एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में
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नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया।
गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया
NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।'
नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं।
एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत
कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?
नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?
बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा
इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।"
अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।"
इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र
चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।
अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।
Apr 06 2024, 13:41