महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से एक और मौत, 16 नए मामले आए सामने, एक्टिव मरीजों की संख्या 127

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महाराष्ट्र के पुणे में ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (जीबीएस) के रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। आलम यह है कि मरीजों की संख्या अब 127 तक पहुंच गई है। इस जीबीएस बीमारी से एक और शख्स की जान चली गई है। जिसके बाद इस संदिग्ध बीमारी से मरने वालों की संख्या दो हो गई है। साथ ही यहां बुधवार (29 जनवरी) को जीबीएस के 16 नए मामले सामने आए हैं।

महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 29 जनवरी तक, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 127 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई है, जिसमें 2 संदिग्ध मौतें भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे की 56 वर्षीय महिला की सरकारी ससून जनरल अस्पताल में जीबीएस के कारण मौत हो गई। वह अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त थी। स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि अभी तक जीबीएस के 127 संदिग्ध मरीज मिले हैं। इसके अलावा एक और मरीज की बीमारी से मौत होने का संदेह है। इनमें से 72 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हुई है। 23 मरीज पुणे नगर निगम से हैं, 73 पीएमसी क्षेत्र में नए जोड़े गए गांवों से हैं, 13 पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम से हैं, 9 पुणे ग्रामीण से हैं और 9 अन्य जिलों से हैं। प्रभावित व्यक्तियों में से 20 वर्तमान में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश संक्रमित मरीज पुणे शहर से नए जुड़े क्षेत्रों से हैं। इनमें से कम से कम 20 लोग पड़ोसी पिंपरी चिंचवाड़ से हैं। इस बीच आसपास के जिलों के 8 मरीजों का भी पुणे के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है. यह आमतौर पर किसी संक्रमण के बाद होने वाली बीमारी है। यह कैम्पिलोबैक्टर के कारण होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के बाद होता है। इसमें तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम, सेप्सिस, निमोनिया, समेत कई अन्य तरह की समस्या हो सकती है। इस बीमारी का सटीक कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है। इससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है। इस स्थिति से पीड़ित अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है।

हरियाणा के सीएम ने पिया यमुना का पानी, केजरीवाल की चुनौती का यूं दिया जवाब

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द‍िल्‍ली में विधानसभा चुनाव के बीच यमुना के पानी पर संग्राम मचा हुआ है। पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक टिप्‍पणी को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बना ल‍िया है। केजरीवाल ने कहा था क‍ि हर‍ियाणा सरकार यमुना के पानी में जहर मिलाकर द‍िल्‍ली भेज रही है। सीएम आत‍िशी ने तो बीजेपी नेताओं को यह पानी पीने की चुनौती दे डाली। अब हर‍ियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने उनकी चुनौती स्‍वीकार करते हुए बुधवार को यमुना जल पीकर द‍िखाया।

हर‍ियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने दिल्ली के पल्ला गांव में सबके सामने यमुना का पानी पीकर दिखाया। यही नहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री ने केजरीवाल पर पलटवार भी किया। उन्होंने एक्स पर लिखा है, बेहिचक और बेझिझक पवित्र यमुना के जल का आचमन किया हरियाणा की सीमा पर। आतिशी जी तो आईं नहीं। कोई नया झूठ रच रही होंगी। झूठ के पांव नहीं होते। इसलिए आप-दा का झूठ चल नहीं पा रहा। दिल्ली की देवतुल्य जनता इन फ़रेबियों को पहचान चुकी है। 5 फ़रवरी को आप-दा के फरेब काल का अंत निश्चित है। दिल्ली के लोग हरियाणा के कपूत केजरीवाल को सज़ा देंगे क्योंकि हमारा भाईचारा सदियों से मजबूत है।

इससे पहले द‍िल्‍ली की सीएम आत‍िशी ने आरोप लगाया था क‍ि पिछले 10 दिनों से हरियाणा के प्याऊ मनियारी नामक स्थान से डीडी-8 नाले के माध्यम से प्रदूषित पानी यमुना नदी में डाला जा रहा है। इससे यमुना का जल जहरीला हो गया है। द‍िल्‍ली जल बोर्ड की सीईओ ने अपनी रिपोर्ट में दावा क‍िया क‍ि यमुना में अमोनिया का स्तर सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से फरवरी के बीच स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। जल बोर्ड के वाटर प्यूरिफिकेशन संयंत्र 1 पीपीएम तक के अमोनिया को ठीक से प्यूरीफाई करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ज्‍यादा होने पर दिल्ली सब ब्रांच और कैरियर लाइन चैनल से प्राप्त पानी से मिलाकर प्‍यूरीफ‍िकेशन क‍िया जाता है. यह हर साल होता है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।

अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैक्स में कटौती करेगा भारत, क्या ट्रंप की धमकियों का है असर?

