BRICS: भारत के लिए कितना अहम, पीएम मोदी का सम्मेलन में शामिल होना कितना फायदेमंद*
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए रूस पहुंच गए हैं। पीएम मोदी कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। पुतिन ने खुद भारतीय प्रधानमंत्री को द्विपक्षीय वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। 22 और 23 अक्तूबर को होने वाले इस सम्मेलन की अध्यक्षता रूस करेगा। इस साल यह समिट भारत के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले साल ब्रिक्स के विस्तार के बाद हो रहा यह पहला सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साल 2009 में रूस की पहल पर BRIC की स्थापना की गई थी। इसमें ग्रुप में ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। अगले ही साल यानी 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने से यह ब्रिक्स हो गया। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मंच के रूप में उभर रहा है, जिसमें नई ताकतें शामिल हो रही हैं। 2023 के सम्मेलन में सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, और यूएई जैसे देशों की सदस्यता ने इसे और व्यापक बना दिया। ब्रिक्स अब 60 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी और 37.4 प्रतिशत वैश्विक सकल उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसे group of seven (G7) से भी ज्यादा शक्तिशाली बनाता है। इस बढ़ते संगठन की भूमिका आने वाले दशकों में वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल सकती है और भारत की इसमें भागीदारी इसे और मजबूत कर रही है। इस समूह को बनाने का उद्देश्य तेजी से बढ़ और विकसित हो रहे देशों को साथ लाना था, जिससे वे पश्चिमी शक्तियों के आधिपत्य वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के सामने अपनी बात रख सकें और अपनी चिंताओं से अवगत करा सकें। इसका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में आपसी आर्थिक सहयोग बढ़ाना है, जिससे विकसित देश खासकर पश्चिमी देश इन पर अपनी नीतियों को थोप न पाएं। इसके चलते इस समूह के मकसद में विकासशील और विकसित देशों में तालमेल कायम रखना भी है। साथ ही एक-दूसरी से राजनीतिक संबंध, एक-दूसरी की संस्कृति की रक्षा करना भी इसमें शुमार है। सीधे-सीधे कहें तो इसका लक्ष्य अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के आधिपत्य वाली वैश्विक व्यवस्था को चुनौती देना है। वैसे तो ब्रिक्स किसी देश के खिलाफ नहीं है पर विकासशील देशों की आवाज उठाने के लिए सशक्त मंच के रूप में देखा जाता है। *ब्रिक्स भारत के लिए मजबूत वैश्विक मंच* भारत हमेशा से ब्रिक्स जैसे संगठनों के लिए प्रतिबद्ध रहा है। यह वास्तव में एक बहुध्रुवीय दुनिया देखना चाहता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मसलों पर पश्चिमी देशों का आधिपत्य न हो। पिछले साल ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इसका स्पष्ट संदेश भी दे चुके हैं कि दुनिया अब बहुध्रुवीय है और अब इसे पुराने नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। वैसे भी ओआरएफ के आर्टिकल में कहा गया है कि भारत हमेशा से बहुत से मंचों के जरिए वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है। ब्रिक्स भी भारत के लिए एक ऐसा ही मंच है, जिसके जरिए वह वैश्विक साउथ की आवाज बन रहा है। *पीएम मोदी-शी जीनपिंग की मुलाकात!* 16 वें ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी न सिर्फ भारत-रूस संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। साल 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस सम्मेलन में मुलाकात की पूरी संभावना है। यह बैठक दोनों देशों के बीच संबंधों की बहाली के लिए अहम मानी जा रही है। चीन और भारत के बीच लगातार तनाव के बावजूद, इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी पर नए सिरे से बातचीत की उम्मीद है। *एर्दोगान के बदले रुख के मायने* वहीं, तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगान के साथ पीएम मोदी की मुलाकात को दोनों देशों के बीच आपसी तल्खी दूर करने के तौर पर देखे जाने की संभावना है। तुर्की के राष्ट्रपति पिछले कुछ वर्षों से संयुक्त राष्ट्र व दूसरे मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाते थे लेकिन इस साल संयुक्त राष्ट्र की सालाना अधिवेशन में उन्होंने ऐसा नहीं कहा है। यह उनकी तरफ से भारत को एक सकारात्मक संकेत भेजने के तौर पर देखा गया है।
शांति से हो हर समस्या का समाधान', कजान में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले पीएम मोदी

