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केंद्रीय प्रशासनिक अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने पहुंचे रायपुर


रायपुर-   भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव 2023 की घोषणा कर दी है। जिसमें पहला चरण 7 नवंबर और दूसरे चरण की वोटिंग 17 नवंबर को होगी. छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान होना है. जिसमें पहले चरण में 20 सीटों पर और दूसरे चरण में 70 सीटों पर वोटिंग की जाएगी. पांचों राज्यों के चुनाव नतीजे एक साथ 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. अब चुनाव आयोग के ऐलान के साथ ही पांचों चुनावी राज्यों में आचार सहिंता लागू हो गई है। आचार संहिता लागू होते ही केंद्रीय प्रशासनिक अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए रायपुर पहुंचे हैं।

बता दें कि, छत्तीसगढ़ में आचार संहिता लगने के बाद प्रशासनिक गतिविधियां बढ़ गई है. केंद्रीय प्रशासनिक अधिकारियों का आना जाना शुरू हो गया है. इसी क्रम में आईबी के 2JD, 1AD और SPG के 1 DIG स्तर के अधिकारी रायपुर पहुंचे हैं. जहां वे राज्य पुलिस और चुनाव अधिकारियों समेत पैरा मिलिट्री के अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल होंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा करेंगे।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ की बैठक


रायपुर-   मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबासाहेब कंगाले ने आज अपने कार्यालय के सभा कक्ष में सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के साथ बैठक की। बैठक में छत्तीसगढ़ विधानसभा आम निर्वाचन 2023 के दृष्टिगत प्रदेश में लागू आदर्श आचार संहिता, नॉमिनेशन प्रक्रिया एवं इलेक्शन एक्सपेंडिचर मॉनिटरिंग सिस्टम के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रदान की गई।

रायपुर जिले की 8 विधानसभा सीटों के लिए अधिसूचना 21 अक्टूबर को जारी होगा यहां के लिए नये विधायक को चुनने 1879762 वोटर मतदान करेंगे। इनमें 45 हजार से अधिक 18-19 वर्ष वाले 45432 वोटर हैं।

डीआरओ ,कलेक्टर डॉ.सर्वेश्वर भूरे ने बताया कि इन सीटें के 1400 से अधिक पोलिंग बूथ पर वेब कास्टिंग से नजर रखी जाएगी। जो पांच हजार से अधिक ईवीएम के जरिए 17 नवंवर को मतदान करेंगे।इनमें सर्वाधिक बलौबाजार सीट पर हैं। जिले के हर विस क्षेत्र के हर मतदान केंद्र में औसतन एक हजार वोटर हैं।

हत्या के आरोपित आइएएस के भाई ने पांच साल बाद किया आत्मसमर्पण, ओवरटेक की वजह से हुआ था विवाद


रायपुर-  नवा रायपुर में पांच साल पहले हुई कंस्ट्रक्शन कंपनी के सुपरवाइजर की हत्या मामले में फरार आरोपित मुख्य आरोपित वरुण कौशल ने मंदिर हसौद थाने में आत्मसमर्पण किया है। आरोपित वरुण ने वर्ष 2018 में अपने साथी समीर सहित अन्य साथियों के साथ मिलकर कंस्ट्रक्शन कंपनी के सुपरवाइजर तुहिन मलिक को चाकू से गोदकर मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद से वह लगातार फरार चल रहा था। पुलिस आरोपित को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। आरोपित वरुण कौशल प्रदेश की एक महिला आइएएस अधिकारी का भाई है। आरोपित के खिलाफ राजधानी के अलग-अलग थानों में हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, बलवा, उगाही, मारपीट समेत कुल 11 गंभीर अपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।

यह है मामला

10 मार्च 2018 की आधी रात कंस्ट्रक्शन कंपनी के सुपरवाइजर तुहिन मलिक की बेरहमी से चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के पीछे कार रेसिंग के दौरान तुहिन मलिक की गाड़ी को ओवरटेक कर दोपहिया वाहन सवार निकला था। इसे लेकर विवाद इतना बढ़ा कि वरुण कौशल ने कार में सवार तीन साथियों के साथ मिलकर तुहिन और इंजीनियर अलंकार पाल पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया था।

