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बरमसिया स्थित बिचाली गोदाम में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, लाखों के नुकसान का अंदेशा

धनबाद ;धनबाद के धनसार थाना क्षेत्र के बरमसिया स्थित बिचाली गोदाम में गुरुवार सुबह तीन बजे के करीब बिजली ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट के कारण भीषण आग आग लग गयी। इस हादसे में लाखों रुपये की क्षति की आशंका जतायी जा रही है। अगलगी की इस घटना में पूरी गोदाम जलकर राख हो गई।

गोदाम मे खड़े बिचाली लोड एक पिकअप वैन को भी अपने चपेट मे लें लिया, समय रहते लोगों ने पिकअप वैन मे लदे बिचाली को खाली कर दिया, जिसे मौके पर पहुंची धनसार पुलिस ने अपने कब्जे मे लें लिया।

अगलगी की इस घटना ने अगल बगल की छोटी छोटी कई दुकान जलकर राख़ हो गयी। घटना धनसार थाना क्षेत्र के बरमसिया एफसीआई गोदाम के पीछे यदु यादव के गोदाम में हुई है। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। पीड़ित नुकसान का आकलन करने में लगा है। पीड़ित ने बताया कि घटना के समय गोदाम में कोई आदमी नहीं था।

गोदाम से धुआं निकलते देखकर पड़ोसियों ने फोन से सूचना दी साथ ही धनसार थाना और अग्नि शमन विभाग को भी फोन पर सूचना दी गयी। स्थानीय लोग आग बुझाने का प्रयास करने लगे कुछ देर बाद अग्निशमन विभाग की टीम भी पहुंच गयी अग्नि-शमन विभाग और स्थानीय लोगों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
कांग्रेस झारखंड विधानसभा की 33 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में!

झारखंड डेस्क:
रांची :झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. सभी तैयारी में जुट गए हैं. कांग्रेस का दावा है कि वह झारखंड विधानसभा की 33 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. 2019 में 31 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था. विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मांडर से  जीत मिली और पड़ैयाहाट से झारखंड विकास मोर्चा के विधायक प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए.

ऐसे में कांग्रेस पार्टी इन सभी 33 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू करने का निर्देश प्रदेश समिति को दिया गया है .बुधवार को झारखंड प्रदेश कार्य समिति की बैठक में प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने पार्टी के पदाधिकारियों को इसके निर्देश दिए हैं.

2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 43 और राजद ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा है कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जा रही है. यह कमेटी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर बूथ एजेंट के काम की समीक्षा करेगी.

कमेटी को 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी है. इसके बाद स्पष्ट हो जाएगा कि पार्टी किन कारणों से पांच सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकी. प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस की इस बैठक में लोकसभा चुनाव के हर सीट की समीक्षा की जानी है. मीर ने कहा कि जनता ने हमें इतना मजबूत कर दिया है कि केंद्र में अब तानाशाही सरकार नहीं कर सकती. जब तक हम पूरी समीक्षा नहीं कर लेते, अगला कदम मजबूती से नहीं उठा सकते हैं .हम जीती और हारी दोनों सीटों की हर स्तर पर समीक्षा करेंगे. कमजोर कड़ी को ढूंढना है और उसे मजबूत करना है.
कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में कल 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें दो पर  विजय रही.

इधर, झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के चयन के लिए पार्टी आलाकमान  को अधिकृत कर दिया गया है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बुधवार की देर शाम यह निर्णय लिया गया. आलमगीर आलम के मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद और विधायक दल के नेता से त्यागपत्र दिए जाने के बाद दोनों पद खाली हुए हैं .

इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि हम तो कुल 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि पार्टी बहुत मजबूती से हर सीट पर लड़ने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि हर सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा संगठन की मजबूती का ही परिणाम है कि इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को 5 सीटों पर जीत हाझारखंड में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. पिछली बार 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 30 पर जीत मिली थी.
मंदिर का रास्ता बंद करने से रेलवे पर भड़के विधायक राज, डीआरएम से की वार्ता


झा.डेस्क
धनबाद :दुर्गा मंडप ओल्ड स्टेशन के रास्ते को रेलवे द्वारा बंद करने की सूचना मिलते ही विधायक राज सिन्हा को मिली वह तत्काल वहां के आंदोलित युवाओं से जाकर मिले। डीआरएम से तत्काल मौके पर से ही बात कर कहा कि धनबाद स्टेशन के दक्षिणी छोर की ओर जो पुराना स्टेशन है उक्त स्थल पर रेलवे के द्वारा पुराने क्वार्टरों को तोड़कर नए भवन का निर्माण कराया जा रहा है।

विधायक सिन्हा ने डीआरएम से कहा कि इस निर्माण कार्यों के बीच में धार्मिक स्थल का रास्ता भी बंद किया जा रहा है। विधायक सिन्हा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस इलाके में लगभग 60 वर्षों से भी ज्यादा पुराना मंदिर श्री श्री दुर्गा मंडप पुराना स्टेशन एवं मनसा मंदिर नियर रेलवे छोटा हॉस्पिटल है। इन मंदिरों मैं कई वर्षों से लगातार पूजा होती आ रही है। इन मंदिरों के रास्ते बंद करने से लोगों को कठिनाई होगी धार्मिक स्थल के सामने ,चहारदीवारी निर्माण पर अविलंब रोक लगाई जाए।विधायक सिन्हा ने धनबाद डीआरएम को इससे संबंधित पत्र भी दिया।
निशिकांत दुबे के ट्वीट -'चम्पाई दा होशियार ! कल्पना भाभी आ गई हैं, से बढ़ी झारखण्ड में राजनितिक तापमान

झारखण्ड डेस्क
क्या कल्पना सोरेन झारखण्ड का सीएम बनने जा रही है इसको लेकर रांची में राजनीती का  तापमान बढ़ा हुआ है. पिछले कुछ दिनों में झारखण्ड  मुक्ति मोर्चा की राजनीती जिस तरह कल्पना सोरेन के इर्द गिर्द घूमने लगी है उससे कई तरह के राजनीतक कयास  लगाए जाने लगे. इस बीच X पर निशिकांत दुबे का ट्ववीट ने तो इस कयास को और हवा दे दिया है.

"दरअसल भारतीय जनता पार्टी के नेता निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, 'चम्पाई दा होशियार, कल्पना भाभी आ गई हैं, झारखंड की वर्तमान सरकार के लिए आने वाला 7 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है.'

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने अपने आधिकारक एक्स हैंडल पर कुछ लिखा है जिससे झारखंड में सियासी हलचल बढ़ गई है. इसे पढ़ने के बाद प्रदेश में लोग अपने-अपने तरफ से कयास लगा रहे हैं. राज्य में सत्ता परिवर्तन के कयास भी अब लगाए जाने लगे हैं। दरअसल निशिकांत दुबे ने इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेने और राज्य के मौजूद सीएम चंपाई सोरेन का नाम लिया है.

इतना ही नहीं निशिकांत दुबे ने सीएम चंपाई सोरेन को एक तरह से आगाह भी किया है. दरअसल निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, 'चम्पाई दा होशियार, कल्पना भाभी आ गई हैं, झारखंड की वर्तमान सरकार के लिए आने वाला 7 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है.'

कल्पना सोरेन ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा राज्य की गांडेय सीट पर कराए गए उपचुनाव में जीत हासिल की है.जाहिर है एक्स पर निशिकांत दुबे की यह बात कहीं ना कहीं राज्य में सत्ता परिवर्तन की अटकलों को हवा देती है. झारखंड के चर्चित जमीन घोटाले में जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य के तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन पर शिकंजा कसते हुए इसी साल उन्हें गिरफ्तार किया था तब उस वक्त भी राजनीतिक गलियारे में हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन की भूमिका को लेकर काफी चर्चा हुई थी। हालांकि, उस वक्त कल्पना सोरेन किसी सीट से विधायक नहीं थीं.

हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)के नेता और हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले चंपाई सोरेन को राज्य की कमान सौंपी गई थी. कहा जाता है कि उसी समय से कल्पना सोरेन के लिए भी एक सुरक्षित सीट की तलाश की जा रही थी. अब गिरिडीह जिले की गांडेय सीट पर हुए उपचुनाव में कल्पना सोरेन जीत हासिल कर चुकी हैं. जिसके बाद निशिकांत दुबे ने अब चंपाई सोरेन को होशियार करते हुए इशारों-इशारों में सत्ता परिवर्तन की अटकलें लगा दी हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव में बदलेगा राजनीतिक समीकरण,जयराम महतो की 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की है झारखंड,


झारखंड डेस्क

झारखंड की राजनीतिक में आने वाले विधानसभा चुनाव में सियासी समीकरण के बदलने की उम्मीद हैं। लोकसभा चुनाव-2024 के दौरान झामुमो और आजसू का होश उड़ाने वाली झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयराम महतो ने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) नाम की पार्टी बनाई है। मान्यता के लिए उन्होंने चुनाव आयोग को आवेदन दिया है।

50 से अधिक सीटों पर लड़ेगा चुनाव

विधानसभा चुनाव में एक और झारखंड नामधारी पार्टी के रूप में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) मैदान में उतरेगा। जयराम के इस दल से झारखंड विधानसभा चुनाव में 50 से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतरेंगे। जयराम का यह निर्णय राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो (JMM) और आसजू (AJSU) के लिए नींद उड़ाने वाला है। क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान जयराम और उनके समर्थकों का जो प्रदर्शन रहा है उससे दोनों क्षेत्रीय दलों के होश उड़े हुए हैं। 

लोकसभा चुनाव में 8 सीटों पर लड़ा

जयराम अपनी राजनीतिक पार्टी का नाम झारखंड क्रांतिकारी मोर्चा रखना चाहते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इसकी अनुमति नहीं दी। फिर उन्होंने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा नाम रखा है। बताया कि वह और उनके आठ साथी निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़े। इस कारण, राजनीतिक पार्टी की मान्यता में लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन काम नहीं आएगा। शीघ्र ही वह अपनी नई राजनीतिक पार्टी का महाधिवेशन करेंगे। धनबाद में जेबीकेएसएस का अधिवेशन हो चुका है। इसलिए अब अधिवेशन गिरिडीह, बोकारो या हजारीबाग में से किसी एक जगह किया जाएगा। 

अपनी टीम के साथ विचार विमर्श कर इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। जयराम ने बताया कि विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी। तालमेल के सवाल पर कहा कि चुनाव जीतने के बाद वह किसी पार्टी से तालमेल कर सकते हैं। 

लोस चुनाव में छह सीटों तीसरे नंबर पर 

भाषा आंदोलन के नाम पर महज तीन साल पूर्व राजनीति में उतरे युवा जयराम महतो ने इस लोकसभा चुनाव में आठ सीटों पर प्रत्याशी उतारे। वह खुद गिरिडीह से चुनाव लड़े। जयराम समेत उनके छह प्रत्याशी इस चुनावी जंग में तीसरे नंबर पर रहे। जयराम ने साढ़े तीन लाख वोट लाकर आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी एवं झामुमो प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो के होश उड़ा दिए। डुमरी और गोमिया विधानसभा क्षेत्र में वह बड़ी लीड लेने में सफल रहे। डुमरी में झामुमो की बेबी देवी व गोमिया में आजसू के लंबोदर महतो विधायक हैं। जयराम के धनबाद के प्रत्याशी एखलाक अंसारी को 79, 653, हजारीबाग के संजय कुमार मेहता को 1,57,977, रांची के देवेंद्रनाथ महतो को 1,32,647, सिंहभूम के दामोदर सिंह हांसदा को 44,292, कोडरमा के मनोज कुमार को 28,612 वोट मिले। दुमका एवं चतरा लोकसभा सीट में जयराम को विशेष सफलता नहीं मिली। दुमका से उनकी प्रत्याशी बेबीलता टुडू को 19,360 और चतरा से दीपक कुमार को 12,565 वोट मिले। इन आठों लोकसभा क्षेत्रों में कुल मिलाकर जयराम एवं उनकी टीम को 8.2 लाख से अधिक वोट मिले।

सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2024 पेपर लीक के आरोपों वाली याचिकाओं पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक के आरोपों के बीच नए सिरे से NEET UG 2024 परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया है।

 मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक के आरोपों के बीच नए सिरे से NEET UG 2024 परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाशकालीन पीठ ने NTA से जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई 8 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।

जारी रहेगी काउंसलिंग

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) स्नातक (UG) परीक्षा 2024 में कथित पेपर लीक और अनियमितताओं को लेकर मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश के लिए काउन्सलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

भारी मात्रा में उम्मीद्वार काउन्सलिंग रोकने की मांग कर रहे थे और इसके लिए जमकर विरोध भी कर रहे थे लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसपर साफ तौर से इनकार कर दिया है।

पाकुड़ में डायरिया के प्रकोप से अफरा तफरी का माहौल,स्वास्थ्य विभाग मे, संसाधन का अभाव,मरीजों की इलाज़ हो रही है पेड़ के नीचे


झारखंड डेस्क

झारखंड के पाकुड़ मे डायरिया का प्रकोप से अफरा तफरी का माहौल है।इस बीमारी के इलाज़ के लिए सरकारी अस्पतालो में संसाधन का अभाव भी है।जिससे जन जीवन तबाह कि। आज हालत यह है कि सरकार ओर लापरवाही से स्वास्थ्य विभाग स्वयं बीमार-बीमार है। इलाज के समुचित साधन नहीं होने से मरीजों का इलाज पेड़ के किनारे करना पड़ रहा है। 

संसाधन सीमित और अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य विभाग

पाकुड़ जिले में डायरिया फैलने के बाद बहरहाल सीमित संसाधन में भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। बड़ा बास्को संथाली टोला में डायरिया से पीड़ित 33 मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में कैंप कर रही है। त्वरित इलाज के बाद स्थिति नियंत्रण में है। अधिकतर मरीजों का इलाज गांव में ही किया गया। कई मरीजों ने शारीरिक कमजोरी की बात कही है, उन्हें भी आवश्यक दवाइयां दी जा रही है। 

72 परिवारों वाला है बड़ा बास्को गांव के संथाली टोला

बड़ा बास्को गांव के संथाली टोला में कुल 72 परिवार रहते हैं। गांव में इससे पहले डायरिया की शिकायत नहीं मिली थी। रविवार को अचानक मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा युद्ध स्तर पर जांच अभियान चलाया गया। मरीजों को आरएल स्लाइन, मेट्रोनिडेजोल, एमिकासिन सहित ओआरएस का घोल दिया गया। वर्तमान में स्थिति बहुत हदतक नियंत्रण में हैं।

झारखंड हाईकोर्ट ने खूंटी जिले में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए पुलिस व्यवस्था पर नाराजगी जतायी


झारखंड डेस्क

झारखंड में नशा का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। धड़ल्ले से जारी इस अवैध कारोबार की गिरफ्त में युवा पीढ़ी है। फलस्वरूप चोरी, जुआ, अनाचार, हत्या की वारदातें बढ़ रही हैं।

सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट ने खूंटी जिले में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की।

जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने नशे के अवैध कारोबार पर पूरी तरह से रोक नहीं लगने पर नाराजगी जतायी।

झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि, झारखंड में नशे का अवैध कारोबार रोकने में अब तक पुलिस विफल रही है। मादक पदार्थ बेचनेवाले दुकानों को पुलिसकर्मी सुबह 3:00 बजे तक खुला रहने देते हैं। मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री पर पुलिस नियंत्रण नहीं कर पा रही है, जो चिंताजनक है।

ऐसा लगता है कि नशे के कारोबार में पुलिस की भी संलिप्तता है। यह स्थिति कतई ठीक नहीं है। खंडपीठ ने सख्त हिदायत दी और कहा कि, यदि पुलिस नशे का कारोबार नहीं रोकती है, तो इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप करेगा और सख्त आदेश पारित करेगा।

खंडपीठ ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि नशे के कारोबार रोकने को लेकर क्या-क्या कदम उठाये गये हैं? क्या कार्रवाई की जा रही है?

