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सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथ पत्र में ईडी ने कहा -भ्रष्टाचार के मामलों में हुए खुलासे,पर झारखंड सरकार और पुलिस ने नही की कार्रवाई




झारखंड डेस्क प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में अनुसंधान के क्रम में हुए खुलासे को लेकर राज्य सरकार व पुलिस को अवगत कराया गया था लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथ पत्र में बताया है कि भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में अनुसंधान के क्रम में हुए खुलासे को लेकर राज्य सरकार व पुलिस को अवगत कराया गया था। लेकिन नौकरशाहों और पावर ब्रोकरों से जुड़े मामले में कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार निष्क्रिय रही। ईडी ने कोर्ट में बताया है कि पीएमएलए की धारा 66 (2) के तहत एजेंसी ने जो सूचनाएं दी थीं, नियमत उन मामलों में राज्य सरकार व पुलिस को पीसी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत केस करना चाहिए था। ईडी ने शपथ पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार के मुख्य सचिव, डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को पत्र लिखने के बाद रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन थे, ऐसे में उनके प्रभाव में राज्य की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। किन-किन मामलों में ईडी की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं हुई 1- आईएएस पूजा सिंघल केस ईडी ने बताया है कि आईएएस पूजा सिंघल की आय से अधिक संपत्ति की जानकारी एजेंसी ने दी थी। कई जिलों में पोस्टिंग के दौरान भ्रष्टाचार के साक्ष्य दिए गए थे। इससे जुड़ा पत्र पहली बार 18 नवंबर 2022 को भेजा गया था। इसके बाद 10 जनवरी 2023, 10 फरवरी 2023, 24 फरवरी 2023 और 4 मई 2023 को कार्रवाई के लिए रिमाइंडर भेजा गया था। 2- इजहार अंसारी से जुड़ा कोल घोटाला ईडी ने बताया है कि सरकारी कोयले का आवंटन करा इसे ओपन मार्केट में बेचे जाने का मामला इजहार अंसारी के खिलाफ जांच में आया था। इस मामले में भी पूजा सिंघल के द्वारा आवंटन किए जाने की बात सामने आयी थी। ईडी ने पूजा सिंघल की संपत्तियों का अटैचमेंट ऑर्डर भी राज्य सरकार को भेजा। इस संबंध में 23 जून 2023 को पत्र भेजा गया था। 3-पंकज मिश्रा से जुड़ा अवैध खनन का मामला ईडी ने साहिबगंज में पंकज मिश्रा समेत अन्य के साहिबगंज में अवैध खनन में संलिप्तता से जुड़े साक्ष्य व सर्वे रिपोर्ट भेजे थे। इन लोगों पर कार्रवाई के लिए लिखा गया था। ईडी ने 19 जुलाई 2013 को पत्र भेजा था। 4-साहिबगंज अवैध खनन साहिबगंज में अवैध खनन में सक्रिय तमाम लोगों से जुड़ी सूचनाएं 15 नवंबर 2022 को भेजी गई थीं। 5- राजीव अरुण एक्का से जुड़ा मामला पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का और विशाल चौधरी के द्वारा गृह विभाग के ठेकों में भ्रष्टाचार व विशाल चौधरी की कंपनी से पांच से दस गुना अधिक दाम पर सामान की खरीद का खुलासा ईडी ने किया था। ट्रांसफर-पोस्टिंग में उगाही से जुड़े साक्ष्य भी ईडी ने राज्य सरकार को दिए थे। इससे जुड़ा पत्र एसीबी प्रमुख को 26 सितंबर 2023 को ही भेजा गया था। लेकिन एसीबी ने एफआईआर दर्ज नहीं की। 6-हेहल जमीन मामला ईडी ने फर्जी डीड बनाकर हेहल में दो बड़े जमीन के प्लॉट हथियाने के मामले में श्याम सिंह, विनोद सिंह, रवि सिंह भाटिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए 4 मई 2023 को पत्र लिखा था। इस मामले में 14 जुलाई व 19 जुलाई 2023 को भी पत्र भेजा गया था। 7- रांची में 36 जमीनों के फेक डीड का मामला रांची में संगठित जमीन लूट करने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई के लिए ईडी ने पत्र लिखा था। ईडी के छापे में 36 फर्जी डीड के जरिए कई एकड़ जमीन हथियाने का खुलासा हुआ था। राज्य सरकार को इस मामले में कार्रवाई के लिए 22 जुलाई 2023 को पत्र लिखा गया था। इन पर भी कार्रवाई नहीं ● सरकारी स्टांप के दुरुपयोग का मामला रांची में जमीन कारोबारियों के यहां छापे में बड़े पैमाने पर सरकारी स्टांप मिले थे। इसके दुरुपयोग की जानकारी दी गई थी। साथ ही इस मामले में कार्रवाई के लिए 23 जून 2023 को पत्र लिखा गया था। ● ग्रामीण विकास विभाग का मामला विभाग के चीफ इंजीनियर रहे वीरेंद्र राम पर आय से अधिक संपत्ति जुटाने की जानकारी दी गई। एसीबी को 8 मई 2023 को भेजे पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद भी सरकार के स्तर पर फाइल रोके जाने से एफआईआर दर्ज नहीं हुआ। ● सेना की जमीन हथियाने का मामला रांची में सेना की जमीन हथियाने के मामले में जांच रिपोर्ट भी राज्य सरकार को दी गई थी। इस रिपोर्ट में राज्य सरकार के पदाधिकारियों की भूमिका का जिक्र था। 21 दिसंबर 2023 को भेजे गए पत्र पर भी कार्रवाई नहीं हुई। ● अमरेंद्र तिवारी व सहयोगियों का मामला ईडी ने शराब घोटाले में अमरेंद्र तिवारी व सहयोगियों के संबंध में सूचनाएं शेयर की थी। इससे जुड़ा पत्र 18 दिसंबर 2023 को भेजा गया था।
गांडेय उप चुनाव परिणाम तय करेगा कल्पना सोरेन का भविष्य,वह राजनीति में बनेगी किंग मेकर या ताजपोशी के बाद संभालेगी राज्य का कमान

