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महिलाएं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बोलता है? स्टडी में हुआ खुलासा, जानें

क्या औरतों की तरह बातें कर रहे हो… तुम कितना बोलती हो, यह तो बड़ी बतूनी है… हमेशा यह माना जाता रहा है कि पुरुषों के मुकाबले औरतें ज्यादा बातें करती हैं. पुरुष शांत होते हैं, लेकिन औरतें हर मामले पर ज्यादा बोलती हैं, ज्यादा जज्बाती होती हैं, हालांकि, इन सभी बातों को लेकर एक स्टडी सामने आई है जो इस बात का सटीक जवाब देती है और बताती है कि महिलाओं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बात करता है.

स्टडी के मुताबिक, महिलाएं कितनी बात करती हैं यह उनके जेंडर नहीं बल्कि सीधे-सीधे उनकी उम्र पर निर्भर करता है. साल 2007 में एरिजोना यूनिवर्सिटी के रिसर्च्स ने एक रिपोर्ट तैयार की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बताया गया है कि पुरुष और महिलाएं प्रति दिन लगभग बराबर ही शब्द बोलते हैं. दोनों ही लगभग 16,000 शब्द हर दिन बोलते हैं. साथ ही स्टडी में बाद में यह भी कहा गया है कि महिलाएं पुरुषों से अगर ज्यादा बात भी करती हैं तो वो सिर्फ निर्धारित एज ग्रुप में ही ज्यादा बोलती हैं.

कौन ज्यादा बोलता है?

साल 2007 में, एरिजोना यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक मैथियास मेहल और उनकी टीम ने उस समय सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने इस मिथक को खारिज कर दिया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में प्रति दिन कहीं अधिक शब्द बोलती हैं.

इलेक्ट्रॉनिक रूप से सक्रिय रिकॉर्डर (ईएआर) का इस्तेमाल करते हुए, जो तकनीक की मदद से भाषण के टुकड़े रिकॉर्ड करते हैं, उन्होंने 500 लोगों की बातचीत का विश्लेषण किया और पाया कि दोनों जेंडर ने प्रति दिन लगभग 16,000 शब्द बोले.

जहां यह माना जाता है कि महिलाएं ज्यादा बातें करती हैं, वहीं यह स्टडी सामने आने के बाद यह मिथक टूट जाता है, क्योंकि महिलाएं और पुरुष बराबर मात्रा में ही रोजाना शब्द बोलते हैं.

किस एज ग्रुप में महिलाएं ज्यादा बोलती हैं?

इसी के बाद इसी मामले को लेकर इसी यूनिवर्सिटी में एक और स्टडी की गई, जिसमें एक नई चीज सामने आई. रिसर्चर मैथियास मेहल के साथ रिसर्चर कॉलिन टिडवेल, वेलेरिया फिफर और अलेक्जेंडर डेनवर्स ने इस इस सवाल पर बड़े पैमाने पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया. इस बार, उन्होंने चार देशों में किए 22 टेस्ट किए. इसमें उन्होंने 2,197 प्रतिभागियों से 630,000 ऑडियो रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया.

हालांकि, इस बार की स्टडी में एक बड़े ही मजे की बात सामने आई, वो यह कि यह बताया गया कि एक एज ग्रुप की महिलाएं ज्यादा बात करती हैं. स्टडी में सामने आया 25 से 65 साल की महिलाएं पुरुषों से 3 हजार शब्द रोजाना ज्यादा बोलती हैं. इस एज ग्रुप की महिलाएं रोजाना 21,845 शब्द बोलती हैं. वहीं, इस एज ग्रुप के पुरुष रोजाना 18 हजार 570 शब्द बोलते हैं.

आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि सिर्फ 25 से 65 साल की महिलाएं ही पुरुषों से 3000 शब्द रोजाना ज्यादा बोलती हैं, जबकि बाकी एज ग्रुप की महिलाएं चाहे वो 10-17 साल के बीच हो, 18 से 24 साल के बीच हो, या फिर 65 साल से ज्यादा हो, वो पुरुषों के बराबर ही शब्द बोलती हैं. जितना एक पुरुष बात करता है उतना ही वो भी बात करती हैं.

क्यों 25-65 साल की महिलाएं ज्यादा बात करती हैं?

जब आप इस स्टडी को पढ़ रहे होंगे तो आपके जहन में आया होगा कि जब बाकी सभी एज ग्रुप की महिलाएं पुरुषों जितना ही बोलती हैं तो फिर 25 से 65 की उम्र की महिलाएं ज्यादा बात क्यों करती हैं. स्टडी में इस सवाल का सटीक जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन इस एज ग्रुप की महिलाओं की जिंदगी देख कर एक जवाब का सुझाव दिया गया है.

