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बांग्लादेश में फिर करवट लेने लगा ISI, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा
#pakistan_isi_becomes_active_in_bangladesh
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के पतन के बाद पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ एक बार फिर से अपने पुराने संबंधों को सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान का ध्यान इस बार मुख्य रूप से व्यापार, संस्कृति और खेल पर है। लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में फिर से एक बार सक्रिय होने की ताक में है। जो कि भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

बांग्लादेश में अशांति के बीच पश्चिम बंगाल एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अब्बास और मिनारुल से पूछताछ के बाद खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि बांग्लादेश में आशांति का लाभ उठाकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उत्तर बंगाल और नेपाल में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। उसने अपने स्लीपर सेल को फिर से सक्रिय कर दिया है।

खुफिया विभाग का कहना है कि गिरफ्तार आतंकियों के संबंध बांग्लादेश के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से है। आतंकियों से पूछताछ से यह जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई नेपाल में एक बार फिर सक्रिय हो गई है। उग्रवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 8 सदस्यों से पूछताछ की गई और पाक समर्थन के प्रत्यक्ष सबूत मिले हैं।आतंकियों की योजना नेपाल से उत्तरी बंगाल के चिकन नेक तक हथियारों की तस्करी करने की थी। वहां से हथियार बांग्लादेश, असम और बंगाल पहुंचाए जाने थे।

शेख हसीना के सत्ता से हटते ही पाकिस्तान ने बांग्लादेश से संबंध सुधारने की कोशिशें तेज कर दी हैं, जिससे आईएसआई का नेटवर्क फिर से सक्रिय हो गया है। यह नेटवर्क भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। 1991-96 और 2001-06 के बीच, जब बांग्लादेश में बीएनपी-जमात सत्ता में थी, तब आईएसआई ने भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिसमें पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन और धन मुहैया कराया गया।
शेख हसीना को वापस भेजे भारत, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने प्रत्यर्पण के लिए लिखा पत्र
#bangladesh_-writes_letter_to_india_demanding_extradition_send_back_hasina
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार में शेख हसीना के खिलाफ कई मामलों केस दर्ज किया गया है। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। इस दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में कई लोग घायल हुए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक नोट भेजा है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने अपने कार्यालय में सोमवार इसकी जानकारी दी। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने पत्रकारों से कहा कि भारत को शेख हसीना पर बांग्लादेश के स्टैंड के बारे में जानकारी दी गई है। हम चाहते हैं क‍ि उन्‍हें जल्‍द भेज द‍िया जाए।

बांग्‍लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से वापसी के ल‍िए हमने भारत के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। उन्होंने यह टिप्पणी सोमवार को ढाका के पिलखाना स्थित बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में की।

*बांग्लादेश ने दी प्रत्यर्पण संधि की दलील*
ढाका ट्र‍िब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना को भारत से वापस लाने के बारे में पूछे जाने पर जहांगीर आलम चौधरी ने कहा, विदेश मंत्रालय को एक पत्र पहले ही भेजा जा चुका है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। शेख हसीना बांग्‍लादेश कब लौटेंगी, इसके बारे में उन्‍होंने कोई टाइम फ्रेम नहीं द‍िया। लेकिन ये जरूर कहा क‍ि बांग्‍लादेश की भारत का साथ प्रत्‍यर्पण संध‍ि है। उसी के तहत शेख हसीना को वापस लाया जाएगा।

* इंटरपोल से मदद मांगने की भी कही थी बात*
इससे पहले बीते माह  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन में हुई मौतों का मुकदमा चलाने के लिए उनको बांग्लादेश लाया जाएगा। इसके लिए अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद मांगेगी।  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा था कि इंटरपोल के जरिये बहुत जल्द रेड नोटिस जारी किया जाएगा। चाहे ये फासीवादी लोग दुनिया में कहीं भी छिपे हों, उन्हें वापस लाया जाएगा और अदालत में जवाबदेह ठहराया जाएगा। 17 अक्तूबर को न्यायाधिकरण ने हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और उनके कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल हैं।