इस घटना में गंभीर रूप से घायल तुहिन की मौत हो गई थी। मामले में पुलिस ने अभिषेक नागवंशी उर्फ बिट्टू और अभिलाष नागवंशी उर्फ बाबी को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। वहीं मुख्य आरोपित वरुण कौशल और समीर लगातार फरार चले रहे थे। वरुण ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं समीर अब भी फरार है।

पांच वर्ष में नहीं खोज सकी पुलिस

घटना को पांच वर्ष बीतने के बाद भी पुलिस आरोपित को नहीं पकड़ सकी थी। पुलिस ने इस मामले में 10 दिन के भीतर दो आरोपितों को पकड़ लिया था। पूछताछ में वरुण कौशल का नाम आने के बाद से कई तरह की बातें सामने आने लगी थी। पांच वर्ष बीतने के बाद भी आरोपित को पुलिस पता नहीं लगा सकी। उसकी कोई फोटो तक पुलिस ने जारी नहीं की थी। वहीं आत्मसमर्पण के बाद भी आरोपित को फोटो जारी नहीं की गई।

चुनावी बिगुल बजते ही प्रशासन अलर्ट, बैनर, पोस्ट उतारे, दीवारों पर लिखे दावे-वादे भी मिटाए

रायपुर-   चुनावी बिगुल बजने के बाद नेताजी आसमान से नीचे उतर आए हैं। आचार संहिता लागू होते ही निगम प्रशासन ने शहरभर में लगे राजनीतिक पोस्टर और बैनरों को उतार दिया। चौक-चौराहों पर लगे नेताओं के पोस्टर ढंकने के साथ ही दीवार लेखन को मिटाने सहित अन्य सभी प्रकार की चुनावी सामग्री हटाने की कवायद शुरू हो गई है।

कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने इस संदर्भ में बैठक लेकर जिले में धारा 144 लागू कर दी है तथा अस्त्र-शस्त्र धारण करने पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि विधानसभा निर्वाचन 2023 के दौरान चुनाव प्रक्रिया में असामाजिक तत्वों द्वारा भय और आतंक का वातावरण निर्मित कर शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव में बाधा खड़ी न की जा सके तथा मतदाताओं में किसी भी प्रकार का भय पैदा न हो। वे भयमुक्त वातावरण में निर्भय होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

जुलूस, आमसभा के लिए अनुमति जरूरी

निर्वाचन कार्यक्रम के साथ ही जुलूस आमसभा और धरना इत्यादि के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। जिले के भीतर कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के न तो कोई सभा करेगा, न ही कोई रैली या जुलूस निकाल सकेगा तथा न ही कोई धरना देगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले समूह/व्यक्ति के विरुद्ध धारा 188 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत कार्रवाई होगी।

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही पुलिस अलर्ट

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही पुलिस अलर्ट हो गई है। एसएसपी के निर्देश के बाद जिले के समस्त थाना क्षेत्रों में फिक्स चेकिंग पाइंट लगाकर सभी प्रकार के वाहनों की जांच की जा रही है। अवैध रूप से शराब परिवहन, चुनाव से संबंधित सामग्री सहित अन्य संदिग्ध वस्तुओं की सघन चेकिंग करने के साथ ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड में भी संदिग्ध व्यक्तियों के साथ सामान की चेकिंग की जा रही है।

इसके साथ ही विजिबल पुलिसिंग के अंतर्गत पैदल पेट्रोलिंग, वाहनों में पेट्रोलिंग, क्राइम प्रिवेंशन पेट्रोलिंग सहित 112 की टीमों द्वारा भीड़-भाड़ वाले स्थान, सार्वजनिक स्थान, सूने स्थान में जमवाड़ा लगाकर नशा करने वालों, गुटबाजी, अड्डेबाजी करने वालों, संदिग्ध व्यक्तियों, असामाजिक तत्वों की जांच की जा रही है। संदिग्ध व्यक्तियों के वाहनों की डिक्की की जांच, धारदार, बटनदार चाकू रखकर घूमने वालों सहित आम स्थानों पर शराब पीने, शराब पीने के लिए स्थान उपलब्ध कराने, सार्वजनिक मैदान, पार्क, चौक-चौराहों में चारपहिया वाहन के अंदर बैठकर शराब पीने वालों की भी चेकिंग की गई।

