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महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की बेटी से छेड़छाड़, एक आरोपी गिरफ्तार

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महाराष्ट्र के जलगांव में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। जलगांव के मुक्ताई नगर इलाके में एक मेले के दौरान कुछ लड़कों ने केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेलियों से छेड़खानी की। मामले की शिकायत खुद मंत्री रक्षा खडसे ने मुक्ताई नगर थाने में की है। खडसे पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में खेल राज्य मंत्री के कई अन्य विभाग संभाल रही हैं।

रक्षा खडसे की बेटी से कथित छेड़छाड़ मामले में एक आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। जलगांव पुलिस ने रविवार को यह बड़ा खुलासा किया। मुक्ताईनगर के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) कृष्णत पिंगले ने बताया कि मामले में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से एक को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। उनमें से एक के खिलाफ पहले भी चार मामले दर्ज हैं।

यह घटना संत मुक्ताई यात्रा के दौरान हुई। जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेली सुरक्षा गार्ड के साथ कोथली गांव में शोभा यात्रा देखने गई थी। उसी समय सुरक्षा गार्ड को कुछ युवकों द्वारा वीडियो बनाने का शक हुआ। सुरक्षा गार्ड ने इस शक के आधार पर युवक के हाथ से मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उसकी जांच की। सूत्रों का कहना है कि इस घटना से चारों युवक नाराज हो गए और सुरक्षा गार्ड से भिड़ गए। आरोपियों की गिरफ्तारी हो, इसलिए रक्षा खड़से पुलिस स्टेशन पहुंच गई हैं। आरोप है कि कुछ बदमाशों ने छेड़छाड़ की।

इस पूरे मामले में खडसे ने कहा कि मैं केंद्रीय मंत्री के तौर पर नहीं एक मां के तौर पर पुलिस स्टेशन गई थी। परसों रात मेरी बेटी और उसकी सहेलियों के साथ जो घटना हुई, वह निंदनीय है। ऐसी कई माताएं होंगी जो इससे पीड़ित हैं। उन्हें पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। मेरी बेटी और उसकी सहेलियां महाशिवरात्रि के मेले में गई थीं, जहां कुछ लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। उन्होंने पुलिस गार्ड के साथ भी बदसलूकी की। पुलिसकर्मी की मौजूदगी में भी उनकी इतनी हिम्मत थी कि वे छेड़छाड़ कर रहे थे और वीडियो बना रहे थे। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसीलिए मैंने एफआईआर दर्ज कराई है। 30-40 लोग एकत्रित हुए और पुलिस के साथ बदतमीजी करने लगे। वे किसी भी घर में घुस सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं। मैंने पुलिस को सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

ट्रंप की धमकियों के बाद बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दिल्ली पहुंचीं यूरोपीय संघ की प्रमुख, भारत को बताया भरोसेमंद देश

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने के बाद जिस तेजी से दुनिया बदली है, यूरोप खुद को अलग-थलग पा रहा है। ऐसे समय में वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अस्थिरता देखी जा रही है। ऐसे में यूरोप अब भारत की ओर उम्मीदों की निगाह से देख रहा है। इसी उम्मीद के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन गुरुवार को भारत पहुंचीं। भारत आने के बाद यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला ने एक्स पर लिखा कि संघर्ष और कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है और यूरोप के लिए भारत एक ऐसा ही मित्र और रणनीतिक सहयोगी है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचीं। दिल्ली हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनका स्वागत किया। दिल्ली पहुंचने के बाद लिएन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।

नई दिल्ली पहुंचने के बाद उर्सुला लेयेन ने साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच यूरोप को भारत में एक भरोसेमंद मित्र नजर आ रहा है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बात पर चर्चा करूंगी कि हमारी रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर कैसे ले जाया जाए।

भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

लिएन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगी। इस मुलाकात में दोनों नेता महत्वाकांक्षी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जारी बातचीत का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को होने वाली व्यापक वार्ता में लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मजबूत करने और रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत की स्थिति और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। मोदी और ईयू प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी होने की भी उम्मीद है।

ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी

बता दें कि ट्रंप ने हाल में यूरोपीय संघ से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि ईयू की गठन ही अमेरिका को परेशान करने के लिए किया गया था। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय देशों की मदद करने की अमेरिकी नीति को पूरी तरह से बदलते हुए अब रूस के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।

यूरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय आयोग के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आ रहे हैं। यह पहला मौका है, जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने सारे देशों के आयुक्त एक साथ किसी देश की यात्रा पर हैं। इससे यह पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व दे रहा है।

बजट 2025 में दिखा पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का असर, जाने भारत ने किसे दी कितनी मदद?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 जनवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया। हर साल जब सरकार की ओर से बजट पेश किया जाता है तो हर आम और खास को इससे काफी आशा होती है। बजट केवल अपने देश के लिए लोगों का ही हित साधक नहीं होता, बल्कि पड़ोसी देशों की भी इसपर नजर होती है। इस बात पर सबकी नजर होती है कि सरकार ने किस देश के लिए कितनी सहायता राशि का ऐलान किया है, खासकर पड़ोसी देशों के लिए।भारत ने इस बार के बजट (2025-26) में विदेशी सहायता के मद में कटौती की है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में विदेशी सहायता के लिए संशोधन आवंटन 5806 करोड़ रुपये था लेकिन इस साल इसे घटाकर 5,483 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हालांकि, भारत ने अपने पड़ोसी देशों का पूरा ध्यान रखा है। भारत ने मालदीव और अफगानिस्तान के लिए सहायता बढ़ाई है, जबकि बांग्लादेश से रिश्तों में तल्खियों के बावजूद सहायता राशि में कटौती नहीं की गई है।

मालदीव हुआ “मालामाल”

बजट 2025 के फंड आवंटन में मालदीव को सबसे अधिक फायदा हुआ है। मालदीव को केंद्रीय बजट 2025 में अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच विकास सहायता में सबसे अधिक वृद्धि मिली है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय संबंधों में खटास के बाद इसे अहम माना जा रहा है।मालदीव के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किए गए 2025 के बजट में परिव्यय में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बजट दस्तावेज के अनुसार, 2025-26 में मालदीव के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में द्वीप राष्ट्र को दिए गए 470 करोड़ रुपये से काफी अधिक है।

बांग्लादेश को क्या मिला?

शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन इस बार के बजट में बांग्लादेश को मिलने वाली सहायता राशि को जस की तस रखा गया है। बांग्लादेश के बजट में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। बांग्लादेश के लिए बजट राशि पिछले साल के 120 करोड़ में कोई फेरबदल नहीं हुआ है।

सबसे ज्यादा बजट भूटान के लिए

भारत सबसे ज़्यादा भूटान की आर्थिक मदद करता है। भारत ने 2025-26 के बजट में भूटान के लिए 2150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए संशोधित बजट 2543 करोड़ रुपये का था। भारत भूटान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, पनबिजली परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद देता है।

अफगानिस्तान की सहायता कम हुई

भारत अफगानिस्तान से बेहतर रिश्ते कायम करने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन, बजट में इसकी छाप नहीं दिखाई दी। अफगानिस्तान को पिछले साल 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी, जो 2025-26 में घटकर 100 करोड़ रुपये रह गई है। यह दो साल पहले दिए गए 207 करोड़ रुपये से काफी कम है। भारत तालिबान सरकार के साथ अपने व्यवहार में सतर्क रहा है और उसने अपनी भागीदारी को मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग तक ही सीमित रखा है।

म्यांमार को सहायता में वृद्धि

म्यांमार के बजट में 2024-25 के 250 करोड़ रुपये से 2025-26 के लिए 350 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। यह देश में चल रही उथल-पुथल के बीच किया गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की आवाजाही के नियमों को कड़ा कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, दोनों तरफ फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) के तहत 16 किलोमीटर से लेकर 10 किलोमीटर तक की आवाजाही प्रतिबंधित है।

नेपाल के साथ 700 करोड़ रुपये का आवंटन बरकरार

हाल के दिनों में नेपाल पर चीन का असर बढ़ा है। लेकिन भारत नेपाल के साथ लगातार संबंध सुधारने की कोशिश में लगा है। भारत ने हाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे चीन के साथ नेपाल की नजदीकी बढ़े। वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल के लिए संशोधित बजट 700 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई है और इसे 700 करोड़ ही रखा गया है।

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

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Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

बजट 2025: किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 3 लाख से बढ़कर पांच लाख रुपये

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बजट 2025 में मोदी सरकार ने देश के करोड़ों किसानों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढा दी है। अब यह सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है। बजट में सरकार ने किसानों को लेकर कई और बड़ी घोषणाएं भी की है। इनमें धन धान्य कृषि योजना, कृषि कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों की मदद, कम उत्पादकता वाले 100 जिलों को कवर करने के लिए कृषि योजना शामिल है।

किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन की लिमिट बढ़ी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, किसान क्रेडिट कार्ड 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान करता है। संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लिए गए ऋण के लिए ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी जाएगी।

एससी और एसटी को 5 साल में टर्म लोन देने का प्रस्ताव

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति को अगले 5 साल में टर्म लोन देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा श्रमिक क्षेत्र में सरकार की बड़े योजना का प्रस्ताव की तैयारी है। माइक्रो स्मॉल इंटरप्राइजेज को लोन की सीमा 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने का प्रस्ताव।

एमएसएमई सेक्टर में क्रेडिट कवर बढ़ाया जाएगा

इस बजट में सरकार ने कई छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की कोशिश की है। वित्त मंत्री ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की संख्या एक करोड़ है और इनसे 5.7 करोड़ लोग जुड़े हैं। यह भारत को दुनिया में मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में मददगार है। ये एमएसएमई 45 फीसदी निर्यात में हिस्सेदारी रखते हैं। एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी कवर को बढ़ाया जाएगा। एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश की सीमा 2.5 गुना बढ़ाई जाएगी। वर्गीकरण के लए टर्नओवर सीमा दो गुना की जाएगी। सूक्ष्म उद्यमों के लिए कस्टमाइज्ड क्रेडिट जारी होंगे, जिनकी सीमा पांच लाख रुपये होगी। पहले वर्ष ऐसे 10 लाख कार्ड जारी किए जाएंगे।

पीएम स्वनिधि स्कीम को बढ़ाया जा रहा है

वित्त मंत्री ने कहा, पीएम स्वनिधि स्कीम से 60 लाख स्ट्रीट वेंडर को फायदा पहुंचा है। उन्हें इस स्कीम के जरिए लोन मिला है। इस स्कीम को बढ़ाया जा रहा है। लोन की सीमा बढ़ाकर 30 लाख करने का प्रस्ताव किया जा रहा है।

आम बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, किसानों को सौगात, पीएम धनधान्य कृषि योजना का ऐलान

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश कर रहीं हैं। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बजट विकसित भारत के संकल्प का बजट है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। गरीब, युवा, किसान और महिला का यह बजट है। इस बजट से भारत की इकनॉमी को रफ्तार मिलेगा। मेक इन इंडिया को बूस्ट मिलेगा। 6 सेक्टर में तेजी से विकास होगा।

विपक्ष का वॉक आउट

वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पेश करने के दौरान विपक्ष में शोरशराबा देखने को मिल रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व में विपक्ष हंगामा कर रहा है। विपक्ष महाकुंभ हादसे को लेकर हंगामा कर रहा है। इस बीच विपक्ष ने बजट सत्र के बीच में ही वॉक आउट कर दिया है। समाजवादी पार्टी के सांसद कुंभ पर डिस्कशन के लिए हंगामा कर रहे थे। उन्होंने नारेबाजी की। वित्त मंत्री ने जैसी है बजट पढ़ना शुरू किया, सपा सांसद सदन से बाहर चले गए।

पीएम धनधान्य कृषि योजना का ऐलान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने पीएम धनधान्य कृषि योजना का ऐलान किया है। इससे 100 जिलों में लो प्रोडक्टिविटी पर फोकस कर के इसमें सुधार किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत ऐसे 100 जिलों को चुना जाएगा, जहां पर कृषि उत्पादकता कम है। इससे वहां पर उत्पादकता बढ़ाने, खेती में विविधता लाने, सिंचाई और उपज के बाद भंडारण की क्षमता मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा। इसके दायरे में सभी तरह के किसान आएंगे। कृषि के अच्छे तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।

बिहार में मखाना बोर्ड का प्रस्ताव

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि बिहार में मखाना बोर्ड का प्रस्ताव किया जाता है। मखाना की मार्केटिंग के लिए बोर्ड बनाया जाएगा। मखाना किसानों को फायदे के लिए ये किया जाएगा। ये भी कोशिश की जाएगी की सभी सरकारी योजना का फायदा इनको मिले। उन्होंने कहा कि सब्जियों और फलों के लिए सरकार आय के स्तर को बढ़ाने के साथ, सब्जियों, फलों और श्रीअन्न का उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। बिहार में मखानों के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के लिए मखाना बोर्ड बनाया जाएगा। इससे किसानों को पथ प्रदर्शन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा। कपास उगाने वाले किसानों के लिए कपास मिशन की शुरुआत हो रही है। इससे कपास की अधिक लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

