/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1725697524422771.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1725697524422771.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1725697524422771.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1725697524422771.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1725697524422771.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1725697524422771.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:jaishankar_visiting_srilanka
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*
#jaishankar_visiting_srilanka
बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है। जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’ श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।" विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा। दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है। भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है। लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे। दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*

#jaishankar_visiting_srilanka

बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है।

जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’

श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।"

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा।

दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है।

भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है।

लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे।

दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

#sjaishankaronamericanpoliticalleadersmakingcommentsin_india

भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं...'यूएस में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

#sjaishankaronborderdisputetalkswith_china

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर बयान दिया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर सफाई दी है। जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

'समझौते का उल्लंघन किया'

न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन साथ एलएसी पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

'अगला कदम तनाव कम करना'

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

'भारत-चीन संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर न केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों का ‘‘समानांतर विकास’’ आज की वैश्विक राजनीति में ‘‘बहुत अनोखी समस्या’’ पेश करता है।

'भारत-चीन का समानांतर विकास अनोखी समस्या'

जयशंकर ने कहा कि आपके पास दो ऐसे देश हैं जो आपस में पड़ोसी हैं, वे इस दृष्टि से अनोखे भी हैं कि वे ही एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भी हैं, दोनों वैश्विक व्यवस्था में उभर रहे हैं और उनकी सीमा अक्सर अस्पष्ट हैं तथा साथ ही उनकी एक साझा सीमा भी है। इसलिए यह बहुत जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति में देखें तो भारत और चीन का समानांतर विकास बहुत, बहुत अनोखी समस्या है।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है। जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।

शेख हसीना के अगले कदम की चर्चा के बीच ब्रिटेन के विदेश सचिव ने जयशंकर को किया फोन

#seikhhaseenaukayslumdavidlammycalls_jaishankar

EAM S. Jaishankar meets UK Foreign Secretary David Lammy, in New Delhi. (ANI/File)

विदेश मंत्री एस जयशंकर और ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने गुरुवार को बांग्लादेश में उभरते हालात को लेकर चर्चा की। जिसका उल्लेख जयशंकर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में किया था, साथ ही उन्होंने पश्चिम एशिया के विकास पर भी चर्चा की।

जयशंकर ने लिखा, आज ब्रिटेन के विदेश सचिव का फ़ोन आया। बांग्लादेश और पश्चिम एशिया की स्थिति पर चर्चा की।" यह चर्चा बांग्लादेश की पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना को लेकर अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में हुई, जो अपने गृह देश में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच हाल ही में अपने इस्तीफे के बाद भारत में हैं।

प्रारंभ में, यह बताया गया था कि वह यूके में शरण मांग सकती है, लेकिन यूके द्वारा उन्हें शरण देने की अनिच्छा के कारण ये योजनाएँ रुक गई हैं। ब्रिटिश आव्रजन कानून के तहत, देश के बाहर से शरण के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता है और प्रत्येक मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच की जाती है। ब्रिटेन में जरूरतमंद लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का इतिहास रहा है, लेकिन किसी को केवल शरण लेने के लिए ब्रिटेन की यात्रा करने की अनुमति देने के लिए कोई प्रावधान मौजूद नहीं है, पीटीआई। 

शेख़ हसीना के बेटे ने ब्रिटेन की शरण योजना से इनकार किया

हालांकि, हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय, जो अपनी मां के सलाहकार के रूप में काम करते हैं, ने पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा ब्रिटेन या किसी अन्य देश में शरण मांगने की खबरों को "अफवाह" करार दिया और कहा कि उनका अमेरिकी वीजा रद्द किए जाने की खबरें भी झूठी हैं। "इस तरह की कोई भी योजना नहीं बनाई गई है । देर-सबेर, बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली होगी और उम्मीद है कि यह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और अवामी लीग के बीच होगी। तब शेख हसीना वापस आएंगी ।"

शेख हसीना, जिन्होंने 15 वर्षों तक बांग्लादेश की प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था, ने कई हफ्तों के तीव्र विरोध प्रदर्शन के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया, शुरुआत में नौकरी कोटा योजना का विरोध हुआ लेकिन जो जल्द ही उन्हें पद से हटाने की मांग में बदल गया। वह भारत में राष्ट्रीय राजधानी के करीब गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरीं।

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि अपनी भविष्य की योजनाओं के संबंध में "चीजों को आगे ले जाना" शेख हसीना पर निर्भर है, साथ ही कहा कि इस मामले पर उसके पास कोई अपडेट नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, ''उनकी योजनाओं के बारे में बात करना उचित नहीं है। '

भारत ने ढाका से किया संपर्क, सेना को शांति और सामान्य स्थिति स्थापित करने के दिए संदेश

#bangladesh_violence

EAF S.Jaishankar and Bangladesh army chief

भारत ने सेना प्रमुख जनरल वेकर-उस-ज़मान के नेतृत्व में बांग्लादेश के सैन्य नेतृत्व से संपर्क किया है और संघर्ष प्रभावित देश में शांति, कानून ,व्यवस्था और सामान्य स्थिति को शीघ्र पुर्नस्थापित करने के लिए कहा है। शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार ने पहले ही सेना प्रमुख से संपर्क किया और सोमवार को शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद देश में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए हर संभव समर्थन दिया है।

सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब विपक्ष ने पूछा कि क्या हसीना को सत्ता से हटाने में पाकिस्तान की कोई भूमिका है, तो उन्होंने पाकिस्तानी राजनयिकों के सोशल मीडिया अकाउंट पर बांग्लादेश विपक्ष की प्रदर्शित तस्वीरों की ओर इशारा किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के हस्तक्षेप की भूमिका की अभी भी जांच की जा रही है।

शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद, नरेंद्र मोदी सरकार ने बांग्लादेश में तख्तापलट के परिणामों का आकलन किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है कि प्रदर्शनकारी युवाओं के साथ बातचीत के माध्यम से ढाका में सामान्य स्थिति बहाल हो। संयोग से, शेख हसीना ने अपने भारतीय वार्ताकारों को पहले ही संकेत दे दिया था कि वह जनवरी 2024 का आम चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं और अपने समर्थकों के समझाने के बाद ही वह अनिच्छा से चुनावी मैदान में उतरीं।

यह अच्छी तरह से जानते हुए कि उन्हें इस्लामवादियों के साथ-साथ पश्चिम के शासन परिवर्तन एजेंटों से खतरा था, हसीना नहीं चाहती थी कि उनके परिवार में कोई भी उनका उत्तराधिकारी बने क्योंकि वह जानती थी कि वे उनके विरोधियों द्वारा मारे जाएंगे। इस तरह, हसीना इस्लामवादियों के खिलाफ एक मजबूत दीवार थी जो सोमवार को प्रदर्शनकारियों की साजिश के कारण गिर गई। जबकि हसीना को अभी भी ढाका से अपने चौंकाने वाले प्रस्थान से उबरना बाकी है, मोदी सरकार पड़ोस में भारत के दोस्तों को निराश नहीं करेगी और तीसरे देश में राजनीतिक शरण का निर्णय अपदस्थ प्रधान मंत्री पर छोड़ देगी।

भले ही सेना और उत्साही कट्टरपंथी शेख हसीना के जाने का जश्न मना रहे हों, बांग्लादेश खुद पाकिस्तान, मालदीव और श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट के कगार पर है और उसे जीवित रहने के लिए पश्चिमी समर्थित वित्तीय संस्थानों के समर्थन की आवश्यकता होगी। बेरोजगारी की दर को देखते हुए, जमात ए इस्लामी से जुड़े कट्टरपंथी छात्र सेना के खिलाफ हो सकते हैं यदि पेश किया गया समाधान उनकी पसंद के अनुरूप नहीं हुआ ।

शेख हसीना के जाने से भारत एक चट्टान और कठिन स्थिति के बीच रह गया है क्योंकि एक कट्टरपंथी शासन पूर्वी मोर्चे से खतरा पैदा करेगा और नई दिल्ली अब तेजी से अस्थिर पड़ोस का सामना कर रही है। जहां मोदी सरकार बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को स्थिर करने के लिए अपना समर्थन देगी, वहीं पश्चिम में शेख हसीना विरोधी अपना भारत विरोधी खेल शुरू कर देंगे। भूटान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश इस समय राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहे हैं और भविष्य में स्थिति और भी खराब होने की आशंका है। भारत के पास एकमात्र विकल्प भीतर के पांचवें स्तंभकारों से निपटने के अलावा बेहतर सुरक्षा और उन्नत खुफिया जानकारी के माध्यम से सीमा पार चुनौतियों से खुद को बचाना है।

पीओके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान, बोले-सभी दल भी गुलाम कश्मीर की वापसी के लिए प्रतिबद्ध

#foreignministersjaishankarstatementregardingpakistanoccupiedkashmir

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है और भारत में वापस आए। उन्होंने कहा है कि संसद में एक प्रस्ताव है, जिसमें देश का हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके, जो कि भारत का हिस्सा है, वो भारत में वापस आ जाए।इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि लोगों ने धारा 370 को लेकर भी अलग-अलग धारणाएं बना रखी थीं, लेकिन हमने उसे भी खत्म किया।

दिल्ली विश्‍वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में बोलते हुए बुधवार एस जयशंकर ने 'विश्‍व बंधु भारत' विषय पर चर्चा के दौरान अपने विचार रखें। इस दौरान विदेश मंत्री ने 370 का जिक्र किया और कहा कि वर्षों से जो सवाल था उसका जवाब भी मिल गया। उन्होंने बताया कि कैसे केंद्र की मोदी सरकार ने 370 को खत्म कर दिया जबकि इसको लेकर लोगों ने अलग-अलग धारणाएं बना रखी थीं।लोगों ने यह मान लिया था कि 370 (अनुच्छेद) को नहीं बदला जा सकता है। हालांकि जब हमने इसे हटा दिया तो लोगों को इसे स्वीकार करना होगा।जब हमने 370 को खत्म कर दिया, तो अब लोग समझते हैं कि पीओके भी महत्वपूर्ण है।

जयशंकर ने कहा कि आज देशवासियों के मन में गुलाम कश्मीर का मुद्दा भी आ गया है। यदि आपके विचारों में आ गया है तो बाकी चीजें निश्चित रूप से किसी न किसी बिंदु पर पूरी होंगी। इसी तरह से पीओके के बारे में मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि संसद में एक प्रस्ताव है और देश की हर राजनीतिक पार्टी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके जो भारत का हिस्सा है, वो भारत को वापस मिल जाए।

राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं ये बात

अभी हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में एस जयशंकर ने कहा था कि पीओके इस देश का हिस्सा है, उस हिस्से पर हम किसी और का नियंत्रण स्वीकार नहीं कर सकते हैं। जयशंकर के वाले बयान को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दोहराया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत पीओके पर अपना दावा कभी नहीं छोडेगा। उन्होंने आगे कहा था कि आज कश्मीर की तरक्की देखकर पीओके के लोग खुद को भारत का हिस्सा मानते है। ये दिखाता है कि पीओके पर हमारी सोच कहा तक है। भारत को इसके लिए कुछ करने की जरूरत नहीं पडेगी। जिस तरह कश्मीर में हालात बदल रहे हैं और आर्थिक प्रगति हो रही है, वहां जैसी शांति लौटी है, मुझे यकीन है कि एक दिन पीओके से भी भारत में विलय की मांग उठेगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि पीओके में हमें किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं करना पडे़गा। वहां के लोग खुद भारत में विलय करेंगे।

क्या है पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर?

दरअसल, साल 1947 में भारत जब आजाद हुआ और भारत-पाकिस्तान के रूप में इसके दो हिस्से हुए। तब जम्मू-कश्मीर का अस्तित्व एक स्वतंत्र रियासत के तौर पर था। हालांकि, 1947 में पाकिस्तान ने अपने सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों पर जबरन कब्जा कर लिया। यह कब्जा अभी तक कायम है। इसे भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहता है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र और अन्य इंटरनेशनल संगठन इसे पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर या पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के रूप में जानते हैं।

*एस जयशंकर ने UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर दिया बड़ा बयान, जानें दावेदारी कितनी मजबूत

#indiawilldefinitelygetpermanentseatofunscsaidsjaishankar

लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थायी सीट देने की बात होती रही है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। इस बीच गुजरात के दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत को यूएनएसीसी की स्थायी सदस्यता मिलेगी। यह जरूरी है इसके लिए अधिक प्रयास करने के जरूरत है।पूरी दुनिया का रुख इस वक्त भारत के पक्ष में है। जयशंकर ने ये बातें राजकोट में प्रबुद्धजन सम्मेलन के दौरान कहीं।

पांचों स्थायी सदस्य बाकियों को कमतर समझते हैं-एस जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का गठन लगभग 80 साल पहले हुआ था।विदेश मंत्री ने कहा कि अभी रूस, चीन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र के गठन के दौरान इन पांच देशों ने आपस में इसकी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का फैसला किया था। आज UN में 193 देश हैं, लेकिन पांचों स्थायी सदस्य बाकियों को कमतर समझते हैं।

पांच देशों ने ही सारा कंट्रोल अपने पास रखा है-एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि इन पांच देशों ने ही सारा कंट्रोल अपने पास रखा है। आश्चर्य ये है कि आपको इनसे ही किसी बदलाव के लिए पूछना पड़ता है। कुछ सहमत होते है, कुछ ईमानदारी से अपना पक्ष बता देते हैं, जबकि कुछ पर्दे के पीछे से खेलते हैं।

दुनियाभर के देश चाहते हैं भारत को मिले स्थायी सीट-एस जयशंकर

जयशंकर ने आगे कहा कि अब दुनिया भर में यह भावना है कि इसे बदलना चाहिए और भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए। मैं देख रहा हूं कि यह भावना हर साल बढ़ती जा रही है। हमें मेहनत करनी पड़ेगी और इस बार तो और भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। एस जयशंकर ने जानकारी दी है कि भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र ने संयुक्त राष्ट्र के सामने मिलकर एक प्रस्ताव रखा है। इससे मामले थोड़ा आगे बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, जयशंकर ने ये भी कहा कि हमें दबाव बनाना चाहिए और जब यह दबाव बढ़ता है तो दुनिया में यह भावना पैदा होती है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में कोई आम सहमति नहीं बन पाई। जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना भी बढ़ेगी।

क्या है UNSC

UNSC का पूरा नाम है यूनाटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल। यह यूनाटेड नेशन के 6 प्रमुख अंगों से एक है। विश्व शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करते के मकसद से इसकी स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। यह एक वैश्विक मंच है जहां विवादों को निपटाने पर चर्चा होती है। सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्य शामिल होते हैं। इनमें से 5 स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और यूके स्थायी सदस्य हैं। भारत फिलहाल अस्थायी सदस्य है। अस्थायी सदस्य जनरल असेंबली द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।

कितने अहम होते हैं स्थायी सदस्य?

