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*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।
एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में

#ncertpoliticalsciencebookchangebabrimasjidgujaratriotspoliticsofhindutvatopics

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया।

गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया

NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।'

नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। 

एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत

कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?

नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?

बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा

इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।"

अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।"

इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र

चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। 

अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

बाइडेन ने एक फोन पर नरम पड़े नेतन्याहू, छह महीने बाद गाजा के साथ क्रॉसिंग खोला

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हमास और इस्राइल के बीच कई माह से जंग जारी है। इस युद्ध को रुकवाने के लिए कोशिशें जारी है, लेकिन फिर भी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है।इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान अब तक की सबसे बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। पहले की तुलना में अब इजराइल के रुख में लचीलापन देखने को मिल रहा है। इजराइल की तरफ से शुक्रवार को कहा गया है कि वह गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कदम उठा रहा है। जिसमें बुरी तरह प्रभावित उत्तरी गाजा की एक सीमा को फिर से खोलना भी शामिल है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने योजनाओं की घोषणा की।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को एक-दूसरे से फोन पर बातचीत की। जिसके बाद नेतन्याहू के रूख में नर्मी देखी जा रही है।

इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने 7 अक्टूबर के हमास हमलों के बाद पहली बार इजरायल और उत्तरी गाजा के बीच इरेज़ क्रॉसिंग को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। सीएनएन के मुताबिक एक इजरायली अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

इज़रायली अधिकारी ने कहा कि गाजा में अधिक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए क्रॉसिंग को खोला जाएगा। कैबिनेट ने गाजा में अधिक सहायता पहुंचाने में मदद के लिए इजरायली बंदरगाह अशदोद का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी दे दी। इरेज क्रॉसिंग, एक पैदल यात्री मार्ग है। यह उन बॉर्डर प्वाइंट्स में से एक है जिसका उल्लंघन 7 अक्टूबर को हमास लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करने के लिए किया था।

बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत

इजराइल की तरफ से यह घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद की गई है। इससे पहले फोन पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि गाजा में युद्ध के लिए भविष्य का अमेरिकी समर्थन नागरिकों और सहायता कर्मियों की सुरक्षा के लिए इजराइल की ओर से और अधिक कदम उठाए जाने पर निर्भर करेगा। 

बता दें कि मतभेदों के बावजूद, बाइडन प्रशासन ने हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के लिए इजराइल को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता और राजनयिक समर्थन प्रदान करना जारी रखा है।

सात अक्तूबर को हमास ने किया था हमला

बता दें, इजराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। हर तरफ चीख-पुकार मची हुई है। सात अक्तूबर से लेकर अब तक 30 हजार से अधिक लोगों की इस संघर्ष में मौत हो चुकी है। वहीं, हमास के बाद इजराइली सेना भी कार्रवाई करते हुए बिना रुके हमले कर रही है। इजराइल ने गाजा में जमीन, हवाई, समुद्र समेत सभी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले लोगों की आवाजाही के लिए इरेज और माल के लिए केरेम शालोम बॉर्डर थे।

इस कारण इजराइल की हो रही आलोचना

गौरतलब है कि गाजा में एक इजरायली हवाई हमले में ‘वर्ल्ड सेंट्रल किचन’ के 7 अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों की मौत हो जाने के बाद इजरायल की दुनिया भर में आलोचना हो रही हैं। यह सभी लोग गाजा में फूड सप्लाई के काम में लगे थे। हमले में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, पोलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के वर्ल्ड सेंट्रल किचन कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनका एक फिलिस्तीनी सहयोगी मारा गया। इजराइल का कहना है कि हमला एक गंभीर गलती थी और उसने माफी मांगी है। इसमें स्वतंत्र जांच का भी वादा किया गया है।

