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नए वायरस पर क्या फिर झूठ बोल रहा चीन? कोरोना काल का डरावना मंजर फिर देखने को ना मिले

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दुनिया में पांच साल पहले कोरोना वायरस ने दस्‍तक दी थी। चीन के वुहान में सामने आए इस वायरस ने देखते ही देखते लाखों लोगों को मौत की नींद में सुला दिया। कुछ वक्‍त गुजरा, वायरस का प्रकोप कम पड़ा, लोगों ने राहत की सांस ली। अब चीन में कोरोना जैसे एक नए वायरस ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) की दस्‍तक की खबर है। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो वहां के अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। यहां तक श्मशानों में भी शवों की दफनाने के लिए लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। हालांकि, चीन इस बात को मानने से इनकार कर रहा है।

कोरोना के फैलाव के लिए दुनिया चीन को जिम्मेदार ठहराती है, लेकिन चीन ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया। जिस तरह चीन ने समय रहते कोरोना पर दुनिया को सचेत नहीं किया था। क्या उसी तरह चीन इस बार भी जानकारी छिपा रहा है?

चीन ने फ्लू के प्रकोप की खबरों को खारिज किया

दरअसल, चीन ने देश में बड़े पैमाने पर फ्लू के प्रकोप संबंधी खबरों को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए शुक्रवार को कहा कि सर्दियों के दौरान होने वाली श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले पिछले साल की तुलना में इस वर्ष कम गंभीर हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेशियों के लिए चीन की यात्रा करना सुरक्षित है। मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने देश में 'इन्फ्लूएंजा ए' और अन्य श्वसन रोगों के फैलने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा, ''सर्दियों के मौसम में श्वसन संक्रमण चरम पर होता है।''

एक तरफ सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में चीन के अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ दिख रही है। दूसरी तरफ निंग ने कहा, ''पिछले वर्ष की तुलना में ये बीमारियां कम गंभीर प्रतीत होती हैं और छोटे स्तर पर फैल रही हैं।'' उन्होंने कहा, ''मैं आपको आश्वस्त कर सकती हूं कि चीन सरकार चीनी नागरिकों और विदेशियों के स्वास्थ्य की परवाह करती है। चीन में यात्रा करना सुरक्षित है।''

क्या है तस्वीरों का सच?

चीन नए वायरस ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) से जूझ रहा है। चीन के सोशल मीडिया पर भीड़ भरे हेल्‍थ सेंटर्स की तस्‍वीरों का अंबार लगा है। चीन से सामने आई रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्‍ट के मुताबिक, संक्रमितों से अस्‍पताल भरे हैं और अंतिम संस्‍कार स्‍थलों पर भीड़ बढ़ गई है। बहुत से सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि इन्फ्लूएंजा ए, एचएमपीवी, माइकोप्लाज्मा निमोनिया और कोविड-19 सहित कई वायरस चीन में घूम रहे हैं। साथ ही इस तरह के दावे भी किए जा रहे हैं कि चीन ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है। चीन के अधिकारियों ने लोगों से मास्‍क लगाने और लगातार हाथ धोने के लिए कहा है। हालांकि इसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

कोरोना की तरह चीन इस बार भी छिपा रहा जानकारी?

बता दें कि चीन में बच्चों में फैल रही इस बीमारी की जानकारी प्रो-मेड नाम की संस्था ने दी है। ये संस्था इंसान और पशुओं की बीमारी के फैलाव पर नज़र रखती है। इसी प्रो-मेड संस्था ने दिसंबर 2019 में कोविड 19 वायरस को लेकर चेतावनी दी थी, जबकि इसके 2 महीने बाद दुनिया को इस वायरस के खतरे का एहसास हुआ। अब प्रो-मेड ने एक बार फिर दुनिया को अलर्ट किया है, लेकिन चीन चुप्पी साधे हुए है।

चीन पर शक की क्‍या है वजह?