बजट से पहले हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा

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वित्त मंत्रालय की ओर से केंद्रीय बजट पेश होने से ठीक पहले एक हलवा समारोह का आयोजन किया जाता है। हलवा समारोह के जरिए यह संकेत दिया जाता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू गया है। केंद्रीय बजट 2025 से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन आज हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है।

बजट से पहले हलवा समारोह (हलवा सेरेमनी) का आयोजन केंद्रीय वित्त मंत्री उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक में होता है। बजट तैयार करने की "लॉक-इन" प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसे आयोजित करने की परंपरा है। इस दौरान वित्त मंत्रालय की रसोई में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है, जिसे वित्तमंत्री खुद अपने हाथों से बजट तैयार करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसती हैं।

वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील

हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती।

हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई

बजट सत्र से पहले हलवा सेरेनमी की कई तस्वीरें और वीडियो आपने देखी ही होंगी। एक बड़ी सी टेबल पर बड़ी कढ़ाई रखी होती, जिसमें हलवा होता है। इस दौरान वित्तमंत्री के साथ मंत्रालय के बड़े अधिकारी और कर्मचारी वहां मौजूद रहते हैं, जो हलवा खाने के बाद बजट की छपाई का काम शुरू करते हैं। बजट की छपाई शुरू होने से वित्तमंत्री के बजट भाषण तक ये अधिकारी व कर्मचारी मंत्रालय में ही रहते हैं। यह प्रक्रिया काफी गोपनीय होती है।

बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा

अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है।

कब से चल रही ये परंपरा?

हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।

झारखंड में अमित शाह ने कहा, 'वक्फ बोर्ड जमीन हड़प रहा है, अब बदलाव करने का समय आ गया है'

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Union Minister Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वक्फ बोर्ड पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया और कहा कि अब समय आ गया है कि बोर्ड में बदलाव किए जाएं और संबंधित अधिनियम में संशोधन किया जाए, पीटीआई ने बताया।

झारखंड के बाघमारा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि कोई भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन को नहीं रोक सकता, जो "घुसपैठियों को रोकने के लिए आवश्यक है", और उन्होंने आदिवासियों को आश्वासन दिया कि उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा। वक्फ बोर्ड को जमीन हड़पने की आदत है। कर्नाटक में इसने ग्रामीणों की संपत्ति हड़प ली है, इसने मंदिरों, किसानों और ग्रामीणों की जमीनें हड़प ली हैं। मुझे बताएं कि वक्फ बोर्ड में बदलाव की जरूरत है या नहीं," पीटीआई के अनुसार शाह ने रैली में कहा।

उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि दोनों ही वक्फ बोर्ड में बदलाव का विरोध करते हैं।

"हेमंत बाबू और राहुल गांधी कहते हैं कि नहीं। मैं आपको बताता हूं कि उन्हें इसका विरोध करने दें, भाजपा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए विधेयक पारित करेगी। हमें कोई नहीं रोक सकता," शाह ने कहा।

'ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा'

मंगलवार की रैली में, अमित शाह ने यह भी दावा किया कि अगर झारखंड में भाजपा सत्ता में आती है तो "ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा"। पीटीआई के अनुसार, उन्होंने सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार पर घुसपैठियों को अपना वोट बैंक बनाने का भी आरोप लगाया। शाह ने दावा किया कि "झारखंड में घुसपैठ को रोकने के उद्देश्य से समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता है, और आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा।" गृह मंत्री ने यह भी वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वह अगले पांच वर्षों में झारखंड को देश का सबसे समृद्ध राज्य बना देगी।

उन्होंने कहा, "झारखंड में खनिज आधारित उद्योग स्थापित किए जाएंगे।" और ऐसा माहौल तैयार करना होगा जिससे कोई भी दूसरे राज्यों में पलायन न करे।

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

ప్రపంచానికే డ్రోన్ హబ్‌గా ఏపీ.

నేను మంత్రిని అయ్యాక చాలా మంది ముఖ్యమంత్రులు ఎయి‌ర్‌పోర్టులు, హెలిపోర్టుల గురించి అడిగారు. అయితే ఏపీ ముఖ్యమంత్రి మాత్రం ఎయిర్‌పోర్టులతో పాటు కనెక్టివిటీ, డ్రోన్‌ల ప్రాధాన్యం గురించి మాట్లాడారు’’ అని రామ్మోహన్ నాయుడు తెలిపారు.

దేశంలో మొదటిసారి డ్రోన్ సమ్మిట్ ఢిల్లీ బయట జరుగుతోందని కేంద్రం పౌర విమానయాన శాఖామంత్రి రామ్మోహన్ నాయుడు (Union Minister Rammohan Naidu) అన్నారు. మంగళవారం డ్రోన్ సమ్మిట్ కార్యక్రమాన్ని ముఖ్యమంత్రి చంద్రబాబు నాయుడు, కేంద్రమంత్రి రామ్మోహన్ నాయుడు.. జ్యోతి ప్రజ్వలన చేసి ప్రారంభించారు. ఈ సందర్భంగా కేంద్రమంత్రి మాట్లాడుతూ... ‘‘నేను మంత్రిని అయ్యాక చాలా మంది ముఖ్యమంత్రులు ఎయి‌ర్‌పోర్టులు, హెలిపోర్టుల గురించి అడిగారు. అయితే ఏపీ ముఖ్యమంత్రి మాత్రం ఎయిర్‌పోర్టులతో పాటు కనెక్టివిటీ, డ్రోన్‌ల ప్రాధాన్యం గురించి మాట్లాడారు’’ అని తెలిపారు.

ఇంత మంచి వాతావరణంలో డ్రోన్ సమ్మిట్ కోసం ఏర్పాటు చేయడం పట్ల ఏపీ ప్రభుత్వానికి, సీఎం చంద్రబాబుకు ఆయన ధన్యవాదాలు తెలియజేశారు. హైదరాబాద్ భవిష్యత్తును విజన్ చేసి విజన్ 2020 గురించి ఆలోచించారని.. 1996 నాడే ఆయన 2020 గురించి ఆలోచించారని తెలిపారు. వచ్చే ఎన్నికల గురించి చంద్రబాబు ఆలోచించరని.. భవిష్యత్తును ఊహిస్తారని చెప్పారు. అందుకే హైదరాబాద్ అన్ని రంగంగాల్లో నేడు అభివృద్ధి చెందిందని ప్రశంసించారు. 1996లో చంద్రబాబు హైదరాబాద్ గురించి ఎలా మాట్లాడారో అలాగే ఇప్పుడు అదే జీల్‌తో డ్రోన్ గురించి మాట్లాడుతున్నారని అన్నారు. ఎన్డీఏ ప్రభుత్వంలో క్యాబినెట్ మినిస్ట్రీలో ఒక యువకుడికి అవకాశం ఇవ్వాలని భావించి.. తనకు కేంద్రమంత్రి పదవి ఇచ్చారని చెప్పుకొచ్చారు.

