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कांग्रेस का मिशन कश्मीरःराहुल गांधी आज रामबन और अनंतनाग में करेंगे रैली*
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जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद एक बार फिर से विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले फेज की 24 सीटों पर 18 सितंबर को वोटिंग होगी। वहीं, विधानसभा चुनाव के लिए पहले फेज की वोटिंग से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पूरी तरह से एक्टिव हो गए हैं। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बुधवार को प्रचार के लिए दिल्ली से श्रीनगर के लिए निकल चुके हैं। राहुल की पहली रैली रामबन के गूल में 12 बजे और दूसरी अनंतनाग के डूरू में 1.30 बजे से होगी। राहुल गांधी आज पूरा दिन कश्मीर में ही बिताएंगे. दिल्ली से जम्मू पहुंचने के बाद वह विमान से रामबन जिले के गुल में पहुंचेंगे, जहां 11:30 बजे उन्हें रैली संबोधित करनी है। वह बनिहाल से चुनाव लड़ रहे पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी के लिए प्रचार करेंगे। इसके बाद वह दोपहर 1 बजे अनंतनाग जिले के डुरु जाएंगे, जहां वह कांग्रेस के महासचिव और पूर्व मंत्री गुलाल अहमद मीर के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। शाम को वह दिल्ली लौट आएंगे। *कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ लड़ेंगी चुनाव* जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी। दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। कुल 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस 32 सीटों पर फाइट करेगी, जबकि पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दो सीट सहयोगी दल सीपीआईएम और पैंथर्स के लिए छोड़ी गई है। *कब-कब हैं चुनाव?* जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का आयोजन कुल तीन फेज में होगा। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा चुनाव के परिणाम 4 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
भारत ने पैरालंपिक खेलों में तोड़ा अब तक का रिकॉर्ड, बनाया सबसे ज्यादा मेडल जीतने का कीर्तिमान*
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पेरिस पैरालंपिक में भारतीय दल ने शानदार प्रदर्शन किया है। हमारे एथलीट ने धमाका करते हुए पिछले रिकॉर्ड को तोड़ डाला है। पिछले दो दिन में भारत ने 13 मेडल जीते हैं। भारत ने पेरिस में पदकों की संख्या 20 तक पहुंचा दी है और इसी के साथ पैरालंपिक में अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा डाला। टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 19 पदक जीते थे। पैरालंपिक खेलों में भारत की भागीदारी का इतिहास 64 साल पुराना है। भारत इसमें 1960 से हिस्सा लेता आ रहा है। लेकिन, साल 2024 में जो हुआ है वो एक नया इतिहास है। जो पेरिस में हुआ वो पहले किसी पैरालंपिक गेम्स में देखने को नहीं मिला। भारत ने यहां 64 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है। दरअसल, भारत