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए मंगलवार को रूस पहुंच गए हैं। कजान पहुंचने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का औपचारिक तौर पर स्वागत किया। राष्ट्रपति पुतिन ने इस दौरान पीएम मोदी से कहा कि हमारे संबंध बहुत पुराने हैं। उन्होंने भारत और रूस को ब्रिक्स के मूल सदस्य देश बताया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने स्वागत के लिए पुतिन का धन्यवाद किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं आपकी (पुतिन) मित्रता और गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। इस शहर के साथ भारत के गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। कजान में भारत के नए कांसुलेट खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे। पिछले 3 महीनों में मेरा दो बार रूस आना हमारे करीबी समन्वय और गहरी मित्रता को दर्शाता है।

शांति से हो रूस-यूक्रेन के संघर्ष का समाधान- पीएम मोदी

मोदी ने पुतिन के सामने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर लगातार आपके संपर्क में रहा हूं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। हम शांति और स्थिरता की जल्द स्थापना का पूरा समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयासों में मानवता को प्राथमिकता दी जाती है। भारत आने वाले समय में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

पुतिन ने क्या कहा

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मुझे याद है कि जुलाई में हमारी मुलाकात हुई थी और कई मुद्दों पर हमारी बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। हम कई बार टेलीफोन पर भी बात कर चुके हैं। कजान आने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। आज हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे और उसके बाद रात्रिभोज करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य नेताओं के साथ मिलकर हमें कुछ बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली है। हमारी परियोजनाएं लगातार विकसित हो रही हैं। आपने कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है। हम इसका स्वागत करते हैं। भारत की नीतियों से हमारे सहयोग को फायदा होगा। हमें आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुशी हुई।

भारतीय सेना विवादित पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स पर फिर से पेट्रोलिंग कर सकेगी, भारत चीन दोनों देशों के बीच के रिश्तों में दिखी नरमी

भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने पर सहमति बन गई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है।

भारतीय विदेश सचिव ने भी इस समझौते की जानकारी दी, जिसके अनुसार दोनों सेनाएं अब अपनी पुरानी स्थिति पर लौटेंगी। इस समझौते के तहत भारतीय सेना विवादित पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स पर फिर से पेट्रोलिंग कर सकेगी, जिससे दोनों देशों के बीच के रिश्तों में थोड़ी नरमी देखने को मिली है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का समाधान करने की दिशा में एक नई शुरुआत है। पिछले कुछ समय में, विशेष रूप से 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से, दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया था। हालांकि, हाल की बातचीत के चलते यह आशा की जा रही है कि संबंधों में सुधार हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछली बार 2023 में ब्रिक्स बैठक के दौरान बातचीत हुई थी, लेकिन तब कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो पाई थी। जियोपॉलिटिक्स में हुए बदलावों के कारण चीन को पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वह थोड़ी बैकफुट पर नजर आ रहा है।

2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने केवल 4 सैनिकों की मौत की पुष्टि की थी। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खी आई थी, लेकिन हाल का समझौता एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।

ज्यादा बच्चे पैदा करने की पैरवी नायडू-स्टालिन, जानें क्या डर सता रहा दोनों नेताओं को

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भारत की आबादी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। इसकी शुरूआत दक्षिण के राज्यों से ही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपने-अपने राज्यों के लोगों से कहा है कि अधिक बच्चे पैदा करें। आंध्र प्रदेश के सीएम ने राज्य की 'वृद्ध होती आबादी' का मुद्दा उठाया, जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 तक होने वाले परिसीमन के लिए 'समाधान' के रूप में '16 बच्चे' पालने वाले दंपतियों की बात की। मामले को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को जनसांख्यिकीय परिवर्तन के मुद्दे को परिसीमन प्रक्रिया से जोड़ते हुए सुझाव दिया कि राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। तमिनलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं। स्टालिन ने कहा कि अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने जनगणना और लोसकभा परिसीमन प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि नवविवाहित जोड़े अब कम बच्चे पैदा करने का विचार त्याग सकते हैं।

