मणिपुर हिंसा के बीच म्यांमार सीमा की होगी बाड़बंदी, मुक्त आवाजाही समझौता होगा रद्द, घुसपैठ पर लगेगी लगाम
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घुसपैठ भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। भारत और म्यांमार के बीच समझौता है कि सीमा के आस-पास रहने वाले लोग दोनों देशों की सीमा को बिना अनुमति के कुछ शर्तों के साथ पार कर सकते हैं। इसकी वजह से नशे की तस्करी से लेकर घुसपैठ भी बढ़ी है। इस सिस्टम को बंद करने की बात लंबे समय से हो रही थी। अब केंद्र सरकार भारत-म्यांमार बॉर्डर पर मुक्त आवागमन व्यवस्था को खत्म करने जा रही है। पूर्वोत्तर सीमा पर अवैध प्रवासियों और उग्रवादियों की घुसपैठ को रोकने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर लागू मुक्त आवागमन व्यवस्था केंद्र सरकार खत्म करने जा रही है।
इसके साथ ही सीमा पर आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान सीमा की तरह से म्यांमार से सटी सीमा पर भी पूरी बाड़बंदी का फैसला लिया गया है। गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अगले साढ़े चार सालों में म्यांमार की सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा और सिर्फ वीजा के आधार पर ही लोगों की आवाजाही हो सकेगी एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 80 किलोमीटर की सीमा पर स्मार्ट बाड़बंदी के लिए पहले ही टेंडर किया जा चुका है और 300 किलोमीटर के लिए जल्द ही टेंडर जारी कर दिया जाएगा। अभी तक मणिपुर में सिर्फ 10 किलोमीटर सीमा की ही बाड़बंदी हुई है
भारत के मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में दोनों देशों के बीच फैली अंतरराष्ट्रीय सीमा 1,643 किमी लंबी है। यहां साल 2018 में भारत की ‘पूर्व के लिए नीति’ के तहत एफएमआर लागू की गई थी। इसके तहत सीमा के निकट रहने वाले दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे के यहां 16 किमी भीतर तक बिना वीजा के दाखिल हो सकते हैं। यह व्यवस्था पहाड़ों में निवास कर रही जनजातियों के हित में बनाई गई थी। उन्हें सीमा पार करने के लिए एक सालाना पास दिया जाता है। एक बार सीमा पार करने के बाद वे 2 हफ्ते तक यहां रह सकते हैं।
मणिपुर में जब से हिंसा भड़की है तब से इस एफएमआर को लेकर चर्चा तेज हो गई है। अधिकारी बताते हैं कि, आतंकवादियों और कई अपराधी इसका दुरुपयोग करते हैं। ये हथियारों, नशीले पदार्थों, तस्करी के सामानों और नकली भारतीय रुपये के नोटों की तस्करी करते हैं। वहीं जब से म्यांमार में कुकी-चिन समुदाय पर सरकार की कार्रवाई हो रही है तब से इसका उपयोग प्रवासियों द्वारा किया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से, अनुमान है कि 40,000 से अधिक शरणार्थियों ने मिजोरम में शरण ली है, और लगभग 4,000 शरणार्थियों ने मणिपुर में। ऐसे प्रवासियों की पहचान के लिए मणिपुर सरकार द्वारा हाल ही में गठित एक पैनल ने उनकी संख्या 2,187 आंकी है। 2023 में, मणिपुर सरकार ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान अवैध रूप से म्यांमार के प्रवासियों को पहाड़ियों के नए गांवों में बसा रहे हैं, जिससे वनों की कटाई हो रही है। मणिपुर व मिजोरम सबसे ज्यादा प्रभावित थे। इनमें से कई लोग आज भी यहां अवैध ढंग से रह रहे हैं। परिणामस्वरूप मादक पदार्थों की तस्करी सहित कई अवैध गतिविधियां बढ़ी हैं। जिसके बाद सितंबर 2023 में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने केंद्र सरकार से अपील की थी कि एफएमआर खत्म करें, उग्रवादी इसका दुरुपयोग कर अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं।
Jan 04 2024, 15:38