ने पेरिस में 20 मेडल का आंकड़ा छूने के साथ ही एक पैरालंपिक गेम्स में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया इतिहास रच दिया है। भारत के खाते में अब कुल 20 मेडल हो गए हैं। इनमें 3 गोल्ड मेडल, 7 सिल्वर मेडल और 10 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। पेरिस से पहले भारत ने टोक्यो 2020 में पैरालंपिक गेम्स में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने कुल 19 मेडल जीते थे। लेकिन, अब पेरिस में पहले 6 दिनों के भीतर ही भारतीय पैराएथलीटों ने पैरालंपिक गेम्स के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड चकनाचूर कर दिया है। ये रिकॉर्ड जीते मेडल की संख्या का तो है ही लेकिन उससे भी बढ़कर एथलेटिक्स में मिली अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी का भी है। पेरिस पैरालंपिक में भारत ने एथलेटिक्स में अपनी सफलता की नई कहानी लिखी है। उसने यहां एथलेटिक्स में वो किया है, जो पहले इस खेल में तो क्या पैरालंपिक खेलों के इतिहास में दूसरे किसी भी खेल में नहीं किया. पैरालंपिक खेलों में पहली बार एथलेटिक्स में भारत के मेडल की संख्या ने दहाई के आंकड़े को छूआ है। *पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के मेडल विजेता खिलाड़ी* 1. अवनि लेखरा (शूटिंग)- गोल्ड मेडल, महिला 10 मीटर एयर राइफल (SH1) 2. मोना अग्रवाल (शूटिंग)- कांस्य मेडल, महिला 10 मीटर एयर राइफल (SH1) 3. प्रीति पाल (एथलेटिक्स)- कांस्य मेडल, महिला 100 मीटर रेस (T35) 4. मनीष नरवाल (शूटिंग)- सिल्वर मेडल, पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) 5. रुबीना फ्रांसिस (शूटिंग)- कांस्य मेडल, महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) 6. प्रीति पाल (एथलेटिक्स)- कांस्य मेडल, महिला 200 मीटर रेस (T35) 7. निषाद कुमार (एथलेटिक्स)- सिल्वर मेडल, पुरुष हाई जंप (T47) 8. योगेश कथुनिया (एथलेटिक्स)- सिल्वर मेडल, पुरुष डिस्कस थ्रो (F56) 9. नितेश कुमार (बैडमिंटन)- गोल्ड मेडल, पुरुष सिंगल्स (SL3) 10. मनीषा रामदास (बैडमिंटन)- कांस्य मेडल, महिला सिंगल्स (SU5) 11. थुलासिमथी मुरुगेसन (बैडमिंटन)- सिल्वर मेडल, महिला सिंगल्स (SU5) 12. सुहास एल यथिराज (बैडमिंटन)- सिल्वर मेडल, पुरुष सिंगल्स (SL4) 13. शीतल देवी-राकेश कुमार (तीरंदाजी)- कांस्य मेडल, मिक्स्ड कंपाउंड ओपन 14. सुमित अंतिल (एथलेटिक्स)- गोल्ड मेडल, पुरुष जैवलिन थ्रो (एफ 64 वर्ग) 15. नित्या श्री सिवन (बैडमिंटन)- कांस्य मेडल, महिला सिंगल्स (SH6) 16. दीप्ति जीवनजी (एथलेटिक्स)- कांस्य मेडल, महिला 400m (T20) 17. मरियप्पन थंगावेलु (एथलेटिक्स पुरुष ऊंची कूद)- कांस्य मेडल, (T63) 18. शरद कुमार (एथलेटिक्स पुरुष ऊंची कूद)- स‍िल्वर मेडल, (T63) 19 अजीत सिंह (एथलेटिक्स पुरुष भाला फेंक)- स‍िल्वर मेडल, (F46) 20 सुंदर सिंह गुर्जर (एथलेटिक्स पुरुष भाला फेंक)- कांस्य मेडल, (F46)
पीएम मोदी का ब्रुनेई दौरा कितना अहम, अमेरिका-रूस जैसे मुल्कों से डील के बाद भारत के लिए ये छोटा से देश क्यों है खास?