आप नेता आतिशी को चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, 8 अप्रैल तक मांगा जवाब, लगाया था से ऑफर मिलने का आरोप*
#atishi_aap_leader_get_election_commission_notice भाजपा की शिकायत पर चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी को नोटिस भेजा है। उन्‍हें सोमवार तक जवाब देने को कहा गया है। दिल्ली की मंत्री आतिशी से चुनाव आयोग ने उनकी भाजपा में शामिल हों या जेल का सामना करें वाली टिप्पणी पर जवाब मांगा है। दरअसल, हाल ही में दिल्ली की मंत्री आतिशी ने दावा किया था कि उनसे बीजेपी में शामिल होने के लिए संपर्क किया गया था। मंगलवार को आम आदमी पार्टी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी ने मेरे एक बहुत करीबी व्यक्ति के माध्यम से मुझे बीजेपी ज्वाइन करने के लिए अप्रोच किया है। आतिशी के इस बयान पर बीजेपी ने कल यानि 4 अप्रैल को शिकायत की थी। इससे पहले भाजपा ने आतिशी को मानहानि का नोटिस भेजा था। आतिशी ने आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा में शामिल होने का ऑफर आया है। करीबी व्यक्ति के माध्यम से उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए संपर्क किया गया है। उन्हें कहा गया है कि भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक करिअर बचा लो, अन्यथा महीने भर में ईडी गिरफ्तार कर लेगी। कुछ दिनों में उनके आवास, रिश्तेदारों व परिवार वालों के घर रेड होगी और समन भेजे जाएंगे। आतिशी ने दावा करते हुए कहा कि ईडी मेरे घर पर छापेमारी कर सकती है और आने वाले दिनों में मुझे भी जेल में डाला जा सकता है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि सौरभ और राघव चड्ढा को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपना इस्तीफा नहीं देंगे।
*जेल से निकले आप नेता संजय सिंह का बड़ा दावा, बोले-शराब घोटाले में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व शामिल*
#aap_mp_sanjay_singh_alleges_bjp_liquor_scam_conspiring दिल्ली शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। जेलर से बाहर आने के बाद आज शुक्रवार को संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई चौंकाने वाला दावा किया। संजय सिंह ने दावा किया है कि शराब घोटाला बीजेपी ने किया है और उसके टॉप के नेता इसमें शामिल हैं। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ये भी कहा कि अरविंद केजरीवाल को साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया है। प्रेशर डालकर केजरीवाल के खिलाफ बयान दिलवाया गया है। केजरीवाल की गिरफ्तारी एक गहरी साजिश है। *दबाव बनाकर बयान दिलवाया गया* संजय सिंह ने पीसी में कहा, आज आपके सामने यह बताने के लिए आया हूं कि कैसे कुचक्र रचकर और साज़िश रचकर अरविंद केजरीवाल को गिरफ़्तार किया गया है। मंगूटा रेड्डी ने कुल 3 और उसके बेटे ने 7 बयान दिए। 16 सितंबर को पूछा गया कि क्या आप अरंविद केजरीवाल को जानते हो तो उसने माना कर दिया था। उसके बेटे को 5 महीने के लिए जेल भेजा दिया जाता है। 10 फ़रवरी से 16 जुलाई को 7वां बयान होता है और उसका बयान बदल जाता है। वह अरविंद के खिलाफ बयान देता है। संजय सिंह ने दावा किया कि बाप-बेटे के 9 बयान में अरविंद के खिलाफ कुछ नहीं था। बाद में दबाव बनाकर बयान दिलवाया गया। संजय सिंह ने कहा कि जो बयान केजरीवाल के खिलाफ नहीं था उसके बारे में ईडी ने कहा कि इनपर भरोसा नहीं है। *शराब घोटाले के आरोपी के साथ पीएम की तस्वीर क्यों?* संजय सिंह ने पीएम मोदी के साथ मगुंटा रेड्डी की तस्वीर दिखाते हुए सवाल किया कि वह आदमी जिसे शराब घोटाले का आरोपी बनाया गया है, पीएम मोदी उसके साथ क्या कर रहे हैं।आज की तारीख में वो टीडीपी से चुनाव लड़ रहा है लेकिन प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाकर वोट मांग रहा है। इसे शराब कारोबारी बताया जा रहा था, जो मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान देता है। अब इसको छिपा लिया गया। *शरत रेड्डी को किया गया मजबूर* संजय सिंह ने आगे कहा कि शरद रेड्डी (अरबिंदो फार्मा के एमडी) के घर पर 9 नवंबर 2022 में छापा होता है। उससे अरविंद केजरीवाल के बारे में पूछा जाता है तो वो मना कर देता है। कुल 12 बयान देता है। 9 नवंबर से उससे पूछताछ शुरू हुई। इस दौरान उस पर दवाब बनाया गया। नहीं माना तो 10 नवंबर को उसकी गिरफ्तारी हो जाती है। इसके बाद 25 अप्रैल तक कुल 6 महीने जेल में रखा गया और कहा कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान दो। उसको कहा गया कि बयान दो वर्ना जिंदगी जेल में सड़ जाएगी। वो संजय सिंह तो है नहीं। वो टूट गया और 25 अप्रेल को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान दिया। हमारे वकीलों ने जब बयानों को देखा तो 10 बयान अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नहीं थे तो ईडी ने कहा कि बयानों पर भरोसा नहीं। 25 अप्रैल को बयान देने के बाद उसकी जमानत हो जाती है। *एलजी पर भी लगाए आरोप* संजय सिंह ने कहा कि एलजी साहब कैसे काम करते हैं, ये सबको पता है। ऊपर से आदेश लेकर काम करते हैं। एलजी ने शरद रेड्डी के मामले में लेटर क्यों नहीं लिखा? पूरी बीजेपी सिर से लेकर पांव तक शराब घोटाले में डूबी है। *55 करोड़ रुपये बीजेपी को रिश्वत के रूप में मिली* संजय सिंह ने दावा किया कि असली घोटाला ईडी की जांच के बाद शुरू हुआ। पहले 15 नवंबर को 5 करोड़ का नजराना बीजेपी को पहुंचा। कुल 55 करोड़ रुपये बीजेपी को रिश्वत के रूप में मिली। मनी ट्रेल तो खुलेआम मिला। ये सुप्रीम कोर्ट की वजह से तब हुआ, जब कहा गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड का हिसाब दिखाओ। बीजेपी के घोटाले से ध्यान हटाने के लिए अरविंद केजरीवाल के घर छापा मारा गया और केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया।
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का घोषणापत्र जारी, 5 न्याय और 25 गारंटियों पर फोकस, आरक्षण पर 50% का कैप हटाने का वादा

