दिवाली से पहले दिल्ली धुआं-धुआं, पटाखे जले नहीं फिर कैसे AQI पहुंचा 300 के पार?*
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दिवाली को अब बस दो दिन रह गए हैं। बच्चों से लेकर बड़े मचल रहे हैं कि दिवाली पर पटाखे छोड़ेंगे। हालांकि, दिल्ली और आस-पास के इलाकों में ये बहुत ही मुश्किल है। दरअसल, सर्दियों के शुरू होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने की समस्या देखने को मिलती है। दिल्ली दिवाली से पहले ही धुआं हो गई है। दिल्लीवासी और एनसीआर के लोग पहले ही 'बहुत खराब' हवा में सांस ले रहे हैं। हवा दमघोंटू हो गई है। ये हालात दिवाली से पहले हैं। त्योहार के जाने के बाद दिल्ली में और ज्यादा प्रदूषण के बढ़ने का खतरा भी चिंता बढ़ा रहा है। दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में मंगलवार को गिरावट देखने को मिली है। सुबह 6.15 बजे तक यहां औसत AQI 275 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण एवं सीपीसीबी के अनुसार राजधानी दिल्ली में मंगलवार सुबह 6:15 बजे तक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 275 दर्ज किया, जो पिछली कई दिनों की तुलना में कम है, लेकिन अभी भी खराब श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली एनसीआर के शहर फरीदाबाद में 180, गुरुग्राम में 232, गाजियाबाद में 227, ग्रेटर नोएडा में 219 और नोएडा में 226 AQI दर्ज किया गया है। *AQI लेवल 300 से 400 के बीच* वहीं, राजधानी दिल्ली के 11 इलाकों में AQI लेवल 300 से ऊपर 400 के बीच में बना हुआ है। अलीपुर में 306, आनंद विहार में 314, आया नगर में 313, बवाना में 324, जहांगीरपुरी में 306, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 305 मुंडका में 338, नरेला में 313, सोनिया विहार में 313, विवेक विहार में 310, वजीरपुर में 309 AQI रहा। *8 साल में सबसे ज्यादा प्रदूषित* दिवाली के जश्न के बाद दिल्ली की हवा के और जहरीले होने के आसार हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में पटाखों और पराली के धुएं की हिस्सेदारी बढ़ेगी तो वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब होगी। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस बार राजधानी पिछले 8 सालों में सबसे ज्यादा प्रदूषित रह सकती है। दिल्ली की हवा सबसे ज्यादा पराली जलाने के कारण प्रदूषित हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार को हवा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर से चली और उसकी गति 4 से 8 किमी प्रतिघंटा रही। वर्तमान में हवा में प्रदूषकों के प्रभावी फैलाव के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। इसके चलते अगले 6 दिनों तक वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंचने की आशंका है। बता दें कि हर साल इस मौसम में दिल्ली की हवा दमघोंटू हो जाती है। अभी पिछले हफ्ते भी दिल्ली का एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया था। एक दिन पहले के वायु गुणवत्ता पर ध्यान दें तो ये सोमवार को सुबह 7.30 बजे औसत AQI 328 दर्ज किया गया था। दिल्ली के अधिकतर इलाकों में AQI लेवल 300 से 400 के बीच दर्ज किया गया था। इसमें अलीपुर में 335, आनंद विहार में 357, अशोक विहार में 361, आया नगर में 336, बवाना में 367, बुराड़ी क्रॉसिंग में 362, डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज में 334, द्वारका सेक्टर 8 में 331, आईजीआई एयरपोर्ट में 316, आईटीओ में 326, जहांगीरपुरी में 366, लोधी रोड में 307 और मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 348 AQI दर्ज किया गया था।
जम्मू-कश्मीर के अखनूर में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ का दूसरा दिन, अब तक 3 आतंकी ढेर
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जम्मू-कश्मीर के अखनूर में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ का आज दूसरा दिन है। मंगलवार सुबह फिर से शुरू हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादी को मार गिराए हैं। अब तक इस अभियान में तीन आतंकवादी मारे गए हैं। बता दें कि सोमवार को अखनूर में सेना की एंबुलेंस पर आतंकवादियों ने फायरिंग की थी। जिसके बाद पूरे इलाके को सुरक्षा बलों ने घेर लिया और सर्च ऑपरेशन चलाया। बीते दिन अखनूर सेक्टर के केरी बट्टल इलाके में सेना की एक एंबुलेंस पर आतंकियों ने सोमवार को अंधाधुंध गोलियां चलाईं। एंबुलेंस में उस समय एक चालक और अन्य व्यक्ति बैठा हुआ था। यह एंबुलेंस केरी के सैन्य शिविर की ओर जा रही थी। एंबुलेंस में सवार लोगों ने किसी तरह से नीचे झुककर अपनी जान बचाई। मौके पर जम्मू कश्मीर पुलिस सेना और सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे। माना