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अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का असर दिखने लगा है। ट्रंप हमेशा से टैरिफ को लेकर आक्रामक रहे हैं। ट्रंप ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद ब्रिक्स देशों, जिसमें भारत भी शामिल है उन्‍हें एक बार फिर से टैरिफ की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य देश अपनी डि-डॉलराइजेशन की कोशिशें जारी रखते हैं, तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि अगर इन देशों ने डॉलर से बचने के लिए अपनी अलग मुद्रा बनाने की कोशिश की तो अमेरिका उनके प्रोडक्‍ट पर टैरिफ बढ़ा देगा। ट्रंप की इस धमकी का असर दिखना शुरू हो गया है। दरअसल, खबर है कि भारत अमेरिका से आयातित कुछ महंगे सामानों पर टैक्स में कमी कर सकता है। माना जा रहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से इस बार बजट पेश किए जाने पर इसकी पुष्टि हो सकती है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से टैक्स में कटौती की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के दौरान इसकी घोषणा कर सकती हैं। स्टील, महंगी मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रॉनिक सामान इस लिस्ट में हैं, जिनके टैरिफ में कटौती हो सकती है। भारत अमेरिका से 20 ऐसे सामान आयात करता है जिन पर 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगता है। अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 118 अरब डॉलर से ज्यादा रहा था। इसमें भारत का ट्रेड सरप्लस 41 अरब डॉलर रहा था।

खास बात कि भारत की टैक्स में कटौती की खबर ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन और ब्राजील को 'जबरदस्त टैरिफ मेकर्स' बताया। तीनों ही देश तेजी से प्रभावशाली होते जा रहे ब्रिक्स ब्लॉक के संस्थापक सदस्य हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका वापस उस सिस्टम को अपनाए जिसने उसे धनी और ताकतवर बनाया है। हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे। ट्रंप ने उत्साहपूर्वक कहा कि हम उन बाहरी देशों और लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। चीन एक जबरदस्त टैरिफ निर्माता है, और भारत, ब्राजील और कई अन्य देश भी। (लेकिन) हम ऐसा अब और नहीं होने देंगे... क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे।

डीयू की 'आचारशाला' पहल: छात्रों को देशभक्ति और करुणा की अवधारणाएं सिखाने का प्रयास

दिल्ली विश्वविद्यालय ने बुधवार को कहा कि वह अपने "आचारशाला" कार्यक्रम के तहत छात्रों को देशभक्ति और करुणा जैसी अवधारणाएं और गुण सिखा रहा है। डीयू की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने "आचारशाला" कार्यक्रम के तहत अपने व्याख्यान श्रृंखला के तीसरे सत्र का आयोजन किया, जिसका आयोजन छात्र कल्याण के डीन के कार्यालय द्वारा किया गया।

इस व्याख्यान का विषय "मानव मूल्यों के विकास में दिल्ली विश्वविद्यालय का योगदान" था। "आचारशाला" पिछले साल नवंबर में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका आयोजन छात्रों को विशेषज्ञों से सीधे सीखने और खुले विचार-विमर्श में शामिल होने के अवसर प्रदान करने के लिए हर पखवाड़े किया जाता है। इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए डीयू के छात्र कल्याण के डीन रंजन कुमार त्रिपाठी ने कहा कि व्याख्यान का उद्देश्य छात्रों में "स्वाभाविक रूप से देशभक्ति और करुणा की भावना विकसित करना" है।

बयान में कहा गया है, "आचारशाला दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों के व्यवहार में विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपराओं को प्रतिबिंबित करना है, जिसका लक्ष्य स्वाभाविक रूप से देशभक्ति और करुणा की भावनाओं को विकसित करना है।" बयान के अनुसार, तीसरे व्याख्यान कार्यक्रम के दौरान, मुख्य अतिथि, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान के सीईओ राजीव गुप्ता ने मानवीय मूल्यों, अखंडता और नैतिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में शैक्षणिक संस्थानों की अभिन्न भूमिका पर व्याख्यान दिया।

