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बिहार में बालू, दारु और जमीन माफियाओं का कायम हो गया है गुंडाराज : नेता प्रतिपक्ष

डेस्क : पटना के बिहटा स्थित परेवपुल के पास डी.टी.ओ पटना, जिला खनन पदाधिकारी पटना एवं अन्य खनन कर्मचारियों पर बालू माफियाओं द्वारा हमला एवं उनकी बेरहमी से पिटाई की गई है। स्थिति यह रही कि एक महिला अधिकारी को बालू माफियाओं ने दौड़ा-दौड़ाकर बेरहमी से पिटाई की। इधर इस मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति गरम हो गई है। मामले को लेकर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने प्रदेश की नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला है।

बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गया है। यहां बालू, दारु और जमीन माफिया का गुंडाराज कायम हो गया ह ।

नेता प्रतिपक्ष सिन्हा ने कहा कि बिहटा के परेवपुल की पास हुई यह घटना महागठबंधन सरकार बनने के 8 महीने के भीतर बालू माफियाओं द्वारा पुलिस कर्मियों पर यह तीसरी घटना है। इसके पूर्व में 29 सितम्बर 2022 को बिहटा थाना क्षेत्र के अमनाबाद में मनेर दियारा के बालू घाटों के वर्चस्व की लड़ाई में 5 हत्या की गयी थी और उसी जगह जब पुलिस टीम माफियाओं के घर पर रेड करने पहुँची तो 30 सितम्बर 2022 को बालू माफिया के पुत्रों द्वारा पुलिस टीम पर हमला किया गया। उस पुलिस टीम का नेतृत्व पटना जिला के ASP (West) कर रहे थे।

श्री सिन्हा ने कहा कि फिर 3 नवम्बर 2022 को जमुई जिला के टीम पुलिस थाना के छटटू धनामा में अवैध बालू का ट्रेक्टर पकड़ने गये मजिस्ट्रेट और सिपाहियों पर माफियाओं द्वारा हमला किया गया। सिन्हा ने कहा कि कल की घटना में अफसरों पर हमला और महिला अधिकारी को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा जाना यह दर्शाता है कि बालू माफियाओं के मन से सरकार का खौफ खत्म हो गया है। अब वे सोचते हैं कि हमारे बदौलत ही सरकार चल रही है तो हमारा कौन क्या बिगाड़ लेंगा। इस दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति के लिये सीधे मुख्यमंत्री जिम्मेवार है। प्रशासन एवं सरकार ने सितम्बर 2022 में उसी इलाके में गेंगवार, हत्या और पुलिस पर आक्रमण से कोई सबक नहीं लिया।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि बिहार में आज दारू माफिया भी पुलिस पर हमला कर रहा है कई जिलों से रोज समाचार आ रहा है, जमीन माफिया भी लोगों को गोली मार रहा है। यह सारा खेल शासन प्रशासन की मिलीभगत से भय मुक्त होकर अंजाम दिया जा रहा है।

बड़ी खबर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में चल रही कैबिनेट की बैठक खत्म, इन 11 एजेंडो पर लगी मुहर


डेस्क : मुख्य सचिवालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में चल रही कैबिनेट की बैठक खत्म हो गई है। कैबिनेट की इस बैठक में कुल 11 एजेंडों पर मुहर लगाई गई है। कैबिनेट की बैठक में सरकार ने गृह विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, परिवहन विभाग, वित्त विभाग, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग और स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दी है।

बिहार सरकार ने मोटरयान अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मजूरी दी है। वहीं सरकार ने भामाशाह की जयंती राजकीय समरोह के तौर पर हर साल 29 अप्रैल को मानने का फैसला लिया है। जबकि कैबिनेट ने दरभंगा एम्स से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए तीन अरब से ज्यादा की राशि खर्च के लिए प्रशासनिक स्वीकृति को मंजूरी दे दी है। बिहार सरकार राज्य प्रोटोकॉल संवर्ग के विभिन्न कोटि के 15 पदों के सृजन एवं बिहार प्रोटोकॉल संवर्ग नियमावली, 2023 को स्वीकृति दी है।

