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महाराष्ट्र में 5 साल में बनेंगे 8 लाख घर, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की घोषणा

महाराष्ट्र में लोगों के अपने आशियाने के सपने को अब सरकार पूरा करने जा रही है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) अगले पांच सालों में राज्य भर में आठ लाख घरों का निर्माण करेगा. उन्होंने कहा कि इन मकानों के निर्माण के समय इनकी गुणवत्ता का ध्यान रखा जाना चाहिए. शिंदे ने कहा कि हम निरीक्षण के जरिए इनकी गुणवत्ता की जांच करेंगे.

आवास एवं शहरी विकास मंत्री शिंदे ने कोंकण संभाग में 2,147 मकानों और 117 भूखंडों के लिए लॉटरी के अवसर पर यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि म्हाडा की पारदर्शी लॉटरी प्रणाली के कारण लोगों का उसमें भरोसा बढ़ रहा है. वर्तमान लॉटरी में 2,147 घरों के लिए 31,000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है. शिंदे ने कहा कि सरकार लोगों के घर के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

क्लस्टर विकास परियोजनाओं के महत्व पर जोर

इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ने क्लस्टर विकास परियोजनाओं के महत्व पर भी जोर दिया और उन्हें मौजूदा शहरी क्षेत्रों के भीतर सुनियोजित शहर बनाने का प्रयास बताया. उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को ठाणे में कई क्लस्टर परियोजनाओं का भूमि पूजन और शिलान्यास किया जाएगा.

लोगों को किफायती दामों में मिलेंगे घर

शिंदे ने कहा कि पिछले कुछ सालों में म्हाडा घरों के निर्माण गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि राज्य की नई आवास नीति में कपड़ा मिल श्रमिकों और मुंबई के प्रसिद्ध ‘डब्बावालों’ (टिफिन वाहक) के लिए प्रावधान शामिल होंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें किफायती दामों में आवास मिल सकें.

2147 फ्लैट और 117 प्लॉट बेचे गए

ठाणे के डॉ. कोंकण क्षेत्र में म्हाडा के लिए बुधवार को काशीनाथ घनेकर थिएटर में उपमुख्यमंत्री शिंदे ने लॉटरी निकाली. इस बार नीलामी में 2147 फ्लैट और 117 प्लॉट बेचे गए. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर किसी का सपना होता है कि उसे अच्छा घर मिले वो भी किफायती दामों पर. म्हाडा इस सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम पिछले ढाई साल से काम कर रहे हैं और रुकी हुई परियोजनाओं को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. शिंदे ने कहा कि कुछ बाधाएं थीं हमने उन्हें हटा दिया है शिंदे ने कहा कि म्हाडा की विश्वसनीयता और गुणवत्ता बढ़ी है, लोगों को अच्छे घर दिए जाने चाहिए, घरों में रिसाव नहीं होना चाहिए औ उनकी दीवारें अच्छी होनी चाहिए

अजीत प्रसाद या चंद्रभान पासवान? मिल्कीपुर में किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है. 10 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला वोटर्स ने ईवीएम में कैद कर दिया है. इस सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला है. कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं. कांग्रेस ने सपा को समर्थन दिया है. नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है. वोटिंग के लिए 414 बूथ बनाए गए थे. एग्जिट पोल सर्वे से तस्वीर साफ हो जाएगी कि 8 फरवरी को आने वाले नतीजों में कौन बाजी मार सकता है.

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर दोपहर 3 बजे तक 57.13 प्रतिशत मतदान हुआ है. वोटिंग के बीच समाजवादी पार्टी ने कई आरोप लगाए. एक पोस्ट में समाजवादी पार्टी ने कहा, मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में बूथ नंबर-286 पर पुलिस समाजवादी पार्टी के एजेंट को जबरन उठाकर ले गई.