డ్రోన్ నెట్‌వర్క్‌లో ఎంతో పొటన్షియల్ ఉందని ఆయన గుర్తించారన్నారు. విజయవాడలో వరదల సమయంలో డ్రోన్‌‌లను సహయ కార్యక్రమాలకు, పుడ్ సప్లైకి వాడారన్నారు. డ్రోన్ ద్వారా ఆహారం, పాలు, మందులు అందించారని తెలిపారు. డ్రోన్‌లను ఇలా వాడడాన్ని ప్రధాని మోడీ కూడా చూసి ఆనందించారని తెలిపారు. ప్రధాని నరేంద్ర మోడీ ఇండియాను ప్రపంచంలోనే గొప్ప పొజిషన్‌లో నిలిపారని కొనియాడారు. ఇండియాను చూసి నేర్చుకోవాలని వివిధ దేశాల నాయకులు అనుకుంటున్నారన్నారు. గత పది సంవత్సరాలుగా సివిల్ ఏవియేషన్‌లో ఎన్నో అద్భుతాలు జరిగాయన్నారు. అంతకుముందు ఇండియాలో 74 ఎయిర్‌పోర్టులు ఉంటే.. ఇప్పుడు 157 ఎయిర్‌పోర్టులు ఏర్పాటయ్యాయన్నారు. రానున్న రోజుల్లో వీటిని మంరింతగా పెంచుతామని స్పష్టం చేశారు.

డ్రోన్‌లో వర్టికల్ టేకాఫ్‌ అండ్ ల్యాండింగ్ వంటి సాంకేతిక పరిజ్ఞానం వచ్చిందన్నారు. ఇలాంటి కొత్త సాంకేతిక పరిజ్ఞానాన్ని ఏపీకి తేవాలని సీఎం చంద్రబాబు ఆలోచిస్తారన్నారు. ఈ డ్రోన్ సెక్టర్‌లో ఇక్కడి వారు ముందుకు రావాలని.. నిర్మాణాలు చేపట్టాలని పిలుపునిచ్చారు. అందుకే డ్రోన్ రూల్స్ 2021ను చాలా సరళతరం చేశామని వెల్లడించారు. దీనికి అదనంగా డ్రోన్ పరిశ్రమలకు ప్రోత్సాహం ఇస్తున్నామని.. డ్రోన్ ఇండస్ట్రీపై మరింత రీసెర్చి జరగాలనేది తమ అభిమతమన్నారు. 26,500 డ్రోన్‌లు రిజిస్టర్ అయి ఉంటే ప్రధాని దాన్ని లక్షకు చేర్చాలని చెప్పారన్నారు. డ్రోన్ దీదీ ప్రోగ్రాం ద్వారా దేశంలో మహిళలకు ఉపాధి కూడా కలుగుతోందన్నారు. ఏపీ ఇప్పుడు డ్రోన్ పాలసీని రూపొందిస్తోందని.. అందరితో మాట్లాడి దాన్ని రూపొందించడంతో ఇదే బెస్ట్ పాలసీ అవుతుందని స్పష్టం చేశారు. 6000 మంది కంటే ఎక్కవ మంది ఈ ఈవెంట్‌లో పాల్గొనాలని ఉత్సాహం చూపారన్నారు. ఇండియాలోనే కాదు ప్రపంచానికే ఏపీ డ్రోన్ హబ్‌గా మారాలని కోరుతున్నానని కేంద్రమంత్రి రామ్మోహన్ నాయుడు పేర్కొన్నారు.

मैं डरा हुआ था’:सुशील कुमार शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर जम्मू-कश्मीर की यात्रा को याद किया, भाजपा ने दी प्रतिक्रिया

#sushilkumarshinderecallsvisittojammuandkashmir

Sushil Kumar Shinde Union home minister 2012 to 2014. (PTI file)

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मंगलवार को खुलासा किया कि अपने मंत्री कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर जाते समय उन्हें डर लगता था। अपनी आत्मकथा ‘राजनीति में पाँच दशक’ के विमोचन के अवसर पर शिंदे ने 2012 में घाटी की अपनी यात्रा को याद किया।

“गृह मंत्री बनने से पहले मैं उनसे (शिक्षाविद् विजय धर) से मिलने गया था। मैं उनसे सलाह माँगता था। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं इधर-उधर न घूमूं, बल्कि लाल चौक (श्रीनगर में) जाऊं, लोगों से मिलूं और डल झील घूमूं। “उस सलाह से मुझे प्रसिद्धि मिली और लोगों को लगा कि यहां एक गृह मंत्री है जो बिना किसी डर के वहां जाता है, लेकिन मैं किसे बताऊं कि मैं डर गया था? मैंने आपको यह सिर्फ हंसाने के लिए कहा था, लेकिन एक पूर्व पुलिसकर्मी इस तरह नहीं बोल सकता,” महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने एएनआई के हवाले से कहा।

शिंदे को 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत का गृह मंत्री नियुक्त किया था

शिंदे ने 2012 में लाल चौक का दौरा किया था। शिंदे ने 2012 में पी चिदंबरम के बाद केंद्रीय गृह मंत्री का पद संभाला था। अपने दौरे के दौरान, कांग्रेस नेता ने श्रीनगर के लाल चौक पर खरीदारी की। वह अपने परिवार के लिए खरीदारी करने के लिए जम्मू-कश्मीर की राजधानी में एक कश्मीर कला शोरूम में भी रुके। तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी केंद्रीय मंत्री के साथ थे। शिंदे ने अपने दौरे के दौरान श्रीनगर में क्लॉक टॉवर का भी दौरा किया। घंटाघर का निर्माण 1978 में पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला के अनुरोध पर किया गया था। जब 2008 और 2010 के दौरान कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए, तो ऐसे मौके आए जब टॉवर पर पाकिस्तानी झंडा फहराया गया। गृह मंत्री के रूप में शिंदे के कार्यकाल में 26/11 के मुंबई हमलावर अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले के मुकदमे और फांसी की सजा देखी गई।

शिंदे की टिप्पणी पर भाजपा की प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "यूपीए काल के गृह मंत्री सुशील शिंदे ने माना कि वे जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं कश्मीर जाऊं और डल झील पर फोटो खिंचवाऊं, ताकि मैं और यूपीए की भारत के गृह मंत्री के तौर पर सार्वजनिक छवि बनी रहे। लेकिन मैं डर गया।" आज राहुल गांधी आराम से भारत जोड़ो यात्रा और कश्मीर में बर्फ से लड़ते देखे गए! लेकिन एनसी और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को आतंक के दिनों में वापस ले जाना चाहते हैं!"

महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की बेटी से छेड़छाड़, एक आरोपी गिरफ्तार

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महाराष्ट्र के जलगांव में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। जलगांव के मुक्ताई नगर इलाके में एक मेले के दौरान कुछ लड़कों ने केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेलियों से छेड़खानी की। मामले की शिकायत खुद मंत्री रक्षा खडसे ने मुक्ताई नगर थाने में की है। खडसे पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में खेल राज्य मंत्री के कई अन्य विभाग संभाल रही हैं।

रक्षा खडसे की बेटी से कथित छेड़छाड़ मामले में एक आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। जलगांव पुलिस ने रविवार को यह बड़ा खुलासा किया। मुक्ताईनगर के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) कृष्णत पिंगले ने बताया कि मामले में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से एक को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। उनमें से एक के खिलाफ पहले भी चार मामले दर्ज हैं।

यह घटना संत मुक्ताई यात्रा के दौरान हुई। जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेली सुरक्षा गार्ड के साथ कोथली गांव में शोभा यात्रा देखने गई थी। उसी समय सुरक्षा गार्ड को कुछ युवकों द्वारा वीडियो बनाने का शक हुआ। सुरक्षा गार्ड ने इस शक के आधार पर युवक के हाथ से मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उसकी जांच की। सूत्रों का कहना है कि इस घटना से चारों युवक नाराज हो गए और सुरक्षा गार्ड से भिड़ गए। आरोपियों की गिरफ्तारी हो, इसलिए रक्षा खड़से पुलिस स्टेशन पहुंच गई हैं। आरोप है कि कुछ बदमाशों ने छेड़छाड़ की।

इस पूरे मामले में खडसे ने कहा कि मैं केंद्रीय मंत्री के तौर पर नहीं एक मां के तौर पर पुलिस स्टेशन गई थी। परसों रात मेरी बेटी और उसकी सहेलियों के साथ जो घटना हुई, वह निंदनीय है। ऐसी कई माताएं होंगी जो इससे पीड़ित हैं। उन्हें पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। मेरी बेटी और उसकी सहेलियां महाशिवरात्रि के मेले में गई थीं, जहां कुछ लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। उन्होंने पुलिस गार्ड के साथ भी बदसलूकी की। पुलिसकर्मी की मौजूदगी में भी उनकी इतनी हिम्मत थी कि वे छेड़छाड़ कर रहे थे और वीडियो बना रहे थे। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसीलिए मैंने एफआईआर दर्ज कराई है। 30-40 लोग एकत्रित हुए और पुलिस के साथ बदतमीजी करने लगे। वे किसी भी घर में घुस सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं। मैंने पुलिस को सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

ट्रंप की धमकियों के बाद बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दिल्ली पहुंचीं यूरोपीय संघ की प्रमुख, भारत को बताया भरोसेमंद देश

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने के बाद जिस तेजी से दुनिया बदली है, यूरोप खुद को अलग-थलग पा रहा है। ऐसे समय में वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अस्थिरता देखी जा रही है। ऐसे में यूरोप अब भारत की ओर उम्मीदों की निगाह से देख रहा है। इसी उम्मीद के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन गुरुवार को भारत पहुंचीं। भारत आने के बाद यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला ने एक्स पर लिखा कि संघर्ष और कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है और यूरोप के लिए भारत एक ऐसा ही मित्र और रणनीतिक सहयोगी है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचीं। दिल्ली हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनका स्वागत किया। दिल्ली पहुंचने के बाद लिएन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।

नई दिल्ली पहुंचने के बाद उर्सुला लेयेन ने साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच यूरोप को भारत में एक भरोसेमंद मित्र नजर आ रहा है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बात पर चर्चा करूंगी कि हमारी रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर कैसे ले जाया जाए।

भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

लिएन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगी। इस मुलाकात में दोनों नेता महत्वाकांक्षी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जारी बातचीत का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को होने वाली व्यापक वार्ता में लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मजबूत करने और रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत की स्थिति और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। मोदी और ईयू प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी होने की भी उम्मीद है।

ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी

बता दें कि ट्रंप ने हाल में यूरोपीय संघ से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि ईयू की गठन ही अमेरिका को परेशान करने के लिए किया गया था। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय देशों की मदद करने की अमेरिकी नीति को पूरी तरह से बदलते हुए अब रूस के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।

यूरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय आयोग के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आ रहे हैं। यह पहला मौका है, जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने सारे देशों के आयुक्त एक साथ किसी देश की यात्रा पर हैं। इससे यह पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व दे रहा है।

बजट 2025 में दिखा पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का असर, जाने भारत ने किसे दी कितनी मदद?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 जनवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया। हर साल जब सरकार की ओर से बजट पेश किया जाता है तो हर आम और खास को इससे काफी आशा होती है। बजट केवल अपने देश के लिए लोगों का ही हित साधक नहीं होता, बल्कि पड़ोसी देशों की भी इसपर नजर होती है। इस बात पर सबकी नजर होती है कि सरकार ने किस देश के लिए कितनी सहायता राशि का ऐलान किया है, खासकर पड़ोसी देशों के लिए।भारत ने इस बार के बजट (2025-26) में विदेशी सहायता के मद में कटौती की है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में विदेशी सहायता के लिए संशोधन आवंटन 5806 करोड़ रुपये था लेकिन इस साल इसे घटाकर 5,483 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हालांकि, भारत ने अपने पड़ोसी देशों का पूरा ध्यान रखा है। भारत ने मालदीव और अफगानिस्तान के लिए सहायता बढ़ाई है, जबकि बांग्लादेश से रिश्तों में तल्खियों के बावजूद सहायता राशि में कटौती नहीं की गई है।

मालदीव हुआ “मालामाल”

बजट 2025 के फंड आवंटन में मालदीव को सबसे अधिक फायदा हुआ है। मालदीव को केंद्रीय बजट 2025 में अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच विकास सहायता में सबसे अधिक वृद्धि मिली है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय संबंधों में खटास के बाद इसे अहम माना जा रहा है।मालदीव के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किए गए 2025 के बजट में परिव्यय में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बजट दस्तावेज के अनुसार, 2025-26 में मालदीव के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में द्वीप राष्ट्र को दिए गए 470 करोड़ रुपये से काफी अधिक है।

बांग्लादेश को क्या मिला?

शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन इस बार के बजट में बांग्लादेश को मिलने वाली सहायता राशि को जस की तस रखा गया है। बांग्लादेश के बजट में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। बांग्लादेश के लिए बजट राशि पिछले साल के 120 करोड़ में कोई फेरबदल नहीं हुआ है।

सबसे ज्यादा बजट भूटान के लिए

भारत सबसे ज़्यादा भूटान की आर्थिक मदद करता है। भारत ने 2025-26 के बजट में भूटान के लिए 2150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए संशोधित बजट 2543 करोड़ रुपये का था। भारत भूटान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, पनबिजली परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद देता है।

अफगानिस्तान की सहायता कम हुई

भारत अफगानिस्तान से बेहतर रिश्ते कायम करने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन, बजट में इसकी छाप नहीं दिखाई दी। अफगानिस्तान को पिछले साल 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी, जो 2025-26 में घटकर 100 करोड़ रुपये रह गई है। यह दो साल पहले दिए गए 207 करोड़ रुपये से काफी कम है। भारत तालिबान सरकार के साथ अपने व्यवहार में सतर्क रहा है और उसने अपनी भागीदारी को मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग तक ही सीमित रखा है।

म्यांमार को सहायता में वृद्धि

म्यांमार के बजट में 2024-25 के 250 करोड़ रुपये से 2025-26 के लिए 350 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। यह देश में चल रही उथल-पुथल के बीच किया गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की आवाजाही के नियमों को कड़ा कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, दोनों तरफ फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) के तहत 16 किलोमीटर से लेकर 10 किलोमीटर तक की आवाजाही प्रतिबंधित है।

नेपाल के साथ 700 करोड़ रुपये का आवंटन बरकरार

हाल के दिनों में नेपाल पर चीन का असर बढ़ा है। लेकिन भारत नेपाल के साथ लगातार संबंध सुधारने की कोशिश में लगा है। भारत ने हाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे चीन के साथ नेपाल की नजदीकी बढ़े। वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल के लिए संशोधित बजट 700 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई है और इसे 700 करोड़ ही रखा गया है।

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

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Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

बजट 2025: किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 3 लाख से बढ़कर पांच लाख रुपये

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बजट 2025 में मोदी सरकार ने देश के करोड़ों किसानों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढा दी है। अब यह सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है। बजट में सरकार ने किसानों को लेकर कई और बड़ी घोषणाएं भी की है। इनमें धन धान्य कृषि योजना, कृषि कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों की मदद, कम उत्पादकता वाले 100 जिलों को कवर करने के लिए कृषि योजना शामिल है।

किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन की लिमिट बढ़ी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, किसान क्रेडिट कार्ड 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान करता है। संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लिए गए ऋण के लिए ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी जाएगी।

एससी और एसटी को 5 साल में टर्म लोन देने का प्रस्ताव

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति को अगले 5 साल में टर्म लोन देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा श्रमिक क्षेत्र में सरकार की बड़े योजना का प्रस्ताव की तैयारी है। माइक्रो स्मॉल इंटरप्राइजेज को लोन की सीमा 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने का प्रस्ताव।

एमएसएमई सेक्टर में क्रेडिट कवर बढ़ाया जाएगा

इस बजट में सरकार ने कई छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की कोशिश की है। वित्त मंत्री ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की संख्या एक करोड़ है और इनसे 5.7 करोड़ लोग जुड़े हैं। यह भारत को दुनिया में मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में मददगार है। ये एमएसएमई 45 फीसदी निर्यात में हिस्सेदारी रखते हैं। एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी कवर को बढ़ाया जाएगा। एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश की सीमा 2.5 गुना बढ़ाई जाएगी। वर्गीकरण के लए टर्नओवर सीमा दो गुना की जाएगी। सूक्ष्म उद्यमों के लिए कस्टमाइज्ड क्रेडिट जारी होंगे, जिनकी सीमा पांच लाख रुपये होगी। पहले वर्ष ऐसे 10 लाख कार्ड जारी किए जाएंगे।

पीएम स्वनिधि स्कीम को बढ़ाया जा रहा है

वित्त मंत्री ने कहा, पीएम स्वनिधि स्कीम से 60 लाख स्ट्रीट वेंडर को फायदा पहुंचा है। उन्हें इस स्कीम के जरिए लोन मिला है। इस स्कीम को बढ़ाया जा रहा है। लोन की सीमा बढ़ाकर 30 लाख करने का प्रस्ताव किया जा रहा है।

आम बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, किसानों को सौगात, पीएम धनधान्य कृषि योजना का ऐलान

#unionbudget2025-26

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश कर रहीं हैं। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बजट विकसित भारत के संकल्प का बजट है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। गरीब, युवा, किसान और महिला का यह बजट है। इस बजट से भारत की इकनॉमी को रफ्तार मिलेगा। मेक इन इंडिया को बूस्ट मिलेगा। 6 सेक्टर में तेजी से विकास होगा।

विपक्ष का वॉक आउट

वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पेश करने के दौरान विपक्ष में शोरशराबा देखने को मिल रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व में विपक्ष हंगामा कर रहा है। विपक्ष महाकुंभ हादसे को लेकर हंगामा कर रहा है। इस बीच विपक्ष ने बजट सत्र के बीच में ही वॉक आउट कर दिया है। समाजवादी पार्टी के सांसद कुंभ पर डिस्कशन के लिए हंगामा कर रहे थे। उन्होंने नारेबाजी की। वित्त मंत्री ने जैसी है बजट पढ़ना शुरू किया, सपा सांसद सदन से बाहर चले गए।

पीएम धनधान्य कृषि योजना का ऐलान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने पीएम धनधान्य कृषि योजना का ऐलान किया है। इससे 100 जिलों में लो प्रोडक्टिविटी पर फोकस कर के इसमें सुधार किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत ऐसे 100 जिलों को चुना जाएगा, जहां पर कृषि उत्पादकता कम है। इससे वहां पर उत्पादकता बढ़ाने, खेती में विविधता लाने, सिंचाई और उपज के बाद भंडारण की क्षमता मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा। इसके दायरे में सभी तरह के किसान आएंगे। कृषि के अच्छे तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।

बिहार में मखाना बोर्ड का प्रस्ताव

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि बिहार में मखाना बोर्ड का प्रस्ताव किया जाता है। मखाना की मार्केटिंग के लिए बोर्ड बनाया जाएगा। मखाना किसानों को फायदे के लिए ये किया जाएगा। ये भी कोशिश की जाएगी की सभी सरकारी योजना का फायदा इनको मिले। उन्होंने कहा कि सब्जियों और फलों के लिए सरकार आय के स्तर को बढ़ाने के साथ, सब्जियों, फलों और श्रीअन्न का उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। बिहार में मखानों के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के लिए मखाना बोर्ड बनाया जाएगा। इससे किसानों को पथ प्रदर्शन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा। कपास उगाने वाले किसानों के लिए कपास मिशन की शुरुआत हो रही है। इससे कपास की अधिक लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