अधिकारी-कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डा. भुरे ने आदेश जारी कर समस्त अधिकारी-कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध लगा दिया है। बिना कलेक्टर या जिला निर्वाचन अधिकारी के पूर्वानुमति न तो अवकाश पर रहेंगे और न ही मुख्यालय छोड़ेंगे। जिला स्तर पर तथा जिले अंतर्गत समस्त शासकीय और राज्य शासन की विभागीय इकाइयों/उपक्रमों के अमले के अवकाशों की स्वीकृति जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी करेंगे।

अजीत जोगी-रमन सिंह सीएम बनने के बाद बने विधायक, भूपेश बघेल ने तोड़ी परंपरा


रायपुर-  छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पांचवें विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियाें ने कमर कस ली है। यौवन की दहलीज पर खड़े छत्तीसगढ़ विधानसभा ने भी अपने 23 बसंत पूरे कर लिए है। प्रदेश के विधानसभा के चुनाव के बाद सरकार के गठन के समय प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी और दूसरे मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को पहले मुख्यमंत्री बनाया गया और बाद में उप चुनाव के बाद वह विधायक बने हैं। सीएम की कुर्सी तक अभी तक तीन नेता पहुंचे। इनमें दो को पहली बार उप चुनाव ने ही सदन में पहुंचाया। वहीं इस परंपरा को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तोड़ दिया। वह सीधे पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर पहले विधायक बने इसके बाद सदन में मुख्यमंत्री बनकर पहुंचे हैं। प्रदेश में चुनाव तो चार हुए लेकिन सरकार पांच बार बनी।

राज्य गठन के समय बहुमत में थी कांग्रेस

प्रदेश में राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में सदन में कांग्रेस का बहुमत था। इसलिए कांग्रेस से पहले मुख्यमंत्री बनाए गए। पूर्व आइएएस अजीत जोगी उस वक्त सदन के सदस्य नहीं थे। बिना विधायक के ही वह मुख्यमंत्री बनाए गए। 2003 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। भाजपा बहुमत में आई। उस समय भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर डा. रमन सिंह को चुना मगर वह भी विधायक नहीं थे। ऐसे में दोनों मुख्यमंत्री उप-चुनाव के जरिये विधानसभा के सदस्य बने।

जोगी के लिए भाजपा विधायक ने छोड़ी सीट

राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी के लिए तत्कालीन भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने बिलासपुर जिले की मरवाही सीट छोड़ी थी। उइके के इस्तीफे के बाद मरवाही में उप चुनाव हुआ, जिसमें जोगी बड़ी अंतर के साथ जीतकर विधानसभा पहुंचे। जोगी ने 2003, 2008 और 2018 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ा।

भाजपा विधायक ने ही दी रमन को भी सीट

डा. रमन सिंह 2003 में जब मुख्यमंत्री बने तब उनके लिए तत्कालीन भाजपा विधायक प्रदीप गांधी ने सीट छोड़ी। गांधी राजनांदगांव के डोंगरगांव सीट से विधायक थे। 2004 में डोंगरगांव में उप चुनाव हुआ। 2008 में डा. सिंह ने सीट बदल लिया। अब वे राजनांदगांव से चुनाव लड़ते हैं।

चार नेता प्रतिपक्ष चुनाव हारे, सिंहदेव ने बनाया रिकार्ड

पिछले चुनावों में नेता प्रतिपक्ष दूसरी बार सदन में नहीं पहुंच पाए। 2000 में भाजपा के नंदकुमार साय नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। 2003 में जोगी के खिलाफ मरवाही सीट से चुनाव लड़े और हार गए। 2003 में भाजपा की पहली सरकार बनी तब कांग्रेस के महेंद्र कर्मा नेता प्रतिपक्ष बने। कर्मा 2008 का चुनाव हार गए। 2013 के चुनाव से पहले ही झीरम नक्सली नरसंहार में वह बलिदान हो गए। 2008 में कांग्रेस ने रविंद्र चौबे को नेता प्रतिपक्ष बनाया। साजा विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले चौबे 2013 का चुनाव हार गए। हालांकि 2018 के चुनाव में नेता प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने इस परंपरा को तोड़ी वह चुनाव भी जीते और प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री भी बने।