बिहार पुलिस के पीटीसी प्रशिक्षण उतीर्ण सिपाही रैंक के पुलिस अधिकारियों को अन्य राज्यों की तर्ज पर अनुसंधान की शक्ति दी गई है। तत्कालीन सब जज अशोक कुमार-2 वर्तमान में निलंबित को गंभीर कदाचार के आरोप में सेवा से बर्खास्त किया गया है। बिहार राज्य प्रोटोकॉल संवर्ग के विभिन्न कोटि के 15 पदों के सृजन एवं बिहार प्रोटोकॉल संवर्ग नियमावली 2023 की स्वीकृति दी गई है। भामाशाह की जयंती हर साल 29 अप्रैल को पटना के पुनाइचाक पार्क में राजकीय समारोह के रूप में मनाए जाने की स्वीकृति दी गई है।

यौन शोषण से संबंधित घटनाओं, मृतक की पहचान स्थापित करने, बच्चों की चोरी-अदला-बदली एवं पितृत्व-मातृत्व जांच के लिए बिहार में क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला भागलपुर तथा मुजफ्फरपुर में डीएनए प्रशाखा का एक-एक यूनिट स्थापित करने के लिए कुल 14 पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है।

सात निश्चय कार्यक्रम अंतर्गत पटना के बख्तियारपुर अभियंत्रण महाविद्यालय में निशुल्क हस्तांतरित 5 एकड़ भूमि पर अतिरिक्त प्रशासनिक भवन, बालिका छात्रावास व अन्य कार्य के लिए 49 करोड़ 72 लाख 78 हजार रुपए की स्वीकृति दी गई है। दरभंगा एम्स की 189।7 एकड़ जमीन में मिटटी भराई कार्य कर समतल बनाने के लिए बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम से मिले प्राक्कलन के अनुसार 3 अरब 9 करोड़ 29 लाख ₹59000 की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।

सीएम नीतीश कुमार का बड़ा एलान, जहरीली शराब से मौत के शिकार लोगों के परिजनों को मिलेगा मुआवजा

डेस्क : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान किया है। नीतीश कुमार ने कहा है कि, हम जहरीली शराब से मरे लोगों के परिवारों को मुआवजा देंगे। CM रिलीफ फंड से परिवारों को मदद दी जाएगी। यह मदद 2016 के बाद से शराब से हुई सभी मौतों पर दिया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट भी मांगी है। 

पटना में मीडिया से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि जहरीली शराब से कई लोगों की जान गई है। उसको मुआवजा मिलेगा। उन्होंने कहा कि शराब के कारोबार करने वालों को अरेस्ट किया जाता है। बिहार में शराबबंदी एक बार पहले भी हुआ था, फिर रुक गया ।फिर हमने किया। शराबबंदी के सात साल हो गए हैं। अभ आठवां साल है। हम लोग लगातार काम कर रहे। जो गलत करेगा उस पर कार्रवाई होगी। लेकिन जिस तरह से लोग मर रहा है।।। हम तो बराबर कहते हैं कि शराब बहुत बुरी चीज है। इसके बाद भी अपने बिहार में लोग इस तरह से हो रहे हैं। हम तो हम मदद तो कर देंगे। लेकिन हमें परिवार वाले-गांव वाले आश्वत करें। अगल-बगल वाले लोग भी आश्वस्त करें कि शराब नहीं पियेंगे।

उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल 2016 से हमने शराब बंदी लागू किया। उसके बाद इसको लेकर निरंतर अभियान चलाते रहे हैं। इसके बाद आप जानते हैं कि कितना ज्यादा लोग शराब पीना छोड़ दिए। लेकिन इधर जो कुछ घटनाएं घट रही है। अभी कुछ दिन पहले और उसके बाद 2021 के लास्ट में घटना हुई। इसके बाद उसको लेकर हम लोग 2022 में अब लोगों के बीच गए भी। उसके बाद किधर जो घटना घटी है कि जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो गई है। ई बड़ा दुःखद बात है।