#pmmodibruneivisitimportance

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ब्रुनेई पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के निमंत्रण पर 3 और 4 सितंबर को ब्रुनेई की यात्रा पर हैं। करीब साढ़े चार लाख की आबादी वाले ब्रुनेई का प्रधानमंत्री मोदी का दौरा ऐतिहासिक है। पीएम मोदी की ब्रुनेई की यह पहली यात्रा है। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा। यह यात्रा उस वक्त हो रही है जब दोनों देश अपने राजनीयिक संबंधों की स्थापना के 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई रवाना होने से पहले एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “आज, मैं ब्रुनेई दारुस्सलाम की अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर जा रहा हूं। हम अपने राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। मैं महामहिम सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया और शाही परिवार के अन्य सम्मानित सदस्यों के साथ अपनी बैठकों को लेकर उत्सुक हूं, ताकि हमारे ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकें।”

इस छोटे से मुल्क के साथ क्यों खास है संबंध?

पीएम मोदी करीब 24 घंटे तक ब्रनेई में रहेंगे। इस दौरान वह कई अहम बैठकों और मुलाकातों में शिरकत करेंगे। अब सवाल ये पैदा हो रहा है कि अमेरिका, रूस जैसे मुल्कों के साथ डील करने वाले पीएम मोदी इन छोटे से मुल्क में इतना समय क्यों बिता रहे हैं। दरअसल, भारत बीते कुछ समय से अपनी विदेश नीति को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों पर केंद्रित कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से बेहद समृद्ध इन मुल्कों के साथ साझेदारी को और ऊंचाई पर पहुंचाकर देश का आर्थिक विकास करना है। साथ ही इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को काउंटर करना है।

चीन के करीबी मुल्कों में अपनी पकड़ होगी मजबूत!

दरअसल, इसकी भौगिलिक स्थिति काफी अहम है। यह दक्षिण-पूर्वी एशिया, बोर्नियो द्वीप के उत्तरी तट के साथ, दक्षिण चीन सागर और मलेशिया की सीमा पर स्थित है। दक्षिण चीन सागर के जरिए हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के करीब है। यह दक्षिण चीन सागर के करीब है। यहीं से हिंद प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार का सबसे अहम मार्ग गुजरता है। ऐसे में पीएम मोदी ब्रुनेई के साथ आर्थिक से साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना चाहते हैं। इससे भारत को भौगोलिक रूप से चीन के करीबी मुल्कों में अपनी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।

यूक्रेन पर रूस का बड़ा हमला, बैलिस्टिक मिसाइल अटैक में 41 की मौत

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रूस ने मंगलवार को यूक्रेन के पोल्तावा शहर में 2 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। रूस ने कब्जे वाले क्रीमिया क्षेत्र से 3 इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिसमें से 2 मिसाइलों ने एक मिलिट्री स्कूल और अस्पताल को चपेट में लिया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने दावा किया है कि इस हमले में 41 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 180 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अपने टेलीग्राम चैनल के जरिए बताया है कि एक हमला पोल्तावा के मिलिट्री कॉलेज में हुआ, जिसमें कम से कम 41 लोग मारे गए हैं। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अलर्ट सायरन बजने और मिसाइल अटैक होने में बेहद कम समय का अंतर था। लोग बॉम्ब शेल्टर की तरफ जा ही रहे थे कि उन पर हमला हो गया। रेस्क्यू टीम ने 25 लोगों को बचा लिया जिनमें से 11 मलबे के नीचे दबे थे।

जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने उनके एक एजुकेशनल इंस्टिट्यूट और अस्पताल को निशाना बनाया। इस दौरान एक इमारत को काफी नुकसान पहुंचा। कई नागरिक इमारत के मलबे के नीचे दब गए। हमले के बाद पोल्तावा में तीन दिन के शोक की घोषणा की है। जेलेंस्की ने कहा है कि उन्होंने इस हमले को लेकर पूर्ण जांच के निर्देश दे दिए हैं।

जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी हमलावरों को इसका खामियाजा भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के वो सभी देश जो इस युद्ध को रोकने की ताकत रखते हैं, हम उनसे अपील कर रहे हैं कि यूक्रेन को एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइलों की जरूरत है। लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें ही यूक्रेन को रूस के आक्रमण से बचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से देरी का हर दिन अधिक से अधिक लोगों की जान ले रहा है।

इससे पहले रूसी सेना ने रविवार को यूक्रेन के खारकीव में घातक हमले किए थे जिसमें 5 बच्चों समेत कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई थी। यूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक ये 47 मौतें खारकीव के एक मॉल पर हुए रूसी मिसाइलों के हमलों में हुईं। खारकीव में रूसी हमलों के बाद यूक्रेन की राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से चर्चा की थी और उनकी तरफ से दी गई मिसाइलों से रूस पर हमला करने की इजाजत मांगी थी। यूक्रेन का कहना है कि वह रूस के और अंदरूनी इलाकों में हमला करना चाहता है।

