जयपुर में हिंदू परिवार पलायन करने को क्यों हुए मजबूर, घरों के बाहर लगे पोस्टर, जानें क्या लिखा

#migration_of_hindu_families_in_jaipur

राजस्थान की राजधानी जयपुर की शिवाजी कॉलोनी में रहे रहे हिंदू परिवार अपना मकान बेच कर धीरे-धीरे पलायन कर रहे हैं।हिंदूओं ने मुस्लिमों पर परेशान करने का आरोप लगाया है। उनका है कि वे मुस्लिम समुदाय की ज्यादतियों से परेशान हो रहे हैं। वे हिन्दुओं को अलग अलग तरीके से घर बेचने पर मजबूर कर रहे हैं। वहीं, हिंदू परिवारों का पलायन रोकने के लिए घरों और दुकानों के बाहर पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं। हिंदू परिवारों के पलायन के रोकने के लिए कुछ परिवारों ने पोस्टर लगाए हैं और कहा है कि वह अपना घर अगर बेच रहे हैं तो केवल हिंदू परिवार को ही बेचें।बता दें कि इससे पहले राजधानी जयपुर के किशनपोल और ब्रह्मपुरी में भी हिंदुओं के पलायन की घटनाएं हुई है।

ताजा मामला है जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में स्थित शिवाजी कॉलोनी का। शिवाजी कॉलोनी में रह रहे हिंदू परिवारों ने बताया कि वो काफी सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन अब ये कॉलोनी सुरक्षित नहीं रह गई है। यहां कभी पत्थरबाजी होती है तो कभी उनकी बच्चियों से छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। अब उन लोगों की पलायन जैसी नौबत आ गई है।अपनी शिकायत लेकर स्थानीय थाने पहुंचे स्थानीय वाशिंदों का आरोप था कि उनकी बहन बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। समुदाय विशेष के लोग जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और करा रहे हैं।

जहां एक तरफ लोग अपने घरों को बेचने पर मजबूर हैं, वहीं दूसरे हिंदू परिवारों ने अपने घरों के बाहर पलायन को रोकने वाले पोस्टर्स लगाए हैं। इन पोस्टर्स पर लिखा है कि,सनातनियों से अपील है कि पलायन को रोकें, सभी सनातन भाई-बहनों से निवेदन है कि अपने घर गैर हिंदुओं को न बेचें।हिंदू परिवार के लोगों ने सरकार से मांग की है कि यहां गैर हिंदुओं को घर खरीदने से रोका जाए, जिससे हिंदुओं को पलायन के लिए विवश न होना पड़े।

नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, जम्मू क्षेत्र में तेज हुए आतंकी हमलों में पाक सेना के शामिल होने के मिले सबूत
#evidence_of_direct_involvement_of_pakistan_army_in_terror_attacks_in_Jammu_region जम्मू-कश्मीर में अचानक से आतंकी हमलों और साजिशों में तेजी देखी गई है। जम्मू में पिछले दिनों 4 दिनों के अंदर 4 आतंकी हमले हुए। पाकिस्तान और उसके प्रिय आतंकी संगठनों ने ये हमले अंजाम दिए हैं। जम्मू के रियासी में रविवार शाम को पहला आतंकी हमला हुआ। हमलावरों ने कटरा से तीर्थ यात्रियों को लेकर शिव खोरी जा रही बस को रनसू इलाके में निशाना बनाया। आतंकवादियों ने बस पर अंधाधुंध फायरिंग की, इससे बस गहरी खाई में गिर गई। इस हमले में कम से नौ लोगों की मौत हुई है। जम्मू-कश्मीर के रियासी में हुए कायराना आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। ये वह आतंकी संगठन है, जो पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के लिए काम करता है। हर बार की तरह इस बार भी साफ हो गया कि इन आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान का सीधा हाथ है। यही नहीं, खुफिया सूत्रों का कहना है कि इस हमले में भी आतंकियों का हमला करने का तरीका वैसा ही है, जो पिछले हमलों में भी देखा गया है। आतंकी ने जिस तरह अचूक निशाना साध कर बस ड्राइवर के सिर पर गोली मारी है, वह किसी पेशेवर का काम है, जो पाकिस्तान की सेना से जुड़ा हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि घाटी में इन दिनों दो ही आतंकी संगठन सबसे ज्यादा एक्टिव हैं, पहला द रजिस्टेंट फ्रंट (टीआरएफ) और दूसरा पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ)। जितनी भी आतंकी वारदातें हो रही हैं, उनमें इन्ही दोनों ग्रुप की संलिप्तता पाई गई है। उन्होंने इस बात का अंदेशा जताया कि दोनों ही संगठनों के पास पाकिस्तान की सेना का सपोर्ट है। सूत्र बताते हैं कि अक्तूबर 2021 को हुए पुंछ के भाटा दूड़ियां के जंगलों में हुए हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। इस हमले का पीएएफएफ ने वीडियो जारी किया था, जिसमें देखा गया था कि आतंकियों ने किस सटीकता के साथ इस हमले को अंजाम दिया था। इसके बाद मई 2023 में राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हुए स्पेशल पैरा फोर्स का एक जवान शहीद हो गया था, उसकी आंख में आतंकियों ने गोली मारी थी। वहीं, इस साल चार मई 2024 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शाहसितार के पास भारतीय वायुसेना के वाहनों के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में भी जिस सटीकता के साथ वाहन की विंडस्क्रीन पर निशाना बनाया गया, वह कोई प्रोफेशनल हथियार चलाने वाला ही कर सकता है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) से जुड़े रिटायर्ड फौजी पीएएफएफ और टीआरएफ के साथ जुड़े हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को दिया अंतिम मौका, 10 अगस्त तक खाली करना होगा राउज एवेन्य स्थित पार्टी कार्यालय