*क्या है प्रत्यर्पण संधि?*
बता दें कि भारत और बांग्लादेश की सरकार के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण को लेकर संधि की गई थी। 2013 से भारत के बीच 'प्रत्यर्पणीय अपराध मामलों' में आरोपी या भगोड़े आरोपियों और बंदियों को एक-दूसरे को सौंपने का करार हुआ था। हालांकि इस प्रत्यर्पण संधि की एक धारा में कहा गया है कि प्रत्यर्पित किए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर राजनीतिक प्रकृति के हों तो अनुरोध खारिज किया जा सकता है।
भारत और बांग्लादेश के बीच किए गए प्रत्यर्पण संधि में राजनीतिक मामलों को छोड़कर अपराध में शामिल व्यक्तियों के प्रत्यर्पण की मांग की जा सकती है। इन अपराधों में आतंकवाद, बम धमाका, हत्या और गुमशुदगी सरीखे अपराधों को शामिल किया गया। हालांकि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ सामूहिक हत्या, लूटपाट और जालसाजी के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा बांग्लादेश के एक आयोग ने उनपर लोगों को गायब करने का भी आरोप लगाया है।
केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी, विधानसभा चुनाव पर कितना होगा असर?
#arvind_kejriwal_prosecution_implications_on_aap_in_delhi_chunav

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले के कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस मामले में केस चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी। अब जाकर उपराज्यपाल ने ईडी को आबकारी नीति मामले में केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की हरी झंडी दे दी है। केजरीवाल पर ये एक्शन अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही लिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आने वाले चुनाव पर इसका कितना असर होगा?

हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि जैसे ही दिल्ली के एलजी की ओर से केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति की जानकारी सामने आई,आम आदमी पार्टी के शीर्ष से लेकर नीचे तक के नेताओं ने इन खबरों का खंडन करना शुरू कर दिया। आप की ओर से इन खबरों को 'आधारहीन और राजनीति से प्रेरित'होने का दावा किया जाने लगा। इसके ठीक उलट विपक्ष को तो लगा कि उसे आम आदमी पार्टी को घेरने का बहुत ही बड़ा हथियार हाथ लग गया है

पूर्व डिप्टी सीएम और आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने सबसे पहले एक्स पर प्रतिक्रिया दी कि ईडी मंजूरी की कॉपी क्यों नहीं दिखा रहा है। उन्होंने लिखा, 'स्पष्ट है कि यह खबर झूठी और भ्रामक है। बाबासाहेब के अपमान के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए बयानबाजी बंद करें और बताएं कि ईडी को मुकदमा चलाने की अनुमति कहां से मिली है।' पार्टी सांसद संजय सिंह ने कहा कि 'अगर ऐसी कोई चिट्ठी है तो उसे सार्वजनिक किया जाए।' दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने एक एक्स पोस्ट में आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी को ऐसी साजिशें बंद कर देनी चाहिए।

वहीं, बीजेपी नेता और नई दिल्ली से पार्टी सांसद बांसुरी स्वराज ने आरोप लगाया कि एलजी की ओर से पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने के बाद से आप घबराई हुई है। उन्होंने कहा, 'केजरीवाल की टीम मुकदमे की इस मंजूरी को मौजूदा राजनीतिक मुद्दों से जोड़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन, सच्चाई है कि उनके खिलाफ केस पहले से ही दर्ज है और उनकी टीम को पता है कि इस अनुमति से उनके खिलाफ चल रहे मामलों में तेजी आ सकती है, जिसके चलते निकट भविष्य में उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।'

*माहौल बनाने में जुटी बीजेपी*
आम आदमी पार्टी की नींव ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान से पड़ी है।उसमें केजरीवाल ने खुद को "स्वच्छ राजनेता" के रूप में पेश किया था। हालांकि, केजरीवाल समेत आप के कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप है।चुनाव से पहले आप के शीर्ष नेता के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने से सत्ताधारी दल के खिलाफ बहुत ही कारगर नैरेटिव मिल गया है। बीजेपी को लगता है कि अब आप की टॉप लीडरशिप के खिलाफ आबकारी नीति मामले में इतने पर्याप्त सबूत हैं, जिससे यह मामला बहुत ही ठोस बन चुका है और इनका बच पाना मुश्किल है। भाजपा नेताओं ने कहना शुरू कर दिया है कि अगर केजरीवाल सत्ता में वापस आते हैं तो दिल्ली में भ्रष्टाचार चरम पर होगा और आम लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा।