#lok_sabha_election_2024_congress_party_manifesto

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है।कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र को न्याय पत्र नाम दिया है। इस घोषणा पत्र को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जारी किया। घोषणापत्र ‘पांच न्याय और 25 गारंटी’ पर आधारित है। यह पांच न्याय 'हिस्सेदारी न्याय', 'किसान न्याय', 'नारी न्याय', 'श्रमिक न्याय' और 'युवा न्याय' हैं। अपने मेनिफेस्टो में कांग्रेस ने कई तरह की गारंटियां शामिल की हैं. इसमें युवाओं, महिलाओं, किसानों और मजदूरों पर खास फोकस किया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमारा घोषणापत्र गरीबों को समर्पित है। उन्होंने कहा, 'हमारा यह घोषणापत्र देश के राजनीतिक इतिहास में न्याय के दस्तवेज के रूप में याद किया जाएगा। राहुल गांधी के नेतृत्व में चलाई गई 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' इसी पर केंद्रित थी। यात्रा के दौरान पांच स्तंभों- युवा न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय की घोषणा की गई। इन पांच स्तंभों में से 25 गारंटी निकलती हैं और हर 25 गारंटी में किसी न किसी को लाभ मिलता है।'

पार्टी के घोषणापत्र में 5 न्याय और 25 गारंटियां शामिल हैं। घोषणापत्र पांच न्याय – ‘हिस्सेदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘युवा न्याय’- पर आधारित है। पार्टी ने ‘युवा न्याय’ के तहत जिन पांच गारंटी की बात की है उनमें 30 लाख सरकारी नौकरियां देने और युवाओं को एक साल के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये देने का वादा शामिल है। कांग्रेस ने ‘हिस्सेदारी न्याय’ के तहत जाति जनगणना कराने और आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म करने की ‘गारंटी’ दी है। पार्टी ने ‘किसान न्याय’ के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा, कर्ज माफी आयोग के गठन तथा जीएसटी मुक्त खेती का वादा किया है। कांग्रेस ने ‘श्रमिक न्याय’ के तहत किसानों के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले के साथ एमएसपी का कानूनी गारंटी, श्रमिकों के लिए 25 लाख का हेल्थ कवर, मुफ्त इलाज, अस्पताल, डॉक्टर,दवा, टेस्ट, सर्जरी की घोषणा की गई है। घोषणापत्र में जिसके पास जमीन नहीं है, उसे जमीन देने का वादा किया गया है। न्यूनतम मजूदरी 400 रुपये प्रतिदिन सुनिश्चित करने और शहरी रोजगार गारंटी का वादा किया है। साथ ही ‘नारी न्याय’ के अंतर्गत ‘महालक्ष्मी’ गारंटी के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को एक-एक लाख रुपये प्रति वर्ष देने समेत कई वादे किए हैं।

