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ज्योतिर्लिंग-8: धार्मिक विशेताओं के कारण त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, जानिए कहाँ हैं यह पवित्र तीर्थंस्थल..

- विनोद आनंद 

महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक शहर और एक नगर पालिका है त्र्यंबक ! जिसे त्र्यंबकेश्वर त्र्यंबकेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. यहाँ त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहाँ महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में हिंदू वंशावली रजिस्टर भी रखे गए हैं. यह मंदिर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम त्र्यंबक के पास है.

महाराष्ट्र के नासिक जिले में सिंहस्थ कुंभ मेला मूल रूप से त्र्यंबक में आयोजित किया जाता था, लेकिन 1789 में स्नान की प्राथमिकता को लेकर वैष्णवों और शैवों के बीच टकराव के बाद, मराठा पेशवा ने वैष्णवों के स्नान स्थल को नासिक शहर के रामकुंड में स्थानांतरित कर दिया. शैव लोग आज भी त्र्यंबक को मेले का उचित स्थान मानते हैं.

भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक इस ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता है कि मंदिर में लिंग तीन मुखों वाला है जिसमें त्रिदेव, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव का स्वरूप है.

अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों में शिव मुख्य देवता हैं. लिंग को रत्न जड़ित मुकुट पहनाया गया है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह पांडवों का था. मुकुट हीरे, पन्ने और कई अन्य प्रकार के कीमती पत्थरों से सुशोभित है. 

त्र्यंबकेश्वर शहर एक प्राचीन हिंदू तीर्थस्थल है जो प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी गोदावरी नदी के स्रोत पर स्थित है. हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाने वाली गोदावरी नदी त्र्यंबकेश्वर में ब्रम्हगिरी पहाड़ों से निकलती है और राजमुद्री के पास समुद्र से मिलती है.

यह शहर ब्रह्मगिरी और गंगाद्वार पहाड़ों की तलहटी में है.एक जंगली इलाके में स्थित, यह पर्यटकों और हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय है.

पेशवा शासन के दौरान नाना साहब पेशवा ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर के निर्माण का निर्देश दिया था और त्र्यंबकेश्वर शहर का विकास और सौंदर्यीकरण किया था।

इस मंदिर को लेकर क्या हैं पौराणिक कथा..?

इस मंदिर को लेकर जो पौराणिक कथा प्रचालित हैं उसके अनुसार भगवान शंकर द्वारा अपने सिर पर धारण की गई गंगा नदी को प्रवाहित करने के लिए ब्रह्मदेव ने सत्यलोक (पृथ्वी पर) आकर उसी पवित्र गंगा जल से भगवान त्रिविक्रम की आराधना की. 

स्त्री रूप में गंगा नदी भगवान शिव के साथ रमण कर रही थी, जिसे भगवान शिव की पत्नी पार्वती ने देखा. उन्होंने गंगा को अपने पति से दूर करने की योजना बनाई.

पार्वती और उनके पुत्र गणेश पार्वती की सहेली जया के साथ गौतम के आश्रम में रहने आए. 24 वर्षों तक अकाल पड़ा और लोग भूख से व्याकुल थे. हालांकि, ऋषि गौतम से प्रसन्न होकर वर्षा के देवता वरुण ने गौतम के आश्रम जो त्र्यंबकेश्वर में था, में प्रतिदिन वर्षा की व्यवस्था की. गौतम सुबह अपने आश्रम के आसपास के खेतों में चावल बोते थे, दोपहर में फसल काटते थे और उससे ऋषियों के एक बड़े समूह को भोजन कराते थे, जो अकाल के कारण उनके आश्रम में शरण लिए हुए थे. ऋषियों के समूह के आशीर्वाद से गौतम के पुण्य में वृद्धि हुई.  

अपने बढ़े हुए पुण्य के कारण भगवान इंद्र की स्थिति डांवाडोल हो गई. इसलिए इंद्र ने बादलों को त्र्यंबकेश्वर में वर्षा करने का आदेश दिया, ताकि अकाल समाप्त हो जाए और ऋषि वापस चले जाएं और गौतम के बढ़ते हुए पुण्य क्षीण हो जाएं.

 यद्यपि अकाल समाप्त हो गया था, गौतम ने ऋषियों को वहीं रहने के लिए कहा और उन्हें भोजन कराकर पुण्य अर्जित करते रहे. एक बार उन्होंने धान के खेत में एक गाय को चरते हुए देखा और दर्भा (तीक्ष्ण, नुकीली घास) फेंककर उसे भगा दिया. इससे दुबली गाय मर गई.

 यह जया थी - पार्वती की सहेली, जिसने गाय का रूप धारण किया था. इस समाचार से ऋषिगण परेशान हो गए और उन्होंने उनके आश्रम में भोजन करने से इनकार कर दिया. गौतम ने ऋषियों से इस पाप से मुक्ति का उपाय बताने का अनुरोध किया. उन्हें भगवान शिव के पास जाने और उनसे गंगा को मुक्त करने का अनुरोध करने की सलाह दी गई और गंगा में स्नान करने से उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिल जाएगी. 

गौतम ने तब ब्रह्मगिरि के शिखर पर जाकर तपस्या की. भगवान शंकर उनकी पूजा से प्रसन्न हुए और उन्हें गंगा प्रदान की. हालाँकि, गंगा भगवान शिव से अलग होने के लिए तैयार नहीं थीं, जिससे वे चिढ़ गए. उन्होंने ब्रह्मगिरि के शिखर पर तांडव नृत्य किया और वहीं अपनी जटाएं फोड़ दीं. इस कृत्य से भयभीत होकर गंगा ब्रह्मगिरि पर प्रकट हुईं. बाद में गंगा त्र्यंबक तीर्थ में प्रकट हुईं. गौतम ने उनकी स्तुति की, लेकिन वे बार-बार पर्वत पर विभिन्न स्थानों पर प्रकट हुईं और क्रोधित होकर अदृश्य हो गईं. 

गौतम उनके जल में स्नान नहीं कर सके. फिर गंगा गंगाद्वार, वराह तीर्थ, राम-लक्ष्मण तीर्थ, गंगा सागर तीर्थ में प्रकट हुईं. फिर भी गौतम उनके जल में स्नान नहीं कर सके. गौतम ने नदी को मंत्रमुग्ध घास से घेर दिया और उससे एक व्रत रखा. प्रवाह वहीं रुक गया और इस प्रकार तीर्थ को कुशावर्त कहा जाने लगा. इसी कुशावर्त से गोदावरी नदी समुद्र में बहती है.गौतम द्वारा गाय की हत्या का पाप यहीं मिट गया था.

हिन्दू धर्मग्रन्थ में इस मंदिर को लेकर हैं मान्यता

हिंदू मान्यता है कि जो लोग त्र्यंबकेश्वर आते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। त्र्यंबकेश्वर को भारत का सबसे पवित्र शहर माना जाता है। इस मान्यता के पीछे कई कारण हैं। गोदावरी इस शहर में ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से निकलती है और ऐसा माना जाता है कि यह भगवान गणेश का जन्मस्थान है, जिसे त्रि-संध्या गायत्री का स्थान कहा जाता है.

यह स्थान श्राद्ध समारोह करने के लिए सबसे पवित्र और आदर्श स्थान माना जाता है, जो आत्मा की मुक्ति के लिए एक हिंदू अनुष्ठान है. 

