/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? जानें क्या कहते हैं आंकड़े* India
राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? जानें क्या कहते हैं आंकड़े*
#rae_bareli_challenge_for_rahul_gandhi “मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है।” रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी खुद ही ये कह चुके हैं। ऐसे मं बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी मां के भरोसे पर खरे उतरेंगे? 2019 में अमेठी से हार के बाद दक्षिण की ओर पलायन कर चुके राहुल के लिए रायबरेली उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल? और अगर सुरक्षित है तो जीतना कितनी बड़ी चुनौती है? कांग्रेस ने काफी “माथापच्ची” के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी को उतारा है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं। उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। अब यहां राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का असर यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने इस बार राहुल को अमेठी की जगह सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से मैदान में उतारा तो उसके पीछे इस सीट का पुरानी सीट से अधिक सुरक्षित होना भी था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के रायबरेली चयन पर ढेरों कारण गिना दिए। राहुल गांधी को ‘मास्टरमाइंड’ कहते हुए जयराम रमेश ने कहा, इस पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है। लेकिन वे राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से भाजपा, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो 'परंपरागत सीट' की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? हालांकि, बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस अब रायबरेली भी अमेठी की तरह हार सकती है। अब सावल उठता है कि बीजेपी के इस दावे में कितना दम है। अमेठी में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2014 में बहुत हम हुआ और 2019 में वे हार ही गए। सोनिया गांधी के साथ कुछ ऐसा ही रायबरेली में भी हो रहा था। 2009 में सोनिया गांधी को 72.23% वोट मिले थे। जबकि बीजेपी को सिर्फ 3.82% वोट मिला। बीजेपी और कांग्रेस के बीच तब वोटों का अंतर 68.41% का था। इसके बाद 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80% वोट मिले और बीजेपी को 21.05% वोट मिले. यानी कांग्रेस को (-8.43%) वोट का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.23%) वोट का फायदा। दोनों पार्टियों के वोट का अंतर घटकर 42.75% फीसदी हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को 55.78% वोट मिले और बीजेपी को 38.35% वोट मिले, यानी कांग्रेस को (-8.02%) का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.3%) का फायदा. जीत हार का अंतर घटकर 17.43% फीसदी रह गया है। अब चौथी अहम बात ये है कि रायबरेली में पिछली बार बीजेपी 17.43 फीसदी वोट के अंतर से हारी है और लगातार दो चुनाव में 17% से ज्यादा वोट बढ़ाती आ रही है। पिछले चुनावों के नतीजें देखें तो राहुल गांधी की राह आसान नहीं है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी को अपनी परंपरागत सीट का फायदा होता है या उन्हें एक बार फिर अमेठी तरह हार का मूंह देखना पड़ेगा?
राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? जानें क्या कहते हैं आंकड़े*
#rae_bareli_challenge_for_rahul_gandhi “मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है।” रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी खुद ही ये कह चुके हैं। ऐसे मं बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी मां के भरोसे पर खरे उतरेंगे? 2019 में अमेठी से हार के बाद दक्षिण की ओर पलायन कर चुके राहुल के लिए रायबरेली उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल? और अगर सुरक्षित है तो जीतना कितनी बड़ी चुनौती है? कांग्रेस ने काफी “माथापच्ची” के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी को उतारा है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं। उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। अब यहां राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का असर यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने इस बार राहुल को अमेठी की जगह सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से मैदान में उतारा तो उसके पीछे इस सीट का पुरानी सीट से अधिक सुरक्षित होना भी था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के रायबरेली चयन पर ढेरों कारण गिना दिए। राहुल गांधी को ‘मास्टरमाइंड’ कहते हुए जयराम रमेश ने कहा, इस पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है। लेकिन वे राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से भाजपा, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो 'परंपरागत सीट' की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? हालांकि, बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस अब रायबरेली भी अमेठी की तरह हार सकती है। अब सावल उठता है कि बीजेपी के इस दावे में कितना दम है। अमेठी में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2014 में बहुत हम हुआ और 2019 में वे हार ही गए। सोनिया गांधी के साथ कुछ ऐसा ही रायबरेली में भी हो रहा था। 2009 में सोनिया गांधी को 72.23% वोट मिले थे। जबकि बीजेपी को सिर्फ 3.82% वोट मिला। बीजेपी और कांग्रेस के बीच तब वोटों का अंतर 68.41% का था। इसके बाद 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80% वोट मिले और बीजेपी को 21.05% वोट मिले. यानी कांग्रेस को (-8.43%) वोट का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.23%) वोट का फायदा। दोनों पार्टियों के वोट का अंतर घटकर 42.75% फीसदी हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को 55.78% वोट मिले और बीजेपी को 38.35% वोट मिले, यानी कांग्रेस को (-8.02%) का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.3%) का फायदा. जीत हार का अंतर घटकर 17.43% फीसदी रह गया है। अब चौथी अहम बात ये है कि रायबरेली में पिछली बार बीजेपी 17.43 फीसदी वोट के अंतर से हारी है और लगातार दो चुनाव में 17% से ज्यादा वोट बढ़ाती आ रही है। पिछले चुनावों के नतीजें देखें तो राहुल गांधी की राह आसान नहीं है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी को अपनी परंपरागत सीट का फायदा होता है या उन्हें एक बार फिर अमेठी तरह हार का मूंह देखना पड़ेगा?
*लोकसभा चुनाव 2024: शिवपाल यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, मायावती को लेकर दिया था विवादित बयान*

