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पीएम मोदी के “जेम्स बॉन्ड” अजीत डोभाल जा रहे हैं रूस, दुनियाभर में इस दौरे की चर्चा क्यों?

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करीब दो साल से अधिक समय से चली आ रही रूस-यूक्रन जंग को लेकर दुनियाभर के देश भारत की तरफ टकटकी लगाकर देख रहे हैं। इन देशों में सबसे ताकतवर श अमेरिका भी शामिल है। जो कई ये जाहिर कर चुका है कि भारत ही रूस को रोक सकता है। अभी हाल ही में खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग सुलझाने में भारत और चीन अहम भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन के बाद इटली की पीएम का भी मानना है कि शांति वार्ता को लेकर भारत और चीन ही मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते। इस बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस सप्ताह मास्को की यात्रा करेंगे। शांतिदूत वाला रोल निभाने को तैयार भारत के इस “दूत” के मॉस्को दौरे पर सबकी निगाहें जमी हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी जुलाई में रूस की यात्रा की थी। इसके अगले महीने ही अगस्त में पीएम मोदी यूक्रेन पहुंचे। इसके बाद आए पुतिन के बयान ने साफ कर दिया है कि संघर्ष को रोकने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है।यूक्रेन की यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी। रूस की तरफ से कहा गया कि फोन काल के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी हाल की कीव यात्रा के बारे में बताया। इस दौरान पीएम मोदी ने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से यूक्रेन समझौता करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, इस फोन काल के दौरान ही यह तय किया गया कि एनएसए डोभाल मॉस्को जाएंगे। खास बात यह है कि जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की थी, जो यूक्रेन का महत्वपूर्ण सहयोगी है।

एनएसए अजीत डोभाल 10-11 सितंबर को मॉस्को की यात्रा करेंगे। इस दौरान उनका फोकस यूक्रेन जंग में शांति समझौते कराने पर रहेगी। अजीत डोभाल मॉस्को में होने वाले ब्रिक्स एनएसए के सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। भारत से जहां मध्यस्थ के रूप में अजीत डोभाल रहेंगे, वहीं चीन की ओर से वांग यी। चीन के एनएसए वांग यी भी उस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे, जिसमें यूक्रेन जंग सबसे अहम मुद्दा होगा।

यहां खास बात है कि अजित डोभाल और वांग यी ही भारत-चीन सीमा समाधान पर बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर नये सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है।एनएसए अजीत डोभाल रूस यात्रा के दौरान चीन और ब्राजील समेत अपने ब्रिक्स समकक्षों से मिलेंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे यह समूह संघर्ष को समाप्त करने में पहल कर सता है।

क्या बदल जाएगा बांग्लादेश का राष्ट्रगान? कट्टरपंथियों ने उठाई मांग, जानें भारत से क्या है कनेक्शन
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बांग्लादेश में अब राष्ट्रगीत 'आमार सोनार बांग्ला' को लेकर विवाद शुरू हो गया है। शेख हसीना के शासन के पतन के बाद कट्टरपंथी राष्ट्रगीत बदलने की मांग कर रहे हैं।बांग्लादेश की कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने ये मांग उठाई है। जमात-ए-इस्लामी पार्टी के पूर्व प्रमुख के बेटे अब्दुल्लाह अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगीत को बदलने की मांग की है। आजमी ने रवींद्रनाथ टैगोर रचित 'आमार सोनार बांग्ला' को बदलने की मांग करते हुए कहा कि भारत ने इसे 1971 में हम पर थोपा था।

अब्दुल्लाह अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग की थी। उन्होंने कहा, मैं राष्ट्रगान का मामला इस सरकार पर छोड़ता हूं। हमारा वर्तमान राष्ट्रगान हमारे स्वतंत्र बांग्लादेश के अस्तित्व के विपरीत है।यह बंगाल विभाजन और दो बंगालों के विलय के समय को दर्शाता है। दो बंगालों को एकजुट करने के लिए बनाया गया एक राष्ट्रगान एक स्वतंत्र बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है?