जा रहा है कि में गोलीबारी में तीन आतंकी शामिल थे। आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार मुठभेड़ जारी है आज मुठभेड़ का दूसरा दिन है। सुरक्षा बलों ने अब तक तीन आतंकियों को ढेर किया है। भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ है। जम्मू-कश्मीर के अखनूर शहर के जोगवान इलाके में सोमवार सुबह सेना की एक एंबुलेंस जा रही थी। तभी आतंकवादियों के एक ग्रुप ने उस पर फायरिंग की। इस घटना के बाद पुलिस और सेना अलर्ट हो गई है और पूरे इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया। जोगवान गांव में असन मंदिर के पास वन क्षेत्र में छिपे थे। शुक्रवार को भी हुआ था आतंकी हमला इससे पहले गुरुवार (24 अक्टूबर 2024) को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र गुलमर्ग से 6 किलोमीटर दूर बोटा पथरी इलाके में सेना के एक वाहन पर आतंकवादियों की ओर से हमला किया गया था। तब आतंकियों की गोलीबारी में दो सैनिक और एक कूली की मौत हो गई थी, जबकि एक सैनिक और एक कूली के घायल होने की खबर है। शुक्रवार को सुरक्षा बलों ने गुलमर्ग सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर और इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर तैनात किए थे। बारामुल्ला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मोहम्मद जैद मलिक ने बताया था कि बोटा पथरी हमले में हमें जो सबूत मिले, उनके अनुसार हमले में 3-4 आतंकवादी शामिल थे।
राष्ट्रपति चुनाव से पहले व्हाइट हाउस में मनी दिवाली, बाइडन बोले-ये मेरा नहीं आप लोगों का घर*
#us_diwali_celebration_in_white_house आज से देशभर में दिवाली की शुरूआज हो गई है। आज पूरा देश धनतेरस मना रहा है। दिवाली की धूम अमेरिका तक देखी जा रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में सोमवार को दिवाली का त्योहार मनाया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार रात को व्हाइट हाउस में दीवाली कार्यक्रम की मेजबानी की। इस दौरान उन्होंने दीया जलाया। इस कार्यक्रम में 600 से ज्यादा प्रतिष्ठित भारतीय अमेरिकी नागरिक शामिल हुए। बाइडेन ने इस दौरान अपने भाषण में कहा कि व्‍हाइट हाउस मेरा नहीं आप लोगों का घर है। बाइडेन के इस बयान के बाद हॉल में बैठे लोग खुशी से शोर मचाने लगे। राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में मुझे व्हाइट हाउस में अब तक के सबसे बड़े दिवाली रिसेप्शन की मेजबानी करने का सम्मान मिला। बाइडन ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है कि बतौर सीनेटर, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के रूप में काम करते हुए मेरे स्टाफ के प्रमुख सदस्य दक्षिण एशियाई अमेरिकी रहे। जो बाइडन ने कहा कि 'कमला हैरिस से लेकर डॉ. विवेक मूर्ति और यहां मौजूद बहुत से लोगों के लिए मुझे गर्व है कि मैंने अमेरिका जैसा दिखने वाला प्रशासन बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को निभाया। बाइडन के संबोधन से पहले भारतीय अमेरिकी युवा सामाजिक कार्यकर्ता श्रुति अमुला और अमेरिकी सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति, सुनीता विलियम्स ने संबोधन दिया। सुनीता विलियम्स अभी अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मौजूद हैं, इसलिए उन्होंने वीडियो रिकॉर्डेड संदेश भेजा। बता दें कि व्हाइट हाउस की तरफ से एक दिन पहले जारी बयान में कहा गया था कि पिछले वर्षों की परंपरा को जारी रखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने भाषण से पहले ब्लू रूम में एक दीया जलाएंगे। यह कार्यक्रम लंबे अंतराल से व्‍हाइट हाउस में आयोजित किया जा रहा है। व्हाइट हाउस में दिवाली उत्सव कार्यक्रम जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रेसीडेंसी के दौरान शुरू हुआ था। बाद में ओबामा, ट्रम्प और फिर बाइडेन शासन के दौरान भी यह जारी रहा। कमला हैरिस बाइडेन की डेमोक्रैट पार्टी से ही ताल्‍लुक रखती हैं और वो भारतीय मूल की भी हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के अनुमानित 2.6 मिलियन यानी करीब 26 लाख लोग हैं। अमेरिका में भारतीयों की बड़ी संख्‍या को देखते हुए चाहकर भी वहां मौजूद दोनों बड़ी पार्टियां चुनाव में हमें इग्‍नोर नहीं कर सकती हैं। अमेरिका में चुनावी सर्वेक्षण के अनुसार राष्‍ट्रपति चुनाव में भारतीय-अमेरिकी 61 प्रतिशत तक कमला हैरिस के समर्थन में खड़े हैं जबकि 31 प्रतिशत तक लोग ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि सर्वे में यह भी सामने आया है कि भारतीयों का एक छोटा समूह डोनाल्‍ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के साथ भी है।
महाराष्ट्र चुनावः शरद गुट की चौथी लिस्ट जारी, अनिल देशमुख की जगह बेटे को मिला टिकट