बदल गई राम मंदिर की टाइमिंग, रामलला के दर्शन के लिए अब भक्तों को मिलेगा ज्यादा समय

रामलला के भक्तों के लिए खुशखबरी है, राम मंदिर ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए दर्शन और आरती के समय में बदलाव किया है. अब भक्तों को भगवान श्रीराम के दर्शन करने का अधिक समय मिलेगा. पहले दर्शन सुबह 7 बजे से होते थे, लेकिन अब श्रद्धालु ज्यादा देर तक भी भगवान के दर्शन कर सकेंगे.

ट्रस्ट ने बताया कि अब समय सुबह 4:00 बजे मंगला आरती होगी, जो दिन की पहली आरती होगी, और इसके बाद मंदिर के पट कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद सुबह 6:00 बजे श्रंगार आरती होगी, जिसके साथ ही रामलला का मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा.

मंदिर में दोपहर 12:00 बजे राज भोग का समय होगा, जब भगवान को भोग अर्पित किया जाएगा, लेकिन इस दौरान भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे. शाम 7:00 बजे संध्या आरती होगी, इस समय 15 मिनट के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे, लेकिन दर्शन की व्यवस्था बनी रहेगी.

अंत में, रात 10:00 बजे शयन आरती होगी, जिसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे और मंदिर का दरवाजा बंद हो जाएगा. इस नए बदलाव से भक्तों को अधिक समय तक रामलला के दर्शन करने का अवसर मिलेगा.

पुरानी व्यवस्था के अनुसार पहले सुबह के दर्शन 7 बजे से शुरू होते थे, पहले शयन आरती रात 9:30 बजे होती थी, इस नए बदलाव से सुबह 1 घंटे 30 मिनट और शाम में 30 मिनट का अतिरिक्त समय मिलेगा. जिससे श्रद्धालुओं को काफी राहत मिल सकती है.

ताकि श्रद्धालुओं को न हो कोई परेशानी

राम मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि यह बदलाव श्रद्धालुओं को अधिक समय तक भगवान के दर्शन करने का अवसर देने के लिए किया गया है. बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है ताकि दूर-दूर से आने वाले भक्त बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें.

लगातार बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या

राम मंदिर का निर्माण होने के बाद अयोध्या में धार्मिक पर्यटन की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है. 2020 में जहां 60 लाख लोग अयोध्या आए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 16 करोड़ हो गई है. इसी बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए दर्शन के समय में बदलाव किया गया है.

ब्राजील में भारत की इस गाय ने तोड़े दुनिया के सारे रिकॉर्ड्स, 40 करोड़ रुपये में बिकी

ब्राजील के मिनास गेरैस में इन दिनों पशुओं का मेला लगा है, जहां भारतीय नस्ल की गाय सबसे महंगे दाम में बिकी. इस गाय का नाम वियाटिना-19 है. 40 लाख रुपये की कीमत पर इस गाय को खरीदा गया. वियाटिना-19, नेल्लोर नस्ल की गाय है. यह नस्ल भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पाई जाती है.

वियाटिना-19 नाम की यह गाय देखने में जितनी खूबसूरत है. उतनी ही ज्यादा इसमें विशेषताएं भी हैं. इस गाय ने मिस साउथ अमेरिका का टाइटल भी जीता था. इसके बाद से ही यह गाय चर्चा में है. दुनिया के कई देशों में इस गाय की बछड़ों को लोग लेकर गए हैं ताकि अच्छी नस्ल गायें तैयार की जा सकें. यही वजह है कि जब इस गाय के लिए बोली लगाई गई तो एक ग्राहक ने 40 करोड़ रुपये तक का ऊंचा मूल्य चुकाने का फैसला लिया.

नेल्लोर नस्ल की गायों को ऑन्गोल ब्रीड के तौर पर भी जाना जाता है. इन गायों की विशेषता यह है कि ये बेहद कठिन और गर्म परिस्थितियों में भी रह सकती हैं. इनकी दूध देने की क्षमता प्रभावित नहीं होती. आमतौर पर अत्यधिक गर्म मौमस में गायों का दूध कम हो जाता है. इसके अलावा नेल्लोर नस्ल की गायों की इम्युनिटी भी शानदार होती है और वे बीमारियों से लड़ पाती हैं. यही कारण है कि इनकी दुनिया भर में लोकप्रियता काफी अधिक है.