आजमी ने आगे कहा कि 'यह राष्ट्रगान 1971 में भारत ने हम पर थोपा था। कई गीत राष्ट्रगान के रूप में काम कर सकते हैं। सरकार को एक नया राष्ट्रगान चुनने के लिए एक नया आयोग बनाना चाहिए।

*क्या बोली सरकार?*
हालांकि, बांग्लादेश में मोहम्मद युनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के सलाहकार अबुल फैज मुहम्मद खालिद हुसैन ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया। अबुल फैज मुहम्मद खालिद हुसैन ने कहा है कि देश के राष्ट्रगान को बदलने की कोई योजना नहीं है। अंतरिम सरकार विवाद पैदा करने के लिए कुछ नहीं करेगी, हम सभी के सहयोग से एक सुंदर बांग्लादेश का निर्माण करना चाहते हैं।

*पहले भी उठ चुकी है राष्ट्रगान बदले की मांग*
बांग्लादेश के मौजूदा राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ को बदलने की मांग और कोशिश यह कोई पहली बार नहीं है। बांग्लादेश बनने के बाद साल 1975 में पहले तख्तापलट के बाद भी इसे बदने प्रक्रिया शुरू हुई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति मुश्ताक अहमद ने एक समिति गठित की थी, जिसने काजी नजरूल इस्लाम के “नोतुनेर गान” या फारुख अहमद के “पंजेरी” को राष्ट्रगान बनाने का प्रस्ताव दिया था। साल 2002 में बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर मोतीउर रहमान निज़ामी ने ‘आमार सोनार बांग्ला’ को इस्लामी मूल्यों और भावना के खिलाफ बताया था। उन्होंने इसे बदलने के लिए प्रस्ताव भी रखा था। लेकिन कैबिनेट डिवीजन ने इस मांग को खारिज कर दिया था।

*किसने लिखा ‘आमार सोनार बांग्ला’ ?*
बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने इसी नाम से लिखे गए गीत से लिया गया है। उन्होंने इसे साल 1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ लिखा था। 19 जुलाई 1905 को वायसरॉय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल को धर्म के आधार पर बांटने का ऐलान किया था। उसी साल 16 अक्टूबर को लागू हुआ। जिसके बाद गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने बंगाल की एकता के लिए इस गीत की पंक्तियां लिखी। जो उसी साल सितंबर में ‘बंगदर्शन’ नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुईं। साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्र बांग्लादेश बनने के बाद इस गीत की 10 पंक्तियों को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया।
पारसी भी तो अल्पसंख्यक, बिना विशेष अधिकार मांगे..', पढ़िए, आखिर किस पर था अमित शाह का निशाना

केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने 8 सितंबर को पारसी समुदाय की प्रशंसा की। कहा कि उन्होंने 'अल्पसंख्यक' अधिकारों की मांग किए बिना हर क्षेत्र में देश के लिए योगदान दिया है। शाह ने यहां एक मीडिया कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, "ऐसे कई लोग हैं जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि अगर अल्पसंख्यकों में कोई अल्पसंख्यक है, तो वे पारसी हैं। उन्होंने कभी अपने अधिकारों के लिए विरोध नहीं किया, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए जिया। उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं मांगा; उन्होंने इस देश के लिए योगदान दिया।"

माइनॉरिटी में भी अगर कोई माइनॉरिटी है, तो पारसी है। माइनॉरिटी राइट्स के लिए झगड़ा करने वालों को पारसी समुदाय से सीखना चाहिए, जो अपने कर्तव्यों के लिए ही जीवन जीते हैं और जिन्होंने कभी कोई माँग किये बिना हर क्षेत्र में योगदान दिया है।