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शरद पवार के गुट वाली एनसीपी एसपी ने सात उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की है। इस नई सूची में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख के बेटे का भी नाम शामिल है। सलिल देशमुख को कटोल से टिकट दिया गया है।

पार्टी की ओर से 24 अक्टूबर को शरद पवार गुट की ओर से 45 उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा की गई. इसके बाद 26 तारीख को 22 उम्मीदवारों की घोषणा की गई। इसके तुरंत बाद 27 अक्टूबर को 9 उम्मीदवारों की तीसरी सूची की घोषणा की गई। इसके बाद आज 7 उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी की गई है। विधानसभा चुनाव के लिए एनसीपी शरद पवार गुट की ओर से अब तक 83 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा हो चुकी है। हालांकि, एक सीट पर उम्मीदवार को बदला गया है।

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिनमें से एक सीट पर प्रत्याशी को बदला गया है। काटोल सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जगह उनके बेटे सलील देशमुख को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इससे पहले इस सीट से पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन अब इसमें थोड़ा बदलाव किया गया है। अब पार्टी ने अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख को उम्मीदवार बनाया है।

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की ओर से अब तक 266 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें शरद पवार गुट की ओर से 82 तो उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना की ओर से 83 सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। कांग्रेस की ओर से अब तक 4 लिस्ट जारी हुई जिसमें 101 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। हालांकि, महाविकास अघाड़ी में अभी कुछ सीटों को लेकर मतभेद बताया जा रहा है।यही वजह है कि पूरी सीटों पर उम्मीदवार अभी तक नहीं उतारे जा सके हैं।

कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप? जानें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किसे मिल रहा भारतीयों का समर्थन

