ग्रामीण क्षेत्रों में पुलों की कमी, पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने सरकार से की हस्तक्षेप की अपील
रांची, झारखंड: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में पुलों के अभाव के कारण आम जनता को हो रही भारी परेशानियों के मद्देनजर, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से अविलंब इस समस्या पर ध्यान देने और आवश्यक पुलों के निर्माण की अपील की है। मरांडी ने इस बात पर जोर दिया कि कई क्षेत्रों में, खासकर मानसून के दौरान, पुलों की कमी ग्रामीणों के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाती है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बाधित होती है।
झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां भौगोलिक विविधता और कई नदियाँ और नाले हैं। इन प्राकृतिक बाधाओं को पार करने के लिए पुलों का होना अत्यंत आवश्यक है। हालांकि, कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग इन जलधाराओं को पार करने के लिए अस्थायी और असुरक्षित तरीकों पर निर्भर हैं।
बारिश के मौसम में, जब नदियाँ और नाले उफान पर होते हैं, तो कई गाँव शेष दुनिया से कट जाते हैं। इससे न केवल बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत होती है, बल्कि बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने या आपातकालीन सेवाओं तक पहुंचने में भी बड़ी बाधा आती है। किसानों को अपनी उपज मंडियों तक ले जाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ता है।
बाबूलाल मरांडी ने सरकार से आग्रह किया है कि वह ग्रामीण विकास योजनाओं के तहत पुल निर्माण को प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विकास का मुद्दा नहीं है, बल्कि ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता और सुरक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है। मरांडी ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों की पहचान करने की बात कही है जहां पुलों की तत्काल आवश्यकता है और वहां प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कार्य शुरू करने का सुझाव दिया।
ग्रामीण क्षेत्रों में पुलों का निर्माण न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। यह गांवों को शहरी केंद्रों से जोड़ेगा, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी और ग्रामीणों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री की यह अपील ऐसे समय में आई है जब राज्य सरकार ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जता रही है। यह देखना होगा कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्रवाई करती है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को राहत मिल सके।
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