सिंहस्थ महात्म्य में भगवान राम के त्र्यंबकेश्वर की यात्रा करने की बात कही गई है. गोदावरी नदी पर किया गया श्राद्ध पितरों को बहुत संतुष्टि देता है. यदि यह इस स्थान पर नहीं किया जाता है, तो इसे धार्मिक पाप माना जाता है. इसलिए गंगा पूजन, गंगा भेट, देह शुद्धि प्रायश्चित्त, तर्पण श्राद्ध, वयन, दश दान, गोप्रदान आदि अनुष्ठान त्र्यंबकेश्वर में किए जाते हैं..त्र्यंबकेश्वर में भगवान शिव की पूजा रुद्र, रुद्री, लघु रुद्र, महा रुद्र या अति रुद्र पूजा के पाठ से की जाती है.

 वास्तव में रुद्राक्ष एक धार्मिक फल है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान शिव के गले में रुद्र माला के रूप में पाया जाता है. रुद्राक्ष के कुछ पेड़ त्र्यंबकेश्वर में भी पाए जाते हैं. इस पवित्र शिव मंदिर के दर्शन से पवित्र ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी होगी. त्र्यंबकेश्वर में अन्य सुविधाएँ शहर में सार्वजनिक और धार्मिक संस्थान हैं वेद शाला, संस्कृत पाठशाला, कीर्तन संस्थान, प्रवचन संस्थान, दो व्यायामशालाएँ, लोकमान्य नि:शुल्क वाचनालय, नगरपालिका कार्यालय, डाक और तार कार्यालय, बस स्टेशन, औषधालय और एक पुलिस उप-निरीक्षक कार्यालय. संस्कृत पाठशाला ने कई अच्छे शिष्यों को तैयार किया है जो शास्त्री और पंडित बन गए हैं.

 इस क्षेत्र में दो रिंग रूट हैं - एक ब्रह्मगिरि के चारों ओर और दूसरी हरिहर गिरि के चारों ओर. तीर्थयात्री को सुबह जल्दी पवित्र वस्त्र पहनकर विभिन्न तीर्थों में जाकर स्नान करना होता है. यह यात्रा एक दिन या तीन दिन में पूरी करनी होती है.

त्र्यंबकेश्वर मंदिर का इतिहास

त्र्यंबकेश्वर मंदिर 12 प्रसिद्ध, स्वयंभू मंदिरों में से एक है, जिसमें शिव की महाकाव्य गाथा और इसकी उत्पत्ति से जुड़ी मिथक की भावना है. शिव पुराण के अनुसार, विष्णु और ब्रह्मा के बीच एक-दूसरे की सर्वोच्चता पर बहस पागलपन के स्तर तक पहुँच गई, जिसने भगवान शिव को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर कर दिया. भगवान शिव उनकी परीक्षा लेना चाहते थे, जिसके कारण उन्होंने तीनों लोकों को प्रकाश के एक विशाल अंतहीन स्तंभ - ज्योतिर्लिंग के रूप में भेद दिया.

प्रकाश के स्रोत का पता लगाने के लिए, ब्रह्मा और विष्णु विपरीत दिशा में विभाजित हो गए. ब्रह्मा ने दुनिया पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए प्रकाश के अंत को खोजने के बारे में झूठ बोला जबकि विष्णु ने अपनी हार स्वीकार कर ली. ब्रह्मा के झूठ ने भगवान शिव को क्रोधित कर दिया, जो तब प्रकाश के दूसरे स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और ब्रह्मा को दंडित किया. भगवान शिव ने ब्रह्मा को यह कहकर शाप दिया कि ब्रह्मा की नश्वर दुनिया में अब पूजा नहीं की जाएगी, जबकि विष्णु की पूजा अनंत काल तक की जाएगी.

 इस प्रकार, ज्योतिर्लिंग अखंड वास्तविकता है, और ये तीर्थस्थल वे स्थान हैं जहाँ शिव प्रकाश के एक ज्वलंत स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे. हालाँकि यह माना जाता था कि 64 ज्योतिर्लिंग हैं, उनमें से केवल 12 को ही पवित्र और शुभ माना जाता है क्योंकि प्रत्येक स्थल भगवान शिव के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करता है. 

ज्योतिर्लिंग स्थल भगवान शिव की अनंत प्रकृति को दर्शाता है, जहाँ उन्हें असीम, निराकार और पूर्ण ब्रह्म और ब्रह्मांड की आदि आत्मा माना जाता है.

औरंगजेब ने भी त्र्यंबकेश्वर मंदिर पर किया था हमला

मुगलकाल के शासकों ने भारत के अंदर कई शहरों में हिंदू देवी देवताओं के तीर्थस्थलों को ध्वस्त करवा दिया था उनमें एक नासिक का त्र्यंबकेश्वर मंदिर भी था. इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में इसका जिक्र किया है.

उन्होंने लिखा है सन् 1690 में मुगल शासक औरंगजेब की सेना ने नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के अंदर शिवलिंग को तोड़ दिया था. मंदिर को भी काफी क्षति पहुंचाई थी. और इसके ऊपर मस्जिद का गुंबद बना दिया था. यहां तक कि औरंगजेब ने नासिक का नया नाम भी बदल दिया था. 

लेकिन 1751 में मराठों का फिर से नासिक पर आधिपत्य हो गया, तब इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया

कब बना नासिक का त्र्यंबकेश्वर मंदिर ?

मुगलों के हमले के बाद इस मंदिर के जीर्णोद्धार का श्रेय पेशवाओं को दिया जाता है. तीसरे पेशवा के तौर पर विख्यात बालाजी यानी श्रीमंत नानासाहेब पेशवा ने इसे 1755 से 1786 के बीच बनवाया था. पौराणिक तौर पर यह भी कहा जाता है कि सोने और कीमती रत्नों से बने लिंग के ऊपर मुकुट महाभारत के पांडवों द्वारा स्थापित किया गया था.

कहा जाता है सत्रहवी शताब्दी में जब इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा था तब इस कार्य में 16 लाख रुपये खर्च हुए थे. त्र्यंबक को गौतम ऋषि की तपोभूमि के तौर पर भी जाना जाता है.

बड़ा नील मणि को अंग्रेजों ने लूटा

एक बार एक बड़ा नील मणि (नीला हीरा), जिसे अब नासक हीरा कहा जाता है, त्र्यंबकेश्वर मंदिर की शोभा बढ़ाता था। इस हीरे को अंग्रेज कर्नल जे. ब्रिग्स ने पेशवा बाजी राव द्वितीय से लूटा था। बदले में, ब्रिग्स ने हीरे को फ्रांसिस रॉडन-हेस्टिंग्स को सौंप दिया जो बाद में इंग्लैंड चला गया।

वास्तुकला का महत्व

त्र्यंबकेश्वर मंदिर को आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। पूरा मंदिर केवल काले पत्थरों से बना है जो इसकी वास्तुकला को और भी निखारता है। मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में नागर शैली में किया गया था, जिसमें एक विशाल प्रांगण भी है. मंदिर एक ऊंचे मंच पर है, जिसे शिखर भी कहा जाता है, जिसमें कमल के आकार की नक्काशीदार पत्थर की प्लेट है. गर्भगृह मंदिर का सबसे भीतरी हिस्सा है, और मंदिर की उभरी हुई दीवारें मंदिर के देवता की रक्षा करती हैं. गर्भगृह में एक हॉल है जिसके सामने एक मंडप है, जिसमें तीन प्रवेश द्वार हैं.

