आलू में झुलसा रोग के लिए केमिकल का प्रयोग न करें किसान- डा. सुधाकर
कुमारगंज अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में चल रहे "अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजनाह्व की 42वीं वार्षिक समूह की तीन दिवसीय का मंगलवार को समापन हो गया। इस मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डा. सुधाकर पांडेय मौजूद रहे। उनके साथ विवि के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डॉ. बृजेश सिंह, सीपीआरआई मेरठ के क्षेत्रीय निदेशक डा. आर.के सिंह, सीपीआरआई शिमला के पूर्व निदेशक डा. एस. के चक्रबर्ती भी मौजूद रहे। तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में सब्जी वैज्ञानिकों ने आलू में हो रहे अनुसंधान, नवीनतम तकनीकों, आलू और बीज की गुणवत्ता पर मंथन किया।
बैठक में बतौर मुख्यअतिथि आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डा. सुधाकर पांडेय ने कहा कि हमें ऐसी किस्मों को विकसित करने की जरूरत है जो किसानों के बीच अधिक समय तक लोकप्रिय बना रहे है और उनके उत्पादन में भी अधिक बढ़ोतरी हो सके। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील किया कि वे प्राकृतिक खेती के शेड्यूल को पहले प्रमाणित करें उसके बाद ही किसानों तक पहुंचाएं। उन्होंने किसानों से अपील किया कि वे आलू को झुलसा रोग से बचाने के लिए साइमोसाइक्लिन केमिकल का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करें।
बैठक में आलू की छह नई किस्मों को किसानों के लिए पेश की गई जिसमें चार अनुशंसित की गईं हैं। इसमें एक किस्म लाल छिलके वाली, दो किस्म चिप्स बनाने के लिए तथा एक आलू की गर्मी रोधी किस्म के रूप में देश के विभिन्न राज्यों के लिए प्रस्तावित की गई। बैठक के समापन से पूर्व सभी अतिथियों ने नीबू की विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए। उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. संजय पाठक के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर विभिन्न राज्यों से आए वैज्ञानिक, निदेशक, पूर्व निदेशक, विवि समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य मौजूद रहे।
Sep 25 2024, 09:01