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दो पटरियों के बीच बना है ये मंदिर, रोज गुजरती हैं एक्सप्रेस ट्रेनें…

गाजीपुर में एक ऐसा मंदिर जिसके दोनों तरफ से रेल पटरी पर ट्रेनें गुजरती रहती हैं. लेकिन फिर भी लोग जान की परवाह किए बगैर इस मंदिर में पहुंचते हैं और पूजा पाठ करते हैं. जी हां यह मंदिर दानापुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाला दिलदारनगर रेलवे स्टेशन पर स्थित है. इस मंदिर का नाम सायर माता मंदिर है. दो पटरियों के बीचोबीच यह मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर और रेलपटरी के निर्माण को लेकर कई कहानियां लोगों की जुबान से आज भी सुनने को मिलती हैं.

दिलदार नगर में रेलवे स्टेशन के मध्य दो लाइनों के बीच स्थित सायर माता का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. वैसे तो साल भर इस मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहता है. लेकिन सावन और नवरात्र में माता के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है. प्लेटफॉर्म नम्बर 3 और 4 के मध्य में स्थित मां का मंदिर आस्था का जीता जागता उदाहरण है.

सायर माता मंदिर की अलौकिक शक्तियां की कहानियां काफी प्रचलित हैं. नवरात्र में माता के भक्त भारी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लोग यहां आकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद दोबारा दर्शन के लिए आते हैं. यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं दूर दराज से लाखों श्रद्धालु सायर माता के मंदिर पर दर्शन-पूजन कर अपने तथा अपने परिवार के सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता के चमत्कार को जानने के बाद ग्रामीणों का हुजूम रोजाना दर्शन के लिए पहुंचने लगा. इसके बाद से धीरे-धीरे माता की महिमा का प्रचार-प्रसार दूर-दूर तक होता गया और अब जिले के लोग ही नहीं, वरन पूर्वांचल सहित बिहार, बंगाल और झारखंड प्रांत से भी श्रद्धालु यहां आकर श्रद्धा पूर्वक माता के दर्शन पूजन करते हैं.

भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर मां के मंदिर में घंटी बांधते है और मंदिर के फर्श में चांदी का सिक्का जड़वाते है। वर्षों से इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है नवरात्र के दिनों में यहां रात्रि जागरण भी होता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि लोगों की आस्था का एक जीवंत प्रतीक भी है, जहां श्रद्धालु अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। रेलवे पटरियों के बीच यह मंदिर सैकड़ो साल से विराजमान है लेकिन आज तक किसी भी दर्शनार्थी के साथ कोई भी घटना नहीं हुई है.

पेड़ काटने का दे दिया आदेश

कहा जाता है कि कई साल पहले जब यहां नई रेल पटरी को बिछाने का काम चल रहा था तो मजदूरों को नीम के पेड़ के नीचे एक मिट्टी की पिंडी दिखाई दी. काम करने वाले मजदूरों ने इसकी सूचना अपने अधिकारी को दी. इंजीनियर ने काम कर रहे मजदूरों की बात अनसुनी करते हुए नीम के पेड़ को काटने का आदेश दिया.

पेड़ काटने वाले मजदूरों की मौत

जब काम करने वाले मजदूरों ने पेड़ काटने के लिए कुल्हाड़ी पेड़ पर चलाई, तो पेड़ के तने से खून जैसा लाल रंग का द्रव्य निकलने लगा. तभी सभी मजदूरों ने ऐसा करने से साफ साफ मना कर दिया. अधिकारी ने दूसरे मजदूरों से फिर इस पेड़ को काटने के लिए कहा. उन्होंने पेड़ काट भी दिया. लेकिन पेड़ काटने वाले सभी मजदूरों और पेड़ कटवाने वाले इंजीनियर के बेटे की उसी रात मौत हो गई. तभी से लोगों ने यहां मंदिर बना दिया.

विमान में भारतीयों का अपमान: हथकड़ी और जंजीर वाले पोस्ट की सच्चाई, जानें क्या है फर्जी और क्या है सच

अमेरिका का सैन्य विमान 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों को लेकर पंजाब के अमृतसर में उतरा. जैसे ही फ्लाइट की लैंडिंग हुई सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो गया, जिसमें दावा किया गया कि यात्रा के दौरान लोगों को हथकड़ी लगाई गई और अपमानित किया गया. सरकार ने अब इस मामले पर सफाई दी है और पोस्ट की हकीकत बताई.