-( विनोद आनंद)

झारखंड में पिछले 20 मई को हज़ारीबाग,चतरा,और कोडरमा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के साथ गिरिडीह जिला स्थित कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाला गांडेय विधानसभा का भी उप चुनाव हुआ। लोकसभा के साथ इस विधानसभा का मतगणना भी 4 जून को होगा।

गांडेय विधानसभा चुनाव परिणाम पर देश भर की लोगों की निगाहें है। यह सीट इस लिए महत्वपूर्ण हो गया है कि यहाँ से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री कल्पना सोरेन भी चुनाव मैदान में है। यह चुनाव परिणाम आने वाले दिनों के लिए कल्पना सोरेन के सियासी सफर का मार्ग तय करेगा।

पिछले कुछ दिनों में जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया और कल्पना सोरेन ने जिस तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा की बागडोर संभाली,यह झामुमो के लिए भले ही अप्रत्याशित हो लेकिन सोरेन परिवार इस परिस्थिति से रूबरू होने की तैयारी कर ली थी।कल्पना सोरेन ने भी अपनी क्षमता और पोलटिकल नेतृत्व का शानदार प्रदर्शन् किया।जिस तरह उन्होने मुंबई,दिल्ली उड़ीसा और झारखंड में इंडी गठबंधन के मंच से संवोधन किया पुरा देश ने उसे देखा ओर सरहा भी।

अब गांडेय चुनाव परिणाम पर सारा निर्भर करता है कि राजनीति में कल्पना सोरेन के सियासी सफर को एक नई दिशा मिले। साथ ही इस सीट से जीत कर वे नई सियासी सफर की शुरुआत करे।

कल्पना की राजनीति में अप्रत्याशित आगमन ।


कल्पना सोरेन की राजनीति में आना एक आकस्मिक घटना थी।क्योंकि पहले भी इस बात की जिक्र उन्होंने मीडिया के सामने कर चुकी थी की उनकी राजनीति में आने की कोई मंशा नही है। उन्होंने कहा था कि उनके दो बच्चे, पति हेमंत और मां- बाबा(शिबू सोरेन रूपी सोरेन )की देखभाल हीं उनके लक्ष्य है।

 लेकिन हेमंत सोरेन की घेराबंदी और फिर गिरफ्तारी ने उन्हे मैदान में उतरने को विवश कर दिया और वे सियासी समर में एक शेरनी की तरह कूद पड़ी,यह भी सच है कि इसकी पृष्टभूमि हेमंत सोरेन के उपर आसन्न संकट उस बाद बनना शुरु हो गया था।लेकिन आकस्मिक राजनीति में आगमन और तको काल उनका परफॉर्मेंस इतना शानदार रहेगा इसका अंदाजा किसी को नही था। उन्होंने एक सफल खिलाडी की तरह अपने कौशल का प्रदर्शन किया। और देश भर में अपना पहचान बनाया।

सोरेन परिवार की बहुओं को राज्य की जनता ने लिया सर आँखों पर


यूँ तो शिबू सोरेन की दो पुत्रबधु आज झारखंड की राजनीति के मज़बूत चेहरा बन गयी है।दो बेटे भी राजनीति में हैं।लेकिन दोनो बहु परिस्थिति बस राजनीति में आयी और उनका पैर मज़बूती के साथ जम गया।

बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के आकस्मिक निधन के बाद बड़ी पुत्रबधु सीता सोरेन राजनीति में आयी।वह एक दुखद पल था। जब दुर्गा सोरेन के निधन के बाद जामा विधानसभा जहाँ से दुर्गा सोरेन विधायक रहे सीता सोरेन खड़ी हुई।लोगों ने बहुत ही उत्साह और संवेदना के साथ उनको चुना और विधानg सभा भेजा।जनता की सहानुभूति सीता के साथ था। वे वर्तमान में भी जामा से विधायक हैं और अब दुमका से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है।