मंदिर की दीवारों और खंभों पर हिंदू आकृतियों, देवताओं, फूलों, मनुष्यों और जानवरों के डिज़ाइन बने हुए हैं. त्र्यंबकेश्वर मंदिर की आकर्षक वास्तुकला जटिल है और उस सदी की संस्कृति की समृद्ध भावना को प्रदर्शित करती है. इस मंदिर में एक दर्पण भी है जिसे ऊंचाई पर रखा गया है, जिससे भक्तों को देवता के प्रतिबिंब को देखने में मदद मिलती है.

यहां आयोजित होने वाले पूजा और समारोह

● काल सर्प पूजा - काल सर्प पूजा वे लोग कर सकते हैं जो केतु और राहु के बीच ब्रह्मांडीय स्थितियों के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. इस अनुष्ठान में, भगवान शिव को ढेर सारा घी, दूध, चीनी, शहद, चीनी और अन्य चीजें चढ़ाई जाती हैं, जो नाग की पूजा पर केंद्रित होती हैं.

● नारायण नागबली पूजा - त्र्यंबकेश्वर मंदिर इस अनुष्ठान के लिए जाना जाता है, जो परिवार पर छिपे किसी भी पैतृक अभिशाप को नकारने की मान्यता के साथ किया जाता है, जिसे पितृ-दोष भी कहा जाता है. यह भी कहा जाता है कि यह आयोजन आपको नाग से क्षमा पाने में मदद करता है.

● त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा - यह अनुष्ठान सभी दिवंगत आत्माओं के लिए प्रार्थना करने के लिए किया जाता है और माना जाता है कि यह पापों को धो देता है.

● महामृत्युंजय पूजा - यह पूजा केवल सुबह 5:00 बजे से 9:00 बजे के बीच लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करने के लिए होती है.

● महामृत्युंजय पूजा - यह पूजा केवल सुबह 5:00 बजे से 9:00 बजे के बीच की जाती है.

● ● रुद्राभिषेक - रुद्राभिषेक अनुष्ठान पंचामृत, यानी दूध, शहद, घी, चीनी और दही से किया जाता है.

● लघु रुद्राभिषेक - माना जाता है कि यह अभिषेक पूजा आपके सभी स्वास्थ्य और धन संबंधी समस्याओं को हल करती है। यह किसी भी तरह की लौकिक अनिच्छा है.

आज का रशिफल, 13 जुलाई 2024 :जानिए आज के रशिफल के अनुसार आज कैसा दिन रहेगा आप का...?

 ​आज 13 जुलाई शनिवार का दिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार मेष कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए लाभकारी रहेगा। चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे और इस दौरान वह हस्त नक्षत्र से चित्रा नक्षत्र पर संचार करेंगे। इसके साथ ही आज गुरु भी वृषभ राशि में गोचर करते हुए रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश कर जाएंगे। और शनि महाराज अपनी राशि में प्रबल प्रभावकारी होकर शश राजयोग से मेष, कर्क और वृश्चिक सहित कई राशियों को लाभ दिलाएंगे। आपकी राशि के लिए दिन कैसा रहेगा, जानने के लिए देखें आज का राशिफल।

​मेष राशि वालों को परिश्रम से बढकर लाभ मिलेगा

​मेष राशि वालों को परिश्रम से बढकर लाभ मिलेगा

मेष राशि के लोगों के लिए आज शनिवार का दिन भाग्य के सहयोग से लाभ प्राप्त करने वाला रहेगा। आपको आज कार्यक्षेत्र और कारोबार में परिश्रम से बढकर लाभ मिलेगा। कारोबार मे आज कोई बड़ी डील फाइनल हो सकती है। आज आप कोई बड़ा निर्णय ले सकते है जो भविष्य में आपको लाभ दिलाएगा। सरकारी क्षेत्र के काम में आज परेशानी होगी और काम अटक भी सकता है। धर्म कर्म मं आपकी रुचि रहेगी। यात्रा लाभकारी और सुखद रहेगी। छात्रों के लिए दिन उन्नतिदायक रहेगा, ज्ञान विज्ञान का विकास होगा।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। गुरुजनों और वरिष्ठ लोगो का आर्शीवाद काम आएगा। जरूरतमंदों को आज दान दें।

​वृषभ राशि के जातक रुचिकर भोजन का आनंद लेंगे

वृषभ राशि के लिए आज का दिन आनंददायक रहेगा। आपकी राशि में गुरु और मंगल की युति आपको ऊर्जा से भरपूर बनाए रखेगी। आपको आज धर्म कर्म के काम में भी भाग लेने का मौका मिलेगा। किसी मांगलिक कार्यक्रम में आप आज शामिल हो सकते हैं। रुचिकर भोजन का आपको आज आनंद मिलने वाला है। वैसे आज आपकी अनेक कारणों से व्यस्तता बनी रहेगी। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। लेकिन आपके लिए यह भी जरूरी है कि आप शत्रुओं से सतर्क रहें।

आज भाग्य 83% आपके पक्ष में रहेगा। गणेशजी को लड्डू का भोग लगाएं।

​मिथुन राशि वालो को कार्यक्षेत्र में लाभ मिलेगा

मिथुन राशि के लोगों के लिए आज का दिन लाभकारी रहेगा। लेकिन आपके लिए जरूरी है कि आप अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करें एक साथ कई काम में हाथ डालेंगे तो आपका काम आज खराब हो सकता है या अटक सकता है। नई योजनाओं को आज टाल देना बेहतर होगा। पुराने अधूरे कार्यों को ही पूरा करने पर ध्यान दें। कारोबारी जातकों के लिए आज का दिन लाभकारी रहेगा आपको आज कार्यक्षेत्र में लाभ पाने का मौका मिलेगा। छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में वरिष्ठों का विशेष सहयोग प्राप्त होगा। आज आपका दिन कुछ रचनात्मक औिर कलात्मक कार्यों को पूरा करने में भी बीतेगा। सगे संबंधियों से मेल मुलाकात से खुशी मिलेगी।

आज भाग्य 84% आपके पक्ष में रहेगा। शिव चालीसा का पाठ करें साथ ही पीपल को जल दें।

​कर्क राशि वालों को लाभ का अच्छा मौका मिलेगा

कर्क राशि के लिए आज सितार बताते हैं कि आज का दिन नौकरी और व्यापार के लिए बहुत ही लाभदायक रहेगा। नौकरी में आज आपको कुछ रोचक और रचनात्मक कार्य करने का मौका मिलेगा। आपको आज कार्यक्षेत्र में मित्रों और सहकर्मियों से पूरा सहयोग मिलेगा। आज शाम का समय आप अपने दोस्तों के साथ मनोरजक पल बिताएंगे और रुचिकर खान पान का आनंद लेंगे। विदेश से व्यापार करने वाले लोगों के लिए दिन उत्तम रहेगा, आज आपको लाभ का कोई अच्छा मौका मिलेगा। भाई बहनों की सलाह आज आपके लिए लाभकारी साबित होगी, इसलिए इनकी बातों की नजरअंदाज ना करें।

आज भाग्य 90% आपके पक्ष में रहेगा। संकटनाशन गणेश स्तोत्र' का पाठ करें।

​सिंह राशि वालों को कई स्रोतों से लाभ मिलेगा

आज का दि्न सिंह राशि के लोगों के लिए लाभकारी लेकिन व्यस्तता भरा रहेगा। आज कार्यक्षेत्र में आपके सहकर्मी और वरिष्ठ अधिकारी आपके काम में बाधक बना सकते हैं या किसी बात को लेकर नाराज हो सकते हैं इसलिए आपको काम के प्रति बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। कारोबारी जीतकों के लिए आज का दिन लाभकारी रहेगा। आपको आज कई स्रोतों से धन लाभ मिल सकता है। लव लाइफ में आज आपको प्रेमी की नाराजगी से बचना है तो वाणी पर कंट्रोल करे। ससुराल पक्ष के किसी संबंधी की वजह से मूड खराब हो सकता है।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। काले कुत्ते को आज रोटी खिलाएं और शनि स्तोत्र का पाठ करें।