पार्टी ने कहा है कि, अगर वह सत्ता में आती है, तो पार्टी ‘जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की पहचान करने के लिए” देशव्यापी जाति जनगणना कराएगी। कांग्रेस ने कहा कि आंकड़ों के आधार पर वह उन जातियों के लिए एजेंडे को मजबूत करेगी, जिन्हें सकारात्मक कार्रवाई की जरूरत है। कांग्रेस जाति जनगणना करवाएगी, आरक्षण पर 50 फीसदी कैप हटाएगी।

पार्टी को उम्मीद है कि उनकी ऐतिहासिक गारंटियां लोगों की तकदीर बदल देंगी।

*लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का घोषणापत्र जारी, 5 न्याय और 25 गारंटियों पर फोकस, आरक्षण पर 50% का कैप हटाने का वादा*
#lok_sabha_election_2024_congress_party_manifesto लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है।कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र को न्याय पत्र नाम दिया है। इस घोषणा पत्र को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जारी किया। घोषणापत्र ‘पांच न्याय और 25 गारंटी’ पर आधारित है। यह पांच न्याय 'हिस्सेदारी न्याय', 'किसान न्याय', 'नारी न्याय', 'श्रमिक न्याय' और 'युवा न्याय' हैं। अपने मेनिफेस्टो में कांग्रेस ने कई तरह की गारंटियां शामिल की हैं. इसमें युवाओं, महिलाओं, किसानों और मजदूरों पर खास फोकस किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमारा घोषणापत्र गरीबों को समर्पित है। उन्होंने कहा, 'हमारा यह घोषणापत्र देश के राजनीतिक इतिहास में न्याय के दस्तवेज के रूप में याद किया जाएगा। राहुल गांधी के नेतृत्व में चलाई गई 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' इसी पर केंद्रित थी। यात्रा के दौरान पांच स्तंभों- युवा न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय की घोषणा की गई। इन पांच स्तंभों में से 25 गारंटी निकलती हैं और हर 25 गारंटी में किसी न किसी को लाभ मिलता है।' पार्टी के घोषणापत्र में 5 न्याय और 25 गारंटियां शामिल हैं। घोषणापत्र पांच न्याय – ‘हिस्सेदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘युवा न्याय’- पर आधारित है। पार्टी ने ‘युवा न्याय’ के तहत जिन पांच गारंटी की बात की है उनमें 30 लाख सरकारी नौकरियां देने और युवाओं को एक साल के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये देने का वादा शामिल है। कांग्रेस ने ‘हिस्सेदारी न्याय’ के तहत जाति जनगणना कराने और आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म करने की ‘गारंटी’ दी है। पार्टी ने ‘किसान न्याय’ के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा, कर्ज माफी आयोग के गठन तथा जीएसटी मुक्त खेती का वादा किया है। कांग्रेस ने ‘श्रमिक न्याय’ के तहत किसानों के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले के साथ एमएसपी का कानूनी गारंटी, श्रमिकों के लिए 25 लाख का हेल्थ कवर, मुफ्त इलाज, अस्पताल, डॉक्टर,दवा, टेस्ट, सर्जरी की घोषणा की गई है। घोषणापत्र में जिसके पास जमीन नहीं है, उसे जमीन देने का वादा किया गया है। न्यूनतम मजूदरी 400 रुपये प्रतिदिन सुनिश्चित करने और शहरी रोजगार गारंटी का वादा किया है। साथ ही ‘नारी न्याय’ के अंतर्गत ‘महालक्ष्मी’ गारंटी के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को एक-एक लाख रुपये प्रति वर्ष देने समेत कई वादे किए हैं। पार्टी ने कहा है कि, अगर वह सत्ता में आती है, तो पार्टी ‘जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की पहचान करने के लिए” देशव्यापी जाति जनगणना कराएगी। कांग्रेस ने कहा कि आंकड़ों के आधार पर वह उन जातियों के लिए एजेंडे को मजबूत करेगी, जिन्हें सकारात्मक कार्रवाई की जरूरत है। कांग्रेस जाति जनगणना करवाएगी, आरक्षण पर 50 फीसदी कैप हटाएगी। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी ऐतिहासिक गारंटियां लोगों की तकदीर बदल देंगी।
लगातार सातवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, ईएमआई रहेगी स्थिर