वहीं, रूसी अधिकारियों की तरफ से भी कहा गया था कि यूक्रेन ने करीब 158 ड्रोन रूसी शहरों पर दागे हैं, जिसके बाद मॉस्को ऑयल रिफाइनरी और कोनाकोवो पावर स्टेशन में आग लग गई। पिछले हफ्ते रूस के शहर सरतोवा की बिल्डिंग पर एक यूक्रेनी ड्रोन से हमला किया गया था, इस हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से हुई थी।

बंगाल में एंटी-रेप बिल पास, ऐसा करने वाला बंगाल बना पहला राज्य, बलात्कारियों को 10 दिन में सजा का प्रावधान

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने आज मंगलवार (3 सितंबर) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा पेश किए गए बलात्कार विरोधी 'अपराजिता' विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित केंद्रीय कानूनों में संशोधन लाने वाला पहला राज्य बन गया है।

इस विधेयक को राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे 'ऐतिहासिक' और 'आदर्श' बताते हुए कहा कि यह विधेयक 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर को श्रद्धांजलि है, जिसकी पिछले महीने सरकारी आरजी कर मेडिकल सेंटर में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024' में बलात्कार और यौन अपराधों के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है। इसके अलावा, इसमें बलात्कार के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान, ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से आग्रह किया कि वे राज्यपाल से विधेयक पर सहमति देने की अपील करें। ममता ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है और बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधार की आवश्यकता है। ममता ने यह भी कहा कि विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए, ताकि इसे लागू किया जा सके। ममता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर असामान्य रूप से अधिक है, जबकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं को अदालतों में न्याय मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि BNS पारित करने से पहले पश्चिम बंगाल से परामर्श नहीं किया गया, और उन्होंने केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद इस पर चर्चा की इच्छा व्यक्त की। भाजपा ने विधेयक का स्वागत किया, लेकिन भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए पहले से ही कड़े प्रावधान होने की बात कही। पार्टी के नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक में सात संशोधनों की मांग की और इसका तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की बात की।

अधिकारी ने कहा कि इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और उन्होंने इस पर परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि विपक्ष समर्थन देगा, लेकिन विधेयक को तुरंत लागू करने की गारंटी दी जानी चाहिए। यह विशेष सत्र कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बुलाया गया था।

बता दें कि, इस बिल में दोषियों के लिए दस दिन में फांसी का प्रावधान है। लेकिन इसपर सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिर 10 दिन के अंदर किसी को दोषी कैसे साबित किया जाएगा ? संदेशखाली का TMC नेता शेख शाहजहां, जो कई महीनों से जेल के अंदर है, अब तक उस पर दोष साबित नहीं हो पाया है, जबकि उस पर कई महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। लेकिन, अब ममता सरकार दावा कर रही है कि वो 10 दिन में बलात्कारियों को फांसी देगी, जबकि शेख शाहजहां को पकड़ने में ही बंगाल पुलिस को 50 दिन से अधिक लग गए थे, वो भी कोलकाता हाई कोर्ट की फटकार के बाद पकड़ा गया था। मौजूदा कोलकाता के मामले में भी बंगाल पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं, सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं, CBI ने कोर्ट में खुद कहा है कि अपराध के 5 दिन बाद जब जांच उनके हाथ में आई, तब तक सबकुछ बदल गया था, सैकड़ों लोगों की भीड़ क्राइम सीन तक घुस आई थी, हॉस्पिटल में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था, यहाँ तक कि मृतका की डायरी के पन्ने भी फ़टे हुए मिले हैं, जिनमे अहम सुराग हो सकते थे। ऐसे में ये तो वक़्त ही बताएगा कि ममता सरकार बलात्कारियों को 10 दिन में फांसी दिलवा पाती है या नहीं ? या फिर ये कानून सिर्फ मौजूदा मामले में अपनी सरकार को डिफेंड करने का एक शिगूफा साबित होता है।