भारत में पारसियों के योगदान का विवरण देते हुए उन्होंने कहा, "पारसी हर क्षेत्र में हैं, चाहे वह कानून हो, उद्योग हो, फिनटेक का विकास हो, आईटी क्षेत्र हो, परमाणु क्षेत्र हो या बांग्लादेश (युद्ध) में जीत हो, आप पाएंगे कि एक पारसी चुपचाप खड़ा है।" उन्होंने कहा, "बिना कुछ मांगे उन्होंने (पारसियों ने) देश के लिए योगदान दिया और वे देते रहे। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि अल्पसंख्यक भी आपके जैसे हों।" उन्होंने यह भी कहा कि जब पारसी लोग गुजरात में शरण लेने आए थे, तो स्थानीय राजा ने उनसे कहा था कि उनके राज्य में पहले से ही बहुत ज़्यादा आबादी है और उनसे पूछा था कि वे वहां कैसे रह सकते हैं। तब पारसियों ने कहा था कि जैसे चीनी दूध में घुल जाती है, वैसे ही वे भी समाज में घुल-मिल जाएंगे।

दरअसल, भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा अक्सर उठता रहता है, राजनेता इसे वोट बैंक बनाने के लिए जमकर इस्तेमाल करते हैं। आरोप लगाए जाते हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है, खासकर मुस्लिमों पर, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है, लगभग 30 करोड़ से अधिक।इस तरह से मुस्लिमों को भड़काकर राजनेताओं द्वारा अपने पाले में बांधकर रखा जाता है, ताकि उनके वोट एकमुश्त मिलते रहें और मिलते भी हैं। इसीलिए उनकी हर डिमांड भी पूरी की जाती है, जो लगातार बढ़ रही है। आप देखेंगे तो पाएंगे कि भारत में मुस्लिमों के लिए अलग से जितने कानून और नियम बनाए गए उतने किसी और धर्म के लिए नहीं हैं, फिर चाहे वो कितने ही अल्पसंख्यक हों, क्योंकि वो वोट बैंक नहीं हैं। मुस्लिम समुदाय के लिए वक्फ बोर्ड, पूजा स्थल कानून, पर्सनल लॉ बोर्ड, अनुच्छेद 370, जैसे कई विवादित कानून बना दिए गए हैं, जो कुछ हद तक देश के लिए भी घातक हैं, इसके अलावा उन्हें हज पर सब्सिडी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, आरक्षण के जरिए भी तमाम लाभ दिए जाते हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 57000 पारसी रहते हैं, लेकिन उनकी कोई स्पेशल डिमांड नहीं और ऐसा भी नहीं है कि कम संख्या होने के कारण वो पनप नहीं पा रहे, या बहुसंख्यक उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रहे। टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा, गोदरेज के संस्थापक आर्देशिर गोदरेज, वाडिया उद्योग के संस्थापक लवजी नुसरवानजी वाडिया, और सीरम इंस्टीट्यूट के सायरस पूनावाला. रतन टाटा, होमी जहांगीर भाभा जैसे दिग्गज पारसी हैं। स्वतंत्रता सेनानियों में मैडम भीखाजी कामा, दादाभाई नैरोजी भी पारसी थे। साइरस मिस्त्री, बोमन ईरानी जैसे दिग्गज भी पारसी हैं, जो भारत में काफी फले-फूले हैं। ये दर्शाता है कि भारत में सभी के लिए समान अवसर मौजूद हैं, जिसका आबादी से कोई ताल्लुक नहीं, बस सबकुछ आपके कर्मों पर निभर है। बिना कुछ मांगे भी पारसी इतना आगे बढ़ गए, जबकि वे तो अल्पसंख्यकों में भी सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं।

पारसी समुदाय, सिख समुदाय, यहूदी समुदाय, बौद्ध समुदाय, जैन समुदाय, ईसाई समुदाय की तादाद भारत में बेहद कम है, लेकिन वो लोग बिना किसी डिमांड के देश की उन्नति में अपना योगदान देते रहते हैं। इन्होने ना आज तक आरक्षण की मांग की है, ना ही किसी विशेष सुविधा की, ना देश में हिस्सा माँगा है, ना संसद में अपना नेता। पारसियों ने सही ही कहा था, वे भारतीय समाज में उसी तरह घुलमिल गए हैं, जैसे दूध में चीनी। आज तक पारसियों द्वारा किसी समुदाय पर एक पत्थर चलाने की खबर नहीं आई है। इनका जो देश था, फारस (पर्शिया), वो इस्लामी आक्रमण के बाद अब ईरान बन चुका है और पारसियों को वहाँ से भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी थी, तब से ये समुदाय भारत को ही अपनी कर्मभूमि मानता है।