बजट से पहले हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा

#halwaceremonybeforeunionbudget_2025

वित्त मंत्रालय की ओर से केंद्रीय बजट पेश होने से ठीक पहले एक हलवा समारोह का आयोजन किया जाता है। हलवा समारोह के जरिए यह संकेत दिया जाता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू गया है। केंद्रीय बजट 2025 से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन आज हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है।

बजट से पहले हलवा समारोह (हलवा सेरेमनी) का आयोजन केंद्रीय वित्त मंत्री उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक में होता है। बजट तैयार करने की "लॉक-इन" प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसे आयोजित करने की परंपरा है। इस दौरान वित्त मंत्रालय की रसोई में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है, जिसे वित्तमंत्री खुद अपने हाथों से बजट तैयार करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसती हैं।

वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील

हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती।

हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई

बजट सत्र से पहले हलवा सेरेनमी की कई तस्वीरें और वीडियो आपने देखी ही होंगी। एक बड़ी सी टेबल पर बड़ी कढ़ाई रखी होती, जिसमें हलवा होता है। इस दौरान वित्तमंत्री के साथ मंत्रालय के बड़े अधिकारी और कर्मचारी वहां मौजूद रहते हैं, जो हलवा खाने के बाद बजट की छपाई का काम शुरू करते हैं। बजट की छपाई शुरू होने से वित्तमंत्री के बजट भाषण तक ये अधिकारी व कर्मचारी मंत्रालय में ही रहते हैं। यह प्रक्रिया काफी गोपनीय होती है।

बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा

अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है।

कब से चल रही ये परंपरा?

हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।

झारखंड में अमित शाह ने कहा, 'वक्फ बोर्ड जमीन हड़प रहा है, अब बदलाव करने का समय आ गया है'

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Union Minister Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वक्फ बोर्ड पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया और कहा कि अब समय आ गया है कि बोर्ड में बदलाव किए जाएं और संबंधित अधिनियम में संशोधन किया जाए, पीटीआई ने बताया।

झारखंड के बाघमारा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि कोई भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन को नहीं रोक सकता, जो "घुसपैठियों को रोकने के लिए आवश्यक है", और उन्होंने आदिवासियों को आश्वासन दिया कि उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा। वक्फ बोर्ड को जमीन हड़पने की आदत है। कर्नाटक में इसने ग्रामीणों की संपत्ति हड़प ली है, इसने मंदिरों, किसानों और ग्रामीणों की जमीनें हड़प ली हैं। मुझे बताएं कि वक्फ बोर्ड में बदलाव की जरूरत है या नहीं," पीटीआई के अनुसार शाह ने रैली में कहा।

उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि दोनों ही वक्फ बोर्ड में बदलाव का विरोध करते हैं।

"हेमंत बाबू और राहुल गांधी कहते हैं कि नहीं। मैं आपको बताता हूं कि उन्हें इसका विरोध करने दें, भाजपा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए विधेयक पारित करेगी। हमें कोई नहीं रोक सकता," शाह ने कहा।

'ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा'

मंगलवार की रैली में, अमित शाह ने यह भी दावा किया कि अगर झारखंड में भाजपा सत्ता में आती है तो "ट्रेन भरकर अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा"। पीटीआई के अनुसार, उन्होंने सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार पर घुसपैठियों को अपना वोट बैंक बनाने का भी आरोप लगाया। शाह ने दावा किया कि "झारखंड में घुसपैठ को रोकने के उद्देश्य से समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता है, और आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा।" गृह मंत्री ने यह भी वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वह अगले पांच वर्षों में झारखंड को देश का सबसे समृद्ध राज्य बना देगी।

उन्होंने कहा, "झारखंड में खनिज आधारित उद्योग स्थापित किए जाएंगे।" और ऐसा माहौल तैयार करना होगा जिससे कोई भी दूसरे राज्यों में पलायन न करे।

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

ప్రపంచానికే డ్రోన్ హబ్‌గా ఏపీ.

నేను మంత్రిని అయ్యాక చాలా మంది ముఖ్యమంత్రులు ఎయి‌ర్‌పోర్టులు, హెలిపోర్టుల గురించి అడిగారు. అయితే ఏపీ ముఖ్యమంత్రి మాత్రం ఎయిర్‌పోర్టులతో పాటు కనెక్టివిటీ, డ్రోన్‌ల ప్రాధాన్యం గురించి మాట్లాడారు’’ అని రామ్మోహన్ నాయుడు తెలిపారు.

దేశంలో మొదటిసారి డ్రోన్ సమ్మిట్ ఢిల్లీ బయట జరుగుతోందని కేంద్రం పౌర విమానయాన శాఖామంత్రి రామ్మోహన్ నాయుడు (Union Minister Rammohan Naidu) అన్నారు. మంగళవారం డ్రోన్ సమ్మిట్ కార్యక్రమాన్ని ముఖ్యమంత్రి చంద్రబాబు నాయుడు, కేంద్రమంత్రి రామ్మోహన్ నాయుడు.. జ్యోతి ప్రజ్వలన చేసి ప్రారంభించారు. ఈ సందర్భంగా కేంద్రమంత్రి మాట్లాడుతూ... ‘‘నేను మంత్రిని అయ్యాక చాలా మంది ముఖ్యమంత్రులు ఎయి‌ర్‌పోర్టులు, హెలిపోర్టుల గురించి అడిగారు. అయితే ఏపీ ముఖ్యమంత్రి మాత్రం ఎయిర్‌పోర్టులతో పాటు కనెక్టివిటీ, డ్రోన్‌ల ప్రాధాన్యం గురించి మాట్లాడారు’’ అని తెలిపారు.

ఇంత మంచి వాతావరణంలో డ్రోన్ సమ్మిట్ కోసం ఏర్పాటు చేయడం పట్ల ఏపీ ప్రభుత్వానికి, సీఎం చంద్రబాబుకు ఆయన ధన్యవాదాలు తెలియజేశారు. హైదరాబాద్ భవిష్యత్తును విజన్ చేసి విజన్ 2020 గురించి ఆలోచించారని.. 1996 నాడే ఆయన 2020 గురించి ఆలోచించారని తెలిపారు. వచ్చే ఎన్నికల గురించి చంద్రబాబు ఆలోచించరని.. భవిష్యత్తును ఊహిస్తారని చెప్పారు. అందుకే హైదరాబాద్ అన్ని రంగంగాల్లో నేడు అభివృద్ధి చెందిందని ప్రశంసించారు. 1996లో చంద్రబాబు హైదరాబాద్ గురించి ఎలా మాట్లాడారో అలాగే ఇప్పుడు అదే జీల్‌తో డ్రోన్ గురించి మాట్లాడుతున్నారని అన్నారు. ఎన్డీఏ ప్రభుత్వంలో క్యాబినెట్ మినిస్ట్రీలో ఒక యువకుడికి అవకాశం ఇవ్వాలని భావించి.. తనకు కేంద్రమంత్రి పదవి ఇచ్చారని చెప్పుకొచ్చారు.