हर बार हारे भाजपा के स्पीकर

भाजपा सरकार में अब तक जितने भी स्पीकर यानी विधानसभा अध्यक्ष हुए हैं कोई भी लगातार दूसरी बार नहीं जीता है। पहली सरकार में अध्यक्ष रहे प्रेम प्रकाश पांडेय 2008 का चुनाव हार गए। दूसरी सरकार में धरमलाल कौशिक अध्यक्ष बने और 2013 का चुनाव हार गए। इसके बाद भाजपा नेता गौरीशंकर अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष रहे वह भी 2018 का चुनाव हार गए। अभी कांग्रेस के नेता डा. चरणदास महंत अध्यक्ष हैं।

पंचायत मंत्री भी नहीं पहुंचे सदन

राज्य की पहली सरकार में अमितेष शुक्ल पंचायत मंत्री थे। 2003 का चुनाव वे हार गए। पहली भाजपा सरकार में पंचायत मंत्री रहे अजय चंद्राकर 2008 का चुनाव हार गए। भाजपा की दूसरी सरकार में पहले रामविचार नेताम उसके बाद हेमचंद यादव पंचायत मंत्री रहे। दोनों ही 2013 का चुनाव हार गए। हालांकि भाजपा की तीसरी सरकार में पंचायत मंत्री रहे अजय चंद्राकर 2018 में चुनाव जीत गए। अभी कांग्रेस सरकार में रविंद्र चौबे पंचायत मंत्री हैं।

महिला बाल विकास मंत्री का पद भी

प्रदेश में महिला बाल विकास मंत्री का भी पद रिकार्ड कायम करता रहा है। पहली सरकार में गीता देवी सिंह के पास इसकी जिम्मेदारी थी। 2003 का चुनाव वे हार गईं। भाजपा की पहली सरकार में रेणुका सिंह को महिला बाल विकास की जिम्मेदारी दी गई। 2008 का चुनाव हार गईं। दूसरी सरकार में लता उसेंडी को यह जिम्मेदारी मिली। लगातार दो बार की विधायक उसेंडी 2013 का चुनाव हार गईं। भाजपा सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं रमशीला साहू को पिछली बार टिकट ही नहीं मिला। वर्तमान में कांग्रेस सरकार में अनिला भेड़िया महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं।

भाजपा उम्‍मीदवारों की दूसरी लिस्‍ट पर सीएम बघेल का तंज, कहा- बीजेपी ने हारे लोगों पर खेला दांव


रायपुर-   मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में आयोजित कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में शामिल हुए। देर रात रायपुर लौटे मुख्यमंत्री ने एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा में कहा कि भाजपा ने हारे हुए प्रत्याशियों पर दांव खेला है। जल्द ही केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक होगी। हमारी पूरी तैयारी है। कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में जातिगत जनगणना को लेकर सभी सदस्यों ने सहमति जताई है। बहुत ऐसी जातियां हैं जो पिछड़ी हुई हैं। उनके लिए योजना बनाने के लिए जनगणना जरूरी है। सभी वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोग हैं, इसलिए जातिगत जनगणना जरूरी है।

केंद्रीय मंत्री-सांसदों के टिकट पर तंज

भाजपा द्वारा केंद्रीय मंत्री और सांसदों को टिकट देने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरगुजा की सांसद हैं और टिकट दिया है कोरबा से। इसी तरह विष्णुदेव साय रहते हैं पत्थलगांव में और टिकट दिया गया है कुनकुरी से। सांसद गोमती साय रहती हैं कुनकुरी में और उन्हें टिकट दिया गया है पत्थलगांव से। ओपी चौधरी खरसिया से पलायन कर गए। हारे हुए लोगों पर दांव लगा रहे हैं।

उन्होंने भाजपा को अलोकतांत्रिक पार्टी बताते हुए कहा कि चुनाव में आफिशियल पोस्ट में तरह-तरह के पोस्ट कर रहे हैं। इससे उनके चेहरे का नकाब उतर चुका है। सीडब्ल्यूसी की बैठक में मुख्यमंत्री बघेल समेत प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा, उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू शामिल हुए।

साजा का प्रत्याशी अराजनीतिक व्यक्ति

मुख्यमंत्री ने बिरनपुर हिंसा से पीड़ित ईश्वर साहू को टिकट देने पर कहा कि भाजपा लाख कोशिश करे मगर यह मुद्दा नहीं हो सकता। जिसे टिकट दिया गया है, वह विशुद्ध रूप से अराजनीतिक व्यक्ति है। उन्होंने कहा कि भले ही बगल में अरुण साव को बैठा लें, मगर चल तो रमन सिंह का ही रहा है।

