आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और करीबियों पर ईडी का शिकंजा, 100 से ज्यादा अफसर खंगाल रहे ठिकाने
#ed_raids_on_multiple_locations_of_sandeep_ghosh_and_his_allied_in_rg_kar_case
आर.जी. कार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सीबीआई के बाद अब ईडी ने संदीप घोष पर शिकंजा कसा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार सुबह-सुबह ही डॉ. संदीप घोष के आवास सहित कोलकाता में कई जगहों पर छापेमारी शुरू कर दी। ये छापेमारी वित्तीय अनियमितताओं की चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है।
ईडी के 100 अफसरों की टीम लगभग 8 जगहों पर सर्च अभियान चला रही है। इसमें मुख्य रूप से संदीप घोष और उसके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। ईडी की टीम ने संदीप घोष के करीबी कौशिक कोले, प्रसून चटर्जी, बिल्पब सिंह के घर छापेमारी की है। बता दें कि संदीप घोष और बिप्लब सिंह सहित कुल चार लोगों को सीबीआई पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। कौशिक कोले, संदीप घोष का करीबी बताया जा रहा है। फिलहाल हावड़ा, सोनारपुर समेत अन्य जगहों पर ईडी की छापेमारी चल रही है।
डॉ. संदीप घोष फिलहाल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं। पहले से ही सीबीआई के अधिकारी आरजी कर रेप और मर्डर केस मामले में जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने घोष के अलावा आरजी कर के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक संजय वशिष्ठ, अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के देबाशीष सोम से मामले में पूछताछ की है। सीबीआई की एफआईआर में घोष और तीन व्यापारिक संस्थाओं के नाम शामिल हैं। तीनों संस्थाओं को कथित वित्तीय घोटाले का लाभार्थी माना जा रहा है।
बुधवार को, संदीप घोष ने कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें सीबीआई को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने का आदेश दिया गया था। उनकी याचिका 6 सितंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई है।

						

 

  
 आज लोग तनाव और दबाद के बीच जी रहे हैं। सुकून को किसी बक्से में बंद कर हम रेस में शामिल हो गए हैं। वास्तव में इंसान की प्रवृति ऐसी नहीं है। हां ये बात अलग है कि कुछ लोगों ने खुद को इस बातावरण में समायोजित कर लिया है। हालांकि, ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी है जो वातावरण के लिहाज से खुद को नहीं ढाल सकते। यहीं आता है टर्निंग प्वाइंट। यही वो जगह जब लोग खुदखुशी की ओर कदम बढ़ाते हैं। हाल ही मे जारी एक आंकड़े की मानें तो देश में कुल आत्महत्या के केस में सालाना 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारत में छात्र आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक दर से बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, छात्र आत्महत्या भारत में फैलती महामारी है। 'छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैली महामारी' रिपोर्ट वार्षिक आईसी3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में जारी की गई। जिसमें बताया गया है कि जहां देश में कुल आत्महत्या के केस में सालाना 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है, वहीं छात्र आत्महत्या के मामलों में यह वृद्धि 4 पर्सेंट से ज्यादा है। ये हालात तब हैं जब स्टूडेंट्स की स्यूसाइड की पुलिस में रिपोर्ट कम दर्ज कराई जाती है। आईसी3 इंस्टीट्यूट द्वारा सामने आी रिपोर्ट में ये सामने आया है कि पिछले दो दशकों में, छात्र आत्महत्या की घटनाओं में 4 प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि हुई है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है. साल 2022 में कुल छात्र आत्महत्या के मामलों में 53 प्रतिशत पुरुष छात्रों ने खुदकुशी की. 2021 और 2022 के बीच, छात्रों की आत्महत्या में छह प्रतिशत की कमी आई जबकि छात्राओं की आत्महत्या में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि छात्र आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड दोनों को पार करती जा रही हैं। पिछले दशक में जबकि 0-24 साल की आयुवर्ग आबादी 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई, वहीं छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई है। राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में स्टूडेंट्स ने सबसे ज्यादा स्यूसाइड किया। राजस्थान का कोटा आत्महत्या के मामलों में हमेशा चर्चा में रहता है, लेकिन इस रिपोर्ट में वह 10वें स्थान पर है। एनसीआरबी द्वारा संकलित डेटा पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी रिपोर्ट (एफआईआर) पर आधारित है। हालांकि, यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि छात्रों की आत्महत्या की वास्तविक संख्या संभवतः कम रिपोर्ट की गई है। इस कम रिपोर्टिंग के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें आत्महत्या से जुड़ा सामाजिक कलंक और भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास और सहायता प्राप्त आत्महत्या का अपराधीकरण शामिल है। हालांकि 2017 मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के लिए आत्महत्या के प्रयासों को अपराध से मुक्त करता है ॉ
 
 


 
Sep 06 2024, 10:58
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