सुरक्षा परिषद में जब भी किसी मसले पर फैसला लेना होता है, तो उसके लिए 15 में से 9 सदस्यों के वोट की जरूरत होती है। वोटिंग में स्थायी सदस्यों काफी अहम होते हैं। अगर कोई भी एक स्थायी सदस्य फैसले से सहमत नहीं होता है, तो वो पूरा रिज़ॉल्यूशन या निर्णय खारिज हो जाता है। स्थायी देशों की इस शक्ति को वीटो पावर कहा जाता है। सभी स्थायी देशों ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए कभी न कभी वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। अगर भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बन जाता है तो उसका वैश्विक कद और बढ़ जाएगा। वीटो पावर से न सिर्फ वो अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर पाएगा बल्कि ऐसे मुद्दों को भी सुरक्षा परिषद में बेहतर तरीके से उठा पाएगा जो उसके लिए विशेष महत्व रखते हैं।

मालदीव के साथ बढ़ते विवाद पर विदेश मंत्री जयशंकर ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

#sjaishankarbreakssilenceonindiamaldives_row

भारत और मालदीव के बीच तनाव जारी है।मालदीव की मोहम्मद मुइज़्ज़ू सरकार ने भारतीय सैनिकों से 15 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहा है।मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दोनों देश भारतीय सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर तैयार हो गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भारतीय सेना की वापसी को लेकर दी डेडलाइन का ज़िक्र नहीं किया गया है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है।उन्होंने तनाव पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती कि हर देश हर समय भारत का समर्थन करेगा या उससे सहमत होगा।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नागपुर में एक बैठक के दौरान विदेश मंत्री से मालदीव संग चल रहे तनाव को लेकर सवाल किया गया। इस पर जयशंकर ने कहा, राजनीति तो राजनीति ही है। मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि हर देश में, हर दिन, हर कोई हमारा समर्थन करेगा या हमसे सहमत होगा। उन्होंने कहा, 'हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वो है- एक मजबूत संबंध बनाना।

राजनीति में उतार-चढ़ाव चलता रहता है -जयशंकर

एस जयशंकर ने आगे कहा, हमने पिछले 10 वर्षों में बहुत सफलता के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश की है। जयशंकर ने कहा, राजनीति में उतार-चढ़ाव चलते रहता है, लेकिन उस देश के लोगों में आम तौर पर भारत के प्रति अच्छी भावनाएं हैं और वे अच्छे संबंधों के महत्व को समझते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत वहां सड़कों, बिजली पारेषण लाइन, ईंधन की आपूर्ति, व्यापार पहुंच प्रदान करने, निवेश में शामिल रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि ये इस बात को दिखाता है कि कोई रिश्ता कैसे विकसित होता है, हालांकि कभी-कभी चीजें सही रास्ते पर नहीं चलती हैं और इसे वापस वहां लाने के लिए लोगों को समझाना पड़ता है जहां इसे होना चाहिए।

यह है विवाद

भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद उस समय पैदा हुआ जब मालदीव के तीन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हुए उनकी हालिया लक्षद्वीप यात्रा की आलोचना की। भारत ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की और विरोध दर्ज कराने के लिए मालदीव के राजदूत को तलब किया। देश के पीएम के बारे में गलत टिप्पणी से भारतीय लोगों में गुस्सा भड़क गया। लोगों ने बॉयकॉट मालदीव नाम से एक अभियान शुरू कर दिया। बढ़ते विवाद को देखते हुए मालदीव सरकार ने अपनी तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई, आईबी अलर्ट के बाद मिली Z कैटेगरी सिक्‍योरिटी

#foreignministersjaishankargivenzcategory_security

विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी है और अब इस तरह विदेश मंत्री एस जयशंकर को वाई की जगह अब जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिलेगी। बताया जा रहा है कि आईबी की थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने विदेश मंत्री जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई है।

सवाल ये है कि आखिर विदेश मंत्री की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला क्‍यों लिया गया? दरअसल, गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर की जान को खतरा बढ़ा है। इंटेलिजेंस ब्‍यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के बाद जयशंकर की सिक्‍योरिटी बढ़ाने का फैसला किया गया है। जयशंकर मोदी कैबिनेट के सबसे मुखर मंत्रियों में शुमार हैं। उन्‍हें अपनी बात को बेहद खरे तरीके से रखने के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता आई है।

Y से Z कैटेगरी में क्या अंतर है?

अब तक जयशंकर को Y श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी। इस तरह की सिक्‍योरिटी में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलता है। इसमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। जयशंकर की सिक्‍योरिटी Y से Z में अपग्रेड होने का मतलब यह है कि अब उन्‍हें 22 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलेगा। ये सुरक्षाकर्मी 24 घंटे उनकी सिक्‍योरिटी में तैनात होंगे। इनमें 4 से 6 एनएसजी कमांडो के साथ दिल्‍ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होंगे।

क‍ितनी तरह की होती है स‍िक्‍योर‍िटी?

बता दें कि केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिए पांच कैटेगरी बना रखी है. इसमें X, Y, Y+, Z और Z+ शामिल है।खतरे के हिसाब से व्यक्ति को सुरक्षा दी जाती है। कैटेगरी बढ़ने के साथ-साथ खर्चा भी बढ़ता जाता है।हर कैटेगरी के बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है। X कैटेगरी में दो सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें कोई कमांडो नहीं होता है। एक पर्सनल सिक्‍योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) भी होता है। Y में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर होता है। इनमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। Y+ में 11 सिक्‍योरिटी पर्सन के अलावा एस्‍कॉर्ट वाहन होता है। एक गार्ड कमांडर और चार गार्ड आवास पर रहते हैं। Z श्रेणी में 22 सुरक्षाकर्मी रहते हैं। इनमें 4-6 कमांडो शामिल होते हैं। इसके अलावा दिल्‍ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होते हैं। Z+ श्रेणी में 58 सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें 10 से अधिक एनएसजी कमांडो होते हैं। सिक्‍योरिटी में एक बुलेटप्रूफ कार और 2 एस्‍कॉर्ट वाहन भी मिलते हैं। प्रधानमंत्री को इन सबसे अलग एसपीजी सुरक्षा मिलती है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*
#jaishankar_visiting_srilanka
बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है। जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’ श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।" विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा। दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है। भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है। लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे। दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*