चीन कड़े सेंसरशिप कानूनों को लागू करता है। यही कारण है कि चीन से सच पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाता है। ऐसे में चीन और चीन की सरकार हमेशा से ही संदेह के घेरे में रहती है।

जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा है', ग्रामीण भारत महोत्सव में बोले पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजधानी में स्थित भारत मंडपम में 'ग्रामीण भारत महोत्सव 2025' का उद्घाटन किया। ये कार्यक्रम 9 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान उन्होंने इस महोत्सव में शामिल कलाकारों और कारीगरों से बातचीत की। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत के लिए गांवों का समृद्ध होना जरूरी है। गांव आत्मनिर्भर होगा तभी देश आत्मनिर्भर होगा। साल 2014 से ही केंद्र सरकार लगातार, हर पल ग्रामीण भारत की सेवा में लगी हुई है। इसके परिणाम भी नजर आ रहे हैं, क्‍योंकि जब इरादे नेक होते हैं तो नतीजे भी संतोष देने वाले होते हैं।

गांव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना सरकार की प्राथमिकता-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, गांव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना मेरी सरकार की प्राथमिकता है। हमारा विजन है, भारत के गांव के लोग सशक्त बनें, उन्हें गांव में ही आगे बढ़ने के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले, उन्हें पलायन न करना पड़े, गांव के लोगों का जीवन आसान हो, इसलिए हमने गांव-गांव में मूलभूत सुविधाओं की गारंटी का अभियान चलाया। पीएम मोदी ने कहा कि जो गांव में जिया है वो गांव को जीना जानता है। मैने गांव में भी जिया है और गांव के संभावनाओं को भी देखा है। गांव में विविधताओं से भरा सामर्थ्य होता है।

ग्रामीणों की क्रय शक्ति करीब तीन गुना बढ़ी-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में एक अहम सर्वे हुआ है, जिसमें पता चला कि साल 2011 की तुलना में अब ग्रामीणों की क्रय शक्ति करीब तीन गुना बढ़ गई है। अब गांव के लोग पहले की तुलना में ज्यादा खर्च कर रहे हैं। आजादी के बाद देश के ग्रामीण खाने पर 50 प्रतिशत आमदनी खर्च कर रहे थे। यह पहली बार है कि यह दर 50 फीसदी तक घट गई है।

पूर्व की सरकारों पर बोला हमला

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने दलितों, जनजातियों और पिछड़े वर्ग के लोगों की परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते गांवों से पलायन हुआ और गरीबी बढ़ी। गांवों और शहरों में लगातार अंतर बढ़ रहा है। 'जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा है'। जिन इलाकों को विकास से वंचित रखा गया, अब वहां समान अधिकार मिल रहे हैं। कल ही स्टेट बैंक ने रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार, साल 2012 में भारत में ग्रामीण इलाकों में गरीबी 26 प्रतिशत थी, लेकिन 2024 में यह घटकर पांच प्रतिशत से भी कम रह गई है।'

ग्रामीणों के लिए बनाई गई योजनाओं की दी जानकारी

पीएम मोदी ने केंद्र की ग्रामीणों के लिए बनाई गई योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा, 'हमारी सरकार ने गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं। दो-तीन दिन पहले ही कैबिनेट ने 'पीएम फसल बीमा योजना' को एक वर्ष अधिक तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है। दुनिया में डीएपी का दाम बढ़ रहा है, आसमान छू रहा है, लेकिन हमने निर्णय किया कि हम किसान के सिर पर बोझ नहीं आने देंगे और सब्सिडी बढ़ाकर डीएपी का दाम स्थिर रखा है। हमारी सरकार की नीयत, नीति और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा से भर रहे हैं।

दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट, केजरीवाल के खिलाफ लड़ेंगे प्रवेश वर्मा
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भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है।भाजपा ने प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली विधानसभा सीट से उतारा है।प्रवेश वर्मा आप के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली सूची में 29 उम्मीदवारों का नाम हैं। कालकाजी सीट से आप की उम्मीदवार दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ भाजपा ने रमेश बिधुड़ी को उतारा है। करोल बाग से दुष्यंत गौतम, राजौरी गार्डन से मनजिंदर सिंह सिरसा, बिजवासन से कैलाश गहलोत चुनाव लड़ेंगे। वहीं करोल बाग से दुष्यंत गौतम, राजौरी गार्डन से मनजिंदर सिंह सिरसा, बिजवासन से कैलाश गहलोत और गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली को टिकट दिया है। प्रवेश वर्मा पूर्व सांसद हैं। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया था। वह दिल्ली के पूर्व सीएम और भापजा के दिग्गज नेता साहेब सिंह वर्मा के बेटे हैं। पिछले दिनों उन पर अपने आवास पर महिलाओं को पैसे बांटने का आरोप लगे थे। नई दिल्ली सीट पर मुकाबला काफी कांटे का है। कांग्रेस ने अपने दिग्गज संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा हैं। संदीप दीक्षित पूर्व सांसद और पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे हैं।
माता-पिता का नहीं रखा ध्यान तो हाथ से जाएगी ट्रांसफर की गई प्रॉपर्टी, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा?

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मां-बाप की सेवा और देखभाल प्रत्येक संतान की जिम्मेदारी है। हमारी संस्कृति इसे जीवन का महत्वपूर्ण अंग मानती है परंतु आधुनिक समाज में अनेक संतानों ने अपनी इस जिम्मेदारी को भुला दिया है। इसलिए आज चंद माता-पिता अपनी संतानों के हाथों ही उत्पीड़ित और अपमानित हो रहे हैं। अनेक संतानें शादी के बाद अपने माता-पिता की ओर से आंखें ही फेर लेती हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य किसी भी तरह उनकी सम्पत्ति पर कब्जा करना ही रह जाता है तथा इसके बाद वे उन्हें घर से निकालने और उन पर अत्याचार करने में जरा भी संकोच नहीं करतीं। ऐसे समय में सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्गों के लेकर बहुत अहम फैसला सुनाया है।सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर बच्चे माता-पिता की देखभाल नहीं करते हैं,तो माता-पिता की ओर से बच्चों के नाम पर की गई संपत्ति की गिफ्ट डीड को रद्द किया जा सकता है।

कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा करने की जरूरत पर जोर देते हुए इस फैसले को सामने रखा। कई पेरेंट्स को उनके बच्चे प्रॉपर्टी और गिफ्ट लेने के बाद नजरअंदाज कर देते हैं और उन्हें खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा, अगर बच्चे पेरेंट्स की देखभाल करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता ने उन्हें जो प्रॉपर्टी और गिफ्ट दिए हैं वो वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत रद्द किया जा सकता है। अदालत ने कहा, संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित किया जाएगा।

वरिष्ठ नागरिकों के हितों की होगी रक्षा

वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई वरिष्ठ नागरिक हैं जिन्हें उनके बच्चे अनदेखा कर देते हैं और संपत्ति हस्तांतरित करने के बाद उन्हें अपने हाल पर छोड़ देते हैं। जस्टिस सीटी रविकुमार और संजय करोल की पीठ ने कहा कि यह अधिनियम एक लाभकारी कानून है जिसका उद्देश्य उन बुजुर्गों की मदद करना है जिन्हें संयुक्त परिवार प्रणाली के कमजोर होने के कारण अकेला छोड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए इसके प्रावधानों की व्याख्या उदारतापूर्वक की जानी चाहिए,न कि संकीर्ण अर्थों में।

हाई कोर्ट के फैसले को क्यों पलटना पड़ा?