स्टालिन की यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तरफ से अधिक बच्चे पैदा करने की इसी तरह के बयान के एक दिन बाद आई है। इससे पहले नायडू ने रविवार को घोषणा की कि उनका प्रशासन एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहा है जिसके तहत केवल दो या उससे अधिक बच्चे वाले व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने राज्य की बढ़ती उम्र की आबादी और जनसांख्यिकीय संतुलन पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था।

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में आबादी बूढ़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने जीवनकाल में दो से अधिक बच्चों को जन्म देना चाहिए। आंध्र प्रदेश की जन्म दर प्रति महिला 2.1 जीवित जन्मों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। नायडू का कहना था कि हमें अपनी जनसंख्या को मैनेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2047 तक, हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश होगा, अधिक युवा होंगे। 2047 के बाद, अधिक बूढ़े लोग होंगे। ऐसे में यदि दो से कम बच्चे (प्रति महिला) जन्म लेते हैं, तो जनसंख्या कम हो जाएगी। यदि आप (प्रत्येक महिला) दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, तो जनसंख्या बढ़ेगी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिणी राज्यों को 2026 में होने वाले परिसीमन के कारण संसदीय प्रतिनिधित्व में संभावित बदलावों का सामना करना पड़ रहा है। अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है, तो 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा। थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रकाशित ‘भारत के प्रतिनिधित्व का उभरता संकट’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में तमिलनाडु और केरल राज्य मिलकर 16 सीटें खो देंगे।

वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में बवाल, टीएमसी के कल्याण बनर्जी घायल, जानें पूरा मामला

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वक्‍फ बोर्ड बिल को लेकर बनाई गई ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मंगलवार को बैठक हुई।बैठक में भाजपा और टीएमसी के सांसदों के बीच झड़प हो गई। बताया जा रहा कि इस झड़प में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए हैं। 

दरअसल, वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी को इतना गुस्‍सा आ गया कि उन्‍होंने पानी की बोतल पहले मेज पर पटकी और फिर जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल की तरफ उछाली दी। इस घटनाक्रम के दौरान बनर्जी के हाथ में भी चोट आई। उन्‍हें चार टांके आए हैं।

कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जा सकता है

बताया जा रहा है कि वक्फ पर जेसीसी की बैठक में कटक से कुछ लीगल एक्सपर्ट आए थे.. अपनी बात रख रहे थे..कल्याण बनर्जी ने कहा मुझे कुछ पूछना है तो चेयरमैन ने कहा आप पहले भी कई बार बोल चुके हैं। अब नहीं, इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच झड़प हो गई। इस बीच कल्याण बनर्जी की पानी की बोतल तोड़ी और चेयरमैन की तरफ फेंका, अब जेपीसी में मोशन पास किया जा सकता है.. कल्याण बनर्जी को संस्पेंड किया जा सकता है।

सोमवार को भी हुई थी तकरार

इससे पहले सोमवार को भी बैठक में हंगामा हुआ था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के दौरान सत्ताधारी बीजेपी और एनडीए सांसदों और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी तकरार और नोंकझोंक हुई थी। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। इस दौरान बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।

बैठक की शुरुआत में वक्फ बिल के प्रस्तावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के सामने करीब 1 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया और इसकी खामियों को गिनाया। जब ओवैसी प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब ओवैसी और बीजेपी सांसद के बीच तीखी तकरार हुई। शोर शराबे के बीच वक्फ बिल पर बैठक करीब 7 घंटे चली।

