे. पीएम मोदी एकता दिवस की शपथ दिलाएंगे और एकता दिवस परेड देखेंगे. इस परेड में 9 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस, 4 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एनसीसी और एक मार्चिंग बैंड की 16 मार्चिंग टुकड़ियां शामिल होंगी. इस कार्यक्रम में हमारे वायुवीर फ्लाईपास्ट भी करेंगे. सेना के अलावा स्कूली बच्चे भी वारा पाइप बैंड शो करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे को लेकर पूरी तैयारी की गई है, जहां-जहां पीएम मोदी के कार्यक्रम होंगे वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

बीते दिन पीएम मोदी ने दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘एक समय था, जब इलाज में लोगों के घर, जमीने, गहने सब बिक जाते थे. गंभीर बीमारी के इलाज का खर्च सुनते ही गरीब की आत्मा कांप जाती थी. पैसे की कमी की वजह से इलाज न करा पाने की बेबसी, बेचारगी गरीब को तोड़ कर रख देती थी. मैं अपने गरीब भाई-बहनों को इस बेबसी में नहीं देख सकता था, इसलिए ही ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने जन्म लिया है.’

70 वर्ष से ऊपर के सभी बुजुर्गों को मिलेगा ‘आयुष्मान योजना’ का लाभ

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने तय किया, गरीब के 5 लाख रुपए तक के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. देश में लगभग 4 करोड़ गरीबों ने आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठाया है. चुनाव के समय मैंने गारंटी दी थी कि तीसरे कार्यकाल में 70 वर्ष से ऊपर के सभी बुजुर्गों को ‘आयुष्मान योजना’ के अंतर्गत लाया जाएगा. ये गारंटी पूरी हो रही है. अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के देश के हर बुजुर्ग को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा. ऐसे बुजुर्गों को आयुष्मान वय वंदना कार्ड दिया जाएगा. ये योजना मील का पत्थर साबित होगी. घर के बुजुर्ग के पास आयुष्मान वय वंदना कार्ड होगा, तो परिवार के खर्चे भी कम होंगे, उनकी चिंता भी कम होगी.’

मध्य प्रदेश में हाथी मौत की गुत्थी: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 4 हाथियों की मौत, 6 बीमार!

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर, खितौली और पनपथा रेंज की सीमा में 4 जंगली हाथियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वहीं दूसरी तरफ 6 हाथी बिमार है. ग्रामीणों का कहना है कि कोदो और कुटकी की फसल खाने के चलते हाथियों की मौत हो गई है और जो बीमार हैं उनका इलाज करने के लिए जबलपुर के डाक्टरों की टीम पहुंची है.

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि खितौली कोर, पतौर कोर और पनपथा बफर का एरिया है, यह ट्राय जंक्शन एरिया कहलाता है. यहां से गांव भी पास में लगे हुए हैं. हाथियों की मौत को लेकर उन्होंने कहा, हम जांच कर रहे हैं, डॉक्टरों की टीम भी आ गई है, अभी तक 4 हाथियों की मौत हो चुकी है.

हाथियों के मूवमेंट पर रखी जाती है नजर

डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया, यह 13 हाथियों का झुंड था बाकी अभी जंगल में दिख रहे हैं अभी 6 हाथियों का इलाज चल रहा है. प्रतिदिन हमारी टीमें पेट्रोलिंग करती हैं और साथ में हमारे गांव वालों के दल भी बने हुए हैं जो लगातार हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखते हैं, हमारे व्हाट्सएप ग्रुप भी बने हुए हैं, कल का इनका मूवमेंट बताया गया था कि बगैहा, बडवाही होते हुए सलखनिया गांव गए थे.

हाथियों की कैसे हुए मौत?

अगर ग्रामीणों की माने तो इनकी मौत और जो हालत खराब हुई है वह कोदो और कुटकी की फसल खाने से हुई है. हाथियों को कोदो और कुटकी भारी नुकसान पहुंचाती है. हालांकि, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 60 से 70 जंगली हाथियों का दल अलग-अलग झुंड में अलग-अलग क्षेत्र में रहता है.

