चीन के पैसों से 'भारत विरोधी' प्रोपेगेंडा ! कोर्ट में Newsclick का बचाव करेंगे कपिल सिब्बल, की फ़ौरन सुनवाई की मांग
न्यूज़क्लिक (NewsClick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने पोर्टल पर चीन समर्थक प्रोपेगेंडा फ़ैलाने के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद उनके खिलाफ दर्ज गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया था।
सिब्बल ने कहा कि ये गिरफ्तारी अवैध है। जिसके बाद कोर्ट ने मामले को आज सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज की गई FIR के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें उन्हें 10 अक्टूबर तक 7 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया था। बता दें कि, इस सप्ताह की शुरुआत में, दोनों को पुलिस हिरासत में भेजते वक़्त, ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर रिमांड आवेदन की प्रति उनके वकील को सौंपने पर सहमति जताई थी। कल, न्यायाधीश ने आदेश दिया कि उन्हें FIR की एक कॉपी प्रदान की जाए। बता दें कि, ये आरोप तब सामने आए थे, जब 5 अगस्त को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक (Newsclick) को "भारत विरोधी" माहौल बनाने के लिए चीन से धन प्राप्त हुआ था।
इसके बाद दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज़क्लिक से संबंधित पूर्व और वर्तमान पत्रकारों और लेखकों के आवासों पर सिलसिलेवार छापे मारे गए थे। वहीं, कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे प्रेस पर हमला बताया गया था। मौजूदा कार्रवाई में न्यूज़क्लिक द्वारा कल एक बयान जारी किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसे FIR की प्रति प्रदान नहीं की गई थी, या उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित नहीं किया गया था, जिनके लिए उस पर आरोप लगाया गया था।
बयान में कहा गया था कि, 'न्यूज़क्लिक परिसर और कर्मचारियों के घरों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया गया था, बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए जैसे कि जब्ती मेमो का प्रावधान, जब्त किए गए डेटा के हैश मान, या यहां तक कि डेटा की प्रतियां भी। हमें अपनी रिपोर्टिंग जारी रखने से रोकने के एक ज़बरदस्त प्रयास में न्यूज़क्लिक के कार्यालय को भी सील कर दिया गया है।' इसमें आगे कहा गया है कि 'न्यूज़क्लिक ऐसी सरकार के कार्यों की कड़ी निंदा करता है, जो "पत्रकारिता की स्वतंत्रता का सम्मान करने से इनकार करती है, और आलोचना को देशद्रोह या राष्ट्र-विरोधी प्रचार मानती है।'
बता दें कि, NYT रिपोर्ट से पहले, न्यूज़क्लिक मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा एक और जांच का सामना कर रहा था। इसने संपादकों के परिसरों में ED द्वारा कई छापे मारे थे और मामला अभी भी लंबित है। न्यूज़क्लिक और पुरकायस्थ ने पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सितंबर 2020 में ED द्वारा दर्ज ECIR (FIR की तरह) की एक प्रति की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 21 जून, 2021 और 20 जुलाई को अंतरिम आदेश पारित कर ED को वेबसाइट और उसके प्रधान संपादक के ख़िलाफ़ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, ED ने 21 जून, 2021 और 20 जुलाई, 2021 को एक समन्वय पीठ द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द करने की मांग की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक आवेदन पर नोटिस जारी किया था।
NewsClick पर दिल्ली पुलिस ने रखा पक्ष
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपनी जांच में दावा किया है कि उसे गुप्त सूचना मिली है कि न्यूज़क्लिक (NewsClick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ, अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम और सिंघम के स्वामित्व वाली कंपनी स्टारस्ट्रीम के कुछ चीनी कर्मचारियों ने यह दिखाने के इरादे से ईमेल का आदान-प्रदान किया कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा नहीं हैं। दिल्ली पुलिस ने यह भी दावा किया कि इन व्यक्तियों ने आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और नष्ट करने और अवैध विदेशी फंडिंग के माध्यम से किसानों के आंदोलन को लम्बा खींचने की साजिश रची।
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Oct 06 2023, 15:53