राम रहीम के खिलाफ पंजाब सरकार ने मुकदमा चलाने की दी मंजूरी, जानें क्या है पूरा मामला*
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जेल में बंद गुरमीत राम रहीम को बड़ा झटका लगा है।पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 2015 के बेअदबी मामलों के सिलसिले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद आया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक को हटा लिया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी मामलों में चार दिन पहले ही स्टे हटाया था। राम रहीम के खिलाफ 9 साल पुरानी फाइल खुल गई है। 2015 के बेअदबी मामलों में राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर पंजाब सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में केस चलाने की इजाजत दी। इससे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की मुश्किल बढ़ गई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ कार्रवाई पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक हटा दी। इससे राम रहीम के खिलाफ केस चलाने का रास्ता साफ हो गया। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने नोटिस भी जारी किया। *क्या है 9 साल पुराना केस* पूरा मामला जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुआ था। जिसके बाद फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी साल अक्टूबर में बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए पन्ने बिखरे हुए पाए गए। इस मामले की कार्रवाई के लिए बाबा गुरमीत पर धारा 295ए के तहत मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी था। इसके बाद पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस घटना के चलते पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। तीन दिन पहले कोर्ट से मिली अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने तीन दिन पहले सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी थी। लगभग ढाई वर्ष पहले पुलिस ने सिरसा डेरा प्रमुख के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी लेकिन हाईकोर्ट ने तीनों मामलों पर रोक लगा दी थी।
भारत-चीन गतिरोध होगा खत्म, भारत के साथ समझौते की चीन ने भी पुष्टि
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भारत और चीन के बीच बीते कई वर्षों से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध अब समाप्त होता हुआ नजर आ रहा है। पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध समाप्त करने के लिए भारत-चीन के साथ समझौता हो गया है।एलएसी पर गतिरोध खत्म होने को लेकर चीन ने भी बयान जारी कर दिया है। चीन ने गतिरोध खत्म होने और भारत के साथ समझौता होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सहमति बनी है। गौरतलब है कि कल ही इसे लेकर भारत के विदेश सचिव ने भी बयान जारी किया था।

*सीमा समझौते पर चीन ने क्या कहा*
विवादित क्षेत्रों में सीमा गश्त पर चीन और भारत के बीच समझौते के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने वर्तमान समझौते की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत ने सीमा से संबंधित मुद्दों के बारे में कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है।
लिन जियान ने कहा कि वर्तमान में, दोनों पक्ष (भारत-चीन) मामलों को लेकर एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसे चीन सकारात्मक रूप से देखता है। लिन ने कहा कि अगले चरण में, चीन समाधान योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भारत के साथ काम करेगा।

*भारत ने समझौते पर क्या कहा था*
इससे पहले सोमवार को भारत ने घोषणा की थी कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, ‘पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक तथा सैन्य वार्ताकार कई प्लैटफॉर्मों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में हैं। इस चर्चा के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर गश्त को लेकर सहमति बनी है। इस समझौते से सैनिकों की वापसी होगी और 2020 में उठे मुद्दों का समाधान होगा। हम इस पर अगला कदम उठाएंगे।

*गलवां घाटी झड़प के बाद से गतिरोध*
इस समझौते को पूर्वी लद्दाख में चार वर्ष से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे भीषण सैन्य झड़प थी।
दिल्ली के बाद देश के कई सीआपीएफ स्कूलों में बम विस्फोट की धमकी,जानें क्या है पूरा मामला?
#bomb_threats_to_crpf_schools_across_country
दिल्ली समेत देशभर में स्थित कई स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी का मामला सामने आया है।  देश में सीआरपीएफ द्वारा संचालित कई स्कूलों को बम की धमकी मिली है। धमकी मिलने के बाद पुलिस बल अलर्ट पर है और धमकियों की जांच की जा रही है। सीआरपीएफ के स्कूल्स को बम से उड़ाने का धमकी भरा ईमेल आया है। सोमवार रात ये मेल देश के कई स्कूलों को आया। जांच के बाद स्कूलों में कुछ नहीं मिला। मेल भेजने वाले ने सुबह 11 बजे तक सभी सीआरपीएफ स्कूलों में बम से उड़ाने की धमकी दी थी। बता दें कि देश में इन दिनों विभिन्न एयरलाइंस भी बम की धमकी मिलने का सिलसिला जारी है।

