*बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर सीएम योगी ने की लोकमंगल की कामना*

गोरखपुर। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे गोरखनाथ मंदिर में नाथपंथ की विशिष्ट परंपरा के अनुसार शिवावतार महायोगी गोरखनाथ को विधि विधान से आस्था की पवित्र खिचड़ी चढ़ाई। इस अवसर पर उन्होंने भगवान गोरखनाथ से लोकमंगल, सभी नागरिकों के सुखमय और समृद्धमय जीवन तथा राष्ट्र कल्याण की प्रार्थना की।

*गोरखपुर एम्स के कार्यकारी निदेशक ने आपातकालीन विभाग का किया औचक निरीक्षण*

गोरखपुर, 14 जनवरी 2025: एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय सिंह ने आज आपातकालीन विभाग का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान विभाग में वरिष्ठ डॉक्टरों की अनुपस्थिति पाई गई, जिसे उन्होंने गंभीर लापरवाही करार दिया।

डॉ. सिंह ने मौके पर मौजूद स्टाफ से चर्चा की और विभाग की स्थिति का व्यक्तिगत जायजा लिया। उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों की उपस्थिति अनिवार्य है। इस संदर्भ में उन्होंने जल्द ही एक आधिकारिक परामर्श जारी करने की घोषणा की। इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश होंगे कि आपातकालीन विभाग में हर समय वरिष्ठ चिकित्सक उपलब्ध रहें। एम्स गोरखपुर ने यह आश्वासन दिया है कि मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और देखभाल के मानकों को सुधारने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

*खिचड़ी मेले में श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा*

गोरखपुर, 14 जनवरी। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित विश्व प्रसिद्ध खिचड़ी मेले में आए लाखों श्रद्धालु योगी सरकार की तरफ से किए गए अभिवादन से अभिभूत हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर खिचड़ी मेले में आए श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। इस अभूतपूर्व स्वागत से हर्षित श्रद्धालुओं ने शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ के खूब जयकारे लगाए और मुख्यमंत्री के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की।

गोरखनाथ मंदिर का खिचड़ी मेला श्रद्धालुओं की संख्या के मामले में अभूतपूर्व रहा तो उनका स्वागत भी दिल जीतने वाला रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशानिर्देश पर मेले में आए श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। आसमान से अपने ऊपर स्वागत के फूल गिरते देख श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। पुष्पवर्षा के साथ पहले से गुंजित गुरु गोरक्षनाथ के जयकारे की गति तेज और ध्वनि गगनभेदी हो गई। श्रद्धालुओं ने कहा कि मुख्यमंत्री की यह पहल हृदय को स्पंदित करने वाली है।

*नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपित पाॅक्सो एक्ट में जेल भेजा गया*

खजनी गोरखपुर।थाना क्षेत्र के एक निवासी नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर भगाने और उसके साथ दुष्कर्म के आरोपित को खजनी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कहीं भागने के फिराक में खड़े कटघर चौराहे से गिरफ्तार कर लिया। विधिक कार्रवाई के बाद उसे जेल भेज दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार नाबालिग लड़की के पिता की तहरीर पर पुलिस ने बीते वर्ष 2024 में 21 नवंबर को मुकदमा अपराध संख्या 453/2024 में बीएनएस की धारा 137(2) में अपहरण का केस दर्ज कर लड़की की तलाश शुरू कर दी थी। नाबालिग लड़की को तेलंगाना राज्य के कामा रेड्डी से बरामद कर लिया था। पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपित शहाबुद्दीन उर्फ सलमान पुत्र इम्तियाज निवासी टेकवार उनवल थाना खजनी के खिलाफ बीएनएस की धाराओं 87, 64 और 3/4 पाॅक्सो एक्ट दर्ज कर अभियुक्त की तलाश तेज कर दी थी।

थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा के निर्देश पर एसआई सत्यदेव ने अपने मातहत कांस्टेबल बृजेश के साथ आरोपित को खजनी कस्बे के निकट कटघर चौराहे से गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है।

*स्वास्थ्य रक्षा अभियान में आयुर्वेद व एलोपैथ को साथ लेकर चलने की आवश्यकता : डॉ. वीररत्न*

गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) की तरफ से आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के पारस्परिक अंतरसंबंधों को समझने के लिए आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मंगलवार को हुआ। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आयुर्वेद के मर्मज्ञ डॉ. टी. वीररत्न ने कहा कि वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में आयुर्वेद की महत्ता को दुनिया ने एक बार फिर स्वीकार किया है। आज आवश्यकता है कि आयुर्वेद और एलोपैथ को मिलाकर स्वास्थ्य रक्षा का अभियान आगे बढ़ाया जाए।