डेस्क: बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती को लेकर अभद्र टिप्पणी करना सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव को भारी पड़ गया है। बदायूं के बसपा जिलाध्यक्ष की तहरील पर मायावती के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस सूत्रों ने सोमवार को बताया कि बसपा के जिला अध्यक्ष राम प्रकाश त्यागी की तहरीर पर शिवपाल यादव के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना) और 505 (सामाजिक उपद्रव फैलाने वाला वक्तव्य देना) के तहत रविवार देर रात मुकदमा दर्ज किया गया है। कार्यकर्ताओं में रोष इस मामले में वादी बसपा के जिला अध्यक्ष राम प्रकाश त्यागी ने दावा किया कि उन्होंने गत 3 मई को अपने मोबाइल फोन पर एक चैनल की समाचार क्लिपिंग देखी थी, जिसमें शिवपाल ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के खिलाफ अमर्यादित व अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा कि मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उनके लिए अपमानजनक शब्द प्रयोग करने से बसपा कार्यकर्ताओं में बहुत रोष है। जांच के बाद दर्ज हुआ मुकदमा बसपा जिलाध्यक्ष राम प्रकाश त्यागी के अनुसार इसी वजह से उन्होंने पुलिस को उस टिप्पणी का वीडियो उपलब्ध कराया था, जिसकी जांच करने के बाद कोतवाली सिविल लाइंस में शिवपाल के विरुद्ध उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। त्यागी ने कहा कि इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी संज्ञान लेना चाहिए। बता दें कि शिवपाल के बेटे आदित्य यादव बदायूं लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। समाजवादी पार्टी यहां से पहले भी अपने दो उम्मीदवार बदल चुकी है। समाजवादी पार्टी ने पहले इस सीट से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था। बाद में एक अन्य सूची में पार्टी ने धर्मेंद्र यादव की जगह शिवपाल यादव को बदायूं से प्रत्याशी बनाया। इसके बाद एक अन्य लिस्ट जारी कर शिवपाल यादव की जगह बदायूं सीट से उनके बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया।
अमेठी-रायबरेली में प्रियंका करेंगी कांग्रेस का “बेड़ा पार”, अपनी टीम के साथ आज से करेंगी कैंप
#priyanka_gandhi_will_take_charge_of_congress_campaign_in_amethi_and_raebareli
गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाली रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर पांचवें चरण में चुनाव है। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। ये दोनों सीट कांग्रेस की प्रतिष्ठा से जुड़ी है। ऐसे में कांग्रेस ने दोनों सीटों पर कब्जा जमाने के लिए खास रणनीति बनाई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अब सब कुछ छोड़कर रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार का जिम्मा संभालेंगी। प्रियंका गांधी ने भले ही लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया हो, पर वह अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए डटी रहेंगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी के 80 सीटों में से मात्र एक सीट ही जीत सकी थी। मोदी लहर में भी सोनिया गांधी परिवार के पारंपरिक सीट रायबरेली को बचाने में कामयाब रही थी। हालांकि, राहुल गांधी को अमेठी में स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा चुनाव मैदान में हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस हर हाल में अमेठी और रायबरेली में लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है। रायबरेली में भाई राहुल और अमेठी में केएल शर्मा के जीत के लिए प्रियंका गांधी दोनों सीटों पर आज (सोमवार) से डेरा जमाने जा रही हैं। 