*आप का जांच एजेंसियों के दुरुपयोग वाला दांव*
वहीं, आप का विपक्ष के दावों की काट के लिए जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोपों वाला हथियार तैयार है। केजरीवाल की पार्टी दिल्ली के मतदाताओं के बीच मुकदमा चलाने की अनुमति को सहानुभूति बटोरने के लिए भी इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकती है, कि यह बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की 'साजिशों' का नतीजा है।

*दिल्ली आबकारी घोटाला मामला क्या है?*
आबकारी घेटाला मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और उसे अमल में लाने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। एल-जी सक्सेना ने कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद, ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया था। 55 वर्षीय अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को इस मामले में दायर पूरक आरोपपत्र में आरोपी बनाया गया है।
चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा चीन, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव, भारत के लिए क्यों टेंशन की बात?
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एक तरफ भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों की बहाली को लेकर बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ड्रैगन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर चीन की चाल ने भारत की परेशानी को बढ़ाने का काम किया है। चीन ने पिछले 8 साल में भूटान का हिस्सा माने जाने वाले क्षेत्र में कम से कम 22 गांव और बस्तियां बसाने का काम किया है।

*चीन ने बढ़ाई भारत की चिंता*
चीन ने जिन 22 गांवों का निर्माण किया है, उसमें सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है, जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है। चीन की इस चाल ने भारत की टेंशन बढ़ा दी है। इस क्षेत्र में चीनी स्थिति मजबूत होने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है) की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है। यह कॉरिडोर भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है।सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन है। 60 किमी लंबा और 22 किमी चौड़ा यह कॉरिडोर नॉर्थ-ईस्ट के 7 राज्यों को भारत के साथ जोड़ता है।इस कॉरिडोर का भारत के लिए रणनीतिक महत्व है, क्योंकि चीन भूटान की सीमाओं के पास अपने अतिक्रमण का विस्तार कर रहा है, ताकि ज़मीन के इस संकरे हिस्से पर अपना प्रभाव जमा सके। इसकी कमज़ोरी भारत के पूर्वी क्षेत्र में चीन की मज़बूती है।

*7 हजार लोगों को किया स्थानांतरित*
स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) के रिसर्च सहयोगी रॉबर्ट बार्नेट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से, जब चीन ने पहली बार भूटान का हिस्सा माने जाने वाले क्षेत्र में एक गांव बनाया था, तब से चीनी अधिकारियों ने अनुमानित 2,284 आवासीय इकाइयों वाले 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण पूरा कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने लगभग 7 हजार लोगों को यहां स्थानांतरित भी कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने लगभग 825 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर (जो भूटान के अंदर था) कब्जा कर लिया, जो देश के 2 फीसदी हिस्से से थोड़ा अधिक है। चीन ने इन गांवों में अज्ञात संख्या में अधिकारियों, निर्माण करने वालो मजदूरों, बॉर्डर पुलिस और सैन्य कर्मियों को भी भेजा है। ये सभी गांव सड़क के माध्यम से चीन से जुड़े हुए हैं।

*साल 2017 से चल रहा डोकलाम बॉर्डर पर विवाद*
भूटान की 600 किमी सीमा चीन से लगती है। दो इलाकों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है। पहला- 269 वर्ग किमी क्षेत्रफल का डोकलाम इलाका और दूसरा- उत्तर भूटान में 495 वर्ग किमी का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का क्षेत्र। सबसे गंभीर मामला डोकलाम का है, जहां चीन, भारत और भूटान तीनों देशों की सीमाएं लगती है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच साल 2017 में लद्दाख के पास डोकलाम में हुए विवाद पर गतिरोध 73 दिनों तक चला था। उस दौरान भारत ने चीन की ओर से सड़क निर्माण का विरोध किया था। जिसके बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटीं। बीते कुछ सालों से चीन फिर डोकलाम के पास अपनी गतिविधि बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