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि गिफ्ट डीड में बच्चों को माता-पिता की देखभाल करने के लिए बाध्य करने वाला एक खंड होना चाहिए और इसकी अनुपस्थिति में गिफ्ट डीड को रद्द नहीं किया जा सकता है। अधिनियम की धारा 23 कहती है कि जहां कोई वरिष्ठ नागरिक इस अधिनियम के प्रारंभ होने के बाद उपहार या अन्यथा अपनी संपत्ति को इस शर्त के अधीन स्थानांतरित करता है कि प्राप्तकर्ता ट्रांसफर करने वाले को बुनियादी सुविधाएं और बुनियादी शारीरिक आवश्यकताएं प्रदान करेगा। यदि ऐसा प्राप्तकर्ता ऐसी सुविधाएं और शारीरिक आवश्यकताएं प्रदान करने से इनकार करता है या करने में विफल रहता है, तो संपत्ति का ट्रांसफर धोखाधड़ी या जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव से किया गया माना जाएगा और हस्तांतरणकर्ता के विकल्प पर न्यायाधिकरण द्वारा शून्य घोषित किया जाएगा।

माता-पिता की सहमति के बिना बच्चे नहीं चला पाएंगे सोशल मीडिया अकाउंट, नए नियम लाने की तैयारी में केंद्र सरकार

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आने वाले समय में बच्चे बगैर आपकी अनुमित के सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने और चलाने के लिए पैरेंट्स यानी माता-पिता की मंजूरी जरूरी होगी। इसको लेकर केंद्र सरकार नया नियम लाने जा रही है। यह नियम डेटा प्रोटेक्शन के नए ड्राफ्ट में है। केंद्र सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट के ड्रॉफ्ट को जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस ड्रॉफ्ट के तहत जिन नियमों का जिक्र किया गया है उन्हें अंतिम निमय बनाने के लिए 18 फरवरी के बाद विचार किया जाएगा।

रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट लिखकर डीपीडीपी नियमों के ड्रॉफ्ट को लेकर लोगों से सलाह भी मांगी है। उन्होंने लिखा कि डीपीडीपी नियमों का मसौदा परामर्श के लिए खुला है। आपकी राय चाहता हूं।

मंजूरी के 14 महीने के बाद सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी

करीब 14 महीने पहले संसद की ओर से डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम-2023 को मंजूरी देने के बाद मसौदा नियम सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए गए हैं। मसौदा माईजीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। मसौदा नियमों में डिजिटल डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति लेने, डाटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान तय किए गए हैं। नियमों में व्यक्तियों से स्पष्ट सहमति हासिल करने के लिए एक तंत्र बनाने की बात कही गई है।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट

ड्राफ्ट के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 की सेक्शन 40 की सब-सेक्शन 40 (1) और (2) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार की ओर से एक्ट के लागू होने की डेट को या उसके बाद बनाए जाने वाले प्रस्तावित नियमों का ड्राफ्ट पब्लिश किया जाता है। ड्राफ्ट नियमों में डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत लोगों की सहमति लेने, डेटा प्रोसेसिंग निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रोविजन (प्रावधान) तय किए गए हैं।

18 फरवरी के बाद होगा विचार

नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ड्राफ्ट नियमों पर 18 फरवरी 2025 के बाद विचार किया जाएगा। नियमों में डीपीडीपी एक्ट, 2023 के तहत पेनाल्टी का जिक्र नहीं किया गया है। डीपीडीपी नियमों का लंबे समय से इंतजार हो रहा था। फिलहाल सरकार ने जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसमें नियमों के उल्लंघन पर किसी तरह की कार्रवाई का जिक्र नहीं है। सरकार ने अभी सिर्फ लोगों से उनकी राय मांगी है। सरकार लोगों की राय पर गौर करने के बाद कोई कदम उठाएगी।