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अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। देश की दो सबसे बड़े दलों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की ओर से कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं। जहां पहले भी एक बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं तो वहीं कमला हैरिस वर्तमान में उप राष्ट्रपति हैं।चुनावी सर्वेक्षण में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। अभी दो लेटेस्ट सर्वे में दोनों के बीच टाइट फाइट दिख रही है। सीबीसी न्यूज और एबीसी न्यूज के चुनावी सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच 19-20 का ही फर्क दिख रहा है। इस बीच एक नए सर्वे में अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी नागरिकों का डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति झुकाव कम होता दिख रहा है।जबकि रिपब्लिकन पार्टी के प्रति झुकाव रखने वाले मतदाताओं के आंकड़े में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

रिसर्च और एनालिटिक्स फर्म YouGov के साथ मिलकर कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस सेंटर द्वारा एक सर्वे किया गया है, जिसे '2024 इंडियन-अमेरिकन एटीट्यूड्स' नाम दिया गया है।सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इस बार भारतीय अमेरिकी मतदाताओं में रिपब्लिकन पार्टी के लिए समर्थन में भी बढ़ोतरी देखी गई है। कई लोग इस बार ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। यह सर्वे 18 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच 714 भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के साथ किया गया था।

सर्वेक्षण के अनुसार, पंजीकृत भारतीय-अमेरिकी मतदाता उत्तरदाताओं में से 61 प्रतिशत हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं जबकि 32 प्रतिशत ट्रंप को वोट देने का इरादा रखते हैं। इसमें कहा गया है कि 2020 के बाद से ट्रंप को वोट देने के इच्छुक उत्तरदाताओं की हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि देखी गई है।दूसरी ओर, 67 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी महिलाएं हैरिस को वोट देने की योजना बना रही हैं जबकि 53 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि वे हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं। 

बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय मूल के 52 लाख से अधिक लोग रहते हैं। 2022 के आंकड़ों के आधार पर, अमेरिका में लगभग 26 लाख पात्र भारतीय-अमेरिकी मतदाता हैं। भारतीय अमेरिकियों की औसत घरेलू आय लगभग 153,000 अमेरिकी डॉलर है, जो देश के अन्य समुदायों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।भारतीय-अमेरिकी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह हैं। समुदाय की तीव्र जनसांख्यिकीय वृद्धि, राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर और भारतीय अमेरिकियों की उल्लेखनीय व्यावसायिक सफलता के कारण भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक काफी अहम बनकर उभरे हैं।

ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

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इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

कमला हैरिस की स्वीकारोक्ति से पता चला मतदाताओं के दूर होने का कारण

अमेरिकी चुनाव में दस दिन से भी कम समय बचा है, और कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रम्प की मर्दाना, अप्रवासी विरोधी बयानबाजी का मुकाबला करने के लिए एक सम्मोहक कहानी गढ़ने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिसे एलन मस्क और टकर कार्लसन जैसे लोगों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।

यद्यपि राष्ट्रीय मतदान औसत अभी भी दोनों उम्मीदवारों के बीच बहुत कम अंतर का संकेत देता है, लेकिन अब संभावनाएँ डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में झुक रही हैं। तो, कमला की शुरुआती बढ़त मतदाताओं के बीच कैसे कमज़ोर हो गई? उन्होंने हाल ही में CNN टाउनहॉल में इस सवाल का जवाब दिया है। "आपकी कमज़ोरियाँ क्या हैं?" खुदरा कर्मचारी जो डोनह्यू ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को अपनी कमज़ोरियों को उजागर करने के लिए प्रेरित किया। "कुछ लोग इसे कमज़ोरी कह सकते हैं, खासकर तब जब आप किसी साक्षात्कार में हों या आपसे कोई निश्चित प्रश्न पूछा जा रहा हो, और आपसे तुरंत सही उत्तर देने की अपेक्षा की जाती हो," उन्होंने अपने प्रश्नकर्ता और CNN होस्ट एंडरसन कूपर के बीच अनिर्णायक रूप से कहा। "लेकिन मैं इसी तरह काम करती हूँ।"

हैरिस ने कभी-कभी मौके पर जवाब देने में संघर्ष करने की बात स्वीकार की, आलोचकों का कहना है कि यह उनके अभियान के व्यापक मुद्दों का प्रतीक है।