पीआईबी फैक्ट चेक के मुताबिक, सोशल मीडिया पर कई अकाउंट से एक फर्जी तस्वीर शेयर की जा रही है, जिसमें दावा किया गया है कि अवैध अप्रवासी भारतीयों को हथकड़ी लगाई गई है और उनके पैरों को जंजीर से बांध दिया गया है. फैक्ट चेक में कहा गया कि इन पोस्ट में शेयर की जा रही तस्वीर भारतीयों से संबंधित नहीं है. इसके बजाय यह ग्वाटेमाला में निर्वासित लोगों को दिखाता है.

वायरल पोस्ट पर क्या बोली कांग्रेस?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर पर कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा, अमेरिका से भारतीयों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें देखकर, एक भारतीय होने के नाते हमें दुख होता है. दिसंबर 2013 की वह घटना याद है जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था. विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था. यूपीए सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने भारत दौरे पर आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल (जॉर्ज होल्डिंग, पीट ओल्सन, डेविड श्वाइकर्ट, रॉब वुडऑल और मैडेलिन बोर्डालो) से मिलने से इनकार कर दिया था.

उन्होंने आगे लिखा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिका की इस कार्रवाई को निंदनीय बताया. भारत सरकार ने अमेरिकी दूतावास को दी जाने वाली कई सुविधाएं वापस ले लीं थी , जिनमें दूतावास कर्मियों के लिए खाद्य पदार्थों और शराब के रियायती आयात की अनुमति भी शामिल थी. जॉन केरी ने देवयानी खोबरागड़े के साथ किए गए व्यवहार पर खेद व्यक्त किया था. अमेरिकी प्रशासन ने विदेश सचिव सुजाता सिंह को कॉल कर अमेरिका की ओर से खेद प्रकट किया था.

क्या दावा किया गया?

अमेरिकी विमान से लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं. अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया. गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था.

उन्होंने दावा किया, हमने सोचा कि हमें किसी दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है. फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि भारत ले जाया जा रहा है. हमें हथकड़ी लगाई गई और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं. इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया.

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय अप्रवासी की दर्दभरी कहानी: 40 घंटे तक हथकड़ी और जंजीरों में बंधे रहे

अमेरिका ने भारत के 104 अवैध अप्रवासियों को भारत भेज दिया है. इन 104 लोगों की कहानियां भारत से अमेरिका पहुंचने तक की जितनी दर्दनाक है, उतनी ही दर्दनाक कहानी इनकी यहां वापस लाए जाने की है. अमेरिका से रवाना हुआ सी-17 विमान बुधवार को अमृतसर पहुंचा, लेकिन इस विमान में सवार 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों ने अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल 40 घंटे बिताए.

सी-17 विमान में सवार हरविंदर सिंह ने अपनी जिंदगी के वो 40 घंटों की कहानी बताई. पूरे 40 घंटे तक उनके हाथों में हथकड़ी बंधी थी. पैरों को चैन से बांधा गया था और यहां तक उन पर सख्ती की गई कि वो लोग इन 40 घंटों में वॉशरूम जाने तक के लिए बिनती करते रहे, इन लोगों को 1-2 नहीं बल्कि पूरे 40 घंटे तक अपनी सीट से एक इंच हिलने तक की इजाजत नहीं थी.

किसी जहन्नुम से कम नहीं थे 40 घंटे”

हरविंदर सिंह की उम्र 40 साल है और वो पंजाब के टाहली गांव के रहने वाले हैं. विमान में बैठे हुआ हरविंदर सिर्फ उन 40 घंटों के दर्द पर आंसू नहीं बहा रहे थे बल्कि पत्नी और बच्चों से किए बेहतर जिंदगी देने के वादे को टूटता देख वो बिखर रहे थे. अपना सब कुछ दांव पर लगा कर एक बेहतर जिंदगी की आस में वो अमेरिका गए थे, लेकिन अब उन के पास कुछ नहीं बचा.