बताते चलें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है। लेकिन इसी ड्राई प्रदेश में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला जारी है। पिछले तीन दिनों में पूर्वी चंपारण जिले में जहरीली शराब पीने से तीस से अधिक लोगों की मौत हो गई है। शराबकांड के बार सीएम नीतीश विपक्षी दलों के निशाने पर हैं। भाजपा ने सदन से लेकर सड़क तक मांग किया है कि शराबबंदी को सख्ती से लागू करें। लेकिन जहरीली शराब से अगर किसी की मौत होती है तब परिजनों को सरकारी सहायता मिलनी चाहिए। जहरीली शराब कांड में मृतक के परिजनों को सरकारी सहायता देने को लेकर मुख्यमंत्री घिर गए हैं। अब उन्होंने कहा है कि शराब पीकर मौतें हो रही है। यह काफी दुःखद है। हम पीड़ित परिवारों को सहायता तो कर देंगे लेकिन परिवार व गांव वाले हमें आश्वस्त करें।

जनता दरबार में आई महिला की शिकायत सुनकर दंग रह गये सीएम नीतीश कुमार, फौरन अधिकारी को किया तलब

डेस्क : आज महीने के तीसरे सोमवार को एकबार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के दरबार मे हाजिर होकर लोगों की शिकायत सुनी और उसपर कार्रवाई का आदेश संबंधित विभाग के अधिकारियों को दिया। 

वहीं आज के जनता दरबार मे आई मुजफ्फरपुर की एक महिला ने मुख्यमंत्री से कहा कि- उसे पीएम आवास योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा। दो साल पहले ही आवास स्वीकृत हो गया। इसके बाद भी प्रखंड स्तर से लटकाकर रखा गया है। बोचहां के आवास सहायक तीस हजार रू मांग रहा है। 

महिला की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को फोन लगाया और कहा कि इस महिला का मामला देखिए। यह कह रही है कि इसका आवास स्वीकृत है। लेकिन दिया नहीं जा रहा। यह कह रही है कि बोचहां का आवास सहायक तीस हजार रू मांग रहा। बताइए तो यह कितना खराब बात है। तुरंत एक्शन लीजिए। 

वहीं अरवल की एक महिला सीएम नीतीश के पास पहुंची। महिला किरण शर्मा ने मुख्यमंत्री से कहा कि हमारे यहां गली-नली नहीं बना है। बीडीओ कहते हैं कि काम नहीं होगा। यह सुनकर सीएम नीतीश बोले, अरे नहीं बना है ? कमाल है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार और एस। सिद्धार्थ को बुलाया। कहा कि महिला को गली-नली योजना का लाभ नहीं मिला है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला की शिकायत पर पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को फोन लगाया। कहा कि महिला अरवल से आई है। इनके गांव में गली-नली योजना का लाभ नहीं मिला है। इसको दिखवाइए। उधऱ से अफसर ने आश्वस्त किया है कि जल्द बनाव देंगे। इसके बाद सीएम नीतीश ने महिला को कहा कि जाइए हो जायेगा।

नीतीश कुमार के लाख मना करने के बावजूद एक बार फिर से आरजेडी ने नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट बताया, भाजपा ने कसा तीखा तंज

लोकसभा चुनाव 2024 की राजनीति अब सियासी बयानों से पोस्टर वॉर पर पहुंच गई है। नीतीश कुमार के लाख मना करने के बावजूद एक बार फिर से आरजेडी ने नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट बताया है। हालांकि खुद नीतीश कुमार कह चुके हैं कि वो पीएम उम्मीदवार नहीं है। लेकिन पटना में आरजेडी दफ्तर के बाहर लगे पोस्टर में नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट बताया गया है। इस पोस्टर में तेजस्वी यादव के लिए भी काफी कुछ कहा गया है। आरजेडी कार्यालय के बाहर पोस्टर में विपक्ष के नेताओं में तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव घेरे हुए खड़े दिखाई देते हैं। और कुर्सी पर नीतीश कुमार बैठे हैं। और लिखा है कि 2024 प्रधानमंत्री नीतीशे कुमार है।

पोस्टर पर बीजेपी का तंज 

अब बीजेपी ने इस पर तंज कसा है। बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर लिखा कि सीएम नीतीश कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं हूं। वहीं आरजेडी बयानों-पोस्टरों से कहती है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री हैं। नीतीश कुमार का भविष्य आश्रम में होगा ये सभी को पता है। लेकिन आरजेडी नीतीशजी को जबरन धकियाकर बाहरकर तेजस्वी को सीएम बनाना चाह रही है।