इस एज ग्रुप में महिलाओं की शादी हो जाती हैं और वो पेरेंटिंग में भी लग जाती हैं. उनके ऊपर जिम्मेदारियां आ जाती हैं. इसी के चलते इसे एक पॉइंट माना जा सकता है जिसकी वजह से वो ज्यादा बात करती हैं. रिसर्चर मेहल ने कहा, ये साल बच्चे के पालन-पोषण का समय होता है और महिलाएं अक्सर बच्चों की देखभाल में इस समय लगी होती हैं और अहम भूमिका निभाती हैं. इससे स्वाभाविक रूप से महिलाओं की बच्चों के साथ ज्यादा बातचीत होती हैं. दिलचस्प बात यह है कि स्टडी में यह भी साफ कर दिया गया है कि महिलाएं हार्मोन जैसे जैविक कारक के अंतर के चलते महिलाएं ज्यादा नहीं बोलती हैं.

उंगलियां करने लगी बात, लोग हो गए खामोश

इस स्टडी में न सिर्फ यह सामने आया कि महिलाएं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बोलता है, बल्कि यह भी सामने आया है कि सोशल मीडिया के चलते अब हमारी उंगलियां ज्यादा बात करने लग गई हैं और लब खामोश हो गए हैं. अब ज्यादातर लोग खामोश रहते हैं और सिर्फ फोन पर मैसेज करके ही एक दूसरे से ज्यादा बात करते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि हमें संदेह है कि जैसे-जैसे हम संचार के लिए तकनीक पर निर्भर होते जा रहे हैं, हर दिन बोले जाने वाले शब्दों की संख्या कम हो रही है.

इन महापुरुषों की जिंदगी में रहा महिलाओं का खास योगदान, हर कदम पर चलीं साथ

हर पुरुष की सफलता में कहीं न कहीं किसी महिला का हाथ जरूर होता है…ये लाइन आपने कई बार सुनी होगी और यह काफी हद तक सच भी है. जिंदगी में किसी पुरुष को आगे बढ़ाने में सहयोग करने वाली उनकी पत्नी, बहन, मां कोई भी हो सकती है. महिलाएं जहां कंधे से कंधा मिलाकर चलना जानती हैं तो वह पूरी तरह समर्पित होकर साथ भी देना जानती हैं. भारत के इतिहास में कई ऐसी महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी वीरता का प्रमाण दिया है, बल्कि अपने समर्पण से भी देश को सींचा है. भारत की धरती पर कई महापुरुष हुए हैं और उनकी जिंदगी में उन्हें आगे बढ़ाने से लेकर हर स्थिति में साथ चलने तक महिलाओं का खास योगदान रहा है. आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बात करेंगे ऐसी ही महिलाओं के बारे में जिनका देश के महापुरुषों के जीवन में खास योगदान रहा और देश की आजादी में भी इन महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

एक महिला अगर पुरुष की हर परिस्थिति में साथ देने का ठान ले तो वह उसे अर्श तक ले जाने का दम रखती है और हर परिस्थिति में उसके साथ जीवन निर्वाह भी कर सकती है. ऐसी ही न जाने कितनी कहानियां हैं जो हमारे देश की महिलाओं की गाथा कहती हैं. देश में योगदान देने वाले महापुरुषों की तो काफी बातें की जाती हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में भी किसी न किसी महिला का योगदान जरूर रहा है तो चलिए उनके बारे में भी जान लेते हैं.

कस्तूरबा गांधी

गांधी जी को देश का बापू कहा जाता है और देश का बच्चा-बच्चा आज भी उनके बारे में जानता है. गांधी जी ने देश को आजादी दिलाने के लिए हर भरसक प्रयास किया और खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया, वहीं उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी हर कदम पर उनके साथ रहीं. यहां तक कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भी हिस्सा लिया और जेल भी गईं. इस दौरान उन्होंने काफी कष्ट भी सहे. वहीं महात्मा गांधी की मां पुतलीबाई का भी एक प्रेरणा के रूप में उनके जीवन में खास योगदान रहा.

सावित्री बाई फुले

ज्योतिबा फुले एक समाजसुधारक, लेखक होने के साथ क्रांतिकारी कार्यकर्ता भी थे तो वहीं उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी देश के लिए अहम भूमिका निभाई है. सावित्रीबाई फुले का महिलाओं की साक्षरता में खास योगदान रहा है. आज भी उनके किए कार्य प्रेरणा हैं. वह भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं और अपने पति ज्योतिवाराव फुलें का साथ मिलकर उन्होंने कई स्कलों की स्थापना की और समाज को सुधारने की तमाम कोशिशें की.