हरिवंदर सिंह ने अमेरिका से भारत आने के सफर को लेकर कहा, वो सफर जहन्नुम में जाने से भी बदतर था. उन्होंने बताया, इन पूरे 40 घंटे उनके हाथों से हथकड़ी नहीं खोली गई और वो ढंग से खाना तक नहीं खा सके. उन्होंने कहा, हम से हथकड़ी पहने हुए ही खाना खाने के लिए कहा गया. हम ने लगातार उन से हथकड़ी खोलने के लिए कहा, हम बार-बार खाना खाने के लिए हथकड़ी खोलने के लिए कहते रहे, लेकिन किसी ने हमारी एक नहीं सुनी.

उन्होंने कहा, न सिर्फ यह सफर जिस्मानी रूप से उन के लिए दर्दभरा था, लेकिन मेंटल तौर पर भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने कई लोगों की जिंदगी को हिला कर रख दिया. हरविंदर सिंह ने कहा, वो इन 40 घंटों में एक पल के लिए भी अपनी आंखें बंद नहीं कर सके, शायद अपने परिवार के लिए देखे गए खूबसूरत ख्वाब उन्हें सोने नहीं दे रहे थे. उन्हें एक पल के लिए भी इसीलिए नींद नहीं आई क्योंकि वो लगातार उन वादों के बारे में सोच रहे थे जो उन्होंने अपने परिवार से किए थे मगर वो अब कभी पूरे नहीं हो सकते.

आखिर क्यों गए थे अमेरिका?

हरविंदर सिंह 8 महीने पहले डंकी रूट से अमेरिका गए थे. सवाल उठता है कि वो क्यों अमेरिका गए थे. चलिए आपको इस सवाल का जवाब बताते हैं और हरविंदर सिंह की दर्दभरी कहानी बताते हैं. हरविंदर और उनकी पत्नी कुलजिंदर कौर की शादी को 13 साल हो गए हैं. कपल के दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी. यह परिवार मवेशियों का दूध बेचकर अपना घर चलाते थे, लेकिन गुजारा करना मुश्किल हो रहा था. फिर एक रिश्तेदार के जरिए उन्हें अमेरिका जाने और बेहतर जिंदगी के ख्वाब दिखाए गए. परिवार ने तय किया कि इस गरीबी से निकलने के लिए हरविंदर सिंह अमेरिका जाएंगे.

मगर हरविंदर सिंह के एक दूर के रिश्तेदार ने उन्हें 42 लाख रुपये के बदले डंकी रूट से नहीं बल्कि 15 दिनों में कानूनी रूप से अमेरिका ले जाने की पेशकश की. 42 लाख रुपये की बड़ी रकम इकट्ठी करने के लिए परिवार ने अपनी एक मात्र जमीन एक एकड़ जमीन गिरवी रख दी और भारी ब्याज दरों पर पैसे ले लिए.

पत्नी कुलजिंदर कौर ने कहा, हमारे साथ धोखा हुआ. हम से जो वादा किया गया था वो पूरा नहीं किया गया. पिछले 8 महीने तक मेरे पति को कई देशों के बीच इधर-उधर घुमाया जाता रहा. उन्हें मोहरे की तरह एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया गया.

ट्रेवल एजेंट पर दर्ज कराई F.I.R

हरविंदर ने अमेरिका में कई परेशानियों का सामना किया, लेकिन वो लगातार अपने परिवार के संपर्क में रहे और वीडियो बना कर भेजते रहे. उन्होंने आखिरी बार अपनी पत्नी से 15 जनवरी को बात की थी. पत्नी कुलजिंदर को गांव वालों से इस बात का पता चला था कि जिन 104 भारतीय अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से भारत डिपोर्ट किया जा रहा है उन में हरविंदर भी शामिल है. इसी के साथ पत्नी ने कहा कि उन्होंने अपने उस दूर के रिश्तेदार के खिलाफ F.I.R भी दर्ज कराई है.

कर्नाटक: नर्स ने बच्चे के घाव पर टांके की जगह लगाया फेवीक्विक, सस्पेंड

कर्नाटक से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी सिर पकड़ लेंगे. एक सरकारी अस्पताल में एक नर्स ने बच्चे की सर्जरी करने के बाद उसके घाव पर टांके नहीं लगाए, बल्कि उसे फेवीक्विक से चिपका दिया. जब बच्चे के परिजन ने इस पर सवाल किया, तो नर्स ने कहा कि वह सालों से ऐसा करती आ रही है. इसलिए घबराने वाली बात नहीं है. हालांकि अब नर्स को सस्पेंड कर दिया गया है.