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को अब 10 अगस्त तक राउज एवेन्य स्थित पार्टी कार्यालय को खाली कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अब पार्टी को 10 अगस्त तक पार्टी कार्यालय खाली करने का आदेश दिया है। इससे पहले 4 मार्च को सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी को 15 जून तक कार्यालय खाली करने का निर्देश दिया था। समयसीमा खत्म होने से पहले ही आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर डेडलाइन बढ़ाने की मांग की थी।

आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने आम आदमी पार्टी की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर गौर करने के बाद समयसीमा 10 अगस्त तक बढ़ा दी। पीठ ने साफ कर दिया कि यह अंतिम मौका है और आम आदमी पार्टी को 10 अगस्त या उससे पहले 206, राउज एवेन्यू स्थित इमारत से अपना कब्जा छोड़ना होगा। 

मालूम हो कि आम आदमी पार्टी का दिल्ली के बंगला नंबर 206 राउज एवेन्यू के जिस बंगले में पार्टी दफ्तर है, वह परिसर दिल्ली हाई कोर्ट को 2020 में जिला अदालत के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए आवंटित हो चुका है। लेकिन आम आदमी पार्टी के जगह खाली न करने के कारण कोर्ट के विस्तार के काम में देरी हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने आप को लैंड एंड डेवलेपमेंट ऑफिस में संपर्क करके उनके कार्यालय के लिए जमीन आवंटित करने की मांग करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जमीन विकास विभाग को चार हफ्तों के भीतर आम आदमी पार्टी की अपील पर जवाब देने का निर्देश दिया था।

Maharashtra ATS arrests four Bangladeshi nationals for using forged documents
Maharashtra ATS arrests four Bangladeshi nationals for using forged documents to obtain Indian passports and voter ID cards. Shockingly they had even voted in just concluded Lok Sabha elections using fake documents. Raids continue for m

Pakistani opposition leader Shibli Faraz inside Pakistani Parliament praises
Pakistani opposition leader Shibli Faraz inside Pakistani Parliament praises “enemy country” #India for smooth, free and fair elections in largest democracy in the world.

The Red River in Peru.
The Red River in Peru.

The Ukrainian ambassador for Czech Republic visited me along with the army personnel
A group of @ArtofLiving teachers and volunteers from Ukraine,
कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, पॉक्सो मामले में गैर जमानती वारंट जारी

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ पॉस्को मामले में बेंगलुरु की एक अदालत ने गुरुवार 13 जून को गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

पूर्व सीएम के खिलाफ एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला 2 फरवरी को बेंगलुरु का है। सुनवाई में शामिल नहीं होने पर बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ वारंट जारी करने के लिए पुलिस ने बुधवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। अब कोर्ट ने वारंट जारी कर दिया है।