भारत में कितने हाथी मौजूद

हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. साल 2017 में हाथियों की भारत में जनगणना हुई थी, जिसके मुताबिक, भारत में लगभग 29,964 हाथी मौजूद हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक जंगली एशियाई हाथियों की आबादी रहती है. पूरे देश में 31 हाथी रिजर्व हैं, जो 14 राज्यों और 76,508 वर्ग किलोमीटर में फैले हैं.

नीतीश कुमार का एनडीए को एकजुट करने का अभियान: 2025 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए आवश्यक

नीतीश कुमार को फिर से धोखे का डर सता रहा है. इसलिए नीतीश एनडीए के घटक दल से एकजुट होकर काम करने को लेकर जोर दे रहे हैं. नीतीश ने बैठक में जोर देकर कहा कि एनडीए की मीटिंग बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक होनी चाहिए जिससे विधानसभा चुनाव में जनता को साफ मैसेज जाए कि गठबंधन एकजुट है और इसमें कोई मतभेद नहीं है. साल 2020 में 43 सीटों पर अटकी जेडीयू पुराने इतिहास से सबक लेकर कदम फूंक फूंक कर रखना चाह रही है. इसलिए एनडीए की मीटिंग में वैसे किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई जो एनडीए के घटक दलों के लिए गले की फांस बनी हुई है.

साल 2020 के चुनावी परिणाम के बाद जेडीयू बीजेपी पर शक करने लगी थी. चिराग पासवान पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार न उतारकर जेडीयू की मिट्टी पलीद करने में जुटे हुए थे. चिराग कामयाब भी रहे. एनडीए की सरकार तो बनी लेकिन नीतीश की पार्टी जेडीयू महज 43 सीटों पर सिमट गई थी. नीतीश सीएम बन गए, लेकिन उन्हें लग गया कि ये खेल बीजेपी की तरफ से खेला गया था. क्योंकि बीजेपी अब बिहार में भी ड्राइविंग सीट पर बैठना चाह रही है.

जेडीयू को एनडीए में किस घटक दल से लग रहा है डर?

इसी वजह से साल 2022 में जेडीयू ने एनडीए से किनारा कर आरजेडी का दामन थामा था. लेकिन आरजेडी के साथ भी रिश्ते महज डेढ़ साल ही चले और नीतीश वापस एनडीए में आ गए. नीतीश द्वारा इस कदर पलटी मारने से उनकी छवि को बड़ा धक्का पहुंचा, लेकिन वो इस बार एनडीए के सभी घटक दल को साध कर बिहार में कीर्तिमान स्थापित करना चाह रहे हैं. लोकसभा चुनाव में नीतीश का स्ट्राइक रेट अच्छा रहा है और केन्द्र सरकार नीतीश की पार्टी के समर्थन से चल रही है.

बीजेपी अब डिफेंसिव है. इसलिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में मेजॉरिटी नहीं आने की वजह से उसी समय ऐलान कर दिया था कि साल 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए नीतीश के नेतृत्व में मैदान में उतरेगी. इस बार बीजेपी प्रदेश में ज्यादा खेल करने की स्थिति में नहीं है. वहीं चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) भी नीतीश से बेहतर रिश्ते कायम करने के प्रयास में जुटी दिख रही है, लेकिन दो बार बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ जाने वाले नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के कार्यकर्ता दिल से जुड़ सकेंगे इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

यही वजह है कि नीतीश और उनके सिपहसालार ने इस संभावनाओं के मद्देनजर आज एक मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग एनडीए की एकजुटता पर विशेष जोर दिया. जाहिर है एनडीए में इस बार बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (आर), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल है.

2025 को लेकर क्यों चौकन्ने हैं नीतीश कुमार?

नीतीश कुमार साल 2019 में एनडीए में थे और लोकसभा चुनाव में एनडीए बिहार में 39 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन एनडीए की हालत साल 2020 के विधानसभा चुनाव में खराब रही थी. चिराग के विरोध की वजह से नीतीश 43 सीटें पर सिमट गए थे और बीजेपी के साथ मिलकर विरोधियों से महज 12 हजार वोटों की बढ़त के साथ नीतीश सरकार बनाने में सफल रहे थे. इस बार के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन एक की तुलना में 10 सीटें जीतने में कामयाब रहा है.

