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रक्षाबंधन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देश के नाम संदेश*
#president_murmu_message_occasion_of_raksha_bandhan आज पूरे देश में भाई-बहन के प्रेम का प्रतिक त्योहार रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को रक्षा बंधन की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि रक्षा बंधन भाइयों और बहनों के बीच प्यार और आपसी विश्वास की भावनाओं को मजबूत करता है।उन्होंने महिलाओं की रक्षा पर भी लोगों को संदेश दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि रक्षाबंधन हमारे देश की विविधता में एकता का प्रतीक है। यह त्योहार सांस्कृतिक और धार्मिक सीमाओं से परे है। द्रौपदी मुर्मू ने उन्होंने महिलाओं के हितों, अधिकार और सम्मान को लेकर कहा कि यह त्योहार हमारे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हमारे संकल्प को मजबूत करने का काम करता है। उन्होंने कहा कि यह त्योहार देश में प्रेम और सद्भावना को बढ़ाता है। उन्होंने इस दौरान उम्मीद जताई कि इस त्योहार के जरिए महिलाओं का सम्मान समाज में बढ़ेगा। बता दें कि आज रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। यह एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच प्यार और बंधन को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। राखी सुरक्षा की भावना का प्रतीक है। रक्षाबंधन पर भाई अपनी बहनों को किसी भी प्रकार के परेशानी से बचाने का वादा करते हैं।
कोलकाता घटना को लेकर पद्म अवॉर्ड विजेता डॉक्टरों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, जानें क्या मांगे रखी*
#kolkata_rape_case_padma_awardee_doctors_letter_pm_modi कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पूरा देश ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानित के कारण उबल रहा है। देशभर के डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। राजनीतिक दल सड़कों पर है। इस बीच घटना पर दुख व्यक्त करते हुए 70 से अधिक पद्म पुरस्कार विजेता डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। पद्म पुरस्कार विजेता डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है। उन्होंने कोलकाता में हुए जघन्य अपराध के दोषियों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने तथा डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवरों और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ शारीरिक और मौखिक दोनों तरह की हिंसा से निपटने के लिए एक अलग कानून बनाने की मांग की है। प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने वालों में डॉ. हर्ष महाजन, एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया, कोरोना काल में बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाले आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज के निदेशक डॉ एसके सरीन, अशोक वैद, अनूप मिश्रा, ए.के. ग्रोवर, अलका कृपलानी और मोहसिन वली समेत 70 से ज्यादा नाम हैं। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, “हम पद्म पुरस्कार विजेता डॉक्टर हाल में कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुई भयावह घटना के बारे में गहरी चिंता और पीड़ा के साथ आपको लिख रहे हैं। हमारे देश के प्रमुख के रूप में, हम इस भयावह स्थिति को दूर करने के लिए आपसे तत्काल और व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं।” पत्र में कहा गया, “हम पूरी एकजुटता के साथ पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं, जिसका दर्द और क्षति अकल्पनीय है। हम चिकित्सा समुदाय को भी अपना पूरा समर्थन देते हैं, जो अपने काम के दौरान इस तरह की हिंसा का सामना कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ सुरक्षित रखा जाना चाहिए।” *डॉक्टरों ने पीएम मोदी से की ये मांग* -डॉक्टर स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मौजूदा कानूनी ढांचे को और अधिक सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। -यौन हिंसा के अपराधियों के लिए कठोर और समयबद्ध सजा: डॉक्टर ऐसे अपराधों के खिलाफ निवारक के रूप में कठोर और त्वरित दंड की वकालत करते हैं। -अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में उन्नत सुरक्षा उपाय: पत्र में सरकार से सभी चिकित्सा कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के भीतर बेहतर सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने का आग्रह किया गया है। -स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए एक विशेष कानून का अधिनियमन और कार्यान्वयन: हम केंद्र और राज्य सरकारों से स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए एक अलग कानून बनाने और लागू करने का आग्रह करते हैं, जिससे जमीन पर इसका तेजी से कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके। -पत्र में कहा गया है कि एक प्रस्तावित विधेयक, “डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवरों और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक” 2019 से तैयार किया गया है, लेकिन अभी तक पारित होने और अपनाने के लिए संसद में पेश नहीं किया गया है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस आशय का एक अध्यादेश तुरंत लाया जा सकता है, और विधेयक को तुरंत पारित किया जाना चाहिए ताकि देश में स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणालियों में काम करने वाले सभी लोग पीड़ित रोगियों की सेवा में बिना किसी डर के काम कर सकें। *सुप्रीम कोर्ट ने केस पर लिया स्वत: संज्ञान* महिला से रेप और मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने इस केस पर स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ 20 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी।
अमरनाथ यात्रा का आज होगा समापन, इस साल पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए बाबा बफार्नी के दर्शन*
#52_days_long_amarnath_yatra_ends_with_chhari_mubarak