खंडपीठ ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को भी शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से मामले में शपथ पत्र दायर किया गया, लेकिन खंडपीठ ने अन्य कई बिंदुओं पर सरकार को जानकारी देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी।

इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर नशे के कारोबारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी दी गयी। वहीं, एनसीबी की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की।

बता दें कि, पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है। समाज व अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव काफी चिंताजनक हैं।

किसी भी समाज के लिए मादक पदार्थों का प्रयोग घातक है। समाज में नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर देता है। कहा जाता है कि नशा दीमक की तरह काम करता है, जो समाज और देश की युवा शक्ति को खोखला कर देता है।

जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने एक जमानत के मामले में सुनवाई के दौरान खूंटी में हो रहे बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जानकारी सामने आने पर उस पर स्वत: संज्ञान लिया था।

इस मामले में एसपी अमन कुमार ने अदालत को बताया था कि खूंटी जिले में हजारों एकड़ भूमि पर बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही है। एसपी ने अदालत के समक्ष स्वीकार किया था कि पुलिस ने पिछले वर्ष लगभग 2200 एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया था।

इस साल भी अब तक लगभग 1400 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया गया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। वर्तमान में उपलब्ध पुलिस बल इस मुद्दे से निबटने के लिए पर्याप्त नहीं है।

टेंडर घोटाला में जेल में बंद कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम ने दिया मंत्री पद से इस्तीफा,इसके जगह बन सकते हैँ इरफ़ान अंसारी मंत्री

झा.डेस्क

सोमवार को बड़ी खबर आई है, टेंडर कमीशन घोटाले में रांची की होटवार जेल में बंद आलमगीर आलम ने ग्रामीण विकास मंत्री पद और सीएम चंपाई सोरेन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। 

हाल ही में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने आलमगीर से सारे विभाग छीन लिए थे।

आपको बता दें कि, आलगीर आलम टेंडर कमीशन घोटाले में जेल में बंद हैं और अब उनकी जगह पर जामताड़ा से कांग्रेस विधायक डॉ. इरफान अंसारी को मंत्री बनाने के पूरे आसार हैं।

बता दें कि, राज्य सरकार ने बीते शुक्रवार को आधिकारिक अधिसूचना जारी कर आलमगीर आलम को आवंटित किए गए सभी संसदीय कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग तथा पंचायती राज विभागों को वापस ले लिया था। 

टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार आलमगीर आलम को ईडी ने 14 दिनों की पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार भेज दिया गया।

टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार आलमगीर आलम को ईडी ने 14 दिनों की पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार भेज दिया गया।

विश्लेषण: झारखंड में इंडी गठबंधन शासन का पांच साल,क्या आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए सही है उनका रिपोर्ट कार्ड...? (भाग -1)

(विनोद आनंद)

लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ।चुनाव परिणाम भी सामने आए इस चुनाव में इंडी गठबंधन ने पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन कर कुछ सीटें हासिल की। लेकिन क्या यह सफलता आगामी विधानसभा चुनाव में भी हासिल होगी।यह मंथन का विषय है।साथ ही हम यहां विश्लेषण करेंगे कि जनता के बीच उनका रिपोर्ट कार्ड में कितना उपलब्धि और कितनी विफलता है जिसके सहारे आगामी विधानसभा में जनता इन्हें अपना मत देकर फिर एक बार मौका दे सकती है।

 क्योंकि लोकसभा चुनाव केंद्र सरकार के कार्य,उसकी नीति और जनता के अपेक्षाओं पर सरकार कितना उतर पायी इसके मूल्यांकन के आधार पर जनता तय करती है। वहीं राज्य के सरकार चुनने के लिए जनता राज्य सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करती है। विधान सभा चुनाव में जनता का का मतदान होगा झारखंड सरकार का काम- काज पर। राज्य सरकार के काम काज से वह कितना संतुष्ट है इस पर निर्भर करेगा कि वह किसे मतदान करें।