लंबे समय तक खाना स्टोर कर लेती हैं

यह गाय बेहद कम देखभाल के साथ भी कठिन परिस्थिति वाले इलाकों में रह लेती हैं. सफेद फर और कंधे पर ऊंचे हंप वाली इन गायों की यह विशेषता है कि ये ऊंटों की तरह लंबे समय तक के लिए खाने और पीने की सामग्री को स्टोर कर लेती हैं. इसके चलते इनका रेगिस्तान, गर्म वाले इलाकों में रहना आसान होता है. यही कारण है कि पूरी दुनिया में नेल्लोर नस्ल की गायों की मांग बढ़ गई है. कई बार चारे आदि की कमी पर पशुओं के लिए सर्वाइव करना मुश्किल होता है. ऐसे में ये गायें एक अच्छा विकल्प हैं. ये गायें फैट की स्टोरेज कर लेती हैं. इसे कठिन परिस्थितियों में भी उनके स्वास्थ्य पर ज्यादा असर नहीं दिखता.

1800 से ब्राजील में भी पाली जा रहीं ये गाय

नेल्लोर नस्ल की गाय की इतनी ऊंची बोली लगने से साफ है कि इनकी डिमांड काफी ज्यादा बढ़ रही है. इन गायों का बीमारियों से बचाव का प्रतिरोधी तंत्र काफी मजबूत होता है. इसके अलावा उनका गर्म मौसम में रहना बहुत कठिन नहीं है. इन गायों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ऐसी होती है कि उन्हें कम से कम मेडिकल केयर की जरूरत रहती है. नेल्लोर नस्ल की गायों को ब्राजील में भी बड़े पैमाने पर पाला जाता है. साल 1800 से ही ब्राजील में इनका पालन हो रहा है.

यूपी में बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही: गरीब किसान को भेजा 7 करोड़ रुपये का बिजली बिल, मंत्री ने दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश से बिजली विभाग की एक करतूत ने सभी को हैरान कर दिया. विभाग ने एक गरीब किसान को अचानक सात करोड़ रुपये का बिजली बिल भेज दिया, जिससे उसे बड़ा झटका लगा. इतने पैसे का बिल देखकर किसान परेशान हो गया और लगातार विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर हो गया.

मामला बस्ती जिले के हरैया विद्युत उपकेंद्र के केशवपुर फीडर के रमया गांव का है, जहां मोलहु नाम के किसान को इतनी बड़ी राशि का बिजली बिल भेजा गया कि वह अपनी पूरी संपत्ति बेचकर भी उसे चुकता नहीं कर सकता. किसान ने बताया कि उनके घर में केवल एक पंखा और एक बल्ब जलता है, फिर भी इतना भारी बिल आना उसके समझ से परे था.

ऊर्जा मंत्री तक पहुंची बात, कर्मचारी निलंबित

परेशान किसान ने विभाग के कई चक्कर लगाए, लेकिन उसकी कोई मदद नहीं हो पाई. फिर उसने अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर बताई, जो जल्दी ही चर्चा का विषय बन गई. मामला बढ़ने पर राज्य के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा तक पहुंचा. मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए और एक कर्मचारी, दीपक तिवारी, को निलंबित कर दिया

75 हजार से सीधा 7 करोड़ का बिल

किसान मोलहु ने 2014 में एक किलोवाट का बिजली कनेक्शन लिया था. उनका कहना था कि दिसंबर 2024 में उनका बकाया बिल 75 हजार रुपये था, लेकिन एक महीने बाद उनके पास 7.33 करोड़ रुपये का बिल आ गया. इस भारी बिल को देखकर मोलहु चकरा गए और उन्हें दिल का दौरा पड़ने की स्थिति हो गई.