यह मामला 14 जनवरी का है, जब हावेरी के हनागल तालुक के अदूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक परिजन अपने सात साल के बच्चे गुरुकिशन अन्नप्पा होसामानी को लेकर पहुंचे. बच्चे के गाल पर चोट लगी थी और गहरे घाव से बहुत खून बह रहा था. नर्स ने बच्चे के घाव पर टांके लगाने की बजाय फेवीक्विक का इस्तेमाल किया. जब बच्चे के माता-पिता ने नर्स से इसको लेकर सवाल पूछा तो उसने कहा कि टांके लगाने से बच्चे के चेहरे पर निशान रह जाएगा.

परिजनों ने बना लिया वीडियो

इस दौरान बच्चे के परिजनों ने नर्स का वीडियो बना लिया. वीडियो में नर्स माता-पिता को यह कहकर टाल रही है कि वह सालों से ऐसे करती आ रही है चिंता की बात नहीं है. निशान न रहे इसलिए फेवीक्विक का इस्तेमाल किया है. इसके बाद परिजनों ने नर्स की शिकायत कर दी और वीडियो भी अधिकारियों को दिखाया. इसके बाद नर्स के खिलाफ एक्शन लिया गया और बुधवार को उसे सस्पेंड कर दिया गया.

नर्स को सस्पेंड किया गया

नर्स को सस्पेंड करने का फैसला राज्य सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में लिया गया. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “फेवीक्विक एक चिपकने वाला पदार्थ है, जिसके मेडिकल इस्तेमाल की इजाजत नियमों के तहत नहीं है. इस मामले में, बच्चे के इलाज के लिए फेवीक्विक का इस्तेमाल करने वाली जिम्मेदार स्टाफ नर्स को निलंबित कर दिया गया है और जांच की जा रही है.” पहले नर्स का ट्रांसफर कर दिया गया था, जिससे परिजनों में आक्रोश था. हालांकि कि अब नर्स को सस्पेंड कर दिया गया है और बच्चे भी स्वस्थ है.

धरे रह गए डॉलर के सपने, 41 लाख के कर्ज में परिवार… अमेरिका से डिपोर्ट हुए प्रदीप के परिवार का छलका दर्द

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए प्रदीप का परिवार गहरे शोक में है. मां से लेकर पिता तक सभी की आंखों में आंसू हैं. प्रदीप के घर लौटने के बाद उसकी माता-पिता और दादी को न केवल बेटे की वापसी का दुख है, बल्कि उनपर चढ़े हुए कर्ज का भी भारी बोझ है. प्रदीप को करीब छह महीने पहले जमीन बेचकर और 41 लाख रुपये का कर्ज लेकर अमेरिका भेजा गया था. हालांकि अब परिवार अपनी कठिन आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित है और सरकार से मदद की अपील कर रहा है.

प्रदीप का परिवार बहुत ही गरीब है, और घर की छत अभी भी कच्ची है. प्रदीप के माता-पिता, नरिंदर कौर उर्फ रानी और कुलबीर सिंह, और दादी गुरमीत कौर ने का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए अपनी जमीन बेच दी और भारी कर्ज लिया. वे मानते थे कि प्रदीप का भविष्य अमेरिका में अच्छा होगा, लेकिन अब वह निराश हैं क्योंकि उनका बेटा डिपोर्ट होकर घर लौट आया है.

जिंदगी की सबसे बड़ी भूल

अमेरिका ने हाल ही में अपनी नई इमिग्रेशन पॉलिसी के तहत 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट किया है. इस समूह में मोहाली के प्रदीप सहित 205 भारतीय शामिल थे. प्रदीप मोहाली के लालडू के जड़ौत गांव का निवासी है, अपने परिवार की उम्मीदों के साथ अमेरिका गया था, लेकिन वहां की कड़ी नीतियों के कारण उसे वापस भेज दिया गया. प्रदीप ने डंकी रूट से अमेरिका में प्रवेश किया था, जो कि अब उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हो रही है.

सरकार से मदद की गुहार

प्रदीप के परिवार ने यह बताया कि उन्होंने बेटे को उज्जवल भविष्य का वादा करते हुए अमेरिका भेजा था, लेकिन अब वह खाली हाथ वापस आ गया है. प्रदीप के परिवार का कहना है कि उनका बड़ा सपना टूटा है और अब वे यह सोच रहे हैं कि इस भारी कर्ज को कैसे चुकाया जाए. परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है ताकि प्रदीप को रोजगार मिल सके और वे अपने कर्ज को चुका सकें.