झामुमो के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का कार्यकाल पांच साल पूरा होने जा रहा है।ऐसे हालात में अब मौजूदा सरकार को अगली रणनीति अपने कार्य और उपलब्धि के हिसाब से तय करनी होगी और जनता के बीच इसी मुद्दा को लेकर जाना होगा।

झामुमो के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का कार्यकाल पांच साल पूरा होने जा रहा है।ऐसे हालात में अब मौजूदा सरकार को अगली रणनीति अपने कार्य और उपलब्धि के हिसाब से तय करनी होगी और जनता के बीच इसी मुद्दा को लेकर जाना होगा।

इसके लिए यहां झामुमो के पांच साल के उसके कार्य और नीति का विश्लेषण और किस क्षेत्र में सरकार सफल रही और कौन सा वजह है जो उसके लिये निगेटिव रहा इसका विश्लेषण जरूरी हो जाता है।

वैसे झारखंड का दुर्भाग्य रहा है कि राज्य गठन के बाद लगातार कई वर्षों तक यहां स्पष्ट जनादेश जनता ने नही दिया इसलिए सरकार यहां स्थिर नही रही।इसीलिए संसाधन से परिपूर्ण इस राज्य के विकास का रफ्तार जो होना चाहिए वह भी नही हुआ।जबकी इसके साथ ही उत्तराखंड और छतीसगढ़ राज्य भी बने। आज छतीसगढ़ में औधोगिक विकास हुआ।रोजगार का अवसर खुला।झारखंड में राज्य गठन के बाद जो भी हुआ उसे ठीक तो नही कहा जा सकता लेकिन पिछले 10 साल में स्पष्ट जनादेश की दो सरकारें आयी इसके पूर्व भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्व में पांच साल सरकार चली और वर्तमान में झामुमो के नेतृत्व में सरकार चल रही है।इन दो सरकार के कार्यकाल जनता के कसौटी पर कितना खड़ा उतरा और राज्य के विकास और स्वच्छ प्रशासन के दिशा में सरकार कितना स्पष्ट नीति बना पायी इसका मूल्यांकन के अनुसार ही जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करती रही है।

पूर्ण बहुमत के साथ गुजरा सरकार का पांच साल


वैसे दूसरी बार झारखंड में हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी।इस लिए विकास के गुंजाइस पूरी तरह थी।अब मौजूदा सरकार इन पांच सालों में कुछ प्रयास जरूर किया जिस से राज्य में विकास की संभावनाएं जगी। 

उसमे सरकार की कई योजनाएं ऐसी थी जिसका प्रयोग पहली बार हो रहा था।जो जनता के लिए बिल्कुल नया और उम्मीदों भरा था। ऐसी योजनाओं में आप के द्वार आपकी सरकार थी।इस योजनाओं के तहत सरकार के प्रतिनिधि पंचयत स्तर तक जनता के बीच आयी और उनकी समस्याएं सुनी, बहुत हद तक उनकी समस्याओं का समाधान किया।उनके बीच उनके जीवन स्तर सुधारने के लिए राशि का सीधा वितरण किया।

   इस पहल के पीछे सरकार की मंशा रही की जो भी योजनाएं जनता को दी जा रही है वह सीधा जनता तक पहुंचे। बीच मे कोई विचौलिया नही हो।बहुत हद तक यह योजना सफल रही। लोगों को लाभ मिला।सरकार की इस योजना को लेकर प्रशंसा भी हुई।

वैश्विक आपदा में कुशल प्रबंधन


हेमंत सरकार जब सत्ता में आयी उस समय सरकार के खजाना में बहुत कम पैसा था।जिसका खुलसा हेमंत सरकार ने सत्ता संभालते ही किया। लेकिन इसके वाबजूद कुशलता पूर्वक सरकार नें सत्ता का प्रबंधन किया और स्थिति संभाली।