सुशीला दीदी

एक ऐसी महिला जिसने देश के क्रांतिकारियों के लिए अपने गहनों तक को बेच दिया था, उनका नाम है सुशीला, जिन्हें सुशीला दीदी के नाम से जाना गया. भारत की स्वाधीनता आंदोलन के दौरान मातृशक्ति का खास योगदान रहा है. सुशीला दीदी वह महिला थीं, जिन्हें स्कूल से ही देशभक्ति की प्रेरणा अपनी महिला प्राचार्य से मिली थी और उन्होंने एक पंजाबी गीत भी लिखा जो क्रांतिकारियों की पसंदीदा गीत बना. इसके अलावा वह क्रांतिकारियों तक गुप्त सूचनाएं भेजना, क्रांति की अलख जगाने केलिए पर्चे वितरित करना, जैसे काम भी करती थीं.

होली से पहले मिलावटखोरों पर बड़ा एक्शन, 10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद

होली का त्योहार नजदीक है. ऐसे में लोग एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशियां बांटते हैं, लेकिन होली आने से पहले ही मिलावटखोरों ने मिलावट करनी भी शुरू कर दी गई है. इसको लेकर फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट भी अलर्ट हो गया है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के इमलिया गांव में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट टीम ने शुक्रवार को बड़ा एक्शन लिया है, जहां टीम ने पार्श्वनाथ घी प्लांट पर छापा मारा है.

होली के करीब आते ही घी में मिलावट शुरू हो गई है. जब फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने पार्श्वनाथ घी प्लांट पर छापा मारा तो वहां से 10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद हुआ. इस घी की कीमत करीब 50 लाख रुपये है. इस घी को तैयार करने के लिए केमिकल मिलाया जा रहा है. मामले की जांच की गई तो ये भी सामने आया कि इसमें 27 लीटर देसी घी का फ्लेवर भी मिलाया गया.

10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद

घी में फ्लेवर और एसेंस को मिलाकर देसी घी की खुशबू दी जा रही थी. यही नहीं फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम ने घी बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे 27 घरेलू गैस सिलेंडर को भी बरामद किया है. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने जिस प्लांट से ये 10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद किया. उसके मालिक पर भी केस दर्ज कराया है. अब और भी जगहों पर छापेमारी की जाएगी और मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

प्लांट को भी कर दिया गया सील

मिलावटी देसी घी बरामद करने और पार्श्वनाथ घी प्लांट के मालिक पर केस दर्ज कराने के बाद प्लांट को भी सील कर दिया. इससे बाकी उद्योगों को भी एक मैसेज दिया गया है कि मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा. खाद्य सुरक्षा अधिकारी विनीत कुमार ने बताया, मिलावटी घी की शिकायत मिल रही थी. पार्श्वनाथ घी प्लांट पर छापा मारा गया. 10000 लीटर मिलावटी देसी घी मिला है. प्लांट को सील कर दिया गया है. सैंपल जांच के लिए लैब भेजा जाएगा.

लोगों को मिलावटी घी नकली न लगे. इसके लिए वनस्पति और रिफाइंड को मिलाकर तैयार किया जा रहे घी में एसेंस मिलाया जा रहा था, जिसकी 25 से 30 बोतल भी मिली हैं. सेफ्टी के लिए यहां पर 6-7 कुत्ते भी पाले हुए थे. प्लांट से लाखों देसी घी के रैपर बरामद किए गए, जिनकी पैकिंग हरियाणा के नाम पर की जा रही थी.

कहानी भिवानी की लड़की की, जिसकी पेंटिंग की राष्ट्रपति मुर्मू भी हो गईं फैन, प्रेसिडेंट हाउस बुलाया

जब भी महिलाओं के संघर्ष की बात आती है तब कई ऐसे नाम हमारे सामने आते हैं जिन्हें हम अक्सर सुनते हैं, लेकिन बहुत से नाम ऐसे भी होते हैं जो गुमनाम रहते हैं और चुपचाप संघर्ष करते हुए अचानक से सामने आ जाते हैं. एक ऐसा ही नाम है सुलेखा कटारिया का जिन्होंने अपना संघर्ष गांव की पगडंडियों से शुरु किया और अपनी सफलता की तालियां राष्ट्रपति भवन तक पहुंचकर बटोरीं.

सुलेखा कटारिया का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के एक छोटे-से गांव, ढाबढाणी में हुआ. सुलेखा का बचपन विपरीत परिस्थितियों में गुज़रा, लेकिन इनके सपने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर अपनी मंज़िल तक पहुंचने के थे. इनके पिता छोटे किसान हैं साथ ही दर्जी का काम भी करते हैं. सुलेखा की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई राजीव गांधी महिला महाविद्यालय, भिवानी से पूरी हुई. इसके बाद सुलेखा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया.