वहीं कांग्रेस और लेफ्ट आरजेडी के साथ मजबूत गठबंधन में है और मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी भी तेजस्वी यादव के साथ मिलकर ही विधानसभा चुनाव लड़ने की फिराक में हैं. जाहिर है एनडीए के घटक दलों की संख्या बढ़ी है तो महागठबंधन में भी घटक दलों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ी है. इसलिए मुकाबला दिलचस्प होगा ये साफ दिखाई पड़ रहा है. 17 महीने की सरकार में नीतीश कुमार ने जो भी नौकरियां दी हैं उसे आरजेडी तेजस्वी यादव की कारस्तानी बताकर यूथ को साधने में जुट गई है.

बिहार में नीतीश के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी भी चरम पर

पिछले 19 साल से नीतीश सीएम की कुर्सी पर हैं. इसलिए एंटी इनकम्बेंसी भी चरम पर है. ऐसे में मुकेश साहनी और लेफ्ट का मजबूती से आरजेडी को मिल रहा साथ पिछले 19 सालों की कहानी को पलट सकता है. इसका ट्रेलर पिछले विधानसभा चुनाव में दिख गया था. इसलिए कहा जा रहा है कि आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव युवाओं को अपने साथ खींचने में सफल रहे तो बाजी पलट सकती है. जाहिर है इसी को रोकने की कोशिश में नीतीश और उनकी टीम लग गई है. इसलिए घटक दलों के साथ व्यापक पैमाने पर बैठक कर जिले स्तर पर मजबूत गठबंधन कायम रखने का प्रयास किया गया है.

गौरतलब है कि एनडीए के घटक दल के एमपी, एमएलए, एमएलसी और जिला अध्यक्ष तक को मीटिंग में बुलाकर नीतीश कुमार ने अगले चुनाव के लिए मंत्र दिया है जेडीयू के नेताओं के दिमाग में चल रही संशय की ओर इशारा साफ करती है. नीतीश और उनके सिपहसालार को लग रहा है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 39 सीटें जीतने के बावजूद साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी सत्ता तक पहुंचने से कुछ कम विधायकों के चलते चूक गई थी. लेकिन इस बार महागठबंधन 10 लोकसभा सीटें जीती है. इसलिए आरजेडी इस बार विधानसभा चुनाव में ज्यादा खेल न कर सके इसके लिए एनडीए का सही अर्थों में एकजुट रहना बेहद जरूरी है.

जेडीयू का लगातार गिर रहा है ग्राफ

जेडीयू साल 2010 में 125, साल 2015 में 71 और साल 2020 में 43 सीटें जीतकर सरकार बनाने में सफल तो रही है. लेकिन जेडीयू का ग्राफ किस कदर गिरा है ये आंकड़े सारे विश्लेषण कर रहे हैं. लेकिन साल 2020 में उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग पासवान एनडीए में नहीं थे वहीं एनडीए में मुकेश साहनी चुनाव से ऐन वक्त पहले आए थे. ज़ाहिर है इस बार चिराग, उपेंद्र कुशवाहा साथ हैं और मुकेश साहनी अलग. इस सबके बीच नीतीश के दाहिने हाथ कहे जाने वाले आरसीपी सिंह भी पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं.

वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी नीतीश को कमजोर बताकर हटाने में जुट गई है. ऐसे में चिराग की भूमिका में इस बार प्रशांत किशोर रह सकते हैं. इसकी भी चर्चा जोरों पर है. बिहार में प्रशांत किशोर एनडीए को ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे या इंडिया गठबंधन को, इसको लेकर भी ऊहापोह की स्थिति है. कहा जा रहा है कि बीजेपी के मतदाता वैसी जगह पर प्रशांत किशोर को वोट दे सकते हैं जहां जेडीयू के उम्मीदवार खड़े होंगे. इसलिए इस बार प्रशांत किशोर ही चिराग पासवान की भूमिका में होंगे. यही डर जेडीयू नेताओं के दिलो दिमाग में है. इसलिए एकजुटता को लेकर नीतीश कुमार मीटिंग में सबसे ज्यादा जोर देते सुने गए हैं.