3 मई को ही प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह 6 मई को आएंगी और पूरे चुनाव के दौरान अमेठी और रायबरेली में ही रहेंगी। तब उन्होंने नामांकन के जुलूस के दौरान कहा था कि हम अमेठी में सच्चाई और सेवा की राजनीति वापस लाना चाहते हैं। अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर चुनाव पांचवें चरण में 20 मई को होगा। ऐसे में समझा जा रहा है कि अगले दो हफ्ते प्रियंका यहीं से चुनावी दौरे कर सकती हैं। उनका ज्यादातर समय अमेठी और रायबरेली में ही बीतेगा। रायबरेली में भाई राहुल और अमेठी में केएल शर्मा के जीत के लिए प्रियंका गांधी जमीनी रणनीति से सियासी माहौल बनाने तक का काम करेंगी। संगठन और बूथ कमेटी की बैठक के साथ-साथ नुक्कड़ सभा और घर-घर दस्तक देने की प्लानिंग बनी है। वो रायबरेली के एक गेस्ट हाउस में रहकर दोनों चुनाव क्षेत्रों की कमान संभालेंगी। इस दौरान वो केंद्रीय नेताओं के इन दोनों क्षेत्रों में दौरे का समन्वय भी करेंगी। इसके पहले के चुनाव में भी प्रियंका गांधी इन दोनों सीटों पर यह जिम्मेदारी उठा चुकी हैं। बता दें कि रायबरेली और अमेठी कांग्रेस की परंपरागत सीट है। राहुल और प्रियंका गांधी के दादा फिरोज गांधी आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में रायबरेली से ही चुनाव जीते थे। वो 1957 का चुनाव भी रायबरेली से ही जीते थे। वहीं राहुल-प्रियंका की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1967 और 1971 के चुनाव में वहां से सांसद चुनी गईं, लेकिन 1977 के चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के राजनरायाण के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। वो 1980 के चुनाव में एक बार फिर रायबरेली पर कब्जा जमाने में कामयाब रहीं। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में केवल तीन बार ही विपक्षी दल रायबरेली से जीत हासिल कर पाए हैं। वहीं अगर अमेठी की बात करें तो वहां से गांधी परिवार के संजय गांधी पहली बार 1980 में चुनाव जीते थे। साल 1984 से लेकर 1991 तक राजीव गांधी सांसद चुने गए। उनके निधन के बाद गांधी परिवार के वफादार कैप्टन सतीश शर्मा वहां से दो बार सांसद चुने गए। इसके बाद 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से सांसद चुनी गई थीं। उसके बाद 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में राहुल गांधी ने वहां से जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को हार का सामान करना पड़ा था।
देश के 200 से ज्यादा वाइस चांसलर्स ने राहुल गांधी के खिलाफ खोला मोर्चा, कानूनी कार्रवाई की मांग, जानें क्या है मामला*
#200_vice_chancellors_demands_legal_action_against_rahul_gandhi
देश के लगभग 200 विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्टा खोल दिया है। वाइस चांसलर्स ने राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा था कि वाइस चांसलर्स की नियुक्ति योग्यता को ताक पर रख कुछ संगठनों से संबंधों के आधार पर की जा रही है। अपने इस बयान के बाद राहुल गांधी घिरते नजर आ रहे हैं।देश के लगभग 200 विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स ने साझा बयान जारी कर राहुल गांधी के आरोपों की निंदा की है। कुलपतियों और अन्य वरिष्ठ शिक्षाविदों ने साझा बयान में इस आरोप का खंडन किया है। इस पत्र में कहा गया है कि एक ट्वीट से ये हमारे संज्ञान में आया है कि यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर्स की नियुक्ति कुछ संगठनों से संबंधों के आधार पर की जाती है ना कि योग्यता के आधार पर। इससे वाइंस चांसलर्स की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए हैं। हम इस तरह के दावों को सिरे से खारिज करते हैं। पत्र में कहा गया है कि कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से योग्यता के आधार पर हो रही है। कुलपति अपने कामकाज में संस्थाओं की मर्यादा और नैतिकता का ध्यान रखते हैं। ग्लोबल रैंकिंग के हिसाब से देखें तो भारतीय विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। पत्र में कहा गया है कि जिस प्रक्रिया के तहत वाइस चांसलर्स का चुनाव किया जाता है, वह बेहद सख्त और पारदर्शी है। साझा बयान में 180 वाइस चांसलर्स और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर भी हैं। दस्तखत करने वालों में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, एनसीआईआरटी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एआईसीटीई, यूजीसी आदि के प्रमुख भी शामिल हैं। बता दें कि कुछ महीने पहले राहुल गांधी ने हिंदुस्तान के वाइस चांसलर्स को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, आज हिंदुस्तान के वाइस चांसलर मेरिट के आधार पर नहीं बनते हैं। आज सभी वाइस चांसलर एक ही संगठन के हैं. सारी संस्थाओं पर बीजेपी का कब्जा है।