कॉलेज की फीस भरने के नहीं थे पैसे

सुलेखा के घर की आर्थिक स्थिति कमज़ोर है. घर मे 4 भाई-बहन हैं. पिता की इतनी कमाई नहीं कि बिना कर्ज़ लिए सबकी पढ़ाई का खर्च उठा पाएं. सुलेखा ने अपने जीवन में वो दिन भी देखे जब कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे और न ही ऑटो का किराया दे पाना आसान था. लेकिन फिर भी सुलेखा ने आगे बढ़ने की कोशिश जारी रखी.

सुलेखा का जब भी मनोबल टूटता उनके बड़े भाई उन्हें प्रेरित करते रहे, लेकिन कोरोना के दौरान जब सुलेखा के भाई की दोनों किडनियां खराब हो गईं तब परिवार बिखर गया. मजबूरन पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सुलेखा को दिल्ली आकर नौकरी करनी पड़ी.

गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान सुलेखा ने गीता जयंती महोत्सव में भाग लिया. जहां उनकी बनाई पेंटिंग कोब्लॉक लेवल पर पहला स्थान मिला. तब सुलेखा को ये एहसास हुआ कि उनकी कला में कुछ खास बात है. जिसके बाद उन्होंने अपनी कला को निखारने की ठानी और जिला व राज्य स्तर पर कई प्रतियोगिताएं भी जीतीं.

मार्च 2024 में दिल्ली के ऐतिहासिक पुराना किला में आयोजित एक राष्ट्रीय वर्कशॉप में सुलेखा को भाग लेने का मौका मिला. जिसमें देशभर से बहुत से कलाकार शामिल हुए थे, इसकी थीम थी— “विकसित भारत: विजन 2047”. सुलेखा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में उन्होंने एक विशेष चित्र बनाया—’भारत का मानचित्र’, जिसमें हाल ही में लॉन्च हुए चंद्रयान को दर्शाया गया था और भारत के माथे पर हरियाणा की शान—पगड़ी को उकेरा था. इस पेंटिंग को बनाते वक्त सुलेखा नहीं जानती थीं कि ये पेंटिंग उनकी ज़िंदगी में बड़ा बदलाव लाएगी.

टॉप 15 पेंटिंग्स में हुई शामिल

इसके बाद राष्ट्रपति भवन से एक दिन सुलेखा को एक फोन आया. ‘आपकी पेंटिंग देश की टॉप 15 पेंटिंग्स में शामिल की गई है और आपको राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया जा रहा है!’ इस कॉल को सुनने के बाद सुलेखा को विश्वास नहीं हुआ और उन्हें लगा कि कहीं ये कोई स्कैम तो नहीं! इसके बाद जबआधिकारिक निमंत्रण आया तब सुलेखा को यकीन हो गया. सुलेखा से बात करने पर उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन जाना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था. मैं वहां पहुंची तो चारों ओर भव्यता थी, लेकिन मेरे दिल में बीते संघर्षों की स्मृतियां थीं. वहां राष्ट्रपति जी ने मेरी कला की सराहना की. सबसे बड़ी खुशी की बात यह थी कि मेरी पेंटिंग को राष्ट्रपति भवन के एक विशेष हॉल में स्थायी रूप से प्रदर्शित किया गया.

गांव के छोटे से स्कूल से संघर्ष से जूझते हुए अपने सफर की शुरुआत की थी और जब राष्ट्रपति भवन के उस हॉल में सुलेखा ने अपनी पेटिंग को दीवार पर टंगे देखा तो उनका मन प्रसन्न हो उठा. सुलेखा कहतीं हैं कि अगर आपके अंदर धैर्य और मेहनत करने की इच्छा है तो कोई भी विपरीत परिस्थिति आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती. सुलेखा आज भी इसी कोशिश में हैं कि अपनी कला के ज़रिए उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनें जो छोटे गांवों से निकलकर बड़े सपने देखती हैं.

आज महिलाओं के हाथों में पीएम मोदी की सुरक्षा, पहली बार होगा ऐसा

पूरी दुनिया में आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, इसी मौके पर भारत में भी एक ऐतिहासिक काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात के दौरे पर रहेंगे. पीएम के इस दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा महिलाओं के हाथों में रहेगी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पीएम मोदी गुजरात के नवसारी जिले में महिला दिवस के कार्यक्रम पर एक मेगा इवेंट को संबोधित करेंगे. इस मौके पर नारी शक्ति की एक अनोखी मिसाल दिखाई देगी, पीएम की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने नारी शक्ति को लेकर महिलाओं को शुभकामनाएं दी. पीएम ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, पर हम नारी शक्ति को नमन करते हैं! हमारी सरकार ने हमेशा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम किया है, जो हमारी योजनाओं और कार्यक्रमों में झलकता है. आज, जैसा कि वादा किया गया था, मेरी सोशल मीडिया संपत्तियों पर उन महिलाओं का कब्जा होगा जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं!