अंतर्विरोध को कैसे दूर करेंगे एनडीए के घटक दल?

एनडीए में अंतर्विरोध है. वक्फ संशोधन बिल को जेपीसी में भेजा जाना इसका बड़ा प्रमाण है. संसद में ललन सिंह का जोरदार बीजेपी समर्थन तब फीका पड़ गया जब जेडीयू के भीतर से विरोध में आवाज उठने लगे. वहीं यूसीसी से लेकर कई अन्य मसलों पर जेडीयू और बीजेपी आमने सामने है. जाहिर है बीजेपी केंद्र में समर्थन पाने की वजह से जेडीयू की हां में हां कर रही है. लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी और जेडीयू में विरोध साफ दिखता रहा है. यही हाल शराबबंदी को लेकर भी है. इस मसले पर जीतन राम मांझी के सुर जेडीयू से अलग रहे हैं.

अंतर्विरोध चुनाव में महंगे साबित हो सकते हैं

वहीं एससी-एसटी को रिजर्वेशन के मसले पर कोटे में कोटा का विरोध चिराग पासवान की पार्टी खुलकर करती दिखी है. जबकि जीतन राम मांझी इसकी मांग करने में आगे दिखे. ये अंतर्विरोध चुनाव में महंगे साबित हो सकते हैं. लेकिन नीतीश कुमार इस सब को अलग रख सभी घटक दल को एकजुट रखने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं. इसी वजह से जेडीयू मीटिंग में गिरिराज सिंह की हिंदु जागरण यात्रा की चर्चा न कर अंतर्विरोध को दूर करती दिखी है. ज़ाहिर है जेडीयू के लिए आधार वोट बैंक को एकजुट रखते हुए घटक दलों के वोट को ट्रांसफर करा लेना बड़ी चुनौती दिख रही है. इसलिए नीतीश कुमार नीतीश सरकार न कहकर एनडीए सरकार के प्रचार प्रसार करने पर जोर दे रही है.

दरअसल लोकसभा चुनाव में काराकाट, आरा और जहानाबाद में एनडीए की हार चिंता का सबब बना हुआ है. इसमें एनडीए के कई वोटर अलग पैटर्न पर वोट डालते देखे गए हैं. इसलिए नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव से पहले सारी दिक्कतों को दूर करना चाह रहे हैं.

पंजाब के मानसा में पेट्रोल पंप पर संदिग्ध धमाका, विदेशी नंबर से मिली पांच करोड़ की फिरौती की मांग

पंजाब के मानसा में सिरसा रोड पर एक पेट्रोल पंप पर बीती रात संदिग्ध धमाका किया गया. घटना के बाद पेट्रोल पंप मालिक को विदेशी मोबाइल नंबर से फोन और मैसेज आया. फोन करने वाले ने पहले तो पेट्रोल पंप मालिक को फोन पर धमकी दी, फिर मैसेज भेजकर पांच करोड़ रुपए फिरौती की मांग की. पेट्रोल पंप मालिक ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस अब इस धमाके की जांच-पड़ताल में जुटी हुई है.

मानसा के सिरसा रोड पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर बीती रात करीब एक बजे एक बम नुमा वस्तु फेंक कर ब्लास्ट किया गया, जिसके बाद पेट्रोल पंप मालिक को वॉट्सऐप कॉल जरिए विदेशी नंबर से फोन और मैसेज किया गया और धमाका करने की जिम्मेदारी ली गई. मैसेज में कहा गया कि पेट्रोल पंप पर उन्होंने ग्रेनेड फेंका है और ये तो सिर्फ ट्रेलर है. अगर उन्हें पांच करोड़ रुपए न दिए तो उनके घर पर हमला कर परिवार को जान से मार दिया जाएगा.

धमाके की जांच-पड़ताल में जुटी पुलिस

दिवाली के त्योहार को लेकर कुछ दिन ही रह गए हैं, लेकिन उससे पहले पंजाब के मानसा में पेट्रोल पंप पर बम से हमला हुआ है. फिलहाल इस धमाके में पेट्रोल पंप पर मौजूद कोई भी कर्मी या ग्राहक घायल नहीं, लेकिन धमाके की आवाज सुन सभी डर गए. ग्राहक तो आनन-फानन में अपनी-अपनी गाड़ियां लेकर भाग खड़े हुए. पेट्रोल पंप मालिक ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस धमाके की जांच में जुट गई.

CCTV फुटेज खंगाल रही पुलिस

वहीं पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. पेट्रोल पंप पर धमाके वाली जगह पर भी जांच की जा रही है. साथ ही पेट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं. वहीं अभी तक इस धमाके पर मानसा पुलिस के किसी भी बड़े अधिकारी ने बयान जारी नहीं किया है, जबकि पेट्रोल पंप मालिक से न सिर्फ पांच करोड़ की रंगदारी मांगी गई है, बल्कि उसके घर को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई है.

अभिनव अरोड़ा को लॉरेंस बिश्नोई गैंग की धमकी, परिवार को मिला जान से मारने की चेतावनी

भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहने वाले अभिनव अरोड़ा के परिवार को आज फिर धमकी मिली है. अभिनव अरोड़ा के पिता के मोबाइल पर आया लॉरेंस बिश्नोई गैंग का एक मैसेज. ये मैसेज वॉट्सऐप पर भेजा गया था. मैसेज में लिखा गया है, “इस बच्चों को सुधार लो. ये हमारे हिंदू धर्म को बदनाम कर रहा है. मैं लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप से हूं. अभी तो मैं समझा रहा हूं, फिर…” सोशल मीडिया पर ये वॉट्सऐप मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. हालांकि अभी इसको लेकर अभिनव अरोड़ा के परिवार ने कोई बयान नहीं दिया है.

मथुरा के रहने वाले अभिनव अरोड़ा जो कि कृष्ण भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं, उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसको लेकर अब मामला इतना बढ़ गया है कि अभिनव अरोड़ा के परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही है. वहीं आज अभिनव अरोड़ा के परिवार ने कोर्ट की शरण ली है. उन्होंने मथुरा कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र देकर सात यूट्युबरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.

पुलिस पर सुनवाई न करने का आरोप

वहीं जब इस बारे में अभिनव अरोड़ा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके द्वारा 19 अक्टूबर को पुलिस से शिकायत की गई थी, लेकिन पुलिस द्वारा कोई भी एक्शन नहीं लिया गया. फिर आज उन्होंने कोर्ट की शरण ली. उन्होंने बताया कि मेरा एक वीडियो जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज जी के साथ का सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है. हालांकि उसमें कुछ और है, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ और दिखाया जा रहा है.

कोर्ट पहुंचा अभिनव अरोड़ा का परिवार

और तो और उस वीडियो के वायरल होने के बाद कुछ यूट्यूबर मेरी भक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं. जब बात मेरी भक्ति की आ गई है तो मैं कोर्ट की शरण में पहुंचा हूं, जिसमें सात यूट्यूबरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग है. अभिनव अरोड़ा के वकील आजाद खाकर ने बताया कि अभिनव अरोड़ा की मां के द्वारा एक प्रार्थना पत्र मथुरा कोर्ट में दाखिल किया गया है, जिसमें सात यूट्यूबर के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है.

वकील आजाद खाकर ने बताया कि मामले में जब पुलिस द्वारा कोई भी एक्शन नहीं लिया गया तो अभिनव और उनका परिवार परेशान होकर मथुरा कोर्ट पहुंचा. कोर्ट में आज सुनवाई हुई. अब कोर्ट ने छह नवंबर की अगली सुनवाई की तारीख लगाई है, जिसमें मथुरा पुलिस की अब तक कार्रवाई की रिपोर्ट मांग गई है.

