‘जहां सेवा वहां स्वयंसेवक’, पीएम मोदी ने जमकर की आरएसएस की तारीफ, बताया-अमर संस्कृति का वट वृक्ष
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प्रधानमंत्री मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की यह संघ मुख्यालय का पहला दौरा था। यहां प्रधानमंत्री ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने संघ की जमकर तारीफ की। उन्होंने आरएसएस क भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां सेवा है वहां स्वयंसेवक है।
प्रधानमंत्री मोदी अपनी स्पीच में देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, इसमें संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा की। कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।
बांधे संघ की तारीफों के पुल
स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।
स्वयंसेवकों के नि:स्वार्थ सेवा भाव की सराहना
पीएम मोदी ने कहा कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है। हम देव से देश और राम से राग के जीवन मंत्र लेकर चले हैं। अपना कर्तव्य निभाते चलते हैं। इसलिए बड़ा छोटा कैसा भी काम हो, कोई भी क्षेत्र हो, संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से काम करते हैं।
भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा-पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। देश का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उसकी रिस्क-टेकिंग कैपेसिटी पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। वह इनोवेशन कर रहा है, स्टार्टअप की दुनिया में परचम लहरा रहा है। अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है।
महाकुंभ में हमने देखा कि लाखों-करोड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी पहुंची और सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। भारत का युवा आज देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। यही युवा 2047 के विकसित भारत की ध्वजा थामे हुए हैं। मुझे भरोसा है कि संगठन, समर्पण और सेवा की त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा और दिशा देती रहेगी।
भारत अब मदद करने का केंद्र है-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' का मंत्र आज विश्व के कोने-कोने में गूंज रहा है। जब कोविड जैसी महामारी आती है, तो भारत विश्व को परिवार मानकर वैक्सीन उपलब्ध कराता है। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा हो, भारत पूरे मनोयोग से सेवा के लिए खड़ा होता है। म्यांमार में इतना बड़ा भूकंप आया है, भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के साथ वहां के लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। जब तुर्किए में भूकंप आया, जब नेपाल में भूकंप आया, जब मॉलदीव्स में पानी का संकट आया, भारत ने मदद करने में घड़ी भर की भी देर नहीं लगाई। युद्ध जैसे हालातों में हम दूसरे देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकालकर लाते हैं। दुनिया देख रही है भारत आज जब प्रगति कर रहा है, तो पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी बन रहा है। विश्व-बंधु की ये भावना... हमारे ही संस्कारों का विस्तार है।
Mar 31 2025, 11:52