​कन्या राशि के जातक जोखिम से बचें

आज कन्या राशि के लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा। अपच और वायुविकार संबंधी परेशानी आज आपको हो सकती है, खानपान में संयम रखें। आपको आज विरोधियों से भी सतर्क रहना होगा। मन आपका आज उलझन में रहेगा, निर्णय लेने में आज उलझन होगी। आर्थिक मामलो मं आपको आज जोखिम लेने से बनचा होगा। वाणी पर भी आप नियंत्रण रखें नहीं तो कहासुनी हो सकती है। वैसे आज घर के बड़ों से आपको सही सलाह और मार्गदर्शन प्राप्त होगा। किसी शुभ कार्यक्र की चर्चा हो सकती है। किसी रिश्तेदार और मित्रों से मिलने का मौका मिेलगा जो तनाव के बीच मन को प्रसन्नता प्रदान करेगा।

आज भाग्य 87% आपके पक्ष में रहेगा। भगवान श्रीकृष्म को माखन मिसरी का भोग लगाएं।

​तुला राशि वालों को रोमांचक पल बिताने का मौका मिलेगा

आज शनिवार का दिन तुला राशि के जातकों के लिए लाभकारी रहेगा। आपको आज परिवार के साथ रोमांचक पल बिताने का मौका मिलेगा। आप आज किसी संबंधी से मिलने मिलाने का कार्यक्रम रख सकते हैं। आपको आज दोस्तों के साथ भी मनोरंजक कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिलेगा। जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों में परिवार के सदस्य से कोई तनाव चल रहा है तो आज इसका समाधान हो सकता है। सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी आपकी साख बढ़ेगी, लेकिन आपका धन भी खर्च होगा। कार्य व्यवहार से जुड़े सभी विवाद आज समाप्त हो सकते हैं। बिजनेस में किसी नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सकता है।

आज भाग्य 84% आपके पक्ष में रहेगा। पहली रोटी गौ माता को खिलाएं।

​वृश्चिक राशि वालों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

आज का दिन वृश्चिक राशि के जातकों के लिए लाभकारी रहेगा। आज का दिन नौकरी कारोबार से जुड़े जातकों के लिए अच्छे परिणाम लेकर आएगा। व्यापार में भी दिन भर लाभ के अवसर मिलते रहेंगे, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आपको आज अपनी कार्ययोजना में सफलता मिलेगी। अगर आप पोपर्टी से संबंधी कोई काम करने जा रहे हैं तो इसमें आपको सफलता मिलेगी। आज परिवार में सुख, शांति और स्थिरता भी बनी रहेगी। आप अपनी नौकरी में कुछ नयापन ला सकते हैं, जो भविष्य में आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा। शाम का समय माता-पिता और परिवार के साथ आनंदपूर्वक बिताएंगे।

आज भाग्य 87% आपके पक्ष में रहेगा। हनुमान चालीसा का पाठ करना आपके लिए आज लाभकारी रहेगा।

​धनु राशि वालों को परिवार से खुशी मिलेगी

आज का दिन धनु राशि के लोगों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा। आप आज परिवार के साथ आनंददायक पल बिता पाएंग लेकिन माता की सेहत को लेकर आज आपकी चिंता बनी रहेगी। परिवार के साथ आप आज कहीं घूमने का प्लान कर सकते हैं। आपको आज परिवार के लोगों की खुशी के लिए पैसे खर्च करने होंगे जिसमें भी आपको आज खुशी मिलेगी। नौकीर में आज आपको मेहनत से बढकर सफलता मिलेगी। धनु राशि के कारोबारी आज अपने व्यवहार और वाणी से बिजनस में खूब लाभ पा सकेंगे। जिन लोगों के काम का संबंध विदेश से है उनको आज विशेष लाभ मिल सकता है।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। किसी जरुरतमंद को अन्न का दान देना शुभ रहेगा।

​मकर राशि वालों की कमाई में वृद्धि होगी

मकर राशि के लोगों को आज कारोबार में लाभ मिलेगा। यदि आप पार्टनरशिप में कोई व्यापार कर रहे हैं तो आपको आज साझेदारों से लाभ मिलेगा। जो लोग लोहे और धातु के कारोबार से जुड़े हुए हैं उनकी कमाई में आज वृद्धि होगी। घर की सजावट के लिए आज आप कुछ खरीदारी कर सकते हैं। घर की साज सज्जा में आपको आज जीवनसाथी से सहयोग भी मिलेगा। आपको आज भाईयों के साथ तालमेल बनाकर रखना होगा। पुराने रुके हुए कार्यों को करने के लिए आज समय अवश्य निकालें नहीं तो आलस से काम अटक सकता है। परिवार में आज बच्चों की शादी से संबधित बातें हो सकती है।

आज भाग्य 78% आपके पक्ष में रहेगा। पीपल की पूजा करें और शनि स्तोत्र का पाठ करें।

​ ​कुंभ राशि वालों को यादगार पल बिताने का मौका मिलेगा

आज का दिन कुंभ राशि के जातको के लिए सामान्य रूप अच्छ रहेगा। लेकिन आपको आज सेहत के मामले में अपना ध्यान रखना होगा। जो लोग नौकरी कारोबार से जुड़े हुए हैं उनको आज सहयोगियों सहकर्मियों से सहयोग मिलेगा। आज परिवार में प्रॉपर्टी से जुड़ा कोई मामला सिर उठा सकता है जिसे आप समझदारी से हल कर पाएगे। आपको आज वैवाहिक जीवन में जीनसाथी के साथ रोमांटिक पल बिताने का मौका मिलेगा। लव लाइफ में भी आज आपको जीवनसाथी के साथ यादगार पल बिताने का मौका मिलेगा। आप आज किसी धार्मिक स्थल की यात्रा पर भी जा सकते है।

आज भाग्य 80% आपके पक्ष में रहेगा। आपको आज उपाय के तौर पर शिवजी का दूध से अभिषेक करना चाहिए।

​मीन राशि के जातक किसी बात को लेकर उलझन में रहेगे

मीन राशि के जातकों के लिए आज का दिन सामान्य रूप से अनुकूल रहेगा। आप आज लाभ पाने के लिए जोखिम भरा निर्णय भी ले सकते हैं। आज आपका मन किसी बात से भावुक हो सकता है और आप किसी जरूरतमंद की मदद भी करेंगे। पारिवारिक जीवन में आज जीवनसाथी की सेहत को लेकर चिेता हो सकती है। सेतान की शिक्षा और करियर को लेकर भी आप आज उलझन में रहेगे। आर्थिक मामलों में आज अचानक से खर्च का भी संयोग बनेगा। वाहन का प्रयोग आज सावधानी से करें।

आज भाग्य 88% आपके पक्ष में रहेगा। पीपल को जल अर्पित करें और शनि स्तोत्र का पाठ करें।

आज का पंचांग , 13 जुलाई 2024: जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 22 शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ल, सप्तमी, शनिवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 30, मुहर्रम 06, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 13 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल प्रातः 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक।