मतदान के कड़े होने के बाद, हैरिस की चुनौती दोहरी है, खुद को डोनाल्ड ट्रम्प और अपने पूर्व साथी जो बिडेन से अलग करते हुए अपना रास्ता खुद तय करना। बिडेन की नीतियों से अपने अभियान को अलग करने के प्रयासों में किराने की लागत कम करने और संघीय न्यूनतम वेतन बढ़ाने का संकल्प शामिल है। लेकिन ठोस मीडिया रोलआउट के बिना, न्यूनतम वेतन बढ़ाने जैसी उनकी नई पहल भी मुश्किल से ही कोई हलचल पैदा कर पाई है।

मिशिगन और विस्कॉन्सिन जैसे स्विंग राज्यों में, ट्रम्प की गति स्पष्ट है, और हैरिस का खेमा मानता है कि दांव ऊंचे हैं। ट्रम्प के "फासीवादी" झुकाव की तीखी भाषा और तीखी आलोचनाओं के साथ, "झगड़े से ऊपर उठने" की उनकी शुरुआती रणनीति में बदलाव होता दिख रहा है। हालांकि, अंतिम सवाल बना हुआ है कि क्या हैरिस अपनी स्थिति बना पाएंगी और अंतिम चरण में अनिर्णीत मतदाताओं को आकर्षित कर पाएंगी?

जातिगत जनगणना होगी या नहीं? सेंसस कराए जाने की खबर के बीच कांग्रेस ने पूछे बड़े सवाल

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केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगले साल से जनगणना शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक, 2025 से शुरू होकर 2026 तक चलेगी। इसको लेकर अब कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस जाति जनगणना को लेकर बीजेपी से सवाल पूछ रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करके कहा, जाति जनगणना कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकार ने इसके लिए रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल को एक्सटेंशन दे दिया है, जिसके लिए अधिसूचित भी जारी कर दी गई है। इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के एक्सटेंशन को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है। इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से विलंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी। लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।

इन दो मुद्दों पर उठाए सवाल

-कांग्रेस नेता ने कहा कि 1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में जातिगत जनगणना भी शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

-क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि ऐसे किसी पुनर्गठन का वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके रिजल्ट का प्रकाशन आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुकसान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं?

साथ ही कांग्रेस नेता ने सरकार से ये भी मांग की की वो इन दो मुद्दों पर स्पष्टता के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाए। उन्होंने कहा इन सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही यही होगा कि जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावः वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे के खिलाफ शिंदे का 'देवड़ा दांव' कितना होगा कामयाब?

#milinddeoravsadityathakcrayinmumbaiworliseat 

महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। असली-नकली शिवसेना की लड़ाई के लिहाज से निर्णायक माने जा रहे महाराष्ट्र चुनाव में वर्ली की फाइट रोचक हो गई है। शिवसेना यूबीटी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच फाइट में किसी सीट की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह है वर्ली सीट। वर्ली सीट अब प्रदेश की हॉट सीट बन चुकी है। इसकी वजह है आदित्य ठाकरे और मिलिंद देवड़ा का चुनाव मैदान में मने सामने होना।वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे के खिलाफ शिंदे की शिवसेना ने मिलिंद देवड़ा को उम्मीदवार बनाया है।

शिवसेना यूबीटी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच वैसे तो कई सीटों पर सीधा मुकाबला है, लेकिन वर्ली सीट की फाइट इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे खुद चुनाव मैदान में हैं जिनके सामने शिंदे की सेना ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को उतारा है। ऐसे में अब चर्चा इस बात की हो रही है आदित्य ठाकरे के सामने शिंदे गुट ने मिलिंद देवड़ा को प्रत्याशी क्यों बनाया है?