खास बात है कि ई-मेल भेजने वालों ने मेल को लिस्टेड स्कूल के कमरों में नाइट्रेट आधारित आईईडी ब्लास्ट करने की बात कही है। ईमेल भेजने वाले ने सुबह 11 बजे से पहले सभी स्कूलों को खाली करने के लिए भी कहा है।

दिल्ली के जिन दो सीआरपीएफ स्कूलों को बम ले उड़ाने की धमकी मिली थी उनमें से एक रोहिणी और एक द्वारका में है। इस मेल का रोहिणी के प्रशांत विहार में हुए धमाके से कोई लिंक नही है। जानकारी के अनुसार, सीआरपीएफ के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी का सोमवार रात मेल मिला। सूत्रों के मुताबिक, यह धमकी सोमवार देर रात इन स्कूलों के प्रबंधन को भेजे गए एक ईमेल के जरिए दी गई। जांच में बम धमाके की जानकारी अफवाह निकली।

इससे पहले दिल्ली के रोहिणी में सी.आर.पी.एफ. स्कूल में पहले ही धमाका हो चुका है। इस बम विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ था, लेकिन आसपास की दुकानों और वाहनों को शीशे टूट गए थे। इस धमाके को लेकर अभी भी सुरक्षा एजेंसिया अभी भी कुछ ठोस जानकारी नहीं हासिल कर पाई हैं। इसे अब भी रहस्यमय विस्फोट बताया जा रहा है। इस मामले में आरोपी अभी भी फरार हैं।

दिल्ली के सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए बम विस्फोट में दिल्ली पुलिस खालिस्तान कोण से जांच कर रही है। दरअसल सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में दावा किया गया है कि सीआरपीएफ स्कूल के पास हुआ बम धमाका भारतीय एजेंट्स द्वारा खालिस्तान समर्थकों को निशाना बनाने के जवाब में किया गया है। सीसीटीवी कैमरों की जांच में पुलिस को एक संदिग्ध भी दिखा है, जिसकी पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है।
इंडिगो-विस्तारा और एयर इंडिया की 30 विमानों को मिली बम से उड़ाने की धमकी,क्या कर रही सरकार
#30_flights_operated_by_indian_airlines_received_bomb_threats

देश में विमानों को बम से उड़ाने की धमकी देने की सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश भर की तमाम एयरलाइन कंपनियों के विमानों में बम की धमकी मिलने का सिलसिला कई दिनों से जारी है। सोमवार रात को भी 30 विमानों में बम होने की धमकी दी गई। अब देश की 30 फ्लाइट्स को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। इनमें इंडिगो एयरलाइंस और विस्तारा और एयर इंडिया की फ्लाइट्स हैं। जिन विमानों में बम की धमकी मिली हैं, उनमें ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय हैं।बता दें कि पिछले 8 दिन में अब तक 120 से ज्यादा विमानों को बम हमले की धमकी मिल चुकी है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, भारतीय एयरलाइन्स द्वारा संचालित 30 डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स को बम से उड़ाने की धमकी मिली। मामले से जुड़े सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि बम से उड़ाने की धमकी पाने वालों में इंडिगो, विस्तारा, अकासा और एयर इंडिया की उड़ानें शामिल हैं।

*इंडिया ने क्या कहा*
इंडिगो के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि सोमवार को उसकी चार उड़ानों को सुरक्षा संबंधी अलर्ट मिले। इनमें मंगलुरु से मुंबई आ रही 6E164 फ्लाइट, अहमदाबाद से जेद्दा जा रही 6E 75 फ्लाइट, हैदराबाद से जेद्दा जा रही 6E67 फ्लाइट और लखनऊ से पुणे आ रही 6E 118 शामिल हैं।

*एयर इंडिया को भी मिली धमकी*
वहीं, एक एयर इंडिया के प्रवक्ता ने भी इस बात की पुष्टि की कि सोमवार को उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की कुछ उड़ानों को धमकी मिली थी। निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए संबंधित अधिकारियों को तुरंत सतर्क किया गया और नियामक अधिकारियों तथा सुरक्षा एजेंसियों के मार्गदर्शन के अनुसार सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया गया।