विधायकों-सांसदों के लिए कोई योग्यता की जरूरत नहीं, हाई कोर्ट बोला- ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में इस बात पर खेद व्यक्त किया कि अब तक विधायकों और सांसदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य नहीं किया गया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा विधायकों और सांसदों के लिए न्यूनतम योग्यता को अनिवार्य न करने पर जताए गए खेद को अब तक दूर नहीं किया गया है।

जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने इस मामले में संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के 26 नवंबर 1949 को दिए गए संबोधन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून बनाने वालों की बजाय कानून को प्रशासित करने वालों के लिए उच्च योग्यता पर जोर देना सही नहीं है। कोर्ट ने इस संदर्भ में कहा कि लगभग 75 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी सांसद या विधायक बनने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। यह टिप्पणी एक आपराधिक शिकायत को खारिज करते हुए की गई, जिसमें आरोप था कि बीजेपी नेता और पूर्व विधायक राव नरबीर सिंह ने अपने नामांकन पत्र में शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी दी थी। RTI कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा ने आरोप लगाया था कि नरबीर सिंह ने 2005 में दावा किया था कि उन्होंने हिंदी विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से स्नातक किया था, जबकि यूजीसी ने जानकारी दी थी कि ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है।

कोर्ट ने शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने सही कारणों के आधार पर यह निर्णय लिया था। अदालत ने पाया कि नरबीर सिंह के पास 2005 और 2014 में नामांकन दाखिल करते समय स्नातक की डिग्री थी और इसलिए उन्हें गलत घोषणा करने का दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आज भी विधायकों और सांसदों के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है। इस मामले ने यह सवाल भी उठाया कि जब एक छोटी सी नौकरी के लिए भी शैक्षणिक योग्यता मांगी जाती है, तो फिर किसी विधायक या सांसद के लिए न्यूनतम योग्यता का प्रावधान क्यों नहीं है? आखिरकार, इन्हीं विधायकों और सांसदों में से कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनता है, और क्या कोई अयोग्य व्यक्ति सही तरीके से राज्य या देश चला सकता है?

दिल्ली में दुश्मनी, हरियाणा में गहरा प्रेम ! AAP -कांग्रेस का गजब पॉलिटिक्स गेम, पढ़िए, पूरी खबर

 हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना तलाशी जा रही है, लेकिन दिल्ली में दोनों पार्टियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वहां कोई गठबंधन नहीं होगा। लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद, दिल्ली में कांग्रेस और AAP ने ऐलान किया था कि वे दिल्ली विधानसभा चुनावों में अलग-अलग लड़ेगी। इसके बाद, दिल्ली कांग्रेस ने AAP को सिविक मुद्दों, खासकर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है, जबकि आम आदमी पार्टी इस पर चुप्पी साधे हुए है।

दिल्ली में AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना फिलहाल बहुत कम नजर आती है। दोनों पार्टियां पहले ही सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुकी हैं कि वे विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ेगी। 2024 के आम चुनावों में दिल्ली में AAP-कांग्रेस गठबंधन से नाराज होकर दिल्ली कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन की थी। हालांकि, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली में AAP के साथ गठबंधन नहीं होगा। लेकिन, हरियाणा में उन्हें भाजपा को सत्ता से हटाना है, इसलिए दोनों पार्टियां एक दूसरे के राज़ छुपाकर एक साथ भाजपा पर हमला बोलने की तैयारी में है।

हालांकि, इंडिया गठबंधन के तहत AAP और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा, लेकिन दिल्ली में भाजपा ने सभी सात सीटों पर जीत हासिल की। वर्तमान में, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने फिर से दोहराया है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। कांग्रेस पार्टी दिल्ली में जलभराव, करंट लगने से मौतें, और बिजली दरों में बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, और केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठा रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में अब कम समय बचा है, और कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रही है।

