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आगामी 21 अगस्त को मानगो के गांधी मैदान में भजन संध्या का किया जा रहा है आयोजन, सुप्रसिद्ध भजन गायिका शहनाज़ अख्तर का होगा कर्यक्रम

हज़ारीबाग: सावन माह के सातवे सोमवारी यानी आगामी 21 अगस्त 2023 को मानगो गांधी मैदान आयोजित होने वाले विराट भजन सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ सुप्रसिद्ध भजन गायिका शहनाज़ अख्तर शिरकत करेंगी.

इसकी जानकारी जय महाकाल सेवा संघ ने एक वार्ता के दौरान दी. जानकारी देते हुए जय महाकाल सेवा संघ के मुख्य संरक्षक नीरज सिंह ने बताया कि इस भजन संध्या कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध भजन गायिका शहनाज अख्तर, भजन गायक सुनील छैला बिहारी और भजन गायिका देवी अपने भजनों से बाबा भोले के भक्तों को झुमायेंगे.

 कार्यक्रम स्थल की व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हुए नीरज सिंह ने कहा कि संघ की ओर से 400 फुट लंबा जलरोधक पंडाल बनाया गया है जिसमें लगभग 5000 लोगों की बैठने की व्यवस्था की गई है.

 साथ ही दर्शकों को भजन संध्या देखने में किसी तरह की तकलीफ ना हो इसलिए 40 फुट की एलईडी साथ हि पंडाल के बीच में भी दो एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की गई है। वही 30 फुट की आदि योगी की प्रतिमा और बर्फ से बने बाबा बर्फानी की प्रतिमा कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण रहेगा.

 पुरे पंडाल और बाहरी हिस्से सुरक्षा को देकते हुए सी.सी.टीवी कैमरा लगाया जा रहा है। वही 20 अगस्त को मानगो बड़ा हनुमान मंदिर में रुद्रभिषेक और प्रसाद का वितरण किया जायेगा.

आस्था: आईए जानते है झारखंड के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल जहां होती है हर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी...


झारखंड:-भारत 64 करोड़ देवी-देवताओं की भूमि है ,जो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। भारत में कई राज्यों में कुछ ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो आज भी रहस्मयी है। आज हम आपको झारखंड के कुछ रहसमयी मंदिरों के बारे में बताएंगे जहा भक्तों की होती हर मनोकामनाएं पूरी।

झारखंड तो ऐसे पर्यटन स्थल और मंदिरों के लिए चर्चा में रहा है।झारखंड में कई ऐसे रहस्यमय मंदिर जहा लोग पूजा कर मन्नत मांगते और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है| 

झारखंड के इन्हीं धार्मिक स्थल और इन्हीं मंदिरों में से कई ऐसे रहस्य में मंदिर है, जिनका इतिहास काफी पुराना है।

आज हम ऐसे ही झारखंड के कई रहस्यमयी और अदभूत मंदिरों के बारे में जानेंगे जिसकी चर्चा झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में होती है।

धर्म और रहस्य में दृष्टि से देखा जाए तो भारत में कई ऐसे मंदिर है, जिनमें कई राज छुपे है। ऐसे ही कुछ मंदिर झारखंड में भी स्थित है| जिनका पुराना इतिहास रहा है। जिसे जानकर आपको हैरानी होगी. तो चलिए जानते है, झारखंड के इन मंदिरों के बारे में..!

झारखण्ड का प्रसिद्ध मंदिर बैद्यनाथ मंदिर

झारखण्ड के 5 सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर में से एक बैद्यनाथ मंदिर है. भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है| ऐसा माना जाता है, कि यहाँ आने वाले हर भक्तों की मनोकामना भोलेनाथ पूरी करते है, यही कारन है की भक्तगण यहां के शिवलिंग को कामना-शिवलिंग भी कहते है| यह भारत के 12 शिव ज्योतिर्लिंग में से एक है।

आमतौर पर भारत के सभी मंदिरों पर मंदिरों के शीर्ष पर देखेंगे तो आपको त्रिशूल लगा दिखता है| लेकिन यहां के बैजनाथ परिसर के सभी मंदिरों पर त्रिशूल के बदले पंचशील लगे है|