पुंछ आतंकी हमले पर कांग्रेस नेता ने उठाया सवाल, चरणजीत सिंह चन्नी ने बताया ‘पॉलिटिकल स्टंट’*
#former_punjab_cm_channi_raises_doubts_on_poonch_terrorist_attack जम्मू कश्मीर के पुंछ में वायुसेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले पर कांग्रेस नेता ने आशंका जाहिर की है। कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले को लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए किया गया ‘पॉलिटिकल स्टंट’ करार दिया है। बता दें कि अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में शनिवार को पुंछ जिले में आतंकवादियों ने भारतीय वायु सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई और चार घायल हो गए। जालंधर से कांग्रेस के उम्मीदवार चन्नी ने सेना के जवानों पर हलमे और उनकी शहादत को स्टंटबाजी बता दिया। इस बयान से चन्नी का विरोध शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय वायु सेना के वाहन पर आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले पर कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "ये स्टंटबाजी हो रही है। हमले नहीं हो रहे। जब चुनाव आते हैं तो बीजेपी को जिताने के लिए ऐसे स्टंट खेले जाते हैं और बीजेपी को जिताने का तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब इलेक्शन आते हैं तो ऐसे स्टंट खेले जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये तैयार करके हमले करवाए जाते हैं, बीजेपी को जिताने का स्टंट होता है, इसमें सच्चाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि लोगों को मरवाने और लोगों की लाशों पर खेलना ये बीजेपी को आता है।" वहीं इस बयान के बाद विवाद पैदा हो गया है। चन्नी के इस बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बयान को भाजपा ने आड़े हाथों लिया है और कहा कि ये कांग्रेस की घटिया मानसिकता बताया है। उन्होंने कहा कि चन्नी का बयान बताता है कि कांग्रेस की मानसिकता देशविरोधी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने चन्नी के बयान की सख्ती से निंदा करते हुये कांग्रेस से पूछा कि क्या यह चुनाव जीतने के लिये सैनिकों का अपमान करेगी। उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष से चन्नी की टिप्पणी पर माफी मांगने को कहा। ठाकुर रविवार को जालंधर में थे। उन्होंने कहा, ‘वे हमारी सेना का अपमान करते हैं। वे हमारी सेना की क्षमता पर सवाल उठाते हैं।’ उन्होंने पूछा, ‘क्या कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए हमारे वीर जवानों का अपमान करेगी।’
लोकसभा चुनाव 2024: चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश डीजीपी के तबादले का दिया आदेश
डेस्क : लोकसभा के तीसरे चरण की वोटिंग से पहले चुनाव आयोग ने एक बड़ा आदेश पारित किया है। आयोग ने आंध्र प्रदेश के डीजीपी केवी राजेंद्रनाथ रेड्डी का तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने अपने आदेश में डीजीपी पद के लिए डीजी रैंक के तीन अधिकारियों का एक पैनल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। विपक्ष ने की थी शिकायत दरअसल, चुनाव आयोग ने यह कदम विपक्ष की शिकायतों के आधार पर उठाया है। विपक्ष की ये शिकायत थी कि डीजीपी और कई अन्य अधिकारी राज्य में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के साथ सहयोग कर रहे हैं। इन शिकायतों पर संज्ञान लेने के बाद चुनाव आयोग ने डीजीपी का शीघ्र तबादला करने का आदेश जारी किया है। नए डीजीपी की नियुक्ति जल्द आयोग की तरफ से कहा गया है कि मुख्य सचिव डीजीपी रैंक के तीन अधिकारियों की लिस्ट जल्द उपलब्ध कराएं ताकि डीजीपी का प्रभार नए अधिकारी को सौंपा जा सके। आयोग ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि डीजीपी राजेंद्रनाथ रेड्डी को चुनाव से संबंधित कोई ड्यूटी नहीं दी जाए।
मनोज तिवारी की बेटी ने ज्वाइन किया BJP, कहा- नड्डा साहब ने जरूर मुझमें कुछ देखा होगा