*भारत के सामने कई सवाल*
कागजों पर, भूटान, भारत की सहमति के बिना डोकलाम के नजदीकी इलाकों को नहीं छोड़ सकता क्योंकि 2007 की भारत-भूटान शांति संधि के अनुसार भारत को भारत की सुरक्षा चिंताओं का सम्मान करना होगा। इससे हमारे सामने कई सवाल खड़े होते हैं - क्या चीन ने भूटान को भारतीय सीमा के नजदीकी इलाके को छोड़ने के लिए मजबूर किया?
क्या थिम्पू ने भूटानी प्रधानमंत्री की हाल की भारत यात्रा के दौरान डोकलाम के नजदीक चीन द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य के बारे में नई दिल्ली को बताया या शर्मिंदगी से बचने के लिए मामले को दबा दिया गया? ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में अपने सीमा विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया में हैं।
बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को झटका, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
#delhi_high_court_refuses_grant_anticipatory_bail_plea_former_ias_probationer_puja_khedkar दिल्ली हाई कोर्ट ने बर्खास्त ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि पूजा खेडकर ने जिस तरह का फ्रॉड किया है, यह न केवल उस संस्था (यूपीएससी) के साथ फ्रॉड है बल्कि पूरे समाज के साथ खिलवाड़ है। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है और खेडकर को दी गई अंतरिम सुरक्षा रद्द की जाती है।पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पर सिविल सेवा परीक्षा में कथित धोखाधड़ी और ओबीसी-दिव्यांगता कोटे का गलत लाभ उठाने का केस दर्ज है।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने खेडकर की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच में संलिप्तता और साजिश के स्पष्ट संकेत हैं, जिसके कारण अग्रिम जमानत का आदेश नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, “अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण रद्द किया जाता है।” अदालत ने खेडकर के खिलाफ प्रथम दृष्टया मजबूत मामला होने की बात स्वीकार की और कहा कि इस मामले में साजिश का खुलासा करने के लिए जांच की आवश्यकता है। अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला न केवल संवैधानिक संस्था (यूपीएससी) के साथ धोखाधड़ी का है, बल्कि समाज के प्रति भी धोखाधड़ी का मामला बनता है।

पूजा खेडकर पर दिल्ली पुलिस की तरफ से आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और अवैध रूप से ओबीसी और दिव्यांगता कोटा लाभ का दावा करने का आरोप लगाया है। इसी आरोप उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी कैंसिल कर दी थी।

यूपीएससी ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। इसके साथ-साथ भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उन पर रोक लगा दी थी। खेडकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार करती रही हैं। दिल्ली की एक अदालत ने 1 अगस्त को खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है। इसके बाद खेडकर ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
रामायण सिखाएं कहीं ऐसा ना हो आपकी श्रीलक्ष्मी कोई और ले जाए” कुमार विश्वास के इस बयान पर क्यों हो रही सियासत*
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मुकेश खन्ना के बाद अब कुमार विश्वास ने अप्रत्यक्ष रूप से शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा पर निशाना साधा है। मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी सोनाक्षी का नाम लिए बगैर ऐसी बात कही है जिसके बाद विवाद गहरा गया है।कुमार विश्वास का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में विश्वास ये कहते दिख रहे हैं कि "अपने बच्चों को रामायण के बारे में सिखाएं। अन्यथा ऐसा हो सकता है कि आपके घर का नाम 'रामायण' हो लेकिन आपके घर की 'लक्ष्मी' कोई और ले जाए।भले ही इस दौरान कुमार विश्वास ने शत्रुघ्न सिन्हा या उनकी बेटी सोनाक्षी का नाम ना लिया हो, लेकिन उनकी बातों को दिग्गज अभिनेता और उनकी एक्ट्रेस बेटी से जोड़कर देखा जा रहा है। कवि कुमार विश्वास ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में आयोजित एक कविता समारोह के दौरान कहा, “अपने बच्चों को नाम याद कराइए, सीताजी के बहनों के, भगवान राम के भाइयों के। साथ ही अपने बच्चों को रामायण सुनवाइए, गीता पढ़वाइए, अन्यथा ऐसा न हो कि आपके घर का नाम ‘रामायण’ हो लेकिन आपके घर की ‘श्रीलक्ष्मी’ कोई और उठाकर ले जाए तब पढ़ना।” हालांकि कुमार विश्वास ने अपने कमेंट में किसी परिवार या उसके सदस्य का नाम नहीं लिया. लेकिन उनके कमेंट में इशारा शत्रुध्न सिन्हा के परिवार की ओर था। सिन्हा के मुंबई स्थित घर का नाम ‘रामायण’ है, उनकी बेटी अभिनेता सोनाक्षी सिन्हा ने कुछ समय पहले अपने बॉयफ्रेंड जहीर इकबाल से शादी कर ली है। इस बीच कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य विश्वास के इस कमेंट की आलोचना की। उन्होंने पूछा कि क्या वह किसी और की बेटी पर इस तरह की "अश्लील टिप्पणी करेंगे और वाहवाही बटोरेंगे" अगर उनके घर में भी बेटी है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "ऐसा करके आप पहले ही अंदाजा लगा सकते हैं कि आप किस हद तक गिर गए हैं।" कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि विश्वास का कमेंट ना केवल "घटिया" है बल्कि महिलाओं के बारे में उनकी असली सोच को भी उजागर करता है। आपके शब्द 'नहीं तो कोई और आपके घर की श्रीलक्ष्मी को ले जाएगा'। क्या लड़की कोई ऐसी चीज है जिसे कोई कहीं ले जा सकता है? आप जैसे लोग कब तक एक महिला को पहले उसके पिता की संपत्ति और फिर उसके पति की संपत्ति मानते रहेंगे?" यह पहली बार नहीं है कि 'रामायण' से कनेक्शन को लेकर सोनाक्षी सिन्हा को आलोचना का सामना करना पड़ा है। दिग्गज अभिनेता मुकेश खन्ना ने अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किए जाने वाले लोकप्रिय क्विज शो कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में हिंदू महाकाव्य के बारे में एक सवाल का गलत जवाब देने के लिए अभिनेत्री की आलोचना की थी। कुछ दिन पहले मुकेश खन्ना ने एक हालिया इंटरव्यू में अपने बयानों को याद किया था। सोनाक्षी ने भी मुकेश खन्ना के बयान पर पलटवार किया था।
शादी के बंधन में बंधीं भारत की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू, वेंकट दत्ता साई के साथ लिए सात फेरे
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बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने शादी कर ली। उन्होंने हैदराबाद के उदमी वेंकट दत्ता साई के साथ उदयपुर में रविवार को सात फेरे लिए। सिंधु और वेंकट की शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई। रविवार को उदयपुर में उन्होंने मंगेतर वेंकट दत्ता साई से शादी रचाई। इस जोड़े ने अपने परिवारों और करीबी लोगों की उपस्थिति में एक-दूसरे के साथ सात जन्म तक साथ रहने की कसमें खाईं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सिंधु की शादी में पहुंचे थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर फोटो भी शेयर की है।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सिंधू की शादी की तस्वीर साझा करते हे लिखा- रविवार शाम उदयपुर में वेंकट दत्ता साई के साथ हमारे बैडमिंटन चैंपियन ओलंपियन पीवी सिंधू के विवाह समारोह में शामिल होकर खुशी हुई। मैंने इस जोड़े को उनके नए जीवन के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया।

*दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट हैं सिंधु*
पीवी सिंधु भारतीय स्पोर्ट्स इतिहास की सबसे बड़ी महिला एथलीट में गिनी जाती हैं। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में बैडमिंटन में सिल्वर मेडल जीता था। वह ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद 2020 तोक्यो ओलिंपिक में सिंधु के खाते में ब्रॉन्ज मेडल आया। उन्होंने 2019 में बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया था।

*कौन हैं वेंकट दत्ता साई?*
वेंकट हैदराबाद के रहने वाले हैं। वह पोसाईडेक्स टेक्नोलॉजी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। वेंकट ने फाउंडेशन ऑफ लिबरल एंड मैनेजमेंट एजुकेशन से लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज/लिबरल स्टडीज से डिप्लोमा किया है। उन्होंने 2018 में फ्लेम यूनिवर्सिटी बैचलर ऑफ बिजनेस एडिमिनिस्ट्रेशन से बीबीए अकाउंटिंग एंड फाइनेंस पूरा किया और फिर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बंगलूरू से डेटा साइंस एंड मशीन लर्निंग में मास्टर डिग्री हासिल की।

वेंकट के लिंक्डिन प्रोफाइल के मुताबिक, वह JSW के साथ समर इंटर्न के साथ-साथ इन हाउस कंसल्टेंट के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने प्रोफाइल में यह भी बताया है कि वह आईपीएल टीम को भी मैनेज कर चुके हैं। उन्होंने 2019 से सोर एप्पल एसेट मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया है। वहीं, पोसाईडेक्स में कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया है।
बुरे फंसे भारत विरोधी जस्टिन ट्रूडो, अमेरिका के बाद अब चीन ने सिखाया सबक
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भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ने वाले जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। जस्टिन ट्रूडो इस वक्त घरेलू मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं और कूटनीतिक स्तर पर भी चारों ओर से चुनौतियों से घिर गए हैं। इस बार मामला चीन से जुड़ा हुआ है। अमेरिका के बाद अब चीन ने कनाडा के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। चीन उइगर मुस्लिम और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल कनाडा के 2 संस्थानों के करीब 20 लोगों पर बैन लगाने जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के टैक्स बम के बाद अब चीन की ये घोषणा कनाडा के लिए बड़ी परेशानी पैदा करने वाली है।

चीन ने रविवार को कहा है कि वह उइगरों और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल दो कनाडाई संस्थानों सहित 20 लोगों के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई करने जा रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि शनिवार को प्रभावी हुए इन उपायों में संपत्ति जब्त करना और प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है और इनके निशाने पर कनाडा का उइगर अधिकार वकालत परियोजना और कनाडा-तिब्बत समिति शामिल है। चीन ने कहा कि वह इन दोनों संस्थानों की चल संपत्ति, अचल संपत्ति और चीन के क्षेत्र में अन्य प्रकार की संपत्ति को फ्रीज कर रहा है।

दरअसल, कनाडा के मानवाधिकार संगठनों ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था। मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि चीन में उइगर मुसलमानों का शोषण हो रहा है और सरकारी तंत्र उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहा है। इसके बाद चीन ने बड़ा एक्शन लिया है। कनाडा के 20 लोगों को चीन ने बैन कर दिया है। ये सभी लोग अलग-अलग मानवाधिकार संगठनों से जुड़े थे। इन सभी लोगों के चीन में प्रवेश के साथ ही हांगकांग और मकाऊ क्षेत्र में प्रवेश पर भी बैन लगा दिया गया है।

इस प्रतिबंध के तहत, उइगर संस्थान से जुड़े 15 और तिब्बत समिति के पांच सदस्यों की चीन में संपत्तियों को फ्रीज किया गया है। इसके अलावा, इन व्यक्तियों के हांगकांग और मकाऊ सहित पूरे चीन में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कनाडा के मानवाधिकार समूहों ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चीन ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर शोषण किया है। लगभग एक करोड़ उइगर मुसलमानों को कथित रूप से नजरबंदी शिविरों में रखा गया है, जहां उनसे जबरन मजदूरी करवाया जाता है। हालांकि, चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये शिविर पुनर्वास और शिक्षा के लिए हैं। चीन ने 1950 में तिब्बत पर नियंत्रण किया था और इसे "शांतिपूर्ण मुक्ति" कहा था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और निर्वासित तिब्बती समुदायों ने इसे दमनकारी शासन करार दिया है और समय-समय पर इसकी निंदा की है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों आंतरिक और बाहरी संकटों का सामना कर रहे हैं। उनके कार्यकाल में कनाडा के अमेरिका, भारत और चीन जैसे प्रमुख देशों के साथ संबंध खराब हुए हैं। ये तीनों देश वैश्विक स्तर पर अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा, कनाडा में उनकी लोकप्रियता तेजी से घट रही है। उनके पूर्व सहयोगी और एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की है, जिससे ट्रूडो की सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
पहले देश छूटा अब पत्नी ने भी छोड़ा साथ, बशर अल असद से मांगा तलाक
#bashar_al_assad_wife_files_for_divorce_and_leaving_russia सीरिया में तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति बशर अल असद का परिवार रूस में है। वह खुद भी रूस भाग चुके हैं। लेकिन इस बीच उनके लिए बुरी खबर आई है।सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की। खबरों के मुताबिक असमा ने रूस की कोर्ट में असद से तलाक और रूस छोड़ने की अर्जी दायर की है। बशर अल-असद की पत्नी रूस में नहीं रहना चाहती हैं और वापस लंदन जाना चाहती हैं।