शख्स ने खोली बीयर की बोतल, अंदर से निकली ऐसी चीज देखते ही लगा चीखने, वायरल हो रहा वीडियो

मध्य प्रदेश के बैतूल से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है यहाँ एक व्यक्ति ने ठेके से बीयर की बोतल खरीदी, किन्तु घर जाकर जब उसने बीयर को गिलास में डाला, तो उसे एक अजीब चीज दिखाई दी जिसने उसके होश उड़ा दिए। बीयर के अंदर से एक मरी हुई छिपकली निकली। यह देख व्यक्ति घबरा गया तथा तुरंत बोतल लेकर शराब के ठेके पर पहुंचा। उसका आरोप है कि दुकानदार ने उसकी बात सुनते ही गालियां दीं और उसे दुकान से बाहर निकाल दिया। इस घटना का वीडियो व्यक्ति ने बना लिया था, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

यह घटना बैतूल के मुलताई इलाके की है। जानकारी के अनुसार, सचिन नामक व्यक्ति ने नजदीकी ठेके से बीयर की बोतल खरीदी थी। जब वह घर में बीयर को गिलास में डाल रहा था, तभी उसके साथ एक मरी हुई छिपकली भी उसमें गिर गई। यह देखकर सचिन चौंक गया तथा उसने तुरंत इसका वीडियो बना लिया। फिर वह बोतल एवं छिपकली लेकर ठेके पर पहुंचा। सचिन ने जब दुकानदार को यह बात बताई, तो आरोप है कि दुकानदार ने उसकी शिकायत सुनते ही उसे गालियां देना आरम्भ कर दिया। जब सचिन ने कहा कि आपकी लापरवाही से मेरी जान भी जा सकती थी, तो दुकानदार गुस्से में आकर उसे दुकान से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया।

तत्पश्चात, सचिन ने ठेके के बाहर हंगामा किया और कहा कि वह इसकी शिकायत अफसरों से करेगा। हालांकि, आबकारी अधिकारी अंशुमन चढ़ार ने बताया कि अभी तक उनके पास इस मामले की कोई शिकायत नहीं आई है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के पश्चात्, सचिन ने बताया कि बीयर की बोतल पूरी तरह सील थी। सवाल यह उठता है कि यदि बोतल सील थी, तो छिपकली अंदर कैसे पहुंची? आबकारी अफसर अंशुमन चढ़ार ने कहा कि उन्होंने भी यह वीडियो देखा है तथा इस मामले की तहकीकात की जाएगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पहले पीटा, फिर उतारे कपड़े और…', उज्जैन में साधु के साथ अभद्रता पर एमपी में मचा बवाल, जानिए, किस पर लगा गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश के उज्जैन से 60 किलोमीटर दूर नागदा में एक साधु के साथ मारपीट एवं अभद्र व्यवहार का मामला अब गंभीर होता जा रहा है, क्योंकि आरोप बीजेपी नेता के भाई पर लगे हैं। इस घटना को लेकर कांग्रेस आक्रामक हो गई है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर मोहन सरकार पर हमला बोला है। पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज कर आरोपी की तलाश आरम्भ कर दी है।

घटना मुंगावली के साधु गोपालदास से जुड़ी है, जो भगवान द्वारकाधीश के दर्शन के पश्चात् अपने घर लौट रहे थे। नागदा में अपने गुरु, संत त्यागी महाराज से मिलने की इच्छा के चलते वे वहां पहुंचे। जब वे आश्रम की तरफ जा रहे थे, तब बीसीआई कॉलोनी के जंगल के पास दो नशे में धुत युवकों ने उन्हें रोका। आरोप है कि इन युवकों ने उनसे कभी गायत्री मंत्र बुलवाया, तो कभी अभद्रता की एवं मारपीट कर उनके रुपए छीन लिए। इसके साथ ही उनके कपड़े उतरवाने का भी आरोप है। घटना के पश्चात् साधु गोपालदास तुरंत बिरलाग्राम थाने पहुंचे और दोनों युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।