हिंदू धर्म में पंचशील को सुरक्षा कवच भी कहा जाता है| ऐसा माना जाता है, कि इसी पंचशील के कारण आज तक मंदिर पर किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदा का प्रभाव नहीं पड़ा है।

यहां के मंदिर में 72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा 22 मंदिरों की स्थापन भी की गई है| हिंदू धर्म और पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि माता सती का ह्रदय इसी स्थान पर गिरा था. यह भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है। जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी है| यही कारण है, कि इस स्थान की महिमा और भी ज्यादा बढ़ जाती है| यहाँ हर वर्ष श्रद्धालु अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए उमड़ पड़ते है। शायद इन्ही कारणों से इसे भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में एक भी कह सकते है.

श्रद्धा का केंद्र झारखण्ड का प्रसिद्ध माँ छिन्नमस्तिका मंदिर

रामगढ़ स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से 80 किलोमीटर दूर है| यह मंदिर अपने आप में कई संस्कृति और श्रद्धा को समेटे हुए है|  

मां छिन्नमस्तिका मंदिर को कामनाओं का मंदिर माना जाता है| ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर का इतिहास 600 वर्ष पुराना है| यह मंदिर जितना अद्भुत है, उतना ही विस्मयकारी भी है| यहां बिना सिर वाली मां की पूजा होती है| इनके अगल बगल में डाकिनी और शकिणी खड़ी है। जिन्हें वे अपना रक्त पान करा रही है। और स्वयं भी रक्तदान कर रही है| उनकी प्रतिमा में देखें तो इनके कटे हुए सर से तीन रक्त की धाराएं निकल रही है।

इतना ही नहीं इनके मंदिर के सामने बली स्थान भी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां हर दिन 150-200 बकरों की बलि चढ़ती है| सबसे अद्भुत बात यह है की, बलि चढ़ने के स्थान पर एक भी मक्खी देखने को नहीं मिलती है| यह एक ऐसा चमत्कार है जिसे जानकर लोग हैरान हो जाते है।

ऐसा कहा जाता है, मां छिन्नमस्तिका मंदिर महाभारत के काल से भी ज्यादा पुरानी है।और यह मंदिर भी झारखंड पांच प्रमुख मंदिरों में शामिल है।

झारखंड के प्रमुख मंदिर देवड़ी मंदिर के बारे में जानकारी

झारखंड के धार्मिक स्थल में से प्रमुख देवड़ी मंदिर भी है, यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की आस्था इस मंदिर पर काफी हद तक है| वे जब भी अपने पिछले समय में क्रिकेट खेलने जाते थे, या क्रिकेट खेल कर आते थे, तब वह इस मंदिर में दर्शन करने अवश्य ही आते थे. धोनी के इस मंदिर में बार बार दर्शन करने आने के कारण इस मंदिर को काफी प्रसिद्धि मिली है। वर्ष 2011 में संपन्न हुए वर्ल्ड कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी सबसे पहले देवड़ी मंदिर के दर्शन करने आए थे

इस मंदिर के निर्माण को लेकर यह कहा जाता है, कि मंदिर का निर्माण युद्ध से हार कर लौटते समय केरा नाम के एक मुंडा राजा ने करवाई थी ऐसा कहा जाता है| कि केरा नाम के उस मुंडा राजा ने जब इस मंदिर का निर्माण करवाया तब उसे अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था. भारत के अन्य दूसरे मंदिरों की तुलना में देवड़ी मंदिर की अलग ही विशेषता और खासियत है। 

इस मंदिर की पूजा आदिवासी पुजारियों के द्वारा किया जाता है| इस मंदिर की प्रतिमा की सबसे विचित्र बात यह है| कि अन्य मंदिरों में मां दुर्गा के 8 भुजा वाले मूर्ति देखने को मिलती है।लेकिन इस मंदिर में 16 भुजाओं वाली माता का मूर्ति है| इस मूर्ति की ऊंचाई साढ़े तीन फीट की है।

राष्ट्रीय ध्वज फ़हराया जाने वाला रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर

रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर समुंद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. पहाड़ी मंदिर को पहले फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, भारत के स्वतंत्रता के पहले इस मंदिर के क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार था. अंग्रेज इस स्थान पर स्वतंत्रता सेनानी को फांसी दिया करते थे, इसलिए इस पहाड़ी को फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, आपको यह बात जानकर हैरानी होगी की, यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आपको 468 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है| और जब आप इस मंदिर के ऊपर जाएंगे तो रांची का पूरा नजारा देख सकते है|

हजारो वर्ष पुराना मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखण्ड

मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है| शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में देवियों की मूर्तियां है| ऐसा कहा जाता है, कि जब कोई भक्त इस मंदिर में आकर अपनी मन्नत मांगता है| और उसकी मन्नत पूरी हो जाती है| तो वह भक्त इस मंदिर के परिसर में पांच झंडे गाड़ता है| यह मंदिर हजारों और लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है| लेकिन इसकी मान्यता सभी मंदिरों से अलग है।यह देश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्र की पूजा 16 दिनों तक होती है।मां उग्रतारा के इस मंदिर की पूजा पद्धति कालिका मार्कण्डेय पुराण से ली गई है।

इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना भी है, इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में टोरी राज्य के तत्कालीन शासक पीतांबर नाथ शाही ने अपने महल के परिसर में कराया था।

झारखण्ड के प्रसिद्ध मंदिरों में हर वर्ष लाखो श्रद्धालु आते है, इन मंदिरों में इतनी आस्था है की बाहरी राज्य के लोग भी अपनी मनोकामनाए लेकर आते है।

चीनी दूतावास ने की इंडियन कोस्ट गार्ड की तारीफ, जानें आखिर क्या है मामला

भारतीय तट रक्षक बल ने बुधवार यानी 16 अगस्त को अरब सागर के पास से एक चीनी नागरिक की जान बचाई थी। अब चीनी एंबेसी ने इंडियन कोस्ट गार्ड की तारीफ की है।दरअसल, 16 अगस्त यानी बुधवार को मुंबई के पास अरब सागर में एक विदेशी पोत पर सवार गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को समय से इलाज मिल सके, इसके लिए भारतीय तटरक्षक बल ने पूरी ताकत लगा दी थी। जिसके बाद भारत में चीनी दूतावास ने उसके एक नागरिक की जान बचाने के बाद खुलकर भारतीय तटरक्षक बल की तारीफ की है। 

बता दें कि 16 और 17 अगस्त की आधी रात को मुंबई के पास अरब सागर में एक विदेशी पोत पर सवार चीनी नागरिक गंभीर रूप से बीमार था और उसे इलाज की सख्त जरूरत थी। चीनी नागरिक ने सीने में दर्द की शिकायत की थी और लक्षण कार्डियक अरेस्ट के थे। यह उस जहाज पर सवार था जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के रास्ते में था। चीन के इस नागरिक को समुद्र के बीच रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाकर बचाया गया है। इसके लिए भारतीय तटरक्षक बल ने पूरी ताकत लगा दी थी।खराब मौसम और कम विजिबिलिटी के बीच, भारतीय तटरक्षक दल ने पनामा के झंडे वाली रिसर्च शिप एमवी डोंग फैंग कान टैन नंबर 2 से मरीज को हेलीकॉप्‍टर की मदद से बाहर निकाला। यह रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन अरब सागर के अंदर करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर हुआ। रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन को सीजी एएलएच और सीजीएएस दमन ने अंजाम दिया।

इसके बाद चीनी दूतावास ने एक्‍स (पहले ट्विटर) पर लिखा, मुंबई के पास अरब सागर में एक चीनी नागरिक की सही समय पर और पेशेवर चिकित्सा निकासी के लिए की हम दिल से सराहना करते हैं।ट्विटर पर एक वीडियो भी भारतीय तटरक्षक बल की तरफ से पोस्‍ट किया गया है। इसमें नजर आ रहा है कि एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) एमके-III कैसे नागरिक को समुद्र से बाहर निकाल रहा है। हेलीकॉप्‍टर जहाज के पास आता है और मरीज को गार्ड की मदद से ऊपर उठाया जाता है। तुरंत ही उसे मेडिकल सहायता दी जाती है। साथ ही तट रक्षक मरीज को उसकी सुरक्षा का भरोसा देते हुए भी नजर आते हैं।

लद्दाख में बौद्ध महिला को लेकर भाग गया भाजपा के एक दिग्गज मुस्लिम नेता का बेटा, पार्टी ने किया निष्कासित, मांगा गया था स्पष्टीकरण


लद्दाख में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक दिग्गज मुस्लिम नेता को अपने बेटे की हरकतों की सजा मिली है। भाजपा नेता के बेटे ने एक बौद्ध महिला के साथ भागकर शादी कर ली। इसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। लद्दाख भाजपा के 74 वर्षीय प्रदेश उपाध्यक्ष नजीर अहमद को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया है। उनका बेटा एक महीने पहले कथित तौर पर एक बौद्ध महिला के साथ भाग गया था।

एक बयान में, भाजपा की लद्दाख इकाई ने कहा कि उसने अपने वरिष्ठ नेता के खिलाफ कार्रवाई की है। पार्टी ने कहा कि कार्रवाई करने से पहले उन्हें "स्पष्टीकरण देने का अवसर दिया गया था।" कहा जा रहा है कि "उनके बेटे द्वारा एक बौद्ध लड़की को भगाने के संवेदनशील मुद्दे में उनकी भी संलिप्तता थी।" जिसको लेकर पार्टी ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। 

निष्कासन आदेश बुधवार को पार्टी की एक कार्यकारी बैठक के बाद लद्दाख भाजपा प्रमुख फुंचोक स्टैनजिन द्वारा जारी किया गया था। लद्दाख भाजपा अध्यक्ष फुंचोक स्टैनजिन द्वारा बुधवार को जारी आदेश में कहा गया, “नजीर अहमद को उनके बेटे मंजूर अहमद द्वारा एक बौद्ध लड़की को भगाने के संवेदनशील मुद्दे में अपनी भागीदारी को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। इस घटना को लद्दाख के सभी धार्मिक समुदायों द्वारा अस्वीकार्य माना जाता है, क्योंकि यह इस क्षेत्र के लोगों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और एकता को खतरे में डालता है। इसके परिणामस्वरूप, नजीर अहमद को राज्य उपाध्यक्ष के रूप में उनकी जिम्मेदारियों से तुरंत मुक्त करने और उनकी प्राथमिक सदस्यता को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्णय लिया गया है। ”

संपर्क करने पर नजीर अहमद ने कहा, ''मैं लद्दाख में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हूं। मैंने थुपस्तान छेवांग, त्सेरिंग दोरजे, डॉ. सोनम दावा और अन्य लोगों के साथ मिलकर काम किया और भाजपा को खड़ा किया, लेकिन आज मैं यह देखकर हैरान हूं कि मुझे अचानक निष्कासित कर दिया गया।"

इस कपल ने एक महीने से अधिक समय पहले शादी की थी और तब से उनका कोई पता नहीं चल रहा है। निष्कासित भाजपा नेता ने कहा कि उनका परिवार भी बौद्ध महिला के साथ उनके बेटे मंजूर अहमद की शादी के खिलाफ था और उन्हें नहीं पता कि वे पिछले एक महीने से कहां रह रहे हैं। भाजपा के वयोवृद्ध दिग्गज नेता अहमद ने कहा कि वह सऊदी अरब में हज यात्रा पर थे जब उनके बेटे और महिला ने अदालत में शादी कर की।

उन्होंने कहा, “मेरे बेटे ने हमारे खिलाफ जाकर उस लड़की से शादी कर ली। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। पार्टी ने मुझसे मेरे बेटे को खोजने के लिए कहा और मैं तुरंत श्रीनगर गया। उसके दोस्तों से पता पूछा और दिल्ली जाने की योजना बनाई।” उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का पता लगाने के लिए पार्टी से कुछ दिन मांगे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें इसी बीच निष्कासित कर दिया। उन्होंने आगे कहा, “मैं पार्टी का एक वफादार कार्यकर्ता रहा हूं और मैं मोदी जी का मित्र हूं। यह मेरे साथ घोर अन्याय है। मेरे बेटे ने जो किया उसके लिए उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। मैं इस फैसले से सचमुच निराश हूं। मेरी पत्नी भी इस शादी से खुश नहीं है। मैं अपनी शिकायत पार्टी आलाकमान तक पहुंचाऊंगा।'' स्टैनजिन का मोबाइल फोन गुरुवार सुबह से लगातार बंद था।

सफल नहीं हो सके तो असफलता से मिली बड़ी सीख,गरीब बच्चों को पढ़ा कर बना रहे हैं शिक्षित और जगा रहे हैं शिक्षा की अलख

इस पुलिस अफसर के जज्बे को करते हैं हम सलाम!