प्रसारित सूची से ही ज्यादातर नाम शामिल

तीन अक्टूबर को इंटरनेट मीडिया पर भाजपा प्रत्याशियों की प्रसारित सूची की बात सच साबित हुई है। नौ अक्टूबर को भाजपा द्वारा जारी 64 सीटों के ज्यादातर नाम प्रसारित सूची से ही मेल खा रहे हैं। हालांकि पार्टी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है। प्रसारित सूची की चर्चा काफी गर्म रही थी, वहीं वरिष्ठ नेताओं ने सूची को लेकर बयान भी दिया था। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इसे भाजपा ने ही लीक कराया था।

भाजपा ने कांग्रेस पर लगाए तुष्टिकरण का आरोप, कांग्रेस ने कहा- सांप्रदायिक रोटी सेंक रहे भाजपाई


रायपुर- प्रदेश के बिरनपुर में हुए हिंसा पर एक बार फिर सियासी विवाद शुरू हो गया है। बेमेतरा जिला कोर्ट ने मामले में आठ आरोपितों को बरी कर दिया है। इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने भूपेश बघेल सरकार बहुसंख्यक समाज को प्रताड़ित करने और एक खास वर्ग के लिए काम करने का आरोप लगाया है। मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जो आरोप लगाए गए थे उनके आधार पर पुलिस ने जांच की।

साक्ष्य नहीं मिले, जो साक्ष्य था उसी के आधार पर कोर्ट ने फैसला किया। आप बता रहें हैं तो हम इसका अध्ययन कराएंगे। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा। भाजपा के तुष्टिकरण के आरोप पर कांग्रेस के प्रदेश संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार कर कहा कि बिरनपुर मामले में अदालत के फैसले के बाद भाजपा फिर सांप्रदायिक रोटी सेंक रही है।

बहुसंख्यक समाज को सरकार ने किया प्रताड़ित : साव

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष साव ने आरोप लगाया कि भुनेश्वर साहू की हत्या के आरोपितों पर कार्रवाई नहीं करके प्रदेश की भूपेश सरकार अन्य मामलों में बहुसंख्यक समाज के खिलाफ झूठे मामले कायम करके उन्हें प्रताड़ित कर रही थी, सत्र न्यायालय ने उन सभी आठ आरोपितों के दोषमुक्त करके पूरी जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं और तात्कालिक एसपी कल्याण एलेसेला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज पटेल व विवेचना अधिकारी भानु प्रताप पटेल पर घोर उपेक्षा व लापरवाही के लिए जांच की अनुशंसा भी की।

सरकार बहुसंख्यक समाज के खिलाफ एककतरफा कार्रवाई कर रही

साव ने रविवार को एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गत आठ अप्रैल को बिरनपुर में एक निर्दोष युवक भुनेश्वर साहू की बेदर्दी से हत्या कर दी गई थी। लगातार उस क्षेत्र में लव जिहाद की घटनाएं हो रही थीं, यही भुनेश्वर साहू की हत्या की वारदात की पृष्ठभूमि थी। इस घटना के बाद मृतक भुनेश्वर साहू का दाह संस्कार किन परिस्थितियों में हुआ, यह भी पूरा प्रदेश जानता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार बहुसंख्यक समाज के खिलाफ एककतरफा कार्रवाई कर रही है। एक तरफ मृतक भुनेश्वर के परिजनों ने 40-41 अभियुक्तों का नाम दिया, उनमें से सिर्फ 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई, शेष अभियुक्तों की आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ने कभी आगजनी के मामले को लेकर अपराध दर्ज किया तो कभी धारा 302 का मामला कायम किया।

बिरनपुर तनाव भाजपा के षड्यंत्रो का परिणाम : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा कि बिरनपुर मामले मे कुछ आरोपितों के संबंध मे अदालत के फैसले पर भाजपा अध्यक्ष अरुण साव का बयान बेहद दुर्भाग्य जनक और निंदनीय है। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला नें कहा की अदालत के फैसले का भाजपा अपनी सांप्रदायिक सोच के आधार पर व्याख्या कर रही। बिरनपुर की दुर्भाग्यजनक घटना के बाद भी भाजपा राजनैतिक गिद्ध वाला आचरण दिखाया था और लाशों पर राजनीति करने का पूरा प्रयास किया था। भाजपाई वहां पर सांप्रदायिक दंगा भड़काने गए थे स्वयं भाजपा के अध्यक्ष की मंशा भी कुछ वैसी थी। पुलिस ने बिरनपुर मे तनाव को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव कदम उठाया था दोनों ही पक्ष के संदिग्ध और संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी

छत्तीसगढ़ के सात जिलों के बच्चों को मध्याह्न भोजन में मिलेगा अंडा, परोसने के लिए शिक्षा विभाग और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के बीच समझौता


रायपुर-  प्रदेश के स्कूली बच्चों को भूपेश सरकार ने अंडा खिलाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के सात जिलों में बलरामपुर, सरगुजा, जशपुर, रायगढ़, सूरजपुर, नारायणपुर और कोंडागांव में संचालित सभी स्कूलों में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (मध्याह्न भोजन) के तहत अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में अंडा दिया जाएगा। अंडा वितरण करने के प्रस्ताव पर प्रशासकीय अनुमोदन कर आवश्यक कार्रवाई के लिए स्कूल शिक्षा विभाग और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथ एमओयू पर हाल ही में हस्ताक्षर किया गया है।

लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इन जिलों में संचालित समस्त स्कूलों में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (मध्याह्न भोजन) से लाभान्वित सभी छात्र-छात्राओं को प्रत्येक शाला दिवस में मध्याह्न भोजन में अंडा दिया जाएगा। अंडा प्रदान करने की प्रक्रिया और इसके लेखा संधारण के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे। मध्याह्न भोजन के साथ ही अंडा वितरण शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा।

डाटा अपडेट करने का निर्देश

लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा इस संबंध में सभी सात जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जिले में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना संचालित स्कूलों में 30 सितंबर 2023 की स्थिति में दर्ज संख्या की अद्यतन जानकारी की प्रविष्टि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना पोर्टल में अनिवार्य रूप से दर्ज कर ली जाए।

कुपोषण होगा कम

अधिकारियों के मुताबिक अंडा मिलने से बच्चों का कुपोषण कम होगा। इस योजना के तहत प्रदेश के सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के 30 लाख विद्यार्थियों को पका हुआ गरम पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इनमें 146 विकासखंडों में 31 हजार 587 प्राइमरी और 13 हजार 711 मिडिल स्कूल शामिल हैं।

भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण साव ने कांग्रेस पर बोला हमला, कहा- ‘यह चुनाव छत्तीसगढ़ को बचाने के लिए


रायपुर-  प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने भाजपा की दूसरी सूची जारी होने के बाद इसे भाजपा की एतिहासिक बढ़त बताया है। साव ने आरोप लगाते हुए कहा कि निश्चित रूप से आज प्रदेश में जो स्थितियां हैं, जो दुर्दशा राज्य की कांग्रेस की सरकार ने की है, प्रदेश को भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया है, अपराध का गढ़ बना दिया है, माफिया का गढ़ बना दिया है, मतांतरण का गढ़ बना दिया है, विकास को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया है। धोखा देने का काम किया है। ऐसे में आज यह चुनाव छत्तीसगढ़ को बचाने का चुनाव है। परिवर्तन की हवा चल रही है। साव के साथ पत्रकारवार्ता में भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी एवं सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल भी उपस्थित रहे।

जिन नामों पर सिरफुटौव्वल, उन्हीं को बनाया प्रत्याशी

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने राजीव भवन में पत्रकारवार्ता लेकर कहा कि भाजपा की सूची लीक हुई थी तब सूत न कपास जुलाहों में लठ्मलठ्ठा की स्थिति देखने को मिल रही थी। भाजपा की पहली अधिकृत सूची जारी होने के बाद सभी 21 स्थानों पर घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ बगावती तेवर भाजपा के कार्यकताओं ने दिखाए। घोषित प्रत्याशियों के विरोध में धरना आंदोलन प्रदर्शन तक हुआ।

अब भाजपा की दूसरी सूची जारी हुई है। यह सूची जब लीक हुई थी तब इस सूची के बाद तो भाजपा के सारे अनुशासन के दावे खोखले साबित हो गए। वरिष्ठ नेताओं के कपड़े फाड़ने और प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय नेताओं के पोस्टरों पर कालिख तक पोती गई। पत्रकारवार्ता में प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैंदू, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर व अन्य मौजूद रहे।