उन्होंने कहा, ‘यह बिल देखकर मुझे हार्ट अटैक आने वाला था. मेरी एक बेटी है, उसकी शादी कैसे होगी? इतना बड़ा बिल हमारे जैसे गरीब परिवार के लिए असंभव है.’ मोलहु के बेटे ने बताया कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

जल्द ही किया जाएगा सुधार

शिकायत के बाद सुप्रीटेंडिंग इंजीनियर प्रशांत सिंह ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है और जल्द ही बिजली का बिल सही कर दिया जाएगा. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यह विभाग की बड़ी लापरवाही थी, जिसे अब तुरंत ठीक किया जाएगा.

दोषी कर्मचारी के निलंबन के बाद मोलहु और उनके परिवार को राहत मिली है, लेकिन यह घटना विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाती है कि कैसे एक गलत रीडिंग से किसानों को भारी नुकसान हो सकता है.

नीलगिरी में मद्रास हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: प्लास्टिक पर प्रतिबंध, उल्लंघन पर लगेगा 10,000 रुपये का जुर्माना

पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर तमिलनाडु के नीलगिरी में मद्रास हाई कोर्ट ने प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है. कोर्ट ने नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए व्यापक आदेश जारी किया है. पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियमों का पालन किया जा रहा है. स्थानीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक नीलगिरी घूमने आते हैं. यहां पिछले साल से ई-पास प्रणाली भी लागू की गई है.

कुछ दिन पहले वन एवं वन्यजीव संरक्षण से जुड़ा एक मामला मद्रास हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए आया. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सतीश कुमार और न्यायमूर्ति भारत चक्रवर्ती की दो सदस्यीय पीठ ने नीलगिरी जिला कलेक्टर लक्ष्मी भव्या थानीर की कड़ी निंदा की. नीलगिरी जिला कलेक्टर द्वारा प्लास्टिक प्रतिबंध के कार्यान्वयन से संबंधित जानकारी वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इसे पढ़ने के बाद न्यायाधीश यह देखकर हैरान रह गए कि इसमें उल्लेख किया गया था कि 93 स्थानों पर स्वचालित पेयजल केंद्र संचालित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी कुआं जल केंद्र काम नहीं कर रहा है और जिला कलेक्टर ने गलत जानकारी के साथ रिपोर्ट दायर की है.

कोर्ट ने लगाई फटकार, दी गई थी गलत जानकारी

कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति यही बनी रही तो नीलगिरी में प्रवेश करने वाले वाहनों की संख्या सीमित करने के लिए सख्त कार्रवाई का आदेश दिया जा सकता है. यह मामला सुनवाई के लिए कोर्ट में आया. उस समय जिला कलेक्टर लक्ष्मी भव्य ठाणे ने न केवल रिपोर्ट में गलत जानकारी देने के लिए माफी मांगी थी, बल्कि स्वचालित पेयजल एटीएम लगाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी बताया था. कुछ लोग एटीएम के अंदर सिक्का डालने वाले स्लॉट में सिक्के, पत्थर या अन्य वस्तुएं डाल देते हैं, इसके कारण मशीन काम करना बंद कर देती हैं.

वाटर ATM से मिलेगा पानी

बताया गया कि मरम्मत के बाद भी यह समस्या बार-बार आती रहती है. इसलिए, यह बताया गया कि वे वास्तविक समय डैशबोर्ड या यूपीआई स्कैन के माध्यम से उन्हें बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं. शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए संयंत्र स्थापित करने के लिए भी प्रयोग चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह पेयजल एटीएम से भी अधिक उपयोगी होगा. नीलगिरी जिले में प्रवेश करने वाले सभी वाहनों की जांच करना असंभव है. जिला कलेक्टर ने चेतावनी दी थी कि इससे यातायात में भारी भीड़ और अव्यवस्था पैदा हो जाएगी.