महिलाओं के हाथ में होगी पीएम की सुरक्षा

गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने गुरुवार को कहा, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर गुजरात पुलिस एक अनोखी पहल कर रही है. भारत के इतिहास में पहली बार, सिर्फ महिला पुलिस पीएम के कार्यक्रम की पूरी सुरक्षा व्यवस्था संभालेगी – नवसारी के वानसी बोरसी गांव में हेलीपैड पर उनके आगमन से लेकर कार्यक्रम स्थल तक महिलाओं के हाथ में ही पीएम की सुरक्षा होगी.

मंत्री ने बताया कि महिला पुलिसकर्मियों में आईपीएस अधिकारी और कांस्टेबल शामिल होंगी. प्रधानमंत्री शुक्रवार और शनिवार को गुजरात और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली की दो दिवसीय यात्रा पर होंगे, इस दौरान वो 8 मार्च को वानसी बोरसी गांव में ‘लखपति दीदी सम्मेलन’ को संबोधित करेंगे.

कितनी महिलाएं होंगी तैनात?

मंत्री ने कहा, 2,100 से अधिक कांस्टेबल, 187 सब-इंस्पेक्टर, 61 पुलिस इंस्पेक्टर, 16 पुलिस उपाधीक्षक, 5 एसपी, एक पुलिस महानिरीक्षक और एक अतिरिक्त डीजीपी रैंक के अधिकारी सहित सभी महिला पुलिसकर्मी सुरक्षा संभालेंगी. मंत्री ने साथ ही कहा, वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी और गृह सचिव निपुणा तोरावणे सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी करेंगी.

गुजरात में उठाया गया यह कदम न सिर्फ नेशनल बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर लोगों को नारी शक्ति को लेकर बड़ा संदेश देगा. मंत्री ने कहा, यह कदम बताएगा कि गुजरात को सुरक्षित राज्य बनाने में महिलाएं कितनी अहम भूमिका निभा रही हैं.

मोटापे को कैसे दे सकते हैं मात? पीएम मोदी ने सिलवासा में दिया फिटनेस मंत्र

पीएम मोदी ने शुक्रवार को सिलवासा में नमो अस्पताल के का उद्घाटन किया. उन्होंने 2 हजार 500 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की आधारशिला रखी. इसके बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोटापे की समस्या का जिक्र किया. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रधानंत्री ने कहा कि 2050 तक 44 करोड़ भारतीय मोटापे का शिकार होंगे. प्रधानमंत्री ने इन आंकड़ों को खतरनाक बताया. मोटापे को मात देने के लिए पीएम मोदी ने लोगों को मंत्र भी दिया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि खाने वाले तेल में लोग 10 फीसदी की कटौती करें. जीवनशैली में बदलाव करें. अगर समय पर इस पर ध्यान नहीं गया तो भविष्य में बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं होंगी. मोटापे की वजह से हर तीसरा व्यक्ति गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है. सरकार देशभर में 25 हजार जन औषधि केंद्र खोलेगी. ताकि लोगों को किफायती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं मिल सकें.

बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोटापे की बढ़ती समस्या पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव पर जोर दिया था. इसके साथ ही खाने में यूज होने वाले तेल में 10 फीसदी की कटौती को लेकर एक अभियान की शुरुआत किया. इसमें उन्होंने उद्योगपति आनंद महिंद्रा, ओलंपियन मनु भाकर और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला समेत दस लोगों को ‘चैलेंज’ भी दिया था.

मैं इस पहल में आपके साथ खड़ा हूं

मोटापे की समस्या पर बात करने के साथ ही पीएम मोदी ने सिलवासा में लोगों को संबोधित करते हुए कई अन्य बातों का जिक्र किया. पीएम ने कहा, सिंगापुर कभी कुछ मछुआरों का बसाया द्वीप था. मगर, वहां के नागरिकों की कड़ी मेहनत की वजह से कम समय में एक विकसित देश बन गया. इसी तरह दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव भी बदल सकते हैं. लोग बदलाव ला सकते हैं और मैं इस पहल में साथ खड़ा होने के लिए तैयार हूं. दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव सिर्फ एक केंद्र शासित प्रदेश नहीं है. यह हमारा गौरव और विरासत है.

बिहार की इन बेटियों ने राष्ट्रीय खेलों में दिखाया दम, महिला दिवस पर सरकार ने कहा- हम आपके साथ हैं

बिहार में खेलों का माहौल भी बदल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों से महिलाओं को कई स्तर पर सुविधाएं मिल रही हैं. महिला खिलाड़ी अपने जज़्बे, मेहनत और प्रतिभा से नए आयाम गढ़ रही हैं. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार की बेटियां धाक जमाती दिख रही हैं. खेल विभाग के महानिदेशक सह मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्रन शंकरन ने सभी विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के महिला खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन को जाता है.

उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों का नतीजा है कि खेल विभाग खिलाड़ियों के प्रदर्शन को लेकर गंभीर है. विभाग विश्वस्तरीय प्रशिक्षण और अवसर व्यवस्था कर रहा है. इससे खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर कर समाने आ रही है. बिहार की महिला खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय फलक पर परचम लहरा रही हैं. तभी तो हमारी बेटियां कह रही हैं- उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यकीं है कि ये आसमान कुछ कम है.

महिला खिलाड़ियों के दृढ़ संकल्प को सलाम

महिला दिवस के अवसर पर मैं अपने महिला खिलाड़ियों के दृढ़ संकल्प को सलाम करता हूं. वो हर बाधोंओं को तोड़कर खेल की दुनिया में सफलता हासिल कर रही हैं. हम सिंपली पीरियड्स जैसे मददगार पहल के द्वारा एक अनुकुल वातावरण बना रहे हैं, ताकि मासिक धर्म जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी चीजें एक सामाजिक बाधा ना बने. हमारी प्रतिबद्धता खेल के मैदान और खेल के बाहर भी नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा. बिहार स्पोर्ट्स अथॉरिटी आपके शानदार सफर में आपके साथ हैं.

38वें राष्ट्रीय खेलों में बिहार की बेटियों का शानदार प्रदर्शन

हाल में उत्तराखंड में संपन्न हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में बिहार ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है. यहां बिहार ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 12 पदक, जिसमें 1 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य शामिल हैं. इसमें लॉन बॉल्स में महिला टीम ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया है.

विश्वकप में निशाना लगाएगी अंशिका

तीरंदाजी (Archery) में बिहार की अंशिका कुमारी ने रजत पदक जीता है. अंशिका का ये पदक इसलिए भी खास है, क्योंकि उसने महिला रिकर्व व्यक्तिगत स्पर्धा के फाइनल में भारतीय तीरंदाजी की दिग्गज दीपिका कुमारी के साथ कड़े मुकाबले में जीता है. बिहार की अंशिका कुमारी को आगामी तीरंदाजी विश्व कप, 2025 के लिए भारतीय सीनियर तीरंदाजी टीम में शामिल किया गया है.

महिला रग्बी टीम को रजत

महिला रग्बी टीम ने ओडिशा के खिलाफ कड़े मुकाबले में रजत पदक जीता. तो वहीं योगासन में भी बिहार ने रजत पदक पर कब्जा किया. बिहार की बेटियों की जीत का यह शानदार सफर नेशनल गेम तक ही सीमित नहीं है.

भार उठाने में भी माहिर बिहार की बेटियां

ब्रह्मपुर, ओडिशा में आयोजित अश्मिता खेलो इंडिया महिला राष्ट्रीय भारोत्तोलन चैंपियनशिप में बिहार की खुशबू कुमारी ने अद्भुत प्रदर्शन किया. जूनियर और सीनियर महिला वर्ग में स्नैच 75 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क 71 किलोग्राम भार वर्ग में दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए. शालिनी ने भी अश्मिता खेलो इंडिया चैंपियनशिप में बेहतरीन खेल दिखाते हुए जूनियर वर्ग में रजत पदक पर कब्जा जमाया.

नेशनल स्कूल गेम्स साइकिलिंग में दमदार प्रदर्शन

68वीं नेशनल स्कूल गेम्स साइकिलिंग (रोड) चैम्पियनशिप में बिहार की बेटियां शानदार प्रदर्शन कर रही हैं. यहां सुहानी ने रजत पदक, जबकि अमृता, शालिनी और सुप्रिया ने कांस्य पदक जीते हैं.

पीटी उषा ने कहा- शानदार बिहार

भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और दिग्गज एथलीट पी.टी. उषा ने बिहार की महिला खिलाड़ियों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा-बिहार की महिला खिलाड़ी अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं.

महाकुंभ के बाद एक और विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रही UP की योगी सरकार, 2000 विडो खेलेंगी होली? जानें कहां हो रही तैयारी

उत्तर प्रदेश के मथुरा में उल्लास-उमंग और रंगों का पर्व होली इस बार एक अलग रंग में सराबोर दिखेगा. सरकार के प्रयासों से 2000 से अधिक विधवाएं एक साथ होली खेलकर एक नया रिकॉर्ड बनाने जा रही हैं. प्रदेश सरकार ने इसकी जानकारी दी. राज्य की एक योजना में कहा गया है कि सरकार के प्रयासों से 2000 से अधिक विधवाएं एक साथ होली खेलकर एक अनूठा रिकॉर्ड बनाने जा रही हैं.

मथुरा-वृंदावन की होली प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी प्रसिद्ध है. इस बार यहां की होली केवल आनंद ही नहीं सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक समरसता एवं सामाजिक परिवर्तन के सम्मान का क्षण बनकर विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रही है. इसमें कहा गया कि वृंदावन के सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग होली पर विधवाओं की होली-2025 के तौर पर एक भव्य आयोजन करने जा रही है. हमारा प्रयास गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की दिशा में रहेगा.