अमरनाथ यात्रा का आज समापन हो जाएगा। यह यात्रा सावन की पूर्णिमा तिथि को समाप्त होगी। श्री अमरनाथ यात्रा सोमवार को पवित्र छड़ी और विशेष पूजा के साथ संपन्न हो जाएगी। बता दे कि इस साल यात्रा इस साल यात्रा की शुरुआत 29 जून से हुई थी। पिछले दो दशक में यह चौथा मौका है जब बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पांच लाख से अधिक है। आज छड़ी मुबारक की परंपरा निभाई जाएगी, उसके बाद अमरनाथ यात्रा को समाप्त कर दी जाएगी। श्री अमरनाथ यात्रा गुरुवार पवित्र गुफा में छड़ी मुबारक की पूजा के साथ संपन्न होगी। भगवान शिव की प्रतीक छड़ी मुबारक को श्रीनगर स्थान से पहलगाम और पंचतरिणी तक लाया जाता है। अमरनाथ मंदिर पवित्र छड़ी के संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया कि एक रात रुकने के बाद छड़ी मुबारक रविवार सुबह श्रावण शुक्ल पक्ष चतुर्दशीके मौके पर शेषनाग शिविर से पंचतरणी शिविर के लिए रवाना हुई। इसके बाद पवित्र छड़ी साधुओं के एक समूह के साथ 14,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित महागुन्स टॉप को पार कर गई थी। महागुन्स टॉप स्वामी अमरनाथ जी के पवित्र मंदिर के मार्ग में सबसे ऊंची चोटी है। छड़ी मुबारक को सोमवार सुबह श्रावण पूर्णिमा के मौके पर पवित्र गुफा में ले जाया जाएगा और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पारंपरिक पूजा और अनुष्ठान किए जाएंगे। *क्या है छड़ी मुबारक?* भगवान शिव की पवित्र गदा, जिसे छड़ी मुबारक के नाम से भी जाना जाता है। छड़ी मुबारक को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। यह एक धार्मिक परंपरा है। इस चांदी की छड़ी को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस छड़ी में भगवान शिव की अलौकिक शक्तियां निहित हैं। कहा जाता हैं कि महर्षि कश्यप ने यह छड़ी भगवान शिव को इस आदेश के साथ सौंपी थी कि इसे प्रति वर्ष अमरनाथ लाया जाए। *इस साल 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन* जानकारी के अनुसार, इस साल 5.10 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। इसके पहले 2008 में 5.33 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। वर्ष 2012 में ऑलटाइम 6.35 लाख का रिकाॅर्ड बना था। 2011 में 6.21 लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा की। वर्ष 2004 में चार लाख, 2005 में 3.88 लाख, 2006 में 3.47 लाख, 2007 में 2.96 लाख, 2009 में 3.81 लाख, 2010 में 4.55 लाख, 2013 में 3.54 लाख, 2014 में 3.72 लाख, 2015 में 3.52 लाख, 2016 में 2.21 लाख, 2017 में 2.60 लाख, 2018 में 2.85 लाख, 2019 में 3.43 लाख, 2020 में 3.04 लाख और 2023 में 4.50 लाख श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए।
विराट कोहली ने इंटरनेशनल क्रिकेट में किए 16 साल पूरे