इधर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले एक साल से घेराबंदी की जा रही की। उन्हें अंतत:कथित जमीन घोटाले में जेल भेज दिया गया।हेमंत सोरेन ने स्थिति का आकलन करते हुए कल्पना सोरेन को मानसिक रूप से तैयार कर जमीन था। हेमंत सोरेन् की गिरफ्तारी के बाद् जब वह पहली बार जनता के बींच सार्वजनिक मंच पर आयी तो अपनी पीड़ा रोक नही रोक पायी और उसके आँखों से आँसू छलक पड़े।

कल्पना की आँसू बनी उसकी ताकत


स्वाभाविक है जब किसी की पीड़ा जब उसकी ताकत बन जाये तो वह बहुत ही ऊर्जावान हो जाता है। कल्पना सोरेन के साथ भी यही हुआ। कल्पना के आँसू का भी जनता पर असर हुआ।लोगों में उनके प्रति संवेदना जतायी,और उसके आँसू का उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गयी।

वह पढ़ी लिखी है, परिवार के सियासी माहौल मे वक्त गुजारी है, पति राज्य के सीएम भी रहे तो यह माहौल ने भी उन्हे पहले ही प्रशिक्षित कर दिया।यही वजह है कि पति को जेल जाने के बाद उससे उपजी पीड़ा ने उसे और मज़बूत बना दिया। 

बच्चे और बीमार सास-ससुर की जिम्मेबारी के साथ पार्टी की वागडोर को भी उन्होने उसी ताकत से संभाल लिया।आज वे बहुत ही मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह एक के बाद एक कदम उठा रही है।बहुत ही कुशलता के साथ पार्टी की वागडोर को भी संभाल ली है।और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बना ली है।

गिरफ्तारी की थी अंदेशा इसी लोए गांडेय सीट करया गया खाली


हेमंत सोरेन को लगातार ईडी के नोटिस से यह अंदाजा हो गया था कि उसे जेल जाना ही पड़ेगा।इसी लिए गांडेय सीट को इस शर्त पर आनन-फानन में उन्होंने जेएमएम विधायक सरफराज अहमद को इस्तीफा दिलाकर खाली कराया कि उस सीट से कल्पना सोरेन को जरूरत पड़ने पर खड़ा किया जा सके।साथ ही इनाम स्वरूप सरफराज अहमद को जे एम एम राजयसभा भेजेगी। जिस शर्त को पुरा भी किया गया।

हलाकि विधायकी से इस्तीफा का कारण सरफराज आलम ने निजी बताया था।लेकिन राज्यसभा भेजे जाने के बाद तस्बीर साफ हो गयी।

गिरफ्तारी से पूर्व कल्पना सोरेन के लिए हेमंत की रणनीति


 गिरफ्तारी से पहले ही हेमंत ने दो तरह की रणनीति बना रखी थी। पहली रणनीति यह कि कल्पना सोरेन को सीएम बना दें। उनकी यह रणनीति इसलिए फेल हो गई कि जेएमएम के अंदर ही इसे लेकर विरोध होने लगा।

जामा से जेएमएम की विधायक हेमंत सोरेन ओर बड़ी भाभी सीता सोरेन ही इसके विरोध में खड़ी हो गईं। उनका कहना था कि जब परिवार से ही किसी को सीएम बनाना है तो यह मौका उन्हें मिलना चाहिए। वे कई बार विधायक रह चुकी हैं और परिवार की बड़ी बहू हैं। हेमंत को इसकी आशंका थी, इसलिए उन्होंने दूसरी रणनीति यह बनाई थी कि आम राय न बन पाने की स्थिति में निर्विवाद छवि वाले जेएमएम विधायक चंपई सोरेन को सीएम बना दिया जाए। और वे इस तरह सीएम बनते-बनते रह गईं।

गांडेय चुनाव परिणाम ठीक रहा तो जून में होगी ताजपोशी


चूंकि हेमंत सोरेन ने कल्पना को सीएम बनाने के लिए ही गांडेय की सीट खाली कराई थी, इसलिए जब उपचुनाव की घोषणा हुई तो जेएमएम ने गांडेय सीट से कल्पना सोरेन को उम्मीदवार घोषित कर दिया। वैसे तो उपचुनाव के नतीजे भी चार जून को ही घोषित होंगे, लेकिन चुनाव के रुझान को देखते हुए कल्पना की जीत पक्की मानी जा रही है। इसी के साथ यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के बचे कुछ महीनों के लिए ही सही, पर कल्पना सीएम जरूर बनेंगी

पार्टी और गठबंधन का जीता कल्पना ने विश्वास


हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन की राजनीति में रुचि भी बढ़ने लगी है। वे इंडी अलायंस की सभाओं में शामिल होती रही हैं। चुनाव प्रचार में भी भाग लेती रही है। पति हेमंत के सोशल मीडिया अकाउंट को भी कल्पना खुद हैंडल करने लगी हैं। शायद वे पार्टी और गठबंधन क नेताओं को यह संदेश देना चाहती हैं कि सीएम बनने की उनमें पूरी क्षमता है। उम्होने इस मामले में पार्टी और गठबंधन का जीता कल्पना ने विश्वास