बयान में कहा गया है कि विशेष अतिथि के रूप में, दिल्ली विश्वविद्यालय में योजना प्रभाग के डीन निरंजन कुमार ने मानवीय मूल्यों के विकास में मानविकी और सामाजिक विज्ञान की भूमिका पर जोर दिया और शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार में अकादमिक उत्कृष्टता के महत्व पर चर्चा की। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम के दौरान, डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के सीईओ नंद कुमारम ने छात्रों और शिक्षकों के साथ प्रौद्योगिकी और मानवीय मूल्यों पर अपने विचार साझा किए। बयान में कहा गया है कि उन्होंने नैतिक सिद्धांतों का पालन करते हुए कर्तव्य की भावना के साथ प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग पर जोर दिया। बयान के अनुसार, इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन, विभिन्न विभागों के कई संकाय सदस्यों और बड़ी संख्या में छात्रों और शोधकर्ताओं ने भी भाग लिया।

ट्रंप की बात मानने पर नए बॉस से ‘शर्मिंदा' हुए सीएनएन के कर्मचारी

सीएनएन के कर्मचारी अपने नए बॉस मार्क थॉम्पसन के चुनाव के बाद के निर्देशों से “शर्मिंदा” हैं, सूत्रों ने पेज सिक्स को बताया। अंदरूनी सूत्रों ने अपनी शिकायतें व्यक्त करते हुए दावा किया कि 67 वर्षीय सीईओ डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, कुछ कर्मचारी नेटवर्क के लिए काम करने में “शर्मिंदा” महसूस करते हैं, जो खुद को “समाचारों में सबसे भरोसेमंद नाम” के रूप में पेश करता है।

सीएनएन के कर्मचारी ट्रम्प की बात मानने वाले नए सीईओ से ‘शर्मिंदा’ हैं, सूत्रों का कहना है। सीएनएन के अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को पैसे देने पर कर्मचारी भड़के हुए हैं। लंबे समय से ट्रंप के आलोचक रहे जिम अकोस्टा के नेटवर्क से बाहर निकलने के बाद, आउटलेट को बताया कि “सीएनएन के लंबे समय से कर्मचारी, जो वास्तव में पत्रकार हैं, शर्मिंदा हैं।” 53 वर्षीय प्रसारक ने मंगलवार को नेटवर्क छोड़ने के अपने निर्णय की घोषणा की, जहाँ उन्होंने लगभग दो दशकों तक काम किया, अपने शो को देर रात के स्लॉट में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद।

अकोस्टा की घोषणा के बाद, ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर एक तीखे बयान में प्रसारक की आलोचना की, उन्हें "पत्रकारिता के इतिहास में सबसे खराब और सबसे बेईमान पत्रकारों में से एक, एक बड़ा बदमाश" कहा। "कहा जा रहा है कि वह छोड़ना चाहता है, और यह और भी बेहतर होगा। जिम एक बड़ा हारने वाला व्यक्ति है जो चाहे जहाँ भी जाए असफल ही रहेगा। शुभकामनाएँ जिम!" राष्ट्रपति ने कहा।

यह स्पष्ट है कि वे ट्रम्प के सामने झुक रहे हैं, खासकर अकोस्टा के साथ जो उन्होंने किया। मनोबल गिर गया है!," CNN को भी अपनी रेटिंग के साथ कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। एक और सूत्र ने कहा, "टेलीविजन में बहुत से लोग जानते और समझते हैं कि ट्रम्प चुने गए थे, और जब आप दर्शकों को आकर्षित करने के व्यवसाय में होते हैं, तो आपको इस नए प्रशासन के इर्द-गिर्द कुछ खास तरीके से कार्यक्रम बनाने होते हैं।" "लोग खुश नहीं हैं क्योंकि वे वह नहीं कर रहे हैं जो उन्हें पसंद है, और वे उन चीजों को करने में व्यस्त हैं जो उन्हें पसंद नहीं हैं," उन्होंने आगे कहा, "क्रिस के अधीन लोग बहुत खुश थे क्योंकि वह बहुत दूर रहते थे और प्रोग्रामिंग को बिल्कुल भी नहीं छूते थे। [थॉम्पसन] बस यही कर रहे हैं।" हालांकि, एक चौथे अंदरूनी सूत्र ने हाल की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए CNN के कर्मचारियों को "सबसे प्रेरित, प्रतिबद्ध और मेहनती" कहा।

शरिया कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम महिला, बेटी को पूरी संपत्ति देना चाहती है महिला