डेस्क: मनोज तिवारी की बेटी रीति तिवारी शनिवार को भाजपा में शामिल हो गईं। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए रीति अब राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैंने कबी नहीं सोचा था कि मैं इतनी जल्दी राजनीति में आ जाऊंगी। शायद भगवान की यही योजना थी। राजनीति में शामिल होना मेरे लिए 10-15 साल के बाद का प्लान था। लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जरूर मुझमें कुछ देखा होगा। तभी ये फैसला लिया गया है। मैं किसी को भी निराश नहीं करूंगी।

पिता के साथ चुनाव प्रचार में हुईं शामिल

रीति एक एनजीओ में काम करती हैं और वह एक गायिका और गीतकार भी हैं। शनिवार को मनोज तिवारी के चुनाव प्रचार का पहला दिन था। जिसमें रीति शामिल हुईं और उन्होंने एक इंस्टाग्राम पर इस दौरान की स्टोरी भी शेयर की। रीति मनोज तिवारी की पहली पत्नी रानी तिवारी की बेटी हैं। शादी के 11 साल बाद 2011 में मनोज और रानी अलग हो गए। 2020 में मनोज तिवारी सुरभि के साथ दूसरी बार शादी के बंधन में बंधे। सांसद और सुरभि के दो बच्चें हैं।

पिता के साथ चुनाव प्रचार में शामिल रीति तिवारी

पिता के साथ चुनाव प्रचार में शामिल रीति तिवारी

भोजपुरी फिल्म स्टार मनोज तिवारी 2009 में राजनीति में शामिल हुए। उस वक्त उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह अपना पहला चुनाव योगी आदित्यनाथ से हार गए थे। साल 2014 में, मनोज तिवारी भाजपा में शामिल हो गए और उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। जैसे ही उन्होंने आम आदमी पार्टी के आनंद कुमार को हराया और सांसद बने। 

उत्तर पूर्वी दिल्ली पर उनका प्रभाव इतना मजबूत हो गया कि पांच साल बाद उन्होंने इस सीट से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 3.66 लाख वोटों के अंतर से हराया। इस साल वह कांग्रेस के कन्हैया कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। दिल्ली में लोकसभा चुनाव 25 मई को एक ही चरण में होगा। मतगणना 4 जून को होगी।