हाल ही में जदयू के एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार लोगों से अपील की थी कि उन्हें पीएम कैंडिडेट के तौर पर प्रदर्शित न करें। वो पीएम उम्मीदवार की रेस में नहीं हैं। वो सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। और सभी विपक्षी दलों का लक्ष्य बीजेपी को हराना है। हाल ही में नीतीश कुमार ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के अलावा लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और डी राजा से मुलाकात की थी। विपक्ष की मजबूती और लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की।

राजधानी पटना के स्कूलों में आउटडोर गेम बंद, भीषण गर्मी को लेकर लिया गया फैसला

डेस्क : राजधानी पटना समेत पूरा प्रदेश अप्रैल माह में ही भीषण गर्मी के चपेट में है। आलम यह है कि पारा 40 डिग्री के पार चला जा रहा है। इधर भीषण गर्मी को देखते हुए राजधानी के ज्यादातर स्कूलों ने आउटडोर गेम (खेल पीरियड) को बंद कर दिया है। अभी केवल इंडोर गेम ही होगा। इसके अलावा लंच भी बच्चे अपनी कक्षा में ही करेंगे और सुबह की प्रार्थना सभा भी कक्षा में ही होगी। 

रविवार को भी गर्मी का कहर जारी रहा। लगातार बढ़ती गर्मी को देखते हुए ज्यादातर निजी स्कूलों ने तमाम गतिविधियों को तत्काल स्थगित कर दिया है। स्कूल प्रशासन की ओर से अभिभावकों को भी बच्चों के लिए एहतियात बरतने को कहा गया है। सुबह स्कूल आने के दौरान बच्चों को मुंह ढककर भेजने का निर्देश दिया गया है। बच्चों को लू आदि से बचाने के लिए पानी का बोतल अवश्य दें। स्कूल प्रशासन ने सभी कक्षाओं में बच्चों को छुट्टी के बाद स्कूल परिसर के बाहर मिलने वाले खाने के सामान नहीं खरीदने को कहा है।

ऊपरी तल की कक्षा नीचे हुई शिफ्ट 

भीषण गर्मी को देखते हुए कई स्कूलों ने ऊपरी तल की कक्षा में पढ़ाई बंद कर दी है। गर्मी से बचाव के लिए ऊपरी मंजिल की कक्षाओं को नीचे की मंजिल में शिफ्ट कर दिया गया है। वाल्डविन एकेडमी के निदेशक राजीव रंजन ने बताया कि ऊपरी तल में काफी गर्मी लगती है। इस कारण नीचे कक्षाएं चलेंगी।

केंद्रीय विद्यालय बेली रोड में द्वितीय पाली के स्कूल की एसेंबली (प्रार्थना सभा) को भीषण गर्मी के कारण स्थगित कर दिया गया है। प्राचार्य पीके सिंह ने बताया कि प्रथम पाली सुबह सात से नौ बजे तक और दूसरी पाली 9.30 से 11.30 बजे तक चलेगी। दूसरी पाली की प्रार्थना सभा को स्थगित कर दिया गया है। स्कूल में ठंडा पानी की व्यवस्था की गई है।

पूर्वी चंपारण में कई लोगों की संदिग्ध मौत को लेकर बीजेपी का सरकार पर बड़ा हमला, लगाया यह आरोप

डेस्क : पूर्वी चंपारण जिले में बीते दिनों कुछ लोगों की संदिग्ध स्थिति मौत हो गई। मौत के पीछे की वजह जहरीली शराब का सेवन बताया जा रहा है। इधर इस मामले को लेकर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी प्रदेश की महागठबंधन सरकार पर हमलावर है। 

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस-माफिया गठजोड़ के कारण बिहार में लोगों की मौत हो रही है और सरकार आंकड़े छुपाने में लगी है। सवाल किया कि इस तरह से हुई मौत को आखिर छिपाने की जरूरत क्या है?