विराट कोहली ने इंटरनेशनल क्रिकेट में 16 साल पूरे कर लिए हैं. 18 अगस्त 2008 को उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू किया था और फिर समय गजरने के साथ वो टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बन गए. विराट ने इन सालों में इतने कमाल किए कि दुनिया उन्हें ‘किंग कोहली’ के नाम से पुकारने लगी. बीते 16 सालों में उन्होंने कई रिकॉर्ड्स तोड़े और कई नए कीर्तिमान स्थापित किए. उनके क्रीज पर होने मात्र से ही पूरे देश को जीत का भरोसा होता है. इसका एक नमूना उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में दिखाया था. लगातार फ्लॉप होने के बाद उन्होंने फाइनल में भारत के लिए मैच जिताऊ पारी खेलकर फिर से अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया था. हालांकि, उनके लिए ये सफर इतना आसान नहीं रहा है. आइये जानते हैं कब और कैसे विराट दुनिया महान बल्लेबाजों में शामिल हो गए.

शतकों के ‘किंग’ विराट

विराट कोहली इंटरनेशनल क्रिकेट में अब तक 80 शतक लगा चुके हैं. इसमें उन्होंने 29 शतक टेस्ट, 50 वनडे और 1 टी20 में जड़े हैं. एक्टिव क्रिकेटर्स में वो सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाज हैं. इसलिए उन्हें मॉडर्न लेजेंड भी कहा जाता है. हालांकि, विराट को अपने शुरुआती सालों में काफी संघर्ष करना पड़ा था. आपको जानकर हैरानी होगी कि शतकों के ‘किंग’ अपने डेब्यू वाले साल में एक भी शतक नहीं लगा सके थे.

2008 में उन्हें केवल 2 अर्धशतक से संतोष करना पड़ा था. उन्होंने पहला शतक साल 2009 में श्रीलंका के खिलाफ लगाया, जिसमें 107 रन बनाए थे. इसके अगले साल भी वो 2 शतक लगा सके थे. साल 2011 में उन्हें वर्ल्ड कप के लिए चुना गया. इस दौरान वो कुछ खास कमाल नहीं कर पाए. हालांकि, पूरे साल में उन्होंने 4 शतक जरूर जड़े थे.

साल 2012 ने बदल दी तस्वीर

विराट कोहली डेब्यू करने के बाद 4 साल में केवल 7 शतक ही जड़ सके थे. इसके बाद आया साल 2012, जिसने पूरी तस्वीर बदल कर रख दी. पूरी दुनिया ने उनके टैलेंट का नमूना देखा और वो ‘किंग कोहली’ बन गए. विराट कोहली ने बताया था कि इससे पहले वो खुद को अनफिट महसूस कर रहे थे, जिससे प्रदर्शन में सुधार नहीं आ रहा था. फिर उन्होंने फिटनेस पर काम किया और ये उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. इस साल उन्होंने कुल 8 शतक जड़कर इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने आगाज का ऐलान किया. इस साल वो सर्वाधिक शतक लगाने वाले बल्लेबाज भी बने. साल 2012 में उन्होंने 5 वनडे सेंचुरी लगाकर ICC वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर भी बने थे.

ऐसे बने किंग कोहली

साल 2012 के बाद से कोहली कभी नहीं रुके. विराट कोहली ने 2013 से 2016 तक 25 सेंचुरी लगाई. इसके अगले दो साल में तो वो और भी खतरनाक हो गए. 2017 और 2018 में विराट ने 22 हंड्रेड बना दिए थे. 2018 में विराट ने 11 बार सौ का आंकड़ा पार किया था. टेस्ट हो या वनडे या फिर टी20, उन्होंने हर फॉर्मेट में धमाका किया. इतना ही नहीं विराट ने भारत से विदेशी जमीन तक, हर जगह शानदार प्रदर्शन किया. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका हर जगह उन्होंने शतक जड़े और टीम को जीत दिलाई. अपने इस प्रदर्शन की बदौलत वो नजरों में ‘किंग कोहली’ बन गए.

मंगलवार को कोलकाता कांड पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ करेंगे अगुवाई

कोलकाता में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ भयावह बलात्कार और हत्या का स्वत: संज्ञान करने का सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया है

9 अगस्त को हुई इस घटना से देश भर में आक्रोश फैल गया, जिसके कारण देश भर में चिकित्सा पेशेवरों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन और हड़ताल किए है ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ मंगलवार को मामले की सुनवाई करने वाली है। सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप बढ़ते सार्वजनिक दबाव और राज्य अधिकारियों द्वारा गलत प्रबंधन के आरोपों के मद्देनजर आया है।

यह मामला, जिसकी पहले से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच की जा रही है, इससे भारत में चिकित्सा पेशेवरों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं, जिन्हें अक्सर उनके कार्यस्थलों पर असुरक्षित छोड़ दिया जाता है। पीड़ित, सरकारी अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर, अस्पताल के सेमिनार हॉल में बेरहमी से हमला किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। अपराध के सिलसिले में अस्पताल में तैनात एक नागरिक स्वयंसेवक को हिरासत में लिया गया है।

हालाँकि, पीड़िता के परिवार और प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह अपराध सामूहिक बलात्कार था, और वे यह सुनिश्चित करने के लिए गहन जाँच की माँग करते हैं कि सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। शव परीक्षण से पुष्टि हुई है कि पीड़ित की मौत से पहले उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था।

देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मारे गए डॉक्टर के लिए न्याय की मांग की है। शनिवार को आईएमए ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान करते हुए सभी गैर-जरूरी चिकित्सा सेवाओं को 24 घंटे के लिए निलंबित कर दिया।

बुधवार की रात, देश भर में हजारों महिलाओं ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया और पीड़िता के लिए न्याय की मांग की और "रिक्लेम द नाइट" मार्च में भाग लिया। इस बीच, सीबीआई ने बलात्कार और हत्या मामले के आरोपी संजय रॉय का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन शुरू किया। दिल्ली में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) से मनोवैज्ञानिक और व्यवहार विश्लेषकों की एक टीम आवश्यक परीक्षण करने के लिए कोलकाता पहुंची।

नेपाल के पीएम केपी ओली का कौन सा संदेश लेकर भारत आ रही नेपाल की नवनियुक्त विदेश मंत्री आरजू देउबा राणा

डेस्क : नेपाल की नवनियुक्त विदेश मंत्री आरजू देउबा राणा आज से अपनी 5 दिवसीय भारत की यात्रा शुरू कर चुकी हैं। वह 22 अगस्त को नेपाल वापस होंगी। केपी शर्मा ओली के दोबारा नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के बाद वह भारत आ रही हैं। पूर्व में केपी ओली के समय भारत और नेपाल के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे। केपी ओली को चीन का प्रबल समर्थक माना जाता है। 

अब केपी ओली का खास संदेश लेकर आरजू देउबा राणा नई दिल्ली की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा शुरू कर चुकी हैं। इस दौरान वह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने तथा सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगी।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि जयशंकर के निमंत्रण पर राणा भारत की यात्रा कर रही हैं। यह पदभार संभालने के बाद राणा की विदेश की पहली आधिकारिक यात्रा है। इसमें कहा गया है, ‘‘इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री राणा भारत के अपने समकक्ष जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगी और नेपाल-भारत संबंधों को मजबूत करने तथा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए परस्पर हित के मामलों पर चर्चा करेंगी।’’ 

बयान में कहा गया है कि नेपाल और भारत के बीच आए दिन उच्च स्तरीय यात्राओं के तहत राणा की यात्रा से दोनों पड़ोसी देशों के बीच दशकों पुराने, गहरे तथा बहुआयामी संबंध और मजबूत होंगे।

नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत नेपाल उसका एक प्राथमिक साझेदार है। आगामी यात्रा से दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने तथा उसमें प्रगति की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा तथा हमारे संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।’’ 

नेपाल के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने पहले बताया था कि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा की पत्नी राणा की यात्रा प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद हो रही है जिसमें विदेश मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल की भारत यात्रा का समर्थन किया गया।

जापान से भारत लाए जाएं नेताजी के पार्थिव अवशेष..', सुभाष बाबू के पोते चंद्र बोस ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