जेएमएम चूंकि परिवार केंद्रित पार्टी है, इसलिए सुप्रीमो शिबू सोरेन की बात मानना पार्टी के हर नेता की मजबूरी है। इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही उनके राजतिलक की भी तैयारी शुरू हो जाएगी।

कल्पना अगर दिखाती है त्याग की भावना तो बढ़ जाएगी राजनीति में कद


हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कल्पना ने अगर त्याग का भाव दिखाते हुए चंपई सोरेन को ही सीएम बनाए रखने की उदारता दिखाई तो उनका कद बढ़ जाएगा। सीएम न रहने पर ही उनकी बात तो सभी सुनते ही हैं। वे अपने और महागठबंधन के विधायकों के साथ बैठकें करती हैं तो सभी उनकी बात सुनते हैं। इंडी अलायंस के नेता के रूप में भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश की है। उनकी उदारता से पार्टी में खटपट की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी। पर, कुर्सी का मोह त्यागना किसी के लिए आसान नहीं है। कल्पना अपने लोभ का कितना संवरण कर पाती हैं,

 यह देखने वाली बात होगी। वे शार्टकट पसंद करती हैं या अपने लिए दीर्घकालिक जमीन तैयार करती हैं, अब पूरी तरह उन पर ही निर्भर होगा। इसलिए जीत के बाद उनके सीएम बनने की बड़ी बाधा खत्म हो जाएगी।

ब्रेकिंग : तो क्या ईडी के रडार पर हैं चंपाई सरकार के दो मंत्री,जानिए निशिकांत दुबे के एक वीडियो के बाद यह बात क्यों आयी चर्चा में...?


झारखंड डेस्क
रांची : झारखंड सरकार के मंत्री बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन को ईडी समन भेजने की तैयारी में है। इसी महीने ईडी इन्हें पूछताछ के लिए बुला सकती है। इन दोनों मंत्रियों से सवाल करेगी।

बताया जा रहा है कि ईडी ने यह समन टेंडर कमीशन मामले में किया जा सकता है। इसके कमीशन के दायरे में कई मंत्री और अधिकारी है। इसी मामले में आईएएस मनीष रंजन को भी ईडी ने समन किया है जिनके 24 मई को पूछताछ होनी है।

*निशिकांत का बयान हो रहा है वायरल*

बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन कैसे इन मामलों में घिरे हैं इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आयी है। इसी बीच निशिकांत दुबे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस को कितनी भी गाली दूं ऐसे दो नेता है जो मेरे खिलाफ कभी नहीं बोलते, बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि वह मेरा सम्मान करते है इसलिए नहीं बोलते वो डरते हैं कि मैंने हेमंत सोरेन को जेल भेज दिया अगर किसी दिन हम बोल दिये तो हमें जेल भेज देंगे।

झारखंड सरकार में दो मुस्लिम नेता दोनों जांच के दायरे में
झारखंड सरकार में दो मुस्लिम मंत्री हैं और दोनों अब जांच के दायरे में हैं। आलमगीर आलम के बाद हफीजुल दूसरे मंत्री थे। उन पर भी अब जांच की तलवार लटक रही है। हफीजुल को बिना विधायक बने भी मंत्री पद दिया गया था।

फरवरी 2021 में हफीजुल हसन ने मंत्री पद की शपथ ली थी। उस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन थे। जब हसन ने मंत्री पद की शपथ ली थी तब वह विधायक भी नहीं थे। हफीजुल हसन, हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हैं। हाजी हुसैन अंसारी शिबू सोरेन के काफी करीबी रहे। 2020 में उनका निधन हो गया था। इसके बाद उनकी जगह उनके बेटे को मंत्री बनाया गया है।

*कई और अधिकारी और मंत्री रडार में*

हफीजुल हसन को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, निबंधन विभाग, पर्यटन, कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग मिला है। चंपई सोरेन मंत्रिमंडल में दो मुस्लिम चेहरे हैं। इसके पहले आलमगीर आलम ने 2 फरवरी को शपथ लिया था।

आलम कांग्रेस से पाकुड़ सीट से विधायक और कांग्रेस के विधायक दल के नेता हैं। वह पहले बिहार सरकार में भी उद्योग विकास मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं फिलहाल आलमगीर आलम को टेंडर कमीशन घोटाला के मामले में ईडी ने रिमांड पर रखा है। बादल पत्रलेख देवघर के जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। इस खबर के साथ ही चर्चा यह भी तेज है कि इसमें कई औऱ मंत्री और अधिकारी ईडी की रडार में है। इनसे पूछताछ में कई और नाम भी सामने आ सकते हैं।
डायरी से मिली सूचना से एक महीने में टेंडर कमीशन से मंत्री आलमगीर आलम ने कमाए 123 लाख रुपये


