पंचायत भवनों पर लटकते ताले, गांवों में नहीं होती खुली बैठकें
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खजनी गोरखपुर।प्रदेश शासन पंचायती राज विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च करके गांवों में पंचायत भवनों (ग्राम सचिवालयों) का निर्माण कराया गया है। किंतु कुछ गांवों को छोड़ कर सभी गांवों के पंचायत भवनों में हमेशा ताले लटकते रहते हैं, जो कि कभी खुलते ही नहीं।
शासन की मंशा के अनुसार पंचायत भवनों में पंचायत सचिव, पंचायत सहायक, पंचायत मित्र और ग्रामसभा सदस्यों की उपस्थिति कभी नहीं होती है।
अभी बीते वर्षों लाखों रूपए की लागत से गांवों बनकर तैयार हुए ऐ सुसज्जित पंचायत भवन रखरखाव के अभाव में टूट फूट कर गंदे और खराब हो रहे हैं, या उपेक्षित पड़े हुए हैं।गांवों उनौला, बसियाखोर, खुटभार, उसवां बाबू, कठैचा बिंदन, धुवहां, देवडारतुला, मदनपुरा , सतुआभार, रामपुर पांडेय, बेलडांड़, घईसरा, कटघर, रूद्रपुर आदि दर्जनों गांवों के निवासी विश्वनाथ, मुन्नर, कलावती, रमाशंकर, शिवचरन, बुझावन, दीपक, महेश, बाबूलाल, वंदना, पंचम आदि बताते हैं कि पंचायत भवन में कोई नहीं रहता, हमेशा बंद रहता है और ताला लगा रहता है प्रधान या उनके चहेते ही कभी कभार यहां आते जाते हैं।
इसके साथ ही शासन की मंशा के अनुरूप इन गांवों में कभी खुली बैठकें भी नहीं होतीं तथा ग्रामवासियों की राय से उनकी जरूरतों के मुताबिक गांव के किसी भी विकास कार्य से संबंधित योजनाएं भी नहीं बनाई जाती हैं।
गांवों के सभी काम ग्रामप्रधान और सचिव अपनी मर्जी से ही पूरी कराते हैं। लोगों ने बताया कि ब्लॉक क्षेत्र के दर्जनों गांवों में जिन रास्तों से कभी कोई आता जाता नहीं उसे तो बना दिया गया है, उन पर घांस उग रही हैं और मार्ग क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। वहीं जिन रास्तों से होकर लोग हमेशा आते जाते हैं, वो टूट-फूट कर खराब हो रहे हैं।इन रास्तों की मरम्मत भी नहीं करायी जाती। गांवों में नियमित सफाई और गीले सूखे कचरे के प्रबंधन की नियमित व्यवस्था भी नहीं हुई है, कचरे ढोने के लिए ग्रामप्रधानों द्वारा खरीदे गए ई-रिक्शा वाहन ग्राम प्रधानों के दरवाजों पर खड़े शो पीस बने हुए हैं।
इस संदर्भ में बीडीओ खजनी रमेश शुक्ला ने बताया कि कई बार चेतावनी दी जा चुकी है औचक जांच के बाद विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
Jun 17 2025, 19:29