 महान स्वतंत्रता सेनानी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जापान के रेंकोजी मंदिर से अपने दादा के पार्थिव अवशेषों को भारत लाने की अपील की है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में बोस ने शनिवार (17 अगस्त) को कहा कि, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त की पूर्व संध्या पर मैं एक बार फिर आपसे नेताजी के अवशेषों को रेंकोजी से भारत लाने की अपील करता हूं।" नेताजी के पोते ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन किंवदंती के दायरे में चला गया है।

चंद्र बोस ने कहा कि, "उनके आकर्षक व्यक्तित्व, मस्तिष्क की प्रखरता, असाधारण साहस, निस्वार्थता और भारत की स्वतंत्रता के लिए अटूट समर्पण ने उन्हें न केवल भारत के पुरुषों और महिलाओं, बल्कि विश्व भर के स्वतंत्रता-प्रेमी लोगों के दिलों और दिमागों में हमेशा के लिए एक नायक बना दिया है।" उन्होंने कहा कि अगस्त 1945 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद, जब वे एक जापानी सैन्य विमान से ताइवान से रवाना हो रहे थे, तब हवाई दुर्घटना में उनकी (नेताजी की) मृत्यु हो गई थी। संभवतः वे संघर्ष जारी रखने के लिए सोवियत संघ (आज रूस) जाने की योजना बना रहे थे। इसे कई लोगों ने अपने दुश्मनों से बचने के लिए एक और चाल के रूप में देखा।

नेताजी के पोते ने अपने पत्र में लिखा है कि, "दक्षिण भारत में ब्रिटिश हिरासत में रह रहे प्रिय भाई शरत चंद्र बोस और वियना में उनकी विधवा एमिली सहित करीबी परिवार के सदस्य लगातार सुभाष की वापसी के लिए तरस रहे थे, लेकिन उनमें से किसी को भी 18 अगस्त 1945 के बाद सुभाष के जीवित होने की कोई निश्चित जानकारी नहीं थी।" चंद्र बोस के अनुसार, इसमें कोई संदेह नहीं है कि कुछ लोगों को इस बात पर सचमुच अविश्वास है कि नेताजी की मृत्यु उसी तरह हुई जैसा कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त समकालीन विवरणों में वर्णित है।

उन्होंने पत्र में कहा कि, "आखिरकार वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जो एक बार अंग्रेजों को चकमा देकर कलकत्ता से उत्तर भारत होते हुए अफगानिस्तान तक की कठिन यात्रा कर चुके थे और अंततः मास्को से हवाई मार्ग से बर्लिन पहुंचे थे। कुछ ही वर्षों बाद, एक भीषण विश्व युद्ध के बीच, वह जर्मनी से दक्षिण पूर्व एशिया तक की एक और भी अधिक खतरनाक पनडुब्बी यात्रा के दौरान बच गए। ऐसा व्यक्ति कैसे मर सकता है ?" नेताजी के पोते ने आगे कहा कि 1956 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने आज़ाद हिन्द फ़ौज (INA) के अनुभवी जनरल शाह नवाज खान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी।

उन्होंने कहा कि, "पहली बार, ताइवान में दुर्घटना और उसके कुछ घंटों बाद नेताजी की मृत्यु के ग्यारह प्रत्यक्ष गवाहों सहित विस्तृत जानकारी आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज की गई। यह उल्लेखनीय है कि विमान में सह-यात्रियों, रनवे के पास जमीन पर मौजूद जापानी सैन्य कर्मियों और अस्पताल में जापानी और ताइवान के चिकित्सा कर्मचारियों से इतने सारे प्रत्यक्ष विवरण होने चाहिए थे। नेताजी के भारतीय सैन्य सहयोगी कर्नल हबीब उर रहमान, जो नेताजी के साथ यात्रा कर रहे थे और दुर्घटना और उसके बाद जीवित बचे थे, भी प्रत्यक्ष गवाहों में से एक थे।"

