*गौतम ऋषि पत्नी अहिल्या पत्थर से हुयी नारी*
अमेठी। श्रीराम कथा के पञ्चम दिवस की सुन्दर वेला में कथा व्यास प्रहलाद जी महाराज वृन्दवावन,कथा मदुआपुर (दरपीपुर )गौरीगंज चल रही है। गुरु विश्वामित्र जी ने श्रीराम लक्ष्मण जी को समस्त विद्याओं की निपुणता होने के पश्चात अपने साथ वन में ले जाने हेतु दशरथ महाराज से सुकुमारों को ले जाने की अनुमति दिलाते हैं रास्ते में गौतम ऋषि पत्नी पत्थर शिला बनी अहिल्या को तारते हुये वन में ताड़का,सुबाहु का वध करने के पश्चात राजा जनक के यहां धनुष यज्ञ में सम्लित होने जाते हैं ।
जहां सखियों के साथ सीता जी पुष्प वाटिका में विचरण करते समय उनकी निगाहें दम जाती हैं। जहां श्रीराम और लक्ष्मण गुरू जी को पूजा हेतु फूल चुनने गये होते हैं जहां भगवान राम और सीता जी की आंखेचार हो जाती है। वहीं से सीता जी के मन में राम बस जाते हैं, जनक दरबार में देश के कोने - कोने से वीर राजा महारथी धनुष यज्ञ में भाग लेने आये रहते हैं। जहां पर धनुष यज्ञ मैं कोई भी राजा धनुष को हिला भी नहीं पाता इतने में जनक महाराज क्रोधित होकर सारे राजाओं को अपमानित करते हैं और कहते हैं कि मैंने गलत प्रतिज्ञा कर ली तब यह बात सुनकर शेषनाग अवतारी लक्ष्मण जी क्रोधित हो जाते हैं ।
वह कहते हैं गुरुजी की आज्ञा मिले तो मैं इस धनुष को नहीं पूरे ब्रह्मांड को कच्चे घड़े के समान उठाकर और एक ही बार में तोड़ दूं । इस पर गुरु विश्वामित्र समझ जाते हैं कि अब वक्त आ गया है धनुष के टुटने का इतने में गुरू विश्वामित्र राम को आदेश करते हैं कि उठहु राम भंजहु भव चापा। मेटहु सकल जनक परितापा।। और रामचंद्र जी धनुष को प्रणाम करते हुए समस्त राजाओं को प्रणाम करते हुए सब दिशाओं को प्रणाम करते हुए जब भगवान राम ने शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई वह तीन टुकड़ों में टूट गया। इस धनुष का एक हिस्सा उड़कर स्वर्ग पहुंचा।
दूसरा हिस्सा पाताल में जा गिरा, जिसके ठीक ऊपर विशाल धनुष सागर है और तीसरा हिस्सा यहां जनकपुर के पास आ गिरा! कर देते हैं और धनुष टूट जाता है पूरा भूमंडल हिल जाता है जिस पर वहां पर राम जी के गले में सीता जी द्वारा जय माल डाल दिया जाता है रामचंद्र जी का विवाह हो जाता है आज की कड़ी में यही कथा का समापन करते हुए सारे भक्त झूम उठते हैं और श्री रामचंद्र जी का जयकारा करते हुए बुलन्द उद्घोष करते हैं और वही कथा श्रवण कर रहे। मुख्य यजमान, काशीराम, सावित्री देवी, व्यवस्थापक पवन मिश्र, विष्णु, आदेश, सन्तोष, लालजी, अनुज, सौरभ तिवारी, अनिल शुक्ल, प्रमोद, सुनी, आशीष, धर्मराज, तीरथ राज, रामसूरत, अवधराज, राम राज अन्य हजारो की संख्या में भक्तगण कथा सुनकर जीवन को धन्य बनाते हैं।
Feb 09 2023, 10:26