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सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम महिला ने याचिका दायर कर मांग की है कि उसे शरीयत कानून में विश्वास नहीं है और वह चाहती है कि उस पर उत्तराधिकार कानून लागू हो। महिला ने खुद को 'गैर-आस्तिक' बताते हुए मांग की है कि उनके उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया कानून) की बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 लागू किया जाए। महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और सरकार का इस मुद्दे पर पक्ष पूछा है। 

केरल के अलप्पुझा की रहने वाली एक महिला साफिया पी एम ने यह याचिका दायर की है। वह अपनी पूरी संपत्ति अपनी बेटी को देना चाहती हैं, लेकिन शरिया कानून के तहत वह केवल 50 प्रतिशत संपत्ति ही दे सकती हैं। इसलिए वह 'सेक्युलर लॉ' यानी भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत लाभ चाहती हैं।

सफिया पी एम ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह एक गैर-आस्तिक मुस्लिम महिला हैं। वह चाहती हैं कि उन्हें विरासत के मामलों में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया कानून) की बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत माना जाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सफिया पी एम का कहना है कि वह इस्लाम को नहीं मानती, लेकिन अभी भी उसने आधिकारिक रूप से इस्लाम को नहीं छोड़ा है। शरिया कानून के अनुसार, जो व्यक्ति इस्लाम छोड़ देता है, उसे समुदाय से बाहर कर दिया जाता है और उसे माता-पिता की संपत्ति में कोई विरासत का अधिकार नहीं मिलता। याचिका में यह भी कहा गया है कि शरिया कानून के तहत, एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का एक तिहाई से अधिक हिस्सा वसीयत के माध्यम से नहीं दे सकता है। सफिया पी एम की एक बेटी है। उनकी चिंता है कि उनकी मौत के बाद, पूरी संपत्ति उनकी बेटी को नहीं मिलेगी, क्योंकि उनके पिता के भाइयों का भी उस पर दावा होगा।

केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'याचिका में रोचक सवाल उठाया गया है।' मेहता ने कहा कि 'याचिकाकर्ता महिला एक पैदाइशी मुस्लिम है। उनका कहना है कि वे शरीयत कानून में विश्वास नहीं रखती और यह एक पिछड़ा हुआ कानून है।' पीठ ने कहा कि 'यह आस्था के खिलाफ है और आपको (केंद्र सरकार) इसके जवाब में हलफनामा दाखिल करना होगा।' इस पर सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा। इस पर पीठ ने चार हफ्ते का समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय की। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 29 अप्रैल को भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब मांगा था।

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स चलना-फिरना भूलीं, मस्क पर टिकी ट्रंप की उम्मीद

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर पिछले 8 महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हैं। उनके बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं आने के बाद दोनों स्पेस में ही अटक गए। हालांकि, उन्हें लाने की कई बार कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। इस बीच सुनीता विलियम्स के एक बयान ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। अंतरिक्ष में 237 दिनों से फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने कहा कि वह याद करने की कोशिश कर रही हैं कि चलना कैसा होता है।

एक मैगजीन को दिए गये इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स ने कहा है, कि वो काफी बेसब्री से धरती पर लौटने का इंतजार कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने कहा, कि वो अब चलना तक भूल गईं हैं। उन्होंने कहा, कि वो याद कर रही हैं, कैसे चलती थीं। उन्होंने कहा, मैं स्पेस स्टेशन में काफी समय से हूं और मैं यह याद करने की कोशिश कर रही हूं, कि चलना कैसा होता है। मैं नहीं चली हूं। मैं नहीं बैठी हूं। मैं नहीं लेटी हूं। आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। आप बस अपनी आंखें बंद कर सकते हैं और जहां आप हैं, वहीं तैर सकते हैं।

मस्क ने कहा वापसी का काम शुरू

इस हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मशहूर कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में मदद मांगी है। एलन मस्क ने कहा है कि उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए काम शुरू कर दिया है। एलन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ने से पर फंसे 2 अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द से जल्द घर लाने के लिए कहा है। हम ऐसा करेंगे।"

ट्रंप ने क्या कहा?

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, कि स्पेसएक्स "जल्द ही" दोनों अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए एक मिशन शुरू करेगा, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर महीनों से फंसे हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर कहा कि "एलन जल्द ही कोशिश शुरू करेंगे और उम्मीद हैं, कि सभी सुरक्षित होंगे। शुभकामनाएं एलन!!!"

अंतरिक्ष में कैसे फंसी सुनीता विलियम्स?