दरअसल, कुछ महीने पहले ही एक 17 वर्षीय एक लड़की की मां ने आरोप लगाया था कि इस साल दो फरवरी को येदियुरप्पा ने अपने आवास पर मुलाकात के दौरान उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था। पुलिस ने महिला के बयान के आधार पर येदियुरप्पा के खिलाफ पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज किए जाने के कुछ ही घंटे बाद कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक ने इस मामले को तत्काल प्रभाव से जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया था। एफआईआर दर्ज करवाने वाली महिला (पीड़ित की मां) की 26 मई को मौत हो गई थी। वह लंग कैंसर की मरीज थीं।

बीएस येदियुरप्पा ने मामले को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है। उन्होंने मामले में निरोधक आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। सुनवाई में शामिल होने के लिए नोटिस का जवाब देने वाले बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वह सोमवार, 17 जून को सुनवाई में शामिल होंगे।

कर्नाटक के पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सामने आकर जवाब दिया था और सभी आरोपों को खारिज किया था। 81 साल के हो चुके येदियुरप्पा ने कहा था कि वह इन आरोपों के मामले में कानूनी तरीके से लड़ेंगे। उन्होंने अदालत से प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है।

जी-7 समिट में शिरकत करने के लिए पीएम मोदी इटली रवाना, इन मु्द्दों पर रहेगा फोकस

#pm_modi_leave_for_italy_to_attend_g_7_summit

दुनिया के सात सबसे अमीर मुल्कों के नेता इटली में इकट्ठा हो रहे हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 समिट में शिरकत करने के लिए गुरुवार शाम को इटली के लिए रवाना हो गए हैं।मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए गुरुवार को इटली रवाना हुए। तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। इटली के अपुलिया क्षेत्र के बोर्गो एग्नाजिया के आलीशान रिसॉर्ट में 13 से 15 जून तक आयोजित होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में चल रहे युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाया रहने की संभावना है।

पीएम 14 जून को आउटरीच सत्र में भाग लेंगे, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर केंद्रित होगा। वह इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी जी-7 से इतर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात कर सकते हैं। 

जी 7 यानी 'ग्रुप ऑफ़ सेवेन' दुनिया की तथाकथित सात 'अत्याधुनिक' अर्थव्यवस्थाओं की एक संस्था है जिसका ग्लोबल ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय फ़ाइनेंशियल सिस्टम पर दबदबा है। ये सात देश हैं - कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका। 1973 के ऊर्जा संकट के जवाब में आर्थिक और वित्तीय सहयोग के लिए एक मंच के रूप में जी-7 की स्थापना की गई थी। पहला शिखर सम्मेलन 1975 में फ्रांस में आयोजित किया गया था जिसमें फ्रांस, अमेरिका, यूके, जर्मनी, जापान और इटली शामिल थे। हालांकि, 1976 में कनाडा भी शामिल हो गया जोकि जी-7 का वर्तमान स्वरूप भी है।

1997 से 2013 के बीच G7 का विस्तार G8 में हुआ। रूस को भी 1998 में इस गुट में शामिल किया गया था और तब इसका नाम जी-8 हो गया था पर साल 2014 में रूस के क्राइमिया पर कब्ज़े के बाद उसे इस गुट से निकाल दिया गया। एक बड़ी इकॉनमी और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद चीन कभी भी इस गुट का हिस्सा नहीं रहा है। चीन में प्रति व्यक्ति आय इन सात देशों की तुलना में बहुत कम है इसलिए चीन को एक एडवांस इकॉनमी नहीं माना जाता। लेकिन चीन और अन्य विकासशील देश जी 20 समूह में हैं। यूरोपीय संघ भी जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन उसके अधिकारी जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलनों में शामिल होते हैं। 

पूरे साल जी-7 देशों के मंत्री और अधिकारी बैठकें करते हैं, समझौते तैयार करते हैं और वैश्विक घटनाओं पर साझे वक्तव्य जारी करते हैं। इस साल जी-7 की अध्यक्षता इटली कर रहा है।हर साल 1 जनवरी से शुरू होकर कोई एक सदस्य देश बारी-बारी से समूह का नेतृत्व संभालता है। 1 जनवरी, 2024 को इटली ने जापान के बाद अध्यक्षता संभाली और 31 दिसंबर, 2024 को इसे कनाडा को सौंप देगा।