#rbimpcreporateshaktikantdasemi

भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 3 दिन से चल रही मीटिंग के नतीजों का ऐलान हो गया है। चुनाव से पहले रिजर्व बैंक ने लोगों को बड़ी राहत दी है।रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। यह सातवीं बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी जानकारी दी है। बता दें, ब्याज दरों की समीक्षा के लिए आरबीआई एमपीसी की बैठक 3 अप्रैल से 5 अप्रैल के बीच हुई थी, जिसमें 6 सदस्य की एमपीसी में से 5 सदस्यों ने बहुमत के आधार पर ब्याज दरों में बदलाव नहीं का फैसला लिया गया है। 

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर विथड्रॉल ऑफ अकोमडेशन रुख एमपीसी ने बरकरार रखा है। महंगाई में कमी आ रही है और अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत नहीं हुई है। रेपो रेट के अलावा एसडीएफ और एमएसएफ में कोई भी बदलवा नहीं किया गया है। इन्हें 6.25 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। साथ ही रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर रखा है।

ग्रोथ की गति बरकरार

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कहा कि ग्रोथ ने सभी अनुमानों को पार करते हुए अपनी गति बरकरार रखी है। जनवरी और फरवरी दोनों महीनों की हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1% हो गई है, और यह पहले से इन दो महीनों में दिसंबर के महीने 5.7% के पीक से घटकर 5.1% हो गई है। आगे देखते हुए, मजबूत विकास संभावनाएं नीति को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने और 4% के लक्ष्य तक इसके बढ़ने को सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान करती हैं।

7.6 प्रतिशत पर रहेगी रियल जीडीपी ग्रोथ

दास ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की रियल जीडीपी ग्रोथ 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। साथ ही बताया कि जीडीपी मजबूत रहने की वजह मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का मजबूत रहना है। फरवरी और मार्च में पीएमआई 60 के ऊपर रहा है, जो कि 16 वर्षों का उच्चतम स्तर है। 

अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत

वहीं, रियल जीडीपी ग्रोथ 7 प्रतिशत पर बने रहने की उम्मीद है। पहले यह 6.9 प्रतिशत था। गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्रों में खपत मजबूत बनी हुई है। रबी सीजन में बंपर पैदावार होने के चलते महंगाई में कमी आ सकती है। हालांकि, वैश्विक चुनौतियां और सामान्य के अधिक तापमान रहने के कारण कुछ चुनौतियां जरूर आएंगी।

