18 सितंबर हो होने वाले चंद्र ग्रहण का भारत में कितना रहेगा असर, क्या है यह खगोलीय घटना
गोरखपुर। वैसे तो विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए अंतरिक्ष में घटित होने वाली कोई भी खगोलीय घटनाएं नई जानकारियों के साथ ही रोमांचकारी अनुभव का एहसास भी कराती ही हैं, चाहें वह ग्रहण हों या अन्य कोई खगोलीय घटनाएं, अगर हम बात करें 18 सितंबर हो होने वाले उपच्छया चंद्र ग्रहण की या 18 सितंबर की रात्रि में दिखने वाले पूर्ण चांद की जिसे सुपर फुल मून कहा जायेगा तो हम पाते हैं कि यह सब खगोलीय घटनाओं का ही परिणाम है,।
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 18 सितंबर को होने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि इस समय भारत में सुबह का समय हो रहा होगा इस कारण से इसे देख पाना मुश्किल होगा,जबकि इस ग्रहण का प्रारम्भ समय भारतीय समयानुसार सुबह प्रातः 06 बजकर 11 मिनिट्स से आंशिक ग्रहण की समाप्ति 10 बजकर 17 मिनिट्स पर होगा जिस समय सूर्य के कारण दिन का समय हो चुका होगा जिस से इसे देख पाना मुश्किल होगा।
कैसे होता है चंद्र ग्रहण
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तब चंद्र ग्रहण की घटना घटित होती है, जिस वजह से चंद्रमा की सतह पर पृथ्वी की जैसी छाया पड़ती है वैसी ही इस्थिति के कारण ग्रहण लगते हैं जैसे कि पूर्ण, आंशिक, एवम उपछाया चंद्र ग्रहण ,
प्रत्येक पूर्णिमा को क्यों नहीं लगता चंद्र ग्रहण _ खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि चंद्रमा का कक्षा तल पृथ्वी के कक्षा तल से 5 डिग्री का कोण बनाता हैं जिस कारण तीनों पिण्ड (सूर्य , पृथ्वी और चन्द्रमा) एक सीधे रेखा में नहीं आ पाते हैं , यह कभी कभार कक्षा तल में उपर नीचे से गुजर जाते हैं जिस कारण प्रत्येक पूर्णिमा को ग्रहण नहीं लगता है, जब भी यह तीनों पिण्ड एक सटीक सीधे रेखा में आते हैं तब तब ग्रहण की इस्तिथि बनती है, इस इस्तिथी को खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रहण कहा जाता है।
18 सितंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण कहां से दिखाई देगा
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार 18 सितंबर को होने बाला चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका आदि देशों में दिखाई देगा, यह भारत में दिखाई नहीं देगा,
लेकिन निराश न हों,
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जब शाम को पूर्वी आकाश में चन्द्रमा उदित होगा तब भारत में एक खूबसूरत नज़ारा दिखाई देगा जिसे सुपर मून या फूल मून कहा जायेगा, इस दौरान पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी 3 लाख 57 हज़ार 286 किलोमीटर होगी जो कि अपने कक्षा तल में नजदीकी बिंदु पर होगा जिसे खगोल विज्ञान की भाषा में पेरिगी कहा जाता है, चन्द्रमा की कक्षा पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार है, जिस कारण चन्द्रमा कभी दूर और कभी पास से गुजरता है, खगोल विज्ञान की भाषा में पास वाले बिंदू को पेरीगी और दूर वाले विंदू को एपोगी कहा जाता है , जिस कारण यदि चांद पृथ्वी से अपने पास वाले बिंदू पर होता है तब यह अन्य पूर्ण चंद्र के मुकाबले 14 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चकमदार नज़र आता है।
बता दें कि सुपर मून शब्द सबसे पहले वैज्ञानिक रिचर्ड नोल्ले ने दिया था, इस सुपर मून को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जैसे सुपर फुल मून या सुपर मून या कार्न मून या हार्वेस्ट मून आदि, जिसे सम्पूर्ण भारत में देखा जा सकेगा, जिसे बिना किसी ख़ास दूरबीन या अन्य सहायक उपकरणों की सहायता से ही आप अपनी साधारण आंखों से ही अपने घर से ही देख सकते हैं , जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
Sep 18 2024, 08:44