झा.डेस्क
रांचीःझारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में एक महीने में ही 123 लाख रुपये तक की अवैध वसूली की जाती थी. ईडी ने कोर्ट को जो दस्तावेज सौंपे हैं उनसे आलमगीर आलम को एक महीने में ही करोड़ों की राशि मिलने की बात का उल्लेख किया गया है.फिक्स थी कमीशन की राशिग्रामीण विकास विभाग में नीचे से लेकर ऊपर के कर्मचारियों के साथ साथ मंत्री को ठेकों में कितना कमीशन मिलना था, यह पहले से ही तय रहता था. मंगलवार को ईडी ने कोर्ट को जो दस्तावेज सौंपे हैं, उसमें ठेकों के लिए एलओए (लेटर आफ एक्सेप्टेशन) जारी होने पर ही कमीशन मिलने की जानकारी दी गई है.

ईडी ने बताया है कि इसी साल जनवरी महीने में ही
मात्र 25 छोटे-छोटे ठेकों के जरिये ही मंत्री आलमगीर आलम को 123 लाख रुपये कमीशन के तौर पर मिले हैं. इसका जिक्र बरामद डायरी के एक पन्ने में किया गया है.

जानिए किस-किस कंपनी को मिला ठेका, मंत्री की हिस्सेदारी कितनी

ईडी ने कोर्ट के सामने मंत्री आलमगीर आलम को किन-किन कंपनियों से कितना कमीशन मिला इसकी भी पूरी जानकारी दी है.

जैसे तेजप्रताप सिंह चतरा कंपनी को 119.078 लाख के काम का आवंटन हुआ, जिसमें 3.40 लाख का कमीशन उठा, इसमें 1.53 लाख मंत्री को कमीशन मिला.

इसी तरह अनूप कुमार जायसवाल को मिले टेंडर में 8.84 लाख,

अफजल अंसारी धनबाद को मिले टेंडर में 2.02 लाख,

मनोज कुमार सिंह के टेंडर में 3.62 लाख,

भीम चंद्र सिंह के टेंडर में 2.22 लाख का कमीशन दिया गया.


इसी प्रकार अरविंद यादव गढ़वा के टेंडर में 4.14 लाख,

मां कंस्ट्रक्शन को मिले टेंडर में 11.07 लाख,

टुनटुन कुमार राय को मिले टेंडर में 2.52 लाख व 1.70 लाख,

राजीव इंटरप्राइजेज गोड्डा को मिले टेंडर में 3.69 लाख,

राजीव रंजन प्रोजेक्ट को मिले टेंडर में 2.16 लाख,

जेडी एंड संस इस्ट को मिले टेंडर में 4 लाख, कर्मप्रधान टेक्नो को मिले टेंडर में 3.62 लाख, ।

सुभाष पांडेय देवघर के टेंडर में 4.67 लाख, श्रीकृष्णा इंटरप्राइजेज के टेंडर में 3.28 लाख की रकम बतौर कमीशन दी गयी.वहीं कुमार एंड राय के टेंडर में 11.39 लाख, टिया कॉन टेक प्राइवेट लिमिटेड के टेंडर में 6.25 लाख,

एबीसी कंस्ट्रक्शन पाकुड़ के टेंडर में 15.34 लाख, कुमार कंस्ट्रक्शन के टेंडर में 4.78 लाख, अमित कंस्ट्रक्शन को मिले ठेके में 3.15 लाख,

विक्की कंस्ट्रक्शन के ठेके में 1.01 लाख,

कुमार कंस्ट्रक्शन के ठेके में 5.89 लाख,

यासीन कंस्ट्रक्शन के ठेके में 4.95 लाख

रुपये का कमीशन मंत्री आलमगीर आलम को दिया गया.

इसी तरह अशरफ कंस्ट्रक्शन नाम की कंपनी को 9 जनवरी को काम मिला था, जिसमें 282.177 लाख रुपये के टेंडर में 8.40 करोड़ रुपये कमीशन मिले,

जिसमें मंत्री आलमगीर आलम को 3.78 करोड़ मिले. शिव कंस्ट्रक्शन को 891.594 के ठेकों के आवंटन में 20.50 लाख का कमीशन उठाया गया,

जिसमें मंत्री को 9.22 लाख रुपये का कमीशन दिया गया. ईडी ने जो दस्तावेज कोर्ट में दिए हैं,

उसके अनुसार कुल 223.77 लाख रुपये की उगाही 9-19 जनवरी तक जारी इन 25 टेंडरों में की गई.

जिसमें 123.20 लाख रुपये का कमीशन मंत्री आलमगीर आलम को दिया गया

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प्रदेश भाजपा द्वारा जयंत सिन्हा को भेजे गए नोटिस का उन्होंने दिया जवाब,जवाब में क्या कहा इसे जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर


झारखंड डेस्क
हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग सीट से सांसद जयंत सिन्हा ने राज्यसभा सांसद सह भाजपा के प्रदेश महासचिव आदित्य साहू के नोटिस  द्वारा भेजे गए नोटिश का  जवाब  दिया है.

