झारखंड में डेंगू और चिकनगुनिया का बढ़ता खतरा, दो जिलों में जापानी बुखार की दस्तक

झारखंड इस समय मानसून के मौसम से जूझ रहा है, और इसके साथ ही मच्छर जनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 16 जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं, जो चिंता का विषय है। इसके अलावा, दो जिलों में जापानी बुखार (Japanese Encephalitis) के मामले भी दर्ज किए गए हैं, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता को और बढ़ा दिया है।

डेंगू और चिकनगुनिया, दोनों ही एडीस मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारियाँ हैं, जो आमतौर पर दिन के समय सक्रिय होते हैं। इन बीमारियों के लक्षणों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और आँखों के पीछे दर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में, डेंगू हेमरेजिक बुखार (Dengue Hemorrhagic Fever) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) जैसी जटिलताएँ भी विकसित हो सकती हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं। चिकनगुनिया आमतौर पर जानलेवा नहीं होता, लेकिन इसके कारण होने वाला जोड़ों का दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है।

जिन 16 जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं, उनमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र शामिल हैं। यह दर्शाता है कि इन बीमारियों का प्रसार व्यापक है और इन पर तत्काल नियंत्रण पाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग ने इन जिलों में सक्रिय निगरानी और जागरूकता अभियान तेज कर दिए हैं। स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर फॉगिंग और लार्वा नियंत्रण के उपाय किए जा रहे हैं।

विशेष रूप से चिंताजनक बात यह है कि राज्य के दो जिलों में जापानी बुखार के मामले भी सामने आए हैं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर से फैलती है और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है, जिससे गंभीर तंत्रिका संबंधी समस्याएँ और मृत्यु भी हो सकती है। जापानी बुखार के लक्षण तीव्र बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, दौरे और कोमा तक हो सकते हैं। इन दो जिलों में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष टीमों का गठन किया है ताकि बीमारी के प्रसार को रोका जा सके और प्रभावित व्यक्तियों को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जनता से अपील की है कि वे इन बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक सावधानी बरतें। इसमें अपने घरों और आसपास के इलाकों में पानी जमा न होने देना, कूलर, गमलों और अन्य बर्तनों से पानी को नियमित रूप से खाली करना, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना, पूरी बाजू के कपड़े पहनना और मच्छर भगाने वाले स्प्रे का उपयोग करना शामिल है। किसी भी तरह के बुखार या बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है।

सरकार ने इन बीमारियों के प्रसार को रोकने और प्रभावितों को उचित उपचार प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता ही इन बीमारियों से प्रभावी ढंग से लड़ने की कुंजी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में पुलों की कमी, पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने सरकार से की हस्तक्षेप की अपील

रांची, झारखंड: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में पुलों के अभाव के कारण आम जनता को हो रही भारी परेशानियों के मद्देनजर, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से अविलंब इस समस्या पर ध्यान देने और आवश्यक पुलों के निर्माण की अपील की है। मरांडी ने इस बात पर जोर दिया कि कई क्षेत्रों में, खासकर मानसून के दौरान, पुलों की कमी ग्रामीणों के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाती है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बाधित होती है।

झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां भौगोलिक विविधता और कई नदियाँ और नाले हैं। इन प्राकृतिक बाधाओं को पार करने के लिए पुलों का होना अत्यंत आवश्यक है। हालांकि, कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग इन जलधाराओं को पार करने के लिए अस्थायी और असुरक्षित तरीकों पर निर्भर हैं।

बारिश के मौसम में, जब नदियाँ और नाले उफान पर होते हैं, तो कई गाँव शेष दुनिया से कट जाते हैं। इससे न केवल बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत होती है, बल्कि बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने या आपातकालीन सेवाओं तक पहुंचने में भी बड़ी बाधा आती है। किसानों को अपनी उपज मंडियों तक ले जाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ता है।