मामले में विवाद इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि जिन पर आरोप लगा है, उनमें एक पूर्व राज्यमंत्री सुल्तान सिंह शेखावत के भाई लक्ष्मण सिंह शेखावत भी सम्मिलित हैं। लक्ष्मण सिंह और उनके मित्र विक्की शुक्ला के खिलाफ पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया है, मगर अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार की आलोचना की है, आरोप लगाते हुए कहा कि मोहन सरकार के शासन में न सिर्फ आम जनता बल्कि साधु-संत भी सुरक्षित नहीं हैं।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट किया, "बीजेपी का सनातन विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है। बीजेपी के राज में अब साधु-संत भी सुरक्षित नहीं हैं। बीजेपी नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री सुल्तान सिंह शेखावत के भाई लक्ष्मण शेखावत एवं विक्की शुक्ला ने नागदा में साधु गोपालदास जी के साथ अभद्रता की, उनके कपड़े उतरवाए, मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।"

देवता कौन होता है, शिव-राम-बुद्ध क्या हैं..', अमेरिका में भारतीय दर्शन पर खुलकर बोले राहुल गांधी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस समय तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं। इस दौरान, उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षाविदों को संबोधित किया, जहां उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, शिव और बुद्ध जैसे विषयों पर चर्चा की। राहुल गांधी ने देवता शब्द के अर्थ को समझाते हुए कहा कि देवता कौन होता है ? देवता वह व्यक्ति होता है जिसकी अंदरूनी भावनाएं और बाहरी अभिव्यक्ति एक समान होती हैं। उन्होंने बताया कि एक पारदर्शी और साफ दिल का व्यक्ति ही देवता कहलाने योग्य है। राहुल के अनुसार, जो व्यक्ति बिना किसी डर या झिझक के अपनी सोच को खुलकर सामने रखता है, वही देवता है।

राहुल ने ऐतिहासिक नायकों का उदाहरण देते हुए बुद्ध, भगवान राम और महात्मा गांधी को चरम विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इन महान हस्तियों का मुख्य विचार अपनी पहचान और अहंकार को मिटाकर दूसरों को सुनने का था। राजनीति के संदर्भ में, राहुल ने कहा कि भारतीय राजनीति में नेता अपनी खुद की लालच, डर और महत्वाकांक्षाओं को पीछे छोड़ते हैं और दूसरों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने अमेरिका और भारत के नेताओं की तुलना करते हुए कहा कि अमेरिकी नेता लोगों को एक दिशा में लेकर जाते हैं, जबकि भारतीय नेता खुद को चुनौती देते हैं। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र किया, जिसमें 4000 किलोमीटर की यात्रा के दौरान उन्हें नए दृष्टिकोण और लोगों के साथ गहरा रिश्ता बनाने का अवसर मिला।

राहुल गांधी ने शिव के विचार पर चर्चा करते हुए कहा कि शिव विनाशक के रूप में अपने अहं, संरचना और मान्यताओं का विनाश करते हैं। यही विचार भारतीय राजनीति को आगे बढ़ाने में मदद करता है। राहुल की यह बातचीत 8 सितंबर को टेक्सास विश्वविद्यालय में उनके अमेरिका दौरे के पहले दिन हुई।

कोलकाता डॉक्टर रेप केस: बंगाल सरकार और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की स्टेटस रिपोर्ट