उन्होंने पत्र के माध्यम से दिये गये जवाब में कहा है कि वे व्यक्तिगत कारणों से विदेश में थे. इस कारण मैंने पोस्टल वैलेट की मदद से अपना वोट डाला है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि वे क्यों नहीं पार्टी की चुनावी गतिविधियों में हिस्सा लिया. वे आदित्य साहू को लिखे गये पत्र में कहते हैं कि आप निश्चित रूप से इसके लिए मुझसे संपर्क कर सकते थे.

लेकिन राज्य से एक भी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी या सांसद/विधायक इसके लिए मेरे पास नहीं पहुंचे. न ही किसी भी पार्टी के कार्यक्रम या रैली में शामिल होने के लिए मुझे आमंत्रित किया.

दरअसल दो दिन पहले झारखंड से राज्यसभा सांसद सह पार्टी के प्रदेश महासचिव आदित्य साहू ने जयंत सिन्हा को शो-कॉज नोटिस जारी किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि जब मनीष जयसवाल को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया तब से आप संगठन के कार्यों या चुनाव प्रचार में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. यहां तक कि आपने वोट तक नहीं डाला. आपके इस आचरण से पार्टी की छवि धूमिल हुई. इसके लिए उन्हें दो दिन के अंदर में जवाब देने को कहा गया था.
टेंडर कमीशन घोटाला में गिरफ्तार मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड 5 दिन के सुख बढ़ायी गयी,ईडी करेगी

पूछताछ,आईएएस अधिकारी मनीष रंजन इस भी भेजा गया समन* झारखंड डेस्क टेंडर कमीशन घोटाला में गिरफ्तार मंत्री आलमगीर आलम से ईडी और पांच दिनों तक पूछताछ करेगी। रिमांड अवधि ख़त्म होने पर मंत्री आलमगीर आलम को 22 मई को ईडी ने विशेष अदालत के समक्ष पेश किया। रिमांड अवधि बढ़ाने का आग्रह किया। ईडी के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार ने ईडी के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत से आलमगीर आलम को सात दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की अनुमति मांगी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने ईडी को फिर से पूछताछ के लिए पांच दिनों की रिमांड की मंजूरी दी। उधर, आईएएस अधिकारी मनीष रंजन को भी ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाला मामले में समन किया है। उन्हें ईडी कार्यालय में 24 मई को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। ईडी को जो दस्तावेज मिले हैं, उसमें किसी मनीष रंजन का भी जिक्र था। मनीष रंजन पहले ग्रामीण विकास विभाग में सचिव रह चुके हैं। वर्तमान में मनीष रंजन भू-राजस्व विभाग में है।
अखिल भारतीय धानुक उत्थान महासभा के धनबाद जिला इकाई ने अपना समर्थन भाजपा के प्रति जताया,


धनबाद:/अखिल भारतीय धानुक उत्थान महासभा धनबाद जिला की ओर से धनबाद से भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो एवं गिरिडीह प्रत्याशी चंद्र प्रकाश चौधरी को अपना समर्थन दिया है पक्ष तथा समाज के लोगों से अपील किया है कि एनडीए के पक्ष में मतदान करे।

 इस मौके पर बुधवार को धनबाद लोकसभा के प्रत्याशी ढुल्लू महतो के बड़े भाई शरद महतो से  धानूक उत्थान महासभा धनबाद जिला के अध्यक्ष दिनेश दिवान के नेतृत्व में मिलकर अपना समर्थन जताया है।

इस अवसर पर ढुल्लू महतो के भाई शरद महतो तो धानुक समाज के प्रतिनिधि को आश्वास्त किया कि आने वाले समय में जिस तरह से आप लोगो ने ढुल्लू महतो के प्रति अपनी आस्था जताया है इस तरह हम भी आप के समाज के लोगो के लिए सुख दुख में खड़े रहेंगे ।

मालूम हो कि धनबाद जिला में धानुक जाति की आबादी लगभग 45000 की है जो भाजपा और नरेन्द्र मोदी के प्रति अपना विश्वास जताया है ।इस मौके पर धनबाद जिला धानुका उत्थान महासंघ जिला अध्यक्ष श्री दिनेश दीवान वरिष्ठ नेता हरभजन महतो प्रेम शंकर मंडल उचित महतो गोविंद रावत शीशम रावत प्रमोद मंडल सकलदेव राय महादेव रावत साधु रावत कामेश्वर मंडल नुनु रावत रूपेश कुमार रणजीत सिंह बबलू मंडल सरवन मंडल नेपाली मंडल पिंटू मंडल प्रभु मंडल मोहन मंडल राजेश मंडल गुड्डा मंडल पिंटू मंडल सैकड़ो धानुक समाज के लोग उपस्थित थे।

भाजपा मुट्ठी भर पुंजीपतियों के लिए कर रही है काम : चंपाई सोरेन

झा.डेस्क

धनबाद के कतरास स्थित सोनारडीह स्थित साउथ गोविंदपुर निमतल्ला मैदान में इंडिया गठबंधन की आयोजित सभा को संबोधित करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि भाजपा की सरकार मुट्ठी भर पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है।