सप्तमी तिथि अपराह्न 03 बजकर 06 मिनट तक उपरांत अष्टमी तिथि का आरंभ। हस्त नक्षत्र सायं 07 बजकर 15 मिनट तक उपरांत चित्रा नक्षत्र का आरंभ। शिव योग प्रातः सूर्योदय से लेकर अगले दिन प्रातः 06 बजकर 15 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग का आरंभ। वणिज करण अपराह्न 03 बजकर 06 मिनट तक उपरांत बव करण का आरंभ। चंद्रमा दिन रात कन्या राशि पर संचार करेगा।

सूर्योदय का समय 13 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 13 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 21 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 13 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 11 मिनट से 4 बजकर 52 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 20 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 59 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 13 जुलाई 2024 :

राहुकाल सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। इसके बाद सुबह में 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 5 बजकर 32 मिनट से 6 बजकर 28 मिनट तक। भद्राकाल का समय सुबह में 3 बजकर 5 मिनट से 4 बजकर 18 मिनट तक।

उपाय : शनिदेव के दिन मंदिर में जाकर आज सरसों के तेल का दान करें।

आज का रशिफल,12 जुलाई 2024:जानिए रशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। हर राशि का स्वामी ग्रह होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आकंलन किया जाता है। 12 जुलाई 2024 को शुक्रवार है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना करने से जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। 

ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, 12 जुलाई का दिन कुछ राशि वालों के लिए बेहद शुभ होने वाला है तो कुछ राशि वालों को जीवन में छोटी-मोटी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं, 12 जुलाई 2024 को किन राशि वालों को होगा लाभ और किन राशि वालों को रहना होगा सावधान। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल…

मेष राशि- आज आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहेगा। सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पारिवारिक जीवन में शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। काम के सिलसिले में यात्रा के योग बनेंगे। कुछ जातकों को अच्छे पैकेज के साथ नई जॉब का ऑफर मिलेगा। रिलेशनशिप की दिक्कतें दूर होंगी। साथी संग इमोशनल बॉन्ड स्ट्रॉन्ग होगा। लंबे समय से रुके हुए कार्य चल पड़ेंगे। क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा के भाव मन मे हो सकते हैं। मन परेशान रहेगा। कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। आय में वृद्धि होगी। किसी मित्र के सहयोग से नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। स्‍थान परिवर्तन भी संभव है। स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर परेशानी हो सकती है। सावधान रहें।

वृषभ राशि-प्रोफेशनल लाइफ में अच्छा परफॉर्म करेंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। धन बचत पर फोकस करें। अपने खर्चों पर नियंत्रण रखें। सिंगल जातकों की आज किसी दिलचस्प व्यक्ति से मुलाकात होगी। आय के अप्रत्याशित स्त्रोतों से धन लाभ होगा। सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। इस दौरान अपने स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान दें। वाणी में मधुरता रहेगी। आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। नौकरी में जिम्मेदारी बढ़ सकती है। अफसरों का सहयोग रहेगा। सन्तान के स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें। बातचीत में सन्तुलित रहें। वाणी में कठोरता का प्रभाव रहेगा। तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। माता से धन की प्राप्‍त‍ि होगी।

मिथुन राशि-पुराने निवेशों से अच्छा रिटर्न मिलेगा। आपकी लाइफस्टाइल बेहतर होगी। जीवन में ऊर्जा और उत्साह की कमी नहीं होगी। व्यापार में बढ़ोत्तरी के नए अवसर मिलेंगे। उद्यमियों को नए व्यापार की शुरुआत के लिए कई जगहों से फंड मिलेगा। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। आपकी रोमांटिक लाइफ बढ़िया रहेगी। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। मन में निराशा एवं असन्तोष रहेगा। अपनी भावनाओं को वश में रखें। नौकरी में परिवर्तन के अवसर मिल सकते हैं। किसी दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। आत्मविश्वास में कमी आएगी। भाइयों से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

कर्क राशि- अपने एकस्ट्रा खर्चों पर नजर रखें। ऑफिस में वातावरण अनुकूल रहेगा। लेकिन भावनाओं का उतार-चढ़ाव संभव है। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में बड़ी सफलता मिलेगी। काम के सिलसिले में यात्रा के योग बनेंगे। फैमिली के साथ मौज-मस्ती भरे पलों को एंजॉय करेंगे। धन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। जीवन के हर क्षेत्र में मनचाही सफलता मिलेगी। सुख-सुविधाओं में जीवन गुजारेंगे। धैर्यशीलता बनाये रखने के प्रयास करें। लेखनादि-बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती है। परिश्रम अधिक रहेगा। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। वस्त्रों के प्रति रुझान बढ़ सकता है। मित्रों का सहयोग मिलेगा। नौकरी में तरक्‍की के मार्ग प्रशस्‍त होंगे।

सिंह राशि- प्रोफेशनल लाइफ में बड़े बदलाव होंगे। जीवन में ऊर्जा और उत्साह की कमी नहीं होगी। ऑफिस में लोग आपके कार्यों से प्रेरित होंगे। आज करियर ग्रोथ के नए अवसरों पर नजर रखें। फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। भूमि या वाहन की खरीदारी के लिए आज का दिन बेहद शुभ रहने वाला है। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में बहुत अच्छे मार्क्स मिलेंगे। सिंगल जातकों की किसी व्यक्ति के साथ नजदीकियां बढ़ेंगी। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। व्यवधान आ सकते हैं। सेहत का ध्यान रखें। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्‍थान की यात्रा पर जा सकते हैं। परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। परिवार में सुख-शांति रहेगी। क्रोध एवं आवेश की अधिकता रहेगी।

कन्या राशि- आय के अप्रत्याशित स्त्रोतों से धन लाभ होगा। प्रोफेशनल लाइफ में सकारात्मक बदलाव आएंगे। ऑफिस में आपकी परफॉर्मेंस शानदार रहेगी। व्यापार में विस्तार होगा। पारिवारिक जीवन में खुशियां आएंगी। अपने बिजी शेड्यूल से थोड़ा टाइम निकालें और फैमिली के साथ कहीं घूमने का प्लान बना सकते हैं। आज आपकी अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी से लोग इंप्रेस होंगे। समाज में सराहे जाएंगे। संतान पक्ष से शुभ समाचार मिलेंगे। पठन-पाठन में मन लगेगा। शैक्षिक कार्यों में सुखद परिणाम मिलेंगे। नौकरी के लिए परीक्षा एवं साक्षात्कार आदि कार्यों में सफलता मिलेगी। घर-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। माता-पिता का साथ मिलेगा। सुस्वादु खानपान में रुचि बढ़ सकती है। आत्मसंयत रहें। आत्‍मविश्वास में वृद्धि होगी।

तुला राशि- : कड़ी मेहनत का फल मिलेगा। हर कार्य में मनचाही सफलता मिलेगी। लेकिन आज अप्रत्याशित खर्चे बढ़ेंगे। अपने खर्च करने की आदतों पर नजर रखें। लाइफस्टाइल में थोड़े बदलाव लाएं। हेल्दी रूटीन फॉलों करें। प्रोटीन और न्यूट्रीशन से भरपूर डाइट लें। रोजाना योग और मेडिटेशन करें। आज घर के छोटे भाई या बहन को करियर में बड़ी सफलता हासिल होगी। जिससे पारिवारिक जीवन में खुशनुमा माहौल रहेगा। बातचीत में संयत रहें। शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। वाहन की प्राप्ति‍ हो सकती है। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। क्रोध के अतिरेक से बचें। नौकरी में परिवर्तन के अवसर मिल सकते हैं। लेकिन किसी दूसरे स्‍थान पर जाना पड़ सकता है। तनाव से बचें।