 

जमशेदपुर में टेल्को थाना में पदस्थिप्त एक ऐसा अफसर जो सरकारी स्कूल के बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है यह अफसर प्रतियोगिता में तैयारी करने के तरकीब जानने के लिए विद्यार्थी उनके पास खूब आते हैं शहर के कई स्कूल में यह काउंसलिंग का कार्य भी करते हैं करियर को लेकर इनकी ऊंची सोच थी सुनहरे सपने मन में हिलोर मार रहे थे यह सपना तब सच होता दिखाई पड़ा जब इसके लिए बेहतरीन रास्ते पर चलने का मौका मिला खूब मेहनत की पर सफलता चंद कदमों से फिसलते रही.

 यूपीएससी समेत चार राज्यों के लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचे पर सफल नहीं हो सके.

 असफलता से बड़ी सीख मिली और बच्चों में अपने सपने को फिर से उड़ान देने में जुट गए यहां बात हो रही है झारखंड पुलिस सेवा में तैनात मनोज मलिक की .

वर्तमान में जमशेदपुर के टेल्को के सर्किल ऑफिसर के रूप में तैनात है मनोज मालिक नियमित तौर पर सरकारी स्कूलों में क्लास लेते हैं मनोज मलिक का पूरा फोकस आर्थिक दृष्टि से उन कमजोर बच्चों को आगे बढ़ाने पर है जिनमें जोश और जज्बा तो है पर ऊंची उड़ान भरने का संसाधन नहीं .

यही कारण है कि वे सरकारी स्कूल के बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है प्रतियोगिता में तैयारी करने के तरकीब जानने के लिए विद्यार्थी उनके पास खूब आते हैं इतना ही नहीं शहर के कई स्कूलों में काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन भी यह करते हैं साथ ही उन्हें हर संभव मदद भी करते हैं! 

मूल रूप से बिहार के सुपौल के रहने वाले मनोज मलिक इससे पहले पलामू बोकारो और देवघर में भी तैनात रहे हैं वहां स्कूल में क्लास लेने और काउंसलिंग का इनका काम चल रहा था अपने व्यस्ततम समय से कुछ समय निकालकर वह संघ लोक सेवा आयोग समेत अन्य राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी के टिप्स भी देते हैं.

 मनोज मलिक 1989 और 1990 में यूपीएससी उत्तर प्रदेश बिहार और मध्य प्रदेश की सिविल परीक्षा में साक्षात्कार तक पहुंचे थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली 1994 में बिहार पुलिस में उन्हें नौकरी मिली और झारखंड बनने के बाद उन्होंने यहां का कैडर चुना .

सुपौल के गांव से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पटना कॉलेज पटना से इतिहास की डिग्री हासिल की और पटना विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई की मनोज मलिक के मार्गदर्शन पर कई विद्यार्थी ने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाई है .

 आधा दर्जन डिप्टी कलेक्टर भी बने है. मलिक कहते हैं कि इन विद्यार्थियों को देखकर उन्हें अपने सपने पूरा होने का एहसास होता है . पुलिसिंग के काउंसलिंग के इस जुनून की विभाग के वरीय अधिकारियों ने भी सराहना किया मनोज के पिता गांव के सरकारी स्कूल में हेड मास्टर थे उनके घर में शिक्षा का माहौल शुरू से ही रहा है ऐसे में उनके दो बड़े भाई आईपीएस बने तो उन्हें भी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.

 पटना में पढ़ाई खत्म होने के बाद कोचिंग सेंटरों में भी में पढ़ाते रहें 1994 में जब बिहार पुलिस की नौकरी मिली तो सरकारी स्कूल के बच्चों की काउंसलिंग शुरू कर दी.