सरकार द्वारा नियुक्त खोसला आयोग की 1974 की रिपोर्ट ने 1956 के शाह नवाज़ निष्कर्षों की पुष्टि की, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था। उन्होंने कहा कि तीसरे और अंतिम सरकार द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग की 2005 की रिपोर्ट में यह पाया गया कि नेताजी की मृत्यु उक्त हवाई दुर्घटना में नहीं हुई थी, जो कि मौलिक त्रुटियों पर आधारित थी और इसलिए भारत सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया।

चंद्र बोस ने अपने पत्र में आगे लिखा कि, "अब समय आ गया है कि आपके सक्षम नेतृत्व में भारत सरकार नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने की पहल करे। सभी फाइलों (10 जांच - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) के जारी होने के बाद यह स्पष्ट है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को हुई थी। इसलिए यह जरूरी है कि भारत सरकार की ओर से अंतिम बयान दिया जाए ताकि भारत के मुक्तिदाता के बारे में झूठी कहानियों पर विराम लग सके।" बोस ने कहा, "अब इस अमर नायक के पार्थिव अवशेषों को उनके गृह देश भारत, जिस भूमि को उन्होंने आजाद कराया था, लाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।"

अमेरिका के न्यूयॉर्क में इंडिया डे परेड में राम मंदिर झांकी का विरोध, इस्लामी संगठन बोले- ये मुसलमानों के खिलाफ

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में आयोजित होने वाली इंडिया डे परेड को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह परेड 18 अगस्त, रविवार को होनी है, जिसमें अयोध्या में बने राम मंदिर की झांकी शामिल की गई है। इस झांकी का कई संगठनों ने विरोध किया है, इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए कार्यक्रम से हटाने की मांग की है।

विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि यह मंदिर एक विवादित मस्जिद के स्थान पर बनाया गया है, इसलिए ये मुस्लिम विरोधी है। कुछ अमेरिकी संगठनों ने न्यूयॉर्क के मेयर एरिक एडम्स और गवर्नर कैथी होचुल को पत्र लिखकर इस झांकी को परेड से हटाने की अपील की है। उनका दावा है कि यह झांकी मस्जिद को गिराने और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का महिमामंडन करती है। इस बीच, परेड के आयोजकों ने इन मांगों को खारिज कर दिया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशंस के चेयरमैन अंकुर वैद्य ने बयान दिया कि यह झांकी करोड़ों हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण पवित्र स्थल को दर्शाती है और किसी भी प्रकार की हिंसा या नफरत को बढ़ावा नहीं देती। विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका और हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने भी इस झांकी का समर्थन किया है, इसे भारतीय और हिंदू पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है और कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक प्रयास है।

न्यूयॉर्क के मेयर एरिक एडम्स ने भी कहा कि नफरत के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए, और अगर परेड में कोई झांकी या व्यक्ति नफरत फैलाने का प्रयास कर रहा है, तो ऐसा नहीं होना चाहिए। हालांकि, उनके कार्यालय ने बाद में स्पष्ट किया कि अमेरिकी संविधान के तहत हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।

नमाज़ पढ़ रहे हैं, DJ बंद करो..! मेरठ में स्वतंत्रता सेनानी अवंती बाई लोधी की शोभायात्रा पर पथराव, बड़ी संख्या में पुलिस तैनात

उत्तर प्रदेश के मेरठ में वीरांगना और स्वतंत्रता सेनानी अवंती बाई लोधी की शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव फैल गया, जब मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने यात्रा पर पथराव किया। इस घटना का कारण मस्जिद के सामने डीजे बजाने से शुरू हुआ विवाद था, जो बाद में एक मुस्लिम बच्चे पर स्पीकर गिरने से और भड़क गया।

16 अगस्त को अवंती बाई लोधी के जन्मदिन के अवसर पर लोधी युवा संगठन ने एक शोभायात्रा का आयोजन किया था। यह यात्रा शिवशक्ति नगर स्थित दुर्जन सिंह लोधी मंदिर से शुरू होकर कई स्थानों से होती हुई खैरनगर पहुंची। जब यात्रा हौज वाली मस्जिद के पास पहुंची, तो मुस्लिम समुदाय ने डीजे बजाने पर आपत्ति जताई, उन्होंने कहा कि, उन्हें नमाज़ पढ़ने में समस्या हो रही है। हालांकि, इस विवाद को पहले शांत कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद मुस्लिम समुदाय के एक बच्चे के घायल होने की बात सामने आई। 

