क्या मालदीव में भारत की जगह ले रहा चीन? द्वीप देश को पेयजल संकट से बचाने के लिए ड्रैगन ने भेजा 1500 टन पानी
#ismaldivesreplacingindiawith_china
भारत से दुश्मनी मोल लेना मालदीव के लिए महंगा पड़ रहा है। मालदीव जलकंट से जूझ रहा है। रेत के मैदानों से समृद्ध इस द्वीप राष्ट्र मालदीव को लगातार पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। अतीत में, देश अपनी जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने निकटतम पड़ोसी भारत पर निर्भर रहा है। 2014 में, भारत ने मालदीव में 2,700 टन से अधिक पीने का पानी भेजने के लिए ऑपरेशन नीर लॉन्च किया था, जब राजधानी में एक जल शोधन परिसर में आग लग गई थी।
हालांकि, मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से ही मालदीव का झुकाव चीन की ओर रहा है। यही वजह है कि भारत की जगह चीन मालदीप के लिए संकटमोटक बन कर उभरा है।
चारों से पानी से घिरा होने के बावजूद मालदीव एक-एक बूंद पेयजल के लिए तरस रहा है। भारत से संबंध बिगाड़ चुके मोइज्जू को जब इस संकट से पार पाने का काई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने चीन के आगे गिड़गिड़ाकर वहां से 1500 टन ड्रिंकिंग वाटर अपने देश में मंगवाया है।मालदीव की सरकार ने घोषणा की है कि चीन ने माले को 1,500 टन पीने का पानी भेजा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव को पीने का पानी उपलब्ध कराने का निर्णय चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के अध्यक्ष यान जिनहाई की मालदीव की आधिकारिक यात्रा के दौरान किया गया, जहां उन्होंने पिछले नवंबर में राष्ट्रपति डॉ मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात की थी।
हालांकि, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के इस कदम को लेकर उनके ही देश में सवाल उठ रहे हैं। देश के लोग पूछ रहे हैं कि करीब 4 हजार किमी दूर चीन से पानी मंगाने के बजाय उन्होंने परंपरागत मित्र रहे भारत से मदद क्यों नहीं मांगी, जिसकी मालदीव से दूरी केवल 300 किमी है।
दरअसल इसके पीछे चीन की पूरी सोची समझी साजिश है। दरअसल, चीन साउथ एशिया को भारत से दूर करना चाहता है।
पहले भी चीन ने की है मालदीव की मदद
मालदीव को चीन की ओर से मदद का यह पहला मामला नहीं है। इसी महीने मोइज्जू ने घोषणा की थी कि मालदीव ने चीन के साथ एक समझौता किया है, जिसके तह उसे चीनी सेना से गैर- घातक सैन्य उपकरणों के साथ ही मिलिट्री ट्रेनिंग भी हासिल होगी। यह समझौता चीन के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य सहयोग कार्यालय के उप निदेशक मेजर जनरल झांग बाओकुन और चीन के निर्यात-आयात बैंक के अध्यक्ष रेन शेंगजुन के साथ राष्ट्रपति मोइज्जू की बैठकों के बाद हुआ।
इसके अलावा चीन के शोध जहाज शियांग यांग हॉन्ग-3 को लेकर भी एक समझौता हुआ है।यह जहाज हाल ही में मालदीव पहुंचा था. इसे चीन का जासूसी जहाज भी कहा गया।दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते से भारतीय सागर क्षेत्र में समुद्री अनुसंधान प्रभावित हो सकता है।वहीं, भारत के मालदीव बायकॉट के बाद मुइज्जू ने देश के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए चीन से मदद की गुहार भी लगाई थी।
मुइज़्ज़ू ने चीन से की मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देने की अपील
अपने चीन दौरे के समय मुइज़्ज़ू ने चीन के लोगों से ये भी अपील की थी कि वो पर्यटन के लिए मालदीव अधिक से अधिक संख्या में आएं। बीते साल पर्यटन के लिहाज से मालदीव के लिए भारत सबसे बड़ा देश था। लेकिन इस साल जनवरी में मालदीव के जूनियर मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित टिप्पणी की थी जिसके बाद भारत में ‘बायकॉट मालदीव’ का ट्रेंड चलाया गया था। तब से भारत मालदीव के लिए पर्यटन के मामले में छठे नंबर पर आ चुका है।
मालदीव आखिर चीन और भारत के लिए क्यों हुआ जरूरी?
मालदीव, 5 लाख लोगों की आबादी वाला एक छोटा सा देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है. लेकिन दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत और चीन के लिए ये देश काफ़ी मायने रखता है। दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए दोनों देश मालदीव में हो रहे छोटे-छोटे डिवेलपमेंट पर भी पैनी नज़र बनाए रहते हैं। भारत लंबे समय से मालदीव का सबसे बड़ा आर्थिक और सैन्य सहयोगी देश रहा है। मोहम्मद सोलिह की सरकार की भारत से क़रीबी जगजाहिर रही है।
हालांकि चीन ने भी बीते सालों में अपने बड़े वित्तीय संसाधनों के साथ इस इलाक़े में महत्वपूर्ण प्रगति की है, बुनियादी ढांचे को लेकर सौदे किए हैं और भारत के आसपास के देशों में पोर्ट भी लीज़ पर लिया है। कोविड के दौरान जब ज़्यादातर देशों ने मालदीव के पर्यटन उद्योग में अपना काम बंद कर दिया था तब भी चीनी कंपनियां यहाँ पैसा लगा रही थीं। लेकिन चीनी कंपनियों का ये पैसा बाज़ार से इकट्ठा नहीं किया गया था। ये पैसा चीन के सरकारी बैंकों का था। यानी ये सीधे तौर पर चीन की सरकार का पैसा था।
इससे पहले सोलिह सरकार में भारत ने मालदीव में 45 से अधिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास योजनाओं में भागीदारी की। अगस्त 2021 में भारत और मालदीव के बीच ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर हुए जिसके तहत भारत को उसे 50 करोड़ डॉलर की मदद देना था। मार्च 2022 में भारत ने मालदीव में दस कोस्टल रडार सिस्टम स्थापित किए। मालदीव के द्वीप अद्दु में पुलिस अकादमी की शुरुआत करने में भी भारत ने उसकी मदद की। जब से मुइज़्ज़ू राष्ट्रपति बने हैं चीन के साथ मालदीव की क़रीबी भी बढ़ी है। मुइज्ज़ू ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपना पहला राजकीय दौरा चीन का किया था।
Apr 01 2024, 17:31