डॉ. टी. वीररत्न ने आयुर्वेद को विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति बताते हुए कहा कि आयुर्वेद एक पवित्र चिकित्सकीय पद्धति है जो शरीर ही नहीं, आत्मा तक को शुद्ध और प्रसन्न करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग के अनुसार जीवनशैली अपनाने वाले लोग कम बीमार पड़ते हैं और यदि बीमार पड़ भी गए आयुर्वेद की दवाओं से शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेते हैं। यही कारण है कि वैश्विक दवा बाजार में आयुर्वेद की औषधियों की मांग निरंतर बढ़ रही है। इसके साथ ही दुनिया के लोग निरोगी काया के लिए योग के प्रति प्रेरित हो रहे हैं।

समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि इंग्लैंड से आए आयुर्वेद के वैद्य डॉ. वीएन जोशी ने कहा कि आयुर्वेद और योग दोनों को नाथपंथ ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि नाथपंथ का संबंध भगवान रुद्र और गौमाता से है। नाथपंथ के प्रवर्तक आदियोगी शिव ने ही योग और आयुर्वेद को अनुप्राणित किया है। विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा डॉ. तन्मय गोस्वामी ने कहा कि चिकित्सा जगत में आयुर्वेद, योग और नाथपंथ को समाहित कर हुई यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि महर्षि चरक के अनुसार हमारा एक लक्ष्य होना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ रखना और रोगी को रोगमुक्त करना।

इस अवसर पर आयुष विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति डॉ. एके सिंह ने कहा कि आयुष के पूरे देश में एक सौ सात आयुर्वेदिक कालेज हैं। देश-विदेश के विभिन्न आयुर्वेद कालेजों से आए हम सभी वैद्य यदि पांच-पांच गांव गोद लेते हैं तो आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति घर घर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें हर्बल औषधियों की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। प्रायः देखा जाता है कि सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किए जाने वाले उत्पाद शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं लेकिन यदि सौन्दर्य प्रसाधनों में प्रयोग आने वाले पारद आदि धातुओं को यदि आयुर्वेदिक पद्धतियों से शोधन करके बनाते हैं तो यह शरीर के लिए हानिकारक नहीं होता है।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरिंदर सिंह ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ने मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जो निष्कर्ष निकाले हैं, वे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आयुर्वेद दवा कंपनियों की मांग के देखते हुए हमें वैल्यू एडेड कोर्स शुरू करने चाहिए। उन्होंने इस संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बीएचयू के वरिष्ठ आचार्य डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य, प्राध्यापकों, सभी डेलीगेट्स और बीएमएस विद्यार्थियों को साधुवाद प्रदान किया। संगोष्ठी के अंत मे सर्वश्रेष्ठ शोध प्रस्तुति सम्मान गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूटऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. अश्विथी नारायण और मेडिकल कॉलेज की डॉ. प्रियंका को प्राप्त हुआ।

आभार ज्ञापन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम, संचालन डॉ. मोहित व मंगलाचरण डॉ. सुमेश ने किया। इस अवसर पर इजरायल से आए गुई लेविन, अनत लेविन, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, डॉ. अरविंद कुशवाहा, डॉ. नवीन, डॉ. दीपू मनोहर, डॉ. विनम्र शर्मा, डॉ. साध्वी नन्दन पाण्डेय, डॉ. देवी, डॉ. प्रिया सहित देश के अन्य राज्यों और विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।

महाकुंभ 2025 और मकर संक्रांति का वैज्ञानिक आधार

गोरखपुर। वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला ( तारामण्डल) गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के खगोल विद अमर पाल सिंह के द्वारा एक संक्षिप्त खगोलीय विश्लेषण ।

यह बात आज से लगभग हजारों वर्षों पहले की है, जब से मानव सभ्यता का प्रादुर्भाब हुआ है तब से आज तक मानव सभ्यताओं ने जाने या अनजाने में ही सही लेकिन आकाश को अपने अपने नजरियों से निहारा तो है ,चाहें हम बात करें उन प्राचीन कालीन मानव सभ्यताओं की जिन्होने रात्रि के आकाश में टिमटिमाते आकाश दीपों को देख कर और उनसे निर्मित कुछ विशिष्ट आकार प्रकार की आकृतियों को अपने अपने हिसाब से समय, देश काल और परिस्थितियों में अनेकों कहानियों को भी गढ़ा ,जिस से आगे आने वाली पीढ़ियों को भी निरन्तर इस गूढ़ ज्ञान की धारा का विशेष लाभ ,खगोलीय ज्ञान और भान के रूप में होता रहे और जिस ज्ञान की अविरल धारा को आगे चलकर खगोल विज्ञान कहा गया ,इस प्रकार हम पाते हैं कि तमाम भारतीय प्राचीन कालीन पर्व और त्यौहारों में भी विज्ञान सम्मिलित है जिनमें कुछ प्राचीन तो कुछ आधुनिक वैज्ञानिक आधार भी प्राप्त होते हैं, आज हम एक प्राचीन कालीन पहलू पर बात करेंगे, जैसा कि हम जानते हैं कि परिवर्तन ब्रह्मांडीय नियम है जो होता है ,होता था ,और होता रहेगा, और होना अपरिहार्य है, उसी कड़ी में मानव सभ्यताओं ने भी समय के साथ अपने आप को भी ढाला है और इस बदलाव रूपी ऊबड़ खाबड़ ढलान से गुजरते हुए प्राचीन कालीन सभ्यताओं से भी समय के साथ में, आगे चल कर केबल कुछेक रीति रिवाजें , संस्कृति ,परंपराएं और रूढ़ी वादियां छूट गईं और कुछ समय विशेष के साथ रूढ़ हो गईं और कुछ समय के साथ परिभाषित होकर परिवर्तित हो गईं और कुछ ख़ास ने मानवीय परंपराओं का रूप ले लिया उनमें से एक विशेष है मकर संक्रांति और महाकुम्भ महोत्सव का संयोजन, खगोल विद अमर पाल सिंह आपको बताने जा रहे हैं इन दोनों से सम्बन्धित कुछ ख़ास बातें , जोकि जनहित में अति महत्वपूर्ण हैं,