Deepfake पर एलन मस्क का बड़ा प्लान, X का नया फीचर फर्जीवाड़े पर लगाए का रोक

डेस्क: टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बनाने का काम किया है। लेकिन, इसके बढ़ते इस्तेमाल के बीच स्पैम, फ्रॉड, और ठगी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। साइबर क्रिमनल्स लोगों को ठगने के नए नए तरीके अपना रहा है। ठगी और धोखे को अंजाम देने के लिए ऐसा ही एक नया डीपफेक के तौर पर अपनाया जा रहा है। पिछले कुछ समय में डीपफेक मामले काफी तेजी से सामने आए हैं। अब इस पर लगाम लगाने के लिए टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने तैयारी कर ली है। 

आपको बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में लगातार बढ़ते डीपफेक के मामलों पर रोक लगाने के लिए एक्स पर एक नया फीचर देने जा रहे हैं। माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर्स को एक नया फीचर मिलेगा जिससे वह बेहद आसानी से असली नकली कंटेंट में अंतर समझ पाएंगे। 

एलन मस्क ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर्स के लिए इम्प्रूव्ड इमेज मैचिंग का एक नया अपडेट लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह नया अपडेट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में डीपफेक साथ साथ शैलोफेक वाले कंटेंट पर भी कड़ाई के साथ नजर रखेगा। मस्क ने बताया कि एक नया अपेडट दिया गया है जो फर्जी और नकली फोटो की तुरंत पहचान करेगा। 

मस्क के मुताबिक नया अपडेट 30 प्रतिशत से ज्यादा उन पोस्ट पर नोट्स दिखाएगा जिसमें दूसरी फोटो के समान या फिर उससे मिलती जुलती फोटोज होंगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से डीपफेक (और शैलोफेक) को रोकने में बड़ी मदद मिलनी चाहिए। 

आपको बता दें कि शैलोफेक्स ऐसे तस्वीर, वीडियो या फिर वॉइस क्लिप होती हैं जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बिना तैयार किया जाता है। शैलोफेक कंटेंट को जनरेट करने के लिए साइबर एक्सपर्ट अलग अलग सॉफ्टवेयर और टूल्स का उपयोग करते हैं। अब एक्स का नया अपडेट इस तरह के कंटेंटे को पहचान कर उन पर नोट्स दिखाई देगा।

PoK का भारत में विलय होगा' राजनाथ सिंह के बयान पर बोले फारूक अब्दुल्ला-'पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहनी'

डेस्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को बल प्रयोग करके इस पर कब्जा नहीं करना पड़ेगा क्योंकि जम्मू-कश्मीर के विकास को देखकर वहां के लोग पाकिस्तान छोड़ना चाहते हैं। उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान ने "चूड़ियां नहीं पहनी हैं" और उनके पास परमाणु बम भी हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास लौटा है, जल्द ही पीओके को भारत में विलय करने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा, "हमें पीओके को लेने के लिए बल का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा क्योंकि लोग कहेंगे कि हमें भारत में विलय करना होगा। ऐसी मांगें अब आ रही हैं। पीओके भारत का क्षेत्र था, है और रहेगा।" जम्मू-कश्मीर में जल्द होंगे चुनाव-बोले राजनाथ राजनाथ सिंह ने यह भी दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही चुनाव होंगे. हालांकि, उन्होंने इसका कोई समय नहीं बताया। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर में AFSPA की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करने को भी कहा। उनकी इन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, फारूक अब्दुल्ला ने राजनाथ सिंह को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने की चुनौती दी। फारूक अब्दुल्ला ने कसा तंज अब्दुल्ला ने कहा कि "अगर रक्षा मंत्री कह रहे हैं तो आगे बढ़ें। हम रोकने वाले कौन होते हैं। लेकिन याद रखें, उन्होंने (पाकिस्तान) भी चूड़ियां नहीं पहनी हैं। उसके पास परमाणु बम हैं, और दुर्भाग्य से, वह परमाणु बम हम पर गिरेगा।" फारूक अब्दुल्ला ने भविष्यवाणी की कि अमरनाथ यात्रा के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों की घोषणा की जाएगी। कश्मीर में सुरक्षा बलों पर कल हुए हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बावजूद आतंकवाद जारी है।उन्होंने कहा, "मुख्य समस्या भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है। दोनों देशों को एक-दूसरे से बात करनी चाहिए और मुद्दों को सुलझाना चाहिए।"