*120 से अधिक विमानों को मिल चुकी है धमकी*
पिछले एक सप्ताह में भारतीय विमानन कंपनियों की 120 से अधिक उड़ानों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। नागर विमानन मंत्री के राममोहन नायडू ने सोमवार को कहा था कि बम की धमकी अफवाह है, लेकिन इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस बीच, सरकार एयरलाइनों को बम की धमकी से निपटने के लिए विधायी कार्रवाई की योजना बना रही है, जिसमें अपराधियों को नो-फ्लाई सूची में रखना शामिल है।

*सख्त कानून लाने की तैयारी में सरकार*
इससे पहले सोमवार को सिविल एविएशन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा था कि हम इन्हें हल्के में नहीं ले सकते। हम इसके खिलाफ सख्त कानून लाएंगे। ऐसी धमकी देने वालों के नाम ‘नो फ्लाई लिस्ट’ में शामिल किए जा सकते हैं। सरकार विमानन सुरक्षा नियमों और नागरिक विमानन सुरक्षा के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों का दमन अधिनियम, 1982 में संशोधन की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) इस मुद्दे पर लगातार गृह मंत्रालय के संपर्क में है।
बाहर निकले तो जान से मार डालूंगा… मप्र के भाजपा सांसद को मिली जान से मारने की धमकी, पाकिस्तान के नंबर से आया कॉल


मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के सांसद को हत्या करने की धमकी दी गई है। सांसद विवेक बंटी साहू को इस संबंध में एक मोबाइल कॉल किया गया। बीजेपी के सांसद के मुताबिक मोबाइल पर कॉलर ने कहा कि बाहर निकले तो जान से मार डालूंगा। सांसद का मोबाइल उनके करीबी बीजेपी नेता अरविंद राजपूत के पास था तभी +92 से शुरू होने वाले नंबर से कॉल आया। उन्होंने लाउड स्पीकर मोड पर डालकर सांसद विवेक साहू को मोबाइल दिया। सांसद विवेक बंटी साहू से कॉलर ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पुलिस को इस मामले की शिकायत की गई है। पता चला है कि सांसद को जान से मारने की धमकी देने का फोन पाकिस्तान से आया है। छिंदवाड़ा सांसद विवेक बंटी साहू ने बताया कि सोमवार को दोपहर में उन्हें मोबाइल कर जान से मारने की धमकी दी गई। दोपहर करीब 3.30 बजे मोबाइल पर वॉट्सऐप कॉल आया। रिसीव करते ही कॉलर ने सांसद विवेक बंटी साहू को अपशब्द कहे। उसने चेतावनी दी कि बाहर निकलना भूल जाओ। मैं तुम्हें जान से मार डालूंगा। सांसद विवेक बंटी साहू को वॉट्सऐप कॉलिंग पर +92 कोड से 3471933240 नंबर से फोन आया था। +92 पाकिस्तान का कंट्री कोड है। धमकी मिलने के बाद सांसद के करीबी बीजेपी नेता अरविंद राजपूत ने पुलिस को मामले की सूचना दी। उन्होंने कोतवाली थाने में मामले की लिखित शिकायत भी की है। अरविंद राजपूत के अनुसार सांसद विवेक बंटी साहू का मोबाइल मेरे हाथ में था तभी एक कॉल आया। यह नंबर विदेश का लगा तो मैंने लाउड स्पीकर पर डालकर सांसद को मोबाइल दे दिया। जैसे ही उन्होंने कहा कि मैं सांसद विवेक बंटी साहू बोल रहा हूं तो कॉलर ने कहा कि मैं तुम्हें जान से मार दूंगा। इस संबंध में कोतवाली टीआई उमेश गोल्हनी ने बताया कि सांसद विवेक बंटी साहू के मोबाइल पर पाकिस्तान से फोन आया। कॉलर ने उन्हें धमकी देते हुए कहा कि तुम और तुम्हारे बॉस ज्यादा बाहर निकलते हो। बाहर निकलना भूल जाओ, मैं जान से मार दूंगा। मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरु की है।