एकनाथ शिंदे का मास्टर स्ट्रोक

बता दें कि मिलिंद देवड़ा दक्षिण मुंबई से सांसद रह चुके हैं। वहीं वर्ली सीट भी दक्षिण मुंबई के अतंर्गत ही आती है, जिसे देवड़ा परिवार का गढ़ माना जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी देवड़ा इस सीट के प्रभारी थे।शिंदे ने मिलिंद देवड़ा को उतारकर पार्टी को परसेप्शन की लड़ाई में सबसे आगे कर दिया है। पार्टी ने लोगों को यह मैसेज देने की कोशिश की है कि वह किसी से कम नहीं है।शिंदे इस कदम के जरिए यह सियासी मैसेज देने में सफल रहे कि उनके पास भी अनुभवी नेताओं की कमी नहीं है।

वर्ली सीट पर शिंदे ने मजबूत उम्मीदवार उतारकर एनसीपी और शिवसना को एक सीट पर उलझाने की रणनीति बनाई है। वर्ली सीट पर अनुभवी और वरिष्ठ नेता को प्रत्याशी बनाए जाने पर अब ठाकरे परिवार का पूरा ध्यान वर्ली सीट पर रहेगा। कोंकण शिवसेना का गढ़ रहा है। इसमें मुंबई और ठाणे भी आते हैं। इसका फायदा शिंदे की पार्टी को अन्य सीटों पर मिलेगा। वह उद्धव की तुलना में और ज्यादा मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी।

वर्ली सीट शिवसेना का गढ़

मुंबई की वर्ली सीट शिवसेना का गढ़ मानी जाती है। मुंबई की इस सीट पर उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे अभी विधायक हैं।2019 के चुनावों में आदित्य ठाकरे बड़े अंतर से जीते थे। तब उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुरेश माने को 67 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया था। देवड़ा की एंट्री से पहले तक आदित्य ठाकरे का पलड़ा भारी था। अब इस सीट रोचक लड़ाई होगी।अब देखना है कि वर्ली सीट जाे शिवसेना का गढ़ है। वहां पर चुनाव में किसे जीत मिलती है? देवड़ा को वर्ली से उतारकर एकनाथ शिंदे ने यह साफ कर दिया है कि वह हर सीट को सीरियसली ले रहे हैं।

वक्फ बोर्ड के लिए बनी जेपीसी की बैठक में फिर विवाद, विपक्षी सांसदों ने किया वॉकआउट, पिछली बार टूटी थी कांच की बोतल

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वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में फिर हंगामा हो गया। विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। वॉकआउट करने वाले सदस्यों में आप के संजय सिंह, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन सहित कई नाम हैं।हालांकि, थोड़ी देर बाद वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक में विपक्ष के सांसद फिर से शामिल हुए। दरअसल, विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुति में कुछ बदलाव किए थे।

संसद भवन परिसर में आज वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक चल रही है।यह बैठक संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में की गई। इस दौरान विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रस्तुतिकरण का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि समिति के समक्ष पेश हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुतिकरण में बदलाव किया है।

आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह, द्रमुक सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन और मोहम्मद जावेद समेत अन्य कुछ विपक्षी सदस्य बैठक छोड़कर बाहर निकल गए।विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वक्फ बोर्ड की प्रारंभिक रिपोर्ट को पूरी तरह बदल दिया।

इससे पहले वक्फ बिल के लिए जेपीसी की बैठक में जोरदार झड़प हुई थी। बैठक भाजपा और टीएमसी के बीच ये झड़प हुई थी। इसमें कल्याण बनर्जी घायल हो गए थे। जानकरी के अनुसार, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने वहां रखी एक गिलास पानी की बोतल उठाई और मेज पर दे मारी और दुर्घटनावश खुद को चोट पहुंचा ली थी। इसके बाद कल्याण बनर्जी को संस्पेंड कर दिया गया था। बीजेपी ने आरोप लगे था कि गुस्से में कल्याण बनर्जी ने पानी की बोतल को मेज पर पटक दिया था। इसके उन्होंने इसे चेयरमैन की तरफ उछाला था। इस वजह से उन्हें ये चोट लग गई थी। वहीं, विपक्ष ने इस घटना के लिए बीजेपी सांसदों को जिम्मेदार बताया था।