दिल्ली में जहां दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं, वहीं हरियाणा में ये दोनों पार्टियां एक-दूसरे का सहयोग करेंगी। यह सवाल उठता है कि जब दिल्ली में दोनों पार्टियां एक-दूसरे की पोल खोल रही हैं, तो हरियाणा में जाकर कैसे ये दोनों एक-दूसरे की दोस्त बन जाएंगी और एक-दूसरे के राज छुपाने लगेंगी ? क्या जनता इन पार्टियों पर भरोसा कर सकती है, जो केवल अपने सियासी लाभ के लिए समर्थन या विरोध करती हैं? अगर आम आदमी पार्टी गलत है, तो वह दिल्ली और हरियाणा दोनों जगह गलत ही होगी। और अगर वह सही है, तो दोनों राज्यों में सही होगी। राजनीति में यह देखने को मिलता है कि पार्टियां सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, और यह सच्चाई कई बार जनता के सामने आती है।

आरएसएस ने केरल में ही क्यों की वार्षिक समन्वय बैठक, क्या है सियासी मायने?*
#rss_meeting_in_kerala_why 2024 लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की समन्वय बैठक केरल में हुई। 31 जुलाई से 2 अगस्त के बीच ये बैठक लोकसभा चुनावों के बाद हुई और इस बैठक के बाद देश के तीन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इनमें महाराष्ट्र के साथ हरियाणा और झारखंड भी शामिल हैं। ऐसे में बैठक के काफी अहम माना जा रहा है। दरअशल, लोकसभा चुनाव में इस बार पहली बार केरल के त्रिशूर सीट पर बीजेपी को जीत मिली है। वहीं पार्टी तिरुवनंतपुर सीट पर दूसरे नंबर पर रही। यही नहीं बीजेपी को केरल में विधानसभा की 11 सीटों पर बढ़त मिली है। ये संघ द्वारा तैयार किए गए पिच पर ही लड़ने का परिणाम है। ऐसे में अब भाजपा को कर्नाटक के बाद केरल ही दक्षिण का गेटवे नजर आ रहा है और शायद इसी से उत्साहित होकर आरएसएस ने भी अपनी समन्वय बैठक यहीं बुलाने का लक्ष्य रखा। भाजपा का थिंक टैंक कहलाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक समन्वय बैठक के आयोजन स्थल को लेकर हर किसी ने हैरानी जताई। केरल को वामपंथी दलों के वर्चस्व के कारण हिंदुत्व विरोधी धारा वाला राज्य माना जाता है। भाजपा लगातार वहां अपनी सियासी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें उसे धीरे-धीरे सफलता भी मिल रही है। ऐसे में वहां संघ की राष्ट्रीय बैठक के आयोजन को आम जनता के बीच नेटवर्क बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। केरल में भाजपा लगातार अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हिंदुत्व विरोधी विचारधारा वाला राज्य कहलाने वाले केरल में भाजपा खुद को हिंदुओं की आवाज बनाने की जुगत में है। इसमें आरएसएस का पूरा साथ मिल रहा है। इसी तस्दीक कर रहे हैं संघ की ओर से जारी आंकड़े। इसी साल मार्च में आरएसएस ने शाखाओं का डेटा जारी किया था। इसके मुताबिक दक्षिण के राज्य केरल में आरएसएस की 5142 शाखाएं चल रही हैं। देशभर में संघ की करीब 60 हजार शाखाएं चल रही हैं। यानी शाखाओं की कुल हिस्सेदारी में केरल की हिस्सेदारी करीब 9 प्रतिशत है। कम आबादी होने के बावजूद शाखाओं की तेजी से बढ़ती संख्या ने संघ का ध्यान केरल की तरफ खिंचा है। हाल ही में संघ ने शाखाओं की संख्या बढ़ने की वजह से केरल को उत्तर और दक्षिण विभागों में विभाजित किया था। जानकारों के मुताबिक संघ विभाजन का काम तब करती है, जब उसे लगता है कि राज्य में उसने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। केरल में संघ ने अगले साल तक 8000 शाखा लगाने का लक्ष्य रखा है। *केरल में पहली बार खिला “कमल”* संघ की