खबरों के मुताबिक अस्मा ने रूसी कोर्ट से तलाक और मॉस्को छोड़ने की परमिशन मांगी है। अस्मा की अर्जी को रूसी अधिकारी देख रहे हैं। अस्मा के पास सीरिया और ब्रिटेन दोनों देशों की नागरिकता है। अस्मा लंदन में ही अपनी पढ़ाई के दौरान असद से मिली थी और सन 2000 में दोनों ने शादी कर ली थी। तुर्की और अरब मीडिया की कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अस्मा रूस की राजधानी में खुश नहीं और ब्रिटेन जाना चाहती हैं।

बशर अल-असद 24 साल तक राष्ट्रपति रहे, उन्होंने 2000 में पदभार संभाला और अपने पिता हाफिज अल-असद की जगह ली, जिन्होंने 1971 से 2000 तक शासन किया। मगर इस महीने की शुरुआत में, सीरिया में तख्तापलट के बाद असद ने रूस से शरण मांगी और पुतिन ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया था। हालांकि, ऐसी रिपोर्ट हैं कि असद को रूस में भारी प्रतिबंधों के तहत रखा गया है, जबकि रूसी अधिकारियों ने उनके शरण अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।

सऊदी और तुर्की की रिपोर्टों के अनुसार, बशर अल-असद के भाई माहेर अल-असद को रूस में शरण नहीं दी गई है और वह व उनका परिवार घर में नजरबंद हैं। माहेर के शरण अनुरोध की अभी भी समीक्षा की जा रही है। असद के परिवार ने करीब पांच दशक तक सीरिया में शासन किया था। अधिकारियों ने कथित तौर पर असद को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने और मास्को छोड़ने की इजाजत नहीं दी है। रूसी अधिकारियों ने उनकी संपत्ति और पैसा भी जब्त कर लिया है। उनकी संपत्ति में 270 किग्रा सोना, 2 अरब डॉलर और मॉस्को में 18 अपार्टमेंट शामिल हैं।
बांग्लादेश के लोगों को जबरन गायब करने में भारत शामिल”, यूनुस सरकार का गंभीर आरोप
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* भारत और बांग्लादेश के संबंध फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, तनाव को कम करने के बजाय बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रही है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार का एक और भारत विरोधी चेहरा सामने आया है।बांग्लादेश में एक जांच आयोग ने देश से लोगों के गायब होने के पीछे भारत की भूमिका होने की शक जाहिर किया है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने दावा किया है कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 'जबरन गुमशुदगी' के मामलों में भारत की संलिप्तता थी। सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने शनिवार को आयोग की रिपोर्ट का हवाले देते हुए कहा, “बांग्लादेश के जबरन गायब किए जाने के मामलों में भारत की संलिप्तता सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है।” जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 3,500 से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी के मामलों का अनुमान लगाया है। आयोग का कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इस बात की चर्चा है कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारत की जेलों में बंद हो सकते हैं। आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच कैदियों की अदला-बदली की खुफिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। पांच सदस्यीय आयोग ने मुहम्मद यूनुस को 'अनफोल्डिंग द ट्रुथ' शीर्षक की ये रिपोर्ट सौंपी। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय आयोग का कहना है कि सरकारी एजेंसियों में यह धारणा बनी हुई है कि कुछ कैदी अब भी भारतीय जेलों में बंद हो सकते हैं। हम विदेश और गृह मंत्रालय को सलाह देते हैं कि वे भारत में कैद किसी भी बांग्लादेशी नागरिक की पहचान के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। बांग्लादेश के बाहर इस मामले की जांच करना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। आयोग ने बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के रक्षा सलाहकार, सेवानिवृत्त मेजर जनरल तारिक अहमद सिद्दीकी के साथ दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कई अन्य अधिकारियों की जबरन गुमशुदगी में संलिप्तता का जिक्र किया है। आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि जबरन गुमशुदगी की 1,676 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से अब तक 758 मामलों की जांच की जा चुकी है। इनमें से 27 फीसदी पीड़ित कभी नहीं लौटे और जो लौटे उन्हें भी गलत तरीके से गिरफ्तार के रूप में दर्ज किया गया। आयोग मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट देने की योजना बना रहा है। आयोग ने कहा है कि सभी आरोपों की समीक्षा पूरी करने में एक साल लगेगा।