वृश्चिक राशि- अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मोटिवेटेड रहेंगे।प्रोफेशनल लाइफ में नई उपलब्धियां हासिल करेंगे। ऑफिस में बॉस आपके कार्यों की प्रशंसा करेंगे। सीनियर्स के सपोर्ट से करियर में तरक्की करेंगे। धन आगमन के नए मार्ग प्रशस्त होंगे। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। लेकिन अज्ञात भय से मन परेशान रह सकता है। नेगेटिविटी से दूर रहें। प्रियजन के साथ टाइम स्पेंड करें। इससे स्ट्रेस लेवल कम होगा। कारोबारी कार्यों में दिलचस्पी बढ़ेगी। कारोबार में कोई नया निवश हो सकता है। मित्रों का सहयोग भी मिलेगा। लाभ में वृद्धि भी होगी। परिवार की जिम्‍मेदारी बढ़ सकती हैं। माता-पिता से वैचारिक मतभेद हो सकती हैं। भाई-बहनों का सहयोग मिलेगा। संतान सुख की वृद्धि‍ होगी।

धनु राशि- सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जीवन में पॉजिटिविटी भरपूर रहेगी। ऑफिस में टैलेंट का प्रदर्शन करने के कई अवसर मिलेंगे। शैक्षिक कार्यों में अच्छे रिजल्ट मिलेंगे। निवेश के नए अवसरों पर नजर रखें। आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करें। आज का दिन फैमिली और फ्रेंड्स के साथ कहीं घूमने जाने के लिए बिल्कुल पर परफेक्ट है। इससे पारिवारिक जीवन में खुशहाली आएगी। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध एवं वाद-विवाद से बचें। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। बौद्धिक कार्यों से धन प्राप्ति‍ होगी। आत्मविश्वास में कमी आएगी। पारिवारिक समस्याएं परेशान कर सकती हैं। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान की यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है।

मकर राशि-आज विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में अच्छे मार्क्स मिलेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। जीवन में जो चाहेंगे। उसकी उपलब्धता होगी। ऑफिस में कार्यों की प्रशंसा होगी। प्रोफेशनल लाइफ में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। पारिवारिक जीवन में खुशहाली आएगी। फैमिली के साथ एक ट्रिप का प्लान बना सकते हैं। आज सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। पार्टनर के साथ ज्यादा टाइम स्पेंड करें। मानसिक शान्ति‍ रहेगी। शैक्षिक या बौद्धिक कार्यों में मन लगेगा। वस्त्रों के प्रति रुझान बढ़ सकता है। नौकरी में अफसरों से सदभाव रखें। क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा की मनःस्थिति रहेगी। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। मीठे खानपान में रुचि बढ़ सकती है। कार्यभार में वृद्धि हो सकती है।

कुंभ राशि- सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। आज अपने डेली रूटीन से थोड़ा ब्रेक लें। दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करें। अपने फेवरेट हॉबी के लिए थोड़ा टाइम निकालें। कुछ लोगों के ऑफिस में प्रमोशन या अप्रेजल के चांसेस बढ़ेंगे। शैक्षिक कार्यों में अच्छे परिणाम मिलेंगे। लेकिन कार्यस्थल पर व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। हेल्दी डाइट लें। रोजाना योग और मेडिटेशन करें। इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आशा-निराशा के भाव मन में हो सकते हैं। माता के स्वास्‍थ्‍य का ध्यान रखें। रहन-सहन कष्टमय हो सकता है। पिता का साथ मिलेगा। कुटुम्‍ब की किसी बुजुर्ग महिला से धन प्राप्‍ति के योग बन रहे हैं। कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। म‍ित्रों से भेंट होगी।

मीन राशि- फैमिली और फ्रेंड्स के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशनुमा माहौल रहेगा। यात्रा के योग बनेंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पुराने निवेशों से अच्छा रिटर्न मिलेगा। नई प्रॉपर्टी की खरीदारी का प्लान बना सकते हैं। आज आपको प्रोफेशनल लाइफ में कड़ी मेहनत का फल मिलेगा। व्यापार में बढ़ोत्तरी के कई सुनहरे अवसर मिलेंगे। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। लव लाइफ में प्रेम और रोमांस बढ़ेगा। मन में निराशा एवं असन्तोष रहेगा। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं। सचेत रहें। स्वभाव में चिड़चिड़पन रहेगा, लेकिन वाणी में सौम्यता भी रहेगी। नौकरी में अफसरों से मतभेद हो सकते है। रुके हुए धन की प्राप्‍त‍ि होगी।

आज का पंचांग,12 जुलाई 2024: जानिए पंचांग के अनुसार आज का पर्व त्योहार और ग्रहयोग

आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी उपरांत सप्तमी तिथि है. वहीं आज 12 जुलाई 2024 दिन शुक्रवार है. शुक्रवार मां लक्ष्मी और शुक्र देव का दिन है.

 शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजन से जीवन में कभी भी सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती. इसके साथ ही शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है.

12 जुलाई 2024 दिन शुक्रवार

आषाढ़ शुक्ल पक्ष षष्ठी दिन -10:24 उपरांत सप्तमी

श्री शुभ

 संवत-2081,शाके-1946,हिजरी

 सन-1445-46

सूर्योदय-05:06

सूर्यास्त-06:43

सूर्योदय कालीन नक्षत्र- उत्तरा फाल्गुन उपरांत हस्त ,

योग – परिघ ,करण-तै ,

सूर्योदय कालीन ग्रह विचार-सूर्य- मिथुन , चंद्रमा- कन्या , मंगल-मेष , बुध- कर्क , गुरु-वृष ,शुक्र-

कर्क ,शनि-कुम्भ ,राहु-मीन , केतु-कन्या

चौघड़िया शुक्रवार

प्रात: 06:00 से 07:30 तक चर

प्रातः 07:30 से 09:00 तक लाभ

प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक अमृत

प्रातः10:30 बजे से 12:00 बजे तक काल

दोपहरः 12:00 से 01:30 बजे तक शुभ

दोपहरः 01:30 से 03:00 बजे तक रोग

दोपहर 03:00 से 04:30 बजे तक उद्वेग

शामः 04:30 से 06:00 बजे तक चर

उपाय

भगवान गणपति की उपासना करें। साथ ही गोशाला में हरे चारे का दान करें।

आराधनाःॐ सौम्यरुपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नौ सौम्यः प्रचोदयात् ॥

खरीदारी के लिए शुभ समयः

प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक

राहु काल: प्रातः10:30 से दोपहर 12:00 तक

दिशाशूल-नैऋत्य एवं पश्चिम

।।अथ राशि फलम्।

राशिफल 11 जुलाई 2024:जानिए राशि के अनुसार आप का दिन कैसा रहेगा?