बाबूलाल मरांडी ने सरकार से आग्रह किया है कि वह ग्रामीण विकास योजनाओं के तहत पुल निर्माण को प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विकास का मुद्दा नहीं है, बल्कि ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता और सुरक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है। मरांडी ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों की पहचान करने की बात कही है जहां पुलों की तत्काल आवश्यकता है और वहां प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कार्य शुरू करने का सुझाव दिया।

ग्रामीण क्षेत्रों में पुलों का निर्माण न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। यह गांवों को शहरी केंद्रों से जोड़ेगा, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी और ग्रामीणों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री की यह अपील ऐसे समय में आई है जब राज्य सरकार ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जता रही है। यह देखना होगा कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्रवाई करती है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को राहत मिल सके।

पलामू में चतुर्थवर्गीय पदों पर सीधी भर्ती नहीं, अब लिखित परीक्षा से होगी नियुक्ति

पलामू, झारखंड: झारखंड सरकार ने चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब पलामू जिले में चतुर्थवर्गीय पदों पर सीधी भर्ती नहीं होगी, बल्कि इन पदों पर नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसके बाद अब यह नई व्यवस्था जल्द ही लागू होने की उम्मीद है।

यह निर्णय सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता और योग्यता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। अभी तक चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति कई बार सीधी भर्ती या साक्षात्कार के माध्यम से होती थी, जिससे कई तरह की अनियमितताओं और पक्षपात की शिकायतें सामने आती थीं। नई व्यवस्था के तहत, एक लिखित परीक्षा के माध्यम से उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता, सामान्य ज्ञान और अन्य प्रासंगिक कौशल का मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित हो सकेगा।

इस बदलाव से न केवल भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता आएगी, बल्कि उन मेहनती और मेधावी युवाओं को भी समान अवसर मिलेंगे जो इन पदों पर नियुक्त होने की आकांक्षा रखते हैं। सरकार का मानना है कि लिखित परीक्षा प्रणाली से योग्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलेगी और सरकारी विभागों में बेहतर कार्यबल तैयार होगा।

इस निर्णय का पलामू जिले के युवाओं और विभिन्न छात्र संगठनों ने स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह कदम रोजगार के अवसरों में समानता लाएगा और भर्ती प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय बनाएगा। हालांकि, अभी तक परीक्षा के विस्तृत पाठ्यक्रम, पैटर्न और अन्य नियमों पर जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी। यह बदलाव झारखंड में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में एक नई दिशा का संकेत देता है, जहां योग्यता को सर्वोपरि रखा जाएगा।

झारखंड में धान के फसल क्षेत्र में भारी गिरावट: 36% की अप्रत्याशित कमी

रांची, झारखंड: सांख्यिकी निदेशालय (Directorate of Statistics) की हालिया रिपोर्ट ने झारखंड के कृषि परिदृश्य के लिए चिंताजनक तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अनाजों के कुल फसल क्षेत्र में चौंका देने वाली 36% की कमी दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण धान की खेती वाले क्षेत्र में आई भारी गिरावट है। यह अप्रत्याशित कमी राज्य के किसानों और खाद्य सुरक्षा दोनों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर सकती है।

झारखंड, जो अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, में धान खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है और लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। फसल क्षेत्र में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिनमें अनियमित मानसून, सूखे की स्थिति, सिंचाई सुविधाओं की कमी, या किसानों का वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करना शामिल है।

इस कमी का सीधा असर राज्य के कुल कृषि उत्पादन पर पड़ेगा, जिससे खाद्य सुरक्षा पर दबाव बढ़ने की आशंका है। इसके अलावा, धान पर निर्भर किसानों की आय भी प्रभावित होगी, जो पहले से ही कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार और कृषि विभाग के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वे इस समस्या की तह तक जाएं और किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए सिंचाई परियोजनाओं को मजबूत करना, किसानों को उन्नत बीज और कृषि तकनीकों तक पहुंच प्रदान करना, और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना जैसे उपायों पर जोर देना होगा। इस रिपोर्ट ने झारखंड में कृषि क्षेत्र के सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों को उजागर किया है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