#jaishankar_visiting_srilanka

बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है।

जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’

श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।"

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा।

दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है।

भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है।

लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे।

दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

#sjaishankaronamericanpoliticalleadersmakingcommentsin_india

भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं...'यूएस में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

#sjaishankaronborderdisputetalkswith_china

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर बयान दिया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर सफाई दी है। जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

'समझौते का उल्लंघन किया'

न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन साथ एलएसी पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

'अगला कदम तनाव कम करना'

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

'भारत-चीन संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर न केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों का ‘‘समानांतर विकास’’ आज की वैश्विक राजनीति में ‘‘बहुत अनोखी समस्या’’ पेश करता है।

'भारत-चीन का समानांतर विकास अनोखी समस्या'

जयशंकर ने कहा कि आपके पास दो ऐसे देश हैं जो आपस में पड़ोसी हैं, वे इस दृष्टि से अनोखे भी हैं कि वे ही एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भी हैं, दोनों वैश्विक व्यवस्था में उभर रहे हैं और उनकी सीमा अक्सर अस्पष्ट हैं तथा साथ ही उनकी एक साझा सीमा भी है। इसलिए यह बहुत जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति में देखें तो भारत और चीन का समानांतर विकास बहुत, बहुत अनोखी समस्या है।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है। जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।

शेख हसीना के अगले कदम की चर्चा के बीच ब्रिटेन के विदेश सचिव ने जयशंकर को किया फोन

#seikhhaseenaukayslumdavidlammycalls_jaishankar

EAM S. Jaishankar meets UK Foreign Secretary David Lammy, in New Delhi. (ANI/File)

विदेश मंत्री एस जयशंकर और ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने गुरुवार को बांग्लादेश में उभरते हालात को लेकर चर्चा की। जिसका उल्लेख जयशंकर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में किया था, साथ ही उन्होंने पश्चिम एशिया के विकास पर भी चर्चा की।

जयशंकर ने लिखा, आज ब्रिटेन के विदेश सचिव का फ़ोन आया। बांग्लादेश और पश्चिम एशिया की स्थिति पर चर्चा की।" यह चर्चा बांग्लादेश की पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना को लेकर अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में हुई, जो अपने गृह देश में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच हाल ही में अपने इस्तीफे के बाद भारत में हैं।

प्रारंभ में, यह बताया गया था कि वह यूके में शरण मांग सकती है, लेकिन यूके द्वारा उन्हें शरण देने की अनिच्छा के कारण ये योजनाएँ रुक गई हैं। ब्रिटिश आव्रजन कानून के तहत, देश के बाहर से शरण के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता है और प्रत्येक मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच की जाती है। ब्रिटेन में जरूरतमंद लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का इतिहास रहा है, लेकिन किसी को केवल शरण लेने के लिए ब्रिटेन की यात्रा करने की अनुमति देने के लिए कोई प्रावधान मौजूद नहीं है, पीटीआई। 

शेख़ हसीना के बेटे ने ब्रिटेन की शरण योजना से इनकार किया

हालांकि, हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय, जो अपनी मां के सलाहकार के रूप में काम करते हैं, ने पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा ब्रिटेन या किसी अन्य देश में शरण मांगने की खबरों को "अफवाह" करार दिया और कहा कि उनका अमेरिकी वीजा रद्द किए जाने की खबरें भी झूठी हैं। "इस तरह की कोई भी योजना नहीं बनाई गई है । देर-सबेर, बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली होगी और उम्मीद है कि यह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और अवामी लीग के बीच होगी। तब शेख हसीना वापस आएंगी ।"

शेख हसीना, जिन्होंने 15 वर्षों तक बांग्लादेश की प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था, ने कई हफ्तों के तीव्र विरोध प्रदर्शन के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया, शुरुआत में नौकरी कोटा योजना का विरोध हुआ लेकिन जो जल्द ही उन्हें पद से हटाने की मांग में बदल गया। वह भारत में राष्ट्रीय राजधानी के करीब गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरीं।

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि अपनी भविष्य की योजनाओं के संबंध में "चीजों को आगे ले जाना" शेख हसीना पर निर्भर है, साथ ही कहा कि इस मामले पर उसके पास कोई अपडेट नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, ''उनकी योजनाओं के बारे में बात करना उचित नहीं है। '

भारत ने ढाका से किया संपर्क, सेना को शांति और सामान्य स्थिति स्थापित करने के दिए संदेश

#bangladesh_violence

EAF S.Jaishankar and Bangladesh army chief

भारत ने सेना प्रमुख जनरल वेकर-उस-ज़मान के नेतृत्व में बांग्लादेश के सैन्य नेतृत्व से संपर्क किया है और संघर्ष प्रभावित देश में शांति, कानून ,व्यवस्था और सामान्य स्थिति को शीघ्र पुर्नस्थापित करने के लिए कहा है। शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार ने पहले ही सेना प्रमुख से संपर्क किया और सोमवार को शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद देश में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए हर संभव समर्थन दिया है।

सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब विपक्ष ने पूछा कि क्या हसीना को सत्ता से हटाने में पाकिस्तान की कोई भूमिका है, तो उन्होंने पाकिस्तानी राजनयिकों के सोशल मीडिया अकाउंट पर बांग्लादेश विपक्ष की प्रदर्शित तस्वीरों की ओर इशारा किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के हस्तक्षेप की भूमिका की अभी भी जांच की जा रही है।

शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद, नरेंद्र मोदी सरकार ने बांग्लादेश में तख्तापलट के परिणामों का आकलन किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है कि प्रदर्शनकारी युवाओं के साथ बातचीत के माध्यम से ढाका में सामान्य स्थिति बहाल हो। संयोग से, शेख हसीना ने अपने भारतीय वार्ताकारों को पहले ही संकेत दे दिया था कि वह जनवरी 2024 का आम चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं और अपने समर्थकों के समझाने के बाद ही वह अनिच्छा से चुनावी मैदान में उतरीं।

यह अच्छी तरह से जानते हुए कि उन्हें इस्लामवादियों के साथ-साथ पश्चिम के शासन परिवर्तन एजेंटों से खतरा था, हसीना नहीं चाहती थी कि उनके परिवार में कोई भी उनका उत्तराधिकारी बने क्योंकि वह जानती थी कि वे उनके विरोधियों द्वारा मारे जाएंगे। इस तरह, हसीना इस्लामवादियों के खिलाफ एक मजबूत दीवार थी जो सोमवार को प्रदर्शनकारियों की साजिश के कारण गिर गई। जबकि हसीना को अभी भी ढाका से अपने चौंकाने वाले प्रस्थान से उबरना बाकी है, मोदी सरकार पड़ोस में भारत के दोस्तों को निराश नहीं करेगी और तीसरे देश में राजनीतिक शरण का निर्णय अपदस्थ प्रधान मंत्री पर छोड़ देगी।

भले ही सेना और उत्साही कट्टरपंथी शेख हसीना के जाने का जश्न मना रहे हों, बांग्लादेश खुद पाकिस्तान, मालदीव और श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट के कगार पर है और उसे जीवित रहने के लिए पश्चिमी समर्थित वित्तीय संस्थानों के समर्थन की आवश्यकता होगी। बेरोजगारी की दर को देखते हुए, जमात ए इस्लामी से जुड़े कट्टरपंथी छात्र सेना के खिलाफ हो सकते हैं यदि पेश किया गया समाधान उनकी पसंद के अनुरूप नहीं हुआ ।

शेख हसीना के जाने से भारत एक चट्टान और कठिन स्थिति के बीच रह गया है क्योंकि एक कट्टरपंथी शासन पूर्वी मोर्चे से खतरा पैदा करेगा और नई दिल्ली अब तेजी से अस्थिर पड़ोस का सामना कर रही है। जहां मोदी सरकार बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को स्थिर करने के लिए अपना समर्थन देगी, वहीं पश्चिम में शेख हसीना विरोधी अपना भारत विरोधी खेल शुरू कर देंगे। भूटान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश इस समय राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहे हैं और भविष्य में स्थिति और भी खराब होने की आशंका है। भारत के पास एकमात्र विकल्प भीतर के पांचवें स्तंभकारों से निपटने के अलावा बेहतर सुरक्षा और उन्नत खुफिया जानकारी के माध्यम से सीमा पार चुनौतियों से खुद को बचाना है।

पीओके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान, बोले-सभी दल भी गुलाम कश्मीर की वापसी के लिए प्रतिबद्ध

#foreignministersjaishankarstatementregardingpakistanoccupiedkashmir

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है और भारत में वापस आए। उन्होंने कहा है कि संसद में एक प्रस्ताव है, जिसमें देश का हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके, जो कि भारत का हिस्सा है, वो भारत में वापस आ जाए।इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि लोगों ने धारा 370 को लेकर भी अलग-अलग धारणाएं बना रखी थीं, लेकिन हमने उसे भी खत्म किया।

दिल्ली विश्‍वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में बोलते हुए बुधवार एस जयशंकर ने 'विश्‍व बंधु भारत' विषय पर चर्चा के दौरान अपने विचार रखें। इस दौरान विदेश मंत्री ने 370 का जिक्र किया और कहा कि वर्षों से जो सवाल था उसका जवाब भी मिल गया। उन्होंने बताया कि कैसे केंद्र की मोदी सरकार ने 370 को खत्म कर दिया जबकि इसको लेकर लोगों ने अलग-अलग धारणाएं बना रखी थीं।लोगों ने यह मान लिया था कि 370 (अनुच्छेद) को नहीं बदला जा सकता है। हालांकि जब हमने इसे हटा दिया तो लोगों को इसे स्वीकार करना होगा।जब हमने 370 को खत्म कर दिया, तो अब लोग समझते हैं कि पीओके भी महत्वपूर्ण है।

जयशंकर ने कहा कि आज देशवासियों के मन में गुलाम कश्मीर का मुद्दा भी आ गया है। यदि आपके विचारों में आ गया है तो बाकी चीजें निश्चित रूप से किसी न किसी बिंदु पर पूरी होंगी। इसी तरह से पीओके के बारे में मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि संसद में एक प्रस्ताव है और देश की हर राजनीतिक पार्टी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके जो भारत का हिस्सा है, वो भारत को वापस मिल जाए।

राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं ये बात

अभी हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में एस जयशंकर ने कहा था कि पीओके इस देश का हिस्सा है, उस हिस्से पर हम किसी और का नियंत्रण स्वीकार नहीं कर सकते हैं। जयशंकर के वाले बयान को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दोहराया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत पीओके पर अपना दावा कभी नहीं छोडेगा। उन्होंने आगे कहा था कि आज कश्मीर की तरक्की देखकर पीओके के लोग खुद को भारत का हिस्सा मानते है। ये दिखाता है कि पीओके पर हमारी सोच कहा तक है। भारत को इसके लिए कुछ करने की जरूरत नहीं पडेगी। जिस तरह कश्मीर में हालात बदल रहे हैं और आर्थिक प्रगति हो रही है, वहां जैसी शांति लौटी है, मुझे यकीन है कि एक दिन पीओके से भी भारत में विलय की मांग उठेगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि पीओके में हमें किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं करना पडे़गा। वहां के लोग खुद भारत में विलय करेंगे।

क्या है पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर?

दरअसल, साल 1947 में भारत जब आजाद हुआ और भारत-पाकिस्तान के रूप में इसके दो हिस्से हुए। तब जम्मू-कश्मीर का अस्तित्व एक स्वतंत्र रियासत के तौर पर था। हालांकि, 1947 में पाकिस्तान ने अपने सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों पर जबरन कब्जा कर लिया। यह कब्जा अभी तक कायम है। इसे भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहता है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र और अन्य इंटरनेशनल संगठन इसे पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर या पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के रूप में जानते हैं।

*एस जयशंकर ने UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर दिया बड़ा बयान, जानें दावेदारी कितनी मजबूत

#indiawilldefinitelygetpermanentseatofunscsaidsjaishankar

लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थायी सीट देने की बात होती रही है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। इस बीच गुजरात के दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत को यूएनएसीसी की स्थायी सदस्यता मिलेगी। यह जरूरी है इसके लिए अधिक प्रयास करने के जरूरत है।पूरी दुनिया का रुख इस वक्त भारत के पक्ष में है। जयशंकर ने ये बातें राजकोट में प्रबुद्धजन सम्मेलन के दौरान कहीं।

पांचों स्थायी सदस्य बाकियों को कमतर समझते हैं-एस जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का गठन लगभग 80 साल पहले हुआ था।विदेश मंत्री ने कहा कि अभी रूस, चीन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र के गठन के दौरान इन पांच देशों ने आपस में इसकी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का फैसला किया था। आज UN में 193 देश हैं, लेकिन पांचों स्थायी सदस्य बाकियों को कमतर समझते हैं।

पांच देशों ने ही सारा कंट्रोल अपने पास रखा है-एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि इन पांच देशों ने ही सारा कंट्रोल अपने पास रखा है। आश्चर्य ये है कि आपको इनसे ही किसी बदलाव के लिए पूछना पड़ता है। कुछ सहमत होते है, कुछ ईमानदारी से अपना पक्ष बता देते हैं, जबकि कुछ पर्दे के पीछे से खेलते हैं।

दुनियाभर के देश चाहते हैं भारत को मिले स्थायी सीट-एस जयशंकर

जयशंकर ने आगे कहा कि अब दुनिया भर में यह भावना है कि इसे बदलना चाहिए और भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए। मैं देख रहा हूं कि यह भावना हर साल बढ़ती जा रही है। हमें मेहनत करनी पड़ेगी और इस बार तो और भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। एस जयशंकर ने जानकारी दी है कि भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र ने संयुक्त राष्ट्र के सामने मिलकर एक प्रस्ताव रखा है। इससे मामले थोड़ा आगे बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, जयशंकर ने ये भी कहा कि हमें दबाव बनाना चाहिए और जब यह दबाव बढ़ता है तो दुनिया में यह भावना पैदा होती है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में कोई आम सहमति नहीं बन पाई। जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना भी बढ़ेगी।

क्या है UNSC

UNSC का पूरा नाम है यूनाटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल। यह यूनाटेड नेशन के 6 प्रमुख अंगों से एक है। विश्व शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करते के मकसद से इसकी स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। यह एक वैश्विक मंच है जहां विवादों को निपटाने पर चर्चा होती है। सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्य शामिल होते हैं। इनमें से 5 स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और यूके स्थायी सदस्य हैं। भारत फिलहाल अस्थायी सदस्य है। अस्थायी सदस्य जनरल असेंबली द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।

कितने अहम होते हैं स्थायी सदस्य?

सुरक्षा परिषद में जब भी किसी मसले पर फैसला लेना होता है, तो उसके लिए 15 में से 9 सदस्यों के वोट की जरूरत होती है। वोटिंग में स्थायी सदस्यों काफी अहम होते हैं। अगर कोई भी एक स्थायी सदस्य फैसले से सहमत नहीं होता है, तो वो पूरा रिज़ॉल्यूशन या निर्णय खारिज हो जाता है। स्थायी देशों की इस शक्ति को वीटो पावर कहा जाता है। सभी स्थायी देशों ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए कभी न कभी वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। अगर भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बन जाता है तो उसका वैश्विक कद और बढ़ जाएगा। वीटो पावर से न सिर्फ वो अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर पाएगा बल्कि ऐसे मुद्दों को भी सुरक्षा परिषद में बेहतर तरीके से उठा पाएगा जो उसके लिए विशेष महत्व रखते हैं।