शपथ से पहले डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका, हश मनी केस में 10 जनवरी को सुनाई जाएगी सजा*
#trump_to_be_sentenced_on_january_10_in_case_of_paying_money_to_silence
अमेरिका में 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण होने वाला है। लेकिन शपथ लेने से पहले ही वह बड़े संकट का सामना कर रहे हैं। न्यूयॉर्क के एक जज ने ऐसा आदेश दे दिया है जिसकी वजह से उनकी रिपब्लिकन पार्टी सदमे में आ गई है। डोनाल्ड ट्रंप को गुप्त धन (हश मनी केस) में 10 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। बता दें कि शुक्रवार को जज जुआन मर्चेंट ने कहा है कि वे इस मामले में सजा सुनाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी संकेत दिए हैं कि वे ट्रंप को जेल की सजा नहीं देंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार न्यायाधीश जुआन एम. मर्चेन ने कहा कि उन्होंने ट्रंप को सजा देने में किसी कानूनी अड़चन को महसूस नहीं किया। इसी कारण 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले उन्हें सज़ा सुनाना जरूरी था। न्यायाधीश जुआन मर्चेन ने संकेत दिया कि वह ट्रंप को जेल की सजा या जुर्माना नहीं देंगे। बल्कि उन्हें “सशर्त रिहाई” देंगे। साथ ही उन्होंने अपने आदेश में लिखा कि राष्ट्रपति-चुनाव सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से या वर्चुअल रूप से उपस्थित हो सकते हैं। उन्होंने सजा की तारीख 10 जनवरी तय की लेकिन यह भी संकेत दिया कि मामला लगभग खत्म हो चुका है। *ट्रंप ने की थी फैसले को खारिज करने की अपील* इससे पहले ट्रंप ने नवंबर में पुनर्निर्वाचन के कारण जूरी के फैसले को खारिज करने की अपील की थी। न्यायाधीश ने कहा कि कोई दंड न लगाने से मामले में अंतिमता आएगी और ट्रम्प को फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति मिलेगी। साथ ही न्यायाधीश मर्चेन ने यह भी कहा कि वे ट्रम्प को वर्चुअल तरीके से सजा सुनाएंगे ताकि राष्ट्रपति की शारीरिक और मानसिक मांगों को ध्यान में रखा जा सके। *क्या है हश मनी केस?* दरअसल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप के संबंधों की खूब चर्चा रही। जानकारी के मुताबिक डेनियल्स ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं। इसके बाद ट्रंप ने उन्हें पैसे दिए। डोनाल्ड ट्रंप को डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यावसायिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया। *ट्रंप ने जज पर लगाया आरोप* अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्हें दोषी ठहराया गया। हालांकि, ट्रंप ने मुकदमे को धांधलीपूर्ण बताया था। उन्होंने जज पर पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। ट्रंप ने कहा था कि जज भ्रष्ट हैं, जिसकी वजह से मुकदमे में धांधली की गई है।
दिल्ली ने ओढ़ी कोहरे की “चादर”, रफ्तार पर ब्रेक, 100 से अधिक उड़ानें रद्द

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देश में सर्दी ने अपना सितम ढाना शुरू कर दिया है। देश की राजदानी दिल्ली समेत पूरा उत्तर बारत ठंड से कांप रहा है।दिल्ली-एनसीआर कोहरे की चादर में लिपटे हुए हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश में भी घना कोहरा छाया हुआ है, जिससे जन-जीवन प्रभावित हो रहा है। शुक्रवार को कोहरे के कारण दिल्ली के कई इलाकों में दृश्यता शून्य हो गई। कोहरे की वजह से यातायात पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। विमान और ट्रेन के मुसाफिरों पर कोहरे का कहर पड़ रही है। बीते शुक्रवार को सड़कों पर वाहन रेंगते हुए नजर आए। कोहरे के कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कई ट्रेनें देरी से चल रही हैं और शहर में शीतलहर का प्रकोप जारी है।

सबसे ज्यादा हालात आईजीआई हवाई अड्डे पर खराब रहे। यहां शनिवार सुबह विजिब्लिटी शून्य थी। ऐसे में घने कोहरे के कारण विमानों के परिचालन पर बहुत बुरा असर पड़ा है। रनवे पर विजिब्लिटी का रेंज 100 से 250 मीटर के बीच है। इस कारण सुबह सात बजे तक ही आईजीआई से उड़ान भरने वाली और लैंड करने वाली 88 फ्लाइट्स देर हो चुकी थी। इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) के मुताबिक, कोहरे की वजह से 507 उड़ानें प्रभावित हुईं। इसके अलावा खराब मौसम की वजह से 15 उड़ानों को रद्द तक करना पड़ा है।

रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार सुबह में दिल्ली पहुंचने वाली वंदेभारत और राजधानी सहित 30 से अधिक ट्रेनें एक घंटे से अधिक की देरी से चल रही हैं। ये अभी शनिवार दोपहर एक बजे तक का शेड्यूल है। रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली स्टेशन पर आने वाली कम से कम 18 ट्रेनें एक घंटे से अधिक की देरी से चल रही हैं। आनंद विहार टर्मिनल पहुंचने वाली कम से कम 9 ट्रेनें देरी से चल रही हैं। वहीं नई दिल्ली स्टेशन पहुंचने वाली 30 से अधिक ट्रेनें एक घंटे से अधिक देरी से चल रही हैं। इनमें वंदेभारत और राजधानी ट्रेनें भी शामिल हैं। हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर पहुंचने वाली कम से कम 24 ट्रेनें एक घंटे से अधिक देरी से चल रही हैं।

ठंड के बीच बारिश के आसार

मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में चक्रवाती परिसंचरण के रूप में एक पश्चिमी विक्षोभ निचले से ऊपरी क्षोभमंडल स्तरों पर बना हुआ है। इसके कारण 5-6 जनवरी को राजधानी दिल्ली समेत पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तराखंड में गरज के साथ छिटपुट से लेकर मध्यम बारिश, बिजली गिरने की संभावना है। इसके अलावा 4 से 6 जनवरी तक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और 5 से 6 जनवरी को हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है।

छाया रहेगा घना कोहरा

मौसम विभाग ने पंजाब, हरियाणा चंडीगढ़ और दिल्ली के कुछ इलाकों और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में देर रात और सुबह के समय बहुत घना कोहरा छाए रहने की संभावना जताई है। हिमाचल प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, ओडिशा, असम और मेघालय के कुछ इलाकों में भी घना कोहरा छाया रहेगा। शनिवार को उत्तरी मध्य प्रदेश, बिहार के कुछ इलाकों, असम और मेघालय में भी कोहरा छाए रहने की संभावना है।

कितना रहेगा तापमान

मौसम विभाग के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग इलाकों में हल्का से मध्यम कोहरा छाया रहेगा। मौसम विभाग का कहना है कि अगले 5 दिनों के दौरान पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है। अगले 24 घंटों के दौरान मध्य भारत में न्यूनतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की भी संभावना नहीं है। उसके बाद 2-3 दिनों में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है। वहीं, अगले 5 दिनों के दौरान गुजरात राज्य को छोड़कर पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है, जहां अगले 3 दिनों के दौरान कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा और उसके बाद 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होगी।

बांग्लादेश फिर से लिख रहा इतिहास, शेख मुजीबुर रहमान की विरासत मिटाने की तैयारी, भारत का दे रहा हवाला

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तख्तापलट के बाद बांग्लादेश बदल रहा है। पड़ोसी देश में अब इतिहास की किताबों को फिर से लिख रहा है। खासतौर से 1971 के मुक्ति संग्राम के बारे में फिर से लिखा जा रहा है। इतिहास की नई पाठ्यपुस्तकों में बताया जाएगा कि 1971 में 6 मार्च को बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा बंगबंधु मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जियाउर रहमान ने की थी। नई पाठ्यपुस्तकों से मुजीब की ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि भी हटा दी गई है।

डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों के लिए नई किताबों में यह जानकारी होगी कि जियाउर रहमान ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी।रिपोर्ट के मुताबिक, नई पाठ्यपुस्तकों में कई बदलाव होंगे और इनको छापने का काम अभी चल रहा है। किताबों को एक जनवरी से छात्रों को वितरित किया जाना था। वर्ष 2010 से (जब शेख हसीना दूसरी बार सत्ता में आई थीं) पाठ्यपुस्तकों में लिखा गया कि शेख मुजीबुर रहमान ने 26 मार्च, 1971 को पाकिस्तानी सेना की ओर से गिरफ्तार किए जाने से ठीक पहले एक वायरलेस संदेश के जरिए स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