झारखंड में भारी बारिश और अचानक बाढ़ का अलर्ट जारी

झा. डेस्क

रांची : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने झारखंड के कई जिलों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे राज्य में अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। यह चेतावनी राज्य के 19 जिलों के लिए है, जहाँ अत्यधिक वर्षा के कारण जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है।

IMD के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, झारखंड के विभिन्न हिस्सों में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान भारी बारिश हो सकती है। विशेष रूप से निचले इलाकों और नदी-नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग ने अचानक बाढ़ की संभावना को देखते हुए स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट पर रखा है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने सभी संबंधित विभागों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसमें बचाव और राहत कार्यों के लिए टीमों को तैयार रखना, निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना और जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करना शामिल है। लोगों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें और जलभराव वाले क्षेत्रों से दूर रहें।

IMD ने मानसून की सक्रियता को देखते हुए किसानों को भी सलाह दी है कि वे अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करें। वज्रपात की भी संभावना व्यक्त की गई है, इसलिए खुले स्थानों पर रहने वाले लोगों और पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है।

यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब मानसून अपने चरम पर है और पिछले कुछ हफ्तों से देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। झारखंड में भी मानसून की गतिविधियां तेज हुई हैं, जिससे कई नदियां उफान पर हैं। IMD और राज्य सरकार की प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

रांची: RTE प्रवेश में देरी पर निजी स्कूलों को उपायुक्त की कड़ी फटकार, मान्यता रद्द करने की चेतावनी


रांची, 15 जुलाई 2025 – रांची के उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी मंजूनाथ भजन्त्री ने आज आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम के तहत गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों के प्रवेश में हो रही देरी पर निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस दौरान, अनुपस्थित रहने वाले विद्यालयों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ-साथ नामांकन पूरा करने की अंतिम चेतावनी दी गई। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि नामांकन प्रक्रिया पूरी न करने वाले विद्यालयों की आरटीई मान्यता रद्द करने की अनुशंसा की जाएगी।

आरटीई अधिनियम के तहत, सभी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करनी होती हैं। रांची जिले में 121 मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में कुल 1217 सीटों के लिए पहली बार पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसके तहत 1744 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 1158 वैध आवेदनों का लॉटरी के माध्यम से स्कूल चयन किया गया और कुल 672 सीटों पर छात्रों का चयन हुआ।

हालांकि, इन छात्रों के नामांकन में हो रही देरी को लेकर उपायुक्त ने चिंता व्यक्त की। अब तक 672 में से केवल 493 नामांकन ही पूरे किए गए हैं, जबकि 116 आवेदनों को वापस शिक्षा एडमिन को रेफर कर दिया गया था। उपायुक्त ने इन 116 आवेदनों की जांच कर उन्हें अनिवार्य रूप से नामांकन प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश के साथ सभी विद्यालयों के लॉगिन पर वापस भेज दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई आवेदन रद्द किया जाता है, तो उसके बदले वैध छात्रों के नाम की अनुशंसा की जाएगी।

बैठक में डीपीएस विद्यालय रांची को 24 बच्चों का नामांकन विभिन्न दस्तावेजों की आवश्यकता बताकर न लेने और शिक्षा एडमिन को रेफर किए गए आवेदनों के वैध कारण न होने पर कड़ी फटकार लगाई गई। इसके अतिरिक्त, बैठक में अनुपस्थित रहे विद्यालयों जैसे संत अलोईस स्कूल, संत अरविंदो एकेडमी, संत कोलंबस एवं छोटानागपुर पब्लिक स्कूल मुर्ग, जेवियर स्कूल धुर्वा, आरबी स्प्रिंगडेल पब्लिक स्कूल, आईटीसी पब्लिक स्कूल मुरी, और डॉन बॉस्को इंग्लिश मीडियम स्कूल को भी कड़ी फटकार लगाई गई।