मेष राशि- ज्ञानार्जन के लिए सही समय। लिखने-पढ़ने के लिए सही समय। प्रेम में थोड़ा भावुकता पर नियंत्रण रखें। बच्चों पर ध्यान दें। स्वास्थ्य अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। पीली वस्तु पास रखें।

वृषभ राशि- भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि दिख रही है। मां का साथ होगा। मां के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कलहकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। बाकि प्रेम, व्यापार अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

मिथुन राशि- ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा। व्यावसायिक ऊर्जा होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान का साथ होगा। अपनों का साथ होगा। भगवान विष्णु को प्रणाम करते रहें।

कर्क राशि- जुबान अनियंत्रित न होने दें। जुआ-सट्टा लॉटरी में पैसे न लगाएं। स्वास्थ्य में सुधार। प्रेम, संतान का साथ व व्यापार भी अच्छा है। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें।

सिंह राशि- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जरूरत के हिसाब से जीवन में वस्तुएं उपलब्ध होंगी। स्वास्थ्य अच्चा है। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। सूर्य को जल देते रहें।

कन्या राशि- कलहकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। यूं कहिए कि चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। मन परेशान रहेगा। स्वास्थ्य थोड़ा ऊपर-नीचे रहेगा। प्रेम-संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

तुला राशि- रुका हुआ धन वापस मिलेगा। आय के नवीन साधन बनेंगे। शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा। सूर्य को जल देते रहें।

वृश्चिक राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। पिता का साथ होगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान भी अच्छा। तांबे की वस्तु पास रखें।

धनु राशि- भाग्यवर्धक दिनों का निर्माण हो रहा है। रास्ते की बाधाएं दूर हो जाएंगी। यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म का हिस्सा बनेंगे। शुभ समय। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार अच्छा। सूर्य को जल देते रहें।

मकर राशि- एक और दिन थोड़ा नकारात्मक है। बचकर पार करें। स्वास्थ्य में ध्यान दीजिए। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- नौकरी चाकरी की स्थिति अच्छी होगी। आनंददायक जीवन गुजरेगा। स्वास्थ्य में सुधार। प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार भी अच्छा। गणेश जी को प्रणाम करते रहें।

मीन राशि- शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे। रुका हुआ काम चल पड़ेगा। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। स्वास्थ्य नरम-गरम, प्रेम-संतान नरम-गरम व व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।
आज का पंचांग, 11 जुलाई 2024: जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 20 शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ला, पंचमी, बृहस्पतिवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 28, मुहर्रम 04, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंगे्रजी तारीख 11 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल अपराह्न 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक। पंचमी तिथि पूर्वाह्न 10 बजकर 04 मिनट तक उपरांत षष्ठी तिथि का आरंभ। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र अपराह्न 01 बजकर 04 मिनट तक उपरांत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का आरंभ। वरीयान योग अगले दिन तड़के 04 बजकर 09 मिनट तक उपरांत परिधि योग का आरंभ। बालव करण पूर्वाह्न 10 बजकर 04 मिनट तक उपरांत तैतिल करण का आरंभ। चन्द्रमा सायं 07 बजकर 50 मिनट तक सिंह उपरांत कन्या राशि पर संचार करेगा। आज के व्रत त्योहार स्कंद (कुमार) षष्ठी (पूर्वविद्धा)। सूर्योदय का समय 11 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 31 मिनट पर। सूर्यास्त का समय 11 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 22 मिनट पर। आज का शुभ मुहूर्त 11 जुलाई 2024 : ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 10 मिनट से 4 बजकर 51 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 41 मिनट तक। अमृत काल सुबह 5 बजकर 31 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक। आज का अशुभ मुहूर्त 11 जुलाई 2024 : राहुकाल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक। इसके बाद सुबह में 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 10 बजकर 8 मिनट से 11 बजकर 4 मिनट तक। इसके बाद दोपहर में 3 बजकर 40 मिनट से 4 बजकर 36 मिनट तक। उपाय : भगवान विष्णु को गांठ वाली सात हल्दी अर्पित करें।
332 साल पुराना है रांची का भगवान जगन्नाथ मंदिर, नागवंशी राजा एनी नाथ सहदेव ने करवाया था 1691 में इसका निर्माण

झा.डेस्क

रांची :रांची के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा एनी नाथ सहदेव ने करवाया था. 1691 में बने इस मंदिर से मनमोहक दृश्य दिखते हैं. इस मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. तो आइए आज आपको बताते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातें.

केवल खनिज संपदा नहीं बल्कि प्राचीन मंदिरों से भी समृद्ध है झारखंड

 झारखंड न केवल प्रकृति सौंदर्य बल्कि प्राचीन मंदिरों से भी समृद्ध राज्य है. यहां मां छिन्नमस्तिका मंदिर, बाबा धाम, देवड़ी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर सहित कई प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं. जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. झारखंड की राजधानी रांची में पुरी के तर्ज पर बना प्राचीन जगन्नाथ मंदिर मौजूद है. इस मंदिर का इतिहास 332 साल पुराना है. यह मंदिर अपने इतिहास और खूबसूरती के लिए मशहूर है.

कहां है यह मंदिर

झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा क्षेत्र में मौजूद है प्राचीन जगन्नाथ मंदिर. यहां आप रेल, हवाई और सड़क मार्ग से आ सकते हैं. इसका निकटतम रेलवे स्टेशन हटिया जंक्शन है. अल्बर्ट एक्का चौक से 10 किमी की दूरी पर मौजूद जगन्नाथ मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए लोगों के बीच लोकप्रिय है.

क्या है महत्व

जगन्नाथ मंदिर प्रकृति के गोद में बसा अध्यात्म का केंद्र है. हर वर्ष पुरी जगन्नाथ मंदिर की ही तरह रांची में भी भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकलती है. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु रथ खींचने पहुंचते हैं. ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नौ दिनों तक मौसीबाड़ी में रुकते हैं, जो मुख्य मंदिर से कुछ दूरी पर ही स्थित है. रथ यात्रा के दौरान रांची में मेले का आयोजन किया जाता है. बड़ी संख्या में लोग प्रभु के दर्शन करने मौसीबाड़ी पहुंचते हैं. नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने 1691 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को अद्भुत भक्तिमय दृश्य देखने को मिलता है. इस मंदिर का निर्माण करीब 80-90 मीटर ऊंची छोटी पहाड़ी पर किया गया है, जहां से रांची शहर का दृश्य मनोरम दिखाई देता है. इस मंदिर की वास्तुकला भी नायाब है जिसमें प्राचीन शिल्पकारी की झलक दिखाई पड़ती है.

शिव ज्योतिर्लिंग: -बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ मंदिर अपनी आध्यात्मिकता और धार्मिक मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है,आइए जानते हैं

-विनोद आनंद

बारह शिव ज्योतिर्लिंग के श्रृंखला में हम जिक्र करेंगे आज वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर की जो अपनी आध्यात्मिकता और धार्मिक मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है।भारत में भगवान शिव के सबसे ख्याति प्राप्त और सुप्रसिद्ध मंदिरों में से यह एक है काशी विश्वनाथ मंदिर! 

यह प्राचीन मंदिर उत्तर भारत के वाराणसी में गंगा के तट पर स्थित है. इस मंदिर में बाबा विश्वनाथ की पूजा की जाती है जिन्हें ब्रह्मांड का देवता भी कहते हैं। वाराणसी को काशी के नाम से भी जाना जाता है और काशी में स्थित होने के चलते ही इस मंदिर का नाम काशी विश्वनाथ मंदिर पड़ा है।

 मुस्लिम शासकों द्वारा इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया है और इसी विध्वंस और निर्माण से जुड़ी बेहद दिलचस्प है इस मंदिर की कहानी!