#kolkata_rape_murder_case_hearing_in_supreme_court

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर से रेप और मर्डर केस की गुत्थी अब तक अनसुलझी है। सड़कों पर लेडी डॉक्टर के लिए इंसाफ की मांग हो रही है। सीबीआई लगातार एक्शन में है, फिर भी सुराग हाथ नहीं। इस बीच आज यानी सोमवार को कोलकाता कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने फिर से सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ मामले पर सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अप्राकृतिक मौत की रिपोर्ट दर्ज करने के समय पर स्पष्टीकरण मांगा। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र दोपहर 1:47 बजे दिया गया, अप्राकृतिक मौत की एंट्री पुलिस स्टेशन में दोपहर 2:55 बजे की गई। सुप्रीम कोर्ट ने तलाशी और जब्ती के बारे में जानना चाहा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शाम 8:30 बजे से 10:45 बजे तक जवाब दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को सौंपे गए थे। एसजी मेहता ने जवाब दिया, 'हां'। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या रात 8:30 से 10:45 बजे तक की गई तलाशी और जब्ती प्रक्रिया की फुटेज सीबीआई को सौंपे गए? इस पर एसजी मेहता ने जवाब दिया कि कुल 27 मिनट के 4 क्लिप सीबीआई को सौंपे गए। एसजी ने कहा कि सीबीआई ने नमूने एम्स और अन्य केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला को भेजने का फैसला किया है।

बता दें कि कोर्ट ने देश भर में डॉक्टरों के आक्रोश और विरोध प्रदर्शन के बाद कोलकाता के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की उस नृशंस घटना को आज एक महीना हो गया। पूरे देश की निगाह आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है। दूसरी ओर, ममता बनर्जी नवान्न से राज्य के सभी डीएम और एसपी के साथ बैठक करेंगी। यह बैठक दोपहर 3 बजे शुरू होगी।

*कोलकाता डॉक्टर रेप केस: बंगाल सरकार और सीबीआ ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की स्टेटस रिपोर्ट

#kolkata_rape_murder_case_hearing_in_supreme_court

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर से रेप और मर्डर केस की गुत्थी अब तक अनसुलझी है। सड़कों पर लेडी डॉक्टर के लिए इंसाफ की मांग हो रही है। सीबीआई लगातार एक्शन में है, फिर भी सुराग हाथ नहीं। इस बीच आज यानी सोमवार को कोलकाता कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने फिर से सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ मामले पर सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अप्राकृतिक मौत की रिपोर्ट दर्ज करने के समय पर स्पष्टीकरण मांगा। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र दोपहर 1:47 बजे दिया गया, अप्राकृतिक मौत की एंट्री पुलिस स्टेशन में दोपहर 2:55 बजे की गई। सुप्रीम कोर्ट ने तलाशी और जब्ती के बारे में जानना चाहा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शाम 8:30 बजे से 10:45 बजे तक जवाब दिया। 

सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को सौंपे गए थे। एसजी मेहता ने जवाब दिया, 'हां'। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या रात 8:30 से 10:45 बजे तक की गई तलाशी और जब्ती प्रक्रिया की फुटेज सीबीआई को सौंपे गए? इस पर एसजी मेहता ने जवाब दिया कि कुल 27 मिनट के 4 क्लिप सीबीआई को सौंपे गए। एसजी ने कहा कि सीबीआई ने नमूने एम्स और अन्य केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला को भेजने का फैसला किया है।

बता दें कि कोर्ट ने देश भर में डॉक्टरों के आक्रोश और विरोध प्रदर्शन के बाद कोलकाता के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की उस नृशंस घटना को आज एक महीना हो गया। पूरे देश की निगाह आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है। दूसरी ओर, ममता बनर्जी नवान्न से राज्य के सभी डीएम और एसपी के साथ बैठक करेंगी। यह बैठक दोपहर 3 बजे शुरू होगी।

पप्पू नहीं हैं राहुल गांधी, जानें यूएस में ऐसा क्यों बोल गए सैम पित्रोदा

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी अभी अमेरिका हैं। वह तीन दिनों की यात्रा पर अमेरिका गए हैं। अपने दौरे के दौरान राहुल गांधी ने टेक्सास में इंडियन डायसपोरा को संबोधित किया। टेक्सास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष और गांधी परिवार के राजनीतिक सलाहकार सैम पित्रोदा भी मंच पर मौजूद रहे। इंडियन डायसपोरा को संबोधित करते हुए सैम पित्रोदा ने मंच से राहुल गांधी को लेकर ऐसी बात कही कि पूरा सदन तालियों और ठहाकों से गूंज उठा। सैम पित्रोदा ने कहा कि राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं।

