दीपावली के बाद क्यों मनाया जाता है भाई दूज ?जानें इनकी पीछे की पौराणिक कथा
दिवाली के बाद भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन की तरह भैया दूज भी बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है. यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है. जिसमें साल का पहला भैया दूज चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं. इस त्योहार को देशभर में भाई फोटा, भाऊ बीज, भाई बिज, भाऊ बीज, भ्रातृ द्वितीय, यम द्वितीया, भतृ दित्य, भाई तिहार और भाई टिक्का के नाम से भी जाना जाता है. हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है.
कब है भैया दूज
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज की तिथि का आरंभ 2 नवंबर शाम 8 बजकर 21 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 3 नवंबर रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, भाई दूज का पर्व रविवार 3 नवंबर को मनाया जाएगा
भाई दूज 2024 पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त
भाई दूज के दिन तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. भाई दूज के दिन तिलक लगाने के लिए कुल 2 घंटे 12 मिनट तक का समय मिलेगा.
कैसे हुई भैय दूज की शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की दो संताना थी एक यमराज और दूसरी यमुना. यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्रेम करते थे. यमुना अपने भाई से बार-बार अपने घर आने को कहती थी. एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उन्होंने अपने भाई से घर पर आने का वचन ले लिया. भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए. तब यमुना ने अपने भाई यमराज का भव्य स्वागत किया. इसके बाद यमराज को तिलक लगाकर भोजन कराया. यमुना का अपने भाई के प्रति इतना प्रेम और आदर देख यमराज प्रसन्न हुए और यमुना से वरदान मागनें को कहा. जिसके बाद वरदान में यमुना ने अपने भाई से कहा कि हर साल आप इस दिन मेरे घर आना. इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा शुरु हुई.
भाई दूज का महत्व
भाई दूज के दिन भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाकर और नारियल देकर सभी देवी-देवताओं से भाई की सुख-समृद्धि और दिर्घायु की कामना करती है. उसके बाद भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं.
Oct 26 2024, 16:19