काशी विश्वनाथ मंदिर की उत्पत्ति और उससे जुड़ी किंवदंती

काशी विश्वनाथ मंदिर की उत्पत्ति का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है, और इसका इतिहास वाराणसी के पौराणिक शहर से जुड़ा हुआ है, जिसे काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक काशी को भगवान शिव का निवास माना जाता है, जो ब्रह्मांड के विध्वंसक और परिवर्तनकर्ता हैं।

कहा जाता है कि मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण और काशी खंड सहित विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है। 

किंवदंती के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं इस स्थान पर अपने निराकार लिंगम (लिंग) के पवित्र प्रतीक ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। इस ज्योतिर्लिंग को दिव्य शक्ति का अवतार माना जाता है और यह दुनिया के सभी कोनों से भक्तों को आकर्षित करता है।

मूल मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में राजा हरिश्चंद्र नामक एक भक्त ने करवाया था। सदियों से, इसमें कई पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार हुए हैं, जो विभिन्न युगों की बदलती वास्तुकला शैलियों और धार्मिक प्रथाओं को दर्शाते हैं।

अन्य पौराणिक कथा

दैविक काल से बनारस देव भूमि के नाम से जाना जाता है। यह शहर पवित्र गंगा नदी के किनारे बसा है। गंगा के किनारे कुल 88 घाट हैं। बनारस अपनी धार्मिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर साल दुनियाभर से पर्यटक बनारस घूमने आते हैं। लोग गंगा आरती में शामिल होकर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर बाबा के दरेशन करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि दैविक काल में महादेव काशी में ही रहते थे। आइए, काशी विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक कथा जानते हैं-

धार्मिक किदवंती के अनुसार, एक बार देवताओं ने भगवान ब्रह्मा देव और विष्णु जी से पूछा कि- हे जगत के रचयिता और पालनहार कृपा कर बताएं कि ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन है? देवताओं के इस सवाल से ब्रह्मा और विष्णु जी में श्रेष्ठता साबित करने की होड़ लग गई। इसके बाद सभी देवतागण, ब्रह्मा और विष्णु जी सहित कैलाश पहुंचे और भगवान भोलेनाथ से पूछा गया कि- हे देवों के देव महादेव आप ही बताएं कि ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन हैं?

देवताओं के इस सवाल पर तत्क्षण भगवान शिव जी के तेजोमय और कांतिमय शरीर से ज्योति कुञ्ज निकली, जो नभ और पाताल की दिशा में बढ़ रही थी। तब महादेव ने ब्रह्मा और विष्णु जी से कहा- आप दोनों में जो सबसे पहले इस ज्योति की अंतिम छोर पर पहुंचेंगे। वहीं, सबसे श्रेष्ठ है। इसके बाद ब्रह्मा और विष्णु जी अनंत ज्योति की छोर तक पहुंचने के लिए निकल पड़े। कुछ समय बाद ब्रम्हा और विष्णु जी लौट आए तो शिव जी ने उनसे पूछा-हे देव क्या आपको अंतिम छोर प्राप्त हुआ।

इस पर विष्णु जी ने कहा-हे महादेव यह ज्योति अनंत है, इसका कोई अंत नहीं है। जबकि ब्रम्हा जी झूठ बोल गए, उन्होंने कहा- मैं इसके अंतिम छोर तक पहुंच गया था। यह जान शिव जी ने विष्णु जी को श्रेष्ठ घोषित कर दिया। इससे ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठें, और शिव जी के प्रति अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करने लगे।

यह सुन भगवान शिव क्रोधित हो उठें और उनके क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति हुई, जिन्होंने ब्रम्हा जी के चौथे मुख को धड़ से अलग कर दिया। उस समय ब्रह्मा जी को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने तत्क्षण भगवान शिव जी से क्षमा याचना की। इसके बाद कैलाश पर्वत पर काल भैरव देव के जयकारे लगने लगे। यह ज्योति द्वादश ज्योतिर्लिंगकाशी विश्वनाथ कहलाया।

ऐतिहासिक विकास

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास निर्माण, विनाश और पुनर्निर्माण के विभिन्न चरणों से चिह्नित है, जो आक्रमणों, संघर्षों और प्राकृतिक आपदाओं की एक श्रृंखला के कारण हुआ। मंदिर की लचीलापन और स्थायी आध्यात्मिक महत्व ने इसे कई बार राख से उठने की अनुमति दी है, जो हिंदू भक्ति की अदम्य भावना को दर्शाता है।

जैसा कि पहले बताया गया है, मंदिर की उत्पत्ति प्राचीन काल में हुई थी जब इसे राजा हरिश्चंद्र ने स्थापित किया था। उस समय मंदिर एक साधारण संरचना थी, लेकिन इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक था।

 मंदिर को सबसे पहले 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के आक्रमण के दौरान सबसे बड़ा खतरा झेलना पड़ा। इस्लामी विजेता महमूद ने काशी विश्वनाथ मंदिर सहित उत्तर भारत के कई मंदिरों को लूटा और नष्ट कर दिया। यह मंदिर के इतिहास में उथल-पुथल भरे दौर की शुरुआत थी।

राजाओं द्वारा पुनर्निर्माण: 

विनाश के बावजूद, मराठों, मुगलों और राजपूतों सहित क्षेत्र के विभिन्न हिंदू राजाओं और शासकों ने सदियों से मंदिर के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार के प्रयास किए। इस दौरान मंदिर में कई जीर्णोद्धार और विस्तार हुए, जिनमें से प्रत्येक ने इसकी वास्तुकला की भव्यता में योगदान दिया।

औरंगजेब द्वारा विध्वंस:

 मंदिर के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक 17वीं शताब्दी के अंत में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान हुई थी। औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने और उसके स्थान पर एक मस्जिद बनाने का आदेश दिया, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है। मंदिर के मूल ज्योतिर्लिंग को विनाश से बचाने के लिए एक अस्थायी स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

विश्वनाथ की पुनर्स्थापना और मंदिर निर्माण

 औरंगज़ेब के शासन के बाद की अवधि में हिंदुओं द्वारा मंदिर को उसके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास किए गए। वर्तमान मंदिर परिसर, जैसा कि आज है, 18वीं शताब्दी में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाया गया था। यह ध्यान देने योग्य है कि अहिल्याबाई होल्कर एक प्रमुख शासक थीं जिन्हें मंदिर निर्माण और हिंदू पुनरुत्थानवाद में उनके योगदान के लिए जाना जाता था।

मंदिर का वर्तमान स्थान ज्ञानवापी मस्जिद के निकट है, जो आज भी धार्मिक और राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है। इन विवादों के बावजूद, काशी विश्वनाथ मंदिर आस्था और भक्ति के प्रतीक के रूप में फलता-फूलता रहा है।

आधुनिक जीर्णोद्धार और संरक्षण: 

हाल के दिनों में, मंदिर की वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए विभिन्न जीर्णोद्धार और संरक्षण प्रयास किए गए हैं। इन पहलों का उद्देश्य मंदिर को पर्यावरणीय कारकों से बचाना और भक्तों की भावी पीढ़ियों के लिए इसकी दीर्घायु सुनिश्चित करना है।

भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव



काशी विश्वनाथ मंदिर का भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हिंदू धर्म की स्थायी प्रकृति और चुनौतियों के बावजूद अनुकूलन और विकास करने की इसकी क्षमता का प्रतीक है। मंदिर ने वाराणसी को शिक्षा, संस्कृति और आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में विकसित करने में भी भूमिका निभाई है।

वाराणसी शहर, जिसमें मंदिर स्थित है, दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे शहरों में से एक माना जाता है। यह सदियों से विद्वानों, कलाकारों और आध्यात्मिक ज्ञान के साधकों का केंद्र रहा है। मंदिर की उपस्थिति ने वाराणसी को शिक्षा और ज्ञान के शहर के रूप में प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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