पानी की बोतल पर भी प्रतिबंध, लगेगा जुर्माना

उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई यात्री प्लास्टिक की बोतल ले जाते हुए पाया गया तो प्रशासन संबंधित वाहन चालक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने की योजना बना रहा है.उन्होंने कहा कि यदि दोबारा उल्लंघन किया गया तो चालक का लाइसेंस और वाहन जब्त कर लिया जाएगा. इसके बाद न्यायाधीशों ने टिप्पणी करते हुए आदेश दिया कि यदि पर्यटक प्रतिबंधित प्लास्टिक वस्तुएं ले जाते हुए पाए जाएं तो उनके पर्यटक वाहनों और बसों को जब्त कर लिया जाए तथा उनके परमिट को काली सूची में डाल दिया जाए.

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे की बड़ी खबर: पहले 18 किमी तक यात्रा होगी पूरी तरह से टोल फ्री

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे (Delhi-Dehradun Expressway) खुलने का सभी को बेसब्री से इंतजार है. क्योंकि इस एक्सप्रेस-वे के खुलने से साढ़े छह घंटे का सफर आधे से भी ज्यादा कम हो जाएगा. यानि महज ढाई घंटे में आप दिल्ली से देहरादून पहुंच सकेंगे. पहले माना जा रहा था कि जनवरी में इसे खोल दिया जाएगा. लेकिन अभी इसे खुलने में जरा सी देर और लग सकती है. हालांकि, देहरादून में आशारोड़ी और डाट काली गुफा के बीच 3.5 किमी के हिस्से को अब ट्रैफिक (Traffic) के लिए पूरी तरह से खोल दिया गया है.

इसकी एक साइड की रोड पर पहले ही ट्रैफिक चालू कर दिया गया था, जिस पर गाड़ियां दोनों तरफ सरपट दौड़ रही थीं. अब एक्सप्रेसवे के इस हिस्से में दोनों तरफ की सड़क को यानी सभी 6 लेन को ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया है. इस साढ़े तीन किमी के हिस्से में एक्सप्रेसवे के खुलने से स्थानीय लोगों को बड़ी सहूलियत होगी.

गेमचेंजर साबित होगा यह एक्सप्रेस-वे

दिल्ली से देहरादून जाने वाले लोगों की तादाद काफी ज्यादा है. खासकर उत्तराखंड की फेमस ट्रैवल डेस्टिनेशन्स और मंदिरों के दर्शन करने के लिए ज्यादातर लोग उत्तराखंड की राजधानी देहरादून होकर ही जाते हैं. हालांकि वर्तमान में दिल्ली से देहरादून जाने में 6.5 घंटे का समय लगता है. वहीं रास्ते में लोगों को भयंकर जाम का भी सामना करना पड़ता है. इसलिए नया दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे एक गेमचेंजर साबित हो सकता है.

कहां तक टोल फ्री होगा यह एक्सप्रेस-वे

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे 210 किलोमीटर का होगा. यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होगा और यहां से 18 किलोमीटर का रूट पूरी तरह से टोल फ्री होगा. 18 किलोमीटर तक कोई टोल बूथ नहीं होगा. वहीं इस पूरे एक्सप्रेसवे पर 16 एंट्री और एग्जिट पॉइंट होंगे, जो अलग-अलग रास्तों को एक-दूसरे से कनेक्ट करेंगे. इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण 18 हजार करोड़ रुपये में हुआ है.

जिस शराब के खिलाफ थे…’, दिल्ली में मतदान के बीच आया केजरीवाल पर अन्ना हजारे का बयान

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज वोटिंग का दिन है. ऐसे में भ्रष्ट्राचार विरोधी आंदोलन की आवाज अन्ना हजारे ने आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए कहा कि शुरुवात में केजरीवाल की नियत साफ थी लेकिन, मुझे जब पता चला वो स्वार्थी है तब मैं उससे दूर हो गया. उसने पार्टी बना ली और जिस शराब के खिलाफ हमने आंदोलन किया आज वही केजरीवाल शराब की बात करता है. इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया.