बनेगा नया विश्व रिकॉर्ड

एक बयान के मुताबिक, इस बार होली का त्योहार न केवल विधवाओं की बेरंग जिंदगी में खुशियों का रंग घोलने का माध्यम बनेगा. बल्कि इतिहास व विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होने के साथ ही इससे समाज में एक संदेश भी जाएगा. ‘विधवाओं की होली एक अनूठा सांस्कृतिक उत्सव है. परंपरागत रूप से भारत में विधवाओं से होली जैसे त्योहारों सहित संसारिक सुखों को त्यागने की अपेक्षा की जाती थी. लेकिन भगवान कृष्ण के दिव्य प्रेम से जुड़े शहर वृंदावन में यह एक बदलाव के तौर पर देखा जाता है.

हर साल वृंदावन के विभिन्न आश्रमों से हजारों विधवाएं होली पर खुद को जीवंत रंगों के साथ ही संगीत और भक्ति में सराबोर कर लेती हैं.

विभिन्न कार्यक्रमों का होगा आयोजन

प्लान के अनुसार, इस समारोह में पारंपरिक लोक गायन, लोक नृत्य, भक्ति गीत जैसी प्रस्तुतियां भी होंगी. आयोजन में ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल होगा तथा इसमें अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों, मीडिया तथा भक्तों की भागीदारी होगी. इस आयोजन को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए एक विशिष्ट टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. कार्यक्रम में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के पदाधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा. जिससे उन्हें विभिन्न पहलुओं की विवेचना समेत प्रमाणन प्रक्रिया को पूरा करने मेंभीआसानीहोगी.

बिहार आने से रोका, तो यहीं घर बना लूंगा’… किस बात पर धीरेंद्र शास्त्री ने कही ये बात?

बिहार के पांच दिनों के दौरे पर पहुंचे बाबा बागेश्वर ने बड़ी बात कह दी है. उन्होंने कहा कि अगर उनको बिहार आने से रोका गया तो वह यहीं पर अपना घर बना लेंगे. गोपालगंज जिले में पहुंचे बाबा बागेश्वर ने राम जानकी कथा से पहले वहां उपस्थित श्रोताओं से बातें की. उसमें बाबा बागेश्वर ने कहा कि उनके बिहार आने को लेकर के तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि मैं किसी भी पार्टी का प्रचारक नहीं हूं.

बाबा बागेश्वर ने कहा कि मैं केवल हिंदुत्व जानता हूं. वह यही तक नहीं रुके. उन्होंने अपने बिहार दौरे को लेकर के उठाए जा रहे सवालों के जवाब भी दिए. उनका यह कहना था कि उनको अगर बिहार आने से रोका गया तो वह यहीं पर अपना घर बना लेंगे. बाबा बागेश्वर ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि बिहार की धरती पर राम कथा करने का मौका मिल रहा है. बिहार की धरती माता जानकी, महात्मा बुद्ध के साथ ही ज्ञान और भक्ति की भूमि है.

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कहा से उठेगी हिंदू राष्ट्र की बात

उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू राष्ट्र की बात अगर कहीं से उठेगी तो सबसे पहले बिहार से उठेगी. यह हमारा भरोसा है. हमारे बिहार आने पर बहुत लोगों के पेट में दर्द होता है, लेकिन मैं निवेदन पूर्वक कह देना चाहता हूं कि हम पार्टी के प्रचारक नहीं हैं. हम हिंदुत्व के विचारक हैं. राम के राष्ट्र में तुम राम की कथा को रोक लोगे? यह भगवान राम, कृष्ण का देश है. जब तक प्राण रहेंगे. तब तक हम हिंदुओं के लिए जिएंगे और मरेंगे.

मारने की कहीं जा रही बात’

बाबा ने कहा कि बिहार आने पर लोगों को आग लगती है. कई बयान आ रहे हैं. हमें धरने और मारने की बात कही जा रही है. तुम्हारे बाप का देश है? यह देश रानी लक्ष्मीबाई का है, यह देश सुभाष चंद्र बोस का है. यह देश बाबर का नहीं, रघुवर का है. बिहार हमारा है. हम जब तक जिएंगे, तब तक बिहार आएंगे. हम घर से बाहर हिंदू के लिए निकले हैं. मेरे बिहार आने पर लोग सवाल करते हैं. मुझे बहुत दुख होता है क्योंकि जो लोग हमसे जुड़े हुए हैं, उनकी आत्मा को ठेस पहुंचती है.