बनाई हुई जमीन पर बीजेपी धीरे-धीरे फसलें भी उगाने में लगी हुई है। हालिया लोकसभा में केरल में बीजेपी का खाता खुला है। पार्टी को त्रिशूर सीट पर जीत मिली है। वहीं पार्टी तिरुवनंतपुर सीट पर दूसरे नंबर पर रही। लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखा जाए तो बीजेपी को केरल में विधानसभा की 11 सीटों पर बढ़त मिली है। जिन 11 सीटों पर पार्टी को बढ़त मिली है, उनमें त्रिशूर की 6, अतिंगल की दो और तिरुवनंतपुर की 3 सीटें शामिल हैं। इसके अलावा बीजेपी 9 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है। इनमें तिरुवनंतपुरम की 3,अतिंगल की 1, अलप्पुझा की 2, पालक्कड की 1 और कासरागोद की 2 सीटें शामिल हैं। *वेट प्रतिशत में बढ़ोतरी* चुनाव आयोग के मुताबिक केरल में बीजेपी को हालिया लोकसभा चुनाव में 19.24 प्रतशित वोट मिले हैं। 2019 के मुकाबले यह 3 प्रतिशत से ज्यादा है। 2019 में बीजेपी को केरल में 15.64 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 12.41 प्रतिशत वोट मिले थे। यानी की इस बार वोट प्रतिशत ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लेफ्ट और कांग्रेस के इस गढ़ में बीजेपी के इस प्रदर्शन से संघ भी उत्साहित है। *देश के दक्षिणी हिस्से में बीजेपी का सियासी दर्जा बढ़ाने की संभावना* भाजपा लगातार खुद को असली राष्ट्रीय पार्टी साबित करने की कवायद में जुटी है। इसके लिए दक्षिण भारतीय राज्यों में उसकी अहम मौजूदगी जरूरी है, जहां कर्नाटक को छोड़कर बाकी राज्यों में वह अब तक दोयम दर्जे की ही साबित हुई है। हालांकि लगातार कोशिश के चलते उसे तेलंगाना में दूसरे नंबर की पार्टी बनने में सफलता मिली है, जबकि तमिलनाडु में भी उसका वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा है। इस बार लोकसभा चुनावों में भाजपा सीटें जीतने में भले ही सफल नहीं हुई, लेकिन वह तमिलनाडु में अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्शाने में सफल रही है। यही हाल आंध्र प्रदेश का भी रहा है। ऐसे में संघ की दक्षिण भारतीय राज्य में वार्षिक बैठक से भाजपा को देश के उस हिस्से में सियासी दर्जा बढ़ाने में मदद मिलने की संभावना आंकी जा रही है।
ब्रुनेई पहुंचे पीएम मोदी, क्राउन प्रिंस हाजी अल-मुहतादी बिल्लाह ने किया स्वागत, किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण के तहत ब्रुनेई पहुंच गए हैं। ब्रुनेई दारुस्सलाम में पीएम मोदी का क्राउन प्रिंस हाजी अल-मुहतादी बिल्लाह ने स्वागत किया। ब्रुनेई पहुंचने पर पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।माना जा रहा है कि यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक होने वाली है। यह भारत और ब्रुनेई के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ से भी मेल खाती दिखेगी।किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली ब्रुनेई यात्रा है।

विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के ब्रुनेई दौरे पर कही ये बात

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई पहुंचे और उनका औपचारिक स्वागत किया गया। क्राउन प्रिंस हाजी अल-मुतहादी बिल्लाह ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। यह यात्रा विशेष है क्योंकि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है और यह ऐसे समय में हो रही है, जब दोनों देश इस साल राजनयिकों संबंधों की स्थापना के चालीस वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। 

