रोस्टर के अनुसार नहीं मिलती बिजली शासनादेश पर दौडाये जाते हैं कागजी घोड़े
अमृतपुर फर्रुखाबाद । बिजली की समस्याओं को लेकर विद्युत कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं या फिर इन जिम्मेदारियां को सही तरीके से निभाने में फेल हो रहे हैं। शासनादेश जारी होता है और शहर तहसील क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों को रोस्टर के अनुसार बिजली देने के निर्देश भी दिए जाते हैं। परंतु इन शासनादेश की पूर्ति के लिए विभाग द्वारा कागजी घोड़े दौडाये जाते हैं।
सरकार के निर्देश पर विद्युत कॉरपोरेशन की बैठक में नए निर्देश जारी किए गए जिसमें दिखाया गया कि शहरी क्षेत्रों को 24 घंटे तहसील क्षेत्र को 21 घंटे 30 मिनट और ग्रामीण क्षेत्रों को 18 घंटे विद्युत सप्लाई की जाए। परंतु क्या इन निर्देशों का पालन सही ढंग से किया जाएगा और शासनादेश के अनुसार उपभोक्ताओं को बिजली मिल पाएगी। विद्युत विभाग अपने उच्च अधिकारियों को सप्लाई के जो आंकड़े जारी करता है वह पूरी तरीके से सफेद झूठ होते हैं। जुलाई 2024 को गंगा पार क्षेत्र में बिजली सप्लाई के जो आंकड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं। 1 जुलाई से 7 जुलाई तक बरसात में ट्रिपिंग के चलते बिजली व्यवस्था भंग रही। 24 घंटे में 6 से लेकर 10 घंटे ही बिजली मिल पाई। जबकि रोस्टर 18 घंटे का था। 8 जुलाई 2024 को तहसील उपकेंद्र की मशीनों में खराबी के चलते 12 घंटे से अधिक बिजली गुल रही। 9 जुलाई को सुबह 7 बजे से बिजली गायब हुई और मशीनों की टेस्टिंग का कारण बताते हुए 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई फेल रही। 15 जुलाई को सुबह 7 बजे से बिजली नहीं आई। ट्रांसफार्मर में कमी रोस्टिंग और ट्रिपिंग के चलते 9 घंटे से अधिक बिजली फैल रही।
18 जुलाई को दिन में कई बार ट्रिप हुआ और 14 घंटे से अधिक सप्लाई बंद रही। 26 जुलाई को दिन में पेड़ काटने के नाम पर पूरे दिन सप्लाई रोक दी गई। 27 जुलाई को रात 10 बजे से फाल्ट के कारण 20 घंटे से अधिक बिजली ग्रामीण क्षेत्रों को नहीं मिल पाई। ऐसी स्थिति में विद्युत विभाग से क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि नए शासनादेश के अनुसार विद्युत विभाग गंगा पार क्षेत्र में बिजली की सप्लाई सुचारू रूप से दे पाएगा। जो आंकड़े दर्शाये गए हैं इनमें लोकल फाल्ट ट्रिपिंग और कर्मचारियों की लापरवाही भी शामिल है। उत्तर प्रदेश सरकार अगर अपने शासनादेश पर अधिकारियों और कर्मचारियों से अमल करवाना चाहती है तो फिर उसे अपनी नई रूलिंग भी जारी करनी होगी। जिसके लिए या तो इन लापरवाह अधिकारियों की सैलरी कम की जाए अथवा इन्हें डिमोशन दिया जाए या फिर अन्य कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए। इसी के साथ विभाग को चाहिए कि जो समस्याएं सामने आ रही हैं उन समस्याओं को भी दूर किया जाए।
जिसके चलते विद्युत विभाग के कर्मचारी अधिकारी व कार्यकर्ता सही ढंग से कार्य कर सकें और उपभोक्ताओं को रोस्टर के अनुसार विद्युत सप्लाई मिल सके। 18 घंटे बिजली देने के शासनादेश के अनुसार 30 दिनों में 540 घंटे की सप्लाई ग्रामीण क्षेत्रों को मिलनी चाहिए। परंतु यह आंकड़ा 300 से लेकर 400 घंटे तक ही मुश्किल से पहुंच पाता है। लेकिन विभाग के अधिकारी अपना कोरम पूरा करने के लिए उच्च अधिकारियों को गलत आंकड़े जारी कर भ्रमित करते हैं।
Jul 31 2024, 19:06