बांग्लादेश के नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्ट बुक बोर्ड (एनसीटीबी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एकेएम रियाजुल हसन ने कहा कि 2025 शैक्षणिक वर्ष के लिए नई पुस्तकों में बताया जाएगा कि '26 मार्च 1971 को जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की और 27 मार्च को उन्होंने बंगबंधु की ओर से स्वतंत्रता की एक और घोषणा की।' उन्होंने कहा कि यह जानकारी निशुल्क वितरित की जाने वाली किताबों में शामिल कर ली गई है, जिनमें घोषणा का उल्लेख किया गया है।

अतिरंजित और थोपे गए इतिहास को हटाने की कोशिश

पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल रहे रिसर्चर राखल राहा ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों से अतिरंजित और थोपे गए इतिहास को हटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि 'पाठ्यपुस्तकों में बताया गया था कि शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने वायरलेस संदेश में बांग्लादेश की आजादी का एलान किया था, लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिसके बाद ही इसे हटाने का फैसला किया गया है।' आवामी लीग के समर्थक मानते हैं कि शेख मुजीबुर रहमान ने देश की आजादी का एलान किया था और जियाउर रहमान ने, जो उस समय सेना में थे, मुजीब के निर्देश पर केवल घोषणा पढ़ी थी।

बांग्लादेश भारत का दे रहा हवाला

एनसीटीबी के अध्यक्ष रियाजुल ने कहा कि टेलीग्राम को संविधान में संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया था। उन्होंने कहा, ''तत्कालीन भारतीय नेता और तत्कालीन सूचना मंत्रालय की ओर से तैयार की गई स्वतंत्रता के बाद की पहली डॉक्यूमेंट्री 'स्वतंत्रता संग्राम के दस्तावेज' जियाउर रहमान की ओर से घोषणा करने के पक्ष में सबूत दिखाती है।''

सत्ता में बैठे लोगों के अनुसार बदला जाता रहा है इतिहास

रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले कक्षा एक से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में स्वतंत्रता की घोषणा किसने की, इसकी जानकारी सत्ता में रहने वाली सरकार के अनुसार बदल दी जाती थी। एनसीटीबी के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि 1996-2001 तक जब एएल सत्ता में थी किताबों में कहा गया कि शेख मुजीब ने स्वतंत्रता की घोषणा की और जियाउर रहमान ने घोषणा पढ़ी। इसके बाद 2001-2006 तक जब बीएनपी सत्ता में थी तो बताया गया कि जियाउर ने घोषणा की थी। हालांकि, वे यह नहीं बता सके कि 1996 से पहले पाठ्यपुस्तकों में क्या लिखा जाता था।

मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश

बांग्लादेश के नोटों से शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर हटाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। बीते साल 5 अगस्त को शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और उनके देश छोड़कर जाने के बाद से ही शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है। शेख मुजीबुर रहमान की हत्या वाली तारीख 15 अगस्त को मिलने वाले अवकाश को भी खत्म कर दिया गया है। गौरतलब है कि जिया उर रहमान की पत्नी खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने ही शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी।

पाकिस्तान ने बांग्लादेश को कहा 'बिछड़ा हुआ भाई', भारत के साथ रिश्ते पर भी बड़ा बयान

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शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में बहुत कुछ बदल रहा है। अब तक एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन लगते ढाका और इस्लामाबाद करीब आ रहे हैं। इसी महीने दोनों देशों के नेताओं ने इजिप्ट में मुलाकात की, जो पिछले कुछ महीनों में दूसरी भेंट थी। बांग्लादेश की आजादी के बाद से पहली बार उनके बीच समुद्री व्यापार भी शुरू हुआ, और सैन्य प्रैक्टिस की भी बात हो रही है। इस बीच पाकिस्तान ने बांग्लादेश को लेकर बड़ा बयान दिया है।