कुल मिलाकर, प्रदीप के परिवार के लिए यह समय बहुत ही कठिन है. जहां एक तरफ परिवार अपने बेटे की वापसी से दुखी है, वहीं दूसरी तरफ कर्ज का बोझ उनके सिर पर है. अब प्रदीप का परिवार भारतीय सरकार और पंजाब सरकार से मदद की उम्मीद कर रहा है, ताकि वे अपने बेटे के लिए रोजगार प्राप्त कर सकें और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सकें.

प्रयागराज जा रही बस हादसे का शिकार: 40 लोग घायल, 4 की हालत गंभीर

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु रोज पहुंच रहे हैं और आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. इसी बीच दिल्ली से प्रयागराज जा रही एक बस हादसे का शिकार हो गई, जिसमें करीब 56 लोग सवार थे. इनमें से 40 लोग घायल हो गए हैं. ये हादसा इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र के अंतर्गत महेवा नेशनल हाईवे पर हुआ.

बुधवार रात 9:30 बजे 56 सवारियों से भरी बस दिल्ली से प्रयागराज के लिए निकली थी, जहां महेवा नेशनल हाईवे पर बस आगे चल रहे ट्रक से जा टकराई. बताया जा रहा है कि प्रयागराज जाते हुए बस जब नेशनल हाईवे पर पहुंची तो बस ड्राइवर को नींद आ गई, जिस वजह से ये हादसा हो गया. हादसे में बस में सवार 56 लोगों में से 40 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.

4 यात्री गंभीर रूप से घायल

हादसे के बाद घायलों को एंबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. यात्रियों ने बताया कि बस ड्राइवर को नींद आने की वजह से ही ये हादसा हुआ. बस में सवार सभी लोग दिल्ली के रहने वाले हैं. घटना के बाद पुलिस को जानकारी दी गई, जिसके बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची. बस हादसे में घायल हुए चार यात्रियों की हालत गंभीर होने पर उन्हें सैफई पीजीआई रेफर कर दिया गया. इस हादसे में ड्राइवर की बड़ी लापरवाही सामने आई है.

बागपत से प्रयागराज जा रही बस

महाकुंभ में देश से लेकर विदेशों तक से श्रद्धालु स्नान करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन इस बीच इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जब प्रयागराज जा रहे लोग हादसे का शिकार हो गए. हाल ही में कानपुर-प्रयागराज हाईवे पर बागपत से प्रयागराज जा रही एक बस हादसे का शिकार हो गई थी. इस हादसे में भी करीब 15 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हादसे में बस का अगला हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था.

क्या होती है Ghost Call? अपने फायदे के लिए कर सकते हैं यूज

क्या आप Ghost Call (भूतिया कॉल) के बारे में जानते हैं. अगर नहीं तो आपके पास ये कॉल आई भी होगी तो आपको इसके बारे में पता नहीं चला होगा. वैसे Ghost Call का इस्तेमाल बहुत सारे यूजर्स अपने फायदे के लिए करते हैं. अगर आप भी Ghost Call का फायदा अपने लिए करना चाहते हैं तो इसके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं.

क्या होती है Ghost Call?

घोस्ट कॉल से फायदा लेने से पहले ये जान लेना बहुत जरूरी है कि Ghost Call होती क्या है? घोस्ट कॉल एक फोन कॉल होती है जिसमें दूसरी तरफ कोई नहीं होता. इसे फैंटम कॉल भी कहा जाता है. कई बार टेलीमार्केटिंग कंपनी इस तरह की कॉल का यूज करती हैं. घोस्ट कॉल को आप भी अपने फायदे के लिए यूज कर सकते हैं, इसके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं.

कैसे उठा सकते हैं Ghost Call से फायदा?

कई बार आप ऐसी जगह पर फंस जाते हैं जहां आप जाना नहीं चाहते और आपको उस जगह का माहौल एकदम बोरिंग लग रहा होता है. साथ ही आप यहां से बिना कुछ कहें उठकर बाहर भी नहीं जा सकते. ऐसी स्थिति में घोस्ट कॉल बहुत काम आती है. इसमें आपके शेड्यूल किए गए टाइम पर आपके फोन की रिंग बजती है और आप फोन पिक करके बात करने के बहाने बाहर निकलकर एक दो ग्यारह हो जाते हैं

कहां मिलती है Ghost Call की सुविधा?