महाकुंभ और मकर संक्रांति दोनों का गहरा वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व भी है, जो आकाशीय पिंडों की गतिविधियों और पृथ्वी पर उनके प्रभाव में निहित है। इन घटनाओं के पीछे का वैज्ञानिक आधार कुछ इस प्रकार है: खगोल विद अमर पाल सिंह के अनुसार:

मकर संक्रांति: वैज्ञानिक व्याख्या, यह एक खगोलीय घटना है , खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति के पीछे का विज्ञान_ पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण हम दिन ब रात का अनुभव करते हैं, लेकिन ये दिन ब रात सम्पूर्ण पृथ्वी पर सब जगह एक जैसा नहीं होता है , जितनी सूर्य की किरणें प्रथ्वी के जिस भाग पर पड़ रही होती हैं उसी हिसाब से दिन तय होता है, जैसे प्रथ्वी को दो गोलार्धों में बांटा गया है एक उत्तरी गोलार्ध ब दूसरा दक्षिणी गोलार्ध जिनमें जिस पर पड़ने बाली सूर्य की किरणें प्रथ्वी पर दिन तय करती हैं, और इसका अपने अक्ष पर 23.5 अंश झुके होने के कारण दोनो गोलार्धों में मौसम भी अलग अलग होता है, अगर हम बात करें उत्तरायण ब दक्षिणायन की तो हम पाते हैं कि यह एक खगोलीय घटना है, 14/15 जनवरी के बाद सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर या जाता हुआ होता है,जिसमें सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश ( दक्षिण से उत्तर की ओर गमन प्रतीत ) करता है, इसे उत्तरायण या सूर्य उत्तर की ओर के नाम से भी जाना जाता है, वैज्ञानिकता के आधार पर इस घटना के पीछे का मुख्य कारण है पृथ्वी का छः महीनों के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर बलन करना,जो कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है ,जो लोग उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं उनके लिए सूर्य की इस राशि परिबर्तन के कारण 14/15 जनवरी का दिन मकर संक्रांति के तौर पर मनाते हैं,और उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही समय के साथ धीरे धीरे मकर मण्डल के आधार पर ही मकर संक्रांति की संज्ञा अस्तित्व में आई है, मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का क्रांतिवृत्त के दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु पर पहुंचना, प्राचीन काल से सूर्य मकर मण्डल में प्रवेश करके जब क्रांतिवृत्त के सबसे दक्षिणी छोर से इस दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु पर पहुंचता था, तब वह दिन ( 21 या 22 दिसंबर) सबसे छोटा होता था, अमर पाल सिंह ने बताया कि मगर अब सूर्य जनवरी के मध्य में मकर मण्डल में प्रवेश करता है, वजह यह है कि अयन चलन के कारण दक्षिणायनांत (या उत्तरायनारंभ) बिंदु अब पश्चिम की ओर के धनु मण्डल में सरक गया है, अब बास्तबिक मकर संक्रांति (दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु) का आकाश के मकर मण्डल से कोई लेना देना नहीं रह गया है, मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक होता है जो सूर्य की उत्तर की ओर यात्रा (उत्तरायण) का संकेत देता है,

यह परिवर्तन शीतकालीन संक्रांति के बाद होता है जब उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे होने लगते हैं, जो गर्मी और नवीनीकरण की शुरुआत का भी प्रतीक है,

सौर विकिरण में परिवर्तन

सूर्य के कर्क रेखा की ओर बढ़ने से उत्तरी गोलार्ध में सौर ऊर्जा बढ़ती है, जो जलवायु और कृषि चक्र को तो प्रभावित करती ही है और साथ साथ यह संक्रमण जैविक लय को प्रभावित करता है, जोकि इस समय ख़ासकर उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले लोगों में कायाकल्प और जीवन शक्ति को प्रोत्साहित करता है,

जैसे कि विटामिन डी का अवशोषण आदि

इस अवधि के दौरान, लोग पारंपरिक रूप से धूप सेंकते हैं या धूप में अधिक समय बिताते हैं, जिससे शरीर को अधिक विटामिन डी का उत्पादन करने में मदद मिलती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा के लिए एक हद तक आवश्यक होता है।

इसके साथ ही अगर हम बात करें संस्कारों में निहित वैज्ञानिक आधारों की तो हम पाते हैं कि कुछ संस्कारों का वैज्ञानिक आधार भी प्राप्त होता है, खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जैसे कि

तिल और गुड़ का सेवन केवल सांस्कृतिक ही नहीं है ,बल्कि ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं जो ठंड के महीनों के दौरान शरीर को गर्म और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं,

अब हम बात करते हैं महाकुम्भ और इसमें निहित वैज्ञानिक आधारों की तो हम पाते हैं कि

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि

महाकुंभ और इसकी वैज्ञानिक व्याख्या में हम पाते हैं कि यह अति प्राचीन एवं बृहद त्यौहार भी खगोलीय संरेखण पर आधारित हैं,

जैसा हम जानते हैं कि आज की अंतर्राष्ट्रीय खगोल वैज्ञानिक संघ की ग्रहीय परिभाषा के अनुसार आज हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं , जिनका सूर्य से दूरी के क्रम में नाम निम्नानुसार है बुद्ध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और बरुण हैं,उनमें से सबसे बड़ा ग्रह है बृहस्पति, जिसे गुरु भी कहा जाता है,प्राचीन कालीन सभ्यताओं ने भी पांच ग्रहों को अपनी साधारण आंखों से ही पहचान लिया था, जिनमें से बृहस्पति भी एक था, आज के समय में भी अगर आप भी थोड़ा अधिक प्रयास करेंगे तो अलग अलग रात्रि के दौरान दिखाई देने वाले इन पांचों ग्रहों को विभिन्न समय पर आप भी पहचान सकते हैं , बृहस्पति जोकि शुक्र ग्रह के बाद सबसे ज्यादा चमकीला पिण्ड है, यह मुख्य रूप से लगभग 75 प्रतिशत हाइड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम ब अन्य से बना हुआ है, दूरबीन से देखने पर इस पर बाहरी वातावरण में दृश्य पट्टियां भी दिखाई देती हैं और एक लाल धब्बा भी है जिसे ग्रेट रेड स्पॉट कहा जाता है , जिसे गैलीलियो ने 17वीं सदी में अपनी दूरबीन से देखा था, और सर्व प्रथम 1610 में गैलीलियो गैलिली ने इसके चार बड़े चंद्रमाओं को भी खोजा था, जिनके नाम हैं, गैनिमेड, यूरोपा, आयो, कैलिस्टो, खगोलीय अनुसंधान से प्राप्त जानकारी से यूरोपा पर निकट या दूर भविष्य में ही सही लेकिन इस पर जीवन की प्रबल संभावना है क्योंकि इस पर पानी का भण्डार जो मौजूद है, अगर हम बृहस्पति ग्रह की तुलना अपनी पृथ्वी से करें तो हम पाते हैं कि इसमें लगभग 1331 पृथ्वियां समा सकती हैं, और इसका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 14 गुना ज्यादा शक्तिशाली है, और यह सूर्य से लगभग 77 करोड़ 80 लाख किलोमीटर दूर है, और सूर्य का एक चक्कर लगाने में 11.86 वर्ष का समय लगता है जोकि लगभग 12 बर्ष के बराकर होता है, बृहस्पति का अक्षीय झुकाब केबल 3.13 डिग्री है जिस कारण इस पर कोई मौसम परिवर्तन नहीं होता है, यह बहुत तेज़ गति से घूर्णन करता है अपने अक्ष पर 09 घंटा 56 मिनट्स में एक बार घूमता है, इसका मतलब होता है कि इसका दिन लगभग 10 घंटे का ही होता है,

अमर पाल सिंह ने बताया कि इसे आधुनिक खगोल विज्ञान में वैक्यूम क्लीनर भी कहा जाता है, जोकि पृथ्वी पर आने वाली धूमकेतुओं से भी बचाता है, बृहस्पति ग्रह जिसे गुरु भी कहा जाता है का हमारे देश में एक विशेष स्थान है क्योंकि भारत में कुम्भ मेला आयोजित होता है, कुम्भ का शाब्दिक अर्थ होता है कलश, कलश का मतलब होता है घड़ा, सुराही या पानी रखने वाला बर्तन और मेला का मतलब होता है कि जहां पर मिलन होता है, इस मेला के दौरान शिक्षा, प्रवचन, सामूहिक सभाएं, मनोरंजन और यह सामुदायिक वाणिज्यिक उत्सव भी हैं, बड़ी बात यह है कि यह त्यौहार दुनिया की सबसे बड़ी सभा माना जाता है, इस उत्सव को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है, खगोलीय गणनाओं के हिसाब से यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है और जब एक ख़ास खगोलीय संयोजन घटित होता है तभी यह मेला घटित होता,

महाकुंभ तब आयोजित होता है जब सूर्य मकर राशि में, चंद्रमा मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है, इस बार वर्ष 2025 में प्रयागराज में पूर्ण कुम्भ मेला आयोजित किया जा रहा है,

महाकुम्भ मेला प्रयाग में प्रत्येक 144 वर्ष अर्थात 12 पूर्ण कुम्भ मेलों के बाद आयोजित होता है, महाकुम्भ मेला अगली बार 2157 में लगेगा, जब गुरु कुम्भ राशि में सूर्य मेष राशि में और चन्द्रमा धनु राशि में होता है तब कुम्भ मेला हरिद्वार में लगता है, और जब गुरु वृषभ राशि में सूर्य, चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं तब प्रयागराज में कुम्भ मेला आयोजित होता है, और जब गुरु सिंह राशि में सूर्य,चन्द्रमा कर्क राशि में होते हैं तो नासिक में कुम्भ मेला आयोजित होता है और जब गुरु सिंह राशि में सूर्य, चन्द्रमा मेष राशि में होते हैं तो कुम्भ मेला उज्जैन में आयोजित होता है जब गुरु सिंह राशि में होते हैं तो त्रांबकेशर नासिक और उज्जैन में आयोजित होता है जिसे सिंहस्थ कुंभ मेला भी कहा जाता है,

निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि दोनों घटनाएँ, मकर संक्रांति और महाकुंभ, महत्वपूर्ण खगोलीय गतिविधियों के साथ संरेखित होती हैं जो मौसमी परिवर्तनों, मानव शरीर विज्ञान और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। जोकि हमारे पूर्वजों के विशिष्ट प्राचीन ज्ञान को भी दर्शाते हैं जो खगोलीय ज्ञान को स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं के साथ एकीकृत भी करता है ।

*कस्बे में नाली निर्माण हेतु अतिक्रमण हटाने का विरोध, एसडीएम ने दिया सीमांकन का आदेश*

खजनी गोरखपुर।कस्बे में बीते दिनों लोक निर्माण विभाग के द्वारा स्थानीय गोरखपुर सिकरीगंज मार्ग पर सड़क के दोनों किनारों से अतिक्रमण हटाने के लिए स्थानीय निवासियों के घरों और दुकानों पर चिन्ह् लगाया गया था। साथ ही लोकनिर्माण विभाग द्वारा 13 जनवरी तक स्वत: अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस भेजी गई। बताया गया कि कस्बे में सड़क की पटरियों के किनारे नाली का निर्माण कराया जाना है। नाली बनाने के लिए पटरियों के किनारे लोक निर्माण विभाग की भूमि से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के तहत नोटिस दी गई है। किंतु कस्बे में रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क अपने वास्तविक स्थान पर नहीं है, तथा हमने सड़क की पटरियों से 33 फुट की दूरी छोड़ कर अपने घर अथवा दुकानों का निर्माण कराया है। पीडब्ल्यूडी द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए किए गए चिन्हिकरण का विरोध कर रहे कस्बे के लक्ष्मी रमण त्रिपाठी, केशव राय,अपर्णेश राम, अरविन्द गौड़, नेबूलाल जायसवाल, राजेश कुमार पटवा, संजय कुमार वर्मा, जयप्रकाश वर्मा, सुभाष चन्द्र, ओमप्रकाश वर्मा, रामसागर, मुकुंद बिहारी,आकाश वर्मा, विनय कुमार, विकास वर्मा, रामचंद्र, गिरजाशंकर वर्मा, प्रेमचन्द्र, दिनेश सिंह, राजू वर्मा, श्याम मद्धेशिया, हरिलाल आदि दर्जनों व्यापारियों ने बीते दिनों उप जिलाधिकारी कुंवर सचिन सिंह को प्रार्थनापत्र देकर सड़क का सीमांकन कराने की मांग की, मामले में एसडीएम खजनी ने राजस्व निरीक्षक खजनी तथा लेखपाल राजीव रंजन शर्मा, सतीश सिंह और हर्षित सिंह की टीम गठित कर थानाध्यक्ष खजनी को शांति व्यवस्था हेतु पुलिस टीम उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार पहले सड़क के सीमांकन हेतु सोमवार 13 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई थी किंतु 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व का सार्वजनिक अवकाश होने तथा क्षेत्र के लोगों के पर्व स्नान के लिए जाने के कारण मौजूद न रहने की संभावना के दृष्टिगत अब सड़क के सीमांकन के लिए बुधवार 15 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है।

*बिजली के चाक से कम समय में अधिक उत्पादन और लाभ- विधायक*

खजनी गोरखपुर।उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के द्वारा विपणन विकास सहायता और प्रचार-प्रसार योजना के तहत माटी कला से जुड़े उत्पादों के उपयोग के लिए जन जागरूकता लाने तथा माटी कला से जुड़े उद्यमियों को नवाचार से परिचित कराने के लिए एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन खजनी कस्बे में स्थित कंबल कारखाना परिसर में किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं विधायक श्रीराम चौहान ने विभाग द्वारा जिले के 45 प्रशिक्षित कुम्हारों को मुफ्त बिजली से चलने वाला चाक और प्रमाणपत्र देते हुए कहा कि कुम्हारों की आमदनी बढ़ाने के लिए बिजली से चलने वाले इस चाक से समय की बचत होगी तथा उत्पाद वृद्धि से उनकी आमदनी बढ़ेगी और परिवार में खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार (प्रजापति) कुम्हार समाज के उत्थान के लिये सतत प्रयत्नशील है, और उनके हित के लिए योजनाएं चला रही है। कुम्हार अब हांथ से चलाने वाले पुराने पारंपरिक पत्थर के बड़े चाक के स्थान पर बिजली से चलने वाले चाक चला रहे हैं।

जिला उद्योग अधिकारी ए.के. पाल‌ ने कहा कि बिजली से चलने वाले चाक के प्रयोग से कुम्हारों को काम करने में आसानी होगी वे पहले से ज्यादा काम भी कर सकेंगे। उनका काम तकनीकी रूप से और अच्छा होगा। मशीनों के प्रयोग के बाद कुम्हारों को अपने परिवार का जीवन स्तर सुधारने में भी मदद मिलेगी। मौके पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष जगदीश चौरसिया, खजनी ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि शक्ति सिंह,भाजपा मंडल अध्यक्ष अवध बिहारी मिश्रा,धरणीधर राम त्रिपाठी पमहदेवा मंडल अध्यक्ष दुर्गेश पटवा, माल्हनपार मंडल अध्यक्ष अश्विनी सिंह, बेलघाट मंडल अध्यक्ष बजरंगी सिंह, तारकेश्वर मिश्रा समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

*लोन दिलाने का झांसा देकर महिला से दुष्कर्म और जमीन लिखाई*

खजनी गोरखपुर।महिला से अवैध शारीरिक संबंध बनाने तथा उसे बैंक से लोन दिलाने का झांसा देकर तहसील ले जाकर उसकी जमीन रिजस्ट्री कराने का मामला प्रकाश में आया है। पीड़ित महिला की तहरीर पर केस दर्ज कर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है।

बेलघाट ब्लॉक क्षेत्र के एक गाँव की निवासी महिला ने सिकरीगंज थाने में दी गई तहरीर में बताया कि उसके पति विदेश में रहते हैं, वह बच्चों के साथ गाँव में अकेली रहती है, उसने एक गाय पाल रखी है और गाँव का ही एक व्यक्ति उससे गाय का दूध ले जाता था। गाँव के व्यक्ति ने सिकरीगंज इलाके के रोहारी गाँव के रहने वाले संजय यादव और सुदर्शन यादव से महिला की मुलाकात कराई थी। महिला ने आरोप लगाया है कि, इन लोगों ने कहा कि हम तुम्हारे खेत पर लोन करा देंगे। महिला उनके झांसे में आ गई और उनके साथ खजनी हरनहीं तहसील पर चली गई। महिला से उसके खेत का नंबर लिया गया और उसे बताया गया कि तुम्हारे खेत पर ढाई लाख रूपए का लोन हो रहा है। इसी दौरान बीते 18 दिसम्बर को महिला को रूपए लोन दिलाने का झांसा देकर खेत उसका खेत बैनामा करा लिया तथा महिला से कहा कि तुम किसी से कुछ मत कहना तुम्हारा लोन पास करा दिया जाएगा। महिला ने बताया कि 16 दिसंबर को उसके बैंक खाते में पहले एक लाख 36 हजार रुपए डालें उसके बाद कहा कि तुम पैसा निकाल कर मुझे दे दो। महिला ने बताया कि आरोपित राधेश्याम ने कई बार उसी के पैसे को खाते में डालने और निकालने का काम किया। उसके बाद संजय यादव ने महिला को उसकी बहन के घर ले जाने के दौरान रास्ते में सुनसान जगह पर ले जाकर महिला के साथ जबरन दुष्कर्म किया।

पीड़ित महिला की तहरीर पर सिकरीगंज पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 13/2025 में बीएनएस की धाराओं 64, 318(4), 351(3), 61(2) के तहत आरोपितों राधेश्याम निवासी ग्राम बरपरवा बाबू थाना बेलघाट संजय यादव और सुदर्शन यादव निवासी ग्राम रोहारी थाना सिकरीगंज के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

सिकरीगंज थानाध्यक्ष कमलेश कुमार ने बताया कि महिला की शिकायत पर तीन लोगों के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया गया है। आरोपितों की तालाश की जा रही है।

जीवन को लेकर आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की मान्यता एक : सीएम योगी

गोरखपुर, 13 जनवरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय मनीषा मानती है कि ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्'। अर्थात धर्म की साधना के लिए शरीर ही माध्यम है। धर्म के सभी साधन स्वस्थ शरीर से ही संभव हो सकते हैं। धर्मपरक जीवन से ही अर्थ, कामनाओं की सिद्धि और फिर मोक्ष प्राप्ति संभव है। इस परिप्रेक्ष्य में धर्म साधना से जुड़े जीवन को लेकर आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की मान्यता के समान है।

सीएम योगी सोमवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) की तरफ से आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के पारस्परिक अंतरसंबंधों को समझने के लिए आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विशेष व्याख्यान दे रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘आयुर्वेद, योग और नाथपंथ का मानवता के प्रति योगदान’ विषय पर केंद्रित अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की मान्यता है कि चराचर जगत पंचभूतों से बना है। इन्हीं पंचभूतों से हमारा शरीर भी बना है। महायोगी गुरु गोरखनाथ ने भी कहा है कि पिंड में ही ब्रह्मांड समाया है। जो तत्व ब्रह्मांड में है वही हमारे शरीर में भी हैं।

आयुर्वेद, योग और नाथपंथ सबका ध्यान नियम-संयम पर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय मनीषा में हर व्यक्ति के जीवन का एक अभीष्ट होता है, धर्म के पथ पर चलते हुए मोक्ष की प्राप्ति करना प्रति करना। धर्म की साधना के लिए स्वस्थ शरीर की अपरिहर्ता हमारे ऋषियों, मुनियों ने बताई है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद, योग और नाथपंथ, तीनों नियम-संयम पर जोर देते हैं। आयुर्वेद में जहां व्याधियों को दूर करने के लिए औषधियों और पंचकर्म की पद्धतियां हैं तो वही योग में भी हठयोग, राजयोग, ज्ञानयोग, लययोग और क्रियायोग की विशिष्ट विधियां हैं। इसी क्रम में शरीर की आरोग्यता के लिए नाथपंथ का हठयोगी योग को खट्कर्म से जोड़ता है। आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की पद्धतियां, तीनों ही वात, पित्त और कफ से जनित रोगों के निदान के लिए एक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं और वह मार्ग है नियम-संयम। सीएम योगी ने कहा कि आयुर्वेद, योग और नाथपंथ तीनों ही व्यवहारिकता के स्तर पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। तीनों ने ही शरीर को पंचभौतिक माना है।

नाथ योगियों ने दिया है अंतःकरण की शुद्धि पर जोर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नियम-संयम का जीवन में बड़ा महत्व है। योग ने उसी को जोड़ा है। अंतःकरण की शुद्धि नियम-संयम से ही हो सकती है। नाथ योगियों ने क्रियात्मक योग के माध्यम से नियम संयम की विशिष्ट विधा दी है। कौन सी क्रिया का लाभ कब प्राप्त होगा, नाथ योगियों ने इसे विस्तार से समझाया है। उन्होंने कहा कि योग के कई आसनों के नाम नाथ योगियों के नाम पर हैं जैसे गोरखआसन, मत्स्येंद्रआसान, गोमुखआसन आदि। सीएम योगी ने कहा कि नाथ परंपरा में हर नाथ योगी जनेऊ धारण करता है जो उसे शरीर की नाड़ियों से अवगत कराता है। नाथ जनेऊ की उपयोगिता उसे योगी की दीक्षा के समय बताई जाती है। योग हर नाथ योगी के जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है।

चेतना के उच्च आयाम पर पहुंचने का मार्ग दिखाया गुरु गोरखनाथ ने

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरखनाथ ने चेतना के उच्च आयाम तक पहुंचाने का मार्ग दिखाया है। उन्होंने चेतन मन के साथ ही अवचेतन और अचेतन मन को साधने की क्रिया भी सिखाई है। मानव मन, बिना साधना के जितना चेतन होता है वह संपूर्ण चेतना का बहुत छोटा भाग है। योग के माध्यम से साधना की चरम सीमा पर जाकर हम अवचेतन और अचेतन मन के रहस्यों को उद्घाटित कर सकते हैं। नाथ योगियों की साधना का उद्देश्य भी यही रहा है।

शरीर की साधना से ही अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति

मुख्यमंत्री ने कहा कि शरीर की यही साधना अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों को प्राप्त करने का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जीवन के लिए प्राण आवश्यक है उसी प्रकार मन की वृत्तियों और शरीर के बीच तारतम्य स्थापित करने के लिए प्राणायाम भी आवश्यक है।