शोएब अख्तर का बड़ा बयान, कहा-भारत के पैसे से पलते हैं पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी


पाकिस्तानी के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर रिटायरमेंट के बाद भी अपने बयानों के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं। एक बार फिर पूर्व क्रिकेटर ने ऐसा बयान दिया है, जिससे विवाद गहरा सकता है। उन्होंने भारतीय खेल पत्रकार को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान क्रिकेट को लेकर बड़ी बात कही है। शोएब अख्तर ने कहा कि भारत के पैसों से पाकिस्तान के क्रिकेटर पलते हैं।अख्तर के इस बयान पर पाकिस्तान में काफी बवाल हो सकता है।

शोएब अख्तर ने वरिष्ठ खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार से खास बातचीत में बताया कि बीसीसीआई वर्ल्ड क्रिकेट में कितनी पावरफुल एसोसिएशन है।एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के मुकाबले को लेकर बोरिया मजूमदार से बातचीत के दौरान शोएब अख्तर ने इस बात को माना कि बीसीसीआई के जरिए जो पैसा आईसीसी के पास आता है और फिर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल रेवेन्यू शेयरिंग के तहत वो पैसा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भेजती है। उसी पैसे के दम पर ही पाकिस्तान में घरेलू क्रिकेटर्स को मैच फीस मिल पाती है।

शोएब अख्तर ने ये भी कहा कि वर्ल्ड कप 2023 सुपरहिट होने वाला है। अख्तर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि बीसीसीआई इस वर्ल्ड कप से काफी पैसा कमाएगी। इससे बीसीसीआई की आर्थिक स्थिति और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत इस विश्व कप से खूब पैसे बनाए।कई लोग इस बात को कहने से हिचकेंगे।लेकिन मैं साफ कहता हूं कि भारत से जो रेवेन्यू आईसीसी को जाता है। उसका हिस्सा पाकिस्तान में भी आता है और इससे हमारे घरेलू क्रिकेटरों को मैच फीस मिलती है। यानी भारत से जो पैसा आ रहा है, उससे हमारे युवा क्रिकेटर पल रहे हैं।

शोएब अख्तर ने आईगे कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच में एक बार फिर टीम इंडिया पर ही दबाव होगा। अख्तर ने कहा कि ये दबाव मीडिया की वजह से बनता है। लगातार टीम इंडिया की जीत के ही दावे किए जाते हैं। स्टेडियम भी बिल्कुल ब्लू कर दिए जाते हैं। इससे पाकिस्तान को मदद ही मिलती है क्योंकि वो अपने आप ही डार्कहॉर्स बन जाती है और इससे उसके खिलाड़ियों को खुलकर खेलने में मदद मिलती है।

दिल्ली से पुणे जा रही फ्लाइट में बम होने की खबर, सभी यात्रियों को उतारा गया

#bomb_threat_on_delhi_pune_vistara_flight_at_delhi_airport

दिल्ली एयरपोर्ट पर दिल्ली-पुणे विस्तारा फ्लाइट में बम की धमकी मिली।जिसके बाद एयरपोर्ट पर ही फ्लाइट की जांच शुरू हो गई। सभी यात्रियों को उनके सामान सहित सुरक्षित उतारा गया।विमान में बम होने की जानकारी जीएमआर सेंटर को दी गई।

जानकारी के अनुसार जीएमआर कॉल सेंटर में शुक्रवार सुबह फ्लाइट में बम होने की कॉल मिली। काल मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं।सुरक्षा एजेसिंयों की तरफ से विमान की जांच की गई।बम रखे जाने की सूचना मिलते ही यात्रियों में हड़कंप मच गया।

एयरपोर्ट पर आइसोलेशन बे में विमान का निरीक्षण किया गया। विमान में कोई भी संदिग्ध सामान नहीं मिला है। सीआईएसएफ और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है।