డ్రోన్ నెట్‌వర్క్‌లో ఎంతో పొటన్షియల్ ఉందని ఆయన గుర్తించారన్నారు. విజయవాడలో వరదల సమయంలో డ్రోన్‌‌లను సహయ కార్యక్రమాలకు, పుడ్ సప్లైకి వాడారన్నారు. డ్రోన్ ద్వారా ఆహారం, పాలు, మందులు అందించారని తెలిపారు. డ్రోన్‌లను ఇలా వాడడాన్ని ప్రధాని మోడీ కూడా చూసి ఆనందించారని తెలిపారు. ప్రధాని నరేంద్ర మోడీ ఇండియాను ప్రపంచంలోనే గొప్ప పొజిషన్‌లో నిలిపారని కొనియాడారు. ఇండియాను చూసి నేర్చుకోవాలని వివిధ దేశాల నాయకులు అనుకుంటున్నారన్నారు. గత పది సంవత్సరాలుగా సివిల్ ఏవియేషన్‌లో ఎన్నో అద్భుతాలు జరిగాయన్నారు. అంతకుముందు ఇండియాలో 74 ఎయిర్‌పోర్టులు ఉంటే.. ఇప్పుడు 157 ఎయిర్‌పోర్టులు ఏర్పాటయ్యాయన్నారు. రానున్న రోజుల్లో వీటిని మంరింతగా పెంచుతామని స్పష్టం చేశారు.

డ్రోన్‌లో వర్టికల్ టేకాఫ్‌ అండ్ ల్యాండింగ్ వంటి సాంకేతిక పరిజ్ఞానం వచ్చిందన్నారు. ఇలాంటి కొత్త సాంకేతిక పరిజ్ఞానాన్ని ఏపీకి తేవాలని సీఎం చంద్రబాబు ఆలోచిస్తారన్నారు. ఈ డ్రోన్ సెక్టర్‌లో ఇక్కడి వారు ముందుకు రావాలని.. నిర్మాణాలు చేపట్టాలని పిలుపునిచ్చారు. అందుకే డ్రోన్ రూల్స్ 2021ను చాలా సరళతరం చేశామని వెల్లడించారు. దీనికి అదనంగా డ్రోన్ పరిశ్రమలకు ప్రోత్సాహం ఇస్తున్నామని.. డ్రోన్ ఇండస్ట్రీపై మరింత రీసెర్చి జరగాలనేది తమ అభిమతమన్నారు. 26,500 డ్రోన్‌లు రిజిస్టర్ అయి ఉంటే ప్రధాని దాన్ని లక్షకు చేర్చాలని చెప్పారన్నారు. డ్రోన్ దీదీ ప్రోగ్రాం ద్వారా దేశంలో మహిళలకు ఉపాధి కూడా కలుగుతోందన్నారు. ఏపీ ఇప్పుడు డ్రోన్ పాలసీని రూపొందిస్తోందని.. అందరితో మాట్లాడి దాన్ని రూపొందించడంతో ఇదే బెస్ట్ పాలసీ అవుతుందని స్పష్టం చేశారు. 6000 మంది కంటే ఎక్కవ మంది ఈ ఈవెంట్‌లో పాల్గొనాలని ఉత్సాహం చూపారన్నారు. ఇండియాలోనే కాదు ప్రపంచానికే ఏపీ డ్రోన్ హబ్‌గా మారాలని కోరుతున్నానని కేంద్రమంత్రి రామ్మోహన్ నాయుడు పేర్కొన్నారు.

मैं डरा हुआ था’:सुशील कुमार शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर जम्मू-कश्मीर की यात्रा को याद किया, भाजपा ने दी प्रतिक्रिया

#sushilkumarshinderecallsvisittojammuandkashmir

Sushil Kumar Shinde Union home minister 2012 to 2014. (PTI file)

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मंगलवार को खुलासा किया कि अपने मंत्री कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर जाते समय उन्हें डर लगता था। अपनी आत्मकथा ‘राजनीति में पाँच दशक’ के विमोचन के अवसर पर शिंदे ने 2012 में घाटी की अपनी यात्रा को याद किया।

“गृह मंत्री बनने से पहले मैं उनसे (शिक्षाविद् विजय धर) से मिलने गया था। मैं उनसे सलाह माँगता था। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं इधर-उधर न घूमूं, बल्कि लाल चौक (श्रीनगर में) जाऊं, लोगों से मिलूं और डल झील घूमूं। “उस सलाह से मुझे प्रसिद्धि मिली और लोगों को लगा कि यहां एक गृह मंत्री है जो बिना किसी डर के वहां जाता है, लेकिन मैं किसे बताऊं कि मैं डर गया था? मैंने आपको यह सिर्फ हंसाने के लिए कहा था, लेकिन एक पूर्व पुलिसकर्मी इस तरह नहीं बोल सकता,” महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने एएनआई के हवाले से कहा।

शिंदे को 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत का गृह मंत्री नियुक्त किया था

शिंदे ने 2012 में लाल चौक का दौरा किया था। शिंदे ने 2012 में पी चिदंबरम के बाद केंद्रीय गृह मंत्री का पद संभाला था। अपने दौरे के दौरान, कांग्रेस नेता ने श्रीनगर के लाल चौक पर खरीदारी की। वह अपने परिवार के लिए खरीदारी करने के लिए जम्मू-कश्मीर की राजधानी में एक कश्मीर कला शोरूम में भी रुके। तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी केंद्रीय मंत्री के साथ थे। शिंदे ने अपने दौरे के दौरान श्रीनगर में क्लॉक टॉवर का भी दौरा किया। घंटाघर का निर्माण 1978 में पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला के अनुरोध पर किया गया था। जब 2008 और 2010 के दौरान कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए, तो ऐसे मौके आए जब टॉवर पर पाकिस्तानी झंडा फहराया गया। गृह मंत्री के रूप में शिंदे के कार्यकाल में 26/11 के मुंबई हमलावर अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले के मुकदमे और फांसी की सजा देखी गई।

शिंदे की टिप्पणी पर भाजपा की प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "यूपीए काल के गृह मंत्री सुशील शिंदे ने माना कि वे जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं कश्मीर जाऊं और डल झील पर फोटो खिंचवाऊं, ताकि मैं और यूपीए की भारत के गृह मंत्री के तौर पर सार्वजनिक छवि बनी रहे। लेकिन मैं डर गया।" आज राहुल गांधी आराम से भारत जोड़ो यात्रा और कश्मीर में बर्फ से लड़ते देखे गए! लेकिन एनसी और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को आतंक के दिनों में वापस ले जाना चाहते हैं!"