लगातार सातवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, ईएमआई रहेगी स्थिर
#rbi_mpc_repo_rate_shaktikant_das_emi भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 3 दिन से चल रही मीटिंग के नतीजों का ऐलान हो गया है। चुनाव से पहले रिजर्व बैंक ने लोगों को बड़ी राहत दी है।रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। यह सातवीं बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी जानकारी दी है। बता दें, ब्याज दरों की समीक्षा के लिए आरबीआई एमपीसी की बैठक 3 अप्रैल से 5 अप्रैल के बीच हुई थी, जिसमें 6 सदस्य की एमपीसी में से 5 सदस्यों ने बहुमत के आधार पर ब्याज दरों में बदलाव नहीं का फैसला लिया गया है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर विथड्रॉल ऑफ अकोमडेशन रुख एमपीसी ने बरकरार रखा है। महंगाई में कमी आ रही है और अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत नहीं हुई है। रेपो रेट के अलावा एसडीएफ और एमएसएफ में कोई भी बदलवा नहीं किया गया है। इन्हें 6.25 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। साथ ही रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर रखा है। *ग्रोथ की गति बरकरार* आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कहा कि ग्रोथ ने सभी अनुमानों को पार करते हुए अपनी गति बरकरार रखी है। जनवरी और फरवरी दोनों महीनों की हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1% हो गई है, और यह पहले से इन दो महीनों में दिसंबर के महीने 5.7% के पीक से घटकर 5.1% हो गई है। आगे देखते हुए, मजबूत विकास संभावनाएं नीति को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने और 4% के लक्ष्य तक इसके बढ़ने को सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान करती हैं। *7.6 प्रतिशत पर रहेगी रियल जीडीपी ग्रोथ* दास ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की रियल जीडीपी ग्रोथ 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। साथ ही बताया कि जीडीपी मजबूत रहने की वजह मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का मजबूत रहना है। फरवरी और मार्च में पीएमआई 60 के ऊपर रहा है, जो कि 16 वर्षों का उच्चतम स्तर है। *अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत* वहीं, रियल जीडीपी ग्रोथ 7 प्रतिशत पर बने रहने की उम्मीद है। पहले यह 6.9 प्रतिशत था। गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्रों में खपत मजबूत बनी हुई है। रबी सीजन में बंपर पैदावार होने के चलते महंगाई में कमी आ सकती है। हालांकि, वैश्विक चुनौतियां और सामान्य के अधिक तापमान रहने के कारण कुछ चुनौतियां जरूर आएंगी।
अफीम खाकर सो रहे थे..', चीन को लेकर पीएम पर बरसे खड़गे, बोले- झूठों के सरदार हैं मोदी

 कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर ऐसे समय में 'अफीम खाकर सोने' का आरोप लगाया जब चीन भारतीय क्षेत्र में 'घुस' रहा था। खड़गे की यह टिप्पणी चीन द्वारा भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास 30 स्थानों का नाम बदलने के कुछ दिनों बाद आई है। 

राजस्थान के चित्तौरगढ़ में जनसभा करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा कि, "मोदी कहते हैं 'मेरे पास 56 इंच का सीना है, मैं नहीं डरूंगा। अगर आपको डर नहीं है तो आपने हमारी ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा चीन के लिए क्यों छोड़ दिया है? नींद की गोलियाँ लीं? क्या उन्होंने राजस्थान के खेतों से अफ़ीम ले ली है, और तुम्हें खिलाई है?" कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी को "झूठों का सरदार" कहा और तर्क दिया कि प्रधान मंत्री का ध्यान राष्ट्र के कल्याण पर नहीं बल्कि गांधी परिवार को बदनाम करने पर था।

उन्होंने कहा, "वह देश के लिए नहीं सोचते, वह सिर्फ गांधी परिवार को गाली देते हैं। वह देश की जनता को प्रताड़ित करके अपने साथ लेना चाहते हैं। वह हमेशा झूठ बोलते रहते हैं। मोदी 'झूठों के सरदार' हैं।" इसके अतिरिक्त, खड़गे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1989 के बाद से गांधी परिवार से किसी ने भी प्रधान मंत्री या मंत्री का पद नहीं संभाला है, फिर भी प्रधान मंत्री वंशवादी राजनीति के बारे में बात करते हैं। चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में ज़ंगनान के लिए 'मानकीकृत' भौगोलिक नामों की अपनी तथाकथित चौथी सूची प्रकाशित की है, जो अरुणाचल प्रदेश का चीनी नाम है, एक ऐसा क्षेत्र जिसे बीजिंग दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है।

बेजिंग ने जिन 30 स्थानों का नाम बदला उनमें 12 पहाड़, चार नदियाँ, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा, 11 आवासीय क्षेत्र और जमीन का एक टुकड़ा शामिल है। नामों की सूची के अलावा, चीनी मंत्रालय ने विस्तृत अक्षांश और देशांतर और क्षेत्रों का एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र भी साझा किया। भारत ने इस घटनाक्रम को 'संवेदनहीन' बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि 'आविष्कृत' नाम देने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि अरुणाचल प्रदेश "भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा"।

विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि, "चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के अपने मूर्खतापूर्ण प्रयासों पर कायम है। हम ऐसे प्रयासों को दृढ़ता से खारिज करते हैं।" उन्होंने कहा कि, "मनगढ़ंत नाम देने से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है, है और हमेशा रहेगा।"