प्रदेश भाजपा कार्यालय में रविवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में डॉ. जायसवाल ने मिस्र में राजा फराओ का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां भी राज्य सरकार ऐसा बर्ताव कर रही है मानो किसी दैवीय आपदा में लोगों की जान जा रही है। आरोप लगाया कि भेद खुलने के डर से प्रशासन द्वारा शवों का भी पोस्टमार्टम नहीं कराया जाता है। यह भी आरोप लगाया कि जहरीली शराब के तंत्र को प्रशासन का सहयोग हासिल है। सरकार कहती है कि पीने वाला मरेगा तो पिलाने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। मरने वालों में अनुसूचित जाति और अतिपिछड़े समाज के लोग हैं, जिन्हें न्याय दिलाना सरकार नहीं चाहती है। 

उन्होंने कहा कि भाजपा मानवाधिकार आयोग और अनुसूचित आयोग जाकर निवेदन कर उसकी टीम यहां बुलाएगी और मृतकों को न्याय दिलाएगी।

मोतिहारी में जहरीली शराब से हुई मौत को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी सीएम नीतीश पर हुए हमलावर, मांगा इस्तीफा

डेस्क : बिहार में पूर्ण शराबबंदी होने के बाद भी इसके कारोबार और इसके सेवन से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दिनों छपरा में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई थी। वहीं अब पूर्वी चंपारण जिले में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत की खबर सामने आई है। 

इधर इस मामले को लेकर प्रदेश में सियासत शुरु हो गई। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी शराबबंदी को असफल करार देते हुए राज्य सरकार पर हमलावर है। इसी कड़ी में पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने सरकार पर हमला बोला है। 

उन्होंने इसे नरसंहार करार देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे तक की मांग कर डाली है। सुशील मोदी ने कहा है कि 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से जहरीली शराब पीने की घटनाओं में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। यह हादसा नहीं, दलितों-गरीबों की हत्या का मामला है और इसकी जिम्मेदारी लेकर नीतीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों और उनके आश्रितों के प्रति नीतीश कुमार की कोई सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वी चम्पारण में जहरीली शराब से जिनकी मृत्यु हुई, उनके आश्रितों को भी उत्पाद कानून के अनुसार 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलनी चाहिए।  खजूरबन्ना (गोपालगंज) में जहरीली शराब से मरने वाले 30 लोगों को मुआवजा दिया गया गया था। 

सुशील मोदी ने कहा कि जदयू-राजद सहित जिन सात दलों के राज में दो दिन के भीतर जहरीली शराब से दलित-आदिवासी समुदाय के 30 से ज्यादा लोगों की जान गई, वे यूपी के एक माफिया के गैंगवार में मारे जाने पर  आँसू बहा रहे हैं। उन्होंने कहा कि माफिया अतीक और उसके गुर्गों के मारे जाने से उत्तर प्रदेश की जनता खुश है, लेकिन जिन्होंने बिहार में शहाबुद्दीन को माफिया बनाया, वे पड़ोसी राज्य के एक दुर्दांत माफिया का मजहब देख कर उसकी मौत पर छाती पीट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी राज में मंत्री वृजबिहारी प्रसाद को पुलिस सुरक्षा में रहते हुए अस्पताल परिसर में गोलियों से भून दिया गया था। अजित सरकार, अशोक सिंह सहित आधा दर्जन विधायकों की हत्या भी उसी दौर में हुई, लेकिन राजद से मिल कर सत्ता पाने वाले लोग यह सब भूल गए। मोदी ने कहा कि राजद शासन में दलित-पिछड़े हत्या-नरसंहार का शिकार होते थे, आज चाचा-भतीजा  राज में जहरीली शराब के जरिये दलित-आदिवासी नरसंहार हो रहा है।

बिहार, जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके सतपाल मलिक के बयान के बाद मचा बवाल, जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीएम मोदी से किया यह सवाल

डेस्क : बीजेपी के वरिष्ठ नेता व बिहार, जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके सतपाल मलिक द्वारा दिए गए बयान के बाद बवाल मचा हुआ है। सतपाल मलिक के बयान के बाद विपक्ष केन्द्र सरकार पर हमलावर हो गई है। 

इसी कड़ी में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद ने केन्द्र सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए पीएम मोदी से सवाल किया है। सतपाल के सनसनीखेज दावों के बीच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने सवाल किया है। 