देश में बढ़ती महंगाई व बेरोजगार लोगों के लिए कोई काम नहीं किया है। गैस सिलेंडर व पेट्रोल के दामों में काफी इजाफा हुआ है। झारखंड में उच्च शिक्षा के लिए विदेश तक पढ़ाई के लिए निशुल्क व्यवस्था की गई है।

 झारखंड में आउटसोर्सिंग बंद करवाकर बेरोजगारों को स्थाई नौकरी दी जाएगी। मौके पर इंडी गठबंधन की प्रत्याशी मथुरा महतो सहित अन्य नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।

हेमंत सोरेन को SC से नहीं मिली राहत : सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका कर दी खारिज ...

झारखंड डेस्क

पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को सर्वोच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली. अदालत ने अंतरिम जमानत देने की उनकी याचिका खारिज कर दी है. इसके बाद उनके अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका वापस ले ली. हेमंत सोरेन की तरफ से निचली अदालत में इससे संबंधित याचिका पहले दायर की जा चुकी है. इस तथ्य को छिपाने की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई.

बता दें कि लैंड स्कैम के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोप में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. अदालत ने बुधवार को सुनवाई के बाद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.

शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम याचिका खारिज कर रहे हैं. जिस पर पैरवी कर रहे एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें याचिका वापस लेने दें. शीर्ष अदालत ने बुधवार को सुनवाई के बाद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. हेमंत सोरेन की स्पेशल लीव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की वैकेशन बेंच पर सुनवाई हुई.

हेमंत सोरेन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने सारे तथ्य नहीं रखे. कोर्ट ने यह जानना चाहा कि जब हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था,तब कोर्ट को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गयी कि जमानत की अर्जी पीएमएलए के स्पेशल कोर्ट के सामने पेंडिंग है.

 निचली अदालत पहले ही चार्जशीट पर संज्ञान ले चुकी है. कोर्ट ने कहा कि इससे यह लगता है कि हेमंत सोरेन की नीयत सही नहीं है. आप दो-दो जगह कानूनी राहत के विकल्प खोज रहे थे. अगर हमें पता होता कि आपकी अर्जी कहीं और ही पेंडिंग है,तो हम ऐसी सूरत में आपको याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर ही नहीं करते. इस पर कपिल सिब्बल ने सफाई दी कि इसमें मेरे मुवक्किल की गलती नहीं है.

इससे पहले मंगलवार को भी हेमंत सोरेन की एसएलपी पर सुनवाई हुई थी. मंगलवार को करीब एक घंटे से ज्यादा बहस चली थी. बहस के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अंतरिम जमानत दिये जाने के पक्ष में कई दलीलें पेश की थी. जिसका ईडी के अधिवक्ता ने पुरजोर विरोध किया था. इसके बाद शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के लिए बुधवार 22 मई की तारीख मुकर्रर की थी. पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था.

पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हेमंत सोरेन ने शीर्ष अदालत में एसएलपी दाखिल कर झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी थी.

धनबाद लोकसभा चुनाव में कौन उबर पाएंगे भितरघात के आघात से,भाजपा और कांग्रेस दोनों की है यही स्थिति, पढ़िये पूरी खबर....!



झारखंड डेस्क

 धनबाद : लोकसभा में इस बार 25 उम्मीदवारों के बीच जंग छिड़ी हुई है. पर मुख्य मुकाबला बाघमारा के भाजपा विधायक ढुल्लू महतो और बेरमो के कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह के बीच है.

क्या है धनबाद में मतदाताओं का समीकरण...?


धनबाद एसटी, एससी, मुस्लिम और सवर्ण वोटर के दबदबे वाला लोकसभा सीट है. यहां तीन लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं। मुस्लिम समुदाय की आबादी भी कम नहीं है. जबकि एससी और सवर्ण मतदाताओं की तादाद दो-दो लाख के करीब है. 2019 के लोकसभा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में धनबाद की छह में से पांच विधानसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा कर लिया था. 22 लाख वोटर के साथ झारखंड की सबसे बड़ी धनबाद लोकसभा के बोकारो विधानसभा में सबसे ज्यादा 5.6 लाख वोटर हैं. दूसरे नंबर पर धनबाद में 4.4 लाख और निरसा और सिंदरी में 3-3 लाख वोटर हैं. यहां नौकरी और व्यवसाय के लिए बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से आकर बसे 60-65 फीसदी शहरी वोटर ही हमेशा प्रभावी होते हैं. जाहिर है बोकारो के साथ-साथ धनबाद, निरसा और सिंदरी में बढ़त लेने वाले उम्मीदवार को ही धनबाद लोकसभा में जीत मिलती रही है.

