विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*
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बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है।
जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’
श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।"
विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा।
दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है।
भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है।
लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे।
दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।
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