बता दें, कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गये थे, लेकिन बोइंग स्पेसक्राफ्ट में टेक्निकल दिक्कतें आ गईं और दोनों अंतरिक्षयात्री वहीं फंस गये। सुनीता विलियम्स को सिर्फ 10 दिनों तक ही स्पेस स्टेशन में रहना था, लेकिन पिछले 8 महीनों से वो वहीं फंसी हुई हैं। नासा और बोइंग ने स्पेसक्राफ्ट को ठीक करने की काफी कोशिश की, लेकिन आखिरकार फैसला लिया गया, कि स्पेसक्राफ्ट को वैज्ञानिकों के साथ धरती पर लाना काफी जोखिम भरा कदम होगा।

आदतों से बाज नहीं आ रहा कनाडा, अब लगाया चुनाव में दखल का आरोप, भारत ने लगाई लताड़

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भारत-कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कनाडा ने भारत पर चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया गया है।कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक आयोग ने भारत पर चुनावी दखल देने का आरोप लगाया है। भारत ने सख्ती से इसका जवाब दिया है। दरअसल, कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद सदस्यों की खुफिया कमिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडा के कुछ सांसद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी दखल में शामिल थे।भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कनाडा चुनाव में हस्तक्षेप पर कथित गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट देखी है। वास्तव में यह कनाडा ही है जो भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। इससे अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए भी माहौल तैयार हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि हम भारत पर आक्षेप लगाने वाली रिपोर्ट को खारिज करते हैं। उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को आगे बरकरार नहीं रखा जाएगा।

इससे पहले कनाडा की एक जांच रिपोर्ट में आरोप लगाए गए कि भारत प्रॉक्सी एजेंटों के माध्यम से तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त रूप से वित्तीय मदद दे रहा था। रिपोर्ट के अनुसार भारत चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे सक्रिय देश था। हालांकि आयोग की चेयरपर्सन मैरी-जोसे होग ने यह भी स्वीकार किया कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला कि कनाडाई सांसदों ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर साजिश रची थी। रिपोर्ट में पाकिस्तान पर भी 2019 के चुनावों से पहले लिबरल पार्टी को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।

कनाडा के एक अखबार की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भारत ने संघीय चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल किया। इस मामले में तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति मैरी जोस हॉग को चीन, रूस और अन्य देशों द्वारा चुनावों में किए गए हस्तक्षेप की जांच के लिए बने आयोग के नेतृत्व का जिम्मा सौंपा था।

पिछले साल कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। कनाडाई खुफिया विभाग ने कहा था कि कनाडा में भारत सरकार का एक सरकारी प्रॉक्सी एजेंट था, जिसका चुनावों में हस्तेक्षप करने का इरादा था। 2021 में भारत सरकार ने छोटे जिलों में हस्तेक्षप करने की कोशिश की थी। भारत को लगता था कि कनाडाई चुनाव का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन और पाकिस्तान समर्थक राजनीति से जुड़ा हुआ है। दस्तावेज के अनुसार, खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रॉक्सी एजेंट ने भारत समर्थक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल दिया जा सके।

रिपोर्ट में उस समय का जिक्र किया गया है जब कनाडा ने 14 अक्टूबर, 2024 को छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, क्योंकि पुलिस ने सबूत जुटाए थे कि वे भारत सरकार के अभियान का हिस्सा थे। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में गलत सूचना फैलाई, हालांकि, रिपोर्ट ने यह कहकर खुद का खंडन किया कि कनाडा को उनकी हत्या पर किसी विदेशी राज्य से कोई लिंक नहीं मिला।

मैं भी यमुना का पानी पीता हूं', केजरीवाल के “जहर” वाले बयान पर खूब बरसे पीएम मोदी

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विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की करतार नगर इलाके में चुनावी सभा को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने अरविंद केजरीवाल के यमुना में जहर घोलने की साजिश वाले बयान पर करारा जवाब दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिल्ली को डबल इंजन सरकार से ही फायदा मिल सकता है। डबल इंजन सरकार बनेगी तो दिल्ली से आपदा जाएगी, खुशहाली आएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के करतार नगर में जनसभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी की सरकार पर बड़ा प्रहार किया। पीएम मोदी ने अरविंद केजरीवाल के उस बयान पर भी हमला बोला जिसमें उन्होंने हरियाणा पर यमुना में जहर मिलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने हरियाणा के लोगों पर घिनौने आरोप लगाए हैं। हार के डर से आपदा वाले घबरा गए हैं। क्या हरियाणा के लोग दिल्ली से अलग हैं? दिल्ली का हर निवासी हरियाणा द्वारा भेजा गया वही पानी पीता है। पिछले 11 सालों से यह प्रधानमंत्री भी वही पानी पीता है। तमाम बड़े ऑफिसर्स, विदेशी एंबेसी के अधिकारी, कोर्ट के न्यायाधीश भी यमुना का पानी पीते हैं।