रांची जिले में हर मंगलवार को लगेगा जनता दरबार: लंबित मामलों का होगा त्वरित निपटारा

रांची, 15 जुलाई 2025 – रांची जिला प्रशासन ने उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी मंजूनाथ भजन्त्री के निर्देशानुसार जिले के सभी अंचलों में हर मंगलवार को जनता दरबार का आयोजन शुरू कर दिया है। इस पहल का उद्देश्य आम नागरिकों की लंबे समय से लंबित समस्याओं का त्वरित और सीधा समाधान सुनिश्चित करना है।

आज 15 जुलाई 2025 को विभिन्न अंचलों में संबंधित अंचल अधिकारियों ने जनता की शिकायतों को सुना। इस जनता दरबार में नागरिक सीधे अधिकारियों से बातचीत कर अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। यह आयोजन जिले के सभी प्रखंडों और अंचलों में प्रत्येक मंगलवार को किया जाएगा, और पहले ही दिन से इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

जनता दरबार में मुख्य रूप से भूमि विवाद, राजस्व संबंधी मामले जैसे म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) और अतिक्रमण के साथ-साथ अन्य शिकायतें भी सुनी गईं। प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचल अधिकारियों ने कई मुद्दों का मौके पर ही समाधान किया। जिन मामलों में आगे की जांच की आवश्यकता थी, उनके लिए त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।

नागरिक अपनी शिकायतें रांची जिला प्रशासन के व्हाट्सएप नंबर 9430328080 'अबुआ साथी' पर भी भेज सकते हैं।


विश्व युवा कौशल दिवस पर रांची में 'मुख्यमंत्री सारथी योजना' के तहत नियुक्ति पत्र वितरित, कौशल विकास पर जोर

रांची: विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को रांची स्थित विश्वेश्वरैया (विश्वा) प्रशिक्षण केंद्र, कांके में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी (श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग, झारखंड सरकार) द्वारा आयोजित इस समारोह में ‘मुख्यमंत्री सारथी योजना’ के तहत नव-नियोजित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए।

झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के मिशन निदेशक-सह-कार्यपालक पदाधिकारी श्री शैलेन्द्र कुमार लाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवाओं से अपनी ऊर्जा को उचित और रचनात्मक क्षेत्रों में लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज के एआई और डिजिटल युग में युवाओं को गुणवत्तापूर्ण कौशल और उचित प्रोत्साहन देना आवश्यक है, ताकि वे आधुनिक चुनौतियों का सामना कर सकें।

श्री लाल ने सभी हितधारकों से आपसी तालमेल और साझेदारी में काम करने का आह्वान किया, ताकि राज्य के युवाओं और भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सके। उन्होंने प्रशिक्षण सेवा प्रदाताओं से केवल औपचारिक प्रशिक्षण के बजाय गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही।

स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, कार्यक्रम में ‘मुख्यमंत्री सारथी योजना’ के प्रशिक्षित उम्मीदवारों को सिलाई मशीनें भी प्रदान की गईं। इसी अवसर पर, ‘मुख्यमंत्री सारथी योजना’ की 'एम्प्लॉयबिलिटी एक्सीलेंस फॉर कॉलेज एजुकेशन एंड लर्निंग' उपयोजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी और इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियर्स सोसाइटी (ICES) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।

इस मौके पर वर्ल्ड स्किल्स 2025-26 के लिए इंडिया स्किल्स-झारखंड स्किल कॉम्पिटिशन की राज्य और जिला स्तर पर तैयारी की औपचारिक शुरुआत भी हुई। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विभिन्न कौशल प्रदर्शनी स्टॉल रहे, जिनमें हेल्थकेयर जनरल ड्यूटी असिस्टेंट, ग्रीन जॉब्स - सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स - मल्टी स्किल टेक्निशियन - होम एप्लायंस के साथ-साथ फैशन डिजाइनिंग-अपैरल सेक्टर, मल्टी अपैरल सेक्टर, मल्टी स्किल टेक्निशियन - फूड प्रोसेसिंग सेक्टर और मेकअप आर्टिस्ट एंड सैलून सेक्टर के स्टॉल शामिल थे।

