*समय से नहीं खुला विद्यालय का ताला, इंतजार में खड़े रहे छात्र,अध्यापकों का कोई अता पता तक नहीं*
फर्रुखाबाद - प्रदेश सरकार गरीब परिवारों के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए विद्यालय निशुल्क संचालित करती है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले इन बच्चों को मुफ्त में भोजन उपलब्ध कराया जाता है। ड्रेस जूते मोजे किताबें बस्ते आदि सरकार द्वारा मुफ्त में दिए जाते हैं। सरकारी विद्यालयों की स्थिति को संवारने के लिए लाखों रुपए अनुदान के रूप में प्रदान किए जाते हैं और टूटे-फूटे विद्यालयों को पुनः जीर्णोद्धार के माध्यम से सुंदर बनाया गया बाउंड्री वॉल कराई गई कच्छ बनवाए गए बिजली की व्यवस्था की गई और इन विद्यालयों को संचालित करने के लिए अच्छे अध्यापकों को लगाया गया। शिक्षा के स्तर को और ऊंचाई तक लाने के लिए इन्हीं विद्यालयों में इंग्लिश मीडियम विद्यालयों को संचालित किया गया।
सारी सुविधाएं सरकार की तरफ से दी गई। परंतु शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की स्थिति का आंकड़ा बहुत ही पीछे है। बजह साफ है क्योंकि विद्यालय तक पहुंचने वाले अध्यापक अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं। समय से ना तो विद्यालय खोलते हैं और छुट्टी के समय से पहले ही छुट्टी कर देते हैं। विद्यालय में विद्या अध्ययन के कार्य को भी धीमी गति से चलाने वाले अध्यापक सरकार की शक्ति से तिलमिला उठे। जब विद्यालय समय से न पहुंचने की शिकायतें लगातार आने लगी तो शिक्षा विभाग द्वारा डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था की गई। जिससे शिक्षण कार्य में गुणवत्ता लाई जा सके। परंतु इस डिजिटल हाजिरी के विरोध में अध्यापक सड़कों पर आए नारेबाजियां की और इसका विरोध करने लगे। क्योंकि यह अध्यापक पांच अंको की मोटी सैलरी लेने के बाद भी ना तो विद्यालय में समय से पहुंचना चाहते हैं और ना ही बच्चों को पढाना चाहते हैं।
ऐसा ही एक मामला खंड विकास राजेपुर के अंतर्गत आने वाले गांव नीचे वाला चपरा का है। विद्यालय के खुलने का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक का है। इसलिए यहां पढ़ने वाले बच्चे सुबह 8 बजे विद्यालय के गेट पर पहुंच गए। परंतु वहां ताला लगा था। 9 बजे तक यह ताला नहीं खुला और ना ही कोई अध्यापक वहां पहुंचा। जब इन बच्चों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मास्टर साहब हमेशा देर से आते हैं और हम लोग विद्यालय गेट पर घंटो इंतजार करते रहते हैं। अगर यही स्थिति रही तो शिक्षा विभाग को चूना लगाकर मोटी सैलरी पाने वाले यह अध्यापक कभी भी अपने फर्ज को नहीं निभा सकते। इसलिए बच्चों के भविष्य को देखते हुए अध्यापकों की डिजिटल हाजिरी को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
Aug 17 2024, 18:06