पाकिस्तान ने बांग्लादेश को अपना बिछड़ा हुआ भाई बताया है। यह बयान पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार का है। डार ने कहा कि वह बांग्लादेश की यात्रा करेंगे और पाकिस्तान हर संभव तरीके से उनके साथ सहयोग करेगा। पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने अफगानिस्तान को भी अपना भाई बताया।

यही नहीं, पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार ने भारत से द्विपक्षीय रिश्ते सुधारने की गुजारिश की है।पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि संबंधों को बेहतर करने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। यह एकतरफा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने में मदद करने के लिए माहौल बनाया जाए।

दरअसल, हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के करीब दो हफ्ते बाद पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार का ये बयान सामने आया है। शहबाज से मुलाकात के दौरान मोहम्मद यूनुस ने 1971 के मुद्दों को हल करने का आग्रह किया था। वहीं, शहबाज ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की थी। इस दौरान शहबाज ने भी बांग्लादेश को अपना भाई बताया था. पाकिस्तानी पीएम ने कहा था कि हम वास्तव में अपने भाई देश बांग्लादेश के साथ हमारे रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं।

बता दें कि अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार आ गई, जिसके नेता मोहम्मद यूनुस हैं।उनकी विदेश नीति ढाका की पुरानी पॉलिसी से एकदम अलग लग रही है। एक तरफ वे भारत से तनाव को उकसा रहे हैं, दूसरी तरफ पाकिस्तान से दशकों पुरानी दुश्मनी को मिटा रहे हैं। कई अहम मुद्दों पर नई दिल्ली को किनारे रख ढाका ने इस्लामाबाद का साथ देना शुरू कर दिया है।

चीन में एचएमपीवी की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य संस्था का बयान: घबराने की कोई बात नहीं

चीन में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के फैलने की अटकलों के बीच, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा है कि "घबराने की कोई बात नहीं है", दूरदर्शन ने रिपोर्ट किया । संस्था के महानिदेशक अतुल गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि देश में अभी तक श्वसन संबंधी बीमारी एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

चीन में एचएमपीवी के प्रकोप के बारे में खबरें आई हैं और यह गंभीर है। हमें ऐसा नहीं लगता, मैं स्पष्ट कर दूं, यह किसी भी अन्य श्वसन वायरस की तरह है जो ज्यादातर बुजुर्गों और 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है," गोयल ने कहा। उन्होंने कहा कि सर्दियों के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियां आम हैं और भारत के अस्पताल इनसे निपटने के लिए सुसज्जित हैं। गोयल ने संवाददाताओं से कहा, "विशेष रूप से दवाओं की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके खिलाफ एंटी-वायरल दवाएं नहीं हैं। अस्पतालों में या आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार कोई बड़ा मामला नहीं है। घबराने की कोई बात नहीं है।"

इससे पहले एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों की बारीकी से निगरानी कर रहा है। हालांकि चीन में एचएमपीवी प्रकोप की रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एनसीडीसी ने कथित तौर पर कहा है कि वह इस मामले के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। विशेष रूप से, शीत लहर और वायु गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति के कारण, सर्दियों के मौसम में श्वसन संबंधी बीमारियों को लेकर चिंताएं आम तौर पर देश में मौजूद रहती हैं।

चीनी रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने दिसंबर के अंत में घोषणा की थी कि वह अज्ञात मूल के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित कर रहा है क्योंकि सर्दियों में कुछ श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि होने की उम्मीद है, रॉयटर्स ने बताया। देश के इस कदम का उद्देश्य अज्ञात रोगजनकों को संभालने के लिए प्रोटोकॉल की पहचान करने और स्थापित करने में अधिकारियों की सहायता करना था। कथित तौर पर इस प्रणाली पर चीन का कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इसकी तैयारी का स्तर पांच साल पहले की तुलना में बेहतर है, जब COVID-19 पहली बार सामने आया था।