पिछले एक दशक से धनबाद हैभाजपा का गढ़


मजदूर बहुल धनबादमें पहले मजदूर नेताओं की ही चलती थी. कोयला मजदूरों के प्रचंड समर्थन की बदौलत तीन बार सांसद रहे एके रॉय, राम नारायण शर्मा, शंकर दयाल सिंह और चंद्रशेखर दुबे जैसे मजदूर नेता धनबाद से संसद पहुंचे थे. पर भाजपा के मजबूत होते ही मजदूर नेताओं का बोलबाला खत्म हो गया. धनबाद से भाजपा के टिकट पर चार बार सांसद बनने वालीं रीता वर्मा और तीन बार सांसद रहे पीएन सिंह इसके उदाहरण हैं और अब धनबाद भाजपा के लिए सबसे सेफ सीट बन गई है. धनबाद में पिछले आठ बार हुए लोकसभा चुनाव में से सात बार भाजपा की जीत हुई.

2014 के चुनाव में भाजपा को दो लाख 93 हजार और 2019 में 4 लाख 86 हजार वोटों के बड़े अंतर से जीत मिली थी. पर यहां से जीत की हैट्रिक लगानेवाले पीएन सिंह का टिकट इस बार कट गया. जाहिर है सवर्ण उम्मीदवारों के दबदबे वाले धनबाद लोकसभा में इस बार भाजपा ने पुराने समीकरण को नजरअंदाज कर कुर्मी कार्ड आजमाया. 

धनबाद से ढुल्लू महतो और गिरिडीह से सहयोगी सीपी चौधरी की उम्मीदवारी के जरिए भाजपा ने दूसरी सीटों पर भी कुर्मी वोटर को गोलबंद करने की कोशिश 

की. भाजपा की ये रणनीति कितनी कारगर रही. ये रिजल्ट से ही पता चलेगा.

धनबाद को है मोदी मैजिक पर भरोसा


धनबाद लोकसभा से इस बार भाजपा उम्मीदवार ढुल्लू महतो ने 2019 में भी गिरिडीह लोकसभा से टिकट के लिए जोर लगाया था. पर तब सीट बंटवारे में गिरिडीह सीट आजसू के हिस्से में चली गई थी. 2019 में लोकसभा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में ढुल्लू महतो बाघमारा से महज 824 वोट से जीते. 

लेकिन वो जिस बाघमारा सीट से विधायक हैं, वो गिरिडीह संसदीय सीट में आती है. जाहिर है वो इस बार के चुनाव में अपने विधानसभा के वोट से दूर रहेंगे. साथ ही धनबाद से उन्हें प्रत्याशी बनाने पर भाजपा का एक तबका खासा नाराज है. 

उनकी हालिया बयानबाजी ने उस नाराजगी में आग में घी का काम किया.धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा के वायरल बयान से पार्टी के अंदरखाने व्याप्त नाराजगी भी खुलकर सामने आ गई. हालांकि इस बयान को लेकर भाजपा ने राज सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. 

अपनों के निशाने पर आए ढुल्लू महतो के सियासी दुश्मन भी उन पर वार पर वार किए जा रहे हैं. ढुल्लू महतो पर दर्ज केस का पिटारा खोल कर बैठे जमशेदपुर के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने तो उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव तक लड़ने का ऐलान कर दिया था. पर कांग्रेस के समर्थन मांगने पर वो पीछे हट गए. वहीं निवर्तमान सांसद पीएन सिंह का टिकट कटने से राजपूत समाज भी नाराज हो गया. ऐसे में अपनों और विरोधियों से चौतरफा घिरे ढुल्लू महतो को पार्टी की छवि और मोदी फैक्टर से बड़ी आस है.

कांग्रेस भी भितरघात से परेशान


धनबाद लोकसभा में भाजपा के साथ कांग्रेस को भी भितरघात का खतरा है. दरअसल, कई दिग्गज कांग्रेस नेता धनबाद से टिकट की आस में थे. पर टिकट मिला बेरमो के कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को. वो पहली बार घर की दहलीज लांघ कर लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं.

 इससे नाराज धनबाद के पूर्व कांग्रेस सांसद और मजदूर नेता चंद्रशेखर दुबे मुखर हो गए और इंडिया गठबंधन की हार की भविष्यवाणी तक कर दी. पर झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह और बाघमारा के पूर्व विधायक जलेश्वर महतो के साथ-साथ सिंह मेंशन के युवराज मनीष सिंह जैसे कई नेता अनुपमा सिंह के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. 

जेएमएम और आरजेडी भी समर्थन दे रही है. तो सरयू राय के पीछे हटने से सवर्ण वोटर में बिखराव का खतरा भी कम हो गया है. भाजपा से नाराज धनबाद के राजपूत और वैश्य मतदाताओं का भी कांग्रेस को साथ मिलता दिख रहा है. पर पिछड़ी जातियों को साधना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.

ऐसे हालात में इस बार टक्कर दिलचस्प हो गया है।कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्थिति बराबर है।और दोनों अपने जीत की दावा कर रहे हैं। अब देखिये पलड़ा किसका है भारी और कौन जीत रहा है यह सीट इसका खुलासा होगा 4 जून को।