अब चुनाव में शुद्ध आचार, शुद्ध विचार, जीवन में त्याग करने वाले उम्मीदवार को ही वोटिंग करने से ही देश बदलेगा. अन्ना हजारे ने कहा कि शुरू-शुरू में ये मेरे साथ आ गया था. उस समय पर अरविंद केजरीवाल की नियत बिल्कुल साफ थी. साथ ही उनमें सामाजिक राजनीतिक दृष्टिकोण भी था. तो मेरे मन में विचार आया कि ये अच्छा कार्यकर्ता है. इसी वजह से मैंने उसे अपने साथ किया, लेकिन पक्ष और पार्टी जब निकाला तबसे मैंने उसका साथ छोड़ दिया.

अन्ना के वजह से आ गया ये गलत है

अन्ना हजारे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जब मुझे इसके स्वार्थी होने का पता चला तो मैंने इससे पूरी तरह से दूरी बना ली. जो लोग कहते हैं कि अन्ना की वजह से आ गया, ये बिल्कुल गलत है, क्योंकि इनके बारे में सही बातें पता चलने पर मैंने इन्हें छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि आज पक्ष और पार्टी किसी से पैसा लेना या किसी से पैसा लेकर वोटिंग करना.

रिश्तेदार या जान पहचान सोचकर जो वोटिंग करते हैं, इससे देश बर्बाद हो जाएगा. बल्कि जो भी प्रत्याशी है, उसके आचार-विचार कैसे हैं, उसका चरित्र कैसा है? उसका जीवन कैसा है, क्या निश्कलंक या त्यागी है? ये सभी कुछ देखकर ही वोट देना चाहिए. क्या प्रत्याशी में त्याग की भावना है, या वो किसी से रिश्वत नहीं लेता है. जो देश और समाज के बारे में सोचता है, ऐसे प्रत्याशी को चुनना चाहिए. ऐसा करने पर ही देश में बदलाव होगा अन्यथा कोई भी बदलाव नहीं होने वाला है.

राजकोट में 72 घंटों में हार्ट अटैक से 7 लोगों की मौत, दिल के दौरे के बढ़ते मामलों से लोग चिंतित

गुजरात के राजकोट से परेशान करने वाला मामला सामने आया है. यहां 72 घंटों में दिल का दौरा पड़ने से सात लोगों की मौत हो गई. राजकोट शहर और जिले में हार्ट अटैक से सात लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा कोठारिया, गांधीग्राम, शापर और वेरावल में भी हार्ट अटैक से मौत की खबर सामने आई हैं. बेलनाथपारा समेत कई इलाकों में हार्ट अटैक की घटनाएं बढ़ गई हैं. दिल के दौरे से होने वाली अधिकतर मौतें 50 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों में हुई हैं. हालांकि, इनमें से एक मृतक 35 वर्ष का है.

आजकल युवाओं में दिल के दौरे के मामले बढ़ रहे हैं और मौतों के मामले भी सामने आ रहे हैं. राजकोट शहर की बात करें तो पिछले 72 घंटों में शहर में सात लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है. मरने वाले ज्यादातर लोग 50 से 60 साल की उम्र के हैं. दिल का दौरा पड़ने से पांच पुरुषों और एक महिला की मौत हुई है. शैलेश बरैया उन सात मृतकों में से एक हैं, जिनकी उम्र 35 वर्ष है.