मजबूत होंगे संबंध दोनों देशों के संबंध

पीएम मोदी का ब्रुनेई दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के हिसाब से अहम है। दोनों देश रक्षा सहयोग में संयुक्त वर्किंग ग्रुप स्थापित करना चाहते हैं। इसके अलावा पीएम मोदी के दौरे के दौरान ऊर्जा संबंधों और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ने की भी संभावना है।विदेश मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री की इस यात्रा से ब्रुनेई के साथ रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहयोग, क्षमता निर्माण, संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित सभी मौजूदा क्षेत्रों में हमारा सहयोग और मजबूत होगा और नए क्षेत्रों में सहयोग के अवसर तलाशे जाएंगे। 

भारतीय विदेश मंत्रालय के पूर्व के मामलों के सचिव जयदीप मजूमदार ने कहा कि भारत और ब्रुनेई के संबंधों में रक्षा एक अहम स्तंभ है। पीएम मोदी के इस दौरे पर दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए संयुक्त कार्यकारी समूह बनाने पर चर्चा होगी। जयदीप मजूमदार ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया के बुलावे पर ब्रुनेई जा रहे हैं। ब्रुनेई के सुल्तान साल 1992, 2008 में भारत का द्विपक्षीय दौरा कर चुके हैं। साथ ही वह साल 2012 और 2018 में आसियान देशों के सम्मेलन में भी शामिल होने भारत आए थे। जयदीप मजूमदार ने कहा कि ब्रुनेई के साथ रक्षा, व्यापार और निवेश जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। साथ ही ऊर्जा, अंतरिक्ष, तकनीक, स्वास्थ्य, संस्कृति जैसे क्षेत्रों पर भी बात होगी।

आरएसएस ने जाति जनगणना के समर्थन का दिया संकेत, कांग्रेस ने संघ के बयान पर उठा दिया सवाल

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को जाति आधारित जनगणना को समर्थन देने के संकेत दिए हैं।संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि यह संवदेनशील मामला है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल पिछड़ रहे समुदाय और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए। संघ की ओर से दिए गए इस बयान के बाद एक बार फिर विवाद बढ़ता दिख रहा है। आरएसएस के बयान के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है। 

कांग्रेस ने संघ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पहले तो कहा कि जाति जनगणना की इजाजत देने वाला आरएसएस कौन हाता है। इसके बाद कहा कि अगर संघ की तरफ हरी झंडी मिल गई है तो क्या पीएम नरेन्द्र मोदी कांग्रेस की एक और गारंटी को हाइजैक करके जाति जनगणना करवाएंगे? कांग्रेस ने कुल मिलाकर पांच सवाल किए।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं। इन सवालों के जरिए संघ को भी निशाने पर लिया है। जयराम ने पूछा, “जाति जनगणना को लेकर आरएसएस की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं। क्या आरएसएस के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है? जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? आरएसएस का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या यह जज या अंपायर बनना है?

जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘अब जब RSS ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?’ 

दरअसल, संघ ने कहा है कि जाति जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। केरल के पलक्कड़ में संघ के तीन दिवसीय अखिल भारतीय स्वयंसेवक बैठक के अंतिम दिन आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस कांफ्रेन्स की।आंबेकर ने कहा, हिंदू समाज में जाति और जातीय संबंध एक संवेदनशील मुद्दा है। ये हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे बहुत गंभीरता से निपटाना चाहिए न कि केवल चुनाव या राजनीति के लिए।

उन्होंने कहा, आरएसएस को लगता है कि सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए विशेष रूप से जो जाति पिछड़ रही है, उन पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है और इसके लिए अगर सरकार को कभी आँकड़ों की ज़रूरत है, तो यह एक स्थापित परंपरा है।इससे पहले भी सरकार ने इस तरह के काम किए हैं। इसलिए वो आगे भी कर सकती है। लेकिन यह केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। इसे चुनावी राजनीति के उपकरण के तौर पर नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसलिए हमने सभी के लिए इस बारे में सावधानी बरतने की बात कही है।