टेक्सास में अपने संबोधन में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने कहा, राहुल गांधी का एजेंडा कुछ बड़े मुद्दों पर बात करने का है। उनका विजन बीजेपी से बिल्कुल अलग है, जो करोड़ों-करोड़ रुपये खर्च करके प्रचार करती है। मैं आपको बता दूं कि वो ‘पप्पू’ नहीं हैं। वो बहुत पढ़े-लिखे हैं और किसी भी विषय पर गहराई से सोचने वाले रणनीतिकार हैं।

पित्रोदा ने आगे कहा, कभी-कभी उन्हें समझना इतना आसान नहीं होता। राहुल गांधी सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखते हैं। सीथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भारत को जुमले की नहीं बल्कि मॉर्डन सोच और युवा नेताओं की जरूरत है।

बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन दिनों के दौरे पर अमेरिका गए हैं। अपनी अमेरिकी यात्रा के पहले दिन राहुल ने डलास में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के छात्रों और शिक्षाविदों से बातचीत की। बातचीत के दौरान राहुल ने भाजपा और आरएसएस पर जमकर हमला भी बोला।

*विदेशी जमीन से राहुल गांधी ने की चीन जमकर की तारीफ, गिना दी भारत की कमियां*

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राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं। कांग्रेस नेता ने एक बार फिर विदेशी जमीन पर अपने देश की कमियां गिनाईं हैं। भारतीयों से बात करते हुए राहुल गांधी ने फिर कुछ ऐसी बातें बोल दी हैं जिसने बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ हल्ला बोलने का मौका दे दिया है। दरअसल राहुल गांधी ने यहां चीन की भरभरकर तारीफ की है और अमेरिका के सामने दुनिया की उभरती नई शक्ति भारत की कमियों को गिनाया।

राहुल गांधी इन दिनों अपनी तीन दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर हैं। यहां टेक्सास के डैलस में एक कार्यक्रम में रोजगार के मुद्दे पर बात की। यहां राहुल गांधी ने रोजगार के मसले पर चीन की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत और पश्चिमी देशों में रोजगार की समस्या है लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। 

चीन लोगों को रोजगार देने वो अव्वल-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि अब यूरोप और अमेरिका में भी बेरोजगारी एक समस्या बन रही है। भारत में भी बेरोजगारी सबसे बड़ी और सबसे अहम समस्या है। लेकिन चीन के पास ऐसी कोई समस्या नहीं है। चीन लगातार अपना रोजगार बढ़ा रहा है। नौकरियों के नए अवसर पैदा कर रहा है। लोगों को रोजगार देने वो अव्वल रहा है। भारत ने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान ही नहीं दिया जिसकी वजह से आज बेरोजगारी के मुख्य समस्या बनकर उभर आई है। 

भारत को मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सोचना होगा- राहुल गांधी

यही नहीं राहुल गांधी ने ये भी कहा कि 90 के दशक में अमेरिका वैश्विक उत्पादन का केंद्र था लेकिन बाद ये पूरा प्रोडक्शन कोरिया और जापान में शिफ्ट हो गया। जिसके बाद कोरिया और जापान जैसे देशों ने अर्थव्यवस्था की बुलंदियों को छुआ। अगर भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करनी है और बेरोजगारी से लड़ना है तो उसे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान देना होगा।  

 

बताए बेरोजगारी से निपटने के उपाय

नेता प्रतिपक्ष ने आगे ये भी कहा कि जिसे आप विनिर्माण या मैन्युफैक्चरिंग कहते हैं, वह चीन के लिए आरक्षित होने जा रहा है। यह वियतनाम के लिए आरक्षित होने जा रहा है। यह बांग्लादेश के लिए आरक्षित होने जा रहा है। हमें लोकतांत्रिक वातावरण में मैन्युफैक्चरिंग करने के तरीके पर पुनर्विचार करना होगा। जब तक हम ऐसा नहीं करते, हमें उच्च स्तर की बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा।