क्या आपने देखा गृह मंत्री अमित शाह की गाड़ी का नंबर प्लेट ? बिना कुछ कहे दे दिया बड़ा संदेश
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सोशल मीडिया पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कार का नंबर प्लेट वायरल हो रहा है। अमित शाह एक बैठक के लिए बीजेपी मुख्यालय पहुंच थे, जहां उनकी कार की तस्वीर ली गई। कुछ लोगों की नजरें गाड़ी की नबर प्लेट पर पड़ी तो मामला वायरल हो गया।दरअसल, शाह को DL1C AA 4421 नंबर प्लेट वाली कार में बीजेपी मुख्यालय पहुंचे थे।ऐसा तब हुआ है जब गृह मंत्रालय की ओर से 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA लागू होने की संभावना है।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने 29 फरवरी को एक वीडियो पोस्ट किया। इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली के पार्टी हेड क्वाटर में बीजेपी सीईसी मीटिंग के लिए पहुंचे। न्यूज एजेंसी एएनआई ने ये तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर डालीं, गाड़ी के नंबर प्लेट ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खिंच लिया। गाड़ी ने नंबर में 'CAA' होने के कारण लोग इस पर रियेक्ट करने लगे। देखते ही देखते ये पोस्ट वायरल हो गई।लोगों का कहना है कि अपनी कार के नंबर प्लेट के जरिए शाह ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। लोगों का कहना है कि-इसका मतलब है कि सीएए जरूर लागू होगा।
चुनाव से पहले सीएए लागू होने की बात कह चुके हैं शाह
हाल ही में केंद्रीय गृह मत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि आम चुनाव से पहले सीएए लागू होगा। अमित शाह ने कहा था, ''लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। मैं ऐसे मैं साफ कर देना चाहता हूं कि सीएए से किसी भी शख्स की नागरिकता नहीं ली जाएगी।
अधिनियम संसद में पांच साल पहले पास हो चुका है
भारतीय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम संसद में पांच साल पहले पास हो चुका है, लेकिन बाद में देश भर में विरोध प्रदर्शन के चलते इसे लागू नहीं किया गया था। हालांकि अब चर्चा है कि केन्द्र सरकार जल्द ही सीएए देश में जल्द ही लागू कर सकती है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लगने से पहले इसकी अधिसूचना जारी हो सकती है। आदर्श आचार संहिता जारी होने से पहले गृह मंत्रालय किसी भी समय सीएए नियमों को अधिसूचित कर सकता है।
क्या है सीएए ?
सीएए यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को 2019 में संसद से पारित किया गया है। इसका उद्देश्य 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देना है। इसका फायदा उन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को मिलेगा जो इन तीनों पड़ोसी देशों में प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए हैं। खास बात ये है कि इन्हें भारतीय नागरिकता लेने के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी। कानून के तहत नागरिकता मिलते ही ऐसे व्यक्तियों को देश के मौलिक अधिकार भी मिल जाएंगे। मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखा गया है।
Mar 01 2024, 20:05