    दुर्भाग्यवश वह भयानक दौर भी था। वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी का फैलाव हो रहा था।चारो तरफ मौत का तांडव जारी था।अस्पतालों के बाहर लम्बी कतारें लगी थी।ऑक्सीजन और दवा के बिना लोग तड़प तड़प कर मर रहे थे।ऐसे दौर में विकास के सारे कार्य ठप्प हो गयी। सरकार की प्राथमिकता लोगों को जान बचाना,इलाज की व्यवस्था करना था।इस दौर में हेमंत सरकार की प्रबंधन कुशल प्रबधन के रूप में देखी गयी। इलाज की व्यबस्था और यथा सम्भव कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुव्यवस्थित तरीका से किया गया। लॉक डाउन के समय झारखंड के प्रवासी मज़दूर जहाँ भी फंसे थे उन्हे अपने घर लाने के लिए हेमंत सरकार ने जो मानवीय पहल किया और राज्यों से वेहतर थी।जिसके करण अपनी सरकार पर वहाँ जानता का भरोसा बढ़ा।इन परिस्थिति से निकलने के बाद सरकार बेहतर काम करने का प्रयास किया।

पुरानी पेंशन योजना लागू


वर्ष 2004 में अटल जी ने सरकारी कर्मचारी की पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना बहाल की जिसको लेकर् कर्मचारियों में आक्रोश था। सरकार इसे अतिरिक्त बोझ बताते हुए 2003 के बाद जितनी बहाली हुई है उसे पहले से चली आ रही पेंशन की वैसी सुविधा नही मिलेगी जो सुविधा पहले के कर्मचारी को मिल रही थी।उसके लिए नई व्यवस्था लागू की गयी।कर्मचारियों में इसको लेकर आक्रोश था।जिसको देखते हुए कई राज्य सरकार ने इसे पुन:बहाल किया। हेमंत सरकार ने भी इस योजना को पुन:बहाल कर दिया जिससे कर्मचारी में खुशी है।

राष्ट्रीय राजनीति में हेमंत सोरेन की धमक


स्पष्ट जनादेश मिलने के वाद हेमंत सोरेन ने जिस कूटनीति का अनुसरण किया वह एक सफल राजनीतिज्ञ की पहचान थी।उन्होंने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री,गृह मंत्री,राष्ट्रपति तथा अन्य नेताओं से मिले।इस औपचारिकता को भले ही साधारण घटना माना गया लेकिन सियासी गलियारी में इसको लेकर कई मायने रहे।इस बीच हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्य मंत्री के रूप मैन देश में एक मज़बूत चेहरा के रुप में पहचान बनायी।नक्सल विरोधी अभियान

हेमंत सोरेन के शासन काल मे नक्सलियों के विरुद्ध लगातार अभियान चलाये गये। सरकार की मंशा रही कि या तो नक्सली के रुप मे भटके झारखंड के युवा मुखधारा में वापस लौटे या पुलिस कार्रवाइ के लिए तैयार रहे। सरकार को इसमें पर्याप्त सफलता भी मिली। कई लोगों ने आत्मसमर्पण किया। कई लोग मुठभेड़ में मारे गये।कई लोग पकड़े भी गये।    इसका परिणाम हुआ कि बहुत हद तक झारखंड का कई क्षेत्र नक्सली के दहशत से मुक्त हुए। हलाकि पूर्ण रूपेण राज्य को नक्सली आतंक से मुक्ति नही मिली लेकिन बहुत हद तक इस पर अंकुश लगा है। झारखंड की मौज़ूदा सरकार की यह बड़ी उपलब्धि माना जा रहा हप्रतिभाओं को उच्चतर शिक्षा के लिए प्रोत्साहन

 हेमंत सरकार को एक और पहल को काफी सराहा गया वह है वह है प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति देकर उच्चत्तर शिक्षा के लिए विदेश भेजना।हेमन्त सोरेन ने इसके लिए योजना बनाई और कई गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजानोट-आगामी एपिशोड में पढ़े मौजूदा सरकार का वह पक्ष जिससे सरकार बैकफुट पर चली गयी और आज राज्य के पूर्व सीएम सहित कई लोग जेल में ह