कई ऐप घोस्ट कॉलिंग की सुविधा देते हैं, जिसमें Truecaller भी शामिल है, जिसने हाल ही में iPhone के लिए एक बड़ा अपडेट रोल आउट किया है, जो iOS और Android डिवाइस पर आसानी से यूज किया जा सकता है. हालांकि, Truecaller की घोस्ट कॉलिंग सुविधा प्रीमियम सब्सक्राइबर्स के लिए उपलब्ध है, इसे एक्सेस करने के लिए पेड प्लान की आवश्यकता होती है.

Truecaller पर आप घोस्ट कॉलर का नाम और फ़ोन नंबर कस्टमाइज़ कर सकते हैं, और इसे ज़्यादा वास्तविक दिखाने के लिए कॉलर आईडी की तस्वीर भी जोड़ सकते हैं. Truecaller यूजर्स को घोस्ट कॉल शेड्यूल करने की भी अनुमति देता है, जिससे वे और भी ज़्यादा प्रामाणिक लगते हैं.

ऐप खोलें और घोस्ट कॉल विकल्प चुनें

घोस्ट कॉलर का नाम, फ़ोन नंबर और कॉलर आईडी फ़ोटो जैसी जानकारी दर्ज करें.

चुनें कि आप कब कॉल करना चाहते हैं आप इसे तुरंत के लिए, 10 सेकंड, 1 मिनट, 5 मिनट और 30 मिनट बाद के लिए शेड्यूल कर सकते हैं.

वर्तमान में, आप एक बार में केवल एक घोस्ट कॉल शेड्यूल कर सकते हैं और इसे बाद की तारीख में शुरू कर सकते हैं. हमें उम्मीद है कि जब भी आपको जल्दी से बचने की ज़रूरत होगी, तो घोस्ट कॉल आपकी मदद कर सकती है.

कानपुर में नाबालिग बच्ची के साथ दर्दनाक घटना: शराब के नशे में युवक ने किया रेप का प्रयास, फिर गला दबाकर की हत्या

कानपुर जिले के एक गांव में बच्ची अपनी बकरी को ढूंढने गई तो युवक ने नशे में बच्ची को उठा लिया और रेप का प्रयास करने लगा. जब बच्ची ने कहा कि वो सबको बता देगी तो आरोपी ने नाबालिग बच्ची को मार डाला. मामला कानपुर के महाराजपुर का है, जहां एक नाबालिग बच्ची से रेप और मर्डर के मामले में पुलिस ने घटना का खुलासा करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

बताया जा रहा है कि महाराजपुर के एक गांव में 12 साल की नाबालिग बच्ची 27 जनवरी को अपनी पांच बकरियों को लेकर बाहर गई थी. शाम को चार बकरियां वापस आ गईं, लेकिन एक वापस नहीं आई. बच्ची के परिजन बकरी को ढूंढने निकले और बच्ची खुद दूसरे रास्ते में बकरी ढूंढने चली गई. रात होने तक बकरी तो वापस आ गई, लेकिन बच्ची वापस नहीं आई. काफी ढूंढने पर जब बच्ची का पता नहीं चला तो पुलिस में मामला दर्ज कराया गया.

अगले दिन बच्ची का शव खेत के पास मिला. शव मिलने के बाद गांव में हड़कंप मच गया और पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू कर दी. बुधवार को पुलिस ने घटना का खुलासा करते हुए गांव के ही उदयभान को गिरफ्तार कर लिया. डीसीपी श्रवण कुमार के अनुसार, उदयभान ने पूछताछ में बताया कि वो शराब के नशे में गिल्ली डंडा खेल रहा था, तभी उसने बच्ची को जाते देखा. पूछने पर बच्ची ने बताया कि उसकी बकरी खो गई है तो उदयभान उसको बकरी ढूंढने के बहाने खेत में ले गया.

बच्ची की गला दबाकर हत्या की

आरोपी उदयभान ने शराब के नशे में बच्ची के रेप का प्रयास किया तो बच्ची ने कहा कि वो उसको पहचानती है और गांव में सबको बता देगी. आरोपी के अनुसार, यह सुनकर वो घबरा गया और उसको लगा कि अगर बच्ची ने मुंह खोल दिया तो गांव में बदनामी भी होगी और पुलिस पकड़ लेगी. इसलिए उसने बच्ची का गला दबाकर उसको मार डाला.