ललन सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए पीएम मोदी से सवाल किया है। उन्होने अपने सोशल मीडिया ट्वीटर पर ट्वीट किया है, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार द्वारा नियुक्त तत्कालीन गवर्नर श्री सत्यपाल मलिक जी ने पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत के संबंध में जो खुलासा किया है उस खुलासे पर क्या आदरणीय प्रधानमंत्री जी देश की जनता के समक्ष वास्तविकता स्पष्ट करेंगे...? आख़िर देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहने वाले नौजवानों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ करने का दोषी कौन है...?’

बताते चले कि सतपाल मलिक ने एक वेबसाइट से की गई बातचीत में यह दावा किया है। इससे भूचाल मच गया है। बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने ऐसे दावे किए हैं जिससे बड़ा राजनीतिक बवंडर उठ गया है। मलिक का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचार से कोई खास नफरत नहीं है। इतना ही नहीं, मलिक का दावा है कि पीएम मोदी को कश्मीर के बारे में कुछ भी नहीं पता है। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री कश्मीर को लेकर गफलत में हैं और उन्हें कश्मीर के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। 

उन्होंने दावा किया कि अगस्त 2020 में उन्हें गोवा से हटाकर मेघालय भेजा ही इसलिए गया था क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी को भ्रष्टाचार के कई मामलों की जानकारी दी थी। लेकिन उन पर कार्रवाई होने के बदले मोदी की ओर से उन्हें (सतपाल) ही मेघालय भेज दिया गया। सत्यपाल मलिक ने कहा कि पुलवामा की घटना खुफिया एजेंसियों की असफलता थी। 300 किलोग्राम RDX विस्फोटक ले जाने वाली कार पाकिस्तान से आई थी, लेकिन 10-15 दिनों तक जम्मू-कश्मीर की सड़कों और गांवों में बेरोक-टोक घूम रही थी।

मलिक ने दावा किया है कि पुलवामा हमले के तत्काल बाद शाम को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि यह हमारी गलती से हुआ है तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कहा कि तुम अभी चुप रहो। इंटरव्यू में मलिक ने यह भी कहा कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी उनसे पुलवामा हमले पर चुपचाप रहने को कहा था। मलिक का आरोप है कि इसका मकसद चुनावों में सरकार और बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए पुलवामा हमले का सारा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ना था, मुझे बाद में यह अहसास हुआ। 

सतपाल मलिक ने बीजेपी नेता राम माधव पर भी गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि माधव ने एक पनबिजली योजना और रिलायंस इंश्योरेंस स्कीम की मंजूरी के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन मलिक ने साफ इनकार कर दिया। मलिक के इन दावों के बाद कांग्रेस की ओर से बड़ी प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने शनिवार को कहा पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक जी के ख़ुलासों से ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी जी को "राष्ट्र-हानि" से उतना डर नहीं जितना "मानहानि" से है !

सरकार ने इस नियमावली में किया संशोधन, पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता हुआ साफ

डेस्क : पूर्व सांसद आनंद मोहन और उनके परिजनों के साथ-साथ समर्थकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम 48(1) (क) में संशोधन करते हुए उस प्रावधान को हटा दिया है, जिस कारण रिहाई में बाधा आ रही थी।

कैबिनेट की मंजूरी के बाद गृह विभाग ने गत 10 अप्रैल को नियम में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। संशोधन करते हुए वाक्यांश से ‘या काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ को विलोपित किया गया है। इसके बाद ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं मानी जाएगी। जिसके बाद अब आनंद मोहन के परिहार (रिहाई) की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। 

दरअसल, इस नियमावली में 2002 में दो बड़े बदलाव हुए थे। इसके तहत पांच तरह के कैदी को नहीं छोड़ने का प्रावधान शामिल था। इनमें एक से अधिक मर्डर, डकैती, दुष्कर्म, आतंकी साजिश रचने व सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी को नहीं छोड़ने का प्रावधान था। 

गौरतलब है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया की हत्या में सजा काट रहे हैं। उनकी सजा की अवधि 14 वर्ष से ज्यादा हो गई है।