इस अवसर पर श्री सुनील सिंह (अतिरिक्त सचिव, श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग), श्री रवि रंजन कुमार विक्रम (श्रमायुक्त-सह-निदेशक, नियोजन एवं प्रशिक्षण), श्री राजीव रंजन कुमार (विशेष सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, झारखंड) सहित झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के प्रबंधक, पदाधिकारी, यूएनडीपी के पदाधिकारी और मुख्यमंत्री सारथी प्रशिक्षण सेवा प्रदाता एवं प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।

सुदेश महतो ने दिल्ली में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर शिबू सोरेन के स्वास्थ्य की जानकारी ली

रांची। आजसू प्रमुख एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने नई दिल्ली स्थित न्यू झारखंड भवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर गंगाराम अस्पताल में भर्ती पूर्व उपमुख्यमंत्री शिबू सोरेन के स्वास्थ्य की जानकारी ली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि गुरुजी के स्वास्थ्य में धीरे धीरे सुधार हो रहा है। सुदेश महतो ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। इससे पूर्व आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने भी हेमंत सोरेन से नई दिल्ली में मुलाकात कर शिबू सोरेन के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।

उल्लेखनीय है कि शिबू सोरेन को 19 जून को अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्हें ब्रेन स्ट्रोक और किडनी संबंधी समस्याओं के कारण आईसीयू में रखा गया था। सर गंगा राम अस्पताल के डाक्टरों के अनुसार न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञ उनकी देखभाल कर रहे हैं।

झारखंड: JMM का भाजपा पर पलटवार, "विकास विरोधी मानसिकता से दे रही झूठे बयान"

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें "झूठ और नकारात्मकता की राजनीति" करने वाला बताया है। रांची में एक प्रेस बयान जारी करते हुए पांडेय ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं, जो भाजपा को रास नहीं आ रहे हैं।

विनोद कुमार पांडेय ने कहा, "रांची में हाल ही में तैयार हुए एलिवेटेड कॉरिडोर पर सरपट दौड़ते वाहन भाजपा को खूब दिख रहे होंगे। हेमंत सरकार विकास के प्रति गंभीर है और नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।" उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा जातीय भेदभाव की राजनीति में माहिर है, लेकिन झारखंड की जनता ने उनके इस खेल को पूरी तरह विफल कर दिया है।

पांडेय ने भाजपा के शासनकाल की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय झारखंड की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई थीं और सिंचाई परियोजनाएं केवल फाइलों तक सीमित थीं। उन्होंने दावा किया कि हेमंत सरकार ने लंबित परियोजनाओं को गति दी है, सड़कें चौड़ी हो रही हैं, पुल-पुलियों का निर्माण तेजी से हो रहा है और गांव-गांव तक सिंचाई सुविधा पहुंच रही है। अभियंताओं की नियुक्तियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि सारी प्रक्रिया चल रही है और भाजपा जानबूझकर तथ्य छिपा रही है।

दलमा शुल्क पर भाजपा का सवाल हास्यास्पद

दलमा में सावन महीने के दौरान लगाए गए शुल्क पर भाजपा द्वारा उठाए गए सवालों को विनोद पांडेय ने "हास्यप्रद" बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है, जबकि हेमंत सरकार आस्था का सम्मान करती है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दलमा क्षेत्र में रास्तों का विकास, पानी और स्वास्थ्य की व्यवस्था कर रही है।

पांडेय ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिनके शासनकाल में कफन और पूजा सामग्री पर टैक्स लगाया गया, वे अब विकास के कार्यों पर सवाल उठा रहे हैं और सनातन धर्म के नाम पर राजनीति कर जनता को गुमराह करना चाहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि झारखंड की जनता जागरूक है और भाजपा को 2019 की तरह इस बार भी मुंहतोड़ जवाब देगी।