मुस्लिम समुदाय का आरोप था कि शोभायात्रा में शामिल म्यूजिक सिस्टम का एक स्पीकर बच्चे पर गिरने से वह घायल हो गया। इसी का बहाना लेकर मुस्लिम भीड़ ने शोभायात्रा पर पथराव कर दिया और कुछ लोगों से मारपीट भी की। अचानक हुए इस हमले से लोधी समाज के लोग हैरान रह गए और उन्होंने भी बचाव में पथराव किया। घटना की सूचना मिलते ही एसपी आयुष विक्रम सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभालने के लिए खैरनगर सहित घंटाघर के बाजार बंद करवा दिए। कड़ी सुरक्षा के बीच शोभायात्रा को संपन्न कराया गया और अतिथियों का सम्मान किया गया। तनाव के कारण खैरनगर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि शोभायात्रा का आखिरी डोला आने के दौरान उसका जेनरेटर खराब हो गया था। जब लोधी समाज के युवक जेनरेटर ठीक करने लगे, तो मुस्लिमों ने उसकी चाबी निकाल ली और विरोध करने पर उनसे मारपीट की और पथराव किया। उन्होंने इस घटना पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने की मांग की। शोभायात्रा की आयोजक समिति के सदस्य प्रवीन लोधी ने कहा कि म्यूजिक सिस्टम का स्पीकर गिरने की बात गलत है, और बालक किसी अन्य कारण से घायल हुआ था।

कोलकाता रेप-मर्डर मामले में भाजपा नेता के खिलाफ केस, BJP के पूर्व सांसद पर लगे ये आरोप

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर से रेप-मर्डर मामले की जांच सीबीआई के हाथों में है. इसी बीच कोलकाता पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में FIR दर्ज की है. इसमें एक मामला गलत जानकारी फैलाने के लिए है तो दूसरा पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए. इन दोनों मामलों में कोलकाता पुलिस ने दो डॉक्टर्स और बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी को पूछताछ का नोटिस भेजा है.

कोलकाता पुलिस ने पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में कथित तौर पर भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में डॉ. सुबर्ण गोस्वामी और डॉ. कुणाल सरकार को पूछताछ के लिए बुलाया है. हालांकि, सुबर्ण गोस्वामी का दावा है कि उन्हें अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है. अगर मिलेगा तो वह पूछताछ में शामिल होंगे. वहीं, डॉ कुणाल सरकार ने स्वीकार किया है कि उन्हें आज सुबह कोलकाता पुलिस से नोटिस मिला है. वह कल पुलिस मुख्यालय में पेश होंगे क्योंकि वह आज किसी काम से बाहर हैं. 

कोलकाता पुलिस ने बीजेपी पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी को भी पूछताछ के लिए बुलाया है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पीड़िता की पहचान उजागर की और जांच के बारे में गलत जानकारी साझा की. उन्हें आज दोपहर 3 बजे तक पेश होने के लिए कहा गया है. बता दें कि 8-9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर के साथ हैवानियत हुई थी. सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात ग्रेजुएट रेजिडेंट डॉक्टर का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया. वह बेहोशी की हालत में सेमिनार हॉल में मिली था. उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. उसके शरीर पर कई चोटों के निशान थे.

निर्भया की मां आशा देवी का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा, 'घटना को बीते एक हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि लड़की के साथ किसी एक शख्स ने मारपीट की है या उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है...एक डॉक्टर के साथ इतना घिनौना अपराध तब हुआ है जब वह अस्पताल में ड्यूटी पर थी. जब अस्पताल के अंदर डॉक्टर सुरक्षित नहीं हैं तो हम आम महिलाओं और लड़कियों के बारे में क्या सोच सकते हैं. सभी आरोपियों को तुरंत पकड़ा जाना चाहिए.उन्हें तुरंत सजा मिलनी चाहिए.'