देवगुड़ी-मातागुड़ी और आदिवासी नायकों के रथ पर सवार सत्ताधारी पार्टी, बस्तर को साधने सरकार का बड़ा दांव

रायपुर-  विधानसभा चुनाव दहलीज पर हैं। ऐसे में बस्तर संभाग की 12 सीटों को साधना कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए बड़ा लक्ष्य है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने परचम लहराया था। बस्तर की सीटें सुरक्षित रखने कांग्रेस ने अब बड़ा दांव खेला है। सत्ताधारी पार्टी ने उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ताकत झोंक दी है, जिसका बरसों से आदिवासी समुदाय को इंतजार था।

बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों समुदाय की आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माने जाने वाले देवगुड़ियों और मातागुड़ियों के संरक्षण के साथ जीर्णोद्धार होगा। बस्तर में देवगुड़ी और मातागुड़ी आदिवासी समाज की आस्था का प्रतीक है। इसके साथ ही सत्ताधारी पार्टी ने बस्तर के गांव-गांव में आदिवासी नायकों और वीरांगनाओं की प्रतिमा स्थापना के साथ ही ऐतिहासिक विद्रोहों पर डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाने का रास्ता साफ कर दिया है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक बस्तर संभाग में निवासरत प्रमुख आदिवासी समुदाय- गोड़, हल्बा, भतरा, धुरवा, मुण्डा, मुरिया, कोया समुदाय के लोगों में राज्य सरकार के इस फैसले का बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है। साथ ही बस्तर की सांस्कृतिक विरासत में यह निर्णय आदिवासियों को प्रभावित कर सकता है।

82 विकासखडों में जैतखाम

राज्य सरकार ने एससी वोटरों को साधने के लिए एससी आबादी वाले प्रदेश के 82 विकासखंडों में जैतखाम निर्माण का निर्णय लिया है। 4 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्माण का शिलान्यास किया था। जैतखाम सतनामी समाज के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।

वीर-वीरांगनाओं की प्रतिमा- ऐतिहासिक विद्रोहों पर फिल्में

बस्तर अंचल के महान वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की स्मृति को चिरस्थायी एवं जीवंत बनाए रखने के लिए वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही बस्तर के ऐतिहासिक विद्रोह पर डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाई जाएगी। इन विद्रोहों में आदिवासी विद्रोह, हल्बा विद्रोह, भोपालपट्नम विद्रोह, परल कोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, मेरिया माड़िया विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मुरिया विद्रोह, भूमकाल विद्रोह आदि शामिल हैं। सरकार का मानना है कि आदिवासी समुदाय के संघर्षों को नई पीढ़ी याद कर सके। प्रतिमा की स्थापना के लिए 37 कार्यों के लिए 3.92 करोड़ रुपये प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। ये प्रतिमाएं अलग-अलग विकासखंडों में स्थापित किए जाएंगे।

सामुदायिक वनाधिकार मान्यता-पत्र

देवगुड़ियों एवं मातागुड़ियों सहित गोटुल एवं प्राचीन मृतक स्मारकों के भूमि को संरक्षित करने के उद्देश्य से सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया गया है। इन देवगुड़ियों-मातागुड़ियों और गोटुल एवं प्राचीन मृतक स्मारकों को उनके नाम से सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र जारी किया गया है, ताकि इन धरोहरों के परिसरों को अवैध कब्जा से बचाया जा सके।

पौने पांच साल तक काम होता रहा

कांग्रेस के सत्ता में आते ही हमने बस्तर संभाग के देवगुड़ियों और मातागुड़ियों सहित प्राचीन स्मारकों के संरक्षण का बीड़ा उठाया। पौने पांच साल तक लगातार इस पर काम होता रहा। नई पीढ़ी के लिए यह समृद्ध परंपरा हमेशा के लिए संरक्षित हो चुकी है।

दीपक बैज अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी

राजस्व अभिलेख में दर्ज करना बड़ी उपलब्धि

सांस्कृतिक महत्व के विरासत मातागुड़ी, देवगुड़ी, गोटूल और प्राचीन मृतक स्मारकों के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ राजस्व अभिलेख में दर्ज करना बड़ी उपलब्धि है। राज्य सरकार के आदेश के बाद लगातार काम हुआ साथ ही हमने पुरखती कागजात पुस्तिका भी तैयार की है।

लखेश्वर बघेल अध्यक्ष, बस्तर क्षेत्र आदिवासी प्राधिकरण