यह पहली बार नहीं है जब विस्तारा की फ्लाइट में बम होने की सूचना मिली है। जून महीने में दिल्ली से एक शख्स दुबई जा रहा था जब उसने कथित रूप सै गुस्से में कहा कि उनके बैग में बम है। बस क्या था, यात्री के बगल में बैठी एक महिला यात्री ने गलत सुन लिया और घबरा गई। उसने शोर मचाया और केबिन क्रू को बुलाया। शख्स को दिल्ली एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया गया था।

जमशेदपुर वूमेन पावर ने लव योर सेल्फ के सहयोग से हैंड मेड लव नाम की एक प्रदर्शनी का किया आयोजन

जमशेदपुर वूमेन पावर ने लव योर सेल्फ के सहयोग से हैंड मेड लव नाम की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जहां जमशेदपुर की महिला कलाकार और छोटे व्यवसाय के मालिक अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे, और अपनी हस्तनिर्मित कृतियों को बेचेंगे।

इवेंट का आयोजन 19 अगस्त को सुबह 11 बजे से लव योर सेल्फ फिटनेस सेंटर में ही किया गया है।

प्रदर्शनी में प्रदर्शित उत्पादों में हस्तनिर्मित उपहार और गृह सजावट, पर्यावरण के अनुकूल सोया वैक्स मोमबत्तियाँ, कैनवास/ग्लास पेंटिंग, वॉल हैंगिंग और बोतल कला, टेराकोटा कान की बाली, ऑर्गेनिक बॉडी स्क्रब, क्रोशिया और कढ़ाई, हस्तनिर्मित आभूषण, सहायक उपकरण , राखी, आंध्र स्टाइल इडली डोसा पाउडर, हस्तनिर्मित मल्टीग्रेन पाउडर, रेसिन आर्ट, हस्तनिर्मित जैविक साबुन, स्ट्रिंग कला, टेराज़ो ट्रे, और मोहनपुर की ग्रामीण महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित उत्पाद शामिल है।

हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हो समाज के लोग आज होंगे दिल्ली रवाना, 21 को है धरना

जमशेदपुर. हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 21 अगस्त को दिल्ली जंतर-मंतर में प्रदर्शन होना है. आदिवासी हो समाज के आयोजन समिति के सदस्य 17 अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना होंगे.

ऑल इंडिया हो लेंग्वेज एक्शन कमेटी के सचिव सुरा बिरुली ने बताया कि विभिन्न राज्यों से हो समुदाय के लोग हजारों की संख्या में दिल्ली पहुंचेंगे. कोल्हान से दो हजार से अधिक लोग जा रहे है.

नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर तंज, कहा-नाम नहीं, कर्म उनकी पहचान

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नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदल दिया गया है। केंद्र सरकार के इस पैसले के बाद अब इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलने पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जब राहुल गांधी से इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं।

दो साल की सजा पर रोक लगने के बाद राहुल गांधी को सांसदी वापस मिली थी, जिसके बाद से ही वह आक्रामक रवैया अपना रहे हैं और लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।दो दिनों के लेह-लद्दाख की यात्रा पर रवाना होने से पहले पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं।

बता दें कि केंद्र शासित बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार लद्दाख के दौरे में राहुल गांधी लेह और कारगिल जाएंगे। इस दौरान वे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे।कारगिल में अगले महीने हिल काउंसिल के चुनाव होने हैं। इस वजह से राहुल की यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे वहां पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे। कारगिल हिल काउंसिल के चुनाव के लिए कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है।

राहुल गांधी से पहले भी कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मसले को लेकर वार-पलटवार चल रहा है। इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नाम बदलना सरकार के ओछेपन को दिखाता है, पीएम मोदी डर और असुरक्षा से भरे नज़र आते हैं। मौजूदा सरकार का एकमात्र एजेंडा नेहरू और उनकी विरासत को गलत ठहराना और बदनाम करना ही है। लेकिन इन हमलों के बाद भी नेहरू की विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।

स्वतंत्रतता दिवस के मौके पर नई दिल्ली के तीन मूर्ति परिसर स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (पीएमएमएल) कर दिया गया।भले ही स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदल दिया गया हो लेकिन इसका औपचारिक ऐलान जून के महीने में ही कर दिया गया था।अब इसे औपचारिक रूप दे दिया गया है। इस बारे में 15 जून 2023 को राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया था।