लगातार हो रहीं मौतों से लोग चिंतित

राजकोट में आर्ट अटैक से हुई सात लोगों की मौत से लोग दहशत में हैं. अचानक 35 साल के शैलेश बरैया की मौत बसे उनके परिवार में शोक की लहर है. घर में कोहराम मचा हुआ है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. आजकल छोटी उम्र में भी दिल के दौरे के मामलों से लोग चिंतित हो रहे हैं. बीते दिनों गुजरात के अहमदाबाद के जेबर स्कूल में आठ साल की बच्ची की स्कूल में हार्ट अटैक से मौत होने से सनसनी फैल गई थी. जब बच्ची अपनी क्लास की ओर जा रही थी कि अचानक से उसके सीने में दर्द होने लगा वह कॉरिडोर रखे एक बेंच पर बैठ गई. इसी दौरान बच्ची को हार्ट अटैक आ गया और फिर वह बेंच से नीचे गिर गई.

क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट?

इन मामलों में हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि फास्ट फूड के दौर में हमारी जीवनशैली बदल गई है, जिसके कारण दिल को खतरा बढ़ गया है और यह समस्या सिर्फ हमारे राज्य या देश तक सीमित नहीं है, बल्कि आंकड़े कहते हैं कि दुनियाभर में 6.4 करोड़ से ज्यादा लोग हार्ट फेलियर से प्रभावित हैं. दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप और कोरोनरी धमनी रोग हृदय संबंधी समस्याओं के मुख्य कारण हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा का बड़ा बयान: देशभर में मांसाहारी भोजन पर लगे प्रतिबंध, यूसीसी को लागू करने का समर्थन

दिग्गज अभिनेता और टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अक्सर अपने बेबाक बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं. वहीं एक बार फिर उन्होंने मांसाहारी भोजन और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. शत्रुघ्न सिन्हा ने मंगलवार को एक सवाल के जवाब में मांसाहारी भोजन पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की वकालत कर दी. साथ ही उन्होंने यूसीसी को लागू करने का समर्थन कर दिया.

हालांकि साथ में उन्होंने यह भी कहा कि भारत में क्षेत्रीय मतभेदों की वजह से इस तरह के नियम को लागू करना बेहद चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि देश भर में यूसीसी को लागू करने में आने वाली दिक्कतों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति से अलग हटकर सर्वदलीय चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने उत्तराखंड में यूसीसी के सफल क्रियान्वयन की तारीफ की.

मांसाहारी भोजन पर लगे प्रतिबंध

वहीं बीफ बैन करने के सवाल पर टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बीफ ही क्यों मैं तो कहता हूं, सामान्य रूप से मांसाहारी भोजन पर भी देश में प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. हमारे देश में कई जगह पर बीफ पर बैन है, लेकिन कई इलाकों में यह अभी भी खुलेआम बिकता है. नॉर्थईस्ट में लोग इसे खुलेआम खा सकते हैं, लेकिन नॉर्थ इंडिया में नहीं.

यूसीसी में कई बारीकियां और खामियां

उन्होंने कहा कि जो नियम नॉर्थ इंडिया में लागू किए जा सकते हैं, वो नॉर्थईस्ट राज्यों में नहीं लागू किए जा सकता. सांसद ने कहा कि ऐसे ही यूसीसी में भी कई बारीकियां और खामियां हैं. यूसीसी प्रावधानों का मसौदा तैयार करने से पहले एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जानी चाहिए. जिसमें राजनीति से अलग हटकर चर्चा हो.

गुजरात भी UCC की तरफ बढ़ा रहा कदम

गुजरात की बीजेपी सरकार ने राज्य में यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करने और इसका मसौदा विधेयक तैयार करने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी 45 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद यूसीसी के कार्यान्वयन के बारे में निर्णय लिया जाएगा.

सरकार ने किया कमेटी का गठन

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कमेटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मुस्लिम समुदाय सहित धार्मिक नेताओं से भी मुलाकात करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी की आवश्यकता का आकलन और इसका मसौदा विधेयक तैयार करने के लिए, हमने सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के नेतृत्व में एक कमेटी बनाने का फैसला किया है. कमेटी के अन्य सदस्यों में आईएएस के सेवानिवृत्त अधिकारी सीएल मीणा, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ शामिल हैं.