डीसीपी के अनुसार, पुलिस को उदयभान पर शक इसलिए हुआ, क्योंकि परिजनों से ज्यादा वही पूछताछ में बोल रहा था. उसने कई झूठ भी बोले, जिसकी तस्दीक करने पर पुलिस को पता चला कि वो झूठ बोल रहा है. उसके बाद पुलिस ने सख्ती की तो उदयभान टूट गया और उसने जुर्म कबूल कर लिया.

महाराष्ट्र में 5 साल में बनेंगे 8 लाख घर, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की घोषणा

महाराष्ट्र में लोगों के अपने आशियाने के सपने को अब सरकार पूरा करने जा रही है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) अगले पांच सालों में राज्य भर में आठ लाख घरों का निर्माण करेगा. उन्होंने कहा कि इन मकानों के निर्माण के समय इनकी गुणवत्ता का ध्यान रखा जाना चाहिए. शिंदे ने कहा कि हम निरीक्षण के जरिए इनकी गुणवत्ता की जांच करेंगे.

आवास एवं शहरी विकास मंत्री शिंदे ने कोंकण संभाग में 2,147 मकानों और 117 भूखंडों के लिए लॉटरी के अवसर पर यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि म्हाडा की पारदर्शी लॉटरी प्रणाली के कारण लोगों का उसमें भरोसा बढ़ रहा है. वर्तमान लॉटरी में 2,147 घरों के लिए 31,000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है. शिंदे ने कहा कि सरकार लोगों के घर के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

क्लस्टर विकास परियोजनाओं के महत्व पर जोर

इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ने क्लस्टर विकास परियोजनाओं के महत्व पर भी जोर दिया और उन्हें मौजूदा शहरी क्षेत्रों के भीतर सुनियोजित शहर बनाने का प्रयास बताया. उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को ठाणे में कई क्लस्टर परियोजनाओं का भूमि पूजन और शिलान्यास किया जाएगा.

लोगों को किफायती दामों में मिलेंगे घर

शिंदे ने कहा कि पिछले कुछ सालों में म्हाडा घरों के निर्माण गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि राज्य की नई आवास नीति में कपड़ा मिल श्रमिकों और मुंबई के प्रसिद्ध ‘डब्बावालों’ (टिफिन वाहक) के लिए प्रावधान शामिल होंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें किफायती दामों में आवास मिल सकें.

2147 फ्लैट और 117 प्लॉट बेचे गए

ठाणे के डॉ. कोंकण क्षेत्र में म्हाडा के लिए बुधवार को काशीनाथ घनेकर थिएटर में उपमुख्यमंत्री शिंदे ने लॉटरी निकाली. इस बार नीलामी में 2147 फ्लैट और 117 प्लॉट बेचे गए. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर किसी का सपना होता है कि उसे अच्छा घर मिले वो भी किफायती दामों पर. म्हाडा इस सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम पिछले ढाई साल से काम कर रहे हैं और रुकी हुई परियोजनाओं को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. शिंदे ने कहा कि कुछ बाधाएं थीं हमने उन्हें हटा दिया है शिंदे ने कहा कि म्हाडा की विश्वसनीयता और गुणवत्ता बढ़ी है, लोगों को अच्छे घर दिए जाने चाहिए, घरों में रिसाव नहीं होना चाहिए औ उनकी दीवारें अच्छी होनी चाहिए

अजीत प्रसाद या चंद्रभान पासवान? मिल्कीपुर में किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है. 10 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला वोटर्स ने ईवीएम में कैद कर दिया है. इस सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला है. कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं. कांग्रेस ने सपा को समर्थन दिया है. नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है. वोटिंग के लिए 414 बूथ बनाए गए थे. एग्जिट पोल सर्वे से तस्वीर साफ हो जाएगी कि 8 फरवरी को आने वाले नतीजों में कौन बाजी मार सकता है.

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर दोपहर 3 बजे तक 57.13 प्रतिशत मतदान हुआ है. वोटिंग के बीच समाजवादी पार्टी ने कई आरोप लगाए. एक पोस्ट में समाजवादी पार्टी ने कहा, मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में बूथ नंबर-286 पर पुलिस समाजवादी पार्टी के एजेंट को जबरन उठाकर ले गई.