भारत की ज्ञान धारा को प्राप्त हो रहा प्राचीन गौरव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपने प्राचीन ज्ञान के धरोहरों से हमने दूरी बनानी प्रारंभ की तो एक समय ऐसा भी आ गया कि भारतीय हीन भावना का विषय बन गए। अपने दिव्यज्ञान के स्रोत से वंचित होते गए। हमारी प्राचीन आयुर्वेद की दवाओं को बाहरी लोगों ने पेटेंट करना शुरू कर दिया। पर, आज यह सुखद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत की प्राचीन ज्ञान धारा, आयुर्वेद और योग को फिर से प्राचीन गौरव प्राप्त हो रहा है। पूरी दुनिया एक बार फिर आयुर्वेद और योग के प्रति केंद्रित होकर भारत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रही है।

सृष्टि के कालखंड की सबसे प्राचीन है भारतीय संस्कृति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति अति प्राचीन है। सृष्टि के कालखंड की सबसे प्राचीन संस्कृति भारतीय संस्कृति को माना जाता है। अलग-अलग कालखंड में ऋषियों, मुनियों ने अपनी ज्ञान के धारा के अनुभव से इसे नया आयाम प्रदान किया। पहले ज्ञान की परंपरा गुरु शिष्य के माध्यम से श्रवण परंपरा थी। उसे लिपिबद्ध करने का कार्य महर्षि वेदव्यास ने चार संहिताओं के माध्यम से किया। महर्षि वेदव्यास ने न केवल चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना की बल्कि उन्होंने श्रीमद्भागवत पुराण समेत 18 पुराणों की रचना को भी ज्ञान से जोड़कर भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाया। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत पुराण आज भी भारत वासियों को धर्म का सही मार्ग दिखाता है।

धर्म पथ पर चलकर सफलता के चरम पर पहुंचना ही मोक्ष

मुख्यमंत्री ने कहा कि मोक्ष या मुक्ति सिर्फ मरण से नहीं मिलती है बल्कि श्रीमद्भागवत के अनुसार धर्म के पथ पर चलते हुए सफलता के चरम पर पहुंचना ही मोक्ष है। महर्षि वेदव्यास ने भागवत पुराण के माध्यम से यह शिक्षा दी है कि सभी लोग धर्म के मार्ग का अनुसरण करें। धर्म के मार्ग का अनुसरण करने पर अर्थ और कामनाओं की भी सिद्ध हो सकती है।

धर्म केवल उपासना तक सीमित नहीं

सीएम योगी ने कहा कि भारतीय मनीषा ने धर्म को उपासना तक सीमित नहीं माना है। धर्म का स्वरूप विराट परिप्रेक्ष्य में निर्धारित किया गया है। कर्तव्य, सदाचार और नैतिक मूल्य के विशिष्ट जीवन पद्धति को समग्र रूप में भारतीय मनीषा धर्म के रूप में स्थापित करती है। धर्म के मार्ग से अर्थ और कामनाओं की सिद्धि से मोक्ष अपने आप प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि हिंदू कहलाने के लिए मंदिर जाना या धार्मिक ग्रंथो का पढ़ना आवश्यक नहीं है। हमारी सनातन परंपरा में धर्म को एक व्यापक दृष्टि से देखा और समझा गया है।

ज्ञान के लिए सभी दरवाजे खुले रखो

सीएम योगी ने कहा कि एक विश्वविद्यालय या शिक्षा संस्थान रचनात्मक कार्यों से वर्तमान पीढ़ी को नवीन ज्ञान से ओतप्रोत करता है। हमारे वैदिक संस्कृति का सूत्र भी यही है, ‘आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।’ अर्थात ज्ञान के लिए सभी दरवाजे खुले रखो। ऐसे में इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से ज्ञान के प्रति जड़ता तोड़ने और उसे नवीनता से परिपूर्ण करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

स्वागत संबोधन महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह और आभार ज्ञापन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम ने किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ. जीएन सिंह,

आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह, बीएचयू के वरिष्ठ आचार्य डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी,

इजराइल के आयुर्वेद औषधि विशेषज्ञ वैद्य गुई लेविन, श्रीलंका से आए आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. टी. वीररत्ना, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव सहित संगोष्ठी में देश और दुनिया से प्रतिभागी, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

संगोष्ठी की स्मारिका और दो पुस्तकों का सीएम ने किया विमोचन, स्टालों का किया अवलोकन

मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका और डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी व डॉ. शांतिभूषण हांदुर द्वारा लिखित दो पुस्तकों का विमोचन किया। मंच पर आगमन से पूर्व उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माताओं डाबर, वैद्यनाथ, श्रीधुतपापेश्वर, ऐमिल, हिमालया और वैद्यरत्नम की तरफ से लगाए गए स्टालों का भी अवलोकन किया।