धमकी के बाद डरा-सहमा हुआ है परिवार

अभिनव के पिता मैं कोर्ट से थोड़ी देर पहले ही घर पुहंचा था. वॉट्सऐप ओपन करते देखा तो उसमें एक अन्य नंबर से मैसेज पड़ा हुआ था, जिसमें लिखा था कि, “हिंदू धर्म का मजाक मत बनाओ और अपने बेटे को समझ लो. नहीं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा.” सबसे बड़ी बात यह है कि जिस नंबर से यह मैसेज आया, वह व्यक्ति अपने आप को लॉरेंस बिश्नोई गैंग का मेंबर बता रहा है. इस मैसेज के बाद परिवार काफी डरा-सहमा हुआ है.

कलकत्ता हाई कोर्ट में बड़ी सुरक्षा चूक: लाइव स्ट्रीमिंग में अचानक अश्लील वीडियो चलने से मचा हड़कंप

कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को एक अजीबोगरीब घटना घटी. जस्टिस शुभेंदु सामंत की कोर्ट की सुनवाई जब यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम हो रही थी, तभी अचानक अश्लील वीडियो चलने लगा. सुनवाई के दौरान ऐसा आपत्तिजनक वीडियो देखकर कई लोग हैरान रह गए. फिर अचानक से स्ट्रीमिंग बंद कर दी गई. हाई कोर्ट की सुनवाई में लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान ये चूक कैसे हो गई, ये जांच का विषय है.

चूंकि कलकत्ता हाई कोर्ट में अभी छुट्टी है. इसलिए अवकाश पीठ में सुनवाई चल रही है. सोमवार को जस्टिस शुभेंदु सामंत की कोर्ट में रूम नंबर-7 में इसी तरह सुनवाई चल रही थी. तभी अचानक अश्लील वीडियो चलने लगा. सुनवाई के दौरान ऐसा आपत्तिजनक वीडियो देखकर कई लोग हैरान रह गए. आनन-फानन में लाइव स्ट्रीमिंग को बंद करना पड़ा.

आईटी सेल की तरफ से की जाएगी कार्रवाई

हाई कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक, हाई कोर्ट के आईटी सेल की ओर से कार्रवाई की जाएगी. आम तौर पर जब कोई हैक होता है तो पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए. हालांकि, अभी तक पास के हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. मामले में यह भी जांच की जा रही है कि हाई कोर्ट के किसी कर्मचारी की लापरवाही तो नहीं थी.

जब सुप्रीम कोर्ट का चैनल हो गया था हैक

बता दें कि एक महीने पहले आरोप लगे थे कि सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब पेज हैक हो गया है. आरजी टैक्स मामले की सुनवाई का वीडियो रातों-रात आधिकारिक यूट्यूब चैनल से ‘गायब’ हो गया. उस घटना में सुरक्षा की बड़ी खामी सामने आई थी. सुप्रीम कोर्ट का चैनल ही नहीं मिल पाया. एक वीडियो पर क्लिक करने पर दूसरा वीडियो खुल गया. इस बार कलकत्ता हाई कोर्ट में भी ऐसा ही हुआ. इसे लेकर सवाल उठ रह हैं.

दिल्ली में कबूतरों की बढ़ती आबादी का स्वास्थ्य पर प्रभाव: MCD ने दाना डालने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की

दिल्ली में कबूतरों की बढ़ती आबादी चिंता बढ़ा रही है. इसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां जन्म ले रही हैं. इस कारण दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) कबूतरों को दाना डालने वाले कुछ जगहों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. इस बात का समर्थन कई बड़े डॉक्टरों ने भी कर दिया है. हालांकि, दाना बेचने वाले इससे काफी नाराज हैं, उनका कहना है अगर ऐसा हुआ तो उनके पेशे पर खतरा होगा और घर चलाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, MCD इस प्रस्ताव पर गहनता से विचार कर रही है.