बाबा ने कहा- हम 150 करोड़ हिंदुओं के लिए लड़ रहे

हम अपने लिए नहीं आए हैं. हम इस देश के हिंदुओं को जगाने आए हैं. हम निजी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं. उनका कहना था कि हम इस दुनिया में रहने वाले 150 करोड़ हिंदुओं के लिए लड़ रहे हैं. मैं बताना चाहता हूं 65 से ज्यादा देश इस्लामिक हैं. 95 से ज्यादा देश ईसाइयों के हैं. एक देश यहूदियों का है, एक देश बौद्धों का है. किसी भी देश से मुसलमान को निकाला जाएगा तो 65 से ज्यादा मुस्लिम देश दोनों बांह फैलाकर उनका स्वागत करेंगे.

कहां जाएगा हिंदू?

किसी भी देश से ईसाइयों को निकाला जाएगा तो 95 से ज्यादा देश ईसाइयों का स्वागत करेंगे. किसी भी देश से बौद्ध को निकाला जाएगा तो तिब्बत स्वागत करेगा. किसी भी देश से यहूदियों को निकाला जाएगा, इजरायल स्वागत करेगा, लेकिन फिजी, सूरीनाम, पाकिस्तान, भारत, नेपाल और मॉरीशस में हिंदू रहते हैं. अगर इन देशों से हिंदुओं को निकाल दिया जाएगा तो हिंदू कहां जाएगा?

‘ज्यादा रोकोगे तो बना लेंगे मकान’

उन्होंने कहा कि सभी की व्यवस्था है. हमारे हिंदू भाइयों की व्यवस्था कहां है? जिनको भी बिहार आने का कष्ट है. आप हमें रोकते हो, गाली देते हो. भारत माता के कई टुकड़े हो चुके हैं. अब हम भारत को बंटने नहीं देंगे. हम हिंदुओं को घटने नहीं देंगे. आज से पांच दिन तक हम कथा करेंगे. आप रोकोगे हम फिर कथा करेंगे. आप हमें और रोकोगे, हम और कथा करेंगे. आप हमें और रोकोगे, हम यही मठ बना लेंगे. आप हमें फिर रोकोगे, हम यहां मकान बना लेंगे. मरेंगे तो फिर बिहार में जन्म लेंगे. इसलिए हम हमेशा बोलते हैं छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं.

काहे के लिए हंगामा कर रहे…CM नीतीश ने विधानसभा में हाथ जोड़कर कही ये बात

आज बिहार विधानसभा में प्रश्नकाल की शुरूआत होते ही माले विधायकों ने नालंदा जिले के बिहारशरीफ की घटना का मुद्दा उठाया. माले विधायक वेल में पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद खड़े हो गए. नीतीश कुमार ने हंगामा कर रहे विधायकों से कहा कि हम आपसे हाथ जोड़ते हैं, अब आपलोग बैठ जाइए.

बिहारशरीफ में महिला की निर्मम तरीके से हुई हत्यी की घटना का मुद्दा उठाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में खड़े हो गए. प्रदर्शन कर रहे विधायकों से कहा कि जैसे ही खबर आती है, उसी समय आदेश देते हैं. कहीं का भी मामला होता हो हम तुरंत वहां के डीएम को कहते हैं. कोई गड़बड़ किया है तो हम तुरंत एक्शन लेने को कहते हैं. आपलोग काहे के लिए हंगामा कर रहे हैं, बिना मतलब की बात कर रहे हैं. जो गड़बड़ करेगा उस पर ऐक्शन होगा.

हाथ जोड़कर खड़े हुए नीतीश कुमार

नालंदा जिला से नीतीश कुमार खास ताल्लुक रखते हैं. ये इनका गृह जिला है, इस वजह से भी विपक्ष पार्टियों के नेताओं ने सदन में जोरदार हंगामा किया. ये हंगामा इतना जोरदार था कि नीतीश कुमार ने हारकर सबके सामने हाथ भी जोड़ लिया.

विधानपरिषद् में भी भड़के नीतीश कुमार

उनका ये गुस्सा आरजेडी की महिला MLC पर भड़का. नीतीश कुमार ने कहा कि आप उस पार्टी में हैं जिनके हसबैंड टूटने लगे तो महिला को बना दिया. हमने तो महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया है.

नालंदा में मिली थी युवती की लाश

बिहार के नालंदा जिले में एक 26 साल की युवती का शव हाइवे के पास जंगल में मिला. महिला के पैर में लोहे की कीलें ठुकी हुई दिखाई दे रही हैं. उसके पैरों में कुल 12 कीलें ठोंकी गई हैं. महिला की बहुत ही बर्बरता के साथ हत्या कर दी गई है. फिलहाल, हत्या के पीछे की वजह सामने नहीं आई है, ऐसे में विपक्षी नेताओं ने सीएम नीतीश कुमार से एक के बाद एक कई सवाल पूछ, जिसपर नीतीश कुमार ने ऐक्शन का आश्वासन दिया है.