मालदीव के साथ बढ़ते विवाद पर विदेश मंत्री जयशंकर ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

#sjaishankarbreakssilenceonindiamaldives_row

भारत और मालदीव के बीच तनाव जारी है।मालदीव की मोहम्मद मुइज़्ज़ू सरकार ने भारतीय सैनिकों से 15 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहा है।मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दोनों देश भारतीय सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर तैयार हो गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भारतीय सेना की वापसी को लेकर दी डेडलाइन का ज़िक्र नहीं किया गया है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है।उन्होंने तनाव पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती कि हर देश हर समय भारत का समर्थन करेगा या उससे सहमत होगा।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नागपुर में एक बैठक के दौरान विदेश मंत्री से मालदीव संग चल रहे तनाव को लेकर सवाल किया गया। इस पर जयशंकर ने कहा, राजनीति तो राजनीति ही है। मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि हर देश में, हर दिन, हर कोई हमारा समर्थन करेगा या हमसे सहमत होगा। उन्होंने कहा, 'हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वो है- एक मजबूत संबंध बनाना।

राजनीति में उतार-चढ़ाव चलता रहता है -जयशंकर

एस जयशंकर ने आगे कहा, हमने पिछले 10 वर्षों में बहुत सफलता के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश की है। जयशंकर ने कहा, राजनीति में उतार-चढ़ाव चलते रहता है, लेकिन उस देश के लोगों में आम तौर पर भारत के प्रति अच्छी भावनाएं हैं और वे अच्छे संबंधों के महत्व को समझते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत वहां सड़कों, बिजली पारेषण लाइन, ईंधन की आपूर्ति, व्यापार पहुंच प्रदान करने, निवेश में शामिल रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि ये इस बात को दिखाता है कि कोई रिश्ता कैसे विकसित होता है, हालांकि कभी-कभी चीजें सही रास्ते पर नहीं चलती हैं और इसे वापस वहां लाने के लिए लोगों को समझाना पड़ता है जहां इसे होना चाहिए।

यह है विवाद

भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद उस समय पैदा हुआ जब मालदीव के तीन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हुए उनकी हालिया लक्षद्वीप यात्रा की आलोचना की। भारत ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की और विरोध दर्ज कराने के लिए मालदीव के राजदूत को तलब किया। देश के पीएम के बारे में गलत टिप्पणी से भारतीय लोगों में गुस्सा भड़क गया। लोगों ने बॉयकॉट मालदीव नाम से एक अभियान शुरू कर दिया। बढ़ते विवाद को देखते हुए मालदीव सरकार ने अपनी तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई, आईबी अलर्ट के बाद मिली Z कैटेगरी सिक्‍योरिटी

#foreignministersjaishankargivenzcategory_security

विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी है और अब इस तरह विदेश मंत्री एस जयशंकर को वाई की जगह अब जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिलेगी। बताया जा रहा है कि आईबी की थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने विदेश मंत्री जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई है।

सवाल ये है कि आखिर विदेश मंत्री की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला क्‍यों लिया गया? दरअसल, गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर की जान को खतरा बढ़ा है। इंटेलिजेंस ब्‍यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के बाद जयशंकर की सिक्‍योरिटी बढ़ाने का फैसला किया गया है। जयशंकर मोदी कैबिनेट के सबसे मुखर मंत्रियों में शुमार हैं। उन्‍हें अपनी बात को बेहद खरे तरीके से रखने के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता आई है।

Y से Z कैटेगरी में क्या अंतर है?

अब तक जयशंकर को Y श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी। इस तरह की सिक्‍योरिटी में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलता है। इसमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। जयशंकर की सिक्‍योरिटी Y से Z में अपग्रेड होने का मतलब यह है कि अब उन्‍हें 22 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलेगा। ये सुरक्षाकर्मी 24 घंटे उनकी सिक्‍योरिटी में तैनात होंगे। इनमें 4 से 6 एनएसजी कमांडो के साथ दिल्‍ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होंगे।

क‍ितनी तरह की होती है स‍िक्‍योर‍िटी?

बता दें कि केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिए पांच कैटेगरी बना रखी है. इसमें X, Y, Y+, Z और Z+ शामिल है।खतरे के हिसाब से व्यक्ति को सुरक्षा दी जाती है। कैटेगरी बढ़ने के साथ-साथ खर्चा भी बढ़ता जाता है।हर कैटेगरी के बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है। X कैटेगरी में दो सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें कोई कमांडो नहीं होता है। एक पर्सनल सिक्‍योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) भी होता है। Y में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर होता है। इनमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। Y+ में 11 सिक्‍योरिटी पर्सन के अलावा एस्‍कॉर्ट वाहन होता है। एक गार्ड कमांडर और चार गार्ड आवास पर रहते हैं। Z श्रेणी में 22 सुरक्षाकर्मी रहते हैं। इनमें 4-6 कमांडो शामिल होते हैं। इसके अलावा दिल्‍ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होते हैं। Z+ श्रेणी में 58 सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें 10 से अधिक एनएसजी कमांडो होते हैं। सिक्‍योरिटी में एक बुलेटप्रूफ कार और 2 एस्‍कॉर्ट वाहन भी मिलते हैं। प्रधानमंत्री को इन सबसे अलग एसपीजी सुरक्षा मिलती है।