FORDA के जनरल सेक्रेटरी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टीबी एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के डॉ मीत घोनिया ने बताया कि कबूतर की बीट में साल्मोनेला, ई. कोली व इन्फ्लूएंजा जैसे रोगाणु हो सकते हैं, जिससे अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि इन दिनों ऐसे मरीज़ों की संख्या बढ़ी है, जिनका एक्सपोज़र कबूतरों से हुआ है. आपको बता दें कि एक स्टडी के दौरान पाया गया कि कबूतरों की बीट में जो केमिकल पाया जाता है, वो काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

डॉ मीत ने बताया कि जब कबूतर एक जगह ज़्यादा संख्या में होते हैं तो उनकी बीट से क्रिप्टोकोकी जैसे फंगल बीजाणुओं के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जिन्हें सांस के जरिए अंदर लेने से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इसीलिए सही समय पर डॉक्टर के पास चले जाएं, वरना कई बार लास्ट स्टेज में लोग आते हैं, जिससे जान तक जाने का ख़तरा हो सकता है.

आम लोगों का MCD के इस प्रस्ताव पर विरोध

टीवी 9 भारतवर्ष ने जब कबूतरों को दाना डालने आए लोगों से बातचीत की तो उनका कहना था कि ये ग़लत है, वो लोग कई साल से कबूतरों को दाना डाल रहे हैं और उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हुई. प्रदूषण पर सरकार के रुख़ का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार प्रदूषण के मामले में कुछ नहीं कर रही और इन बेज़ुबानों का खाना बंद करने पर विचार कर रही है जो ग़लत है. वहीं पीढ़ियों से कबूतर का दाना बेचने वाले लोग भी परेशान हैं, उनका कहना है कि हम कई पीढ़ी से ये काम कर रहे हैं,ऐसे में हमारी रोज़ी रोटी छिन जाएगी.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने जारी की तीसरी लिस्ट, 25 नए उम्मीदवारों का ऐलान

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 25 उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी ने मुर्तिजापुर से हरीश मारोतिअप्पा पिंपले, कारंजा से सई प्रकाश डहाके, तेओसा से राजेश श्रीराम वानखेड़े और मोर्शी से उमेश को मैदान में उतारा है. राज्य की आष्टी सीट बीजेपी के खाते में आ गई है. पार्टी ने यहां से सुरेश धस को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से अजित पवार गुट के सिटिंग विधायक थे.

वहीं, आर्वी विधानसभा सीट से पार्टी ने सुमित किशोर वानखड़े, कटोल से चरणसिंह बाबूलालजी ठाकुर, सवानेर से आशीष रंजीत देशमुख, नागपुर मध्य से प्रवीण प्रभाकराव दटके, नागपुर पश्चिम से सुधाकर विट्ठलराव कोहले को उम्मीदवार घोषित किया है

अब तक 146 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान

बीजेपी की ओर से अब तक 146 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. बीजेपी की ओर से जो पहली लिस्ट जारी की गई थी उसमें 99 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए थे. इसके बाद 22 उम्मीदवारों की दूसरी सीट जारी की गई थी और अब 25 उम्मीदवारें की तीसरी लिस्ट सामने आई है.

घाटकोपर से प्रकाश मेहता को नहीं मिला टिकट

घाटकोपर सीट से प्रकाश मेहमता को टिकट नहीं मिला है. बीजेपी ने उनकी जगह पराग शाह को उम्मीदवारब बनाया है. पिछली बार भी प्रकाश मेहता को टिकट नहीं मिला था तो शाह और मेहता के समर्थक आपस में भिड़ गए थे. वहीं, बीजेपी ने मुंबई की सेफ सीट कही जाने वाली बोरीवली से संजय उपाध्याय को टिकट दिया इस सीट से सुनील राणे विधायक थे, उनका टिकट कट गया है. इसके पहले विनोद तावड़े विधायक थे तो उनका टिकट काटकर सुनील राणे को दिया गया था.

नांदेड़ उपचुनाव के लिए संतुक मारोतराव हंबर्डे को मैदान में उतारा

बीजेपी ने नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव के लिए संतुक मारोतराव हंबर्डे को अपना उम्मीदवार बनाया है. नांदेड़ लोकसभा सीट पर 20 नवंबर को उपचुनाव होना है. ये सीट कांग्रेस के सांसद वसंतराव बलवंत राव चव्हाण के निधन के बाद खाली हुई. कांग्रेस इस सीट से अब उनके बेटे को मैदान में उतारा है.