पीएम ने कहा कि यह बयान सिर्फ हरियाणा का नहीं बल्कि भारतीयों का अपमान है, हमारे संस्कारों का अपमान है। जिस देश में पानी पिलाना धर्म माना जाता है, वहां ऐसा आरोप लगाना एक पाप है। उन्होंने कहा कि क्या इस बात पर विश्वास किया जा सकता है कि दिल्ली में हमारे जैसे जो लोग यमुना के पानी पीते हैं, उनकी जान लेने के लिए हरियाणा यमुना में जहर मिलाएगा। उन्होंने कहा कि ये बयान हार के डर से दिया गया है। गलतियों को माफ करना भारत के नागरिकों का उदार चरित्र है, लेकिन जो लोग जानबूझकर गलत नीयत से पाप करते हैं, उन्हें न तो दिल्ली कभी माफ करती है और न ही देश।

जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, यहां का नजारा दिल्ली के मूड को दर्शा रहा है, यह दिल्ली के लोगों के जनादेश को दर्शाता है। दिल्ली कह रही है कि अब 'आपदा' के बहाने नहीं चलेंगे, 'आपदा' के झूठे वादे नहीं चलेंगे। दिल्ली कह रही है कि अब 'आपदा' की लूट और झूठ नहीं चलेगा। यहां के लोग ऐसी डबल इंजन वाली सरकार चाहते हैं जो गरीबों के लिए घर बनाए, दिल्ली को आधुनिक बनाए, हर घर में नल का जल पहुंचाए और टैंकर माफिया से मुक्ति दिलाए। आज दिल्ली कह रही है कि जब 5 फरवरी आएगी, 'आपदा' जाएगी, भाजपा आएगी।

वक्फ बोर्ड को मिली जेपीसी की हरी झंडी, विपक्ष ने जताई असहमति, शुरू हुआ वार-पलटवार

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर बुधवार को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की बैठक हुई है। इस दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट 14 से 11 वोटों से पारित हो गई है। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को कहा समिति ने मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बहुमत से स्वीकार कर लिया। सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शाम चार बजे तक का समय दिया गया है। विपक्षी सांसदों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया और दावा किया कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपने असहमति नोट तैयार करने के लिए बहुत कम समय दिया गया।

जेपीसी की बैठक पर कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने कहा, कई आपत्तियां और सुझाव आए थे जिन्हें इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। सरकार ने अपने अनुसार रिपोर्ट बनाई है. असंवैधानिक संशोधन लाए गए हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाया गया है। अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए संशोधन लाए गए हैं।

वहीं, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर हुई जेपीसी की बैठक पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, हमें कल रात 655 पन्नों की रिपोर्ट मिली। रात भर 655 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ना असंभव है। मैंने उन संशोधनों के खिलाफ असहमति रिपोर्ट दी है जो वक्फ बोर्ड के पक्ष में नहीं है। मैं संसद में भी इस विधेयक का विरोध करूंगा।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, मैंने अपना असहमति नोट दे दिया है। हमें कल रात 7:55 बजे 656 पन्नों का मसौदा रिपोर्ट मिला। पीड़ितों के बयान पर गौर नहीं किया गया है। हमने विचार-विमर्श के दौरान जो कहा उस पर ध्यान नहीं दिया गया। सवाल यह उठता है कि हितधारकों की जो राय हमने व्यक्त की, वह चेयरमैन को पसंद क्यों नहीं आई? मेरे हिसाब से जेपीसी की कार्यवाही मखौल बनकर रह गई है।

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। इस बीच समिति के सदस्यों के बीच तनातनी देखने मिली। जहां एक तरफ सरकार ने इसे सफलता बताया तो वहीं विपक्ष ने कहा कि उनकी बातें नहीं सुनी गई।

विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जेपीसी की बैठक खत्म हो चुकी है। जेपीसी ने 11 के मुकाबले 14 वोट से स्वीकार कर लिया। इससे पहले जेपीसी ने सोमवार को भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सदस्यों ने प्रस्तावित 14 संशोधनों के साथ वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी। विपक्षी सांसदों ने 44 बदलाव पेश किए थे जिन्हें खारिज कर दिया गया था।